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04/11/2022
*भाई मनी सिंह जी की शहीदी,*भाई मनी सिंह जी का जन्म गांव कैथोंवाल के रहने वाले चौधरी काले के घर हुआ। भाई साहिब जी का नाम ...
09/07/2022

*भाई मनी सिंह जी की शहीदी,*

भाई मनी सिंह जी का जन्म गांव कैथोंवाल के रहने वाले चौधरी काले के घर हुआ। भाई साहिब जी का नाम माता-पिता ने "मनीआ" रखा था। जब वह सवा पाँच साल के हुए तो उनके पिता चौधरी काले ने उनको गुरु तेग बहादुर जी को अर्पण कर दिया। वे छोटी उम्र से ही श्री दशमेश पिता जी की सेवा में रहे। जब उन्होंने श्री कलंगीधर से अमृतपान किया तो उनका नाम मनी सिंह रखा गया।

जब सन् 1704 ई. में श्री गुरु गोबिंद सिंह जी ने आनंदपुर छोड़ा तो गुरुजी की आज्ञा के अनुसार भाई मनी सिंह जी माता सुंदरी जी और माता साहिब कौर जी के साथ दिल्ली जाकर रहने लगे तथा सन् 1705 ई. में श्री दशमेश जी की सेवा में दमदमा साहिब पहुंचे। दक्षिण की धरती नांदेड़ जाने के समय भाई मनी सिंह जी भी गुरु जी के साथ चले गये। सचखण्ड गमन करने से पहले दशमेश पिताजी ने माता साहिब कौर जी को भाई मनी सिंह जी के साथ माता सुंदर कौर जी के पास रहने के लिए भेजा।

यहीं से माता सुंदर कौर जी ने श्री दरबार साहिब जी का प्रबंध ठीक करने के लिए भाई मनी सिंह जी को सन् 1721 ई. के शुरू में श्री दरबार साहिब जी का ग्रंथी बना कर भेजा। भाई मनी सिंह जी ने शहर के प्रमुख सिक्खों से सलाह ले श्री दरबार साहिब का प्रबंध सुधारा। श्री अमृतसर साहिब में दिपावली का मेला मुगल सरकार ने काफी सालों से बंद करवा रखा था।

सन् 1716 ई. से लेकर 1766 ई. तक खालसे के लिए इम्तिहान का वक्त था। खालसा के सिरों की कीमत रखी गई थी। दुश्मन की ताकत को तबाह करने और अच्छे दिनों की तैयारी में खालसा टूट-बिखर गया था। खालसा जंगलों, पहाड़ों और रेगिस्तान में पनाह लेकर बैठा था। खालसा की ताकत को एकजुट करने के लिए भाई साहिब ने एक योजना बनाई।

सन् 1738 में भाई साहिब ने सूबा लाहौर से दिपावली मेला लगाने की आज्ञा मांगी। आज्ञा इस शर्त पर दी गई कि मेले के बाद भाई साबिह पाँच हजार रुपए सरकार को देंगे। मेला दस दिन लगना था। इसके लिए भाई साहिब जी ने खालसा को संदेश भेजे, पर उधर सूबे का दीवान लखपत राय की मदद के लिए बहुत भारी फौज भेज दी गई, जिसने राम तीरथ पर आकर डेरा जमा लिया। इनकी योजना थी कि मेले में जब खालसा एकत्र होगा तो हमला करके खालसा तबाह कर दिया जाए। भाई साहिब जी को भी इस योजना का पता लग गया। भाई साहिब ने दुबारा संदेश भेजे की खालसा एकत्र ना हो। भाई साहिब के हुक्म अनुसार खालसा एकत्र नहीं हुआ।

दीपावली के बाद जब लाहौर दरबार ने पैसे मांगे तो भाई साहिब ने स्पष्ट रूप से कह दिया कि खालसा आपकी चालों में नहीं आएगा। एक तरफ आपके फौजी दस्ते खालसा को खत्म करने के लिए गश्त करें और दूसरी तरफ हम आपको पैसे दें। आपका यह वादा था कि खालसा को कुछ नहीं कहा जाएगा। इसलिए किस बात के पैसे ? उन्होंने इसको एक अपराध का दर्जा देते हुए भाई मनी सिंह और दूसरे सिंघों को गिरफ्तार कर लाहौर ले गए।

वहां उनसे कहा गया कि मुसलमान हो जाओ, नहीं तो आपको बंद-बंद (हड्डी के प्रत्येक जोड़ से) काट दिया जाएगा, मगर भाई साहिब ने मुसलमान बनने से साफ इंकार कर दिया। अब वह समय आ गया, जल्लाद ने भाई साहिब को कहा आँखों पर पट्टी बांधना चाहते हो ? भाई साहिब ने कहा, इसकी आवश्यकता नहीं है तुम अपना काम करो। जब जल्लाद कलाई पकड़ कर काटने लगा तो भाई साहिब ने उसे रोक दिया और कहा जल्लाद या तो तुझे समझ नहीं आई या फिर तुम अपना काम भूल गए हो, तुझे बंद-बंद (हड्डी का प्रत्येक जोड़) काटने के लिए कहा गया है। इसलिए पहला जोड़ कलाई से नहीं अंगुलिओं के पोर पर बनता है। इस बंद से पहले कितने बंद बनते हैं, इसलिए अंगुलिओं से शुरू कर।

