04/06/2022
04 जून का दिन तीसरे घल्लूघारे के नाम से याद किया जाता है, और उन शहीदों को नमन किया जाता है, जिन्होने ने आज के दिन शहीदी प्रापत की ।
- इस दिन देश की ही सरकार ने श्री दरबार साहिब अंम्रितसर और इसके साथ गुरुद्वारा तरन तारन साहिब, गुरूद्वारा दुख निवारण साहिब, गुरुद्वारा फ़तेहगड़ साहिब, गुरुद्वारा बाबा बुढ्ढा जी ऐसे अनय ४० से भी ज्यादा गुरूद्वारा साहिब पर भारतीय सैना को बुलाकर गोलाबारी करवाई गई, जिसमें अनेकों सिख शहीद हो गए, जिसमें बच्चे भी थे, माताएं भी थी, बुजुर्ग भी थे और सेवादार आदि बहुत सारे लोग थे, उन सभी की शहीदी को आज के दिन याद किया जाता है, और यह खुनी खेल एक दिन नहीं बल्कि पूरा सप्ताह चलता रहा था ।
- और जो करवाई सरकार ने सिखों के धार्मिक स्थानों और सिखों पर की थी, बड़े शर्म से कहना पडता है कि उसकी आज तक माफी नहीं मांगी गई, न जून 1984 का इंसाफ मिला और न दिसंबर 1984 का इंसाफ दिया गया, जिसमें हज़ारों सिखों को सरकार ने ही शहीद कर दिया, क्यों शहीद किया, केवल इसलिए कि वह सच की बात करते हैं, वह हक़ की बात करते हैं ।
- संगत जी इस दिन न केवल सिख शहीद हुए बल्कि पूरे दरबार साहब को भी तबाह किया गया, पूरे का पूरा अकाल तख्त गिरा दिया गया, टैंकों द्वारा इमारतों के ऊपर गोले दागे गए, और तो और श्री गुरू ग्रंथ साहिब जो भी इसका निशाना बनाया गया, उन्हे गोली मारी गई, इसके साथ है सैना ने सिखों का अनमोल खजाना, पुरातन सिख इतिहास, किताबें सब कुछ अपने साथ ले गए और दरबार साहब अंम्रितसर के सरोवर को लहू से लाल कर दिया, जहाँ पर रोज़ मानवता के भले के लिए अरदास की जाती थी, वहाँ पर मानवता का कत्लेआम किया गया और शरेआम किया गया ।
- इस दिन को कोई भी सिख भुला नहीं सकता, और न ही भुलाया जा सकता, और संगत जी केवल 1984 में ही नहीं बल्कि इसके बाद भी श्री दरबार साहिब अंम्रितसर पर हमले हुए, जैसे 1986 में भी हमला किया गया, उसके बाद 1988 में भी हमला किया गया, और हर बार भारी से भारी नुकसान सिखों के मनों को पहुंचाया गया ।
मैं एक बार फिर इस दिन शहीद हुए सभी सिखों को कोटि कोटि नमन करता हूं । ....आल इंडिया पंजाबी सेवा दल,
#1984
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