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इन महिलाओ को नहाने की इजाजत नहीं है अफ्रीका,कुनैन प्रांत में रहने वाली हिम्बा जनजाति की महिलाओं को जीवन मे केवल एक बार न...
25/01/2025

इन महिलाओ को नहाने की इजाजत नहीं है अफ्रीका,कुनैन प्रांत में रहने वाली हिम्बा जनजाति की महिलाओं को जीवन मे केवल एक बार नहाने की इजाजत है वो भी अपनी शादी के दिन। वहां की महिलाओं को पानी से हाथ धोने तक कि मनाही है। आप मे से जिन्हें नहाना पसंद नहीं है वो इसी जनजाति में शामिल हो सकते हैं।

#हमारे_हनुमान_जी

With Archana Tiwari – I just got recognized as one of their top fans! 🎉
25/01/2025

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मिड डे मील से भरता था बच्चों का पेट..रविवार को छुट्टी थी इसलिए बच्चे भूखे ही रह गए। बच्चों को भूख से तड़पता देख मां ने ज...
25/01/2025

मिड डे मील से भरता था बच्चों का पेट..रविवार को छुट्टी थी इसलिए बच्चे भूखे ही रह गए। बच्चों को भूख से तड़पता देख मां ने जान दे दी। मिड डे मील के लिए मिलने वाले खाद्यान्न ,धनराशि से हम मास्टर लोग भले ही परेशान हो जाते हों। और कई बार मन भी होता है कि यह मिड डे मील का झंझट बंद हो जाना चाहिए।
लेकिन कभी-कभी मिड डे मील इन गरीब परिवारों के लिए वरदान जैसा लगता है‌।एक मां ने इसलिए जहर खा लिया क्योंकि परिवार में 8 सदस्य थे और आटा केवल 6 रोटियां बनाने भर का था बच्चों को जब टुकड़ों में रोटियां बांटी गईं तो मां यह दुख नहीं सह पाई और उसने जान दे दी।

डॉ धनंजय मणि त्रिपाठी #हमारे_हनुमान_जी

14/12/2024

बेटा चौथी कक्षा में पढ़ रहा था, तभी शिक्षक ने पिता को बताया कि आपका बेटा बहुत बढ़िया शतरंज खेलता है। यदि इसे खेलने दिया जाय तो बहुत आगे जाएगा...
पिता बड़े डॉक्टर थे, माता भी डॉक्टर। हमारे समाज में ऐसे दम्पत्ति बच्चे के जन्म के पहले की तय कर देते हैं कि बच्चा डॉक्टर बनेगा। पर उस पिता ने रिस्क लिया, और आज के हिसाब से बहुत बड़ा रिस्क लिया। बच्चे को शतरंज खेलने में ही आनन्द आता था तो उसके जिम्मे केवल शतरंज खेलने का ही काम रहने दिया। मतलब समझ रहे हैं? बच्चे ने चौथी कक्षा के आगे पढ़ाई ही नहीं की है।
आप अपने आसपास दृष्टि दौड़ा कर देखिये, क्या ऐसा कोई पढा लिखा पिता दिखता है जो खेलने के लिए बेटे की पढ़ाई छुड़वा दे? नहीं मिलेगा। क्यों? क्योंकि हमारा लक्ष्य ही है कि बच्चा किसी तरह पढ़ लिख कर कहीं नौकर लग जाय। हम इससे उपर सोच ही नहीं पाते...
हाँ तो पिता ने बच्चे की पढ़ाई छुड़वा दी। बच्चा अच्छा खेल रहा था तो स्कूल के बाहर भी खेलने जाने लगा। अब छोटे बच्चे को अकेले तो कहीं भेज नहीं सकते, सो माता ने भी अपनी नौकरी लगभग छोड़ ही दी। उसके पीछे साये की तरह लगी रहती, उसके भोजन और सुविधा का ध्यान रखती, पसन्द-नापसंद का ध्यान रखती...
2017 में केवल ग्यारह वर्ष के उस बच्चे से किसी पत्रकार ने पूछा- आप आगे क्या करना चाहते हैं? लड़के ने बिना किसी झिझक के कहा था- मुझे सबसे कम आयु का ग्रैंडमास्टर बनना है। मुझे सबसे कम आयु का विश्व चैंपियन बनना है।
कल वह बच्चा सचमुच सबसे कम आयु का विश्वविजेता बन गया है। इस उपलब्धि में उसकी प्रतिभा, उसका समर्पण, उसे मिली सुविधाओं की भूमिका तो है ही, बस सबसे बड़ी भूमिका उसके पिता डॉ रजनीकांत के उस रिस्क की है जो उन्होंने उसकी चौथी कक्षा में पढ़ाई छुड़वा कर उठाई थी।
पुराने बूढ़े कहते थे- "लीक छोड़ कर तीन चले, शायर सिंह सपूत..." लीक पर चलने वाले अब भी दाल रोटी की व्यवस्था में लगे रह जाते हैं। राजा वही बनता है, जो रिस्क लेता है...
गुकेश दूबे को बहुत बहुत बधाई...

