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22/01/2024

Ayodhya Ram Mandir LIVE

07/10/2023

Bageshwar Dham Sarkar | Alwar Rajasthan

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक आज दिल्ली के अक्षरधाम मंदिर पहुंचे और नतमस्तक होकर प्रभु का आशीर्वाद लिया
10/09/2023

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक आज दिल्ली के अक्षरधाम मंदिर पहुंचे और नतमस्तक होकर प्रभु का आशीर्वाद लिया

12/06/2023

Adipurush Final Trailer Hindi

18/02/2023

Mahashivratri special best songs 2023
OM NAMAH SHIVAY

18/02/2023

Mahamitunjai mantra

18/02/2023

LIVE : MahaShivRatri 2023 – Live Webstream with Sadhguru. ( test Live On Hindunews24)

26/01/2023

हाँ हम पाखंडी हैं और फूट फूट कर रोने लगे __ Bageshwar Dham Ke Dheerendra Shastri

24/01/2023
22/01/2023

Vedic Cosmology Class 3 | Keshavanand Das,
Language : Hindi,
Our Universe Details,

Source Facebook Live

#হিন্দুনিউজ২৪

22/01/2023

Vedic Cosmology Class 2 | Keshavanand Das
Language : Hindi
Our Universe Details
Source Facebook Live

#হিন্দুনিউজ২৪

22/01/2023

Vedic Cosmology Class 01 | Keshavanad Das,

Language : Hindi,

Our Universe Details.

Source Facebook Live.

#হিন্দুনিউজ২৪

'तीर्थराज' प्रयागराज में मौनी अमावस्या के पावन अवसर पर पवित्र संगम में पुण्य स्नान की आप सभी को हार्दिक बधाई!
21/01/2023

'तीर्थराज' प्रयागराज में मौनी अमावस्या के पावन अवसर पर पवित्र संगम में पुण्य स्नान की आप सभी को हार्दिक बधाई!

29/12/2022

Bangladesh में भारतीय छात्रा से R**e का आरोप Abdul नाम के शख्स पर लगा | R**e Victim Girl

पढ़ाई के लिए बांग्लादेश गई भारतीय छात्रा से रेप. अब्दुल नाम के शख्स पर रेप का आरोप लगा. रेप पीड़ित छात्रा ने खुद फेसबुक पर बताई आपबीती. अब्दुल मुसलमान बनने का बनाता था दबाव ऐसा कहा है पीड़ित छात्रा ने.
R**e of Indian student who went to Bangladesh for studies. A man named Abdul was accused of r**e. R**e victim girl herself narrated her ordeal on Facebook. Abdul used to make pressure to become a Muslim, so the victim student has said.

**eOfIndianStudent **eVictimGirl

27/12/2022

Hari Sundar Nanda Mukunda Best Kirtan bhajan best kirtan - kirtan song - iskcon kirtan

समयसूचक AM और PM का उदगम भारत ही था। पर हमें बचपन से यह रटवाया गया, विश्वास दिलवाया गया कि इन दो शब्दों AM और PM का मतलब...
16/10/2022

समयसूचक AM और PM का उदगम
भारत ही था। पर हमें बचपन से यह रटवाया गया, विश्वास दिलवाया गया कि इन दो शब्दों AM और PM का मतलब होता है :
AM : एंटी मेरिडियन (ante meridian)
PM : पोस्ट मेरिडियन (post meridian)
एंटी यानि पहले, लेकिन किसके?
पोस्ट यानि बाद में, लेकिन किसके?
यह कभी साफ नहीं किया गया, क्योंकि यह चुराये गये शब्द का लघुतम रूप था।
अध्ययन करने से ज्ञात हुआ और हमारी प्राचीन संस्कृत भाषा ने इस संशय को अपनी आंधियों में उड़ा दिया और अब, सब कुछ साफ-साफ दृष्टिगत है।
कैसे?
देखिये...
AM = आरोहनम् मार्तण्डस्य Aarohanam Martandasya
PM = पतनम् मार्तण्डस्य Patanam Martandasya
----------------------------
सूर्य, जो कि हर आकाशीय गणना का मूल है, उसीको गौण कर दिया। अंग्रेजी के ये शब्द संस्कृत के उस 'मतलब' को नहीं इंगित करते जो कि वास्तव में है।
आरोहणम् मार्तण्डस्य Arohanam Martandasaya यानि सूर्य का आरोहण (चढ़ाव)।
पतनम् मार्तण्डस्य Patanam Martandasaya यानि सूर्य का ढलाव।
दिन के बारह बजे के पहले सूर्य चढ़ता रहता है - 'आरोहनम मार्तण्डस्य' (AM)।
बारह के बाद सूर्य का अवसान/ ढलाव होता है - 'पतनम मार्तण्डस्य' (PM)।
पश्चिम के प्रभाव में रमे हुए और पश्चिमी शिक्षा पाए कुछ लोगों को भ्रम हुआ कि समस्त वैज्ञानिकता पश्चिम जगत की देन है।

