Vigilant Indians

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उस पांच सितारा ऑडिटोरियम के बाहर प्रोफेसर साहब की आलीशान कार आकर रुकी , प्रोफेसर बैठने को हुए ही थे कि एक सभ्य सा युगल य...
08/12/2024

उस पांच सितारा ऑडिटोरियम के बाहर प्रोफेसर साहब की आलीशान कार आकर रुकी , प्रोफेसर बैठने को हुए ही थे कि एक सभ्य सा युगल याचक दृष्टि से उन्हें देखता हुआ पास आया और बोला ," साहब , यहां से मुख्य सड़क तक कोई साधन उपलब्ध नही है , मेहरबानी करके वहां तक लिफ्ट दे दीजिए आगे हम बस पकड़ लेंगे । "

रात के साढ़े ग्यारह बजे प्रोफेसर साहब ने गोद मे बच्चा उठाये इस युगल को देख अपने "तात्कालिक कालजयी" भाषण के प्रभाव में उन्हें अपनी कार में बिठा लिया । ड्राइवर कार दौड़ाने लगा ।

याचक जैसा वह कपल अब कुटिलतापूर्ण मुस्कुराहट से एक दूसरे की आंखों में देख अपना प्लान एक्सीक्यूट करने लगा । पुरुष ने सीट के पॉकेट मे रखे मूंगफली के पाउच निकालकर खाना शुरू कर दिया बिना प्रोफेसर से पूछे /मांगे ।
लड़की भी बच्चे को छोड़ कार की तलाशी लेने लगी ।एक शानदार ड्रेस दिखी तो उसने झट से उठा ली और अपने पर लगा कर देखने लगी ।
प्रोफेसर साहब अब सहन नही कर सकते थे ड्राइवर से बोले गाड़ी रोको ,लेकिन ड्राइवर ने गाड़ी नही रोकी बस एक बार पीछे पलटकर देखा , प्रोफेसर को झटका लगा ,अरे ये कौन है उनके ड्राइवर के वेश में ?? वे तीनों वहशियाना तरीके से हंसने लगे , प्रोफेसर साहब को अपने इष्टदेव याद आने लगे ,थोड़ा साहस एकत्रित करके प्रोफेसर साहब ने शक्ति प्रयोग का "अभ्यासहीन " प्रयास करने का विचार किया लेकिन तब तक वह पुरुष अपनी जेब से एक लाइटर जैसा पदार्थ निकाल चुका था और उसका एक बटन दबाते ही 4 इंच का धारदार चाकू बाहर आ चुका था प्रोफेसर साहब की क्रांति समयपूर्व ही गर्भपात को प्राप्त हुई ।

प्रोफेसर साहब समझ चुके थे कि आज कोई बड़ी अनहोनी निश्चित है उन्होंने खुद ही अपना पर्स निकालकर सारे पैसे उस व्यक्ति के हाथ में थमा दिये लेकिन वह व्यक्ति अब उनके आभूषणों की तरफ देखने लगा, दुखी मन से प्रोफेसर साहब ने अपनी अंगूठियां ,ब्रेसलेट और सोने के चेन उतार के उसके हाथ में धर दिए , अब वह व्यक्ति उनके गले में एक और लॉकेट युक्त चैन की तरफ हाथ बढ़ाने लगा । प्रोफेसर साहब याचना पूर्वक बोले - इसे छोड़ दो प्लीज यह मेरे "पुरुखों की निशानी " है जो कुल परंपरा से मुझ तक आई है , इसकी मेरे लिए अत्यंत भावनात्मक महत्ता है । लेकिन वह लुटेरा कहां मानने वाला था उसने आखिर वह निशानी भी उतार ही ली ।
बिना प्रोफ़ेसर साहब के पता बताएं वे लोग उनके आलीशान बंगले के बाहर तक पहुंच गए थे ।
युवक बोला ," लो आ गया घर , ऐसे ढेर सूखे मेवे , कपड़े , पैसा और प्रोफेसर साहब की ल.......
उसकी आँखों मे आई धूर्ततापूर्ण बेशर्म चमक ने शब्द के अधूरेपन को पूर्णता दे दी ।