Basic k Mani AstroGuru डॉ धनंजय मणि त्रिपाठी Brajesh Pathak AstroGuru Dr. Dhananjay Mani Tripathi Fans Club

निरंतर आगे बढ़ना ही जीवन का सार हैजीवन एक नदी की तरह है ...  जैसे नदी अपने साथ अनुभवों के कण बहाती है। हर व्यक्ति अपनी उ...
13/12/2024

निरंतर आगे बढ़ना ही जीवन का सार है

जीवन एक नदी की तरह है ...
जैसे नदी अपने साथ अनुभवों के कण बहाती है। हर व्यक्ति अपनी उम्र के साथ नई कहानियाँ जोड़ता जाता है।

कठिनाइयाँ ही असली शिक्षक हैं....
जीवन की चुनौतियाँ हमें सिखाती हैं कि कैसे मज़बूत बनें और समस्याओं से पार पाएँ।

बुढ़ापा अनुभव का ख़ज़ाना है....
बुजुर्ग होने का अर्थ है अपने जीवन के अनुभवों के माध्यम से दूसरों को रास्ता दिखाना। जैसे एक बढ़ी काकी जो ख़ुद के खो जाने के बाद भी मार्गदर्शन करती है।

जीवन की लहरों से सीखो ...
जीवन की धारा कभी-कभी कठोर चोट करती है, लेकिन यही चोटें हमें जीने का सलीका सिखाती हैं और बेहतर कल की आशा जगाती हैं।

उम्र के साथ बढ़ते जाना....
उम्र बढ़ना महज एक संख्या नहीं बल्कि अपने आप से मुलाक़ात करना है जहाँ हर अनुभव एक नया अध्याय जोड़ता है। रुकना नहीं है बल्कि निरंतर आगे बढ़ना ही जीवन का सार है।

AstroGuru DrDhananjay Mani डॉ धनंजय मणि त्रिपाठी AstroGuru AstroGuru Dr. Dhananjay Mani Tripathi Fans Club Anushree Tripathi

धन के चक्कर में क्या छूटेगा और क्या बचेगा?लगातार संकुचित होते परिवारों ने मानव जीवन की दौड़ को 'खुद से लेकर खुद तक' में ...
13/12/2024

धन के चक्कर में क्या छूटेगा और क्या बचेगा?

लगातार संकुचित होते परिवारों ने मानव जीवन की दौड़ को 'खुद से लेकर खुद तक' में ही सीमित करके छोड़ दिया है! आजकल बच्चों को दादा- दादी, चाचा-चाची, मामा-मामी एवं अन्य रिश्ते देखने को ही नहीं मिल रहे, केवल अंकल-आंटी एवं फ्रेंड सर्कल से ही गुजारा करना पड़ रहा है जैसे कोई सुनामी आई और सभी रिश्तों को निगल गई! हम लोगों को यह सोचना होगा कि जिस धन कमाने के चक्कर में हम सब कुछ छोड़ बैठे हैं जब उनकी जरूरत पड़ेगी तब क्या यह धन काम आनहीं

न जाने धन पाने के चक्कर में क्या-क्या छूटेगा और यदि बचा तो क्या बचेगा? जिंदगी की दौड़ आज इस मुकाम पर लाई है कि घरों में चूल्हा जलाने के लिए पति पत्नी दोनों को मिलकर काम करना पड़ रहा है तब जाकर कहीं शहरों में रहना सम्भव हो पा रहा है! ऐसे में प्रश्न उठता है कि क्या हमारी दौड़ सही दिशा में हो रही है अथवा नहीं?

AstroGuru डॉ धनंजय मणि त्रिपाठी AstroGuru DrDhananjay Mani Brajesh Pathak Divya Prakash Dubey AstroGuru Dr. Dhananjay Mani Tripathi Fans Club

बरेली के इस स्कूल में दिखी लंबे नाखूनों वाली चुड़ैल स्कूल में सारे बच्चे दबाने लगे एक दूसरे का गला, मच गई चीख-पुकार, दौड़...
02/12/2024

बरेली के इस स्कूल में दिखी लंबे नाखूनों वाली चुड़ैल

स्कूल में सारे बच्चे दबाने लगे एक दूसरे का गला, मच गई चीख-पुकार, दौड़कर आए डॉक्टर्स

उत्तर प्रदेश में बरेली के एक स्कूल से अजीबोगरीब घटना सामने आई है, जहां कई बच्चों की अचानक हालत बिगड़ गई। स्कूल के सभी बच्चे भूत-प्रेत के भ्रम में एक दूसरे की गर्दन दबाने लगे, जिसके बाद कई बच्चे बेहोश हो गए।

यह सब देख स्कूल में चीख-पुकार मच गई. जानकारी होते ही गांव के लोगों और परिजनों में हड़कंप मच गया। आनन-फानन में मेडिकल टीमें स्कूल पहुंची. आइए जानते हैं पूरा मामला क्या है।

दरअसल, बरेली के एक स्कूल से मामला सामने आया है, जहां स्कूल के बच्चे आपस में ही एक दूसरे की गर्दन दबाने लगे। इस घटना में कई बच्चे बेहोश हो गए। जिसके बाद शिक्षकों की सूचना पर स्कूल मेडिकल टीमें पहुंचीं. इस भयानक घटना के बाद सरकारी जूनियर हाई स्कूल के बच्चों में दहशत फैल गई। वहीं प्राथमिक उपचार के बाद बच्चों को छुट्टी दी गई है।

