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दिल्ली का भूगोल * यमुना नदी के तट पर स्थित, दिल्ली भारत के उत्तरी भाग में 28.38° उत्तर और 77.13° पूर्व में स्थित है। * अ...
15/01/2025

दिल्ली का भूगोल
* यमुना नदी के तट पर स्थित, दिल्ली भारत के उत्तरी भाग में 28.38° उत्तर और 77.13° पूर्व में स्थित है।
* अरावली पर्वतमाला का एक हिस्सा माने जाने वाले दिल्ली का अधिकांश भाग एक मैदानी क्षेत्र या भांगर है जो बहुत उपजाऊ है।
* दिल्ली के अन्य क्षेत्र जैसे यमुना के मैदान बाढ़ से प्रभावित रहते हैं, जबकि दिल्ली रिज जो इस क्षेत्र की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता है, अरावली पर्वतमाला से घिरा हुआ है।
* इस शहर की पूरी स्थलाकृति दो प्रमुख क्षेत्रों में विभाजित है - यमुना बाढ़ का मैदान और रिज।
* हिंदुओं की पवित्र नदी, यमुना दिल्ली से होकर बहने वाली एकमात्र महत्वपूर्ण नदी है जबकि दिल्ली रिज जिसे बस रिज कहा जाता है, अरावली पर्वतमाला का विस्तार है।
* नदी का तल जलोढ़ मिट्टी से समृद्ध है और मैदान बहुत उपजाऊ हैं।
* चूँकि यमुना नदी के मैदान बहुत उपजाऊ हैं, इसलिए दिल्ली की वनस्पति में मध्यम आकार के पेड़ और जड़ी-बूटियाँ शामिल हैं
* दिल्ली एक जलसंभर पर स्थित है। जो गंगा तथा सिंधु नदी प्रणालियों को विभाजित करता है।
* दिल्ली की सबसे महत्त्वपूर्ण स्थालाकृति विशेषता पर्वत स्कंध (रिज) है, जो राजस्थान प्रांत की प्राचीन अरावली पर्वत श्रेणियों का चरम बिंदु है।
* अरावली संभवत: दुनिया की सबसे पुरानी पर्वत माला है, लेकिन अब यह पूरी तरह वृक्ष विहीन हो चुकी है।
* पश्चिमोत्तर पश्चिम तथा दक्षिण में फैला और तिकोने परकोट की दो भुजाओं जैसा लगने वाला यह स्कंध क्षेत्र 180 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला है।
* कछारी मिट्टी के मैदान को आकृति की विविधता देता है तथा दिल्ली को कुछ उत्कृष्ट जीव व वनस्पतियाँ उपलब्ध कराता है।
* यमुना नदी त्रिभुजाकार परकोटे का तीसरा किनारा बताती है। इसी त्रिकोण के भीतर दिल्ली के प्रसिद्ध सात शहरों की उत्पत्ति ई.पू. 1000 से 17 वीं शताब्दी के बीच हुई।
* दिल्ली की जलवायु उपोष्ण है।
* दिल्ली में गर्मी के महीने मई तथा जून बेहद शुष्क और झुलसाने वाले होते हैं। दिन का तापमान कभी-कभी 40-45 सेल्सियस तक पहुँच जाता है।
* मानसून जुलाई में आता है और तापमान को कम करता है
* दिल्ली की परिवर्तनशील जलवायु के कारण तीन वानस्पतिक काल होते हैं।
* वर्षा की कमी तथा भूमिगत जलस्तर के नीचे से प्राकृतिक वनस्पति का प्रर्याप्त विकास नहीं हो पाता।
* फूलों के क़रीब 1,000 प्रजातियाँ, जिनमे से अधिकाशं स्वदेशी मूल के है।
* पहाड़ियों एव नदी के तटवर्ती भूभाग की वनस्पतियाँ स्पष्टत: भिन्न है।
* स्कंध क्षेत्र में पाई जाने वाली पर्वतीय वनस्पतियों में बबूल, जंगली खजूर तथा सघन झाड़ियाँ हैं। जिनमें कुछ फूलदार प्रजातियाँ भी शामिल हैं।
* यहाँ घास, बेले तथा लिपटने वाली अल्पायु लताएँ भी होती हैं, जो केवल बरसात के मौसम में पनपती हैं।
* दूसरी ओर नदी के तट के रेतीले एव क्षारीय भूभाग में विशेषकर मानसून व ठंड के महीने में वनस्पतियाँ समृद्ध एवं भिन्न हैं।
* दिल्ली की सीमा उत्तर, दक्षिण और पश्चिम में हरियाणा राज्य से लगती है और पूर्व में उत्तर प्रदेश से लगती है।
* दिल्ली का कुल क्षेत्रफल 1,484 वर्ग किलोमीटर है, जिसमें से 783 वर्ग किलोमीटर ग्रामीण और 700 वर्ग किलोमीटर शहरी है।

15/01/2025

मायावती (राजनीतिज्ञ)
* मायावती देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री रह चुकी है
* मायावती बहुजन समाज पार्टी (BSP) की राष्ट्रीय अध्यक्ष है
* मायावती का जन्म 15 जनवरी 1956 को नई दिल्ली में एक हिंदू जाटव परिवार में हुआ था
* एक अति पिछड़े और दलित समाज से संबंध रखने वाली मायावती अपने काम के बदौलत उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनी
* मायावती के पिता प्रभु दयाल तार विभाग के विशिष्ट लिपिक के तौर पर काम किया करते थे
* मायावती की मां रामरति तो एक अनपढ़ महिला थी बावजूद इसके उन्होंने अपने सभी बच्चों को पढ़ने योग्य बनाया
* मायावती 6 भाई और दो बहनें हैं
* सभी लोग मायावती को बहन जी के नाम से जानते होंगे परंतु हम आपको बता दें कि मायावती का असल नाम नैना कुमारी है
* मायावती अपने परिवार की आर्थिक मदद करने के लिए दिल्ली जैसे बड़े शहर में अकेले दम पर भैंसों के बलबूते एक डेयरी चलाया करती थी
* दिल्ली के कालिंदी कॉलेज से LLB की डिग्री प्राप्त करने वाली मायावती एक IAS ऑफिसर बनने की चाह रखती थी
* राजनीति के प्रति उनकी दिलचस्पी ने उन्हें यूपी जैसे राज्य का एक बड़ा चेहरा बना दिया था
* राजनीति के क्षेत्र में आने के पहले मायावती दिल्ली के स्कूल में बतौर एक शिक्षिका का कार्य किया करती थी
* आपको बता दें कि अपने लक्ष्य को पूरा करने के लिए मायावती कभी भारतीय प्रशासनिक सेवा की परीक्षाओं के लिए अध्ययन किया करती थी
* 1977 में काशीराम के संपर्क में आने के बाद ही मायावती ने एक पूर्णकालिक राजनीतिज्ञ बनने का फैसला किया
* मायावती उत्तर प्रदेश की पहली दलित और चार बार की महिला मुख्यमंत्री है उनका कार्यकाल
> 3 जून 1995 - 18 अक्टूबर 1995
> 21 मार्च 1997 - 20 सितम्बर 1997
> 3 मई 2002 - 26 अगस्त 2003
> 13 मई 2007 - 6 मार्च 2012
* मायावती आज भी अपने परिवार के साथ नहीं रहती है उनके परिवार का ज्यादातर सदस्य दिल्ली में रहता है वहीं मायावती लखनऊ में रहा करती हैं
* दलित आंदोलन की पहली समझ मायावती को उस वक्त आई जब उन्होंने बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की जीवनी और उनकी किताबों को अच्छे तरीके से पढ़ा
* मायावती ने अपनी आत्मकथा में इस बात का जिक्र किया है कि जिस वक्त वह आठवीं कक्षा में पढ़ा करती थी उस दौरान उन्होंने एक बार अपने पिता से यह बात पूछ डाला था कि अगर वह डॉ भीमराव अंबेडकर की तरह काम किया करती है तो ऐसे में उनकी भी पूजा लोगों के द्वारा आंबेडकर के जैसी की जाएगी या नहीं
* मायावती ने आजीवन अविवाहित होने का निर्णय इसलिए लिया था क्योंकि अविवाहित होने की वजह से उन्हें अपने लक्ष्य को हासिल करने में सफलता मिल सके
* उनका लक्ष्य था कि वह बहुजन समाज के लोगों की सेवा निस्वार्थ भाव से करें और उनकी सामाजिक और आर्थिक हालातों को सुधारें
* मायावती खुद के हाथों से लिखा हुआ भाषण पढ़ती है
* मायावती पर लखनऊ में पत्थरों की मूर्तियां बनवाने की आलोचना होती है
* गेस्ट हाउस कांड मायावती के जीवन की एक बड़ी घटना है