प्रोफेसर साहब अब पूरे परिवार की सुरक्षा एवं घर पर पड़े अथाह धन-धान्य को लेकर भी चिंतित हो गये उनका रक्तचाप उछाले मारने लगा लेकिन करें भी तो क्या ??
लगे गिड़गिड़ाने ," भैया मैंने आपको आपत्ती में देखकर शरण दी और आप मेरा ही इस तरह शोषण कर रहे हैं यह अनुचित है । ईश्वर का भय मानिए यह निर्दयता की पराकाष्ठा है ।अब तो छोड़ दीजिए मुझे भगवान के लिए ।
प्रोफेसर फूट फूट कर रोने लगे ।।

वे पति पत्नी अपना बच्चा लेकर कार से उतर गये और वह ड्राइवर भी , उनके द्वारा लिया गया सारा सामान उन्होंने वापस प्रोफेसर साहब के हाथ में पकड़ाया और बोले

" क्षमा कीजिएगा सर ! रोहिंग्या मुसलमानों के विषय मे शरणागत वत्सलता पर आज आपके द्वारा उस ऑडिटोरियम मे दिए गए "अति भावुक व्याख्यान" का तर्कसंगत शास्त्रीय निराकरण करने की योग्यता हममें नहीं थी अतः हमें यह स्वांग रचना पड़ा ।
"आप जरा खुद को भारतवर्ष और हमें रोहिंग्या समझ कर इस पूरी घटना पर विचार कीजिए और सोचिये की आपको अब क्या करना चाहिए इस विषय पर । "

वो मूंगफली नही इस देश का अथाह प्राकृतिक संसाधन है जिसकी रक्षार्थ यंहा के सैनिक अपना उष्ण लाल लहू बहाकर करते है सर , मुफ्त नही है यह ।
वो आपकी बेटी/बेटे की ड्रेस मात्र कपड़ा नही है इस देश के नागरिकों के स्वप्न है भविष्य के जिसके लिए यंहा के युवा परिश्रम का पुरुषार्थ करते है ,मुफ्त नही है यह ।
आपकी बेटी / पत्नी मात्र नारी नही है देश की अस्मिता है सर जिसे हमारे पुरुखों ने खून के सागर बहा के सुरक्षित रखा है , खैरात में बांटने के लिए नही है यह ।
आपका ये पर्स अर्थव्यवस्था है सर इस देश की जिसे करोड़ो लोग अपने पसीने से सींचते है , मुफ्त नही है यह ।

और आपके पुरुखों की निशानी यह चैन मात्र सोने का टुकड़ा नही है सर , अस्तित्व है हमारा , इतिहास है इस महान राष्ट्र का जिसे असंख्य योद्धाओ ने मृत्यु की बलिवेदी पर ढेर लगाकर जीवित रखा है , मुफ्त तो छोड़िए इसे किसी ग्रह पर कोई वैज्ञानिक भी उत्पन्न नही कर सकते ।

कुछ विचार कीजिये सर ! कौन है जो खून चूसने वाली जोंक को अपने शरीर पर रहने की अनुमति देता है , एक बुद्धिहीन चौपाया भी तत्काल उसे पेड़ के तने से रगड़ कर उससे मुक्ति पा लेता है ।

उस युवक ने वह लाइटर जैसा रामपुरी चाकू प्रोफेसर साहब के हाथ में देते हुए कहा यह मेरी प्यारी बहन जो आपकी पुत्री है उसे दे दीजिएगा सर क्योंकि अगर आप जैसे लोग रोहिंग्या को सपोर्ट देकर इस देश में बसाते रहे तो किसी न किसी दिन ऐसी ही किसी कार में आपकी बेटी को इसकी आवश्यकता जरूर पड़ेगी

#बांग्लादेशीऔर रोहिंग्या को देश से निकालो....!!

