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जोधाणे री रीत

संसदमय बनता जोधपुर का नगर निगम
02/02/2023

संसदमय बनता जोधपुर का नगर निगम

01/02/2023
मिर्चीबड़ा तू बहुत बड़ा है
30/01/2023

मिर्चीबड़ा तू बहुत बड़ा है

टूटेगा 137 साल पुराना जोधपुर रेलवे स्टेशनये हमारी शान,पहचान   #धरोहरकोबचा_लो
22/01/2023

टूटेगा 137 साल पुराना जोधपुर रेलवे स्टेशन
ये हमारी शान,पहचान
#धरोहरकोबचा_लो

क्या ये मुमकिन है ?
06/01/2023

क्या ये मुमकिन है ?

नमन
20/12/2022

नमन

सन्देश
13/12/2022

सन्देश

निहायत शर्मनाक
12/12/2022

निहायत शर्मनाक

उफ़
10/12/2022

उफ़

रहिमन पानी राखिये बिन पानी सब सून
06/12/2022

रहिमन पानी राखिये बिन पानी सब सून

मेहमान पक्षी कुरजां मध्य एशिया के बर्फीले स्थानों से 6000 से 7000 किलोमीटर की यात्रा कर राजस्थान के चुनिन्दा स्थानों पर ...
01/12/2022

मेहमान पक्षी कुरजां मध्य एशिया के बर्फीले स्थानों से 6000 से 7000 किलोमीटर की यात्रा कर राजस्थान के चुनिन्दा स्थानों पर ही मेहमान रूप में आ प्रजनन कर चले जाते हैं। क्यों आते हैं? कैसे आते हैं? इन्हें कौन सीखाता हैं, यह परम्परा कब से है ? आदि कई प्रश्नों पर रहस्य का पर्दा आज भी कायम है।

जय-जय संविधान
27/11/2022

जय-जय संविधान

मारवाड़ रा अन्बिन्ध्या मोती  पर्वत से अटल, निष्ठावान,वीर,साहसी, अनुशासित, न्यायप्रिय , दुश्मन की औरतों को भी स-सम्मान रखन...
22/11/2022

मारवाड़ रा अन्बिन्ध्या मोती
पर्वत से अटल, निष्ठावान,वीर,साहसी, अनुशासित, न्यायप्रिय , दुश्मन की औरतों को भी स-सम्मान रखने वाले ,स्वामिभक्त और न जाने कितने गुण से परिपूर्ण थे वीर दुर्गादास राठोड़ जी
औरंगजेब के आगे सर न झुकाया, अपने स्वामी के राज्य को सुरक्षित रखा दुर्गादास राठोड़ जी ने
आज पुण्यतिथि पर आपको शत-शत नमन

21/11/2022

पता नहीं कहाँ का विडियो है मगर इन्सान और जानवर के रिश्ते को मज़बूत तो करता है

हमें आप पर गर्व है ये सिलसिला रुकना नहीं चाहिए
20/11/2022

हमें आप पर गर्व है
ये सिलसिला रुकना नहीं चाहिए

बदल रहा है जोधपुर वालों का नज़रिया
19/11/2022

बदल रहा है जोधपुर वालों का नज़रिया

बुंदेले हरबोलों के मुंह हमने सुनी कहानी थी,खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी।।प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की...
19/11/2022

बुंदेले हरबोलों के मुंह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी।।

प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की अमर वीरांगना, नारी शक्ति की पर्याय रानी लक्ष्मीबाई जी की जयंती पर उन्हें चरण वंदन।

चीन को चुनौती देने वाले 'मेजर साहब 'आदरणीय मेजर शैतान सिंह राठौर जी को शत-शत नमन
18/11/2022

चीन को चुनौती देने वाले 'मेजर साहब '
आदरणीय मेजर शैतान सिंह राठौर जी को शत-शत नमन