पूछे जाने पर बच्चों ने जो बताया उसे सुनकर हर किसी के पैर कांप गए. बच्चों ने बताया कि एक लंबे नाखून वाली महिला थी जो डरा रही थी. स्कूल में पूछे जाने पर बताया गया कि बच्चों ने मिड डे मील में आलू-चावल खाए थे. जिसके बाद मिड डे मील की जांच की गई. जांच में मिड डे मील बिल्कुल सही निकला।

बच्चों का इलाज करने वाले डाक्टरों ने बताया कि बच्चों में किसी बीमारी के लक्षण नहीं है. डॉक्टर बोले सर्दी या थकान की वजह से ऐसा मामला संभव हो सकता है।चिकित्सकों की नजर में ग्रुप हिस्टीरिया भी संभव है। ऐसे मामलों में पूरा समूह एक जैसा व्यवहार करता है।

डॉक्टर ने अधिक जानकारी देते हुए बताया कि कई बार ऐसा असर समूह चर्चा भी दिखाती है और परिवारों में अंधविश्वास का भी असर देखा जाता है। इस घटना के बाद पूरे इलाके में अदृश्य शक्ति के प्रकोप की अफवाह फैल गई। जिसके बाद एसडीएम ने सभी से अपील करते हुए कहा कि अफवाहों पर भरोसा न करें। यह थाना नवाबगंज क्षेत्र के ईंध जागीर से सामने आया है।

💁‍♀️ सूचना स्त्रोत - News 18 ( Daily hunt )

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संविधान दिवस पर याद किए गए डॉ भीमराव अम्बेडकर- ग्राम प्रधान बृजेश यादव के नेतृत्व में मनाया गया संविधान दिवसघुघली, महराज...
26/11/2024

संविधान दिवस पर याद किए गए डॉ भीमराव अम्बेडकर

- ग्राम प्रधान बृजेश यादव के नेतृत्व में मनाया गया संविधान दिवस

घुघली, महराजगंज

घुघली ब्लाक के ग्रामसभा बिरैचा में ग्राम प्रधान बृजेश यादव की अध्यक्षता में संविधान दिवस हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस क्रम में संविधान निर्माता डाॅ भीमराव अम्बेडकर के चित्र पर माल्यार्पण कर पुष्प अर्पित किया गया।
इसके बाद उपस्थित ग्राम वासियों और जनप्रतिनिधियों के द्वारा संविधान की उद्देश्यिका को पढा़ गया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए ग्राम प्रधान बृजेश यादव ने कहा कि भारत का संविधान 26 अगस्त 1949 को बनकर तैयार हुआ था। संविधान सभा के गठन समिति के अध्यक्ष डॉ. भीमराव अंबेडकर की 125वीं जयंती वर्ष के रूप में 26 नवंबर 2015 को पहली बार भारत सरकार द्वारा पूरे भारत में संविधान दिवस मनाया गया और 26 नवंबर 2015 से प्रत्येक वर्ष पूरे भारत में संविधान दिवस मनाया जा रहा है। इससे पहले इसे राष्ट्रीय कानून दिवस के रूप में मनाया जाता था। 26 जनवरी 1950 को संविधान अमल में लाया गया।

इस दौरान ग्राम पंचायत सचिव दीप्ति जायसवाल ने भारतीय संविधान के शिल्पी डॉ. भीमराव आंबेडकर और संविधान सभा में शामिल रही तमाम विभूतियों को याद करते हुए कहा कि संविधान हम भारतीयों के लिए प्रेरणादायक और जीवन्त दस्तावेज है और स्वतंत्र भारत का आधुनिक धर्म ग्रंथ है, जो हम सबका मार्गदर्शक है। उन्होंने कहा कि संविधान को देश के हर नागरिक ने अंगीकृत किया है, इसलिए संविधान के वास्तविक संरक्षक हम भारत के लोग ही हैं। संविधान जहां एक और नागरिकों को सशक्त करता है, वहीं दूसरी ओर नागरिक भी अपने आचरण और व्यवहार से संविधान का संवर्द्धन और संरक्षण करते हैं। संविधान किसी एक का नहीं बल्कि सभी का संरक्षक है। इसलिए उसके संरक्षण और संवर्धन की जिम्मेदारी हम सभी की है।

इस अवसर पर पंचायत सहायक पंकज कुमार, सदस्य सूर्य नारायन, लियाकत, राजेश, सुनील, रामअवध, श्रीमती अनीता देवी, श्रीमती जामवन्ती देवी, श्रीमती दर्मवती देवी आदि उपस्थित रहे।

पद मिल जाए बिना प्रतिभा के तो धृतराष्ट्र बनते हैं( कुंठित लोग)प्रतिभा हो और पद न मिले तो कर्ण बनते हैं(कुंठा से उत्पन्न ...
25/11/2024

पद मिल जाए बिना प्रतिभा के तो धृतराष्ट्र बनते हैं( कुंठित लोग)
प्रतिभा हो और पद न मिले तो कर्ण बनते हैं(कुंठा से उत्पन्न अहंकार)

