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 #विश्व_इतिहास में एकलौता उदाहरण .हमने सुनी कहानी थी।"हाड़ी-रानी""सिसोदिया कुलभूषण, क्षत्रिय शिरोमणि महाराणा राजसिंह को र...
21/07/2023

#विश्व_इतिहास में एकलौता उदाहरण .

हमने सुनी कहानी थी।
"हाड़ी-रानी"
"सिसोदिया कुलभूषण, क्षत्रिय शिरोमणि महाराणा राजसिंह को रूपनगर की राजकुमारी का प्रणाम। महाराज को विदित हो कि मुगल औरंगजेब ने मुझसे विवाह का आदेश भेजा है। आप वर्तमान समय में क्षत्रियों के सर्वमान्य नायक हैं। आप बताएं, क्या पवित्र कुल की यह कन्या उस मलेच्छ का वरण करे? क्या एक राजहंसिनी एक गिद्ध के साथ जाए?
महाराज! मैं आपसे अपने पाणिग्रहण का निवेदन करती हूँ। मुझे स्वीकार करना या अस्वीकार करना आपके ऊपर है, पर मैंने आपको पति रूप में स्वीकार कर लिया है। अब मेरी रक्षा का भार आपके ऊपर है। आप यदि समय से मेरी रक्षा के लिए न आये तो मुझे आत्महत्या करनी होगी। अब आपकी...."
मेवाड़ की राजसभा में रूपनगर के राजपुरोहित ने जब पत्र को पढ़ कर समाप्त किया तो जाने कैसे सभासदों की कमर में बंधी सैकड़ों तलवारें खनखना उठीं।
महाराज राजसिंह अब प्रौढ़ हो चुके थे। अब विवाह की न आयु बची थी न इच्छा, किन्तु राजकुमारी के निवेदन को अस्वीकार करना भी सम्भव नहीं था। वह प्रत्येक निर्बल की पीड़ा को अपनी पीड़ा समझने वाले राजपूतों की सभा थी। वह अपनी प्रतिष्ठा के लिए सैकड़ों बार शीश चढ़ाने वाले क्षत्रियों की सभा थी। फिर एक क्षत्रिय बालिका के इस समर्पण भरे निवेदन को अस्वीकार करना कहाँ सम्भव था! पर विवाह...? महाराणा चिंतित हुए।
महाराणा मौन थे पर राजसभा मुखर थी। सब ने सामूहिक स्वर में कहा, "राजकुमारी की प्रतिष्ठा की रक्षा करनी ही होगी महाराज! अन्यथा यह राजसभा भविष्य के सामने सदैव अपराधी बनी कायरों की भाँती खड़ी रहेगी। हमें रूपनगर कूच करना ही होगा।
महाराणा ने कुछ देर सोचने के बाद कहा, "हम सभासदों की भावना का सम्मान करते हैं। राजकुमारी की रक्षा करना हमारा कर्तव्य है, और हम अपने कर्तव्य से पीछे नहीं हटेंगे। राजकुमारी की रक्षा के लिए आगे आने का सीधा अर्थ है औरंगजेब से युद्ध करना, सो सभी सरदारों को युद्ध के लिए तैयार होने का सन्देश भेज दिया जाय। हम कल ही रूपनगर के लिए कूच करेंगे।
महाराणा रूपनगर के लिए निकले, और इधर औरंगजेब की सेना उदयपुर के लिए निकली। युद्ध अब अवश्यम्भावी था।
सलूम्बर के सरदार रतन सिंह चुण्डावत के यहाँ जब महाराणा का संदेश पहुँचा, तब रतन सिंह घर की स्त्रियों के बीच नवविवाहिता पत्नी के साथ बैठे विवाह के बाद चलने वाले मनोरंजक खेल खेल रहे थे। उनके विवाह को अभी कुल छह दिन हुए थे। उन्होंने जब महाराणा का सन्देश पढ़ा तो काँप उठे। औरंगजेब से युद्ध का अर्थ आत्मोत्सर्ग था, यह वे खूब समझ रहे थे। खेल रुक गया, स्त्रियाँ अपने-अपने कक्षों में चली गईं। सरदार रतन सिंह की आँखों के आगे पत्नी का सुंदर मुखड़ा नाचने लगा। उनकी पत्नी बूंदी के हाड़ा सरदारों की बेटी थी, अद्भुत सौंदर्य की मालकिन...
प्रातः काल मे मेघों की ओट में छिपे सूर्य की उलझी हुई किरणों जैसी सुंदर केशराशि, पूर्णिमा के चन्द्र जैसा चमकता ललाट, दही से भरे मिट्टी के कलशों जैसे कपोल, अरुई के पत्ते पर ठहरी जल की दो बड़ी-बड़ी बूंदों सी आँखे, और उनकी रक्षा को खड़ी आल्हा और ऊदल की दो तलवारों सी भौहें, प्रयागराज में गले मिल रही गङ्गा-यमुना की धाराओं की तरह लिपटे दो अधर, नाचते चाक पर कुम्हार के हाथ में खेलती कच्ची सुराही सी गर्दन... ईश्वर ने हाड़ी रानी को जैसे पूरी श्रद्धा से बनाया था। सरदार उन्हें भूल कर युद्ध को कैसे जाता?