जाती हुई सरकार को याद आए कलाकार फिर भी कई अहम नाम छूट गए
17/11/2022

जाती हुई सरकार को याद आए कलाकार
फिर भी कई अहम नाम छूट गए

जय-जय राजपूताना
14/11/2022

जय-जय राजपूताना

जोधपुर के लिए एक अच्छी खबर
13/11/2022

जोधपुर के लिए एक अच्छी खबर

13/11/2022

पानी भरने की बात पर झगड़ा हुआ, सिर पर डंडा मारा आदमी मर गया... हत्या का मुकदमा दर्ज हुआ है। इसलिये स्वभाव में समझौता, और भाषा में प्रेम का होना ज़रूरी है। दो कड़वे बोल स्थिति को किसी भी हद तक ले जा सकते हैं। मुल्जिमों के परिवार से सहानुभूति है।

जोधपुर शहर का सबसे बड़ा मेला लगने वाला है 6 से 15 जनवरी तक
12/11/2022

जोधपुर शहर का सबसे बड़ा मेला लगने वाला है
6 से 15 जनवरी तक

जोधपुर में जन्मे चंद्रशेखर मूथा जी मारवाड़ के सच्चे लाल थे,प्रशसनिक सेवा में रहते हुए भी वो साहित्य सेवा और साधना में लगे...
10/11/2022

जोधपुर में जन्मे चंद्रशेखर मूथा जी मारवाड़ के सच्चे लाल थे,प्रशसनिक सेवा में रहते हुए भी वो साहित्य सेवा और साधना में लगे रहे, उनकी मृत्यु सभी जोधपुरवासियों की क्षति है
ईश्वर उनकी आत्मा को शान्ति प्रदान करे
ॐ शान्ति

प्रवासी पक्षी (डेमोइसेल क्रेन) को स्थानीय भाषा में कुरजां कहते हैं. कुरजां अधिकतर बीकानेर संभाग और जोधपुर संभाग के गांवो...
08/11/2022

प्रवासी पक्षी (डेमोइसेल क्रेन) को स्थानीय भाषा में कुरजां कहते हैं. कुरजां अधिकतर बीकानेर संभाग और जोधपुर संभाग के गांवों में तालाबों पर प्रवास करती हैं. ये पक्षी साइबेरिया से ईरान, अफगानिस्तान आदि देशों से होते हुए भारत में प्रतिवर्ष आते हैं. छापर का तालाब और घाना पक्षी विहार भरतपुर में ये आना अधिक पसन्द करते हैं. कुरजां के यहां सात समन्दर पार यात्रा तय करके आने से पक्षी-प्रेमियों और राजस्थानी विरह गीत में कुरजां के माध्यम से सात समंदर पार अपने पति को सन्देश पहुँचाने का शानदार चित्रण है. नारी की तो अन्तरात्मा की आवाज ही ये लोकगीत हैं. नारी के पास तो अपने आपको खुलकर अभिव्यक्त करने का साधन ही केवल लोकगीत है. अपने राग-विराग, घृणा-प्रेम, दुःख की जिन भावनाओं को नारी स्पष्ट नहीं कह पाती, उन्हें उसने लोकगीतों के द्वारा गा-गाकर सुना दिया है. लोकगीतों में उसने अपने अन्तःस्थल को खोल कर रख दिया है, जिसमें न वह कहीं रुकी, न झिझकी और न ही शर्मायी. विरहिणी ने अपनी विरह वेदना को कुरुजाँ पक्षी से प्रियतम को संदेश भिजवाना चाहा, जिसमें असीम करुणा और मिलन की ललक व्यक्त है.