03/20/2024

03/20/2024
03/20/2024

आजकल कांग्रेस एक नया खेल खेल रही है।
वह पब्लिक में यह धारणा फैला रही है कि मोदी की जीत सुनिश्चित है।
और उसके
इस झांसे में बहुत से लोग आने भी लगे है।
यह कितना बड़ा खतरा हो सकता है इसे एक सामान्य बुद्धिवाला मनुष्य नहीं समझ सकता।
यह बीजेपी के मतदाताओं को निश्चिंत कर वोट डालने से विरक्त करने की चाल है।
क्योंकि
विपक्षी दलों के परंपरागत वोट तो शतप्रतिशत डलते आए है और इस बार भी डलेंगे।
लेकिन
बीजेपी का कोर वोटर बहुत जल्दी इन षड्यंत्रों के झांसे में आकर मतदान के महत्वपूर्ण दिनों को एक सिंपल हॉलिडे मानकर सपरिवार छुट्टी मनाने बाहर निकल पड़ता है।
यह ट्रेंड शहरों से अब गांवों तक पहुंचने लगा है।
जबकि
बीजेपी का कोर वोटर या कहें कि उसकी ताकत शहरी वोटर ही है।
अब आप अनुमान लगाइये की "मोदी जी की जीत पक्की है।" इस अफीम के नशे में एक बूथ के 5 परिवार भी मतदान के दिन बाहर निकल जाते है तो मिनिमम 15 से 20 वोट का नुकसान हो जाता है।
अब यदि किसी शहर या महानगर में 50 बूथों पर यह अफीम काम कर गई तो गए ना आपके 1000 वोट?
आज जब मोदी जी एक एक सीट के लिए इतना प्रयास कर रहे है।
अपने बूढ़े शरीर को एक बड़े उद्देश्य की प्राप्ति के लिए खपा रहे है तो क्या एक साथ एक शहर के हजारों वोट का नुकसान क्या हमारी मूर्खता का उदाहरण नही होगा ?
अटल जी के समय कांग्रेस यह खेल सफलता पूर्वक खेल चुकी है।
"इंडिया शायनिंग"
के नाम से और अटल जी मात्र कुछ परसेंट वोट की कमी से पुनः सत्ता में आने से चूक गए थे।
और हम सब उसका घातक परिणाम भी भुगत चुके है।
2004 से 2014 के UPA शासन के दौरान देश गुलामी के लगभग लगभग करीब पहुंच ही चुका था।
वह तो भला हो कि सोनिया का वॉइलेंस बिल संसद से पास नही हो पाया वरना देश से सनातन भी खत्म होना तय ही था।
प्रत्येक मोदी समर्थक को यह चुनाव
"डू आर डाई"
"करो या मरो"
की तर्ज पर लड़ना है।
यह चुनाव प्रत्याशी या पार्टी नही लड़ रही है।
यह चुनाव मोदी जी लड़ रहे है और
हमे भी इस लड़ाई में भले ही गिलहरी की तरह का योगदान देना हो पर देना ही है।
इस बार न तो हमे और न ही अपने आसपास हमारे परिचितों सम्बन्धियों को इस बात से निश्चिंत होकर बैठना या बैठने देना है कि मोदी जी की जीत पक्की है।
आप तो यह मानकर भीड़ जाईये की यदि अबकी बार 400 पार से एक सीट भी कम आई तो इसमें हम मोदी की हार होगी।
इसलिए इस चुनाव में शतप्रतिशत वोटिंग करना करवाना आपका ध्येय होना चाहिए।
कांग्रेसियों की अफीम उन्ही को मुबारक हो।
यदि मेरी बात में आपको कुछ दम नजर आता हो तो इस निवेदन को आगे और आगे पहुंचाईए।
अक्षय साखरे
रायपुर छ ग
*हर हर मोदी घर घर मोदी*

03/18/2024

राजकुमारी जॉयमती जिनका इतिहास 19वी सदी में दबा दिया गया
यह ऐसी राजकुमारी जो किसी भी डर के आगे नहीं झुकीं अंत मे अपने प्राण त्याग दिए।
असम राज्‍य पर अहोम राजाओं का शासन था और राज्‍य सन् 1671 से 1681 तक उथल-पुथल के दौर से गुजर रहा था। कई राजाओं के प्रधान सेवकों की अकुशलता ने राज्‍य में परेशानियों को बढ़ा दिया था। यह वह समय था जब लोरा राजा और उनके प्रधानमंत्री लालुकास्‍ला बोरफूकन ने राजगद्दी हासिल करने के लालच में अपने कई उत्‍तराधिकारियों को मरवा दिया था। राजकुमार गोडापानी, जो जॉयमती के पति थे, उनकी हत्‍या की साजिश भी रची जा चुकी थी।