रतन सिंह ने दूत को विश्राम करने के लिए कहा और पत्नी के कक्ष में आये। सप्ताह भर पूर्व वधु बन कर आई हाड़ी रानी से महाराणा का संदेश बताते समय बार-बार काँप उठते थे रतन सिंह, पर रानी के चेहरे की चमक बढ़ती जाती थी। पूरा सन्देश सुनने के बार सोलह वर्ष की हाड़ा राजकुमारी ने कहा, " किसी क्षत्राणी के लिए सबसे सौभाग्य का दिन वही होता है जब वह अपने हाथों से अपने पति के मस्तक पर तिलक लगा कर उन्हें युद्ध भूमि में भेजती है। मैं सौभाग्यशाली हूँ जो विवाह के सप्ताह भर के अंदर ही मुझे यह महान अवसर प्राप्त हो रहा है। निकलने की तैयारी कीजिये सरदार! मैं यहाँ आपकी विजय के लिए प्रार्थना और आपकी वापसी की प्रतीक्षा करूंगी।"
रतन सिंह ने उदास शब्दों में कहा, "आपको छोड़ कर जाने की इच्छा नहीं हो रही है।युद्ध क्षेत्र में भी आपकी बड़ी याद आएगी! सोचता हूँ, मेरे बिना आप कैसे रहेंगी।"
रानी का मस्तक गर्व से चमक उठा था। कहा," मेरी चिन्ता न कीजिये स्वामी! अपने कर्तव्य की ओर देखिये। मैं वैसे ही रहूंगी जैसे अन्य योद्धाओं की पत्नियाँ रहेंगी। और फिर कितने दिनों की बात ही है, युद्ध के बाद तो पुनः आप मेरे ही संग होंगे न!"
रतन सिंह ने कोई उत्तर नहीं दिया। वे अपनी टुकड़ी को निर्देश देने और युद्ध के लिए कूच करने की तैयारी में लग गए। अगली सुबह प्रस्थान के समय जब रानी ने उन्हें तिलक लगाया तो रतन सिंह ने अनायास ही पत्नी को गले लगा लिया। दोनों मुस्कुराए, फिर रतन सिंह निकल गए।
तीसरे दिन युद्ध भूमि से एक दूत रतन सिंह का पत्र लेकर सलूम्बर पहुँचा। पत्र हाड़ी रानी के लिए था। लिखा था-
" आज हमारी सेना युद्ध के पूरी तरह तैयार खड़ी है। सम्भव है दूसरे या तीसरे दिन औरंगजेब की सेना से भेंट हो जाय। महाराणा रूपनगर गए हैं सो उनकी अनुपस्थिति में राज्य की रक्षा हमारे ही जिम्मे है। आपका मुखड़ा पल भर के लिए भी आँखों से ओझल नहीं होता है। आपके निकट था तो कह नहीं पाया, अभी आपसे दूर हूँ तो बिना कहे रहा नहीं जा रहा है। मैं आपसे बहुत प्रेम करता हूँ। आपका- सरदार रतन सिंह चूंडावत।"
रानी पत्र पढ़ कर मुस्कुरा उठीं। किसी से स्वयं के लिए यह सुनना कि "मैं आपको बहुत प्रेम करता हूँ" भाँग से भी अधिक मता देता है। रानी ने उत्तर देने के लिए कागज उठाया और बस इतना ही लिखा-
"आपकी और केवल आपकी...."
पत्रवाहक उत्तर ले कर चला गया। दो दिन के बाद पुनः पत्रवाहक रानी के लिए पत्र ले कर आया। इसबार रतन सिंह ने लिखा था-
"उसदिन के आपके पत्र ने मदहोश कर दिया है। लगता है जैसे मैं आपके पास ही हूँ। हमारी तलवार मुगल सैनिकों के सरों की प्रतीक्षा कर रही है। कल राजकुमारी का महाराणा के साथ विवाह है। औरंगजेब की सेना भी कल तक पहुँच जाएगी। औरंगजेब भड़का हुआ है, सो युद्ध भयानक होगा। मुझे स्वयं की चिन्ता नहीं, केवल आपकी चिन्ता सताती है।"
रानी ने पत्र पढ़ा, पर मुस्कुरा न सकीं। आज उन्होंने कोई उत्तर भी नहीं भेजा। पत्रवाहक लौट गया। अगले दिन सन्ध्या के समय पत्रवाहक पुनः पत्र लेकर उपस्थित था। रानी ने उदास हो कर पत्र खोला। लिखा था-
