हिन्दूराष्ट्र

हिन्दूराष्ट्र भारतीय प्राचिनतम सनातन संस्कृति को स?
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मध्य_प्रदेश की राजधानी भोपाल के वैज्ञानिक रहस्य अब निकल कर सामने आ रहे हैं... वैज्ञानिकों की मानें तो भोपाल मे हज़ारों स...
12/06/2024

मध्य_प्रदेश की राजधानी भोपाल के वैज्ञानिक रहस्य अब निकल कर सामने आ रहे हैं...
वैज्ञानिकों की मानें तो भोपाल मे हज़ारों साल पुरानी एक "ओम वैली" है, जिसका आकार मानसून के आने पर उभरकर सामने आ जाता है ...
नासा और इसरो द्वारा समय-समय पर छोड़े गये उपग्रहों की तस्वीरों से ये रहस्य सामने आया है अब इसपर वैज्ञानिक शोध हो रहा है ...
ये आकार वर्ष के बाकी समय नहीं दिखाई देता लेकिन जैसे ही मानसून आता है, जलाशय और हरियाली के बढ़ने से ओम का आकर उभर आता है ...
इस आकार के मध्य मे भोपाल का "भोजपुर शिवमंदिर" है ....
इस मंदिर का वैज्ञानिक महत्व भी है ...!
भोजपुर मंदिर मे भारत का सबसे बड़ा शिवलिंग मौजूद है ......!

‼हर हर महादेव🚩‼️

ब्राह्मण को संन्यास के बिना शरीर त्याग नहीं करना चाहिए ।इसका आशय यह है कि ब्राह्मण को आश्रम व्यवस्था के अनुसार दायित्व प...
04/06/2024

ब्राह्मण को संन्यास के बिना शरीर त्याग नहीं करना चाहिए ।
इसका आशय यह है कि ब्राह्मण को आश्रम व्यवस्था के अनुसार दायित्व पूर्ण कर आयु के अंतिम चरण में गृहस्थ से संन्यास में प्रवृत्त हो जाना चाहिए।

देहत्याग के समय वह संन्यासी हो।

#शास्त्रवचन

शिवलिंग पर पैर लगाते एक व्यक्ति की तस्वीर सोशल मिडिया पर क्यों वायरल हो रही है?जैसे ही खबर आई कि कोर्ट के आदेश पर बनी एक...
27/05/2024

शिवलिंग पर पैर लगाते एक व्यक्ति की तस्वीर सोशल मिडिया पर क्यों वायरल हो रही है?

जैसे ही खबर आई कि कोर्ट के आदेश पर बनी एक कमेटी की जांच में ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाने में एक बड़ा शिवलिंग मिला है, सोशल मीड़िया पर तमाम तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आने लगीं। कई नेताओं ने भी शिवलिंग का मजाक उड़ाया, एक प्रोफेसर ने भी ऐसा ही किया, पुलिस ने भी कई लोगों को इस मामले में जेल भेज दिया।

लेकिन एक ऐसी तस्वीर कई लोगों ने शिवलिंग की शेयर की, जो देखने में बेहद आपत्तिजनक लगती है। जिस भी शिव भक्त ने उसे देखा उसे गुस्सा आ रहा है, लेकिन चूंकि वो तस्वीर एडिट करके नहीं बनाई गई है, बल्कि मूर्ति रूप की भी तस्वीर है, सो लोग समझ नहीं पा रहे कि आखिर वो कौन होगा जिसने ये मूर्ति बनाई होगी। कोई ऐसा कैसे कर सकता है कि शिवलिंग पर पैर लगाते हुए व्यक्ति की मूर्ति बना सके?

ये तस्वीर शेयर करने वालों में सबसे प्रमुख नाम है देवदत्त पटनायक का, हिंदू पौराणिक ग्रंथों में ढूंढ़-ढूंढकर वो बातें निकालना, जो राष्ट्रवादियों की आस्था को चोट पहुंचाती हैं, ये देवदत्त को काफी पसंद आता है, अपने इस अभियान में वह कई बार गलत बातें भी शेयर कर देते हैं और फिर उनकी फजीहत भी होती है, लेकिन रुकते नहीं है। पहले देवदत्त पटनायक का ट्वीट पढ़िए...

