08/05/2022
राजनीतिक फिल्डिंग फेल : पालकमंत्री वडेट्टीवार को बोल्ड करने में सांसद धानोरकर विफल ?
By Limesh Kumar -May 7, 2022
■ कांग्रेस आलाकमान सोनिया गांधी से मिलने के 30 दिनों बाद भी नहीं हुआ असर
■ सांसद धानोरकर, विधायक धानोरकर व धोटे का पालकमंत्री हटाओ अभियान ठप
@चंद्रपुर
आज से ठीक एक माह पूर्व चंद्रपुर कांग्रेस में मचा घमासान सीधे मुंबई के रास्ते से होते हुए दिल्ली पहुंचा था। नई दिल्ली के 24 अकबर रोड के कांग्रेस मुख्यालय में पालकमंत्री हटाओ अभियान का आगाज किया गया। कांग्रेस के आलाकमान सोनिया गांधी से 4 अप्रैल की देर रात सांसद बालू धानोरकर, विधायक प्रतिभा धानोरकर, विधायक सुभाष धोटे समेत अन्य अनेक नेताओं व विधायकों के दल ने भेंट की। महाराष्ट्र के एकमात्र सांसद होने का खिताब पाने वाले बालू धानोरकर के नेतृत्व में चंद्रपुर जिले के पालकमंत्री विजय वडेट्टीवार को हटाने की गुहार लगाई गई। लेकिन हैरत की बात है कि 30 दिन बीतने के बावजूद अकबर रोड के कांग्रेस मुख्यालय की ओर से कोई गतिविधि नहीं हुई। और बीते 30 दिनों में भी इधर, चंद्रपुर जिले में विरोध के स्वर ठंडे पड़ गये। दोनों नेताओं में आपसी सुलह कब व कैसे बनी यह कांग्रेस कार्यकर्ताओं को भी चकित कर रहा है। यदि सुलह ही करना था तो दो गुटों में मनमुटाव कर कार्यकर्ताओं को आपस में लड़वाने के लिये कौन व क्यों उकसा रहा था ? यह सवाल अब चिंतन का विषय बना हुआ है।
खास बात :- यह है कि इस पूरे मसले में राजनीतिक अखाड़े के दांव में अब सांसद बालू धानोरकर कमजोर साबित हो रहे हैं। राजनीति की फिल्डिंग में उन्होंने जो दांव खेला था, उस दांव में वे जिले के पालकमंत्री विजय वडेट्टीवार को क्लीन बोल्ड करने में बीते 30 दिनों में नाकाम साबित हुए हैं। इससे धानोरकर की साख पर भी सवाल उठ रहे हैं। दिल्ली की राजनीति में उनकी पकड़ कमजोर होने की चर्चा जोर पकड़ रही है।
पालकमंत्री हटाओ अभियान का नारा गायब !
उल्लेखनीय है कि बीते अनेक दिनों से जिले के सांसद बालू धानोरकर, विधायक प्रतिभा धानोरकर, विधायक सुभाष धोटे का खेमा जिले के पालकमंत्री विजय वडेट्टीवार के कामकाज से बेहद नाराज था। इस बीच पालकमंत्री हटाओ अभियान की शुरुआत की गई। गत दिनों चंद्रपुर के दौरे पर आये राजस्व मंत्री बालासाहब थोरात के समक्ष हुए भाषणों में इसकी साफ झलक देखी गई। इसके बाद तो मानो विजय वडेट्टीवार को हटाने के लिये जिले के कांग्रेसी नेताओं ने कमर ही कस ली। मंत्री वडेट्टीवार को चहुंतरफा घेरने की इस तैयारियां की गई। दिल्ली पहुंचकर विधायकों के दल ने सांसद बालू धानोरकर के नेतृत्व में शिकायतें कर दी। लेकिन आखिरकार ऐसा क्या हुआ कि दोनों नेताओं में सुलह हो गई ? या तो फिर दिल्ली कांग्रेस की ओर से सांसद बालू धानोरकर की शिकायत को तवज्जों नहीं दिया गया। असली कारण सांसद ने अब तक सार्वजनिक नहीं किया है। उनके द्वारा की गई शिकायत का नतीजा क्या निकला, इसका जवाब मीडिया व जनता को सांसद की ओर से दिया जाना चाहिये।
कांग्रेस के 25 विधायकों की नाराजगी हुई बेअसर
बीते माह मुंबई से खबर निकलकर आयी थी कि कांग्रेस के 25 विधायक नाराज चल रहे । यह 25 विधायक अपने ही कांग्रेस पार्टी के मंत्रियों से खफा हैं। नवभारत अखबार में मुंबई से प्रकाशित खबर के अनुसार इस संदर्भ में विधायकों के दल ने कांग्रेस के हाईकमान सोनिया गांधी को एक शिकायती पत्र लिखकर मिलने का वक्त मांगा था। कांग्रेस के ही मंत्री इन विधायकों को तवज्जो नहीं देने और हर बात पर इग्नोर करने की शिकायत की गई थी। हालांकि इस बात को कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष नाना पटोले ने नकार दिया था। लेकिन गत 4 अप्रैल को विधायकों के दल की सोनिया गांधी से हुई मुलाकात के बाद कांग्रेस पार्टी में क्या-क्या बदलाव होंगे, इस पर नजरें टिकी हुई थी। लेकिन एक माह बीतने के बावजूद कोई बदलाव नहीं हुआ। या तो विधायल दल की शिकायतों में दम नहीं रहा होगा या तो कांग्रेस मुख्यालय ने इस दल को सीरियसली नहीं लिया होगा।
क्यों और कैसे थम गया कांग्रेस का भूचाल ?