पोंगल (त्यौहार)* पोंगल तमिल हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है* यह प्रति वर्ष 14-15 जनवरी को मनाया जाता है* इसकी तुलना नवा...
15/01/2025

पोंगल (त्यौहार)
* पोंगल तमिल हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है
* यह प्रति वर्ष 14-15 जनवरी को मनाया जाता है
* इसकी तुलना नवान्न से की जा सकती है जो फसल की कटाई का उत्सव होता है
* पोंगल का तमिल में अर्थ उफान या विप्लव होता है
* पारम्परिक रूप से ये सम्पन्नता को समर्पित त्यौहार है जिसमें समृद्धि लाने के लिए वर्षा, धूप तथा खेतिहर मवेशियों की आराधना की जाती है
* इस पर्व का इतिहास कम से कम 1000 साल पुराना है
* इसे तमिळनाडु के अलावा देश के अन्य भागों, श्रीलंका, मलेशिया, मॉरिशस, अमेरिका, कनाडा, सिंगापुर तथा अन्य कई स्थानों पर रहने वाले तमिलों द्वारा उत्साह से मनाया जाता है
* तमिलनाडु के प्रायः सभी सरकारी संस्थानों में इस दिन अवकाश रहता है
* 14 जनवरी का दिन उत्तर भारत में मकर संक्रान्ति के नाम से मनाया जाता है जिसका महत्व सूर्य के मकर रेखा की तरफ़ प्रस्थान करने को लेकर है इसे गुजरात तथा महाराष्ट्र में उत्तरायन कहते है
* इसी दिन आन्ध्र प्रदेश, केरल तथा कर्नाटक (ये तीनों राज्य तमिल नाडु से जुड़े हैं) में संक्रान्ति के नाम से मनाया जाता है
* पंजाब में इसे लोहड़ी के नाम से मनाया जाता है
* दक्षिण भारत के तमिलनाडु राज्य में पोंगल का त्यौहार सूर्य के मकर राशि में प्रवेश का स्वागत कुछ अलग ही अंदाज में किया जाता है
* सूर्य को अन्न धन का दाता मान कर चार दिनों तक उत्सव मानाया जाता है और उनके प्रति कृतज्ञता ज्ञापित किया जाता है
* विषयकी गहराई में जाकर देखें तो यह त्यौहार कृषि एवं फसल से सम्बन्धित देवताओंको समर्पित है
* इस त्यौहारका नाम पोंगल इसलिए है क्योंकि इस दिन सूर्य देव को जो प्रसाद अर्पित किया जाता है वह पगल कहलता है
* तमिल भाषा में पोंगल का एक अन्य अर्थ निकलता है अच्छी तरह उबालना
* दोनों ही रूप में देखा जाए तो बात निकल कर यह आती है कि अच्छी तरह उबाल कर सूर्य देवता को प्रसाद भोग लगाना
* पोंगल का महत्व इसलिए भी है क्योंकि यह तमिल महीने की पहली तारीख को आरम्भ होता है
* पोंगल चार दिनों का त्योहार है इसे चारों दिन अलग-अलग नाम से जाना जाता है
* पहली पोंगल को भोगी पोंगल कहते हैं जो देवराज इन्द्र का समर्पित हैं इस दिन संध्या समय में लोग अपने अपने घर सेपुराने वस्त्रकूड़े आदि लाकर एक जगह इकट्ठा करते हैं और उसे जलाते है
* दूसरी पोंगल को सूर्य पोंगल कहते हैं यह भगवान सूर्य को निवेदित होता है इसदिन पोंगल नामक एक विशेष प्रकार की खीर बनाई जाती है जो मिट्टी के बर्तनमें नये धान से तैयार चावलमूंग दाल और गुड से बनती है
* तीसरे पोंगल को मट्टू पोगल कहा जाता है तमिल मान्यताओं के अनुसार मट्टू भगवान शंकर का बैल है इस दिन किसान अपने बैलों को स्नान कराते हैंउनकेसिंगों में तेल लगाते हैं एवं अन्य प्रकार से बैलों को सजाते है
* त्यौहार के अंतिम दिन कन्या पोंगल मनाया जाता है जिसे तिरूवल्लूर के नाम से भी लोग पुकारते हैं इस दिन घर को सजायाजाता है आम के पलल्व और नारियल के पत्ते से दरवाजे पर तोरण बनाते है

महानिर्वाणी अखाड़ा * सनातन धर्म की रक्षा और उसके प्रचार-प्रसार के लिए सदियों पहले अखाड़ों का गठन किया गया था. * सनातन धर्...
15/01/2025