*‘पहिलां मरणु कबूलि जीवण की छडि आस।।’*

भाई साहिब जी को बंद-बंद काट के शहीद किया जा रहा है पर भाई मनी सिंह जी गुरुकृपा, सिमरन और बाणी के नितनेम का सदका अडोल बैठ कर शहीदी जाम पी गए। ताज्जुब की बात यह है कि भाई मनी सिंह जी गुरु साहिब की शिक्षाओं पर चलते हुए शहीदी प्राप्त कर गए लेकिन उनका परिवार भी पीछे नहीं रहा।

इतिहास पढऩे से पता चलता है कि इस परिवार को गुरुघर से कितना प्यार और लगाव था, भाई साहिब जी के 12 भाई हुए जिनमें 12 के 12 की शहीदी हुई, 9 पुत्र हुए 9 के 9 पुत्र शहीद। इन्हीं पुत्रों में से एक पुत्र थे भाई बचित्र सिंह जिन्होंने नागणी बरछे से हाथी का मुकाबला किया था। दूसरा पुत्र उदय सिंह जो केसरी चंद का सिर काट कर लाया था। 14 पौत्र भी शहीद, भाई मनी सिंह जी के 13 भतीजे शहीद और 9 चाचा शहीद जिन्होंने छठे पातशाह की पुत्री बीबी वीरो जी की शादी के समय जब फौजों ने हमला कर दिया तो लोहगढ़ के स्थान पर जिस सिक्ख ने शाही काजी का मुकाबला करके मौत के घाट उतारा वो कौन था, वे मनी सिंह जी के दादा जी थे। दादा के 5 भाई भी थे जिन्होंने ने भी शहीदी दी। ससुर लक्खी शाह वणजारा जिसने गुरु तेग बहादुर जी के धड़ का अंतिम संस्कार अपने घर को आग लगा कर किया वे भी शहीद हुए।

ऐसे गुरु जी के प्यारे जो स्वयं और अपने परिवार को गुरु पर कुर्बान कर देते हैं उनके जीवन से मार्गदर्शन लेकर हमें भी स्वयं को गुरु जी के आगे न्यौछावर करना चाहिए।

*शिक्षा: हम कहां और प्यार वाले कहां, गुरु से ऐसा प्यार हमें भी प्राप्त हो।*

ਨਿਰਪੱਖ ਖਾਲਸਾ ਰਾਜ ਦੇ ਪ੍ਰਤੀਕ, ਇਨਸਾਫ਼ ਪਸੰਦ ਦਲੇਰ ਖੁਦ ਮੁਖਤਿਆਰ ਬਾਦਸ਼ਾਹ ਸ਼ੇਰ ਏ ਪੰਜਾਬ "ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਜੀ" ਦੀ ਬਰਸੀ ਮੌਕੇ ਉਨ੍ਹਾ...
29/06/2022

ਨਿਰਪੱਖ ਖਾਲਸਾ ਰਾਜ ਦੇ ਪ੍ਰਤੀਕ, ਇਨਸਾਫ਼ ਪਸੰਦ ਦਲੇਰ ਖੁਦ ਮੁਖਤਿਆਰ ਬਾਦਸ਼ਾਹ ਸ਼ੇਰ ਏ ਪੰਜਾਬ "ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਜੀ" ਦੀ ਬਰਸੀ ਮੌਕੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਕੋਟਿ-ਕੋਟਿ ਪ੍ਰਣਾਮ।

बाबा बंदा सिंघ बहादुर, श्री गुरु गोबिंद सिंह जी की फ़ौज के एक ऐसे सूरमे थे जिनकी हिम्मत व साहस ने क्रूर मुगलों के अजय हो...
25/06/2022

बाबा बंदा सिंघ बहादुर, श्री गुरु गोबिंद सिंह जी की फ़ौज के एक ऐसे सूरमे थे जिनकी हिम्मत व साहस ने क्रूर मुगलों के अजय होने के अहंकार को तहस नहस कर दिया। यह सूरमा धन गुरु गोबिंद सिंघ जी की बाणी से इतना प्रभावित हुआ कि इसने अपनी सारी ज़िन्दगी गुरु साहिब जी के नाम ही कर दी।

बाबा बंदा सिंघ जी का जन्म जम्मू के राजौरी में 27 अक्टूबर साल 1670 में हुआ। इस सूरमे का प्रारंभिक नाम "लक्ष्मण देव" था। लक्ष्मण देव के मुकद्दर से विद्या बहुत दूर थी, इसलिए पहाड़ों में रहते हुए इन्होंने शिकार खेलने की कला में निपुणता हासिल की।

कहा जाता है कि एक बार इनके हाथों से एक गर्भवती हिरणी की हत्या हो गई जिसके बाद इन्हे बहुत पछतावा हुआ तथा इन्होंने अपना घर-बार छोड़कर एक बैरागी साधु संग जीवन जीना शुरू कर दिया। इस दौरान इनका नाम पड़ा "माधोदास बेरागी"। अपने इस रूप में इन्होंने नासिक में योग आदि की शिक्षा प्राप्त की।

वहीं रहते हूए माधोदास बैरागी का मिलन गुरू गोबिंद सिंघ जी से हुआ, और उसके बाद बस गुरू के ही हो कर रह गए, माधोदास का जीवन उस दिन के बाद बदल गया, नाम जो माधोदास था, वो बंदा सिंघ हो गया, बैरागी कपडे उतार कर खालसा फ़ौज की वरदी पहनी और ज़ुलम के के खिलाफ अवाज़ बुलंद की

उसके बाद गुरू साहिब ने बाबा बंदा सिंघ जी को पाँच तीर, एक निशान साहिब, एक नगाड़ा और एक हुक्मनामा देकर ज़ुलमी राजाओ का सीधे रसते पर लाने के लिए पंजाब मे भेजा,