"औरंगजेब की सेना पहुँच चुकी। प्रातः काल मे ही युद्ध प्रारम्भ हो जाएगा। मैं वापस लौटूंगा या नहीं, यह अब नियति ही जानती है। अब शायद पत्र लिखने का मौका न मिले,सो आज पुनः कहता हूँ, मैंने अपने जीवन मे सबसे अधिक प्रेम आपसे ही किया है। सोचता हूँ, यदि युद्ध में मैं वीरगति प्राप्त कर लूँ तो आपका क्या होगा। एक बात पूछूँ- यदि मैं न रहा तो क्या आप मुझे भूल जाएंगी? आपका- रतन सिंह।"
हाड़ा रानी गम्भीर हुईं। वे समझ चुकीं थीं कि रतन सिंह उनके मोह में फँस कर अपने कर्तव्य से दूर हो रहे हैं। उन्होंने पल भर में ही अपना कर्तव्य निश्चित कर लिया। उन्होंने सरदार रतन सिंह के नाम एक पत्र लिखा, फिर पत्रवाहक को अपने पास बुलवाया। पत्रवाहक ने जब रानी का मुख देखा तो काँप उठा। शरीर का सारा रक्त जैसे रानी के मुख पर चढ़ आया था, केश हवा में ऐसे उड़ रहे थे जैसे आंधी चल रही हो। सोलह वर्ष की लड़की जैसे साक्षात दुर्गा लग रही थी। उन्होंने गम्भीर स्वर में पत्रवाहक से कहा-"मेरा एक कार्य करोगे भइया?"
पत्रवाहक के हाथ अनायास ही जुड़ गए थे। कहा, "आदेश करो बहन"
"मेरा यह पत्र और एक वस्तु सरदार तक पहुँचा दीजिये।"
पत्रवाहक ने हाँ में सर हिलाया। रानी ने आगे बढ़ कर एक झटके से उसकी कमर से तलवार खींच ली, और एक भरपूर हाथ अपनी ही गर्दन पर चलाया। हाड़ी रानी का शीश कट कर दूर जा गिरा। पत्रवाहक भय से चिल्ला उठा, उसके रोंगटे खड़े गए थे।
अगले दिन पत्रवाहक सीधे युद्धभूमि में रतन सिंह के पास पहुँचा और हाड़ी रानी की पोटली दी। रतन सिंह ने मुस्कुराते हुए लकड़ी का वह डब्बा खोला, पर खुलते ही चिल्ला उठे। डब्बे में रानी का कटा हुआ शीश रखा था। सरदार ने जलती हुई आँखों से पत्रवाहक को देखा, तो उसने उनकी ओर रानी का पत्र बढ़ा दिया। रतन सिंह ने पत्र खोल कर देखा। लिखा था-
"सरदार रतन सिंह के चरणों में उनकी रानी का प्रणाम। आप शायद भूल रहे थे कि मैं आपकी प्रेयसी नहीं पत्नी हूँ। हमने पवित्र अग्नि को साक्षी मान कर फेरे लिए थे सो मैं केवल इस जीवन भर के लिए ही नहीं, अगले सात जन्मों तक के लिए आपकी और केवल आपकी ही हूँ। मेरी चिन्ता आपको आपके कर्तव्य से दूर कर रही थी, इसलिए मैं स्वयं आपसे दूर जा रही हूँ। वहाँ स्वर्ग में बैठ कर आपकी प्रतीक्षा करूँगी। रूपनगर की राजकुमारी के सम्मान की रक्षा आपका प्रथम कर्तव्य है, उसके बाद हम यहाँ मिलेंगे। एक बात कहूँ सरदार? मैंने भी आपसे बहुत प्रेम किया है। उतना, जितना किसी ने न किया होगा।"
रतन सिंह की आँखों से अश्रुधारा बहने लगी। वे कुछ समय तक तड़पते रहे, फिर जाने क्यों मुस्कुरा उठे। उनका मस्तक ऊँचा हो गया था, उनकी छाती चौड़ी हो गयी थी। उसके बाद तो जैसे समय भी ठहर कर रतन सिंह की तलवार की धार देखता रहा था। तीन दिन तक चले युद्ध में राजपूतों की सेना विजयी हुई थी, और इस युद्ध मे सबसे अधिक रक्त सरदार रतन सिंह की तलवार ने ही पिया था। वह अंतिम सांस तक लड़ा था। जब-जब शत्रु के शस्त्र उसका शरीर छूते, वह मुस्कुरा उठता था। एक-एक करके उसके अंग कटते गए, और अंत मे वह अमर हुआ।
रूपनगर की राजकुमारी मेवाड़ की छोटी रानी बन कर पूरी प्रतिष्ठा के साथ उदयपुर में उतर चुकी थीं। राजपूत युद्ध भले अनेक बार हारे हों, प्रतिष्ठा कभी नहीं हारे। राजकुमारी की प्रतिष्ठा भी अमर हुई।
महाराणा राजसिंह और राजकुमारी रूपवती के प्रेम की कहानी मुझे ज्ञात नहीं। मुझे तो हाड़ी रानी का मूल नाम भी नहीं पता। हाँ! यह देश हाड़ा सरदारों की उस सोलह वर्ष की बेटी का ऋणी है, यह जानता हूँ मैं।