महानिर्वाणी अखाड़ा
* सनातन धर्म की रक्षा और उसके प्रचार-प्रसार के लिए सदियों पहले अखाड़ों का गठन किया गया था.
* सनातन धर्म की रक्षा के लिए अखाड़ों में शामिल होने वाले साधु-संतों को शास्त्रों के साथ शस्त्र की भी शिक्षा दी गई.
* एक-एक करके 13 अखाड़े बन गए हैं. इन सभी अखाड़ों का मुख्य उद्देश्य सनातन धर्म की रक्षा और उसका प्रचार-प्रसार करना ही है. सभी अखाड़े आज भी अपने इसी उद्देश्य के साथ कार्य कर रहे हैं.
* विक्रम संवत 603 में आवाहन अखाड़े की स्थापना की गयी थी, जिसके 100 साल बाद विक्रम संवत 703 में अटल अखाड़े का गठन हुआ.
* एक सदी और बीतने के बाद विक्रम संवत 805 में महानिर्वाणी अखाड़े की स्थापना की गयी.
* महानिर्वाणी अखाड़े की स्थापना आवाहन और अटल अखाड़े से जुड़े 8 संतों ने मिलकर की थी.
* इस अखाड़े के इष्ट कपिल देव भगवान को माना गया है.
* बिहार के हजारीबाग जिले में गडकुंडा में सिद्धेश्वर महादेव मंदिर में महानिर्वाणी अखाड़े का गठन हुआ.
* प्रयागराज में पहुंचने पर इस अखाड़े में आवाहन और अटल अखाड़े के कई साधु संत शामिल हुए.
* इसके बाद इस अखाड़े का नाम श्री पंचायती महानिर्वाणी अखाड़ा रखा गया.
* इस दौरान श्री पंचायती महानिर्वाणी अखाड़े को शक्ति स्वरूप दो भाले दिए गए.
* शक्ति स्वरूप भाले का नाम भैरव प्रकाश और सूर्य प्रकाश है.
* दोनों ही भाले शक्ति के स्वरूप माने जाते हैं और अखाड़े में इनको मंदिर के अंदर इष्ट देव के पास रखा जाता है.
* इष्ट देव के साथ ही शक्ति स्वरूप दोनों भालों की भी पूजा की जाती है.
* कुम्भ मेले के दौरान शाही स्नान की यात्रा में सबसे आगे अखाड़े के दो संत इन शक्ति स्वरूप भालों को लेकर चलते हैं. सबसे पहले भालों को स्नान कराने की भी परंपरा है.
* श्री पंचायती महानिर्वाणी अखाड़े में आज भी भंडारे के अंदर खाना बनाने के लिए प्राकृतिक साधनों का इस्तेमाल किया जाता है.
* अखाड़े की गोशाला की गायों के गोबर से बने कंडे और लकड़ी के इस्तेमाल से चूल्हे में साधु-संतों के लिए भोजन बनाया जाता है.
* अखाड़े में भंडारे के अंदर साधु-संतों की निगरानी में सात्विक और पौष्टिक भोजन तैयार किया जाता है.
* अखाड़े के अंदर गोशाला भी बनी हुई है. जहां पर अखाड़े के साधु संत समय-समय पर जाकर गोसेवा करने का कार्य भी करते हैं.
* यही नहीं इसके अलावा अखाड़े में औषधीय पौधों के साथ ही फल देने वाले पेड़ भी लगाए गए हैं. साधु-संत ही इन पेड़ पौधों की देखभाल करते हैं.
* अखाड़े के सचिव महन्त यमुना पूरी का कहना है कि जिस वक्त अखाड़े की स्थापना की गयी थी, उस वक्त के हालात आज से भिन्न थे. सनातन धर्म पर हमले हो रहे थे. तब अखाड़ों ने ही सनातन धर्म के साथ हिंदुओं की रक्षा के लिए कई युद्ध लड़े और जीते थे.
* अखाड़ों की ही देन है कि आज देश में सनातन धर्म के साथ ही हिंदू सुरक्षित बचे हुए हैं.
* अखाड़ों से समय-समय पर राजाओं ने भी मदद ली और कई युद्ध जीते हैं
* हर अखाड़े में सदस्य बनने के लिए योग्यता के नियम कायदे अलग-अलग हैं. श्री पंचायती महानिर्वाणी अखाड़े में शामिल करने से पहले सभी की पूरी तरह से जांच पड़ताल की जाती है. उसके बाद ही किसी को अखाड़े का सदस्य बनाया जाता है.
* वहीं अखाड़े में किसी भी पद की जिम्मेदारी संभालने के लिए लोकतांत्रिक तरीके से चयन प्रक्रिया की जाती है. हर पद की जिम्मेदारी संभालने के लिए योग्य पदाधिकारी का चयन किया जाता है.
* देश में सदियों पहले अखाड़ों का गठन सनातन धर्म की रक्षा करने के लिए किया गया था. जरूरत पड़ने पर अखाड़ों ने शास्त्र के साथ ही शस्त्रों का भी इस्तेमाल कर सनातन धर्म की रक्षा की है.
* बदलते परिवेश में आज भी अखाड़े सनातन धर्म का प्रचार-प्रसार कर विस्तार करने का कार्य कर रहे हैं.
* आज अखाड़ों की तरफ से देश भर में वेद और शास्त्रों की शिक्षा देकर लोगों को सनातन धर्म से जोड़ने का कार्य किया जा रहा है.

मकर संक्रांति (पर्व)* मकर संक्रांति हिंदुओं का एक प्रसिद्द त्यौहार है* मकर संक्रांति आमतौर पर हर साल 14 जनवरी को मनाया ज...
14/01/2025

मकर संक्रांति (पर्व)
* मकर संक्रांति हिंदुओं का एक प्रसिद्द त्यौहार है
* मकर संक्रांति आमतौर पर हर साल 14 जनवरी को मनाया जाता है
* मकर संक्रांति भारत के कई हिस्सों में अलग अलग तरीके से मनाई जाती है
* मकर संक्रांति में मकर शब्द मकर राशि को अंकित करता है और संक्रांति शब्द संक्रमण अर्थात प्रवेश से है
* मकर संक्रांति के दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है एक राशि को छोड़कर दूसरे राशि में प्रवेश करना ही संक्रांति कराता है
* चुकी सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है इसलिए इसे मकर संक्रांति कहते हैं
* हिंदू महीने के अनुसार पौष शुक्ल पक्ष मे मकर सक्रांति मनाया जाता है
* चंद्र के आधार पर माह के दो भाग है कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष उसी प्रकार सूर्य के आधार पर वर्ष के दो भाग हैं उत्तरायन और दक्षिणायन इस दिन सूर्य उत्तरायन हो जाता है
* उत्तरायन के दौरान पृथ्वी का उत्तरी ध्रुव सूर्य की ओर मुड़ जाता है
* इसी दिन से वसंत ऋतु की भी शुरुआत होती है
* यह पर्व संपूर्ण अखंड भारत में फसलों के आगमन की खुशी के रुप में मनाया जाता है
* दक्षिण भारत में इस त्यौहार को पोंगल के रुप में मनाया जाता है
* उत्तर भारत में इसे लोहिड़ी खिचड़ी पर्व पतंग उत्सव आदि के रुप में मनाया जाता है
* मध्य भारत में इसे संक्रांति उत्तरायन माघी खिचड़ी आदि कहा जाता है
* इस दिन गुड़ और तिल से बने पकवान या मिष्ठान बनाए खाए तथा बांटे जाते हैं
* उत्तर भारत में इस दिन खिचड़ी का भोग लगाया जाता है
* माना जाता है कि इस दिन सूर्य देव अपने पुत्र शनि देव से नाराजगी त्याग कर उनके घर गए थे इसलिए इस दिन पवित्र नदी में स्नान दान पूजा आदि करने से पुण्य हजार गुना बढ़ जाता है
* इस दिन गंगा सागर में मेला लगता है
* यह दिन सुख और समृद्धि का माना जाता है
* इस दिन पतंग उड़ाने के बहाने लोग कुछ घंटे सूरज की प्रकाश में बिताते हैं
* श्रीकृष्ण ने भी सूर्य के उत्तरायन के महत्व के बारे में गीता में बताया है
* इसी दिन को महाभारत काल में भीष्म पितामह ने अपनी देह त्यागने के लिए चयन किया था
* इसी दिन गंगा जी भागीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होती हुई सागर में मिली थी
* महाराज भागीरथ ने अपने पूर्वजों के लिए इसी दिन तर्पण किया था

