14/09/2023
आँखों से कू-ए-यार का मंज़र नहीं गया
हालाँकि दस बरस से मैं उस घर नहीं गया
उस ने मज़ाक़ में कहा मैं रूठ जाऊँगी
लेकिन मेरे वजूद से ये डर नहीं गया
साँसें उधार ले के गुज़ारी है ज़िंदगी
हैरान वो भी थी कि मैं क्यों मर नहीं गया
शाम-ए-विदाअ लाख तसल्ली के बावजूद
आँखों से उस की दुख का समुंदर नहीं गया
उस घर की सीढ़ियों ने सदाएँ तो दीं मगर
मैं ख़्वाब में रहा कभी ऊपर नहीं गया
बच्चों के साथ आज उसे देखा तो दुख हुआ
उन में से कोई एक भी माँ पर नहीं गया
पैरों में नक़्श एक ही दहलीज़ थी 'हसन'
उस के सिवा मैं और किसी दर नहीं गया
हसन अब्बास रज़ा
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