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Agar In Sawalo ke actual jawab chahiye to page follow karein
07/07/2023

Agar In Sawalo ke actual jawab chahiye to page follow karein

खुदा एक है या..... काई सारे???Diaclaimer :ये post मात्र ज्ञान और विवेकशीलता के आधार पर तैयार किया गया है  जिसका उद्देश्य...
07/02/2023

खुदा एक है या..... काई सारे???

Diaclaimer :
ये post मात्र ज्ञान और विवेकशीलता के आधार पर तैयार किया गया है जिसका उद्देश्य मात्र ज्ञान साझा करना है इसका उद्देश्य किसी भी धर्म जाति समुदाय को ठेस पहुंचाना कदापि नहीं है।

खुदा एक है या..... काई सारे???

इसका जवाब ढूंढने से पहले हमें ये जानना चाहिए कि खुदा कहते किसे हैं...?

खुदा तो वो होता जो कयामत लाता है...

खुदा को हिंदी में भगवान, उर्दू में सारे जहां का रब (मालिक) और अरबी में रब्बुल आलमीन कहा जाता है..

लेकिन सारे शब्दों का मतलब और निचोड़ एक ही है।
भगवान का मतलब होता है धन या संपत्ति का मालिक या धारक...धन दुनिया का धन नहीं..
बल्कि पूरी कायनात का मालिक
और रब्बुल आलमीन का मतलब भी होता है सारे जहां का मालिक।

(याद रहे हमारी दुनिया पूरी कायनात नहीं बल्कि एक छोटा सा जहां है..)

हमारे मिल्कीवे (Milkyway) और एंड्रोमेडा (Andromeda) आकाशगंगाओ (Galaxies) के अलावा ऐसे बहुत सारे गैलेक्सीज है जिनके अंदर ना जाने कितने ही चांद और सूरज और दुनियाए मौजुद होंगी।

तो भगवान सारे आलम,सारे जहां, पूरी कयानात का रब यानी मालिक होता है..

अब रहा सवाल की खुदा एक है या कई सारे??
तो अगर तर्क की बात करें तो..
अगर भगवान कई सारे होते तो उन में प्रतियोगिताए भी होती लड़ाईयां भी होतीं..

जब दो बड़ी बड़ी शक्ति आमने सामने हो जबकि दोनों की शक्ति बराबर है.. तो फिर उनमें से हर एक चाहेगा ना कि मैं अकेला ही भगवान कहलाऊ...

मानलो अगर कोई बुद्धिजीवी ये कहे कि भगवान कई होने के बावजूद एक भगवान की शक्ति दूसरे भगवान से कम या ज्यादा होती है जैसा कि कई धर्मों का ये कॉन्सेप मिलता है तो आप उस खुदा को कैसे खुदा कह सकते हो जिसकी शक्ति दूसरे भगवान से कम हो।
क्योंकि भगवान तो creator को कहते हैं। तो वो कैसा भगवान है जो अपनी शक्तियां creat नही कर पाता ?
अब फिर कोई बोले कि वो कर सकता है मगर करेगा नहीं।
तो फिर ऐसे भगवान की जरूरत हीं क्या जो किसी आगे कमज़ोर बना रहे जबकि वो मजबूत बन सकता है।
और अगर वो अपनी शक्तियां बढ़ाता है तो फिर एक वक्त ऐसा आएगा की उनमें मुकाबला होना लाज़िम होगा।
और ऐसा नही होगा की कोई भी भगवान हार जाए या मारा जाए अगर एक के साथ भी ऐसा हो जाए तो वो कभी भगवान था ही नहीं।और अगर कोई नही मरता फिर तो ये युद्ध हमेशा हमेशा चलता ही रहे। क्योंकि उनमें सुलह होना यानि कि उन्हों ने जो चाहा वो न होना । अगर ऐसा हो जाए तो वो दोनो भगवान के लिस्ट बाहर हो जाएंगे। क्योंकि भगवान जो चाहता है उसे होना तय होता है। और अगर ये लड़ाई यूं ही चलती रहे फिर हमारा जो ये दुनिया का सिस्टम इतना इंतजामिया तौर पे चल रहा है ये ऐसा कभी न चलता ।

और अगर हम सिर्फ दुनिया और उसकी श्रेष्ठ प्राणि यानी मनुष्यो से संबंधित बात करें...
तो अगर दुनिया के कई भगवान होते तो और सारे भगवान अपने अलग अलग इंसान को दुनिया में भेजते..

तो कांसेप्ट कुछ इस तरह का होता शायद...

कि सारे भगवान कम से कम एक जोड़ा अपने हिसाब से बनाया हुआ दुनिया के बनने के बाद सबसे पहले इंसानी जोड़ा के रूप में दुनिया में भेजते..

1
मानलो एक जोड़ा वैसा हो जैसा कि हमलोग हैं..
यानि एक सर हो उसपे बाल हो फिर माथा हो उसपे 2 भौहें उसके नीचे 2 आंखें, नीचे एक नाक, साइड्स में 2 कान वगैरह...

2
दूसरा जोड़ा जो कि दूसरे भगवान ने बनाया होगा...
उसके टांगों के जगह हाथ हो और हाथो के जगह पे टांग हो,कान के जगह पे 2 नांक, नाक के जगह पे एक कान हो,
आंख के जगह पे दो मुंह हो और मुंह के जगह पे एक आंख हो आदि..

3
वैसे ही तीसरा भी अजीब ओ गरीब तारीके से बनाया गया हो...

और हम सब जानते हैं कि ऐसा होता तो हमें और भी अजीबोगरीब टाइप के इंसान दिखते l

तो क्या इस हिसाब से भी कई भगवान होने का कॉन्सेप्ट प्रैक्टिकल है..?

आईए अब देखते हैं उन किताबों क
की ओर जिन किताबों को ईश्वरीय किताब कहा जाता है।

अगर हम धार्मिक ग्रंथो की बात करें हर उन सब में कहीं ना कहीं किसी ना किसी अंदाज से भगवान के एक होने की बात स्पाश रूप से बताया गया है..