इस धरती पर  #माँ से बड़ा कोई योद्धा नहीं होती  😰😰😰       खरीद लिया करो इनसे बिन भाव के  साहब 🙏🙏ये लोग अमीरी के लिए नहीं ...
21/07/2023

इस धरती पर #माँ से बड़ा कोई योद्धा नहीं होती 😰😰😰
खरीद लिया करो इनसे बिन भाव के साहब 🙏🙏
ये लोग अमीरी के लिए नहीं 2 वक्त की रोटी के लिए यहां बैठे हैं😭😭


आज मैं  instagram पर एक न्यूज़ पढ़ी  कैसे हॉस्पिटल और डॉक्टर मिलकर एक बेटे को ५३ लाख का बिल थामा कर बोलता हैं पैसे  जमा ...
21/07/2023

आज मैं instagram पर एक न्यूज़ पढ़ी कैसे हॉस्पिटल और डॉक्टर मिलकर एक बेटे को ५३ लाख का बिल थामा कर बोलता हैं पैसे जमा करो और अपनी मां की बॉडी ले जाऊं , पूरी जांच के बाद पता चला की उसकी मां को कोई गंभीर बीमारी ही नही थी ।
पूरी घटना कर्म सुन कर मुझे भी मेरे अनुभव याद आ गए
हॉस्पिटल से तो मेरे परिवार का नाता ऐसा हो गया हैं मानो परोस में मौसी का घर हो । घर में हर किसी को कुछ न कुछ बीमारी है , छोटी तो दूर की बात बारी से बारी बीमारी भी मेरे घर में हैं ।
पापा के इलाज के लिए मैं दिल्ली गई थी साथ में, सरकारी अस्पताल Safdujung Hospital में बायोप्सी test वाली मशीन खबर थी हमें टेस्ट के लिए AIIMS refure किया गया वहा १ महीने चप्पल घिसने के बाद भी काम नही होते देख हार मानकर प्राइवेट अस्पताल में गए टेस्ट करवाने गए।
रोहिणी सेक्टर - 22 Shree Aggarsain International Hospital
Recaption counter पर पूछी ये टेस्ट लिखा गया हैं यह पर हो जायेगी ? उन्होंने कहा दूसरी मंजिल पर होती हैं
आप जा कर बात कर लीजिए । वहा के डॉक्टर बातो से अच्छा लगा उन्होंने समझा कर कहा की इनका पहले का रिर्पोट देख कर पता चलता हैं की इस कैश में बायोप्सी पॉसिबल नही हैं ( ये बात हमे भी मालूम थी क्यूंकि कोलोनोस्कोपी बड़े आत तक ही जाती हैं , समस्या छोटी आत में थी ) एफएनसी FNAC करना होगा । मुझे दूसरे डॉक्टर के पास भेजा वहा गई , पहले बोला गया की डॉक्टर का पर्चा बनवालो call par 600/- rupiya fee बताई गई थी वहा जाने पर 800/- rupaye लिया गया बहुत समय इंतजार के बाद हमारी बारी आई अधिक भीड़ भी नही थी ।
उन्होंने पूरी जानकारी ली उसके बाद बोले हो जायेगा उसे पहले आप एक टेस्ट हैं PAT CT ये कारवालो ये वहा से मत करवाना मैं address देता हु वहा से करवालो reoprt अच्छा होता हैं । PAT CT ( 10,000-30,000) तक की होती हैं ।