जब लोरा राजा और उनके सिपाही उन्‍हें पकड़ने आए, राजकुमार गोडापानी बचकर निकल गए और नागा हिल्‍स पहुंच गए। इसी समय लोरा राजा ने पत्‍नी जॉयमती को पकड़ लिया। जॉयमती को इस उम्‍मीद में पकड़ा गया था कि वह डर के मारे अपने पति के बारे में राजा को बता देंगी। कई दिनों तक राजकुमारी को 14 दिनों तक इसी मैदान पर टॉचर्र किया गया। कहते हैं कि उन्‍हें उन्‍हें कंटीलें तार के साथ एक कांटे से साथ बांध दिया गया था फिर भी राजकुमारी जॉयमती किसी भी डर के आगे नहीं झुकीं और उन्‍होंने अपने पति के बारे में कोई भी सूचना राजा को नहीं दी। राजकुमारी दो बच्‍चों 14 साल के लाई और 12 साल के लेशाई की मां थीं और घटना के समय गर्भवती थीं। 14 दिनों तक प्रताड़ना झेलने के बाद उन्‍होंने 27 मार्च 1680 को दम तोड़ दिया। राजकुमारी जॉयमती को आज भी सती का दर्जा मिला हुआ है। आज भी असम के हर निवासी के दिल में उनके लिए सर्वोच्‍च सम्‍मान है।

असम के लोकगीतों, नाटकों और स्‍थानीय फिल्‍मों में जॉयमती की कहानी सुनने को या देखने को मिल जाएगी। असम में हर वर्ष 27 मार्च को सती जॉयमती दिवस मनाया जाता है। हालांकि अभी तक असम में या फिर भारत के दूसरे हिस्‍सों में उनकी वीरता के बारे स्‍कूल की किताबों में पढ़ाया नहीं जाता है। सन. 1935 में एक फिल्‍म भी उन पर बनी थी जिसमें अडियू हांदिक ने जॉयमती का किरदार निभाया था।

आज भी मौजूद हैं राजकुमारी की यादें

जिस जगह पर राजा ने जॉयमती को प्रताड़ना दी थी, वहां पर इस समय जॉयसागर नाम से एक तालाब बना है. उनके बड़े बेटे लाई जिन्‍हें रुद्र सिंघा के नाम से जाना गया, उन्‍होंने मांग की याद में यह तालाब बनवाया था. यह अहोम राजाओं की तरफ से बनवाए गए सभी तालाबों में सबसे बड़ा है। दो किलोमीटर लंबी पाइपलाइन से कभी शाही महल में पानी की सप्‍लाई की जाती थी।

03/16/2024
आप के घर में, बच्चे को छोटी सी भी चोट लगती है, हल्का सा भी खून निकलता है तो आप क्या करते हैं ?चोट को साफ, उस पर कपड़ा, ब...
03/16/2024

आप के घर में, बच्चे को छोटी सी भी चोट लगती है, हल्का सा भी खून निकलता है तो आप क्या करते हैं ?

चोट को साफ, उस पर कपड़ा, बैंडेज या खुद गॉज लगा के, खून रोकते हैं हॉस्पिटल ले जाने तक।

उधर, दीदी मुख्यमंत्री हैं, देश की शीर्ष नेताओं में से एक। मुख्यमंत्री काफिले में हमेशा एक एंबुलेंस होती है, डॉक्टर होता है, बेहतरीन फर्स्ट एड किट होती है।

लेकिन, दीदी के हॉस्पिटल पहुंचने तक ना किसी ने घाव को दबाया, साफ किया, ना बेसिक फर्स्ट एड दिया।

यहां तक कि दीदी के मुंह से बहता खून तक साफ नहीं किया गया।

ये जनता को बेवकूफ समझते हैं....!