अगर रेफरेंस की बात करें तो...
Rig Veda :1/164/46- "Learned men called Almighty By various name"
ऋग्वेद: 1/164/46- "विद्वान पुरुष खुदा को विभिन्न नामों से पुकारते हैं"
Yajurveda : 32/3
"God does not have an image,statue or any portrait
यजुर्वेद : 32/3
"भगवान की कोई छवि, मूर्ति या कोई चित्र नहीं है"

यजुर्वेद 40/9 के अनुसार
उन्हें नरक में डाला जाएगा जो प्रकृति चिजो की पूजा करते हैं और उन्हें भी जो मैन मेड चिजो को पूजते हैं...

कुरआन में खुदा के एक होने और बूतों और नेचुरल चीजों को पूछने से रोका गया है।

कुरान 114/1 में कहा गया है कि..
तुम कहो (रसूल) वो अल्लाह एक है।

बाइबिल में भी एक श्लोक है कि कोई ईश्वर नहीं है ईश्वर केवल एक है...

तो हमारे विवेक/तर्क और धार्मिक ग्रंथो से एक बात साफ होती है कि खुदा सिर्फ एक है..
साईं बाबा की भी वाणी सुने ही होंगे आप लोग...
सबका मालिक एक.

वेदों और कुरान में ये भी है..
ईश्वर या खुदा ने किसी को ना जना है और ना हीं किसी ने उसे जना (यानि पैदा किया).

ये बात तो समझने वाली है..
अगर किसी ने उसे यानि खुदा को जना होता है तो वो खुदा से भी बड़ा होता है ना..

और ये बात भी समझ में आने वाली है कि ये सब किसी को जन्म देना पालन पोषण करना ये सब इंसानों और अन्य जानदारों का काम है जो कि दुनियावी जिंदगी है..

मानलो अगर किसी को भगवान जन्म देगा तो फिर वो भी भगवान ही कहलाएगा फिर वो भी किसी को पैदा करेगा..
मतलब फिर एक सिलसिला बन जाएगा GODs का l
मतलब एक अलग ही दुनिया अलग ही फैमिली...
जो सुनने में ही अजीब लग रहा है।

चले अब देखते हैं कि हमने अब तक क्या जाना
हमने जाना कि दुनिया को रचा गया है
जानदारों को पैदा किया गया है
भगवान होता है।
ये भी जाना की भगवान की परिभाषा क्या हो सकती है
और वो एक है।
और उसका कोई प्रतिमान नहीं
उसे ना किसी ने जन्म दिया ना उसने किसी को जाना।

लेकिन एक बात है जो सारे ग्रंथो अलग होकर इस्लामिक ग्रंथ 'कुरआन ' करता है वो ये है कि वो खुदा को सिर्फ एक कहते हुए उसका नाम अल्लाह बताता है।

वो दावा करता है कि कोई माबूद नहीं मगर अल्लाह..
यानि अल्लाह के सिवा कोई भी पूजनीय नहीं।
यानि ऐसा कोई नही जिसकी पूजा की जाए अल्लाह के अलावा।
मतलब क़ुर आन साफ़ तोर पर उसका नाम बताता है..
God मतलब अल्लाह नहीं बल्कि खुदा का नाम अल्लाह है।

वैसे ही यहूदी और ईसाई किताबो के अनुसार भी खुदा का नाम अल्लाह हीं बताया जाता है लेकिन ईसाई धर्म के अनुसार ईसा मसीह को खुदा का बेटा कहा जाता है।
हिंदू धर्म के अनुसार भी भगवान एक ही है लेकिन हिंदू धर्म के अनुसार उसके अनेक अवतार पृथ्वी पर जन्म लेते गए और उन अवतारों को भी भगवान कहा जाता है।

खुदा के कुछ पर्यायवाची Synonyms और उसके माना।
रब - मालिक (उर्दू)
भगवान- क़यनात का मालिक (संस्कृत)
GOD : Generator Operator Destroyer (रचइता चालक विध्वंशक) ( English)
इलाही - शासक (अरबी)
भगवान - श्रृष्टि का मालिक/सर्वोच्च शासक (परमेश्वर)
ईश्वर - पूरी सृष्टि का शासक (हिंदी)
खुदा - शासक (उर्दू)
मा`बूद - (इबादत के लायक/पूजा के लायक) (अरबी)

उम्मीद है हर बार की तरह इस बार भी ये post आपको पसंद आया होगा।

Diaclaimer :
ये post मात्र ज्ञान और विवेकशीलता के आधार पर तैयार किया गया है जिसका उद्देश्य मात्र ज्ञान साझा करना है इसका उद्देश्य किसी भी धर्म जाति समुदाय को ठेस पहुंचाना कदापि नहीं है।

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और आगर आपके ज़ेहन में भी इस तरह का कोई सवाल मौजूद होते हमे कमेंट करें। आशा है आपके मत पर विचार किया जाएगा।

??Kya khuda insaan hai???????क्या खुदा इंसान है??????माना इंसान सबसे बुद्धिमान जीव है..इसकी सलाहियत और क्षमता का अंदाजा ...
15/01/2023

??Kya khuda insaan hai?????

??क्या खुदा इंसान है??????

माना इंसान सबसे बुद्धिमान जीव है..
इसकी सलाहियत और क्षमता का अंदाजा आप खुद अपने आस पास पड़े चिजो से लगा सकते हैं।

जिधर नज़र पड़ती है उधर इंसान के कारनामों की चर्चा नज़र आती है।

हवाई चप्पल से लेकर ब्रांडेड जूते तक
अच्छे रोटी से लेकर पिज़्ज़ा बर्गर तक
हाथ वाले पंखों से लेकर एसी (Air Conditions) तक
झोपड़ी से लेकर बड़ी बड़ी बिल्डिंग्स तक
चटाई से लेकर आला किस्म के बिस्तर तक
साइकिल से लेकर हवाई जहाज, उड़न तश्तरी (अंतरिक्ष यान) तक
चिराग से लेकर बड़े बड़े और बहतरीन एलईडी लाइट्स तक

मतलब जहां इंसान की इतनी सारी जरूरत है हमें नजर आती है, वहीं लगभग हमे उन सारी जरूरतों का समाधान व सुविधाएं भी उपलब्ध मिलते हैं।

चाहे वो खाने से संबंधित हो या फिर ट्रांसपोर्ट से।
चाहे सोने के बेड हो या दौड़ने के लिए जूते हो..
चाहे ठंडा से बचने को हीटर हो या गर्मी के लिए एसी फ्रीज हो।
चाहे बारिश और धूप से बचने को छाता हो।
चाहे वो रात के अंधेरे से बचने को चिराग हो या बिजली हो.

