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23/12/2023
https://youtu.be/9JWY6SZ2WgA
21/12/2023

https://youtu.be/9JWY6SZ2WgA

Dunki movie of Rajkumar Hirani featuring Shahrukh Khan in lead is a remake of Gujarati film? Find out more in the video. ...

06/12/2023

Jaydev Unadkat's honest review of Animal movie!

06/12/2023

😌

26/08/2023
07/08/2023
27/07/2023
27/07/2023
27/07/2023
27/07/2023
27/07/2023
20/07/2023
20/07/2023

#माइकल_जैक्सन 150 #साल जीना चाहता था!
किसी सेे हाथ मिलाने से पहले दस्ताने
पहनता था!
लोगों के बीच में जाने से पहले मुंह पर मास्क
लगाता था !
अपनी देखरेख करने के लिए उसने अपने घर पर 12 #डॉक्टर्स नियुक्त किए हुए थे !
जो उसके सर के बाल से लेकर पांव के नाखून तक की #जांच प्रतिदिन किया करते थे!
उसका #खाना लैबोरेट्री में #चेक होने के बाद उसे खिलाया जाता था!
स्वयं को व्यायाम करवाने के लिए उसने
15 लोगों को रखा हुआ था!

माइकल जैकसन अश्वेत था,
उसने 1987 में प्लास्टिक #सर्जरी करवाकर
अपनी त्वचा को गोरा बनवा लिया था!
अपने काले मां-बाप और काले दोस्तों को भी छोड़ दिया।
गोरा होने के बाद उसने गोरे मां-बाप को
#किराए पर लिया! और अपने दोस्त भी गोरे बनाए शादी भी गोरी औरतों के साथ की!

नवम्बर 15 को माइकल ने अपनी नर्स डेबी रो से विवाह किया, जिसने प्रिंस माइकल जैक्सन जूनियर (1997) तथा पेरिस माइकल केथरीन (3 अपैल 1998) को जन्म दिया। वो डेढ़ सौ साल तक जीने के लक्ष्य को लेकर चल रहा था!

हमेशा #ऑक्सीजन वाले बेड पर सोता था
उसने अपने लिए अंगदान करने वाले #डोनर भी तैयार कर रखे थे!
जिन्हें वह खर्चा देता था, ताकि समय आने पर उसे किडनी, फेफड़े, आंखें या किसी भी शरीर के अन्य अंग की जरूरत पड़ने पर वह आकर दे दें,
उसको लगता था वह पैसे और अपने रसूख की बदौलत मौत को भी #चकमा दे सकता है,
लेकिन वह गलत साबित हुआ।

25 जून 2009 को उसके दिल की #धड़कन
रुकने लगी, उसके घर पर 12 डॉक्टर की मौजूदगी में हालत काबू में नहीं आए, सारे शहर के डाक्टर उसके घर पर जमा हो गए, वह भी उसे नहीं #बचा पाए।

उसने 25 साल तक डॉक्टर की सलाह के
विपरीत, कुछ नहीं खाया!
अंत समय में उसकी हालत बहुत खराब हो गई थी , 50 साल तक आते-आते वह पतन के करीब ही पहुंच गया था और 25 जून 2009 को वह इस दुनिया से #चला गया !

जिसने अपने लिए डेढ़ सौ साल जीने का
इंतजाम कर रखा था! उसका इंतजाम धरा का धरा रह गया!
जब उसकी बॉडी का #पोस्टमार्टम हुआ तो
डॉक्टर ने बताया कि, उसका शरीर हड्डियों का ढांचा बन चुका था!
उसका सिर गंजा था, उसकी पसलियां कंधे हड्डियां टूट चुके थे, उसके शरीर पर अनगिनत सुई के निशान थे,
प्लास्टिक सर्जरी के कारण होने वाले दर्द से
छुटकारा पाने के लिए एंटीबायोटिक वाले
दर्जनों इंजेक्शन उसे दिन में लेने पड़ते थे!