बाबा बंदा सिंघ बहादूर जी कुछ सिख सैनिकों को साथ लेकर पंजाब की ओर चल दिये। उन्होंने सबसे पहले श्री गुरु तेगबहादुर जी का शीश काटने वाले जल्लाद जलालुद्दीन का सिर काटा। फिर सरहिन्द के नवाब वजीरखान का वध किया। जिन हिन्दू राजाओं ने मुगलों का साथ दिया था, बाबा बंदा सिंघ बहादूर जी ने उन्हें भी नहीं छोड़ा। इससे चारों ओर उनके नाम की धूम मच गयी।

उनके पराक्रम से भयभीत मुगलों ने दस लाख फौज लेकर उन पर हमला किया और विश्वासघात से 17 दिसम्बर, 1715 को उन्हें पकड़ लिया। उन्हें लोहे के एक पिंजड़े में बन्दकर, हाथी पर लादकर सड़क मार्ग से दिल्ली लाया गया। उनके साथ हजारों सिख भी कैद किये गये थे। इनमें बाबा बंदा सिंघ बहादूर जी के वे 740 साथी भी थे, जो प्रारम्भ से ही उनके साथ थे।

काजियों ने बाबा बंदा सिंघ बहादूर जी और उनके साथियों को मुसलमान बनने को कहा; पर सबने यह प्रस्ताव ठुकरा दिया। दिल्ली में आज जहाँ हार्डिंग लाइब्रेरी है,वहाँ 7 मार्च, 1716 से प्रतिदिन सौ वीरों को शहीद किये जाने के बारे में लिखा है।

एक दरबारी मुहम्मद अमीन ने पूछा - तुमने ऐसे बुरे काम क्यों किये, जिससे तुम्हारी यह दुर्दशा हो रही है ?

बाबा बंदा सिंघ बहादूर जी ने सीना फुलाकर सगर्व उत्तर दिया - मैं तो प्रजा के पीड़ितों को दण्ड देने के लिए परमपिता परमेश्वर के हाथ का शस्त्र था। क्या तुमने सुना नहीं कि जब संसार में दुष्टों की संख्या बढ़ जाती है, तो वह मेरे जैसे किसी सेवक को धरती पर भेजता है।

बाबा बंदा सिंघ बहादूर जी से पूछा गया कि वे कैसी मौत मरना चाहते हैं ? बाबा बंदा सिंघ बहादूर जी ने उत्तर दिया, मैं अब मौत से नहीं डरता; वह तो सभ पर आनी है, मगर मैं गुरू साहिब की मेहर से सुख दुख मौत भय से उपर उठ चुका हूं। यह सुनकर सब ओर सन्नाटा छा गया। भयभीत करने के लिए उनके चार वर्षीय पुत्र अजै सिंघ को उनकी गोद में लेटाकर बाबा बंदा सिंघ बहादूर जी के हाथ में छुरा देकर उसको मारने को कहा गया।

बाबा बंदा सिंघ बहादूर जी ने इससे इन्कार कर दिया। इस पर जल्लाद ने उस बच्चे के दो टुकड़ेकर उसके दिल का माँस बन्दा के मुँह में ठूँस दिया; पर वे तो इन सबसे ऊपर उठ चुके थे। गरम चिमटों से माँस नोचे जाने के कारण उनके शरीर में केवल हड्डियाँ शेष थी। फिर भी आठ जून, 1716 को उस वीर को हाथी से कुचलवा दिया गया। इस प्रकार बाबा बंदा सिंघ बहादूर जी और उनके पुत्र की शहीदी हूई ।

मैं बाबा बंदा सिंघ बहादूर जी उनके पुत्र और उन तमाम सिख वीरों की शहीदों को शत शत प्रणाम करता हूं ।....आल इंडिया पंजाबी सेवा दल ,रजि,

PANJ PIYALE PANJ PEER CHATAM PEER BETHA GUR BHARI ARJAN KAYA PALAT KE MURAT HARGOBIND SAVARIMIRI PIRI DE MALAK DHAN DHAN...
15/06/2022

PANJ PIYALE PANJ PEER CHATAM PEER BETHA GUR BHARI ARJAN KAYA PALAT KE MURAT HARGOBIND SAVARI
MIRI PIRI DE MALAK DHAN DHAN GURU HARGOBIND SAHIB JI DE PARKASH PURB DIYA LAKH LAKH VADHIYANA HON JI......

BABA BANDA SiNGH BAHADUR Ji.दिल्ली मे शहीद हुए थे बाबा बंदा सिंह बहादुर जी, उन्हें 9 जून 1716 को  मुगलो ने दिल्ली में ला...
09/06/2022

BABA BANDA SiNGH BAHADUR Ji.
दिल्ली मे शहीद हुए थे बाबा बंदा सिंह बहादुर जी, उन्हें 9 जून 1716 को मुगलो ने दिल्ली में लाकर कतल कर दिया था ,,महरौली मे कुतुबु मीनार के पास गुरुद्वारा शहीदी स्थान बाबा बंदा सिंह बहादुर उसी जगह पर है जहां उनकी शहादत हुई थी,,, आल इंडिया पंजाबी सेवा,दल ,, शहीदा नू कोटि-कोटि प्रणाम

01 जून से 06 जून तक भारत की सरकार ने सिख धर्म के सर्वोच्च तख़्त और श्री दरबार साहिब अंम्रितसर साहिब पर फ़ौजी हमला करके उसे...
06/06/2022

