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01/10/2024

Jai Shree Shyam Ji
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खाटू श्याम मंदिर कैसे पहुंचें बस या ट्रेन? कहां रुकें कैसे करें दर्शन, यहां है पूरी जानकारी:-
17/08/2024

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17/08/2024

श्याम कुंड में मिला बाबा श्याम का शीश :-

स्थानीय लोगों के अनुसार पीपल के पेड़ के पास रोज एक गाय अपने आप दूध देती थी ऐसे में लोगों को हैरानी हुई तो उन्होंने उसे जगह खुदाई करवाई तो बाबा श्याम का शीश निकला. बाबा श्याम का यह शीश फाल्गुन मास की ग्यारस को मिला था इसलिए बाबा श्याम का जन्मोत्सव भी फाल्गुन मास की ग्यारस को ही मनाया जाता है. खुदाई के बाद ग्रामीणों ने बाबा श्याम का शीश चौहान वंश की नर्मदा देवी को सौंप दिया. इसके बाद नर्मदा देवी ने गर्भ गृह में बाबा श्याम की स्थापना की और जिस जगह बाबा श्याम को खोदकर निकाला गया वहां पर श्याम कुंड बना दिया गया.

17/08/2024

गर्भवती नदी में बहाया गया था श्याम का शीश:-

घटोत्कच के पुत्र बर्बरीक ने जब भगवान श्री कृष्ण को अपना शीश दान में दिया तो बर्बरीक ने महाभारत का युद्ध देखने की इच्छा जताई तब श्री कृष्ण ने बर्बरीक के शीश को ऊंचाई वाली जगह पर रख दिया. तब बर्बरीक ने संपूर्ण महाभारत का युद्ध देखा. युद्ध समाप्ति के बाद भगवान श्री कृष्ण ने बर्बरीक के शीश को गर्भवती नदी में बहा दिया. ऐसे में गर्भवती नदी से बर्बरीक यानी बाबा श्याम का शीश बहकर खाटू (उसे समय की खाटूवांग नगरी) आ गया. बता दें कि खाटूश्याम जी में गर्भवती नदी 1974 में लुप्त हो गई थी.

17/08/2024

श्री कृष्ण की कृपा से बर्बरीक बने श्याम:-

महाभारत में वर्णित है कि भीम के पुत्र घटोत्कच थे उन्हीं के पुत्र थे बर्बरीक. बर्बरीक देवी मां के भक्त थे. बर्बरीक की तपस्या व भक्ति से प्रसन्न होकर देवी मां ने उन्हें तीन तीर दिए थे जिनमें से एक तीर से वे संपूर्ण पृथ्वी का विनाश कर सकते थे. ऐसे में जब महाभारत का युद्ध चल रहा था तो बर्बरीक ने अपनी माता हिडिम्बा से युद्ध लड़ने की पेशकश की.
तब बर्बरीक की माता ने सोचा कि कौरवों की सेना बड़ी है और पांडवों की सेना छोटी इसलिए शायद युद्ध में कौरव पांडवों पर भारी पड़ेंगे. तब हिडिंबा ने कहा कि तुम हारने वाले के पक्ष में युद्ध लड़ोगे. इसके बाद माता की आज्ञा लेकर बर्बरीक महाभारत के युद्ध में शामिल होने के लिए निकल पड़े. लेकिन, श्री कृष्ण को पता था कि जीत पांडवों की होने वाली है अगर बर्बरीक युद्ध स्थल पर पहुंचते हैं तो वे कौरव पक्ष में युद्ध लड़ेंगे. इसलिए भगवान श्री कृष्णा ब्राह्मण का रूप धारण कर बर्बरीक के पास पहुंचे.
तब भगवान श्री कृष्ण ने बर्बरीक से उनका शीश दान में मांग लिया. दानशीलता के कारण बर्बरीक ने बिना किसी सवाल के अपना शीश भगवान श्री कृष्ण को दान दे दिया. इसी दानशीलता के कारण श्री कृष्ण ने कहा कि तुम कलयुग में मेरे नाम से पूजे जाओगे, तुम्हें कलयुग में श्याम के नाम से पूजा जाएगा, तुम कलयुग का अवतार कहलाओगे और हारे का सहारा बनोगे.

17/08/2024

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16/07/2024

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16/07/2024

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