ये सारे समाधान हमें एक बेहतर और बुद्धिमान प्राणि के रूप में परिचित कराते हैं।

लेकिन इन सबके के बाद भी इंसानों की बहुत सारी सीमाएं हैं
लिमिट्स हैं।

जैसे ये उड़ नहीं सकते
ये बगैर सांस के जिंदा नहीं रह सकते
इन्हे भी मरना ही होता है और प्राणियो की तरह
इनका पर्यावरण और प्रकृति पर कुछ खास नियंत्रण नहीं होता..
अर्थ से बहार निकलने पर सांस नहीं मिलेगी
चोट लगती है। दर्द होता है।
पानी के भीतर जिंदा नहीं रह सकते।
प्राकृतिक आपदाओं से बचना आसान नहीं।
इन्हे जीने के लिए पोषक तत्वों की जरूरत होती है।
जिससे इन्हें प्रकृति पर निर्भर रहना पड़ता है।
इंसान फितरत से लालची और स्वार्थी होता है
इंसान सबसे पहले खुद का भला सोचता है।
इंसान की बहुत सारे जरूरतियत होते हैं।
इंसान बहुत मामले में बहुत ही लाचार होता है।
.
तो अगर आप कहे कि हमें बनाने वाली शक्ति इंसान या कोई प्राणी है..

उसके भी जिस्म है..
उसमें भी प्राण है।
और यूसे भी मौत आती है..

तो फिर आप खुद समझ सकते हैं ये क्रिएटर(GOD) की खूबियां नहीं..

------------_------
और हां अगर भगवान के जिस्म होने का दावा किया जाता है तो आप जान ले कि जिस्म को बनना पडता है और किसी ना किसी ज़र्रा से ही बनता है..
जैसे इंसान का एक जिस्म मां के पेट में स्पर्म और खून हड्डी और मांस से बनता है...

यानी उस काल्पनिक भगवान के मां और बाप की भी कल्पना करनी पड़ेगी और फिर उनके मां बाप की...

और ये बात यहां तक पहुंचेगी की कोई तो भगवान का सबसे पहला पूर्वज होगा, उसे किसने बनाया?

इसलिए खुदा के जिस्म होने या इंसान होने का कॉन्सेप्ट पूरी तरह गलत है..

और एक बात हर मटेरियल को बनाने या पैदा करने वाला कोई ना कोई जरूर होता है..क्योंकि मैटेरियल खुद बा खुद पैदा नहीं हो सकता।
और यूं कि जब भगवान का जिस्म होना माना जाता है तब तो ये भी मानना होगा की उसको भी किसी ने बनाया होगा ।
यानि भगवान को भी कोई बनाएगा तब वो वजूद में आएगा ।
यानि creator को भी creat करेगा ?
तो अब आप बताएं कि God का शरीर होने वाला कॉन्सेप्ट क्या उचित है?

और आपका ये सवाल की भगवान इंसान है कुछ और..

(तो क्रिएटर इंसान या कोई प्राणी नहीं हो सकता जिसे मौत आए और बहुत सारी मुसिबतों को झेलना पड़े)

उम्मीद है आपको ये पोस्ट अच्छा और Informative लगा होगा।

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और अगर आपके दिलो दिमाग में कोई भी सवाल ऐसा हो तो नीचे comment box में कमेंट करें।

क्या खुदा (ईश्वर/रब है)...?इस दुनिया में या यूं कहें कि पुरे ब्रहमांड में जिस तरह  मृत्यु के अलावा हर एक बात में असहमति ...
09/01/2023

क्या खुदा (ईश्वर/रब है)...?

इस दुनिया में या यूं कहें कि पुरे ब्रहमांड में जिस तरह मृत्यु के अलावा हर एक बात में असहमति है एख्तेलाफ है उसी तरह खुदा के वजूद के बारे में भी सर्वसम्मति देखने को नही मिलती ।
और अब ये बड़ा सवाल बन चुका है कि जिसके नाम से डराया जाता है हमे बुरे कामों से रोका जाता है और पुण्य या नेकी करने को कहा जाता है तो उसके वजूद के बारे में हमारे पास क्या क्या सबूत हैं जिससे हमे यकीनी तौर पर मालूम हो जाए की वॉकई खुदा है।
अगर आपके भी दिल व दिमाग यही सवाल है की खुदा है तो कैसे माने ? तो ये पोस्ट आपके काम की है।

खैर इसके लिए कोई बहुत मेहनत की जरूरत नही।
इसका जवाब हमारेआस पास की चीजे खुद बयान करती है

और उसमे सबसे खास जो है।
वो है मैनेजमेंट (व्यवस्था)

हम एक घर की मिसाल लेते हैं...
इंसान तबाद तोड़ मेहनत करके एक घर बनाता है..
घर में बहुत से ज़रूरत की चीज़ों का बंदोबस्त करता है। वो सभी रास्ता इख्तियार करता जिससे उसमें रहना आसान हो जाए..

उसमे दरवाजे लगाए जाते है त
ताकि अंदर बाह र आया और जाए जा सके..
फिर उसमें खिड़की भी लगती है ताकि धूप और हवाएं आ सके।
अगर दो माला या उससे ज्यादा का घर है तो ledder यानी सीढ़ी का भी इस्तमाल किया जाता है।
नहाने खाने पकाने कपड़े धोने जैसे जरूरियात के लिए घर तक पानी पहुंचाने का भी इंतजाम किया जाता है...
ये कुछ साधन हैं जिसे करके इंसान खुद को स्थिर और जिंदा रखने की कोशिश करता है।

और अब अगर क़ुदरती चीज़ों की बात करें जिसके बारे में साइंस कहता है कि ख़ुद बा ख़ुद दुनिया बनी है और
इंसान जो की सारी दुनिया जानदारो से बेहतर है उसकी हस्ती बंदरो से वजूद में आया है
और सारे जानदार सिर्फ एक प्रोकैरियोटिक सेल( prokaryote) की वजह से ही आज हमारे सामने हैं और वो अधुरा सेल खुद पैदा और विकसित होता है अपने अनुकूल परिस्थितियों में।

लेकिन साइंस ये भी कन्फर्म नही करता कि वो सेल जब होमिन प्रजाति का बंदर बना तब वो male था या female ।