01 जून से 06 जून तक भारत की सरकार ने सिख धर्म के सर्वोच्च तख़्त और श्री दरबार साहिब अंम्रितसर साहिब पर फ़ौजी हमला करके उसे भारी नुक्सान पुहंचाया, हज़ारों ही निर्दोष दर्शन करने आई संगत को भी नहीं छोड़ा गया, देखने वाले बताते हैं कि दरबार साहिब के सरवोर में लहू ही लहू नज़र आता था और नज़र आती थी सरोवर पर तैरती हूई लाशें । एक तरफ जहाँ हज़ारों की फ़ौज ने, तोपों, टेंकों और जंगी सामान के साथ हमला किया, वही दूसरी तरफ गुरु गोबिंद सिंघ जी की फोजों ने सवा लाख से एक लड़ाऊँ वाली बात को सच करते हुए, एक एक सिख सिपाही ने कई कई दुश्मनो को मार गिराया, वह अपनी आखरी सांस तक लड़ते रहे, और अंत में शहीद हो गए, उनकी क़ुरबानी को आज भी पूरी सिख कौम याद करती है, उनकी शूरवीरता और गुरु के प्रति प्रेम को हम बाराम बार प्रणाम करते हैं ।

यह दिन भारत के इतिहास का काला दिन है, जिसने उस सिख कौम पर हमला किया, जिस सिख कौम ने हमेशा अपनी जान की परवाह न करते हुए देश के लिए सबसे जयादा कुर्बानियां दी, उसी सिख कौम के धार्मिक स्थान को तोपों और बंबों के साथ उड़ाया गया, इस दिन को पूरी सिख कौम कभी भी न भूल पायेगी, क्युकि आज तक सरकार ने न अपनी गलती मानी, न ही इस हमले की कभी माफ़ी मांगी, न ही श्री दरबार साहिब से चोरी किया दस्तावेज़ वापस किये गए और न ही किसी गुनहगार को कोई सजा दी गई, हमें तो अपने ही देश में पराया कर दिया गया ।

मैं आज, जून के पहले हफ्ते में शहीद हुए हमारे शूरवीरों को, सिख योद्धाओं को कोटि कोटि प्रणाम करता हु, जिन्होंने श्री दरबार साहिब पर चढ़ कर आए दुश्मनों के साथ लड़ते हुए शहीदी प्रापत की, उनकी शहीदी को हम हमेश याद रखेंगे ।

04 जून का दिन तीसरे घल्लूघारे के नाम से याद किया जाता है, और उन शहीदों को नमन किया जाता है, जिन्होने ने आज के दिन शहीदी ...
04/06/2022

04 जून का दिन तीसरे घल्लूघारे के नाम से याद किया जाता है, और उन शहीदों को नमन किया जाता है, जिन्होने ने आज के दिन शहीदी प्रापत की ।

- इस दिन देश की ही सरकार ने श्री दरबार साहिब अंम्रितसर और इसके साथ गुरुद्वारा तरन तारन साहिब, गुरूद्वारा दुख निवारण साहिब, गुरुद्वारा फ़तेहगड़ साहिब, गुरुद्वारा बाबा बुढ्ढा जी ऐसे अनय ४० से भी ज्यादा गुरूद्वारा साहिब पर भारतीय सैना को बुलाकर गोलाबारी करवाई गई, जिसमें अनेकों सिख शहीद हो गए, जिसमें बच्चे भी थे, माताएं भी थी, बुजुर्ग भी थे और सेवादार आदि बहुत सारे लोग थे, उन सभी की शहीदी को आज के दिन याद किया जाता है, और यह खुनी खेल एक दिन नहीं बल्कि पूरा सप्ताह चलता रहा था ।

- और जो करवाई सरकार ने सिखों के धार्मिक स्थानों और सिखों पर की थी, बड़े शर्म से कहना पडता है कि उसकी आज तक माफी नहीं मांगी गई, न जून 1984 का इंसाफ मिला और न दिसंबर 1984 का इंसाफ दिया गया, जिसमें हज़ारों सिखों को सरकार ने ही शहीद कर दिया, क्यों शहीद किया, केवल इसलिए कि वह सच की बात करते हैं, वह हक़ की बात करते हैं ।

- संगत जी इस दिन न केवल सिख शहीद हुए बल्कि पूरे दरबार साहब को भी तबाह किया गया, पूरे का पूरा अकाल तख्त गिरा दिया गया, टैंकों द्वारा इमारतों के ऊपर गोले दागे गए, और तो और श्री गुरू ग्रंथ साहिब जो भी इसका निशाना बनाया गया, उन्हे गोली मारी गई, इसके साथ है सैना ने सिखों का अनमोल खजाना, पुरातन सिख इतिहास, किताबें सब कुछ अपने साथ ले गए और दरबार साहब अंम्रितसर के सरोवर को लहू से लाल कर दिया, जहाँ पर रोज़ मानवता के भले के लिए अरदास की जाती थी, वहाँ पर मानवता का कत्लेआम किया गया और शरेआम किया गया ।

- इस दिन को कोई भी सिख भुला नहीं सकता, और न ही भुलाया जा सकता, और संगत जी केवल 1984 में ही नहीं बल्कि इसके बाद भी श्री दरबार साहिब अंम्रितसर पर हमले हुए, जैसे 1986 में भी हमला किया गया, उसके बाद 1988 में भी हमला किया गया, और हर बार भारी से भारी नुकसान सिखों के मनों को पहुंचाया गया ।

मैं एक बार फिर इस दिन शहीद हुए सभी सिखों को कोटि कोटि नमन करता हूं । ....आल इंडिया पंजाबी सेवा दल,

#1984

((if You Want To Know More About 1984 Then Please Watch This Video In Hindi https://www.facebook.com/watch/?v=302009104528132 ))