उन्होंने लिखा है कि, ‘’Remember Kanappa today... this Nayamnar saint of South India loved Shiva in his own way.... full of love... considered superior to the Brahmin ritual performance of devotion’’। इस ट्वीट में जो उन्होंने लिखा है, उससे संदेश मिलता है कि दक्षिण भारत के ये संत शिव को इसी तरह यानी लिंग पर पैर रखकर सम्मान देते थे। आदत के मुताबिक ब्राह्मणों की आलोचना करते हुए उन्होंने ये भी लिखा है कि इसे ब्राह्मणों की पूजा से बेहतर समझा जाता था।

लेकिन उनके ट्वीट पर गौर करेंगे तो आप पाएंगे कि वह आपको पूरा सच नहीं बता रहे हैं। एक तरह से आधा सच गुमराह ही करता है। संदेश उनकी ट्वीट से ये जा रहा है संत कनप्पा इसी तरह से अपने आराध्य महादेव की पूजा करते थे, लिंग पर पैर लगाकर. जबकि ये बिलकुल भी सच नहीं है।

अकेले देवदत्त नहीं सोशल मीडिया खासतौर पर ट्विटर व फेसबुक पर बहुत से लोगों ने इस तस्वीर को शेयर किया है, किसी में इसी मुद्रा में बनी मूर्तियों की फोटो है, तो कहीं किसी चित्रकार ने पेंटिंग की तरह बनाया है। इससे ये तो पता चलता है कि कई जगह कनप्पा की शिव लिंग को पैर लगाते हुए मूर्तियां भी हैं, अगर वाकई में ऐसा है तो आज तक कोई हंगामा क्यों नहीं हुआ? कोई नाराज क्यों नहीं होता? भगवा दल वाले क्यों इस पर ऐतराज नहीं करते?

इसका मतलब साफ है कि उनको पता है कि इसमें कुछ भी विवादित नहीं है। जबकि देवदत्त जैसे तमाम लोग हैं, जो इसे गलत ना बताते हुए भी भ्रम में डालने वाला टैक्स्ट उसके साथ लिख रहे हैं। जैसे एआईएमआईएम से जुड़े मुबासिर किसी और की ऐसी ही पोस्ट शेयर करते हुए लिखते हैं कि, ‘’मुझे नहीं पता कि उत्तर भारतीयों को भक्त कनप्पा के बारे में पता भी है कि नहीं, अगर ये आज के दौर में होता तो कनप्पा के खिलाफ शिवलिंग पर पैर रखने के चलते ना जाने कितने केस हो गए होते।’’

सभी लोग कनप्पा को शिवभक्त ही बता रहे हैं, ये नहीं बता रहे कि वो अपमान कर रहे हैं, यानी कहना चाहते हैं कि ये भी एक तरीका है शिवलिंग की पूजा करने का। ये सारी कवायद इसलिए है ताकि इतने सालों तक ज्ञानवापी के वजू खाने में शिवलिंग के साथ जो भी हुआ, उसको जायज ठहराया जा सके।

संत कनप्पा उन 63 नयनार संतों में गिने जाते हैं, जो शिव के उपासक थे, व तीसरी से आठवीं शताब्दी के बीच हुए थे। जबकि अलवार संत विष्णु के उपासक थे। कनप्पा पेशे से शिकारी थे, जो बाद में संत बन गए। उनके भक्त मानते हैं कि वो पिछले जन्म में पांडवों में से एक अर्जुन थे। कनप्पा नयनार के कई नाम चलन में हैं, जैसे थिनप्पन, थिन्नन, धीरा, कन्यन, कन्नन आदि। माता पिता ने उनका नाम थिन्ना रखा था। आंध्र प्रदेश के राजमपेट इलाके में उनका जन्म हुआ था।

उनके पिता बड़े शिकारी थे और शिवभक्त थे, शिव के पुत्र कार्तिकेय को पूजते थे। कनप्पा श्रीकलहस्तीश्वरा मंदिर में वायु लिंग की पूजा करते थे, शिकार के दौरान उन्हें ये मंदिर मिला था। पांचवी सदी में बना इस मंदिर का बाहरी हिस्सा 11वीं सदी में राजेन्द्र चोल ने बनवाया था, बाद में विजय नगर साम्राज्य के राजाओं ने उसका जीर्णोद्धार करवाया।

लेकिन थिन्ना को पता नहीं था कि शिव भक्ति और पूजा के विधि विधान क्या है। किन नियमों का पालन करना है, लेकिन उनकी श्रद्धा अगाध थी। कहा ये तक जाता है कि वह पास की स्वर्णमुखी नदी से मुंह में पानी भरकर लाते थे और उससे शिवलिंग का जलाभिषेक करते थे, चूंकि शिकारी थे, सो जो भी उन्हें मिलता था, एक हिस्सा शिव को अर्पित कर देते थे, यहां तक कि एक बार सुअर का मांस भी।