माइकल जैक्सन की अंतिम यात्रा को
2.5 #अरब लोगो ने #लाइव_देखा था।
यह अब तक की सबसे ज़्यादा देखे जाने वाली लाइव ब्रॉडकास्ट हैं।

माइकल जैक्सन की #मृत्यु के दिन यानी
25 जून 2009 को 3:15 PM पर,
Wikipedia,Twitter और AOL’s
instant messenger यह सभी #क्रैश हो गए थे।
उसकी मौत की खबर का पता चलते ही
गूगल पर 8 लाख लोगों ने माइकल जैकसन को सर्च किया! ज्यादा सर्च होने के कारण #गूगल पर सबसे बड़ा ट्रैफिक जाम हुआ था! और गूगल क्रैश हो गया,
ढाई घंटे तक गूगल काम नहीं कर पाया!
मौत को चकमा देने की सोचने वाले हमेशा मौत से चकमा खा ही जाते हैं!

सार यही है,
बनावटी दुनिया के बनावटी लोग कुदरती मौत की बजाय बनावटी मौत ही मरते हैं!

"क्यों करते हो #गुरुर अपने चार दिन के #ठाठ पर ,
मुठ्ठी भी खाली रहेंगी जब पहुँचोगे #घाट पर"...

धनवान होना गलत नहीं है ,
बल्कि.......
"सिर्फ धनवान होना गलत है"

आइए ज़िंदगी को पकड़ें,
इससे पहले कि,
जिंदगी हमको पकड़ ले❗️

खुल कर जियो दोस्तों, मौत तो अटल सत्य है, उस को तो आना ही है ।

20/07/2023

रेखा 68 साल की हो गई हैं तो अमिताभ 80 साल के. दोनों ने अंतिम बार 1981 में फ़िल्म 'सिलसिला' में साथ काम किया था. लेकिन 42 बरस बाद भी अमिताभ-रेखा की जोड़ी उतनी ही मशहूर है जितनी 1976 से 1981 के बीच थी.
अमिताभ-रेखा की जोड़ी की लोकप्रियता को आज की युवा पीढ़ी भी अच्छे से महसूस करती है, जिनका तब जन्म भी नहीं हुआ था, जब इन दोनों की फ़िल्में धूम मचाती थीं. आज 40 साल के युवा ही नहीं, 20 साल के युवा और 14 साल के किशोर भी जानते हैं कि अमिताभ-रेखा के मायने क्या हैं.
इन दोनों को परदे की एक बेहद शानदार जोड़ी के रूप में तो जाना ही जाता है. दोनों ने कई यादगार और सफल फ़िल्में साथ कीं, लेकिन इनकी जोड़ी रियल लाइफ़ की अपनी प्रेम कहानी के लिए भी जानी जाती है.

एक ऐसी प्रेम कहानी जो चाहे पूरी तरह खुलकर सामने नहीं आई, लेकिन अमिताभ-रेखा की यह एक ऐसी प्रेम गाथा है जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकेगा. यह प्रेम कहानी 40-45 साल पहले भी सुर्खियों में थी और आज भी है. तब भी इसकी चर्चा दबे सुरों में होती थी और आज भी. अपने लंबे ख़ामोश सफ़र के बाद आज भी उसकी गूंज बरक़रार है.

ऐसी अमर प्रेम कहानियों में जहाँ पहले राज कपूर और नरगिस की प्रेम कहानी थी. वहाँ उसी कड़ी में फिर अमिताभ-रेखा की कहानी आ गई. आज राज कपूर-नरगिस इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन दोनों की प्रेम कहानी आज भी अमर है. ऐसे ही अमिताभ-रेखा की प्रेम कहानी को भी वक्त की परतें बरसों-बरसों तक धुंधला न पाई।

