07/08/2024
विनेश फोगाट की कहानी उनके संघर्षों और अडिग संकल्प की कहानी है, हरियाणा के बलाली गांव में एक पहलवान परिवार में जन्मी विनेश ने कई कठिनाइयों का सामना किया है, 2016 रियो ओलंपिक्स में गंभीर घुटने की चोट से उनका करियर लगभग खत्म हो गया था, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी,उन्होंने न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक संघर्ष भी किया और खेल में वापसी की
पेरिस ओलंपिक्स 2024 से पहले, विनेश को भारतीय कुश्ती संघ (WFI) के साथ कई विवादों का सामना करना पड़ा उन्होंने और अन्य शीर्ष पहलवानों ने संघ पर प्रबंधन की खराबी, प्रशिक्षण सुविधाओं की कमी और चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी का आरोप लगाया,इन विवादों ने न केवल उनके प्रशिक्षण और तैयारी को प्रभावित किया बल्कि मानसिक तनाव भी बढ़ाया खिलाड़ियों ने बेहतर सुविधाओं और चयन प्रक्रिया में सुधार की मांग करते हुए विरोध प्रदर्शन किए और खेल प्राधिकरण (SAI) और अन्य सरकारी निकायों से समर्थन प्राप्त करने के लिए संघर्ष किया,
सरकार से लेकर सरकार समर्थकों ने कितना कुछ इस लड़की के लिए नही कहा, इतने ओछे आरोप लगाए गए कि कोई भी होता तो टूट जाता, सरकारी आदेश पर पुलिस द्वारा सड़को पर घसीटा गया, हर दिन खून के आंसू रुलाए गए, और उन आसुंओ को भी ड्रामा करार दे दिया गया
इन सभी चुनौतियों के बावजूद, विनेश का संकल्प अडिग रहा,पेरिस ओलंपिक्स में उन्होंने शानदार प्रदर्शन किया, जिसमें उन्होंने पहले क्वार्टरफाइनल में यूक्रेन की ओक्साना लिवाच को 7-5 से हराया और फिर सेमीफाइनल में क्यूबा की युसनेलिस गुज़मैन लोपेज़ को 5-0 से हराकर फाइनल में जगह बनाई, उनकी इस जीत ने उन्हें भारत की पहली महिला पहलवान बना दिया जो ओलंपिक्स के फाइनल में पहुंची
विनेश की यह विजय उन तमाम संघर्षशील आत्माओं के लिए एक प्रेरणा है, जो हर दिन अपने अधिकारों और न्याय के लिए लड़ रहे हैं,यह जीत उन सब के लिए एक करारा जवाब है, जो हमारे खिलाड़ियों की मेहनत और संघर्ष को अनदेखा करते हैं
विनेश फोगाट की यह कहानी एक प्रमाण है कि जब तक हमारी सरकारें और संघ अपने खिलाड़ियों का सही तरीके से समर्थन नहीं करेंगे, तब तक हमारे खिलाड़ियों को अपने हौसले और मेहनत के बल पर ही आगे बढ़ना पड़ेगा, उनकी इस जीत ने साबित कर दिया है कि असली ताकत इरादों और संघर्ष में होती है, न कि सत्ता और पद में!
अंत में बस इतना ही के अब फ्लाइट मोड पर ही रखना लड़की.. खुद को भी और अब अपने फोन को भी!
❤️