में बोली मुझे ये टेस्ट नही करवानी आप FNAC कर सकते हैं तो कर दीजिए इतना सुनते ही उसके बात करने का लहजा ही बदल गया।
उसने कहा ठीक हैं बाहर वैट करो २ घंटे इंतजार किए फिर मैं अंडर गई वो नर्स के साथ मजे कर रहा था हाथ थामे ,
मैं बोली सर , FNAC टेस्ट होगा या नही ? वो बोले कल आवो देखेंगे होगा तो करदेंगे ।
मै बोली - कितना लगेगा ?
कल देखेंगे उसके बाद बोलेंगे डॉक्टर ने कहा ( मानो ऐसा लग रहा था जैसे डिमांड और शाफलाय चल रही
हो )
दूसरे दिन दिल नही किया जाने को फिर पंजाबी बाग में
महराजा अग्रसेन अस्पताल है वही पर 3500/- rs जमा किए 30 min test में समय लगी 2 दिन बाद रिपोर्ट दिया गया।

एक छोटी सी टेस्ट के लिए मुझे AIIMS में महीनो भागने परे भीर भी नही हुआ ।
और Shree Aggarsain International Hospital
की लूट का क्या ही बोलना ।

©️ - Rakhi jha

#दिल्ली

तन पर साड़ी, माथे पर कुंकुम और गले में मंगलसूत्र पहने ये महिलाएं कोई  गरीब ,गंवार, कृषक या घरेलू कामवाली बाईयां नहीं बल्...
20/07/2023

तन पर साड़ी, माथे पर कुंकुम और गले में मंगलसूत्र पहने ये महिलाएं कोई गरीब ,गंवार, कृषक या घरेलू कामवाली बाईयां नहीं बल्कि #इसरो की #वैज्ञानिक हैं जिन्होंने हाल में ही #चंद्रयान_3 को सफलतापूर्वक लॉन्च किया।🙏🙏🙏🙏🙏 महिलाओं की आजादी के नाम पर पिछले कुछ सालों में टी-शर्ट, जींस और बरमूडा पहनने का चलन आम हो गया है, जिसका खोखलापन इन महिला वैज्ञानिकों ने दिखाया है। इन्हीं वैज्ञानिकों ने पिछले दिनों चंद्रयान के प्रक्षेपण से पहले बालाजी के दर्शन किये थे. यह तस्वीर इस बात का अच्छा उदाहरण है कि संस्कृति कभी भी प्रौद्योगिकी के आड़े नहीं आती। दूसरी ओर, कुछ लोग अल्प ज्ञानी होते हैं और अपनी आत्म-प्रशंसा के लिए धर्म, पूजा और अंतिम संस्कार को अंधविश्वास बताते हैं। कुछ लोग अपने अहंकार को संतुष्ट करने के लिए अंधश्रद्धा निर्मूलन का झुनझुना बजाते हैं, तो कुछ लोग खुद को बहुत बड़ा वैज्ञानिक होने का दिखावा करते रहते हैं। परन्तु वास्तव में ऐसे लोगों को विज्ञान का सामान्य ज्ञान भी नहीं होता;
👍👌💐💐जय हिंद 🇮🇳🇮🇳🇮🇳
शुप्रभात 🙏🏻🙏🏻🙏🏻

Zindagi ki guthi Kavita se bhi sulachh sakti hain 👌🤟
05/07/2023

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