#हिंदून्यूज़

विरूपाक्ष मंदिर कर्नाटक राज्य के हम्पी में तुंगभद्रा नदी के किनारे पर स्थित एक पवित्र स्थान और ऐतिहासिक स्थल है। ७वीं शत...
27/09/2022

विरूपाक्ष मंदिर कर्नाटक राज्य के हम्पी में तुंगभद्रा नदी के किनारे पर स्थित एक पवित्र स्थान और ऐतिहासिक स्थल है। ७वीं शताब्दी के दौरान निर्मित किए गए इस मंदिर के इतिहास और सुन्दर वास्तुकला के कारण इसे यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल में शामिल किया गया। मंदिर की दीवारों पर ७वीं शताब्दी की समृद्ध शिलालेख भी मौजूद हैं जो इसकी समृद्ध विरासत के प्रमाण को प्रस्तुत करते हैं। यह प्राचीन मंदिर भगवान् शिव के रूपों में से एक 'विरुपाक्ष' (= विरूप + अक्ष = कुरूप आँखों वाले) को समर्पित है जिसे “प्रसन्न विरुपाक्ष मंदिर” के नाम से भी जाना जाता है। मंदिर में मुख्य देवता के साथ साथ कई देवी-देवताओं की सुन्दर मूर्तियां भी हैं जो कलाकृतियों के माध्यम से कई देवी-देवताओं की पौराणिक कहानियों को दर्शाती हैं। इस मंदिर का इतिहास प्रसिद्ध विजयनगर साम्राज्य से जुड़ा है। 500 साल पहले इस मंदिर का गोपुरम बना था। ये मंदिर द्रविड़ स्थापत्य शैली में बना हुआ है।

१४वीं शताब्दी[कृपया उद्धरण जोड़ें]
तुंगभद्रा नदी के दक्षिणी किनारे पर हेम कूट पहाड़ी की तलहटी पर बने इस मंदिर का गोपुरम 50 मीटर ऊंचा है। भगवान शिवजी के अलावा इस मंदिर में भुवनेश्वरी और पंपा की मूर्तियां भी बनी हुई हैं। इस मंदिर के पास छोटे-छोटे और मंदिर हैं जो कि अन्य देवी देवताओं को समर्पित हैं। विरुपाक्ष मंदिर विक्रमादित्य द्वितीय की रानी लोकमाह देवी द्वारा बनवाया गया था। द्रविड़ स्थापत्य शैली में ये मंदिर ईंट तथा चूने से बना है। इसे यूनेस्को की घोषित राष्ट्रीय धरोहरों में शामिल है।

#हिंदून्यूज़

काशी विश्वनाथ मंदिर बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यह मंदिर पिछले कई हजार वर्षों से वाराणसी में स्थित है। काशी विश्वन...
27/09/2022

काशी विश्वनाथ मंदिर बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यह मंदिर पिछले कई हजार वर्षों से वाराणसी में स्थित है। काशी विश्वनाथ मंदिर का हिंदू धर्म में एक विशिष्‍ट स्‍थान है। ऐसा माना जाता है कि एक बार इस मंदिर के दर्शन करने और पवित्र गंगा में स्‍नान कर लेने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस मंदिर में दर्शन करने के लिए आदि शंकराचार्य, सन्त एकनाथ, रामकृष्ण परमहंस, स्‍वामी विवेकानंद, महर्षि दयानंद, गोस्‍वामी तुलसीदास सभी का आगमन हुआ है। यहीं पर सन्त एकनाथजी ने वारकरी सम्प्रदाय का महान ग्रन्थ श्रीएकनाथी भागवत लिखकर पूरा किया और काशीनरेश तथा विद्वतजनों द्वारा उस ग्रन्थ की हाथी पर धूमधाम से शोभायात्रा निकाली गयी। महाशिवरात्रि की मध्य रात्रि में प्रमुख मंदिरों से भव्य शोभा यात्रा ढोल नगाड़े इत्यादि के साथ बाबा विश्वनाथ जी के मंदिर तक जाती है।

निर्माण

वर्तमान मंदिर का निर्माण महारानी अहिल्या बाई होल्कर द्वारा सन् 1780 में करवाया गया था।[2]. बाद में महाराजा रणजीत सिंह द्वारा 1853 में 1000 कि.ग्रा शुद्ध सोने द्वारा बनवाया गया था।[3].