लेकिन शिव अपने इस भक्त की आस्था को देखकर खुश थे, उनको पता था कि इसे पूजा करनी नहीं आती है, ना मंत्र पता हैं ना किसी तरह के विधि विधान। सैकड़ों सालों से ये कथा कनप्पा के भक्तों में प्रचलित है कि एक दिन महादेव ने उनकी परीक्षा लेने की ठानी और उन्होंने उस मंदिर में उस वक्त भूकंप के झटके दिए, जब मंदिर में बाकी साथियों, भक्तों और पुजारियों के साथ कनप्पा भी मौजूद थे।

जैसे ही भूकंप के झटके आए, लगा कि मानो मंदिर की छत गिरने वाली है, तो डर के मारे सभी भाग गए, भागे नहीं तो बस कनप्पा। उन्होंने ये किया कि अपने शरीर से शिव लिंग को पूरी तरह से ढक लिया ताकि कोई पत्थर अगर गिरे तो शिवलिंग के ऊपर ना गिरे बल्कि उनके ऊपर गिरे। इससे वह पूरी तरह सुरक्षित रहा।

शिवलिंग पर तीन आंखें बनी हुई थीं। जैसे ही भूकम्प के झटके थोड़ा थमे, कनप्पा ने देखा कि शिवलिंग पर बनी एक आंख से रक्त और आंसू एक साथ निकल रहे थे। उनकी समझ में आ गया कि किसी पत्थर से शिवजी की एक आंख घायल हो गई है। आव देखा ना ताव, कनप्पा ने फौरन अपनी एक आंख अपने एक वाण से निकालने की प्रक्रिया शुरू कर दी और उसे निकालकर शिवलिंग की आंख पर लगा दिया, जिससे उसमें से खून निकलना बंद हो गया। लेकिन थोड़ी देर बाद ही शिवलिंग की दूसरी आंख से रक्त और आंसुओं का निकलना शुरू हो गया।

तब कनप्पा ने जैसे ही दूसरी आंख निकालने की प्रक्रिया शुरू की, उनके दिमाग में आया कि जब मैं अपनी दूसरी आंख भी निकाल लूंगा तो बिलकुल अंधा हो जा जाऊंगा, ऐसे में मुझे कैसे दिखेगा कि उस आंख को शिवलिंग में कैसे लगाना है।

ऐसे में उन्हें एक उपाय सूझा, उन्होंने फौरन अपना एक पैर उठाया और पैर का अंगूठा ठीक उस आंख के पास लगा दिया, ताकि अंधा होने के बावजूद वो शिवजी की दूसरी आंख की जगह अपनी आंख लगा सके। उसी वक्त भगवान शिव प्रकट हुए और उससे खुश होकर उसकी आंखें एकदम ठीक कर दीं। यही वो घटना थी, जिसके चलते थिन्ना को नया नाम कनप्पा मिला था।

इसी मौके की वो तस्वीर या मूर्तियां हैं, कि कैसे वह एक हाथ में वाण से आंख निकालेंगे, दूसरे हाथ से उसे पकड़ेंगे तो जहां से आंख निकालनी है, उस जगह को कैसे चिन्हित करेंगे, तो पैर का अंगूठा उस मासूम भक्त ने शिवलिंग पर रखा, इस काम के लिए था। लेकिन जितने भी लोग शेयर करे रहे हैं, चाहे वो देवदत्त पटनायक ही क्यों ना हो, किसी को ये नहीं बता रहे कि शिव भगवान ने उनकी भक्ति की परीक्षा ली थी और ये बस एक पल का वाकया था, ना कि रोज कनप्पा ऐसा किया करते थे. लेकिन इससे सच्चाई बाहर आ जाती और उनमें से बहुत से लोग ये चाहते भी नहीं।

- © साभार संकलन

हर हर महादेव💐
जयभवानी💐
जयश्रीराम💐

This is the Jamia Mosque in Srirangapatnam where Hyder Ali and Tipu Sultan ruled. See how they broke the temples and cov...
26/05/2024

This is the Jamia Mosque in Srirangapatnam where Hyder Ali and Tipu Sultan ruled. See how they broke the temples and covered the walls and pillars and built a mosque. Similarly so many temple's has converted.