प्रभु बेचारी दीदी को जल्द से जल्द स्वास्थ्य लाभ प्रदान करे।

03/05/2024

🙏🙏👉🏿एक दिन नसरुद्दीन जोश-जोश में अपने गधे को घर की छत पर ले गए... जब नीचे उतारने लगे तो गधा नीचे उतर ही नहीं रहा था। 😂😂

बहुत कोशिश के बाद भी जब नाकाम हुए, तो ख़ुद ही नीचे उतर गए और गधे के नीचे उतरने का इंतज़ार करने लगे। 😂😂

कुछ देर गुज़र जाने के बाद नसरुद्दीन ने महसूस किया कि गधा छत को लातों से तोड़ने को कोशिश कर रहा है..😂😂

नसरुद्दीन बहुत चिंतित हुए कि छत तो नाज़ुक है, इतनी मज़बूत नहीं कि गधे की लातों को सहन कर सके... 😂😂

दोबारा ऊपर भागे और गधे को नीचे लाने का प्रयास किया, लेकिन गधा अपने हठ पर अड़ा हुआ था और छत को तोड़ने में लगा हुआ था। 😂😂

उसे धक्के देकर नीचे लाने का प्रयास करने लगे तो गधे ने नसरुदीन को लात मारी और वह नीचे गिर गए। 😂😂

गधा फिर छत को तोड़ने लगा... अंततः छत टूट गयी और गधे समेत धरती पर आ गिरी। 😂😂

नसरुद्दीन देर तक इस विषय पर मनन करते रहे और फिर स्वयं से कहा कि कभी भी गधे को ऊँचे मकाम पर नहीं ले जाना चाहिये.
😂😂

एक तो वह ख़ुद को हानि पहुंचाता है, दूसरा स्वयं उस स्थान को भी बिगाड़ता है और तीसरा ऊपर ले जाने वाले को भी हानि पहुँचाता है। 😂😂.

मेरा विचार है कि हमें एक बार भी गधे को ऊँचे स्थान पर ले जाने की भूल नहीं करनी चाहिए..! 😂😂

बड़ी कठिनाई से हमारी छत सुदृढ़ हो रही है।

🤔🤔विशुद्ध राजनैतिक एवं सामाजिक संदेश 🙏🙏
😂😂
🤭🤭🤭🤭🤭🤔🤔.......©️

बीते कुछ दिनों में दो-तीन वीडियो साक्षात्कार में अनंत अंबानी का निर्मल और सुलझा हुआ मन देखने-सुनने के बाद अब इस बच्चे का...
03/04/2024

बीते कुछ दिनों में दो-तीन वीडियो साक्षात्कार में अनंत अंबानी का निर्मल और सुलझा हुआ मन देखने-सुनने के बाद अब इस बच्चे का उपहास उड़ता देख अच्छा नहीं लगता।

आर्थिकी के शीर्ष पर होने के बावजूद इस युवक में जो सहजता, सरलता, सनातन के प्रति समर्पण-भाव है और जिस तरह ये डैड-मॉम बोलने वाले उथले दौर में अपने पालकों को नेशनल टीवी पर माताजी-पिताजी संबोधित करता है, यह सब देखकर इस युवक पर स्नेह आता है।

यदि हम अनंत अंबानी को केवल इसलिए सामाजिक स्वीकार्यता और सम्मान नहीं देंगे, क्योंकि वह किसी बीमारी के कारण वैसा परफेक्ट नहीं दिखता, जैसा कि पश्चिम ने हमारे दिमागों में भर दिया है, तो फिर हम और कैसा परफेक्ट युवक चाहते हैं।

बहुत सधी हुई देह वालों को बहुत निर्लज्जता से देश व धर्म विरोधी होते देखा है हम सबने। अत: हमें अनंत अंबानी जैसे युवकों का उपहास के बजाय सम्मान करना होगा।

*भावुक हूँ, आनंदित हूँ,* *संतृप्त हूँ, निःशब्द हूँ,* *मर्यादित हूँ,* *शरणागत हूँ।* *मैं बस ‘राममय’ हूँ !!*  *मेरे राम आ ...
01/22/2024