प्रतिभा कूट कूट कर भरी होने के कारण पद कदमों में ला कर देना चाहें लेकिन पद की चाह तक न हो तो अर्जुन बनते हैं(विनम्रता)

जब आप शिखर पर रहें तो humble रहें (राम और कृष्ण की तरह)
जब आप प्रगति कर रहे हों तो gratitude में रहें,कृतज्ञ रहें( युधिष्ठिर की तरह)
जब आप स्ट्रगल कर रहे हों तो surrender रहें (अर्जुन की तरह, अर्जुन ने कृष्ण के आगे पूरा सरेंडर कर दिया था)

AstroGuru DrDhananjay Mani डॉ धनंजय मणि त्रिपाठी Divya Prakash Dubey AstroGuru Brajesh Pathak AstroGuru Dr. Dhananjay Mani Tripathi Fans Club Yash Yadav Yogi Adityanath

25/11/2024

शिक्षक और प्रधान आपस में बनाएं सामंजस्य : चंद्रभूषण पाण्डेय

घुघली में ब्लॉक स्तरीय संगोष्ठी और उन्मुखीकरण का हुआ आयोजन

महराजगंज के घुघली ब्लाक के ब्लाक संसाधन केंद्र घुघली पर ग्राम प्रधान/ स्थानीय निकाय प्राधिकारी एवं अध्यापकों का ब्लॉक स्तरीय संगोष्ठी और उन्मुखीकरण का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि ब्लाक प्रमुख प्रतिनिधि ओम प्रकाश जायसवाल रहे।

कार्यक्रम का शुभारंभ विशिष्ट अतिथि के द्वारा मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलित कर किया गया। तत्पश्चात आगंतुक अतिथियों के स्वागत में बैच एवं स्मृति चिन्ह एवं स्वागत गान से स्कूली छात्र छात्राओं द्वारा स्वागत किया गया।

विकास के लिए आपस में रखें सामंजस्य : ओम प्रकाश जायसवाल

संगोष्ठी को संबोधित करते हुए विशिष्ट अतिथि ओम प्रकाश जायसवाल ने कहा कि शिक्षक और ग्राम प्रधान आपस में सामंजस्य बैठाकर अपने- अपने क्षेत्र के विद्यालयों के विकास के लिए शिक्षा और सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं को भलीभांति स्कूली छात्र-छात्राओं तक पहुंचाएं। सरकार शिक्षा के प्रति बेहद ही गंभीर है स्कूलों का कायाकल्प हो या अध्ययन-अध्यापन हो उसके लिए हर तरीके से शिक्षक और ग्राम प्रधान को शिक्षा के प्रति जागरूक करने हेतु आगे आना होगा। तभी समाज शिक्षित होने के साथ-साथ स्कूली शिक्षा भी नौनिहालों के लिए आगामी भविष्य के लिए वरदान साबित होगी।

शेष बच्चों के खाते में जल्द आएगी राशि : चंद्रभूषण पाण्डेय

संगोष्ठी को संबोधित करते हुए खंड शिक्षा अधिकारी घुघली चंद्रभूषण पाण्डेय ने कहा कि पूरे घुघली ब्लॉक में जितने बच्चे नामांकित हैं उन बच्चों के खाते में डीबीटी के माध्यम से ड्रेस आदि का पैसा जा चुका है शेष बच्चों के खाते में भेजने की प्रक्रिया शीघ्र ही पूरी कर दी जाएगी। उपस्थित ब्लॉक के समस्त ग्राम प्रधानों से अपील किया कि स्कूली बच्चों के आधार कार्ड जिनका न बना हो हमारे यहां सेंटर पर पूरा कराने हेतु प्रेरित करें।

19 बिंदुओं को पूरा करने का लक्ष्य में सहयोग करें ग्राम प्रधान : विजय मिश्र

विशिष्ट अतिथि के रूप में ग्रहण प्रधान संघ के मण्डल अध्यक्ष विजय मिश्र ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि विद्यालय के कायाकल्प हेतु जिन 19 बिंदुओं को पूरा करने का लक्ष्य दिया गया है उसे पूर्ण करने के लिए शिक्षकों के साथ-साथ ग्राम प्रधानों के भी सहयोग की आवश्यकता है, जिसे आप सभी मिलजुल कर पूरा करने में सहयोग करें। इस मौके पर ग्राम प्रधान संघ के मंडल अध्यक्ष विजय मिश्र, घुघली नगर पंचायत संतोष जायसवाल, सभासद चंदन जायसवाल, प्राथमिक शिक्षक संघ के ब्लाक अध्यक्ष घनश्याम यादव मंत्री पवन पटेल, राजू सिंह, उपेन्द्र मिश्र, सत्येन्द्र शुक्ल, डाॅ धनंजय मणि त्रिपाठी, अखिलेश उपाध्याय, अर्चना सिंह, एआरपी परमानंद विश्वकर्मा, पारस, संतोष चौधरी, समेत घुघली क्षेत्र के समस्त ग्राम प्रधान गण मौजूद रहे। कार्यक्रम का संचालन राजेश उपाध्याय ने किया।

Save Bird..
14/11/2024

Save Bird..