पाकिस्तान में झेलम नदी के किनारे बसा हुआ भेरा (Bhera) शहर !बटवारे से पहले इस शहर में एक भी मुस्लिम नहीं रहता था पूरा शहर...
24/05/2024

पाकिस्तान में झेलम नदी के किनारे बसा हुआ भेरा (Bhera) शहर !
बटवारे से पहले इस शहर में एक भी मुस्लिम नहीं रहता था पूरा शहर बनियों जैन सभी जातियों के हिन्दुओं और सिखों से भरा था ! यह शहर जीटी रोड पर था बिजनेस का बहुत बड़ा केंद्र था और सिल्क रुट पर था !

लोग कहते हैं कि इस शहर का रहने वाला लगभग हर व्यक्ति उस जमाने में भी लखपति था क्योंकि ज़्यादातर हिन्दू बड़े व्यापारी थे !

इस शहर में मकानों के खंडहर देखकर लगता है उस जमाने में यह शहर कितना खूबसूरत हुआ करता होगा !

बंटवारे के वक्त यहाँ रहने वाले हिन्दुओं को अपना यह शहर छोड़ना पड़ा ! लेकिन इस शहर के लोगों को यह विश्वास था कि वह फिर वापस आएंगे ! इसीलिए उस क़त्लेआम के माहौल में उन्होंने अपने गहने और कीमती सामान वहीं अपने घरों में छुपा दिए !

बंटवारे के बाद जब कुछ घरों में से सोना चांदी और कीमती सामान मिले तो आसपास के शहरों में यह खबर फैल गई कि हिन्दुओं और सिखों ने काफी सोना चाँदी अपने-अपने घरों में छुपा रखा था जिसे वो यहीं छोड़ गए ! उसके बाद मुसलमानों में इस शहर में हर एक घर को तोड़कर सोना चांदी कीमती सामान तलाशने की होड़ मच गई और इस शहर के सारे घर खोद डाले गए !

उस सोने चाँदी के लिए जिसे हिन्दू इस उम्मीद में छुपा छोड़ गए थे कि वो फिर से अपने घरों में वापस आएंगे !
1947 में हिन्दू अपने उन घरों को, जिनमें वो अपने भरे पूरे परिवार सहित सैंकड़ों सालों से रहते आए थे केवल अपनी जान और बहू बेटियों की इज़्ज़त बचाने के लिए रातों रात हमेशा के लिए छोड़ना पड़ा।
घोर हिन्दुत्व विरोधी ढोंग्रेस आज हिन्दुओं को एक बार फिर उसी दौर के नज़दीक ले आई है !
जिसके बाद उन्हें अपने उन घरों का कभी
मुँह देखना भी नसीब नहीं हुआ !
#विचारणीय #सनातन #भारत #हिंदू #हिन्दूराष्ट्र #वंदेमातरम #अयोध्या #राममंदिर

*This is just a reminder of how Christianity became so popular today.*During the reign of Charlemagne, women were impale...
23/05/2024

*This is just a reminder of how Christianity became so popular today.*

During the reign of Charlemagne, women were impaled on sharpened poles put in the va**na.

Slowly, over days, the pole would travel the length of the body through the organs, causing tremendous pain, simply because a woman was found collecting herbs in the forest. She was labelled a witch.

Their screams could be heard for days as an example to those who would not accept the foreign faith. Christianity became so popular because of sheer terror of what would happen if it wasn't accepted. And people think the N***s were horrible..

Observant Iroyin Ife

कक्षा 3 में पढ़ने वाली बालिका को  #बिगड़ने के लिये NCERT कुछ ऐसे तैयार करती है 👇NCERT कक्षा 3 की अंग्रेजी पुस्तक - #रीना अ...
22/05/2024

कक्षा 3 में पढ़ने वाली बालिका को #बिगड़ने के लिये NCERT कुछ ऐसे तैयार करती है 👇

NCERT कक्षा 3 की अंग्रेजी पुस्तक -

#रीना अपने मित्र #अहमद को काफी मिस कर रही है एवं पत्र लिखकर उसे अगरतला #बुला रही है.....

जब अंग्रेज इस देश में आए तब यहां सुई भी नही बनती थी कहने वालो ये जयपुर का हवामहल देख लो।
05/05/2024

जब अंग्रेज इस देश में आए तब यहां सुई भी नही बनती थी कहने वालो ये जयपुर का हवामहल देख लो।

इतिहास इतिहास करने वाले झुरमुटियों के सीने पर मूंग दलेगी ये मूवी...... #रजाकार देखो.... दस 'कश्मीर फाइल्स'दस 'केरला स्टो...
04/05/2024

इतिहास इतिहास करने वाले झुरमुटियों के सीने पर मूंग दलेगी ये मूवी......