या मनलो बहुत सारे प्राणि एक साथ बहुत सारे अलग अलग कोशिकाओं के विकास वजूद में आएं।

उनमे नर और मादा दोनो टाइप की प्रजाति मौजुद प्राणि मौजूद थें। लेकिन सेल ने उसी जैसा ही एक जीवित जीव डिजाइन किया जिसके पास एक प्रजनन तंत्र मौजुद हो
और उसे अपने opposite एक ऐसे प्राणि की जरूरत थी जिसके पास उसका opposite वाला reproductive system मौजूद हो।
तो फिर कैसे सेल ने खुद को कैसे एक दूसरे के ऑपोजिट डिजाइन का कर लिया...
जैसे की एक औरत के जोड़े के लिए एक मर्द का बन जाना
या फिर एक बंदर के जोड़े के लिए किसी बंदरिया का बन जाना..
या फिर एक घोड़े के जोड़े के लिए एक घोड़ी का बनना

बेशक ऐसा होना बताता है कि दोनों को किसी ने बाहरी तोर पर डिजाइन किया है...
मतलब दोनो को एक दूसरे के अनुकूल बनाया गया..

तो क्या आपको यहां पर भी मैनेजमेंट नहीं नजर आ रहा..

तो जहां पर मैनेजमेंट की बात आती है वो खुद बा खुद नहीं हो सकती..

यानी ये साइंस का कॉन्सेप्ट पूरी तरह से हरगिज सही नहीं है।

अच्छा चलो माना की सेल खुद पैदा होते हैं ये भी माना कि इंसान का वजूद बंदरो से है..

इंसान या किसी जानदार का बनना सेल से बनना
और सेल का खुद से पैदा होने तक सही है..

अब उनसे ये पूछने की बात है कि इंसान को या किसी जान को जीने के लिए सबसे पहले जिस चीज़ की जरूरत होती है वो हवा है ।

जो की जानदार नहीं है और हवा का सेल से कुछ खास लेन देन नहीं है.. को की सांस लेने की क्रिया से जानदारों के फेफड़े में जाता और आता है।
और हवा अधिकतर प्राणियों की ऐसी जरूरियात में से जिसके बिना जीवन मुमकिन नही।

तो सवाल ये है कि वो हवा जो जानदारो को जीवन देता है वो धरती पे कैसे मौजूद है।
इसके जवाब में साइंस कहेगी उसको भी निकालने वाला सेल् हीं है वोही मिलकर प्लांट या पेड़ की शकल लेते हैं।
और सेल्स तो खुद पैदा होते है न।
चलो माना सेल्स ने प्लांट और ट्री बनाए और ट्री कार्बन डाइऑक्साइड लेके ऑक्सीजन देते है..

लेकिन पेड़ के सेल को कैसे मालूम था कि मुझे co 2 ही लेना है क्योंकि जानदारो ने बहोत निकाल रखी है और उन्हें इसके बदले में ऑक्सीजन देना है क्योंकि जानदारो को उसकी जरूरत है।

और दूसरी जानदारो की कोशिकाओं को भी मालूम है की हमे oxygen ही लेना क्योंकि प्लांट्स उसे ही produce करते हैं।
और co 2 के बारें में भी वही सवाल है कैसे मालूम है कि ओ2 लेना है गाय छोड़ना है..

दूसरी बात : सांस के बाद पानी की बात करें...

तो जानंदारो के लिए पानी , हवा के बाद सबसे जरूरी चिजो में से एक है
खाने के बगैर इंसान महिनो रह सकता है लेकिन पानी के बगेर कुछ दिन भी जी लेना मुश्किल है।

और इस पानी का भी सेल से कुछ खास लेन दें नहीं होता तो फिर पानी कैसे हमारी दुनिया में पहुचा और क्यों पहुंचा जब इनके बीच कोई कनेक्शन ही नहीं।

साइंस इसके जवाब में कहेगी वाटर सेल्स के वजूद से पहले ही दुनिया में मौजूद थी..
और वो इसे बिग बैंग का नाम देंगे..

पानी से सेल पैदा हुआ फिर धीरे धीरे बड़े जनवर का रूप लेते उसका सफर इंसानियत पर आके खत्म हो

और आप जानते हैं दुनिया में इंसानियत का वजूद साइंस के हिसाब से लगभग 20 लाख साल पहले से है...
तो जो सेल पहले प्रोकैरियोट था वो यूकेरियोटिक होने बाद एक छोटा जीव बना फिर उसे बड़ा जीव बना फिर छोटा जानवर बना फिर चलते चलते बंदर भी बना फिर उसके बाद उसमें sense आने लगी और वो फिर बंदर से इंसान तक बन गया....
लेकिन अब मानो उसका विकास थम सा गया है। क्या उस सेल की इतनी ही capacity थी कि बस इंसान बनने के बाद थम जाना है।
यानि लाखो सालों से वो इंसान ही इंसान ही रहा इससे आगे वो कुछ और बनने की कोशिश क्यों नहीं की?
सेल ने जैसे चाहा खुद ढाल लिया...तो फिर इंसानियत तक पहुंचने के बाद वो आगे कुछ और क्यों नहीं बनाना चाहता..
लेकिन इंसान तो तैरना भी चाहता है..
इंसान उड़ना भी चाहता है....
इंसान पानी में जिंदा भी रहना चाहता है..

वो ऐसा क्यों नही बन जाता है कि वो जो चाहे कर सके..
मैं किसी जादू के बारे में कह रहा हूं..
मैं बस इवोल्यूशन की बात कर रहा हूं...
इंसान जब एक सेल था और उसके पास ब्रेन नहीं था तब इतना सोचा की आज वो इंसानियत तक पहुंच गया..

लेकिन आज इंसानियत के पास सबसे वो बेहतर सिस्टम मौजूद है जो और किसी अन्य प्राणि के पास इतना ज़बरदस्त नहीं । तो फिर क्यों वो खुद में कुछ बदलाव नहीं कर पा रहा...

वही दूसरे तरफ जब सेल जानवर बनने के बाद इंसान बन सकता है तो फिर ये सारे जानवर खास तोर पे बंदर आज तक जानवार ही क्यों रहे जेबी इंसानियत का जन्म हुआ है....