सूर्य (Sun)* सूर्य द्वारा छोड़े गए 800 अरब से ज्यादा न्यूट्राॅन आपके शरीर में से गुजर गये होंगे जब तक आपने ये वाक्य पढ़ा...
14/01/2025

सूर्य (Sun)
* सूर्य द्वारा छोड़े गए 800 अरब से ज्यादा न्यूट्राॅन आपके शरीर में से गुजर गये होंगे जब तक आपने ये वाक्य पढ़ा है
* हमारी आकाशगंगा में 200,000,000,000 तारे मौजूद है इनमें से एक सूर्य भी है जो पृथ्वी के सबसे नजदीक का तारा है
* सूर्य के भीतरी भाग का तापमान 14,999,726 डिग्री सेल्सियस और ऊपरी सतह का तापमान 5507°C है
* सूर्य 4.6 अरब साल पुराना है, अभी इसकी हाइड्रोजन खत्म होने में 5 अरब साल और लगेगे
* सूर्य हमारे सोलर सिस्टम की सबसे बड़ी वस्तु है, यह इतना बड़ा है कि इसमें 13 लाख पृथ्वी समा सकती हैं
* सूरज के प्रकाश को धरती तक पहुंचने में 499 seconds यानि 8.3 मिनट लगते है
* सूर्य क्या है: सूर्य एक गैस का गोला है यह 72% Hydrogen, 26% Helium और 2% Carbon & Oxygen से मिलकर बना हुआ है। इस पर कुछ भी ठोस नही है
* सूर्य का गुरूत्वाकर्षण बल इतना शक्तिशाली है कि 6 अरब किलोमीटर दूर स्थित प्लूटों भी अपनी कक्षा में घूम रहा हैं
* अगर कोई भी वस्तु सूरज के 20 लाख 22 हज़ार किलोमीटर के दायरे में आती है तो सूर्य उसे अपनी तरफ खींच लेता है
* यदि पृथ्वी पर आपका वजन 1 किलो है तो यह सूर्य पर 27 किलो हो जाएगा, क्योंकि सूर्य का गूरूत्वाकर्षण बल धरती से 27 गुना ज्यादा है
* सूर्य का व्यास 1,392,684 km है यानि पृथ्वी से 109 गुना बड़ा
* सूर्य का वजन 2 octillion ton है. मतलब, पृथ्वी से 333,060 गुना वज़नदार। (2 octillion tons = 1,989,100,000,000,000,000,000 billion kg)
* सूर्य उष्मा और ऊर्जा का सबसे बड़ा स्रोत्र है
* सूर्य की किरणोँ मे 7 रंग होते है
* अगर सूर्य का प्रकाश प्रथ्वी पर न पहुँचे तो प्रथ्वी कुछ घंटो मे बर्फ बन जायेगी
* सूर्य के सबसे नजदीक बुध व सबसे दूर वरुण ग्रह है
* संस्कृत मे सूर्य के 108 नाम है
* आमवस्या को जब चन्द्रमा सूर्य एंव प्रथ्वी के बीच होता है तो सूर्यग्रहण लगता है
* सूर्य के ऊर्जा का केवल 1/2 अरबवाँ भाग ही प्रथ्वी पर पहुँचता है
* सूर्य का द्रव्यमान 50 लाख/सेकंड कम हो रहा है
* अंटार्कटिका मे सूर्य हरा दिखता है
* अंतरिक्ष मे अंतरिक्ष यात्रीयो को सूर्य काला दिखता है
* नार्वे मे रात 12 बजे कुछ समय के लिए सूर्य उदय होता है
* चीन के सिँग नाइंग चू शहर मेँ 5 सूर्य दिखाई देता है
* हमारे सौरमंडल में मौजूद सभी ग्रह सूर्य के चारों और चक्कर लगाते है और जितने दिन में ये एक चक्कर लगाते है वहाँ उतने ही दिन का साल बन जाता है जैसे पृथ्वी अपना चक्कर 365 दिनों में पूरा करती है
* सूर्य पर मौजूद 7 करोड़ टन hydrogen, हर सेकंड 6 करोड़ 95 लाख टन helium और 5 लाख टन gamma किरणों में बदल रही है, यही सूर्य की तेज रोशनी का कारण भी है
* यदि एक पेंसिल की नोक जितना सूरज पृथ्वी पर आ जाए तो भी 145km दूर से ही आपकी जलकर मौत हो जाएगी
* सूर्य, पृथ्वी से 14 करोड़ 96 लाख किलोमीटर की दूरी पर है
* सौरमंडल का 99.86% वजन अकेले सूर्य का है
* सूर्य का असली रंग सफेद है

बेलूर मठ (कोलकाता)* बेलूर मठ पश्चिम बंगाल के शहर कोलकाता का यह एक पर्यटन स्थल  है* बेलूर मठ स्वामी विवेकानन्द का निवास स...
13/01/2025