लोकमत समाचार के चंद्रपुर जिला प्रतिनिधि अरुण कुमार सहाय ने बीते माह अपनी विशेष रिपोर्ट में साफ तौर पर लिखा था कि महाराष्ट्र के कांग्रेसी विधायकों में चल रहे असंतोष का कारण व केंद्र बिंदु चंद्रपुर है। दावा किया गया कि कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी को पुणे जिले के भोर के विधायक संग्राम थोपटे ने पत्र लिखकर समय मांगा था। इधर, विधायक प्रतिभा धानोरकर और विधायक सुभाष धोटे की पालकमंत्री विजय वडेट्टीवार से बढ़ती दूरियों के बीच पालकमंत्री हटाओ अभियान और परिवर्तन करने की कवायद के दौरान विधायक दल का 4 अप्रैल को सोनिया गांधी से भेंट होना, वडेट्टीवार के लिये चिंता का कारण बन गया था। लेकिन उन्होंने लोकमत समाचार को दिये बयान में कहा था कि सरकार तथा संगठन दोनों में परिवर्तन की जरूरत है, कांग्रेस में किसी के मांगने से कुछ नहीं होता, यह सभी जानते हैं। अब जब विधायकों का दल सोनिया गांधी से मिले हुए एक माह बीत चुका है तो विजय वडेट्टीवार का कथन सच होता नजर आ रहा है। कांग्रेस में किसी के मांगने से, किसी के शिकायत करने से कुछ नहीं होता। वर्तमान हालातों को देखते हुए विजय वडेट्टीवार का वर्तमान में पलड़ा भारी पड़ गया और सांसद बालू धानोरकर का दांव ठंडे बस्ते में चला गया।
वर्चस्व की लड़ाई में अब वडेट्टीवार आगे, धानोरकर पिछड़े !
गत 1 अप्रैल को नवभारत अखबार ने सोनिया से विधायक करेंगे पालकमंत्री की शिकायत शिषर्क तले इस विवाद से जुड़े अनेक पहलुओं को उजागर किया था। कांग्रेस के नेताओं की बीच चल रही वर्चस्व की इस लड़ाई को लेकर कांग्रेस के आम कार्यकर्ताओं में काफी दुविधा देखी गई। किसका साथ दें और किससे दूरी बनाये रखें, यह सबसे अहम मुद्दा कार्यकर्ताओं को सताने लगा था। पालकमंत्री विजय वडेट्टीवार की ओर से कांग्रेस के विधायक प्रतिभा धानोरकर एवं विधायक सुभाष धोटे के निर्वाचन क्षेत्र के लिये पर्याप्त व अपेक्षा के अनुसार निधि नहीं देने तथा भेदभावपूर्ण रवैया अपनाये जाने के कारण काफी नाराज चलने की जानकारी थी। पालकमंत्री हटाओ अभियान को लेकर वर्चस्व की इस लड़ाई में अनेक मोड़ दिखाई पड़ रहे थे। वडेट्टीवार समर्थक संतोष रावत के विराजमान वाली जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक की सीबीआई जांच की मांग इस दौरान पूरजोर ढ़ंग से उठाई गई थी। यह इस बात के स्पष्ट संकेत मिले थे कि कांग्रेस के भितर की अंदरुनी खिंचतान चरम पर हैं। लेकिन बैंक की जांच का आगे क्या हुआ, इस पर अब सांसद धानोरकर का कोई बयान नहीं आया। वहीं पालकमंत्री हटाओ अभियान की आग अचानक कब व कैसे गुम हो गई, इस पर कोई कांग्रेसी कुछ नहीं बोलना चाहता। वर्तमान स्थिति को देखते हुए लगता है कि पालकमंत्री वडेट्टीवार वर्चस्व की इस लड़ाई में आगे हो गये और सांसद बालू धानोकर पिछड़ गये हैं।
पूर्व सांसद पुगलिया से नजदीकियां चर्चा में
एक समय था जब पूर्व सांसद नरेश पुगलिया ने विधायक विजय वडेट्टीवार को कांग्रेस में शामिल करा लिया था। उसके बाद वडेट्टीवार ने पुगलिया का वर्चस्व धीरे-धीरे समाप्त कर दिया था। अब बारी बालू धानोरकर की मानी जाती है। विजय वडेट्टीवार ने ही बालू धानोरकर को कांग्रेस में प्रवेश करवाया। लेकिन बालू धानोरकर भी वही खेल खेल रहे हैं, जो बरसों पहले विजय वडेट्टीवार ने नरेश पुगलिया के साथ खेला था। यह राजनीति है और यहां कोई स्थायी दोस्त अथवा दुश्मन नहीं होता। बुमरैंग की तरह समय लौटकर आने लगता है। पुगलिया की कांग्रेस को जैसे वडेट्टीवार ने हाईजैक कर लिया था, ठीक उसी तर्ज पर धानोरकर अब वडेट्टीवार की कांग्रेस को हाईजैक करने के मार्ग पर हैं। यह देखना अब दिलचस्प होगा कि राजनीति में किसका पलड़ा कब-कब भारी पड़ता है। इस वर्चस्व की लड़ाई में कौन जीतेगा और कौन हारेगा, यह कहना काफी मुश्किल है। लेकिन गत दिनों सोशल मीडिया पर पूर्व सांसद नरेश पुगलिया और वर्तमान सांसद बालू धानोरकर की मुलाकात की तस्वीरें वायरल हुई थी। इसके बाद कांग्रेस कार्यकर्ताओं में अनेक कयास लगाये जाने लगे।