3 जून- Shaheedi Divas Sri Guru Arjan Sahib Ji Maharaj आज शहीदों के सिरताज साहिब श्री गुरु अर्जुन साहिब जी का शहीदी दिवस ...
03/06/2022

3 जून- Shaheedi Divas Sri Guru Arjan Sahib Ji Maharaj आज शहीदों के सिरताज साहिब श्री गुरु अर्जुन साहिब जी का शहीदी दिवस है, आओ मिलकर गुरू साहिब की लिखी वाणी को पढ़े और उनकी शहीदी को याद करें ।ਤਨੁ ਮਨੁ ਕਾਟਿ ਕਾਟਿ ਸਭਿ ਅਰਪੀ ਵਿਚਿ ਅਗਨੀ ਆਪੁ ਜਲਾਈ || ੪ ||

ਅੱਜ ਪੰਜਵੇਂ ਪਾਤਸ਼ਾਹ ਸ਼੍ਰੀ ਗੁਰੂ ਅਰਜੁਨ ਦੇਵ ਜੀ ਦਾ ਸ਼ਹੀਦੀ ਪੁਰਬ ਹੈ ਉਹਨਾਂ ਦੀ ਇਸ ਲਾਸਾਨੀ ਸ਼ਹਾਦਤ ਨੂੰ ਕੋਟ ਕੋਟ ਨਮਸ਼ਕਾਰ ਜੀ

*ਦੇਗੋ ਤੇਗੋ ਫ਼ਤਿਹ ੳ ਨੁਸਰਤਿ ਬੇਦਿਰੰਗ ॥**ਯਾਫਤ ਅਜ ਨਾਨਕ ਗੁਰੂ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ॥**ਸਰਹਿੰਦ ਫ਼ਤਿਹ ਦਿਵਸ (੧੭੧੦ ਈ: )**ਆਪ ਸਭ ਨੂ ਸਰਹਿੰਦ ਫ਼ਤੇਹ ...
12/05/2022

*ਦੇਗੋ ਤੇਗੋ ਫ਼ਤਿਹ ੳ ਨੁਸਰਤਿ ਬੇਦਿਰੰਗ ॥*
*ਯਾਫਤ ਅਜ ਨਾਨਕ ਗੁਰੂ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ॥*

*ਸਰਹਿੰਦ ਫ਼ਤਿਹ ਦਿਵਸ (੧੭੧੦ ਈ: )*

*ਆਪ ਸਭ ਨੂ ਸਰਹਿੰਦ ਫ਼ਤੇਹ ਦਿਵਸ ਦੀਆ ਲਖ ਲਖ ਵਧਾਈਆਂ ਹੋਣ ਜੀ..*

*ਅੱਜ ਦੇ ਦਿਨ ਬਾਬਾ ਬੰਦਾ ਸਿੰਘ ਬਹਾਦਰ ਜੇ ਨੇ ਸਰਹਿੰਦ ਦੀ ਇਟ ਨਾਲ ਇਟ ਖੜਕਾਕੇ ਖਾਲਸਾ ਰਾਜ ਕਾਇਮ ਕੀਤਾ ਸੀ ..*

*Aap Ji Nu Sarhand Fateh Diwas Diya Lakh Lakh Wadhaiyan Hon Ji..*

*ਗੁਰੂ ਮਾਨੀਓ ਗ੍ਰੰਥ ॥*
*ਦੇਗ ਤੇਗ ਫ਼ਤਹਿ ॥ ਪੰਥ ਕੀ ਜੀਤ ॥ ਰਾਜ ਕਰੈਗਾ ਖ਼ਾਲਸਾ ॥*

*12 May - सरहिंद (सरहंद) फ़तेह दिवस - छोटे साहिबज़ादोे को शहीद करने वाले वज़ीर खाँ को बाबा बंदा सिंघ बहादर ने आज के दिन चपड़चिडी की जंग में हरा कर सरहंद को जीता । *

सरदार हरि सिंघ नलवा (1791 - 1837), महाराजा रणजीत सिंघ के सेनाध्यक्ष थे, जिन्होने पठानों से साथ कई युद्धों का नेतृत्व किय...
30/04/2022

सरदार हरि सिंघ नलवा (1791 - 1837), महाराजा रणजीत सिंघ के सेनाध्यक्ष थे, जिन्होने पठानों से साथ कई युद्धों का नेतृत्व किया। रणनीति और रणकौशल की दृष्टि से हरि सिंह नलवा की तुलना भारत के श्रेष्ठ सेनानायकों से की जा सकती है। हरि सिंह नलवा ने कश्मीर पर विजय प्राप्त कर अपना लोहा मनवाया।

यही नहीं, काबुल पर भी सेना चढ़ाकर जीत दर्ज की। खैबर दर्रे से होने वाले अफगान आक्रमणों से देश को मुक्त किया। इतिहास में पहली बार हुआ था कि पेशावरी पश्तून, पंजाबियों द्वारा शासित थे।

महाराजा रणजीत सिंघ के निर्देश के अनुसार हरि सिंघ नलवा ने सिख साम्राज्य की भौगोलिक सीमाओं को पंजाब से लेकर काबुल बादशाहत के बीचोंबीच तक विस्तार किया था।

महाराजा रणजीत सिंघ के सिख शासन के दौरान 1807 ई. से लेकर 1837 ई. तक हरि सिंघ नलवा लगातार अफगानों के खिलाफ लड़े। अफगानों के खिलाफ जटिल लड़ाई जीतकर नलवा ने कसूर, मुल्तान, कश्मीर और पेशावर में सिख शासन की व्यवस्था की थी।