बेलूर मठ (कोलकाता)
* बेलूर मठ पश्चिम बंगाल के शहर कोलकाता का यह एक पर्यटन स्थल है
* बेलूर मठ स्वामी विवेकानन्द का निवास स्‍थान रहा है
* बेलूर मठ तथा रामकृष्‍णा मंदिर हुगली नदी के तट पर बना हुआ है
* इनकी स्‍थापना स्वामी विवेकानंद जी ने 1898 ई. में की थी
* हावड़ा स्‍टेशन से यहाँ तक जाने के लिए बस तथा टैक्‍सी मिल जाती है
* बेलूर मठ के निर्माण में विभिन्‍न शैलियों का सम्मिश्रण है
* बेलूर मठ रामकृष्ण मिशन का मुख्यालय है
* बेलूर मठ 1938 में बना मंदिर हिंदु, मुस्लिम और इसाई शैलियों का मिश्रण है
* बेलूर मठ आने वाले को इस मंदिर में शाम के समय होने वाली आरती को जरुर देखना चाहिए
* बेलूर मठ में ही स्वामी विवेकानंद जी की समाधि भी है
* जनवरी 2020 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बेलूर मठ में रात बिताने वाले देश के पहले प्रधानमंत्री बने
* 40 एकर की भूमि पर अवस्थित इस मठ के मुख्य प्रांगण में स्वामी रामकृष्ण परमहंस, शारदा देवी, स्वामी विवेकानंद और स्वामी ब्रह्मानन्द की देहाग्निस्थल पर उनकी समाधियाँ व मन्दिर अवस्थित है, तथा रामकृष्ण मिशन के प्रमुख कार्यालय अवस्थित हैं
* रामकृष्ण मठ व मिशन के इतिहास और विचारधारा को आगंतुकों के समक्ष प्रदर्शित करने हेतु एक संग्रहालय भी यहाँ निर्मित किया गया है
* बेलुड़ मठ के मुख्य परिसर के निकट, रामकृष्ण मिशन के कुछ शिक्षा संस्थानों के भी परिसर हैं, जिनमें विद्यामंदिर, शिल्पमन्दिर, वेद विद्यालय तथा स्वामी विवेकानंद विश्वविद्यालय के परिसर शामिल हैं
* स्वामी विवेकानन्द की पूर्वपरिकल्पना के अनुसार मठ प्रांगण का अभिन्यास को उनके शिष्य, स्वामी विज्ञानानन्द ने तैयार किया था
* वर्त्तमान समय में, यह मठ भारत के प्रमुख पर्यटनस्थलों में से एक है, तथा स्वामी रामकृष्ण परमहंस, रामकृष्ण मिशन तथा स्वामी विवेकानंद के विश्वभर में विस्तृत श्रद्धालुओं हेतु एक पवित्र तीर्थस्थल के समान महत्व रखता है
* बेलुड़ मठ विभिन्न स्वास्थ्यसेवाएँ, शिक्षा, नारिकल्याण, श्रमिक व वंचित कल्याण हेतु ग्रामविकास, राहत, धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करता है
* यहाँ रामकृष्ण परमहंस, सारदा देवी तथा स्वामी विवेकानंद के जन्मोत्सव व पुण्यतिथि पर, विभिन्न धार्मिक समारोहों का आयोजन करता है, तथा क्रिसमस का जश्न भी यहाँ मनाया जाता है
* दुर्गा पूजा, विशेष रूप से महाष्टमी कुमारीपूजन, को देखने हेतु प्रतिवर्ष यहाँ बहुत बड़ी संख्या में लोग आते हैं

दिल्ली का इतिहास * राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली, राजनीति से लेकर आंदोलनों के लिए जानी जाती है। इसका इतिहास बहुत पुराना है। *...
13/01/2025

दिल्ली का इतिहास
* राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली, राजनीति से लेकर आंदोलनों के लिए जानी जाती है। इसका इतिहास बहुत पुराना है।
* महाभारत काल से लेकर अंग्रेजों से आजाद होने के पहले तक कई महत्वपूर्ण घटनाएं घटी।
* दिल्ली को कई बार तोड़ा गया, फिर जोड़ा गया। आइए समयवार इसके दिलचस्प इतिहास पर एक नजर डालते हैं।

दिल्ली का प्राचीन इतिहास

* ईसा पूर्व के 1000 साल पहले इसे महाभारत काल में इंद्रप्रस्थ की राजधानी के रूप में जाना जाता था।
* पांडवों ने श्रीकृष्ण की सहायता से खांडव प्रस्थ पहुंचकर इंद्र के सहयोग से इंद्रप्रस्थ नामक नगर बसाया था।
* पांडवों ने इंद्रप्रस्थ की राजधानी बनाने के लिए खंडावरण्य के जंगल को चुना था।
* आदिपर्व के 206 वें अध्याय में इस नगरी के निर्माण का वर्णन मिलता है।
* पांडवों के समय से तोमरों के समय तक का ऐतिहासिक विवरण उपलब्ध नहीं है।

मध्यकालीन दिल्ली का इतिहास

* दिल्ली के इतिहास के अनुसार 736 ईसवी में अनंगपाल तोमर ने तोमर राजवंश की स्थापना की थी।
* तोमर राजवंश ने दिल्ली पर 736 ईसवी से लेकर 1150 तक शासन किया।
* इसके बाद 1150 में चौहान राजवंश ने दिल्ली पर शासन शुरू किया।
* कुतुबुद्दीन ऐबक ने 1206 में गुलाम राजवंश की स्थापना की। इस राजवंश ने 1206 से लेकर 1290 तक शासन किया।
* गुलाम वंश के बाद दिल्ली पर खिलजी वंश ने शासन किया।
* 1321 में दिल्ली तुगलक वंश के आधीन आ गई।
* 1414 में ख्रिज खां ने सैय्यद वंश की स्थापना की।
* 1450 में बहलोल लोदी ने लोदी वंश की स्थापना की, जिसने 1526 तक शासन किया।
* 1526 ईसवी में बाबर ने मुगल वंश की स्थापना की।
* 1857 की क्रांति के बाद मुगल वंश खत्म हो गया और 1877 ईसवी में अंग्रेजों ने दिल्ली पर कब्जा कर लिया।

आधुनिक इतिहास

* 1903 ईसवी में वायसराय लॉर्ड कर्जन ने किंग एडवर्ड (VII)के राज्याभिषेक के उपलक्ष्य में दूसरे दिल्ली दरबार का आयोजन किया।
* 1911 में किंग जॉर्ज (V)ने तीसरे दिल्ली दरबार के दौरान राजधानी को कलकत्ता से दिल्ली स्थानांतरित करने की घोषणा की।
* 1912 में नए शाही शहर को बसाने की योजना शुरू हुई।
* 1913 में सर एडविन लुटियंस और सर हर्बर्ट बेकर को नए शहर के लिए नियुक्त किया गया।
* 1921 में आल इंडिया वार मेमोरियल (आज का इंडिया गेट) की आधारशिला रखी गई।
* 1929 में लार्ड इरविन ने विक्टोरिया हाउस (राष्ट्रपति भवन) की आधारशिला रखी।
* 1931 में नई दिल्ली का उद्घाटन हुआ और यह ब्रिटिश भारत की नई राजधानी बन गई।
* 15 अगस्त 1947 को अंग्रेजों से स्वतंत्र होने के बाद नई दिल्ली स्वतंत्र भारत की राजधानी बनी।

लोहड़ी (पर्व)* लोहड़ी उत्तर भारत का एक प्रसिद्ध त्योहार है* यह मकर संक्रान्ति के एक दिन पहले मनाया जाता है* मकर संक्रान्...
13/01/2025