*भावुक हूँ, आनंदित हूँ,* *संतृप्त हूँ, निःशब्द हूँ,* *मर्यादित हूँ,* *शरणागत हूँ।* *मैं बस ‘राममय’ हूँ !!* *मेरे राम आ रहे हैं...* *🏹 जय श्री राम 🏹* *🚩 जय जय श्रीराम 🚩* *स्वर्णिम भारत का सूर्योदय....... "श्रीरामलला" प्राण प्रतिष्ठा की आप को हार्दिक शुभकामनाये 🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩 प्रणाम 🙏🙏🙏

11/02/2023

बहुत भयानक आहट सुनाई दे रही है देश में...??*

*आप ने सुनी??!!!*

👉पूरे देश में सभी रेलवे लाइनों के दोनों ओर बांग्लादेशी जिहादी घुसपैठियों और रोहिंग्याओं ने झुग्गियां बना ली हैं। ...
👉हर स्टेशन पर सौ मीटर के अंदर मस्जिद-मजार ज़रूर मिल जाएगी।एक ही झटके में और एक ही कॉल पर पूरे भारत का रेलवे नेटवर्क जाम कर देने की स्थिति में वे आ चुके हैं!..
👉सभी स्टेशनों, प्लेटफॉर्म्स, रेलवे लाइनों के आस पास बनी अवैध मजारों में संदिग्ध किस्म के लोग दिन रात मंडराते रहते हैं और रेकी करते रहते हैं...??

👉उनकी गठरियों में क्या सामान बिना टिकट देश भर में फैलाया जा रहा है, कोई चेक नहीं करता।
मज़ारों-मस्जिदों में किस तरह के गोदाम और काम चल रहे हैं, इससे प्रशासन आँखें बंद किये है...
हमारे शहरों में जितने हाईवे निकलते हैं। किसी पर भी बढ़ जाइये, तो हर तीन चार किलोमीटर पर एक नई मजार बनी मिल जाएगी बिल्कुल रोड पर।

👉अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है कि कुछ तो षड़यंत्र चल रहा है। यदि पूरे देश में हालात यही हैं तो कितनी खतरनाक स्थिति है आप स्वयं समझ सकते हैं....

👉देश की राजधानी दिल्ली को जिहादियों ने लगभग चारों तरफ से घेर लिया है बल्कि दिल्ली के भीतर नई दिल्ली, जहां हमारी केन्द्र सरकार रहती है उसे भी पूरी तरह से घेर लिया है। हजरत निजामुद्दीन स्टेशन से देवबंद तक तो जमात का गढ़ ही हो गया है..

👉जब भी कभी हालात बिगड़े तो राजधानी पूरी तरह से जाम मिलेगी, रेलवे लाइनें जाम मिलेंगी, हाईवेज जाम मिलेंगे। आपको भागने का मौका कहीं नहीं मिलेगा।

👉ट्रेने उड़ा दी गयीं, सड़कों पर चक्का जाम कर दिया तो न आप तक मदद आ पाएगी, न आप कहीं भाग पाएंगे...

👉सोचिए तब इस अशांतिप्रिय समुदाय के देश के भीतर फैले देशद्रोही क्या हालत करेंगे आप सोच भी नहीं सकते....??

👉कैसे एक आवाज पर सड़कें रोकी जानी है, पुलिस चौकियों, सुरक्षा बलों पल हमले होने हैं, इसकी रिहर्सल शाहीन बाग और दिल्ली दंगों में की जा चुकी है..

👉कौन कहाँ से कमांड करेगा, हर शहर में कौन कहाँ से लीड लेगा, कौन कहाँ फॉलो करेगा, कैसे मैसेज पास होंगे, कैसे गजवाए हिंद अमलीजामा पहनेगा....तैयारी पूरी दिखती है...

👉इंतजार है तो शायद सिर्फ पाकिस्तानी और बाँग्लादेशी आर्मी के ग्रीन सिग्नल और तालिबानी लड़ाकों का...

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