यूँ तो अमिताभ की रेखा से पहली मुलाक़ात उनकी जया भादुड़ी से शादी से पहले 1972 में ही हो गई थी. दरअसल, तब एक निर्माता जीएम रोशन और निर्देशक कुंदन कुमार ने अमिताभ-रेखा को लेकर एक फ़िल्म शुरू की थी 'अपने-पराये', लेकिन कुछ दिन की शूटिंग के बाद यह फ़िल्म बंद हो गई ,बाद में अमिताभ बच्चन की जगह संजय ख़ान को रेखा के साथ लेकर यह फ़िल्म 'दुनिया का मेला' नाम से बनकर 1974 में प्रदर्शित होकर फ़्लॉप हो गई.

रेखा और अमिताभ का 1973 में एक बार फिर फ़िल्म 'नमक हराम' के कारण साथ बना, लेकिन इस फ़िल्म में रेखा, अमिताभ की नहीं, राजेश खन्ना की नायिका थीं, इसलिए अमिताभ-रेखा के बीच कोई ख़ास बातचीत नहीं हो पाई. इस तरह तब तक अमिताभ-रेखा एक दूसरे के लिए अनजान से रहे।

अमिताभ बच्चन और रेखा की ज़िंदगी में बड़ा मोड़ तब आया जब सन 1976 में निर्माता टीटू और निर्देशक दुलाल गुहा ने इन दोनों को अपनी फिल्म 'दो अनजाने' में लिया. यहाँ दिलचस्प यह था कि फिल्म में इनके चरित्रों के नाम भी मूलतः अमित और रेखा ही थे. इस फिल्म में रेखा नायिका जरूर थीं, लेकिन उनका रोल नेगेटिव टच वाला था.

रेखा इससे पहले अपनी फिल्मों के प्रति ज्यादा गंभीर नहीं रहती थीं. हँसते-खेलते और हंसी-मज़ाक के मूड में ही वह काम करती थीं. हालाँकि फिल्मों में काम करने के लिए, दोनों 1969 में ही मुंबई पहुंचे थे, पर रेखा इससे पहले बाल कलाकार के रूप में भी फिल्में कर चुकी थीं. दूसरा 1970 में आई अपनी पहली हिन्दी फिल्म 'सावन भादो' से रेखा हिट हो चुकी थीं.
'सावन भादो' के बाद और 'दो अनजाने' से पहले रेखा अपनी 'एक बेचारा', 'रामपुर का लक्ष्मण', 'कहानी किस्मत की', 'अनोखी अदा', 'धर्मा', 'धर्मात्मा', 'धर्म कर्म', 'कहते हैं मुझको राजा', 'प्राण जाए पर वचन ना जाए' और 'संतान' जैसी फिल्मों से मशहूर हो चुकी थीं.

'दो अनजाने' में अमिताभ के साथ लिए जाने पर रेखा ने सिमी गरेवाल के टीवी शो 'रॉनदेवू' में बताया था, "जब मुझे पता लगा कि अमित जी ने 'दो अनजाने' साइन की है तो मैं थोड़ा डर गई थी. हालाँकि कुछ मामलों में, मैं उनसे सीनियर थी. लेकिन तब वह अपनी फिल्म 'दीवार' से काफी सफल हो गए थे. तब तक मैं उनके बारे में कुछ खास नहीं जानती थी. क्योंकि हमें कभी बैठकर बात करने का मौका नहीं मिला था. जब 'दो अनजाने' के सेट पर मैंने उनके साथ काम करना शुरू किया तो मैं नर्वस थी. पर मैंने उस दौरान उनसे बहुत कुछ सीखा. सेट पर होने की अपनी धारणा को बदला. सेट मेरे लिए फिर कभी खेल का मैदान नहीं रहा."