अब एक और चीज होती है न्यूट्रिएंट्स (पोषक तत्व) जो जीने के लिए एनर्जी प्रोवाइड करते हैं जिसकी जरूरत हर जानदार को यहां तक के हरे पौधों को भी होती है।

पौधों के अलावा जान डारो की बात करें पोषक तत्वों के लिए पौधे और अन्य जानदारों से मिलता है।

प्लांट को इकोलॉजी में प्रोड्यूसर कहा जाता है
क्योंकि फूड चेन का पहला लिंक प्लांट ही होते हैं।

खैर
प्लांट्स से तरह तरह के फल सब्जियां फूल आदि निकलते हैं जिस से उपभोग करके हमें एनर्जी मिलती है..

अब सवाल ये है कि हमें पोषक तत्वों वाले पौधों से मिल गया
लेकिन जेबी प्लांट को भी पोषण के पोषक तत्व चाहिए होता है तो इसका प्रबंधन कौन करता है..

तो इसका मैनेजमेंट सनलाइट से होता है..

असल में अगर एनर्जी बोला जाए तो वो ग्लूकोज होता है..

Aur Sunlight kaha se aati hai..

जिस्मे कार्बन के 6 परमाणु और पानी के 6 अणु जुड़ते हैं (C6H2O6)।

पौधों को भी एनर्जी चाहिए यानी ग्लूकोज चाहिए.. तो देखा इसका मैनेजमेंट कैसे होता है..

एक बात याद रखिए पौधे भी सांस लेते हैं यानी सांस लेते हैं..
इंसान ओ2 लेते हैं और सीओ2 निकालते हैं और प्लांट्स सीओ2 लेते हैं और ओ2 निकलते हैं..

मतलब समझा रहे हैं ना... ये जबरदस्त मैनेजमेंट ये शानदार कोऑर्डिनेशन (coordination) अपने आप नहीं हो सकता..

खैर कहा थे हम...?

तो पौधे corbon की जरूरत हमारे यानी जानदारो के थ्रू निकले हुए गैस CO2 से पूरा करते हैं और पानी की जरूरत अपनी जड़ से मिट्टी में मौजुद पानी से करते हैं...

जिससे ग्लूकोज (C6(H2O)6) का फॉर्मेशन होता है..
एक खास बात ! ये सारे process धूप के मौजुदगी में प्लांट में मौजूद क्लोरोफिल नाम के मटेरियल से होता है.. इसे प्रकाश संश्लेषण photosynthesis कहते हैं..

यानी उन्हे सनलाइट की भी जरूरत होती है ।
और हमारे शरीर को भी sunlight यानि धूप की जरूरत होती है जिसके मदद से हमारे शरीर में विटामिन डी पैदा होता है। और न मिलने के सूरत में रिकेट्स नाम की बीमारी होती है।
और धूप कहा से आती है ? सूरज से।
और सूरज का भी cells से कोई खास लेनदेन नहीं।
तो फिर सूरज को किसने बताया कि इसकी जरूरत दुनियावी निज़ाम के लिए बहुत जरूरी है।

इसका जवाब बस एक ही निकल कर सामने आता है कोई तो है जिसने ये source cause and effect निज़ाम कायम किया है।
वोही है जिसने इस दुनिया को पैदा किया है
।सूरज चांद बनाया ताकि उसके मखलूक product उससे फायदे उठा सके ।
और खुदा के वजूद का यकीन रखे।
एक बात पर ध्यान दें और अपने चारो तरफ नजर दौड़ाएं और देखे क्या क्या मौजूद है।
जिसमे आप पाएंगें की हमारे चारो ओर जो चीज भी मौजूद है चाहे वो इंसान का बनाया हुआ हो या खुदा का।
क्या आपको ऐसा लगता है की वो मकसद है यू हीं बना दिया गया है।
Artificials की ही बात करें तो लगभग हर चीज़ जिसे इंसान ने बनाया है हर एक का कोई न कोई काम जरूर होता है।
जैसे Chairs Tables फैन चौकी रेफ्रिजरेटर बाइक कार Home वगैरह। मैंने जितने भी नाम गिनाए हर एक काम की चीजे है और इनकी कुछ न कुछ कीमत है। और ये किसी न किसी मकसद के तहत ही बनाए गए है।

NATURAL चीजों मैं अनगिनत मखलूक हैं और सबसे बेहतर मखलूक इंसान हैं। सोचने वाली बात ये है की जो इंसान बनाता है वो बेजान होते हैं और उनकी कीमते ज़्यादा से ज़्यादा होती हैं। और उनका एक मकसद भी होता है।

तो फिर इंसान ये कैसे सोच सकता है कि ये दुनिया यूहीं और बेमकसद बना दी गई और उसी तरह इंसान को भी यूं हीं पैदा कर दिया गया ।
तो आप समझ सकते हैं कि इंसान किस तरह बेवकूफाना बात सोचता है।

याद रखिए की खुदा ने हमे यूं हीं नहीं पैदा किया बल्कि एक खास वजह है।

आज के लिए बस इतना हीं अगर आपकी दिलचस्पी उस मकसद के बारे में होते कमेंट करें।

मौत अंत या शुरुआत?मौत एक ऐसा सत्य है जिससे इस दुनिया में रहने वाला कोई भी इंसान अपना मुंह नहीं फेर सकता..इसे हर एक के आस...
14/12/2022

मौत अंत या शुरुआत?

मौत एक ऐसा सत्य है जिससे इस दुनिया में रहने वाला कोई भी इंसान अपना मुंह नहीं फेर सकता..
इसे हर एक के आस पास रहने वाले लोग एक करके के लगातार दो चार होते रहते हैं..
कभी किसी का बाप होता है तो कभी किसी की औलाद कभी किसी का भाई तो कभी किसी की बहन..
यानी हर एक ने इस परम सत्य को अनमना तोर पर नहीं माना बल्कि दिल ओ जहन से यकीन रखते हैं कि एक दिन ये सांस की लड़ी आखिर का र टूट ही जाएगी और इस फानी दुनिया में जी रहा इंसान इस दुनिया को छोडकर एक ऐसी जगह पहुँच जाएगा जहां से लौटकर वापस आना मुमकिन नहीं.. यानी मौत होने से सारे लोग इत्तेफाक रखते हैं..
अब सवाल है क्या मौत इंसान का अंत है या फिर शुरुआत..

आप सोच रहे होंगे मैंने ये सवाल क्यों रखा..
तो दोस्तों ये सवाल मैंने यूं ही नहीं रखा...
इसके पोछे बहुत से वजह मौजूद हैं...