लोहड़ी (पर्व)
* लोहड़ी उत्तर भारत का एक प्रसिद्ध त्योहार है
* यह मकर संक्रान्ति के एक दिन पहले मनाया जाता है
* मकर संक्रान्ति की पूर्वसंध्या पर इस त्यौहार का उल्लास रहता है
* रात्रि में खुले स्थान में परिवार और आस-पड़ोस के लोग मिलकर आग के किनारे घेरा बना कर बैठते हैं
* रात्रि में बैठकर लोग रेवड़ी, मूंगफली, लावा आदि खाए जाते हैं
* लोहड़ी पौष के अंतिम दिन, सूर्यास्त के बाद (माघ संक्रांति से पहली रात) यह पर्व मनाया जाता है
* यह प्राय: 12 या 13 जनवरी को पड़ता है
* लोहड़ी का त्यौहार पंजाबियों तथा हरयानी लोगो का प्रमुख त्यौहार माना जाता है
* लोहड़ी का त्यौहार पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, जम्मू काश्मीर और हिमांचल में धूम धाम तथा हर्षो लाश के साथ मनाया जाता हैं
* यह मुख्यत: पंजाब का पर्व है
* इस अवसर पर विवाहिता पुत्रियों को माँ के घर से 'त्योहार' (वस्त्र, मिठाई, रेवड़ी, फलादि) भेजा जाता है
* उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में 'खिचड़वार' और दक्षिण भारत के 'पोंगल' पर भी-जो 'लोहड़ी' के समीप ही मनाए जाते हैं
* लोहड़ी से 20-25 दिन पहले ही बालक एवं बालिकाएँ 'लोहड़ी' के लोकगीत गाकर लकड़ी और उपले इकट्ठे करते हैं
* संचित सामग्री से चौराहे या मुहल्ले के किसी खुले स्थान पर आग जलाई जाती है
* रात्रि में मोहल्ले और गांव के लोग अग्नि के चारों और बैठ जाते हैं और नृत्य के साथ साथ रेवड़ी मूंगफली आदि चीजें खाते हैं
* घर लौटते समय 'लोहड़ी' में से दो चार दहकते कोयले, प्रसाद के रूप में, घर पर लाने की प्रथा भी है
* जिन परिवारों में लड़के का विवाह होता है अथवा जिन्हें पुत्र प्राप्ति होती है, उनसे पैसे लेकर मुहल्ले या गाँव भर में बच्चे ही बराबर बराबर रेवड़ी बाँटते हैं
* शहरों के शरारती लड़के दूसरे मुहल्लों में जाकर 'लोहड़ी' से जलती हुई लकड़ी उठाकर अपने मुहल्ले की लोहड़ी में डाल देते हैं यह 'लोहड़ी व्याहना' कहलाता है
* लोहड़ी त्यौहार के उत्पत्ति के बारे में काफी मान्यताएं हैं जो की पंजाब के त्यौहार से जुडी हुई मानी जाती हैं
* कई लोगो का मानना हैं कि यह त्यौहार जाड़े की ऋतू के आने का द्योतक के रूप में मनाया जाता हैं
* लोहड़ी को दुल्ला भट्टी की एक कहानी से भी जोड़ा जाता हैं लोहड़ी की सभी गानों को दुल्ला भट्टी से ही जुड़ा तथा यह भी कह सकते हैं कि लोहड़ी के गानों का केंद्र बिंदु दुल्ला भट्टी को ही बनाया जाता हैं
* दुल्ला भट्टी मुग़ल शासक अकबर के समय में पंजाब में रहता था उसे पंजाब के नायक की उपाधि से सम्मानित किया गया था
* दुल्ला भट्टी एक विद्रोही था और जिसकी वंशवली भट्टी राजपूत थे उसके पूर्वज पिंडी भट्टियों के शासक थे जो की संदल बार में था अब संदल बार पकिस्तान में स्थित हैं

राष्ट्रीय युवा दिवस (12 January)* राष्ट्रीय युवा दिवस (National Youth Day) भारत में स्वामी विवेकानन्द के जन्म दिवस पर अर...
12/01/2025

राष्ट्रीय युवा दिवस (12 January)
* राष्ट्रीय युवा दिवस (National Youth Day) भारत में स्वामी विवेकानन्द के जन्म दिवस पर अर्थात 12 जनवरी को प्रतिवर्ष मनाया जाता है
* संयुक्त राष्ट्र संघ के निर्णयानुसार सन् 1985 ई. को 'अन्तर्राष्ट्रीय युवा वर्ष' घोषित किया गया
* इसके महत्त्व का विचार करते हुए भारत सरकार ने घोषणा की कि सन् 1985 से 12 जनवरी यानी स्वामी विवेकानन्द जन्म दिन राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में देशभर में सर्वत्र मनाया जाए
* राष्ट्रीय युवा दिवस को मनाने के सन्दर्भ में भारत सरकार का विचार था कि स्वामी विवेकानन्द जी का दर्शन एवं उनके जीवन तथा कार्य के पश्चात् निहित उनका आदर्श, यही भारतीय युवकों के लिए प्रेरणा का बहुत बड़ा स्रोत हो सकता है
* इस दिन देश भर के विद्यालयों एवं महाविद्यालयों में तरह-तरह के कार्यक्रम होते हैं, रैलियाँ निकाली जाती हैं, योगासन की स्पर्धा, पूजा-पाठ, व्याख्यान होते हैं और विवेकानन्द साहित्य की प्रदर्शनी लगती है
* वास्तव में स्वामी विवेकानन्द आधुनिक मानव के आदर्श प्रतिनिधि हैं विशेषकर भारतीय युवकों के लिए स्वामी विवेकानन्द से बढ़कर दूसरा कोई नेता नहीं हो सकता
* उन्होंने हमें कुछ ऐसी वस्तु दी है जो हममें अपनी उत्तराधिकार के रूप में प्राप्त परम्परा के प्रति एक प्रकार का अभिमान जगा देती है
* स्वामी जी ने जो कुछ भी लिखा है वह हमारे लिए हितकर है और होना ही चाहिए तथा वह आने वाले लम्बे समय तक हमें प्रभावित करता रहेगा
* प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप में उन्होंने वर्तमान भारत को दृढ़ रूप से प्रभावित किया है
* स्वामी विवेकानन्द आधुनिक भारत के एक महान् चिंतक, महान् देशभक्त, दार्शनिक, युवा संन्यासी, युवाओं के प्रेरणास्रोत और एक आदर्श व्यक्तित्व के धनी थे
* भारतीय नवजागरण का अग्रदूत यदि स्वामी विवेकानंद को कहा जाए तो यह अतिशयोक्ति नहीं होगी
* 'विवेकानंद' दो शब्दों द्वारा बना है विवेक+आनंद। 'विवेक' संस्कृत मूल का शब्द है 'विवेक' का अर्थ होता है बुद्धि और 'आनंद' का शाब्दिक अर्थ होता है- खुशियां
* स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी सन् 1863 को कलकत्ता (अब कोलकाता) में एक कायस्थ परिवार में हुआ था उनके बचपन का नाम नरेन्द्रनाथ दत्त था
* भारतीय सांस्कृतिक चेतना में नई जान फूंकने वाले स्वामी विवेकानंद ने भारतीय युवाओं में स्वाभिमान को जगाया और उम्मीद की नई किरण पैदा की
* भारतीय युवा और देशवासी भारतीय नवजागरण के अग्रदूत स्वामी विवेकानंद के जीवन और उनके विचारों से प्रेरणा ले सकते हैं
* 4 जुलाई 1902 को बेलूर के रामकृष्ण मठ में उन्होंने ध्यानमग्न अवस्था में महासमाधि धारण कर प्राण त्याग दिए
* 39 वर्ष के संक्षिप्त जीवनकाल में स्वामी विवेकानंद जो काम कर गए, वे आने वाली अनेक शताब्दियों तक पीढ़ियों का मार्गदर्शन करते रहेंगे
* अंतरराष्ट्रीय युवा दिवस संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा हर साल 12 अगस्त को मनाया जाता है