काशी विश्वनाथ का इतिहास

उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर में स्थित भगवान शिव का यह मंदिर हिंदूओं के प्राचीन मंदिरों में से एक है, जोकि गंगा नदी के पश्चिमी तट पर स्थित है। कहा जाता है कि यह मंदिर भगवान शिव और माता पार्वती का आदि स्थान है। जिसका जीर्णोद्धार 11 वीं सदी में राजा हरीशचन्द्र ने करवाया था और वर्ष 1194 में मुहम्मद गौरी ने ही इसे तुड़वा दिया था। जिसे एक बार फिर बनाया गया लेकिन वर्ष 1447 में पुनं इसे जौनपुर के सुल्तान महमूद शाह ने तुड़वा दिया।पूरा लेख

महिमा

सर्वतीर्थमयी एवं सर्वसंतापहारिणी मोक्षदायिनी काशी की महिमा ऐसी है कि यहां प्राणत्याग करने से ही मुक्ति मिल जाती है। भगवान भोलानाथ मरते हुए प्राणी के कान में तारक-मंत्र का उपदेश करते हैं, जिससे वह आवगमन से छुट जाता है, चाहे मृत-प्राणी कोई भी क्यों न हो। मतस्यपुराण का मत है कि जप, ध्यान और ज्ञान से रहित एवंम दुखों परिपीड़ित जनों के लिये काशीपुरी ही एकमात्र गति है। विश्वेश्वर के आनंद-कानन में पांच मुख्य तीर्थ हैं:-

दशाश्वेमघ,
लोलार्ककुण्ड,
बिन्दुमाधव,
केशव और
मणिकर्णिका
और इनहीं से युक्त यह अविमुक्त क्षेत्र कहा जाता है

#हिंदून्यूज़

वैद्यनाथ मन्दिर, देवघरबैद्यनाथ शिव मंदिर और पार्वती माता का मंदिर एक पवित्र लाल रस्सी से बंधे हुए हैं।धर्म संबंधी जानकार...
27/09/2022

वैद्यनाथ मन्दिर, देवघर

बैद्यनाथ शिव मंदिर और पार्वती माता का मंदिर एक पवित्र लाल रस्सी से बंधे हुए हैं।
धर्म संबंधी जानकारी
सम्बद्धता हिंदू धर्म
देवता भगवान वैद्यनाथ (भगवान शिव के ज्योतिर्लिंग अवतार), जया दुर्गा (शिवलिंग पर स्थित शक्ति पीठ)
शासी निकाय बाबाबैद्यनाथ मन्दिर प्रबन्ध परिषद
अवस्थिति जानकारी
अवस्थिति देवघर,झारखंड
ज़िला देवघर
राज्य झारखण्ड
देश भारत
वास्तु विवरण
निर्माता राजा पूरनमल (वर्तमान में उपस्थित मंदिर के निर्माता), विश्वकर्मा (प्राचीन मंदिर निर्माता)

बैद्यनाथ
चिकित्सा, उपचार, प्रकृति और स्वास्थ्य के देवता, ज्योतिर्लिंग स्वरूप जिसे रावण ने स्थापित किया था
Member of द्वादश ज्योतिर्लिंग

मंत्र ॐ नमः शिवाय
त्यौहार महाशिवरात्रि
वैद्यनाथ मन्दिर भारतवर्ष के झारखण्ड राज्य के देवघर नामक स्‍थान में अवस्थित एक प्रसिद्ध मंदिर है।[1][2] शिव का एक नाम 'वैद्यनाथ भी है, इस कारण लोग इसे 'वैद्यनाथ धाम' भी कहते हैं। यह एक सिद्धपीठ है। इस कारण इस लिंग को "कामना लिंग" भी कहा जाता हैं।

देवघर में शिव का अत्यन्त पवित्र और भव्य मन्दिर स्थित है। हर वर्ष सावन के महीने में स्रावण मेला लगता है जिसमें लाखों श्रद्धालु "बोल-बम!" "बोल-बम!" का जयकारा लगाते हुए बाबा भोलेनाथ के दर्शन करने आते हैं। ये सभी श्रद्धालु सुल्तानगंज से पवित्र गंगा का जल लेकर लगभग सौ किलोमीटर की अत्यन्त कठिन पैदल यात्रा कर बाबा को जल चढाते हैं।