सर हेनरी ग्रिफिन ने हरि सिंघ को "खालसाजी का चैंपियन" कहा है। ब्रिटिश शासकों ने हरि सिंघ नलवा की तुलना नेपोलियन से भी की है।

ऐसे महाना नायक का आज शहीदी दिवस है, आज के दिन वह जमरौद की जंग में लडते लड़ते शहीद हो गए । सिख कौम के इस महान नायक को मैं कोटि कोटि प्रणाम करता हू ।.......आल इंडिया पंजाबी सेवा दल रजि,

ਸਦ ਜੀਵਣੁ ਅਰਜੁਨੁ ਅਮੋਲੁ ਆਜੋਨੀ ਸੰਭਉ ।। ਪੰਜਵੇਂ ਗੁਰੂ, ਸ੍ਰੀ ਗੁਰੂ ਅਰਜਨ ਦੇਵ ਜੀ ਦੇ ਪਾਵਨ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਗੁਰਪੁਰਬ ਦੀ ਸਮੂਹ ਗੁਰੂ ਰੂਪ ਸਾਧ ਸੰਗਤ ...
23/04/2022

ਸਦ ਜੀਵਣੁ ਅਰਜੁਨੁ ਅਮੋਲੁ ਆਜੋਨੀ ਸੰਭਉ ।।

ਪੰਜਵੇਂ ਗੁਰੂ, ਸ੍ਰੀ ਗੁਰੂ ਅਰਜਨ ਦੇਵ ਜੀ ਦੇ ਪਾਵਨ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਗੁਰਪੁਰਬ ਦੀ ਸਮੂਹ ਗੁਰੂ ਰੂਪ ਸਾਧ ਸੰਗਤ ਨੂੰ ਲੱਖ-ਲੱਖ ਵਧਾਈ। ਸ਼ਬਦ ਗੁਰੂ ਸ੍ਰੀ ਗੁਰੂ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਵਿੱਚ ਪੰਚਮ ਪਾਤਸ਼ਾਹ ਜੀ ਦੀ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਧ ਬਾਣੀ ਦਰਜ ਹੈ, ਅਤੇ ਸੁਖਮਨੀ ਸਾਹਿਬ ਦੀ ਸੁਖਦਾਈ ਬਾਣੀ ਵੀ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਹੀ ਮਹਾਨ ਦੇਣ ਹੈ।

ਨੌਵੇਂ ਪਾਤਸ਼ਾਹ, 'ਹਿੰਦ ਦੀ ਚਾਦਰ' ਸ੍ਰੀ ਗੁਰੂ ਤੇਗ ਬਹਾਦਰ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਦੇ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਗੁਰਪੁਰਬ ਦੀਆਂ ਸਮੂਹ ਸਾਧ ਸੰਗਤ ਨੂੰ ਵਧਾਈਆਂ। ਆਓ, ਗੁਰੂ ਸਾਹਿ...
21/04/2022

ਨੌਵੇਂ ਪਾਤਸ਼ਾਹ, 'ਹਿੰਦ ਦੀ ਚਾਦਰ' ਸ੍ਰੀ ਗੁਰੂ ਤੇਗ ਬਹਾਦਰ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਦੇ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਗੁਰਪੁਰਬ ਦੀਆਂ ਸਮੂਹ ਸਾਧ ਸੰਗਤ ਨੂੰ ਵਧਾਈਆਂ। ਆਓ, ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਦੇ ਜੀਵਨ ਤੋਂ ਸਿੱਖਿਆ ਲੈਂਦੇ ਹੋਏ, ਸਮਾਜ ਅੰਦਰ ਸਰਬ ਧਰਮ ਸਤਿਕਾਰ ਅਤੇ ਬਰਾਬਰਤਾ ਦੇ ਪਸਾਰੇ ਲਈ ਇੱਕਜੁੱਟ ਹੋ ਕੇ ਹੰਭਲਾ ਮਾਰੀਏ।

ਸਰਬ ਧਰਮ ਸਨਮਾਨ ਦਾ ਸੁਨੇਹਾ ਦੇਣ ਵਾਲੇ, ਨੌਵੇਂ ਸਤਿਗੁਰੂ ਸ੍ਰੀ ਗੁਰੂ ਤੇਗ ਬਹਾਦਰ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਦੇ ਗੁਰਿਆਈ ਦਿਵਸ ਦੀ ਦੇਸ਼-ਵਿਦੇਸ਼ ਵਸਦੀ ਸਮੂਹ ਸੰਗਤ ...
15/04/2022

ਸਰਬ ਧਰਮ ਸਨਮਾਨ ਦਾ ਸੁਨੇਹਾ ਦੇਣ ਵਾਲੇ, ਨੌਵੇਂ ਸਤਿਗੁਰੂ ਸ੍ਰੀ ਗੁਰੂ ਤੇਗ ਬਹਾਦਰ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਦੇ ਗੁਰਿਆਈ ਦਿਵਸ ਦੀ ਦੇਸ਼-ਵਿਦੇਸ਼ ਵਸਦੀ ਸਮੂਹ ਸੰਗਤ ਨੂੰ ਲੱਖ-ਲੱਖ ਵਧਾਈ। ਪਾਤਸ਼ਾਹ ਜੀ ਦੀ ਦਿਖਾਈ ਮਨੁੱਖੀ ਏਕੇ ਅਤੇ ਧਾਰਮਿਕ ਸਦਭਾਵਨਾ ਦੀ ਸੇਧ ਸਾਰੇ ਸੰਸਾਰ ਲਈ ਸਾਂਝੀ ਹੈ।