रेखा तब अमिताभ से किस तरह प्रभावित होती हैं, इस पर उन्होंने कहा था, "मैं पहले किसी आम इंसान से कभी प्रभावित नहीं होती थी, लेकिन अमिताभ मेरे लिए कुछ ऐसे इनसान थे, जैसा मैंने पहले कभी नहीं देखा. मैं यह सोचकर हमेशा उलझी रहती थी कि कैसे एक इंसान में इतनी सारी ख़ूबियाँ हो सकती हैं.

मुझे ऐसा लगता है जब कोई आपको अच्छा लगता है तो उसकी हर बात अच्छी लगती है. जब मैं उनसे मिली तो मुझे लगा कि मैं ऐसे किसी इनसान से पहले नहीं मिली. हम दोनों की तुला राशि है पर कैसे एक इंसान के पास इतनी सारी अच्छाइयाँ हो सकती हैं."
'दो अनजाने' की शूटिंग में अमिताभ का काम करने का अंदाज़ देख रेखा यकायक कैसे बदल गईं. इस पर रेखा का कहना था, "मैं तब अपने संवाद भूल जाती थी. तब उन्होंने मुझसे कहा- सुनिए कम से कम अपने डायलॉग्स तो याद कर लीजिए. मैं उन्हें देखती थी कि कैसे वो बहुत ध्यान और सम्मान के साथ निर्देशक की बात सुनते हैं. मैंने ये भी उनसे सीखा.
मुझे लगा यही वह इंसान है जिससे मुझे बहुत कुछ सीखना है, प्रेरणा लेनी है, वो एक लम्हा मेरी लाइफ का टर्निंग प्वाइंट रहा. मैं मानती हूँ कि मैं भाग्यशाली रही और बुद्धिमान भी कि मैंने उन्हें अपनी प्रेरणा के लिए चुना. वह एक ऐसे शिखर अभिनेता हैं, जिनके सामने खड़ा होना आसान नहीं."

रेखा की बातों से साफ लगता है कि अमिताभ के अभिनय कौशल, अनुशासन, विनम्र व्यवहार और अपने कार्य के प्रति समर्पण भावना देख ही वह उनसे प्रभावित हो गईं. इतनी प्रभावित कि अमिताभ के प्रति उनकी भावनाएँ प्यार में बदल गईं.

असल में 1976 में जब रेखा,अमिताभ से प्रभावित हुईं तब वह 22 साल की थीं और अमिताभ 34 साल के. इस उम्र में, इन परिस्थितियों में, इन भावनाओं में कोई और भी होता तो ऐसा होना संभव था.
एक बार अपने दौर के नामी हीरो प्रदीप कुमार ने कहा था, "आखिर हम इन्सान ही हैं. फिल्म की शूटिंग के दौरान अगर नायक-नायिका एक-दूसरे को पसंद करते हैं. एक-दूसरे की इज्ज़त करते हैं तो अंतरंग दृश्यों में दोनों भावुक हो ही जाते हैं. बाद में यही सब प्यार में भी बदल सकता है."
इधर, अमिताभ-रेखा की यह प्रेम कहानी भी कुछ ऐसे संकेत देती है कि इसकी शुरुआत चाहे रेखा से हुई, लेकिन अमिताभ भी अपनी युवा अवस्था में उनके मोहपाश से बच नहीं सके.

