बनारस : तेरे रंग हज़ार

बनारस : तेरे रंग हज़ार मैं इश्क लिखूं , तुम बनारस समझना �
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23/06/2024
🤣🤣
23/06/2024

🤣🤣

DSP से सीधा सिपाही 🤣
लडकी का चक्कर मत पालना कभी

23/06/2024

कुछ जख्म सदियों बाद भी ताज़ा रहते हैं...

वक्त के पास भी हर मर्ज की दवा नहीं होती है!

23/06/2024

ये शिक्षा मंत्री अब तक इस्तीफा क्यों नही दिया??

क्या नैतिकता एकदम से मर गई है?

उधर अजीत भारती को पकड़ने कर्नाटक पुलिस पहुंची थी, इधर कर्नाटक पुलिस को पकड़ने यूपी पुलिस पहुंच गई🤣🤣उन्हे लगा नोएडा दिल्ल...
22/06/2024

उधर अजीत भारती को पकड़ने कर्नाटक पुलिस पहुंची थी, इधर कर्नाटक पुलिस को पकड़ने यूपी पुलिस पहुंच गई🤣🤣

उन्हे लगा नोएडा दिल्ली में है लेकिन यहां तो बाबा है😄✌️
जवान मस्त टेलर में खड़ा है 🔥

Ganga Aarti
22/06/2024

Ganga Aarti

स्वर्ग ❤️
21/06/2024

स्वर्ग
❤️

योगी जी ❤️
21/06/2024

योगी जी ❤️

हां तुम्हारे कानों के कुंडल हों या गले का हार या सींदूर से लगा हुआ मांग टीका मानो ये सभी तुम्हारे लिए ही बनाया गया हो।को...
21/06/2024

हां तुम्हारे कानों के कुंडल हों या गले का हार या सींदूर से लगा हुआ मांग टीका मानो ये सभी तुम्हारे लिए ही बनाया गया हो।

कोई अंतर नही पड़ता की वो जेवर किसी सुनार ने बनाए हैं या आर्टीफीसियल है जो भी है तुम्हारे देंह से लगते ही चौबीस कैरेट का हो जाता है। तुम्हारे केश से आने वाली भीनी भीनी सुगंध मानो गंगा के किनारे बैठा हूँ, स्वेत और नीलांजन नयनो में झांकने पर लगता है मानो अगस्त मुनी से समुद्र पान करने बाद सारा पानी तुम्हारी आंखों में छोड़ दिया हो।

मानो शुक्ल पक्ष त्रयोदशी के चांद की उजियरिया तुम्हारे तेज के सम्मुख नतमस्तक हो गयी हो और चांद बादलों के आवरण में छिपते हुए तुम्हे उजाला बिखेरने का उत्तरदायित्व सौंप रहा हो। जब इन नयनो से नीचे देखता हूं और होंठो से होते हुए जब दृष्टि गर्दन पर जाती है तो लगता है जैसे नंदनकानन की अप्सरा ने अपनी सुराही तुम्हारे गले में डाल दी हो।

सुंदरता कोई भौतिक विज्ञान का अध्याय नही है जिसे कभी थियरी तो कभी प्रैक्टिकल कर के समझा जा सके सुंदरता एक काव्य संकलन है जिसे बस पढ़ा समझा और याद किया जा सकता है।

मुझे याद है जब तुम्हे पहली बार देखा था नारंगी सूट में गंगा के किनारे हाथों मे पुष्प की बड़ी डलिया भी थी, ऐसा लगा मानो बुलबुल बारिश थमते ही अपने घरौंदे से बाहर निकल कर कलरव के साथ अटखेलियां कर रही हो, मानो पारिजात के पुष्प मानव देह धर गंगा दर्शन को आये हों, कान शिव तांडव सुन रहे थे पर नयन तुम्हें ही निहार रहे थे।

याद है तुमने जब पहली बार हमसे आंखे मिलाईं थी तो हमारे दोनो हाथ प्रणामाअवस्था में उपर की ओर उठ गये थे और तुमने भी सहमति का प्रमाण देते हुए नयनो को बंद कर सुराही नीचे की ओर झुका दी थी, तुम्हारी आत्मा तक झांक चुका था मैं बस चंद घंटों में, नारंगी और स्वेत का मिश्रण का लग रही थी तुम, अपने बालों को जब तुमने गर्दन से घुमा कर आगे की ओर फैला दिया तो एसा लगा जैसे मंदिर की गुंबद पर लता ओट बिछा दी गयी हो, आज शायद भोले बाबा भी हमसे तनिक क्रोधित हैं क्यों की आज ध्यान तुम पर केंद्रित हो गया था.......