ਮੀਰੀ ਪੀਰੀ ਦੇ ਮਾਲਕ, ਸ੍ਰੀ ਗੁਰੂ ਹਰਿਗੋਬਿੰਦ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਦੇ ਜੋਤੀ-ਜੋਤਿ ਦਿਵਸ ਮੌਕੇ ਗੁਰੂ ਚਰਨਾਂ 'ਚ ਕੋਟਾਨ-ਕੋਟਿ ਪ੍ਰਣਾਮ। ਸਿੱਖ ਕੌਮ ਨੂੰ ਨਾਮ...
06/04/2022

ਮੀਰੀ ਪੀਰੀ ਦੇ ਮਾਲਕ, ਸ੍ਰੀ ਗੁਰੂ ਹਰਿਗੋਬਿੰਦ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਦੇ ਜੋਤੀ-ਜੋਤਿ ਦਿਵਸ ਮੌਕੇ ਗੁਰੂ ਚਰਨਾਂ 'ਚ ਕੋਟਾਨ-ਕੋਟਿ ਪ੍ਰਣਾਮ। ਸਿੱਖ ਕੌਮ ਨੂੰ ਨਾਮ ਸਿਮਰਨ ਦੇ ਨਾਲ ਨਾਲ ਸਰੀਰਕ ਮਜ਼ਬੂਤੀ ਅਤੇ ਸ਼ਸਤਰ ਵਿੱਦਿਆ ਦੇ ਧਾਰਨੀ ਹੋਣ ਦੀ ਸੇਧ ਛੇਵੇਂ ਸਤਿਗੁਰਾਂ ਨੇ ਹੀ ਦਿਖਾਈ।

गुरमुखी लिपी के रचनाकार साहिब श्री गुरु अंगद देव जी के ज्योती-ज्योत दिवस मौके गुरु साहिब जी को कोटी-कोट प्रणाम
05/04/2022

गुरमुखी लिपी के रचनाकार साहिब श्री गुरु अंगद देव जी के ज्योती-ज्योत दिवस मौके गुरु साहिब जी को कोटी-कोट प्रणाम

ਨਾਨਕ ਸੋ ਅੰਗਦ ਗੁਰ ਦੇਵਨਾ ਸੋ ਅਮਰ ਦਾਸ ਹਰਿ ਸੇਵਨਾ II੨੭IIਤੀਜੇ ਪਾਤਸ਼ਾਹ ਸ੍ਰੀ ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਦੇ ਗੁਰਿਆਈ ਦਿਵਸ ਦੀਆਂ ਸਮੂਹ ਸੰਗਤ ਨੂੰ ਵਧਾਈ...
02/04/2022

ਨਾਨਕ ਸੋ ਅੰਗਦ ਗੁਰ ਦੇਵਨਾ ਸੋ ਅਮਰ ਦਾਸ ਹਰਿ ਸੇਵਨਾ II੨੭II

ਤੀਜੇ ਪਾਤਸ਼ਾਹ ਸ੍ਰੀ ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਦੇ ਗੁਰਿਆਈ ਦਿਵਸ ਦੀਆਂ ਸਮੂਹ ਸੰਗਤ ਨੂੰ ਵਧਾਈਆਂ। ਲੰਗਰ ਪਰੰਪਰਾ ਦੇ ਵਿਸਥਾਰ ਦੇ ਨਾਲ ਨਾਲ, ਨਾਰੀ ਸਨਮਾਨ ਦੀ ਵਕਾਲਤ ਕਰਦੇ ਹੋਏ ਸਤਿਗੁਰਾਂ ਨੇ ਸਮਾਜ ਨੂੰ ਸਤੀ ਪ੍ਰਥਾ ਅਤੇ ਪਰਦਾ ਪ੍ਰਥਾ ਵਰਗੀਆਂ ਕੁਰੀਤੀਆਂ ਦੇ ਖ਼ਾਤਮੇ ਦੀ ਸਿੱਖਿਆ ਦਿੱਤੀ।

भाई सुबेग सिंह जी, भाई शहबाज सिंह जी की लासानी शहादत को कोटि-कोटि प्रणाम..... Punjabi Seva Dal...R..Fbd...
25/03/2022

भाई सुबेग सिंह जी, भाई शहबाज सिंह जी की लासानी शहादत को कोटि-कोटि प्रणाम..... Punjabi Seva Dal...R..Fbd...

Saheedi diwas. Bhagat singh. 23/3/2022🙏🙏.परनाम शहीदा नू
23/03/2022

Saheedi diwas. Bhagat singh. 23/3/2022🙏🙏.परनाम शहीदा नू

ਆਪ ਜੀ ਨੂੰ ਅਤੇ ਆਪ ਜੀ ਦੇ ਪਰਿਵਾਰ ਨੂੰ ਨਵੇਂ ਸਾਲ ਨਾਨਕਸ਼ਾਹੀ ਸੰਮਤ 554ਦੀਆਂ ਕੋਟਾਨ ਕੋਟ ਮੁਬਾਰਕਾਂ ਵਾਹਿਗੁਰੂ ਬੇਅੰਤ ਖੁਸ਼ੀਆਂ ਬਖਸ਼ਣ ਸਭ ਨੂੰ ਆਪ...
14/03/2022