अखाड़ों में भंडारी* अखाड़ों के संतों जीवन में ध्यान और ज्ञान आम है। भोजन की व्यवस्था के भी अपने विधान हैं। संत गण इसे हर...
12/01/2025

अखाड़ों में भंडारी
* अखाड़ों के संतों जीवन में ध्यान और ज्ञान आम है। भोजन की व्यवस्था के भी अपने विधान हैं। संत गण इसे हरि को प्राप्त करने का माध्यम बताते हैं।
* किसी की क्षुधा मिटाना परम पुनीत कार्य है।
* श्रीनिरंजनी अखाड़ा के मुखिया भंडारी स्वामी नरेश्वर गिरि कहते हैं-भोजन करिअ तृपिति हित लागी। जिमि सो असन पचवै जठरागी। असि हरि भगति सुगम सुखदाई। को अस मूढ़ न जाहि सोहाई। अर्थात जैसे भोजन किया तो जाता है तृप्ति के लिए, उसे जठराग्नि अपने आप पचा डालती है, ऐसी सुगम और परम सुख देने वाली हरि भक्ति जिसे न सुहावे, ऐसा मूढ़ कौन होगा? जिसे यह जिम्मेदारी दी जाती है वह भंडारी बाबा का संबोधन प्राप्त करता है।
* भूखे का पेट भरने को भंडारी बाबा अपनी तपस्या मानते हैं।
* स्वामी नरेश्वर बताते हैं कि हर मनुष्य में ईश्वर का वास है। उन्हें भोजन करवाकर तृप्त करने से ईश्वर को तृप्ति मिलने की अनुभूति होती है।
* दौर बदला। रहन-सहन बदला। लोगों के व्यवहार में परिवर्तन आया। अगर कुछ नहीं बदला तो वह है अखाड़ों की कार्य संस्कृति। सदियों पुरानी परंपरा को अखाड़े जीवंत बनाए हैं। जिस पर उन्हें अभिमान है।
* उन्हीं परपंराओं में एक है भंडारी बाबा का पद। हर अखाड़े में भंडारी और कोठारी होते हैं।
* कोठारी खाने-पीने के सामानों का प्रबंध करते हैं। उन समानों से स्वादिष्ट व्यंजन बनाने का जिम्मा भंडारी बाबा निभाते हैं।
* समस्त अखाड़ों के आश्रम में तीन से चार भंडारी होते हैं।
* वहीं, कुंभ व महाकुंभ में लगने वाले शिविर में इनकी संख्या आठ से 10 कर दी जाती है।
* एक संत सबसे ऊपर होते हैं उन्हें मुखिया भंडारी कहा जाता है। सभी ब्राह्मण संत होते हैं।
* मुखिया भंडारी की अनुमति के बिन अखाड़े में चूल्हा नहीं जलता।
* अगर किसी को भोजन चाहिए तो उसे भंडारी बाबा से आग्रह करना पड़ेगा। अपने से कोई रसोई में घुसकर न कुछ बना सकता है, न ही निकाल सकता है। अनुशासन और विशेष कार्य-शैली उन्हें औरों से अलग करती है।
* कब क्या बनना है- इसका निर्णय भंडारी बाबा ही करते हैं। किस संत को क्या पसंद है? बाबा को उसकी पूरी जानकारी होती है। वह उसी के अनुरूप अपनी रसोई में व्यवस्था करते हैं।
* इनके काम में किसी प्रकार का कोई हस्तक्षेप नहीं करता।
* भंडारी बनने के लिए अखाड़े से कम से कम पांच वर्ष तक जुड़े रहना होता है। इसमें शारीरिक रूप से स्वस्थ्य होना आवश्यक है।
* अखाड़े का भंडारी बनना आसान नहीं है। भंडारी वेद-पुराण के ज्ञाता होते हैं, क्योंकि भोग लगाते समय मंत्रोच्चार करना पड़ता है।
* अखाड़े के सभापति अथवा सचिव उनके ज्ञान की परीक्षा लेते हैं। इसमें अलग-अलग धर्मग्रंथों के बारे में पूछा जाता है। तमाम मंत्रोच्चारण कराए जाते हैं। साथ ही उनके खाने-पीने की रुचि देखी जाती है। सबमें खरा उतरने पर भंडार की जिम्मेदारी मिलती है।
* भंडारी बाबा को छह माह तक भोजन बनाने का प्रशिक्षण दिया जाता है।
* मुखिया भंडारी व उनके साथ काम करने वाले संतों को पीला वस्त्र पहनना अनिवार्य है।
* बड़ा उदासीन अखाड़ा निर्वाण के मुखिया महंत दुर्गा दास बताते हैं कि पीला वस्त्र पवित्रता का प्रतीक है। यह भगवान विष्णु को पसंद है। वही सृष्टि के पालनहार हैं।
* अखाड़े का चूल्हा सदैव जलता रहे उसके लिए भगवान विष्णु को प्रसन्न करने और उनकी कृपा पाने के लिए भंडारी को पीला वस्त्र धारण कराया जाता है।
* नशा करके कोई भोजन बनाते पकड़ा जाता है तो उसे सजा मिलती है। सजा के तहत पूरे आश्रम की सफाई, अगर ठंड है तो भोर में किसी पवित्र नदी में 108 बार डुबकी लगाकर स्नान और खुले आसमान के नीचे खड़े होकर अखाड़े के आराध्य के नाम का 551 माला जप करना।
* अगर गर्मी का मौसम है तो स्नान करके कड़ी धूप में बैठकर अखाड़े के आराध्य के नाम का 551 माला जप करना पड़ता है। ऐसे संतों को भंडार से हटाकर दूसरे कार्यों में लगाया जाता है।
* वहीं, अनुशासनहीनता करने पर जूना अखाड़ा ने प्रयागराज के महाकुंभ 2013 में चार, उज्जैन कुंभ 2016 में तीन भंडारी को निष्कासित कर दिया।
* श्रीनिरंजनी अखाड़ा ने प्रयागराज कुंभ 2019 में दो और हरिद्वार कुंभ 2021 में तीन भंडारी को निष्कासित किया।
* इनके ऊपर आरोप था कि मुखिया भंडारी के निर्देश के विपरीत भोजन बनाया। साथ ही नशा करते हुए पकड़े गए। इसके बाद क्षमायाचना की। क्षमा करने के बाद पुन: नशा करते पकड़े गए।

सरस्वती कूप* कुंभ-2019 में श्रद्धालुओं को अक्षयवट व सरस्वती कूप का दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। अब महाकुंभ में सरस...
12/01/2025