सुंदर श्यामल शीतल गौर शरीरा,
देखि नवल नयन हम होत अधीरा।

कोपल केश होंठ अति कोमल,
करहु प्रणाम हे मन धर धीरा।

बस चंद घड़ी का मिलन था या ये कहूँ गंगा किनारे देवी दर्शन था, फिर देवी मुस्कुराहट बिखेरती हुईं प्रस्थान करतीं हैं और हम साधना में लिप्त होते हैं।

जहां प्रेम होता है वहां वासना बिना अनुमति के नही आती........

और श्रंगार रस सरस्वती का दूसरा रूप है और सरस्वती माता होतीं हैं और एक पुत्र अपनी माता के प्रति अश्लील नही होता।

साभार व्हाट्सएप

दुबे जी का योग दिवस 🤣
21/06/2024

दुबे जी का योग दिवस 🤣

नेपाल में गाड़ियों के नंबर हिंदी में लिखे होते हैहिंदी वाले अंको का इस्तेमाल होता है 😄👌सही है
21/06/2024

नेपाल में गाड़ियों के नंबर हिंदी में लिखे होते है
हिंदी वाले अंको का इस्तेमाल होता है 😄👌
सही है

6 साल पहले की पोस्ट ❤️इसलिए की पेज हिंदुत्व को सपोर्ट करता है किसी पार्टी को नही ,न ही मोदी जी को ✌️सवाल मोदी जी से भी क...
21/06/2024

6 साल पहले की पोस्ट ❤️

इसलिए की पेज हिंदुत्व को सपोर्ट करता है किसी पार्टी को नही ,न ही मोदी जी को ✌️
सवाल मोदी जी से भी किया गया है,विरोध उनके कार्यों का भी हुआ है
हा भाजपा का झुकाव हिंदुत्व की तरफ थोड़ा ज्यादे है इसलिए इस पार्टी को सपोर्ट करते है

एक घटना छोटे से गांव को इतिहास में हमेशा के लिए दर्ज कर गई ❤️✌️चौरी चौरा कांड के बाद गांधी ने असहयोग आंदोलन वापिस नही लि...
21/06/2024

एक घटना
छोटे से गांव को इतिहास में हमेशा के लिए दर्ज कर गई ❤️✌️
चौरी चौरा कांड के बाद गांधी ने असहयोग आंदोलन वापिस नही लिया होता तो संभवत देश बहुत पहले से आजाद हो गया होता |
आंदोलन अपने उच्चतर स्तर पर था और सभी देशवासियों का सहयोग प्राप्त हो रहा था

20/06/2024

सुने है मोदी जी BLW गेस्ट हाउस में स्थानीय नेताओं को बनारस के राष्टीय अभिवादन से संबोधित कर कम वोट से जीतने की समीक्षा की 🤣🤣

19/06/2024

मक्का का क्या मसला है?

19/06/2024

अपने "मन की बात"ज्यादे करने से सीटे कम हो जाती है 🤣🤣

*Nalanda University के नए परिसर के उद्घाटन समारोह के गवाह बने 17 देशों के राजदूत और विभिन्न क्षेत्रों से आए मेहमान।*
19/06/2024

*Nalanda University के नए परिसर के उद्घाटन समारोह के गवाह बने 17 देशों के राजदूत और विभिन्न क्षेत्रों से आए मेहमान।*