1 इंसाफ .....
अगर मौत के बाद दूसरी जिंदगी न होती तो... हर इंसान को पैदा होने के बाद अपनी पूरी जिंदगी बिताकार ही मरना चाहिए था...
मतलब जो भी है ये ही जिंदगी है तो इस हिसाब से बैलेंस नहीं हो रहा है..
कोई ऐशो आराम के साथ अपनी जिंदगी का पूरा आनंद उठाने के बाद मरता है और कोई आज ही पैदा हुआ कुछ लम्हे सांस लेने के बाद मरता है..
क्या इस हिसाब से यहां पे इंसाफ नहीं हो रहा...

2 दूसरी वजह खुदा (ईश्वर) में विश्वास रखने के हिसाब से है..

जो खुदा हमारा अस्तित्व बिल्कुल ना होने पर मिट्टी से पैदा कर सकता है तो इस बात पर भी ताकत रखता है कि इंसान के मर जाने के बाद उसकी हड्डी पसलिया चूर चूर हो जाने के बाद उसके अंगो को कीड़े बिच्छुओ के खा जाने के बाद भी .फिर से जिंदा कर सकता है...
क्योंकि इससे पहले बनाया था तो किसी ने रोका नहीं...
कई धर्म इस बात से सहमत होते हैं कि फिर से इंसान को दोबारा जिंदा किया जाएगा... इस्लाम की तो बुनियादी कांसेप्ट हीं है की इंसान को दोबारा ज़िंदा किया जाना हीं है।

एक बात आप जान लें को जो साइंस जो खुदा में को ना मानने का दावा करता है उसने अबतक खुदा के अस्तित्व का पूरा इंकार नही करपाया है।
इसकी एक बड़ी वजह है कि साइंस का एक थ्योरी ये है की कुछ भी खुद से पैदा नही हो सकता। एक बार ही सही इस दुनिया को पैदा किया गया है और एक बार ही सही दुनिया के निज़ाम को चाल (Rotation) दिया गया है तभी अबतक ये system चालू है ।

3 तीसरी वजह साइंस के हिसाब से...
मानलो साइंस के हिसाब से इंसान का वजूद एक प्रोकैरियोटिक सेल (अधूरे सेल) से है..
जो धीरे-धीरे विकसित होते हैं होमोनिस (प्रजाति) का बना और उसके बाद इंसान तक जा बना...

तो अगर इस कॉन्सेप्ट को भी माने तब भी अगर किसी इंसान की मौत होती है तो या तो उसे क़ब्र में दफ़न किया जाता है..
या किसी नदी में प्रवाह किया मैं प्रवाह किया जाता है या फिर उसे चीता के रूप में जलाया जाता है..

अगर मान लो किसी की बॉडी क़ब्र में डीकम्पोज़ होता है तो बहुत समय तक लगभाग 1 - 2 सदी तक उसकी हड्डीया उसमें मौजूद होती है फिर वो भी नेस्त ओ नाबूत हो जाता है....
नेस्त ओ नाबूत का ये मतलब नहीं कि उसके एक डीएनए का हिस्सा भी ना बच सके...
कहीं ना कहीं डीएनए का एक छोटा सा हिस्सा बचा ही होगा...
और वो डीएनए किसी इंसान को वजूद में लाने के काफी है..
साइंस इसका दावा तो कर चुकी है कि किसी इंसान के डीएनए से इंसान के चेहरे का ढाचा खींच सकता है।

4 चौथी वजह धार्मिक कॉन्सेप्ट..
दुनिया में जितने भी लोग पैदा होते हैं सारे किसी ना किसी धर्म के मानने वाले परिवार में पैदा होते हैं..एक आधा फिसद छोड़ के..

यानी धर्म का हमारे जीवन में बहुत ज्यादा जायदा दखल है..
इसिली धार्मिक कांसेप्ट को भी नजर अंदाज नहीं किया जा सकता...

जिस तरह हमारा संविधान हमें दंड व्यवस्था से सहमा कर जुर्म करने से रोकने की कोशिश करता है उसी तरह या उससे और जटिल रूप से धर्म में भी कायदे मौजूद हैं...

To be continued.....
इसके अगले भाग के लिए कमेंट करें।।।
हम जल्द हीं आपसे फिर से मिलते हैं।

हाँ तो भाई लोग आप तो जानते ही होंगे अर्तुरुल ग़ाज़ी ड्रामे के बारे मे ! अरे वही ड्रामा जिसके चर्चे तुर्की से निकलकर पुरी...
05/11/2021

हाँ तो भाई लोग आप तो जानते ही होंगे अर्तुरुल ग़ाज़ी ड्रामे के बारे मे ! अरे वही ड्रामा जिसके चर्चे तुर्की से निकलकर पुरी दुनिया में गुंज रही है।
और अब भारत मे भी उसकी धूम मची हुई है।
सबके सर पे अर्तुरुल का भूत चढ़ा हुआ।

कोई अर्तुरुल ग़ाज़ी के नाम को अपने सवारियों मे चिपकाकर खुद को इस का फैन साबित कर रहा है तो कोई इसके थीम सोंग को अपने मोबाइल का रिंगटोन बना कर अपने मुहब्बत का इज़हार कर रहा।

लेकिन क्या आपको पता है अर्तुरुल ग़ाज़ी ड्रामे की पैदाइश आज कल की नही है बल्कि लगभग 6 साल पहले ही इसे तुर्की ने तुर्की मे stream करना शुरू कर दिया था।

लेकिन हमे इसके बारे मे तो तब पता चला, जब पाकिस्तान के एक youtube चैनल, ptv ने इस ड्रामे को उर्दू मे डब करके स्ट्रीम करना शुरू किया।

दोस्तो आपको एक बात बता दु। जितनी दिलचस्प इसकी Story है, उतनी ही दिलचस्प इस ड्रामे के characters भी है।

क्या आप जानते है इस तुर्की ड्रामे के पांचो season मे लगभग 5000 किरदारों की कास्टिंग की गई है।

जिनमे से मुख्य किरदारों की संख्या 50 के करीब है।

If u want to observe it as video..