सरस्वती कूप
* कुंभ-2019 में श्रद्धालुओं को अक्षयवट व सरस्वती कूप का दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। अब महाकुंभ में सरस्वती कूप का पवित्र जल घर ले जाने की संकल्पना साकार होगी।
* यमुना तट पर बने किला के अंदर पौराणिक महत्व वाला सरस्वती कूप है।
* सरस्वती कूप का सौंदर्यीकरण और सुदृढ़ीकरण कराकर इसे सरस्वती कूप कॉरिडोर का रूप दे दिया गया है।
* प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस कॉरिडोर का लोकार्पण किए और वह कूप का दर्शन और पूजन भी किया
* वहीं, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी किला स्थित इस कूप को लेकर कराए गए कार्यों का निरीक्षण करने पहुंचे। उन्होंने दर्शन-पूजन के बाद कूप का जल ग्रहण किया।
* इसके बाद उन्होंने घोषणा किया कि दर्शनार्थी यहां का जल घर ले जा सकेंगे। इसके लिए अधिकारियों को आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए।
* सरस्वती कूप का कुछ वर्ष पहले भारतीय सेना ने नवीनीकरण करवाया था।
* वर्ष 2019 के कुंभ के पहले इसका जीर्णोद्धार कराया गया था।
* यहां पर सरस्वती की एक मूर्ति भी है। जहां ये भूमिगत जलधारा है, उसे ‘सरस्वती कूप’ का नाम दिया गया।
* मान्यता है कि सरस्वती भूलोक में गंगा और यमुना के संगम से भी मिलती है।
* विशेषज्ञों की मानें तो सरस्वती कूप को त्रिवेणी की गुप्त धारा मानी जाती है।
* यह किला सेना के कब्जे में है। किले का कुछ ही भाग पर्यटकों के लिए खुला रहता है। शेष हिस्से का प्रयोग भारतीय सेना करती है।
* किला स्थित सरस्वती कूप का सौंदर्यीकरण व सुदृढ़ीकरण का कार्य कराया गया है। इसे अब सरस्वती कूप कॉरिडोर बना दिया गया है।
* मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद अब इस कूप के जल को श्रद्धालुओं को घर लेने जाने के लिए आवश्यक प्रबंध कराए जाएंगे।
* प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वर्ष 2019 के कुंभ के ठीक पहले 18 नवंबर को 2018 को प्रयागराज आकर अक्षयवट सरस्वती कूप को आम श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए खुलवाया था।
* वैसे इसे खोले जाने की पहली बार मांग 1932 में महामना मदन मोहन मालवीय ने उठाई थी। उसके बाद से लगातार कई बार यह मांग उठती रही।
* लगभग 450 वर्षों से किला में अक्षयवट व सरस्वती कूप का दर्शन बंद था।

दिगम्बर अखाड़ा * प्रयागराज में साल 2025 में महाकुंभ का आयोजन होने जा रहा है. ये महाकुंभ 13 जनवरी से आयोजित होगा और इसका ...
12/01/2025

दिगम्बर अखाड़ा
* प्रयागराज में साल 2025 में महाकुंभ का आयोजन होने जा रहा है. ये महाकुंभ 13 जनवरी से आयोजित होगा और इसका समापन 26 फरवरी को होगा.
* इस दौरान तमाम अखाड़ों के साधु-संत महांकुभ की शोभा बढ़ाते नजर आएंगे.
* महाकुंभ और कुंभ जैसे आयोजनों का जिक्र साधु संतों के अखाड़ों के बिना अधूरा है. महाकुंभ में कई अखाड़े शामिल होगें. इनमें से ही एक है दिगंबर अखाड़ा.
* श्री दिगम्बर अणि अखाड़ा बैरागी वैष्णव संप्रदाय के 3 अखाड़ों में से एक है.
* यही इस संप्रदाय का सबसे बड़ा अखाड़ा है और बाकी दोनों अखाड़े इसके सहायक के रूप में काम करते हैं.
* वैसे नाम सुनकर बहुत से लोगों को लगता होगा कि ये साधु नागा होते हैं यानी कपड़े नहीं पहनते होंगे. लेकिन इस समुदाय की पहचान है माथे पर लगा उर्ध्वपुंड्र यानी एक प्रकार का तिलक, जटाजूट और सफ़ेद कपड़े.
* दिगंबर अखाड़े के साधु नागा या वैरागी नहीं होते. इस अखाड़े के साधु वस्त्र पहनते हैं.
* दिगंबर अखाड़े के साधु एक विशेष अंगरख बांधते हैं और अपने शरीर पर धोती लपेटते हैं.
* वैष्णव अखाड़ों की यही पहचान होती है जो उन्हें शैव संप्रदाय के अखाड़ों से अलग करती है.
* श्री दिगम्बर अणि अखाड़ा में आणि का मतलब है समूह या छावनी.
* जहां शैव संप्रदाय के अखाड़ों के लोग त्रिपुंड्र तिलक यानी त्रिशूल जैसा तिलक लगाते हैं. उससे अलग वैष्णव अखाड़ों के साधु उर्ध्वपुंड्र लगाते हैं.
* इसके अलावा इस अखाड़े का झंडा भी अन्य झंडों से अलग होता है. दिगंबर अखाड़े का धर्म ध्वज पांच रंगों का होता है. इस ध्वज पर हनुमान जी की फोटो होती है.
* इस अखाड़े के प्रमुख कृष्णदास महाराज हैं.
* देशभर में इस अखाड़े के लगभग 450 अखाड़े हैं.
* चित्रकूट, अयोध्या, नासिक, वृन्दावन, जगन्नाथपुरी और उज्जैन में इसके एक-एक स्थानीय श्रीमहंत हैं.
* इसी आधार पर यह अखाड़ा अन्य वैष्णव अखाड़ों से अलग है.
* दिगंबर अखाड़े के दूसरे सचिव श्रीमहंत सत्यदेव दास के अनुसार, इस अखाड़े की स्थापना अयोध्या में की गई थी.
* स्थापना का समय तो साफ तौर पर नहीं पता, लेकिन कहा जाता है कि 500 साल पहले धर्म की रक्षा के लिए इसकी स्थापना हुई थी.
* अभी के समय में इस अखाड़े में दो लाख से ज्यादा वैष्णव संतों की मौजूदगी है.
* दिगंबर अखाड़े में लोकतांत्रिक प्रकिया से चुनाव होता है. इस अखाड़े के सर्वोच्च पद का नाम श्रीमहंत है.
* श्रीमहंत के पद का चुनाव हर 12 साल में महाकुंभ के समय किया जाता है.
* दिगंबर अखाड़े से संबंधित कई उप अखाड़े भी हैं. नंदराम दास के अनुसार, खाकी अखाड़ा, हरिव्यासी अखाड़ा, संतोषी अखाड़ा, निरावलंबी अखाड़ा, हरिव्यासी निरावलंबी अखाड़ा दिगंबर अखाड़े के ही अंग हैं.

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