19/06/2024

मगरमच्छ (Crocodile)
* मगरमच्छ दुनिया के खतरनाक प्राणियों में से एक है
* मगरमच्छ एक उभयचर प्राणी है
* मगरमच्छ एक cold - blooded प्राणी है
* मगरमच्छ की 23 प्रजातियां पहचानी जा चुकी हैं
* मगरमच्छ दो प्रकार के होते हैं
> पहला मीठे पानी के मगरमच्छ
> दूसरा खारे पानी के मगरमच्छ
* मगरमच्छ आराम करते वक्त अपनी एक आंख बंद किए रहते हैं और दूसरी खुले रखते हैं
* अगर मगरमच्छ की आंख बंद है तो यह न सोचें कि वह सो रहा है मगरमच्छ हमेशा चौकन्ना रहते हैं
* मगरमच्छ की ज्यादातर प्रजातियां विलुप्ति के कगार पर हैं
* मगरमच्छ डायनासोर करीबी कहलाते हैं
* मगरमच्छ धरती पर करीब 25 करोड़ साल से रह रहे हैं
* मगरमच्छ अफ्रीका एशिया अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया महाद्वीप पर पाए जाते हैं
* खारे पानी के मगरमच्छ मीठे पानी के मगरमच्छ से बड़े होते हैं
* मगरमच्छ को 24 तेज धार वाले दांत होते हैं
* मगरमच्छ बारिश के समय ज्यादा आक्रमक हो जाते हैं
* मगरमच्छ मादा से ज्यादातर संभोग बारिश के मौसम में करते हैं
* मादा मगरमच्छ एक बार में 20 से 50 अंडे देती है
* मगरमच्छ के 99% बच्चे 1 साल की उम्र से पहले ही बड़ी मछलियों या प्राणियों द्वारा खा लिए जाते हैं
* मगरमच्छ शुद्ध मांसाहारी होते हैं
* मनुष्य मगरमच्छ का प्रिय भोजन है
* मगरमच्छ भोजन को चबातें नहीं है बल्कि निकलते हैं
* मगरमच्छ अपना जीभ बाहर नहीं निकाल सकता
* मगरमच्छ करीब 80 साल तक जीते हैं
* मगरमच्छ रात को दिन के अपेक्षा कहीं ज्यादा अधिक देख सकते हैं
* एक वयस्क मगरमच्छ का वजन 600 से 1000 किलोग्राम तक हो सकता है
* मगरमच्छ की कई प्रजातियों का वजन करीब 1200 किलोग्राम तक है
* मगरमच्छ कई हफ्तों बिना खाए रह सकते हैं
* मगरमच्छ में पसीना बनाने वाली ग्रंथियां नहीं होती
* मगरमच्छ का जबड़ा विश्व के सबसे मजबूत जबड़ों में से एक है
* मगरमच्छ का पाचन शक्ति इतना जबरदस्त होता है कि वह पत्थर भी खा जाता है
* समुद्र में गहरा गोता लगाते समय मगरमच्छ कभी-कभी भारी पत्थर भी निकल जाता है
* मगरमच्छ की खाल फैशन उद्योग में काफी मांगा बिकता है
* मगरमच्छ खाते समय अपने आंसू निकालते हैं इसी से मगरमच्छ के आंसू वाली कहावत का जन्म हुआ
* मगरमच्छ अपने आपको ठंडा करने के लिए अक्सर अपनी जबड़ों को खोलते हैं
* मगरमच्छ सिर्फ अपनी पूछ के सहारे पानी में करीब 50 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से तैर सकता है

पशुपतिनाथ मंदिर
18/06/2024

पशुपतिनाथ मंदिर

18/06/2024

पशुपतिनाथ दर्शन

18/06/2024

काशीवासियों के लिए खुशखबरी, आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इस पर लगा सकते हैं मुहर

अगर सब कुछ ठीक रहा तो पीएम मोदी के बनारस दौरे के बाद काशी विश्वनाथ मंदिर के गेट नंबर 4 को बनारस को दे दिया जाएगा। खाटी बनारसी इसी गेट से डायरेक्ट बाबा के गर्भ गृह तक जाकर दर्शन कर सकते हैं। वीआईपी, प्रोटोकॉल और अन्य इसी गेट पर पहले की तरह चलते रहेंगे।

बच्चों में जानवरों के लिए सहज ही एक लगाव होता है। बच्चे किसी ख़रगोश को देखते हैं तो ये नहीं सोचते कि इसका क़त्ल करना है। व...
18/06/2024

बच्चों में जानवरों के लिए सहज ही एक लगाव होता है। बच्चे किसी ख़रगोश को देखते हैं तो ये नहीं सोचते कि इसका क़त्ल करना है। वो उसको बाँहों में समेट लेते हैं। बकरी के किसी बच्चे को वो दुलारते हैं। गाय के बछड़े को लाड़ करते हैं। बच्चों को लगता है कि जानवरों की दुनिया लगभग उनके जैसी है।

बच्चे जानवरों से, ख़ासकर पालतू जानवरों से बहुत जल्द दोस्ती कर बैठते हैं, उनसे दिल लगा लेते हैं।

दोनों की ‘ज़ात’ एक जैसी होती है!

तब इन्हीं बच्चों की आँखों के सामने, उनके रोने-बिलखने को नज़र-अंदाज़ करके, घर में पले एक जानवर का क़त्ल कर देना- इससे बड़ा गुनाह क्या होगा?

इन्हीं बच्चों को ये तालीम देना कि अपने नन्हें दोस्तों का क़त्ल न केवल जायज़ बल्कि ज़रूरी भी है, इससे बढ़कर कुफ़्र क्या होगा?