ਆਪ ਜੀ ਨੂੰ ਅਤੇ ਆਪ ਜੀ ਦੇ ਪਰਿਵਾਰ ਨੂੰ ਨਵੇਂ ਸਾਲ
ਨਾਨਕਸ਼ਾਹੀ ਸੰਮਤ 554ਦੀਆਂ ਕੋਟਾਨ ਕੋਟ ਮੁਬਾਰਕਾਂ ਵਾਹਿਗੁਰੂ ਬੇਅੰਤ ਖੁਸ਼ੀਆਂ ਬਖਸ਼ਣ ਸਭ ਨੂੰ ਆਪਸੀ ਪਿਆਰ ਏਕਤਾ ਤਰਕੀ ਗੁਰਸਿਖੀ ਅਤੇ ਨਾਮ ਨਾਲ ਪਿਆਰ ਅਤੇ ਸਰਬਤ ਦਾ ਭਲਾ ਤੇ ਚੜਦੀ ਕਲਾ ਬਖਸਣ ਜੀ
🙏🙏🙏🙏🙏

  11 March  दिल्ली फतेह दिवस - आज के दिन सिख पंथ के महान योद्धा बाबा बघेल सिंह, जस्सा सिंह रामगढ़िया और जस्सा सिंह आहलुव...
11/03/2022

11 March दिल्ली फतेह दिवस - आज के दिन सिख पंथ के महान योद्धा बाबा बघेल सिंह, जस्सा सिंह रामगढ़िया और जस्सा सिंह आहलुवालिया द्वारा 1783 में लाल किला पर निशान साहिब झूलाकर मुगलराज का तख्ता पलट किया । .......

जो बात श्री गुरु नानक जी ने औरतों के लिए कही, वो पहले किसी न कही थी Happy International Women's Day
08/03/2022

जो बात श्री गुरु नानक जी ने औरतों के लिए कही, वो पहले किसी न कही थी Happy International Women's Day

28/02/2022

Gurudwara panjokhra Sahib Ambala

If the language survives then Punjabi will survive .... Congratulations to all the Sadh Sangat on International Mother L...
21/02/2022

If the language survives then Punjabi will survive .... Congratulations to all the Sadh Sangat on International Mother Language Day. Let us all re-plant the mother tongue in our homes and families.

ਬੋਲੀ ਜਿਉਂਦੀ ਰਹੀਂ ਤਾਂ ਪੰਜਾਬੀ ਜਿਉਂਦੇ ਰਹਿਣਗੇ....

ਕੌਮਾਂਤਰੀ ਮਾਂ ਬੋਲੀ ਦਿਵਸ ਦੀਆਂ ਸਮੂੰਹ ਸਾਧ ਸੰਗਤ ਨੂੰ ਬੇਅੰਤ ਵਧਾਇਆਂ, ਆਓ ਅਸੀਂ ਸਾਰੇ ਫਿਰ ਤੋਂ ਅਪਣੇ ਘਰ-ਪਰਿਵਾਰਾਂ ਅੰਦਰ ਮਾਂ ਬੋਲੀ ਦਾ ਬੂਟਾ ਲਾਈਏ ਅਪਣੀ ਨਵੀਂ ਪਨੀਰੀ ਨੂੰ ਪੈਂਤੀ ਅੱਖਰੀ ਦੀ ਅਣਮੁੱਲੀ ਦਾਤ ਤੋਂ ਰੂ-ਬ-ਰੂ ਕਰਵਾਈਏ ਅਤੇ ਮਾਂ ਬੋਲੀ ਦਾ ਮਾਨ ਵਧਾਈਏ।

गुरुद्वारा श्री ननकाना साहिब में शहीद सिंघों की याद में मौजूद एक जंड के वृक्ष के दर्शन कर 20 फरवरी 1921 के साका (नरसंहार...
21/02/2022

गुरुद्वारा श्री ननकाना साहिब में शहीद सिंघों की याद में मौजूद एक जंड के वृक्ष के दर्शन कर 20 फरवरी 1921 के साका (नरसंहार) की याद ताजा हो जाती है और इसके इतिहास को पढ़कर हर आंख भी नम हो जाती है।

इस संबंध में मिली जानकारी के मुताबिक पंजाब पर अंग्रेजों का कब्जा होने के बाद महंतों ने अंग्रेजों से मिलीभगत कर गुरुद्वारा श्री ननकाना साहिब पर कब्जा कर मनमानियां शुरू कर दीं, गुरुद्वारा साहिब की बेअदबी करने के साथ आने वाले यात्रियों से भी बेहद बदसलूकी की जाने लगी। इसकी जब सिंहों को जानकारी मिली तो उन्होंने महंतों के कब्जे में से गुरुद्वारा साहिब को आजाद करवाने का फैसला किया।

17 फरवरी 1921 को जत्थेदार लछमण सिंह 200 निहत्थे सिंहों के जत्थे के साथ गुरुद्वारा श्री ननकाना साहिब पहुंचे और महंत नारायण दास को गुरुद्वारा साहिब से बाहर होने को कहा। पहले से तैयारी में बैठे महंत ने गुरुद्वारा साहिब का कब्जा देने से इंकार कर निहत्थे सिंहों पर हमला कर दिया और उन्हें बेदर्दी से शहीद कर दिया। वहीं जत्थेदार लछमण सिंह को उक्त जंड के वृक्ष से उल्टा लटका जीवित जलाकर शहीद कर दिया गया। इसके बाद सिंहों ने बड़ा संघर्ष करते हुए शहादतें देकर गुरुधाम को महंतों के कब्जे से आजाद करवाया था

इसके बाद ही गुरुद्वारे आज के रुप मे आ सके और सभी जातियों धर्मो के लिये खुल सके

आज का दिन उन्ही शहीदोँ को याद किया जाता है जिन्होनें गुरुद्वारों के सेवा संभाल के लिए जानें क़ुर्बान करदी ।

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