04/10/2022
नवरात्रि महानवमी 2022 पूजा का समय :-
महानवमी तिथि 3 अक्टूबर 2022 को शाम 4ः37 बजे शुरू होगी और 4 अक्टूबर 2022 को दोपहर 2ः20 बजे समाप्त होगी तो सुबह से ही नवमी पूजा का शुभ मुर्हूत रहेगा. इस दौरान हवन और कन्या पूजन भी करना होगा. कन्या पूजन के बाद पारण किया जा सकता है.
मां सिद्धिदात्री की सिद्धियां :-
शास्त्रों के मुताबिक मां सिद्धिदात्री के पास आठ सिद्धियां है जो निम्न है- अणिमा, ईशित्व, वशित्व, लघिमा, गरिमा, प्राकाम्य, महिमा और प्राप्ति.माना जाता है कि हर देवी-देवता को मां सिद्धिदात्री से ही सिद्धियों की प्राप्ति हुई थी.इसलिए कहते हैं आज के दिन मां की विधि-विधान करना शुभ साबित हो सकता है.
मां सिद्धिदात्री की पूजा विधि:-
इस दिन मां की पूजा अर्चना करने के लिए विशेष हवन किया जाता है.यह नवरात्रि का आखिरी दिन है तो इस दिन मां की पूजा अर्चना करने के बाद अन्य देवताओं की भी पूजा की जाती है.इस दिन भी बाकी दिनों की तरह सबसे पहले लकड़ी की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर उसपर मां की मूर्ति रखकर आरती और हवन करें.हवन करते वक्त सभी देवी देवताओं के नाम से आहुति दें.इसके बाद मां के नाम से आहुति दें.बता दें की दुर्गा सप्तशती के सभी श्लोक के साथ मां की आहुति दी जाती है.देवी ते बीज मंत्र श्ऊँ ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे नमो नमरू का 108 बार जप करके आहुति दें.अंत में आरती करें।
सिद्धिदात्री का भोग:-
मान्यता है कि मां सिद्धिदात्री को मौसमी फलए चनाए पूड़ीए खीरए नारियल और हलवा अति प्रिय है.इसलिए इस दिन मां को उन्ही चीजों का भोग लगाना चाहिए।
मां सिद्धिदात्री का मंत्र :-
1- ऊं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे | ऊँ ग्लौं हुं क्लीं जूं सः ज्वालय ज्वालय ज्वल
ज्वल प्रज्वल प्रज्वल ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा
2- वन्दे वांछित मनोरथार्थ चन्द्रार्घकृत शेखराम्।
कमलस्थितां चतुर्भुजा सिद्धीदात्री यशस्वनीम्॥
3- या देवी सर्वभूतेषु माँ सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता. नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम
मां सिद्धिदात्री बीज मंत्र :-
ह्रीं क्लीं ऐं सिद्धये नम:।
महानवमी के दिन कन्या पूजन और हवन :-
नवरात्रि के आखिरी दिन हवन करने का विधान है.माना जाता है कि हवन करने के बाद ही पूजा का पूर्ण फल मिलता है.इसलिए इस दिन मां दुर्गा और कलश की विधिवत तरीके से पूजा करने के हवन जरूर करें.इसके अलावा अष्टमी और नवमी के दिन कन्या पूजन की भी परंपरा है.अगर आपने अष्टमी के दिन कन्या पूजन नहीं किया है तो आज 2 से 10 साल की कन्याओं को भोज के लिए आमंत्रित कर लें और उसे भोजन कराने के बाद दक्षिण आदि देकर विदा करें.