Plz go to thi link- https://youtu.be/1fTCCvJ_uLY

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Tq

Guys आपके हिसाब से दुनिया का सबसे छोटे बंदर का size क्या होगा? 15 inch 12 इंच या 10 इंच ना? लेकिन नही दोस्तो दुनिया के स...
06/10/2021

Guys आपके हिसाब से दुनिया का सबसे छोटे बंदर का size क्या होगा?
15 inch 12 इंच या 10 इंच ना?
लेकिन नही दोस्तो दुनिया के सबसे छोटे बंदर का size 4.5 इंच से 6.25 इंच तक होता है।

इन बंदरो का नाम Pygmi Marmoset होता है और ये South America के Amazon Basin पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं।

Plz like the page if u r curious...





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दोस्तो क्या आप ये जानते हो की जो thermometer 🌡️ होता है उसकी कीमत तो 20 रुपए से शुरू होती है लेकिन ये करोडो के हवाई जहाज...
23/08/2021

दोस्तो क्या आप ये जानते हो की जो thermometer 🌡️ होता है उसकी कीमत तो 20 रुपए से शुरू होती है लेकिन ये करोडो के हवाई जहाज को नेस्त व नाबूत करने की सलाहियत रखता है।
मैं बताता हु कैसे।

दोस्तो thermometer के अंदर mercury यानी पारा होता है।
और हवाई जहाज की पूरी बॉडी में aluminium का इस्तेमाल किया जाता है।
क्योंकि aluminium एक हल्का धातु होता है।

और आप तो ये जानते ही होंगे की पारा और aluminium के बीच मे 36 का आकडा होता है। सोचलो अगर उड़ती हुई aeroplane मे thermameter लेकर कोई सफ़र कर रहा है। इसी अगर गलती से ही thermometer टूट जाता है और thermometer से पारा बाहर निकलकर aeroplane के फर्श तक पहुँच जाता है पारा ने अगर प्लेन मे एक 1 cm भी छेद कर देता है तो ये 1 cm का hole उस उड़ते हुए प्लेन के परखचे उड़ा सकता है।

येही वजह है thermometer को प्लेन के अंदर ले जाना banned किया गया है।

अगर पोस्ट अच्छी लगी हो तो इसे like करें

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आपने अक्सर फ़िल्मों में देखा होगा कि जो डाकू होते हैं उनकी एक आँख काले कपड़े से बंधी होती है। कभी सोचा है क्यों ? दोस्तो...
14/08/2021

आपने अक्सर फ़िल्मों में देखा होगा कि जो डाकू होते हैं उनकी एक आँख काले कपड़े से बंधी होती है।
कभी सोचा है क्यों ?

दोस्तो हो सकता है फिल्मो मे डाकूओ को आकर्षक बनाने के लिए ऐसा मैक अप किया जाता हो।
लेकिन असल जिंदगी में समुद्री लुटेरे ऐसा ही मैक अप करते हैं ।
इसके पीछे की साइंस ये कहती है कि, अगर हम अपने एक आँख को पूरे दिन बिल्कुल न खोले और रात को उस आँख का इस्तेमाल रात को करे तो हमे रात का भी दृश्य साफ सुथरा दिखाई देगा।

इसी साइंस का missuse ये लुटेरे करते हैं और रात को भी आसानी से अपने गुनाहों वाले कामों को सर अंज़ाम् देते हैं ।

😊😊😊😊
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दोस्तो!एक बार पाकिस्तान🇵🇰 की एक महिला 👩‍🦰 पत्रकार ने अटल बिहारी बाजपेई जी से इंटरव्यू  के दौरान कहा था की अगर आप मुँह दि...
02/07/2021

दोस्तो!
एक बार पाकिस्तान🇵🇰 की एक महिला 👩‍🦰 पत्रकार ने अटल बिहारी बाजपेई जी से इंटरव्यू के दौरान कहा था की अगर आप मुँह दिखाई में मुझे कश्मीर दे दें, तो मैं आपसे शादी👰 कर लूंगी।
पता है इस पर हमारे भूतपूर्व Prime Mininster ने क्या कहा ?
उन्होंने कहा ठीक है मैं इसपर 👍तैयार हूँ but मुझे दहेज 🎁 मे पूरा पाकिस्तान🇵🇰 चाहिए। 😀😀😀

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दोस्तो क्या आप जानते हो दुनिया का सबसे (costly tooth) यानी सबसे महंगा दाँत किसका है? भाई हमारी और आपकी तो हो नही सकती.Gu...
14/06/2021

दोस्तो क्या आप जानते हो दुनिया का सबसे (costly tooth) यानी सबसे महंगा दाँत किसका है?

भाई हमारी और आपकी तो हो नही सकती.

Guys !
दुनिया का सबसे महंगा दांत सर isaac newton का है.

उनके एक दाँत को सन् 1800 मे 3633 doller मे बेचा गया था जिसकी आज की कीमत अपने पुराने कीमत से लगभग 10 गुना बढ़के 36000 डॉलर हो गया है.

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21/08/2020

What a Strategy....

25/05/2020

What if earth lost gravity for 10 seconds || what happens if earth have zero gravity for 10 seconds ||

08/05/2020

Kya hota hai uske body me ramzan ke mahine mein roza rakhne par.

What happens to your body when you fast?

कोरोना काल में मदद के लिए बॉलीवुड सितारे किसी भी तरह पीछे नहीं हैं। ऐसे में  बॉलीवुड सेलेब्स बढ़ चढ़कर मदद कर रहे हैं, इ...
05/05/2020

कोरोना काल में मदद के लिए बॉलीवुड सितारे किसी भी तरह पीछे नहीं हैं। ऐसे में बॉलीवुड सेलेब्स बढ़ चढ़कर मदद कर रहे हैं, इस बीच हाल ही में सोशल मीडिया पर ऐसी खबर सामने आई थी कि बॉलीवुड अभिनेता आमिर खान भी आटे के साथ 15 हजार रुपये बांट रहे हैं। लेकिन अब इस खबर की सच्चाई सामने आ गई है।

दरअसल अप्रैल महीने के आखिर में सोशल मीडिया पर कुछ पोस्ट सामने आए थे जिनमें दावा किया जा रहा था कि आमिर खान ने 23 अप्रैल को दिल्ली के एक इलाके में ट्रक भरकर आटे के एक-एक किलो के पैकेट भेजे। वहीं सोशल मीडिया पोस्ट में जो खास बात कही जा रही है कि वो ये कि इन आटे के पैकेट के अंदर 15 हजार रुपये भी छुपे हुए थे।