आजकल लोगों को क्यों होने लगा है बुखार? बीते कुछ हफ्तों से डेंगू कै मामले लगातार सामने आ रहे हैं। वहीं आजकल फ्लू और सांस ...
13/11/2024

आजकल लोगों को क्यों होने लगा है बुखार?

बीते कुछ हफ्तों से डेंगू कै मामले लगातार सामने आ रहे हैं। वहीं आजकल फ्लू और सांस की बीमारियों के साथ बुखार आने की भी दिक्कत देखी जा रही है। अभी जगह-जगह मच्छरों का प्रकोप बढ़ गया है, जिससे स्वास्थ्य समस्याएं पैदा हो रही हैं। इससे घबराने की नहीं, बल्कि अधिक सावधान होने की जरूरत है...

अगर डेंगू हो गया है तो इसमें बुखार के साथ-साथ तेज सिरदर्द, जोड़ों में दर्द, शरीर में खुजली हो सकती है। कुछ लोग उल्टी महसूस करने और पेट में दर्द होने की शिकायत भी करते हैं। अगर खाना-पीना सही से नहीं हो पा रहा है, तो उल्टी होने से ब्लडप्रेशर लो हो सकता है। प्लेटलेट्स बहुत कम हो जाने पर दांतों, यूरिन आदि से ब्लीडिंग होने का खतरा हो सकता है। इन सभी लक्षणों की हल्के में नहीं लेना चाहिए, तुरंत चिकित्सक से संपर्क कर इलाज शुरू कर देना चाहिए। हालांकि, इस साल वायरल में हल्के लक्षण ही दिख रहे हैं। वायरल होने पर उपचार के साथ-साथ स्वयं भी सतर्क रहना चाहिए।

दर्द निवारक दवाओं से बचने की जरूरत

वायरल बुखार होने पर अस्पताल में तुरंत भती होने की जरूरत नहीं होती। इसके उपचार में सबसे पहले पेनकिलर के सेवन से बचना है। बुखार उतारने की दवा ले सकते हैं। शरीर में पर्याप्त पानी होना आवश्यक है, ताकि डिहाइड्रेशन न हो। अगर बुखार उत्तरने के बाद प्लेटलेट्स में तेजी से कमी आती है, तो डाक्टर से मिलना चाहिए। आमतौर पर बुखार की शुरुआत में प्लेटलेट्स में ज्यादा गिरावट नहीं आती। अगर ज्यादा गिरावट हो रही है तो अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत होती है। इसके लिए प्लेटलेट्स भी चढ़ाया जा सकता है।

स्वास्थ्य समस्या है तो बढ़ाएं सतर्कता

वायरल बुखार के अधिकांश मरीज घर पर ही ठीक हो जाते हैं। चूंकि, यह वायरल
संक्रमण है, इसलिए इसका बहुत अधिक उपचार नहीं है। अगर पहले से कोई स्वास्थ्य समस्या है तो अतिरिक्त सावधानी होनी चाहिए। प्लेटलेट्स कम है, उल्टी हो रही है, खाना नहीं पच रहा है, थकान हो रही है, सांस फूल रही है तो स्वयं से उपचार करने के बजाय चिकित्सक को दिखाना और जरूरी जांचें करा लेना चाहिए। आठ से दस दिनों में सभी मरीज रिकवर कर जाते हैं।

वायरल से बचने की जरूरत

चूंकि इस मौसम में फ्लू के मामले भी आते हैं। अगर मरीज को बुखार के साथ खांसी, जुकाम और गला खराब होने जैसे लक्षण हैं तो संभव है कि गले का संक्रमण हुआ हो। अगर बुखार के साथ सिरदर्द, कमर दर्द और आंखों के पीछे दर्द है तो डेंगू की आशंका होती है। पहले पांच दिन में डेंगू एनएस। का टेस्ट होता है, इसके बाद डेंगू आइजीएम टेस्ट होता है। ये टेस्ट डाक्टर की सलाह पर करवाने चाहिए। अगर मरीज की हालत ज्यादा खराब है तो ड्रिप चढ़ाने की जरूरत होती है। जिन्हें पहले डेंगू हो चुका है, तो उन्हें दोबारा होने पर खतरा अधिक रहता है।

बढ़ाएं सतर्कता

• डेंगू का मच्छर दिन में काटता है, इसलिए पूरी बांह के कपड़े पहनने चाहिए। • गमलों और अन्य स्थानों पर पानी जमा न होने दें। बाहर जा रहे हैं तो मच्छरों से बचने के लिए क्रीम आदि का प्रयोग कर सकते हैं।

• घर में किसी को डेगू है तो अन्य लोगों में भी मच्छरों से फैल सकता है। मरीज से मरीज को डेंगू नहीं होता। घर में और आसपास साफ-सफाई का ध्यान रखें।

Pratibha S Amit Kumar Trivedi Ragini Shukla AstroGuru Dr. Dhananjay Mani Tripathi Fans Club AstroGuru DrDhananjay Mani डॉ धनंजय मणि त्रिपाठी AstroGuru Brajesh Pathak Divya Prakash Dubey पिया बावरी Gorakhnath Patel