#रजाकार देखो....
दस 'कश्मीर फाइल्स'
दस 'केरला स्टोरी' और
दस 'बस्तर' मिलाकर
एक रजाकार जैसी फ़िल्म बनती है.....

यह फ़िल्म नहीं... महागाथा है... हमारे पूर्वजों द्वारा लड़ी गई दर्दभरी... रक्तरंजित सच्ची कहानी है !!

रज़ाकर देखो.... अपने पूर्वजों का त्याग,बलिदान,संघर्ष और जिजीविषा देखो... आने वाली पीढ़ियों तक यह संघर्ष-त्यागगाथा पहुचाओ....

शेयर-कापी कीजिये...प्लीज़...🙏

 #परिंदा_ए_काबा ""काबा ऐसी जगह है जिसके ऊपर से आज तक कोई परिंदा नहीं गुजरा।दुनिया की किसी भी एयरलाइन का जहाज उसके ऊपर से...
03/05/2024

#परिंदा_ए_काबा ""

काबा ऐसी जगह है जिसके ऊपर से आज तक
कोई परिंदा नहीं गुजरा।

दुनिया की किसी भी एयरलाइन का जहाज उसके
ऊपर से नहीं गुजरा।

कुदरती तौर पर उसकी स्थिति व दशा ऐसी है कि
चांद और सूरज भी उसके ऊपर नहीं हो सकते।

कुरान ने साबित किया की दुनिया का केंद्र सुभान अल्लाह खाना-ए-काबा है।

#किसे_सच_माने ?

सुनी सुनाई बातों को , कि काबे के ऊपर से परिंदा भी
उड़ कर नहीं जाता।
या #बीट करते हुए #कबूतर_को_देख कर।

#खुदा_खैर_करे ,,,,

और फिर वह कूद गई, यह वर्ष 1323 ई. था।तमिल महीने वैकासी के दौरान दिल्ली सल्तनत द्वारा श्रीरंगम पर हमला किया गया था। श्रीर...
18/04/2024

और फिर वह कूद गई, यह वर्ष 1323 ई. था।

तमिल महीने वैकासी के दौरान दिल्ली सल्तनत द्वारा श्रीरंगम पर हमला किया गया था। श्रीरंगम द्वीप के लगभग 12,000 निवासियों ने मंदिर की रक्षा के लिए लड़ते हुए अपने प्राणों की आहुति दे दी थी। सेना ने मंदिर पर हमला किया और भगवान रंगनाथ के गहने और मंदिर का सोना लूट लिया गया।

सेनाएँ विष्णु की मूर्ति को भी जब्त करना चाहती थीं। उन्होंने मूर्ति की तलाश की लेकिन वैष्णव आचार्य, पिल्लैलोकाचार्य मूर्ति को लेकर मदुरै भाग गए थे। (विष्णु की मूर्ति, जिसे नम्पेरुमल कहा जाता है, जो 1323 में श्रीरंगम से चली गई थी, 1371 में ही वापस लौटी)।

मूर्ति का पता लगाने में असमर्थ, सल्तनत की सेना ने मंदिर के अधिकारियों को मार डाला और बाद में पिल्लैलोकाचार्य और नम्पेरुमल की बड़े पैमाने पर तलाश शुरू कर दी।

इस डर से कि सेना आचार्य और मूर्ति को पकड़ लेगी, मंदिर की नर्तकी वेल्लयी ने सेना के कमांडर के सामने नृत्य किया, जिससे पिल्लईलोकाचार्य को मूर्ति लेकर भागने का समय मिल गया।

उसका नृत्य कई घंटों तक चला और अंत में वह कमांडर को पूर्वी गोपुरम में ले गई और उसे नीचे धकेल दिया। उसे मारने के बाद, वेल्लयी ने रंगनाथर का नाम जपते हुए पूर्वी प्रवेश द्वार के टॉवर से कूदकर अपनी जान दे दी।

वेल्लयी के बलिदान की सराहना करते हुए, विजयनगर सेना के प्रमुख केम्पन्ना, जिन्होंने सल्तनत की सेनाओं को खदेड़ दिया था, ने टॉवर का नाम उनके नाम पर रखा। उनकी याद में गोपुरम को सफेद रंग से रंगा जाता है और अब इसे वेल्लई गोपुरम कहा जाता है।

कहीं हम भूल न जाएं.......!
साभार.....