#हिंदून्यूज़

कैलासनाथर मंदिर भूमि के प्रमुख आकर्षणों में से एक हैहजारों मंदिर, कांचीपुरम, तमिलनाडु राज्य में स्थित है। यह भगवान शिव क...
27/09/2022

कैलासनाथर मंदिर
भूमि के प्रमुख आकर्षणों में से एक हैहजारों मंदिर, कांचीपुरम, तमिलनाडु राज्य में स्थित है। यह भगवान शिव के लिए बनाया गया था, जिन्हें पल्लव वंश के दौरान मंदिर में कैलासनाथर के नाम से जाना जाता था, जो इस क्षेत्र पर शासन करते थे। पल्लव शासक राजसिम्हर के नेतृत्व में 680 ई। से 705 ई। की अवधि के दौरान बलुआ पत्थर से निर्मित इस मंदिर का निर्माण बलुआ पत्थर से किया गया था। लगभग 60 तीर्थस्थलों से मिलकर, मंदिर पूरे देश के पर्यटकों को आकर्षित करता है और बड़ी संख्या में विदेशी पर्यटक भी आते हैं। इस मंदिर का मुख्य आकर्षण इसका अंतरतम मार्ग है जो कैलासनाथर की मूर्ति को घेरता है, और एक व्यक्ति के प्रवेश और उसके स्वर्ग से बाहर निकलने का प्रतीक है। एक अद्भुत शांत वातावरण, और एक प्राचीन द्रविड़ स्थापत्य शैली के साथ, यह मंदिर देवत्व के प्रतीक हैं, जो आपके जीवनकाल में कम से कम एक बार देखने के लिए मिला है।

#हिंदून्यूज़

दक्षिणेश्वर काली मन्दिरधर्म संबंधी जानकारीसम्बद्धता हिंदू धर्मदेवता कालीअवस्थिति जानकारीअवस्थिति कोलकातावास्तु विवरणनिर्...
27/09/2022

दक्षिणेश्वर काली मन्दिर

धर्म संबंधी जानकारी
सम्बद्धता हिंदू धर्म
देवता काली
अवस्थिति जानकारी
अवस्थिति कोलकाता
वास्तु विवरण
निर्माता जान बाजार की महारानी रासमणि
स्थापित 1855

दक्षिणेश्वर काली मन्दिर(बांग्ला: দক্ষিণেশ্বর কালীবাড়ি; उच्चारण:दॊख्खिनॆश्शॉर कालिबाड़ी), उत्तर कोलकाता में, बैरकपुर में, विवेकानन्द सेतु के कोलकाता छोर के निकट, हुगली नदी के किनारे स्थित एक ऐतिहासिक हिन्दू मन्दिर है। इस मंदिर की मुख्य देवी, भवतारिणी है, जो हिन्दू देवी काली माता ही है। यह कलकत्ता के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है, और कई मायनों में, कालीघाट मन्दिर के बाद, सबसे प्रसिद्ध काली मंदिर है। इसे वर्ष १८५४ में जान बाजार की रानी रासमणि ने बनवाया था।

यह मन्दिर, प्रख्यात दार्शनिक एवं धर्मगुरु, स्वामी रामकृष्ण परमहंस की कर्मभूमि रही है, जोकि बंगाली अथवा हिन्दू नवजागरण के प्रमुख सूत्रधारों में से एक, दार्शनिक, धर्मगुरु, तथा रामकृष्ण मिशन के संस्थापक, स्वामी विवेकानंद के गुरु थे। वर्ष १८५७-६८ के बीच, स्वामी रामकृष्ण इस मंदिर के प्रधान पुरोहित रहे। तत्पश्चात उन्होंने इस मन्दिर को ही अपना साधनास्थली बना लिया। कई मायनों में, इस मन्दिर की प्रतिष्ठा और ख्याति का प्रमुख कारण है, स्वामी रामकृष्ण परमहंस से इसका जुड़ाव। मंदिर के मुख्य प्रांगण के उत्तर पश्चिमी कोने में रामकृष्ण परमहंस का कक्ष आज भी उनकी ऐतिहासिक स्मृतिक के रूप में संरक्षित करके रखा गया है, जिसमें श्रद्धालु व अन्य आगन्तुक प्रवेश कर सकते हैं।