Sun set
09/11/2024

Sun set

47 साल की उम्र में भी डाॅ धनंजय मणि कईयों के लिए फिटनेस इंस्पिरेशन हैं। क्योंकि वह इस उम्र में भी एक प्रोफ़ेशनल धावक की ...
09/11/2024

47 साल की उम्र में भी डाॅ धनंजय मणि कईयों के लिए फिटनेस इंस्पिरेशन हैं। क्योंकि वह इस उम्र में भी एक प्रोफ़ेशनल धावक की तरह दुनियाभर के अलग-अलग प्रतियोगिताओं में भाग ले रहेें हैं। ऐसा नहीं है कि वह बचपन से धावक की तैयारी कर रहे थे, दरअसल डाॅ धनंजय मणि ने 40 की उम्र में दौड़ना सीखा था जिसके बाद उनका यह शौक़ जीवन का पैशन बन गया।

गोरखपुर विश्वविद्यालय से पीएचडी और लंडन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर डाॅ धनंजय मणि पेशे से एक एस्ट्रोलाजर है। तमाम व्यावसायिक व्यस्तताओं के बावजूद अपने आप के लिए समय निकालने के लिए उन्होंने 2022 में मैराथन के लिए तैयारी करना शुरू किया। उन्होंने पहले तो अपने इस शौक़ को टाइम पास जैसा समझा लेकिन धीरे-धीरे जब रूचि बढ़ने लगी तो अपने कोच की मदद से उन्होंने इसे प्रोफ़ेशनल लेवल पर ले जाने का फैसला किया।

उनकी कड़ी मेहनत और जूनून का नतीजा यह रहा कि उन्हें 45-50 आयु वर्ग में राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लेने का मौका मिला। फिर 2023 में, उन्होंने न्यू जर्सी सीनियर ओलंपिक चैम्पियनशिप में तीन स्वर्ण पदक जीते और इस जीत से उनका उत्साह दुगुना हो गया।

डॉ धनंजय मणि ने फिर पीछे मुड़कर कभी नहीं देखा और अब तक वह राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में 100 से अधिक पदक जीत चुके हैं।

डॉ धनंजय मणि सिर्फ एक अच्छे धावक और शिक्षक ही नहीं बल्कि एक उद्यमी और सामाजिक कार्यकर्ता भी हैं। साथ ही उन्होंने लगभग 21 सालों तक विभिन्न दैनिक समाचार पत्रों जैसे अमर उजाला, दैनिक जागरण और द टाइम्स ऑफ इंडिया में पत्रकारिता भी की है।

डॉ धनंजय मणि कहते हैं "मेरा मानना ​​है कि लोग उम्र की परवाह किए बिना प्रयास करें तो किसी भी उम्र में कठिन से कठिन लक्ष्य भी हासिल कर सकते हैं।"

09/11/2024

नवोदय विद्यालय प्रवेश परीक्षा के लिए मार्गदर्शन

मैं अपनी ट्रेनिंग पूरी करके आज घर जा रहा हूँ। मन में राकेश रोशन वाला गाना गूँज रहा है। आज उनसे पहली मुलाकात होगी। वास्तव...
13/10/2024

मैं अपनी ट्रेनिंग पूरी करके आज घर जा रहा हूँ। मन में राकेश रोशन वाला गाना गूँज रहा है। आज उनसे पहली मुलाकात होगी। वास्तव में आज मेरी उनसे कोई मुलाकात नहीं होनी है । पर मुझे घर पर बुलाया इसीलिए गया है कि मेरी शादी पक्की की जा सके । अरे भाई क्या अब भी शादी नहीं करूँगा । यूपीएससी का इम्तिहान पास करके इंडियन रेवेन्यू सर्विस में मेरी नौकरी लगी है। चाहता तो था कि और अच्छे नंबर आते तो शायद आईएएस बन सकता था। पर ठीक है यह भी तो कम नहीं है ।

मालूम है नौंवी या दसवी में जब एक बार हम सब क्लास में बात कर रहे थे, तब वह अपनी सहेली से बोली थी,"तेरी शादी किसी टीचर से ही होगी। क्योंकि तेरे तो सभी रिश्तेदार टीचर ही है । मेरी माँ कहती हैं ऐसा होता है। देखो मेरी शादी तो किसी आईएस से ही होगी । क्योंकि मेरे सभी रिश्तेदार मौसा जी, मामा, नाना सभी आईएस है"।

मैं सोच में पड़ गया, क्या सच में ऐसा होता होगा ? अगर ऐसा हुआ तो क्या मैं कभी कुछ नहीं बन पाऊँगा ? नहीं नहीं यह सब फालतू की बकवास है । ऐसा कुछ नहीं होता, पर आँखें एक छोटा सा ख़्वाब देखने लग गयी कि अगर मैं आईएस बन जाता हूँ तो शायद उससे शादी कर पाऊँगा।