यह भी एक संयोग है कि मेरी अमिताभ बच्चन से पहली मुलाक़ात 1976 में 'दो अनजाने' के प्रदर्शित होने के बाद, दिल्ली में उनके घर पर हुई थी. मैंने इस फिल्म को पहले नहीं देखा था. लेकिन जब मैं डॉ. हरिवंश राय बच्चन से उनके विलिंग्डन क्रीसेंट स्थित घर में मिलने गया तो उन्होंने मुझसे कहा, "अमित की नई फिल्म 'दो अनजाने' बहुत अच्छी फिल्म है. मौका लगे तो इसे ज़रूर देखना."
आनंद: राजेश खन्ना-अमिताभ बच्चन की कालजयी फ़िल्म का रीमेक, कितनी बड़ी चुनौती
इधर, जिन दिनों उनका फिल्म करियर तेजी से शिखर की ओर बढ़ रहा था, उन्हीं दिनों फिल्म पत्रिकाओं में आए दिन ये खबरें सुर्खियों में रहती थीं कि अमिताभ-रेखा के बीच रोमांस चल रहा है. ये दोनों शूटिंग के बाद रेखा की एक दोस्त के घर में अलग से चुपचाप मिलते हैं.
एक दिन मैंने हिम्मत करके बच्चन जी से पूछ ही लिया कि ये अमित जी के बारे में जो खबरें छपती रहती हैं, उनके बारे में उनकी क्या राय है, इस पर वे बोले, "शुरू में हम भी ऐसी खबरों से विचलित हो जाते थे. लेकिन अब हम ऐसी खबरों पर ध्यान नहीं देते. अब हम समझ गए हैं कि कुछ फिल्म पत्रिकाएँ ऐसी ही बेसिर पैर की मसालेदार खबरों, गॉसिप पर चलती हैं."
हालाँकि अमिताभ-रेखा के रोमांस की ख़बरों का बाज़ार 1980 तक तो काफी गरम रहा. जया बच्चन भी इस सबसे काफी परेशान रहीं, यह भी छपता रहा. इसी दौरान जनवरी 1981 में फिल्म 'सिलसिला' की शूटिंग के दौरान दिल्ली के एक फ़ाइव स्टार होटल में, मेरी अमिताभ बच्चन, जया बच्चन और रेखा तीनों से मुलाक़ात हुई.

उधर, कुछ देर बाद जब इनकी टीम 'सिलसिला' की आउटडोर शूटिंग के लिए किसी फार्म हाउस के लिए निकल रही थी, तब रेखा और जया बच्चन को भी बहुत ही सहज भाव से बात करते सुना.
रेखा ने जया से मुखातिब होते हुए जब उन्हें 'दीदी भाई' कहा तो मैं चौंका कि ये क्या कहा. वहाँ किसी से पूछने पर पता चला कि रेखा शुरू से जया को 'दीदी भाई' कहकर बुलाती रही हैं. बाद में शूटिंग यूनिट में से किसी ने बताया रेखा जी, जया जी को उनकी शादी के पहले से जानती हैं.
अमिताभ-रेखा के प्रेम सम्बन्धों की खबरों के तूफान का सिलसिला फिल्म 'सिलसिला' की रिलीज के बाद धीरे-धीरे थमता गया. कुछ बरस बाद रेखा ने दिल्ली के एक उद्योगपति मुकेश गुप्ता से मार्च 1990 में शादी कर ली. लेकिन शादी के बाद मुकेश ने फाँसी लगाकर आत्महत्या कर ली तो रेखा पर कई तरह के आरोप लगे. उधर रेखा, मुकेश के निधन के बाद जब अपनी माँग में फिर से सिंदूर के साथ प्रकट हुईं तो अमिताभ-रेखा के प्रेम प्रसंगों को फिर हवा मिल गई.

फिल्म 'सिलसिला' की बात करें तो यह फिल्म 14 अगस्त 1981 को प्रदर्शित हुई थी. उम्मीद थी यह फिल्म टिकट खिड़की पर धमाल कर देगी, लेकिन फ़िल्म को दर्शकों ने पसंद नहीं किया जबकि फिल्म का संगीत काफी लोकप्रिय होता गया.

असल में 'सिलसिला' फिल्म में पहले अमिताभ के साथ परवीन बॉबी और स्मिता पाटिल को लिया गया था, लेकिन उन दिनों अमिताभ-रेखा के प्रेम सम्बन्धों के चर्चे हर जुबां पर देखते हुए फ़िल्मकार यश चोपड़ा ने अंतिम क्षणों में अपना निर्णय बदल दिया क्योंकि यह फिल्म भी पति-पत्नी और प्रेयसी की कहानी पर आधारित थी.