निर्माण
दक्षिणेश्वर मंदिर का निर्माण सन 1847 में प्रारम्भ हुआ था। जान बाजार की ज़मीन्दार, रानी रासमणि ने स्वप्न देखा था, जिसके अनुसार माँ काली ने उन्हें निर्देश दिया कि मंदिर का निर्माण किया जाए। इस भव्य मंदिर में माँ की मूर्ति श्रद्धापूर्वक स्थापित की गई। सन 1855 में मंदिर का निर्माण पूरा हुआ। यह मंदिर 25 एकड़ क्षेत्र में स्थित है।

स्थापत्य

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आद्या कात्यायिनी मंदिर या छतरपुर मंदिर दिल्ली के सबसे बड़े और सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में एक है।[प्रीति झा]। भारत की राजधा...
27/09/2022

आद्या कात्यायिनी मंदिर या छतरपुर मंदिर दिल्ली के सबसे बड़े और सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में एक है।

[प्रीति झा]। भारत की राजधानी दिल्ली में आद्या कात्यायिनी मंदिर स्थित है, जो छतरपुर मंदिर के नाम से भी प्रसिद्ध है। छतरपुर मंदिर दिल्ली का प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है जिसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग यहां आते हैं तथा माता के दर्शन एवं आशीर्वाद प्राप्त करने की इच्छा रखते हैं। आद्या कात्यायिनी मंदिर या छतरपुर मंदिर दिल्ली के सबसे बड़े और सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में एक है। यह मंदिर गुंड़गांव-महरौली मार्ग के निकट छतरपुर में स्थित है। यह मंदिर सफेद संगमरमर से बना हुआ है और इसकी सजावट बहुत की आकर्षक है। दक्षिण भारतीय शैली में बना यह मंदिर विशाल क्षेत्र में फैला है। मंदिर परिसर में खूबसूरत लॉन और बगीचे हैं।

मूल रूप से यह मंदिर मां दुर्गा को समर्पित है। इसके अतिरिक्तं यहां भगवान शिव, विष्णु, देवी लक्ष्मी, हनुमान, भगवान गणेश और राम आदि देवी-देवताओं के मंदिर भी हैं।

दुर्गा पूजा और नवरात्रि के अवसर पर पूरे देश से यहां भक्त एकत्र होते हैं। यहां एक पेड़ है जहां श्रद्धालु धागे और रंग-बिरंगी चूडि़यां बांधते हैं। लोगों का मानना है कि ऐसा करने से मनोकामना पूर्ण होती है।

छतरपुर मंदिर दिल्ली के बड़े और भव्य मंदिरों मे से एक है। विशाल क्षेत्र में फैला यह मंदिर अपनी प्रसिद्धि के कारण सभी के आकर्षण का प्रमुख केन्द्र रहा है। आद्या कात्यायिनी मंदिर या छतरपुर मंदिर देवी दुर्गा को समर्पित है जिसमें माता के भव्य रूप के दर्शन होते हैं। इस विशाल मंदिर में भगवान विष्णु, शिव, गणेश, हनुमान तथा भगवान राम सीता इत्यादि अन्य देवी-देवताओं के मंदिर भी स्थित हैं।

स्थापना-

छतरपुर स्थित श्री आद्या कात्यायनी शक्तिपीठ मंदिर का शिलान्यास सन् 1974 में किया गया था। इसकी स्थापना कर्नाटक के संत बाबा नागपाल जी ने की थी। इससे पहले मंदिर स्थल पर एक कुटिया हुआ करती थी। आज वहां 70 एकड़ पर माता का भव्य मंदिर स्थित है। मंदिर परिसर में ही धर्मशाला, स्कूल व छोटा अस्पताल सहित आई.आई.टी. का संचालन किया जाता है। यह मंदिर माता के छठे स्वरूप माता कात्यायनी को समर्पित है। इसलिए इसका नाम भी कात्यायनी शक्तिपीठ रखा गया है। लगभग बीस छोटे-बड़े मंदिरों का यह स्थल दिल्ली में दूसरा सबसे बड़ा मंदिर माना जाता है।

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नीलकंठेश्वर शिव मंदिर: जहां सूर्य की किरण करती है शिवलिंग का अभिषेक.विदिशा जिले के उदयपुर में स्थित इस शिवालय में रोज सू...
27/09/2022

नीलकंठेश्वर शिव मंदिर: जहां सूर्य की किरण करती है शिवलिंग का अभिषेक.
विदिशा जिले के उदयपुर में स्थित इस शिवालय में रोज सूर्य की पहली किरण मंदिर के गर्भगृह में स्थित शिवलिंग पर पड़ती है।

#हिंदून्यूज़

18/07/2022

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