प्राचीन काल में राजस्थान में जीविकोपार्जन की स्थितियां बहुत दुरूह और कठिन थी. पुरुषों को बेहतर कमाई के लिए नौकरी या व्यापार के लिए दूसरे प्रान्तों में बहुत दूर जाना होता था, यातायात व संचार के साधनों की कमी के आभाव में आना-जाना व संदेश भेजना भी कठिन था. एक प्रवास भी कई बार ३-४ वर्ष का हो जाता था. कभी कभी प्रवास के समय की लम्बाई सहनशक्ति की सीमाएं पार कर देती थी, तब विरह में तड़पती नारी मन की भावनाएं गीतों के बहाने फूट पड़ती थी. पुरूष भी इन गीतों में डूब कर पत्नी की वियोग व्यथा अनुभव करते थे. इस तरह के राजस्थान में अनेक काव्य गीत प्रचलित है. वीणा कैसेट द्वारा कुरजां राजस्थानी विरह लोक गीत पर कैसेट जारी किया है. यह विरह गीत "कुरजां " वियोग श्रंगार के गीत का काव्य सोष्ठव अनूठा है और धुनें भावों को प्रकट करने में सक्षम है. यह गीत प्रवासी समाज की भावनाओं के केन्द्र में रहा है. कुरजां लोकगीत में कुरजां पक्षी का सन्देश वहन व नायिका-नायक मिलन दिल को छूने वाला है.
कुरजां का आना सुखद लगता है, जब कुरजां आती है तो उसके साथ आती है आशा की किरण
ये आशा की किरण एक नवब्याहता के लिए भी होती है,बूढ़े माँ-बाप के लिए भी होती है और बच्चों के लिए भी होती है
कुरजां का एक लोकगीत
सूती थी रंग महल में,

सूती ने आयो रे जंजाळ,

सुपना रे बैरी झूठो क्यों आयो रे

कुरजां तू म्हारी बैनडी ए, सांभळ म्हारी बात,

ढोला तणे ओळमां भेजूं थारे लार।

कुरजां ए म्हारो भंवर मिला देनी ए।

सुपनो जगाई आधी रात में २

इशेल और मुसाब हमें आप पर गर्व है
04/11/2022

इशेल और मुसाब हमें आप पर गर्व है

राजस्थान के धोरों की कूकती कोयल अल्लाह जिलाई बाईमरुधर कोकिला अल्लाह जिलाई बाई की आज पुण्य तिथि है । राजस्थानी गीत के “पध...
03/11/2022

राजस्थान के धोरों की कूकती कोयल अल्लाह जिलाई बाई
मरुधर कोकिला अल्लाह जिलाई बाई की आज पुण्य तिथि है । राजस्थानी गीत के “पधारो म्हारे देस” की लोकप्रियता को देश-विदेश तक ले जाने वाली और उसे राजस्थान की पहचान बनाने वाली इस महान गायिका का जन्म बीकानेर में 1 फरवरी 1902 को हुआ । 10 वर्ष की उम्र में ही तत्कालीन महाराजा गंगा सिंह जी ने आपकी प्रतिभा को पहचान लिया तथा उनको सिखाने के लिए उस्ताद हुसैन बख्श और बाद में अच्छन महाराज को नियुक्त किया । शीघ्र ही वे मांड ठुमरी दादरा इत्यादि में पारंगत हो गई ।

गंगा जमुनी तहज़ीब की जीती जागती मिसाल दरबार में हर अवसर पर अपने गीतोँ की छटा बिखेर कर उसे जीवंत बना देती थी । केसरिया बालम आपने सबसे पहले दरबार में गाया था और उसके बाद तो पनिहारी , मूमल , कलाली ,गोरबंद डेरा आदि अनेकों लोक गीतों को इन्होंने अपनी विशिष्ट शैली में गा कर अमर बना दिया । कहते हैं वो हर बार केसरिया बालम एक अलग अन्दाज़ में प्रस्तुत किया करती थी ।

गंगा सिंह जी के स्वर्गवास के पश्चात आप आकाशवाणी से जुड़ी और जन साधारण तक अपनी आवाज़ पहुँचाने लग गयी ।

1982 में आपको भारत सरकार ने पद्म श्री से सम्मानित किया । 1992 में आज के दिन 3 नवम्बर को वो इस दुनिया-ए-फ़ानी से रूखसत हुई अल्लाह जिलाई बाई ने जितना राजस्थानी संगीत को समृद्ध किया उतना किसी और ने नहीं किया . राजस्थान की मरू कोकिला के नाम से मशहूर इस गायिका के गायन में राजस्थान झलकता था
पुण्यतिथि पर अल्लाह जिलाई बाई को शत-शत नमन

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