बताते हैं कि यश चोपड़ा की यह बात सुन अमिताभ बच्चन चौंक गए. वह बोले-क्या कह रहे हैं आप. आप क्या समझते हैं कि जया इसके लिए तैयार हो जाएँगी? यश जी ने कहा, 'सब कुछ मुमकिन है. रेखा से मैं बात करता हूँ. जया से पहले तुम बात करो. फिर मैं भी करता हूँ.'

फिर सच में वह हो गया जिसकी उम्मीद नहीं थी. यश चोपड़ा का जादू कुछ ऐसा चला कि कश्मीर में परवीन और स्मिता की जगह रेखा और जया 'सिलसिला' की शूटिंग कर रही थीं.
हालांकि फिल्म से जुड़े एक बेहद खास व्यक्ति ने मुझे तब बताया था कि "जया जी 'सिलसिला' में काम करने के लिए इसी शर्त पर तैयार हुईं हैं कि अमित जी इसके बाद रेखा के साथ कभी कोई फिल्म नहीं करेंगे."
उस बात पर तब तो सहसा विश्वास नहीं हुआ था, लेकिन सच में ऐसा हुआ कि 'सिलसिला' दोनों की एक साथ अंतिम फिल्म साबित हुई. 'सिलसिला' के बाद जहां रेखा लगभग 80 फिल्में कर चुकी हैं. वहाँ अमिताभ 'सिलसिला' के बाद करीब 150 फिल्में कर चुके हैं लेकिन इन दोनों की साथ में तब से अब तक कोई और फिल्म नहीं आई, यानी 'सिलसिला' से सिलसिला टूट गया.
अमिताभ और रेखा यूँ तो कुल 14 फिल्मों में साथ रहे. 'नमक हराम' में रेखा के नायक राजेश खन्ना थे.
फिल्म 'ईमान धर्म' में भी अमिताभ, शशि कपूर, रेखा और संजीव कुमार थे. लेकिन रेखा के हीरो यहाँ शशि थे, अमिताभ नहीं. अमिताभ की फिल्म 'कसमें वादे' में तो रेखा सिर्फ मेहमान कलाकार थीं.
हास्य कलाकार जगदीप की 'सूरमा भोपाली' में भी अमिताभ और रेखा दोनों मेहमान कलाकार थे.
यूँ 'सिलसिला' के बाद सन 2015 में आई आर बाल्कि की फिल्म 'शमिताभ' में जहाँ अमिताभ मुख्य भूमिका में थे. वहाँ रेखा एक छोटी-सी भूमिका में थीं. अमिताभ-रेखा का साथ में कोई एक दृश्य भी नहीं था.
लेकिन इन फिल्मों के अलावा अमिताभ-रेखा की दस प्रमुख फिल्में हैं. जिनमें 'दो अनजाने' और 'सिलसिला' के अलावा 'खून पसीना', 'मुकद्दर का सिकंदर', 'मिस्टर नटवारलाल', 'सुहाग' और 'राम बलराम' ऐसी फिल्में हैं जो सफल रहीं, दर्शकों ने पसंद कीं, जिनमें 'मुकद्दर का सिकंदर' तो दोनों के करियर में मील का पत्थर साबित हुई लेकिन इन दोनों की 'आलाप' और 'गंगा की सौगंध' फिल्में सफल नहीं हो सकीं.

👉 सौ :प्रदीप सरदाना
वरिष्ठ पत्रकार एवं फ़िल्म समीक्षक बीबीसी
➡️➡️➡️➡️➡️➡️❤️❤️➡️➡️➡️➡️➡️❤️❤️❤️

20/07/2023

क्या घर भी शुभ~अशुभ होता है?
कोई माने या ना माने लेकिन फिल्म इंडस्ट्रीज के कामयाब कलाकार जिन्होंने स्टार , जुबली कुमार और सुपर स्टार जैसे तमगे हासिल किए उनका तो यही मानना था।👍