उससे किससे ? अरे वही जो क्लास में बता रही थी कि उसके सभी रिश्तेदार आईएस है । वैसे वह थी भी बहुत ही खूबसूरत। वह कहते हैं ना खूबसूरत तो थी ही शायद अमीर होने के कारण उसमें नजाकत भी बहुत थी । दिल की अच्छी भी थी। वैसे बचपन में सभी दिल के अच्छे होते हैं । मैं एक साधारण सा लड़का था और वह चाँद सी थी। मैं उसे निहारता रहता था पर पाने की ख्वाहिश नहीं कर सकता था । वैसे भी वह सिर्फ मेरा ही ख़्वाब नहीं, पूरे क्लास के लड़कों का ख़्वाब थी। कुछ एक अमीर लड़के उसे हमेशा घेरे रहते थे । उसके लिए गिफ्ट लाते, पार्टी देते । उनका अपना अलग समूह था । मुझे मालूम था कुछ ख़्वाब कभी पूरे नहीं होते I तो मैंने अपना ख़्वाब बदल लिया था । अब मेरा ख़्वाब आईएस बनना था और मैंने अपने आप को पूरी तरह से पढ़ाई में झोक दिया था ।

कुछ बच्चे जन्मजात विलक्षण होते हैं। मैं उनमें से नहीं था । पर मैं मेहनत में विश्वास करता था I दसवीं और बारहवीं दोनों में ही मेरे ठीक-ठीक नंबर थे, मतलब सत्तर पचहत्तर प्रतिशत मार्क्स थे I हाँ नब्बे प्रतिशत लाने वालों से तो काफी पीछे था । पर नंबरों की कमी, मेरी आँखों से मेरा ख़्वाब धुंधला नहीं कर पाई । ग्रेजुएट करके मैं और जोर शोर से आईएस की तैयारी करने लगा । मेरी इतनी हैसियत तो नहीं थी कि मैं आईएस की कोचिंग कर पाता। पर मेरे कुछ दोस्त कोचिंग कर रहे थे । मैं उनके संपर्क में था और उनके नोट्स से तैयारी कर रहा था ।

सच कहते हैं लोग कि मेहनत का फल तो मिलता ही है । मैंने भी पहली ही कोशिश में प्री और मेंस पास कर लिया था। हमेशा की तरह नंबर इतने ज्यादा अच्छे नहीं थे तो रैंक भी ठीक ठीक ही थी । मैं चाहता था मैं वापस से एग्जाम देकर अपनी रैंक और अच्छी करूँ । पर पिताजी ने रोक दिया, जो मिला है पहले उसको स्वीकार कर लो । अगर तुम्हें लगता है तुम इससे अच्छा कर सकते हो तो नौकरी करते करते आगे की तैयारी करते रहना । मुझे यह बात भी सही लगी । अभी तो मेरे पास उम्र के कई साल है । तो बस इंटरव्यू पास करके ट्रेनिंग के लिए चला गया था।

आँखों के ख़्वाब भले ही बदल गए हो । पर कुछ ख़्वाब आँखों से कभी जाते नहीं है। एक ख़्वाब बनकर वह हमेशा मेरी आँखो में रही। उसी एक ख़्वाब ने मुझे दूसरा ख़्वाब देखने को प्रेरित किया । कॉलेज से निकलने के बाद वैसे तो मैं उसके संपर्क में नहीं था पर एक ही शहर में रहने के कारण कभी कभार वह मुझे दिख जाती थी। दिल तो करता था और लड़कों की तरह उसके पीछे जाऊँ। उसको देखने के लिए एक निश्चित जगह पर खड़े हो जाऊँ। पर मुझे मालूम था यह सब करने से वह तो क्या कोई भी लड़की प्रसन्न नहीं होगी। चाँद को पाने के लिए मुझे अपनी ऊँचाई अपना कद बढ़ाना होगा । पर क्या अब तक मेरा चाँद मेरा इंतजार कर रहा होगा ? मैंने कभी उसको बताया भी तो नहीं था ? मैंने सिर झटक दिया । कुछ ख़्वाब आँखों में ही अच्छे लगते हैं। हे भगवान तूने अब तक जो भी कुछ मुझे दिया उसका शुक्रिया । वह मिले ना मिले यह मेरे मुकद्दर की बात है I

एक झटके से ट्रेन रुकने से मैं अपने वर्तमान में आ गया । देखा तो मेरा स्टेशन आ गया था । सामान लेकर नीचे उतरा तो हमेशा की तरह पापा इंतजार कर रहे थे। घर पहुँचा, सबसे मिला । माँ और बहन तो बहुत ही उत्सुक थे । मौका मिलते ही माँ ने बोला, "रुक तुझे फोटो दिखाती हूँ। पर तब से मेरे बचपन के, मोहल्ले के कुछ दोस्त आ गए। मैं उनके साथ शहर घूमने निकल गया। माँ को बोला, "माँ कल जा ही रहे हैं । तुमने देखी है ना, बस।