सोशल मीडिया पर ये पोस्ट खूब वायरल हुए थे। लेकिन अब आमिर खान ने खुद इस बारे में ट्वीट किया है। आमिर खान ने ट्वीट करते हुए लिखा, 'दोस्तों, मैं वो शख्स नहीं हूं जो आटे में पैसे रखकर बांट रहा है। या तो ये फेक स्टोरी है या फिर रॉबिन हुड अपनी सच्चाई बताना नहीं चाहता। सुरक्षित रहें और सभी को प्यार।'

याद दिला दें कि कोरोना के खिलाफ पूरा बॉलीवुड भी आगे आ गया है। इससे पहले आमिर खान ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट किया था जिसमें उन्होंने पुलिस को सलाम किया था और उनके जज्बे और हौसले की तारीफ की थी। इसके साथ ही आमिर ने एक अकाउंट की डिटेल साझा करते हुए सभी को मदद के लिए भी प्रेरित किया था।

गौरतलब है कि आमिर खान की अगली फिल्म लाल सिंह चड्ढा है। फिल्म में आमिर खान के साथ करीना कपूर खान भी मुख्य किरदार में नजर आएंगी। कुछ वक्त पहले सोशल मीडिया पर फिल्म के पोस्टर्स सामने आए थे, जिनमें आमिर खान का लुक रिवील किया गया था। इसके अलावा भी फिल्म के सेट से कुछ तस्वीरें वायरल हो चुकी हैं।

Channel Link : https://www.youtube.com/channel/UCjMJjKDl6BB2xjtWLVQnfEg

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25/04/2020

Bhai Bahno Ye Dekhiye Humare Desh ke Hero ko

Credit _ Wali Ahmed

24/04/2020

Arab Boy said to Rubika Ye nafrat failane wala dhandha band karo

Credit _TheLiveTv

कोरोना वायरस के संक्रमण का पता लगाने के लिए अबतक कई तरह की जांच किट बनाई भी जा चुकी है। , जो थूक से लेकर ब्लड सैंपलों के...
21/04/2020

कोरोना वायरस के संक्रमण का पता लगाने के लिए अबतक कई तरह की जांच किट बनाई भी जा चुकी है।

, जो थूक से लेकर ब्लड सैंपलों के आधार पर बताती है कि व्यक्ति कोरोना ने पकड़ा है या नहीं।

आप को एक और बात बता दूँ।

आने वाले समय में व्यक्ति के सांस लेने की speed से लेकर उसके चलने-फिरने के अंदाज़ के आधार पर भी यह पता लगाया

जा सकेगा कि घर में कोई कोरोना से संक्रमित तो नही है।
अमेरिका के Massachusetts institute of technologyके वैज्ञानिकों ने ऐसी ही एक डिवाइस बनाई है।

इस डिवाइस में लगा सेंसर घर में लोगों के चलने-फिरने और सांस लेने की speed पर नजर रखेगा और ये बताता रहेगा कि किसको कोरोना संक्रमण और किसको नहीं।

यह डिवाइस पूरी तरह से वायरसलेस होगा, जिसे एमरॉल्ड नाम दिया गया है।

जिसे आसानी से घरो के किसी भी दीवार पर लगाया जा सकता है।
और जैसे ही इसे वाईफाई से कनेक्ट करेंगे ये अपना काम करना शुरू कर देता है।

Reasearchers का कहना है, घर में यदि कोई कोरोना से पीड़ित हो जाता है लेकिन उसे और उसके घर वालो को तुरंत तो पता नही chalpata है कि घर का कोई सदस्य कोरोना से पीड़ित है। लेकिन अगर उस घर मे ये device installed होगी यह डिवाइस घर के बाकी सदस्यों को सावधान कर देगी और बता देगी कि घर के falaa सख्स को संक्रमं है। यानी कि यह डिवाइस घर में सामान्य उपयोग के लिए भी है ताकि संक्रमण से बचने के लिए सावधान रहा जा सके।

कैसे काम करती है डिवाइस

यह डिवाइस आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के आधार पर काम करती है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से लैस यह डिवाइस घर के लोगों की शारीरिक गतिविधियों पर नजर रखती है। डिवाइस से निकलने वाले वायरलेस सिग्नल व्यक्ति के मूवमेंट यानी चलने-फिरने का तरीका, उसके नींद की आदत और सबसे जरूरी यानी सांस लेने की गति या दर की जांच करती है। शोधकर्ताओं के मुताबिक, एक कोरोना मरीज के सांस लेने की दर संक्रमण से पहले सात अप्रैल को 23 थी, जबकि संक्रमित होने के बाद 11 अप्रैल को घटकर 18 हो गई।

इसे समझने के लिए नीचे देखें:

इस डिवाइस से जब आपको यह पता चले कि आपके सांस लेने की दर सामान्य नहीं है, इसमें बदलाव हो रहे हैं तो समझ जाना चाहिए कि आपको डॉक्टरी सलाह की जरूरत है। शोधकर्ताओं का कहना है कि डिवाइस यह बताती है आपके सांस लेने का तरीका कितना बदल रहा है। सांस लेने की दर पहले से बढ़ी है या कम तो नहीं हुई है। चूंकि कोरोना संक्रमण होने से व्यक्ति को सांस लेने में तकलीफ होती है, इसलिए सांस की दर में बदलाव पर आपको डॉक्टरी सलाह लेनी चाहिए।

बॉस्टन में चल रहा ट्रायल

शोधकर्ता विलियम मैकग्रॉरी के मुताबिक, यह डिवाइस इस्तेमाल करने में आसान है। आपको बस एक बार इसे सेट कर भूल जाना है। यह घर के लोगों की गतिविधियों का अवलोकन खुद ही करता है। इसे हर व्यक्ति को पहनने या पास रखने की जरूरत नहीं होती और न ही इसे किसी कमांड की जरूरत होती है। चूंकि बुजुर्गों को कोरोना संक्रमण का ज्यादा खतरा है, इसलिए उनकी गतिविधियों पर नजर रखने के लिए यह डिवाइस ज्यादा उपयोगी साबित होगी। फिलहाल इस डिवाइस का ट्रायल बॉस्टन में चल रहा है। सफलता मिलने पर यह बाजार में उपलब्ध होगा। इसकी मदद से मेडिकल डाटा संग्रह भी किया जा सकेगा। By NaseemArstar

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