बरसों पुरानी बात बात है। 1950 के दशक में
बंबई इतना फैला हुआ नहीं था। कार्टर रोड़ सुनसान और बियाबान और सुनसान इलाका था । लोग वहां तक जाने से डरते थे। बंबई के इसी डरावने कार्टर रोड पर नौशाद साहब के पड़ोस में एक बंगला था जिसे लोग भूत बंगला कहते थे। इस बंगले को भारत भूषण ने खरीद लिया।

बंगला खरीदते ही भारत भूषण की किस्मत चमकी। खुशी में आकर भारत भूषण ने फिल्में बना डाली। शुरू में कामयाबी मिली। भतीजे को लांच करने के चक्कर में फ्लॉप हो गए। बंगला राजेंद्र कुमार को 65000 में बेचना पड़ा। रामायण सीरियल की मंदोदरी याद है? अपराजिता भूषण ही भारत भूषण की बेटी है।

मनोज कुमार से मशवरा करके राजेंद्र ने इसे लेना चाहा।
इसे खरीदने के लिए राजेंद्र कुमार ने बी0आर0 चोपड़ा की "कानून" और दूसरी फिल्में साइन की। साइनिंग में एडवांस लिया और बंगला खरीद लिया। राजेंद्र कुमार ने अपनी बेटी के नाम से बंगले का नाम डिंपल रखा। उन्होंने यहां कामयाबी देखी। कई सुपर हिट फिल्में दी। जुबली कुमार बन गए। दूसरा बंगला बना लिया वहां चले गए।

1970 में राजेंद्र कुमार ने इसे राजेश खन्ना को 3.5लाख में बेच दिया। राजेंद्र कुमार की तरह राजेश खन्ना ने भी हाथी मेरे साथी के निर्माता से रकम एडवांस लेकर इसे खरीदा।इसका नाम राजेंद्र कुमार के आशीर्वाद से आशीर्वाद रखा। हाथी मेरे साथी की पेंटिंग इस बंगले की दीवारों पर आखरी दिन तक रही।👍

राजेश खन्ना के लिए भी ये बंगला बहुत लकी रहा।
इस बंगले में रहकर राजेश खन्ना ने वो दौर जिया जो आज तक किसी फिल्मी कलाकार को नसीब नहीं हुआ।
कई सुपर हिट फिल्में दी। पहले भी इसमें राजेंद्र की बेटी डिंपल रहती थी और बाद में भी डिंपल रही। जो राजेश खन्ना की बीवी थी। राजेश इसमें मरते दम रहे।

उनके मरने के बाद।
राजेश खन्ना के आखरी दिनों की साथी अनिता आडवाणी ने बंगले में हिस्सा क्या मांग लिया। डिंपल की दोनों लाडली चिढ़ गई। उन्होंने आशीर्वाद का नाम बदलकर "वरदान आशीर्वाद" कर दिया।

ग्राहक मिलते ही दोनों बेटियों ने 90 करोड़ में अलकार्गो के चेयरमैन शशि किरण शेट्टी को बेच दिया।

शशि किरण ठहरे कारोबारी।
उन्हें फिल्मों से क्या लेना~देना।
70 साल से ज्यादा पुराने इस बेशकीमती और किस्मती बंगले को शशि किरण शेट्टी ने तुड़वाना शुरू कर दिया......

उन्होंने पहली फुरसत में 6500 फीट जमीन पर बने आशीर्वाद को हमेशा~हमेशा के लिए जमीन में मिला दिया।

अब यहां ना डिंपल है
ना आशीर्वाद
और ना वरदान के नामों~निशान बाकी है......
गुजरे जमाने को मुंह चिढ़ाते हुए
अब यहां खड़ी है शशि किरण की 🏢

02/07/2023
02/07/2023

Amitabh Bachchan with his grandson Agastya Nanda. Agastya will make his screen debut in the Netflix movie The Archie's.

02/07/2023

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