कुछ दिन पूर्व हुए वीडियो कॉलिंग के दौरान ,यह माँ भी ना मुझसे पूछ रही थी, कोई पसंद हो तो बता दो । मैंने बोला बहुत देर कर दिया । जब मेरी पसंद की लड़की से ही शादी करवानी थी तो पहले बता देती । मुझे तो लगा था की अंतरजातिय या किसी अन्य मेरी पसंद की लड़की से शादी के लिए तुम लोग तैयार ही नहीं होंगे । तो इसके लिए मैंने कभी सोचा ही नहीं । बहन चिढ़ाते हुए बोली, "वाह भाई शक्ल देखी हैं तेरी जैसे. . . तेरा तो बहुत मन करता होगा पर तुझे पंसद कौन करती ? ना चाहते हुए भी मेरी आँखों में उसका चेहरा घूम गया । कहाँ होगी ? क्या कर रही होगी ? अब तक तो शायद बच्चों की माँ भी बन गई हो ? या हो सकता है वह भी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रही हो ? पता नहीं कभी उससे इस बारे में बात ही नहीं हुई कि वह क्या बनना चाहती है ? वैसे शायद ऐसा होता तो मेरे दोस्तों को पता होता ।

हम दोस्तों में कभी लड़कियों को लेकर कोई बात हुई ही नहीं । मन तो कर रहा था कि एक बार पूछू कहाँ है वह ? आज तो मैं अच्छी पोस्ट पर हूँ। क्या जाकर एक बार उसको पूंछू ? क्या मेरा नसीब साथ देगा ? क्या अभी तक उसकी शादी नहीं हुई होगी ? क्या सिर्फ मेरी पोस्ट देखकर वह मुझे हाँ बोलेगी ? क्या वह मेरी हंसी तो नहीं उडाएगी? जाने दो वैसे भी अब मम्मी पापा ने रिश्ते की बात कर ही ली है । अब यह सब बातें उठाना दोनों परिवारों को दुखी कर जाएगा । शायद मुझे जब मम्मी ने पूछा था तभी उनको बताना चाहिए था । शायद मुझे थोड़ी सी हिम्मत दिखानी चाहिए थी ।

दूसरे दिन तैयार होकर हम सब लड़की वालों के घर गए । वास्तव में घर नहीं एक मॉल में मिलने का प्रोग्राम था । पर फिर सुबह ही उनका फोन आया कि बेहतर होगा आप घर पर ही आ जाए। हमें क्या परेशानी होती तो हम उनके घर चले गए । घर तो बहुत आलीशान था । इतने बड़े घर की बेटी क्या हमारे घर में एडजस्ट कर पाएगी ? मैंने माँ की और देखा । मेरी उलझन समझकर माँ मुस्कुराते हुए बोली, "रहना तो उसे तेरे साथ ही है । तू क्यों चिंता कर रहा है"? मैं कुछ नहीं बोला। घर के अंदर हमारा बहुत अच्छे से स्वागत हुआ । घर के अंदर प्रवेश करते ही आकाशी रंग के सलवार कुर्ते में मुझे लगा मैंने उसको देखा है । मैं मुस्कुरा दिया। क्या मेरा प्रेम उस सीमा तक पहुँच गया है कि हर जगह मुझे वही दिखाई दे रही है । क्या जो लड़की मैं देखने आया हूँ कहीं उसमें भी मुझे वही ना दे जाए। और ऐसा ही हुआ ! हमारे ड्राइंग रूम में बैठने के साथ ही मेरी नजर अंदर दरवाजे से आते हुए उस पर पड़ी lअपनों के लिए सबसे अच्छे उपहार

आकाशी रंग के सलवार कुर्ते पर बाँधनी का दुपट्टा, छोटी सी बिंदी, गहरी नीली रंग की हाथ में चूड़ियाँ, यह तो वही थी । मेरी आँखों का ख़्वाब, मेरी आँखों के सामने । क्या मैं उसकी किसी सहेली को देखने आया हूँ ? वह मुझे देख कर मुस्कुरायी। मैं सोच रहा था, अगर यही वह लड़की है तो यह तो पक्का मुझे ना बोल देगी।

हमें आपस में दस मिनट बात करने का मौका दिया गया । मैंने उससे बोला शायद आपको याद नहीं, मैं आपके क्लास में था। वह बोली, "बहुत ही अच्छी तरह से याद है। आप क्लास में भी कितने शांत और शर्मीले थे और अपनी पढ़ाई की तरफ एकदम फोकस | कभी किसी लड़की को तो आपने आँख उठाकर भी नहीं देखा था । बस इसीलिए आपकी फोटो देखते ही मैंने शादी के लिए हाँ कह दी "।

मैं मन ही मन सोच रहा था, अच्छा हुआ मैंने अपना ख़्वाब बदल लिया था । अगर मैं ख़्वाब रूपी चेहरे के पीछे भागता तो शायद मुझे कुछ हासिल नहीं होता। पर मैंने अपना ख़्वाब अपना लक्ष्य जीवन में कुछ बनना, कुछ बनकर दिखाना रखा, तो आज अनजाने में मेरा पहला ख़्वाब भी पूरा हो गया। जीवन मे सफलता के साथ मुझे मेरा प्यार भी मिल गया।

इस कहानी के माध्यम से मुझे सिर्फ इतना ही कहना है कि प्यार किस्मत से मिलता है और सफलता मेहनत से । इसलिए प्यार के लिए मेहनत कर के, सफलता को किस्मत पर ना छोड़े। सफलता के लिए मेहनत करें किस्मत में प्यार होगा तो मिल ही जाएगा।

08/10/2024

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01/10/2024

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