यह बच्चों की रूह को पनपने से पहले ही रौंद देना है। उनके इंसान बनने की उम्मीदों को कुचल देना है। यह धर्म नहीं, अधर्म है!

जो जानवर आपके घर में बेफ़िक्री से सोया, दाना-पानी खाया-पिया, जो आपके बच्चों के साथ खेला, और जिसने मन ही मन सोचा कि यह मेरा घर है, यहाँ मैं महफ़ूज़ हूँ, ये लोग मेरे दोस्त हैं- उसी की गर्दन पर छुरा चला देना, इससे बढ़कर बेवफ़ाई क्या होगी? दग़ाबाज़ी क्या होगी?

इससे बड़ा भरोसे का क़त्ल क्या होगा? हमदर्दी इससे बुरी मौत क्या मरेगी?

इससे तो भला वो जंगल था, जिसमें क़ातिल, क़ातिल का ही मुखौटा पहनकर झपटता था, दोस्त का नहीं!

क़िस्सा है, और कुलजमा क़िस्सा ही है कि हज़रत इब्राहिम ने तै किया था अपनी सबसे प्यारी और क़ीमती चीज़ को अल्लाह के लिए क़ुर्बान कर देंगे। औलाद से प्यारा और अज़ीज़ भला कौन होता है? तब मक़्क़ा के क़रीब मीना पहाड़ पर वो किताबों में बयान करिश्मा हुआ था कि जब हज़रत इब्राहिम ने आँखों पर पट्टी बाँधकर बेटे इस्माइल की गर्दन पर छुरी चलाई तो अल्लाह मियाँ ने बेटे को एक दुम्बे में बदल दिया।

बेटे की जान की क़ीमत थी, दुम्बे की जान की भला क्या क़ीमत हो सकती थी!

अफ़साना यह भी है कि बेटे को हलाक़ करने ले जाने से पहले उसकी इजाज़त ली गई थी, लेकिन दुम्बे को क़त्ल करने से पहले उसकी इजाज़त नहीं ली गई।

जानवर का जीना क्या और मरना क्या, उसकी क्या इजाज़त लेनी? उसकी ज़िंदगी तो हमने अपने यहाँ गिरवी रखी हुई है।

लेकिन क्या होता अगर क़ुर्बानी बेटे की ही होती, दुम्बे की नहीं? क्या तब भी इस रिवायत को आज तलक जारी रखा जाता, परनालों में अपने बच्चों का ख़ून बहाया जाता?

मज़हब हमेशा ऐसे शॉर्टकट खोज निकालता है, जिससे साँप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे! मज़हब हमेशा बकरे और दुम्बे और गायें खोज निकालता है। औलादें बच जाती हैं, उनके घरेलू दोस्त हलाक़ हो जाते हैं।

क़ुर्बानी का वो दिन ईदुज्जुहा कहलाया है, जिसके मुख़ालिफ़ मैं ये तक़रीर दे रहा हूँ! वो रोज़ आज तलक, हर साल मनाया जाता है! और यक़ीन जानिए, उसमें अपनी सबसे क़ीमती और अज़ीज़ चीज़ की क़ुर्बानी नहीं दी जाती है। बाज़ दफ़े तो एक रोज़ पहले बाज़ार से ख़रीदकर लाए जानवर को ज़िब्ह कर दिया जाता है। सुबह की क़ुर्बानी दोपहर की दावत बन जाती है। एहसास होता है कि ख़ुदा की आड़ में पेट की पूजा का यह शैतानी त्योहार था। चटोरी ज़बान की ख़िदमत की जा रही थी!

इस तमाम क़त्लो-ग़ारत में बुनियादी रूप से कुछ इतना ग़लत है कि इंतेहा नहीं!

ख़ुदा होता तो पूछता कि तुमने मेरे मासूम बच्चों के साथ यह सलूक क्यों किया? मैंने ये धरती अकेले तुम्हारे लिए नहीं बनाई थी, जानवर भी इसमें तुम जितने ही शरीक़ थे।

लेकिन- काश! वैसा कोई ख़ुदा होता!

मेरे पास कहने को कोई लफ़्ज़ नहीं हैं, और मुबारक तो हरगिज़ नहीं है। मैं मुबारक नहीं कह सकता। इतना ही कहूँगा कि मासूम बच्चों के क़त्ले-आम की इस वहशत भरी तारीख़ पर हम सभी को बहुत-बहुत लानतें और तोहमतें... हम सबके चेहरों पर तमाम क़ाएनात की कालिखें... मासूमों के ख़ूँ से रंगीं इबारतें!

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Sushobhit

18/06/2024

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