01/08/2023
झारखंड: 1200 एकड़ में जैविक खेती, कोई बीमारी नहीं, सिजेरियन भी नहीं
गांव ने दिया #नो_केमिकल-गो_केमिकल' नारा
बोकारो के कसामार और जरीडीह के 12 से अधिक गांवों में किसान जैविक खेती कर रहे हैं इन गांव में 1200 एकड़ से अधिक जमीन पर कोई भी फसल ऐसी नहीं है जिसमें रसायनिक खाद का इस्तेमाल हो रहा हों। इन गांव का अगुआ है भस्की पंचायत का #टोंडरा_गांव। यहां की 1200 की आबादी में 600 लोग खेतिहर हैं। इन्होंने ना केवल खेत में जैविक फसल लगाई बल्कि आसपास के गांव में भी किसानों को फसल में रसायनिक खाद नहीं डालने के लिए प्रोत्साहित किया इसका नतीजा यह हुआ कि गांव की जैव विविधता सुधरी और स्वास्थ्य भी बेहतर हुआ। महिलाओं ने बताया कि गांव में कोई भी गंभीर बीमारी नहीं। सिजेरियन प्रसव की जरूरत नहीं पड़ती बच्चे बीमार नहीं पड़ते। टमाटर की फसल भी यहां दिखी। ग्रामीण बताते हैं कि मई में सामान्य से अधिक गर्मी के कारण जहां राज्य में टमाटर की फसलों में फूल कम आने से उत्पादन घटा और इसकी कीमत ₹100 प्रति किलो से अधिक हो गई वही हमारे गांव में न फूल कम हुए, न उत्पादन। अब भी सभी घरों में सहजता से टमाटर देखे जा सकते हैं टोंडरा की नूनी बाला देवी बताती है कि हरित क्रांति के नेतृत्वकर्ता रहे कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन ने जब पर्यावरण की गंभीर दशाओं को देख जैविक खेती अपनाने की बात की तो इसे हमने गंभीरता से लिया। हमारी पंचायत #भस्की ने ' नौ केमिकल, गो केमिकल' का नारा दिया है। यहां 125 एकड़ में जैविक खेती हो रही है। धान, मकई, अरहर, और सब्जियों की खेती सबसे ज्यादा है। पंचायत के मुखिया मंटू मरांडी और पूर्व मुखिया सुनीता कुमारी दोनों सक्रिय है। सुनीता तो जैविक खेती को लेकर होने वाली हर बैठक में शामिल होती हैं। दुर्गापुर पंचायत के उप मुखिया पंचानन महतो कहते हैं कि हमने इसे गंभीरता से लिया कि जल जमीन तभी सुरक्षित रह सकती है जब जैविक खेती को बढ़ावा दें।
#जैविक_खेती #नो_केमिकल_गो_केमिकल