"सनातन विद्या से 𝗖𝘆𝗯𝗲𝗿 𝘀𝗲𝗰𝘂𝗿𝗶𝘁𝘆"जी हाँ, शास्त्रों में एक ऐसी भी विद्या है जिससे आप अपने pin को सुरक्षित और गोपनीय रख सकत...
01/11/2023

"सनातन विद्या से 𝗖𝘆𝗯𝗲𝗿 𝘀𝗲𝗰𝘂𝗿𝗶𝘁𝘆"

जी हाँ, शास्त्रों में एक ऐसी भी विद्या है जिससे आप अपने pin को सुरक्षित और गोपनीय रख सकते हैं।
उस विद्या का नाम है "कटपयादी सन्ख्या विद्या"

◆ कटपयादि संख्या

हम में से बहुत से लोग अपना Password, या ATM PIN भूल जाते हैं इस कारण हम उसे कहीं पर लिख कर रखते हैं पर अगर वो कागज का टुकड़ा किसी के हाथ लग जाए या खो जाए तो परेशानी हो जाती, पर अपने Password या Pin No. को हम लोग “कटपयादि संख्या” से आसानी से याद रख सकते है।

“कटपयादि”( क ट प य आदि) संख्याओं को शब्द या श्लोक के रूप में आसानी से याद रखने की प्राचीन भारतीय पद्धति है

चूँकि भारत में वैज्ञानिक/तकनीकी/खगोलीय ग्रंथ पद्य रूप में लिखे जाते थे, इसलिये संख्याओं को शब्दों के रूप में अभिव्यक्त करने हेतु भारतीय चिन्तकों ने इसका समाधान 'कटपयादि' के रूप में निकाला।

कटपयादि प्रणाली के उपयोग का सबसे पुराना उपलब्ध प्रमाण, 869 AD में “शंकरनारायण” द्वारा लिखित “लघुभास्कर्य” विवरण में मिलता है

तथा “शंकरवर्मन” द्वारा रचित “सद्रत्नमाला” का निम्नलिखित श्लोक इस पद्धति को स्पष्ट करता है
◆ इसका शास्त्रीय प्रमाण -

नज्ञावचश्च शून्यानि संख्या: कटपयादय:।
मिश्रे तूपान्त्यहल् संख्या न च चिन्त्यो हलस्वर: ॥

[अर्थ: न, ञ तथा अ शून्य को निरूपित करते हैं। (स्वरों का मान शून्य है) शेष नौ अंक क, ट, प और य से आरम्भ होने वाले व्यंजन वर्णों द्वारा निरूपित होते हैं। किसी संयुक्त व्यंजन में केवल बाद वाला व्यंजन ही लिया जायेगा। बिना स्वर का व्यंजन छोड़ दिया जायेगा।]

अब चर्चा करते हैं कि आधुनिक काल में इसकी उपयोगिता क्या है और कैसे की जाए ?

कटपयादि – अक्षरों के द्वारा संख्या को बताकर संक्षेपीकरण करने का एक शास्त्रोक्त विधि है, हर संख्या का प्रतिनिधित्व कुछ अक्षर करते हैं जैसे

1 – क,ट,प,य
2 – ख,ठ,फ,र
3 – ग,ड,ब,ल
4 – घ,ढ,भ,व
5 – ङ,ण,म,श
6 – च,त,ष
7 – छ,थ,स
8 – ज,द,ह
9 – झ,ध
0-ञ,न,अ,आ,इ,ई,उ,ऊ,ऋ,ॠ,लृ,ए,ऐ, ओ,औ
हमारे आचार्यों ने संस्कृत के अर्थवत् वाक्यों में इन का प्रयोग किया, जैसे गौः = 3, श्रीः = 2 इत्यादि ।

इसके लिए बीच में विद्यमान मात्रा को छोड़ देते हैं । स्वर अक्षर ( vowel) यदि शब्द के आदि (starting) मे हो तो ग्राह्य ( acceptable) है, अन्यथा अग्राह्य (unacceptable) होता

जैसे समझिए कि मेरा ATM PIN 0278 है- पर कभी-कभी संख्या को याद रखते हुए ATM में जाकर हम Confuse हो जातें हैं कि 0728 था कि 0278 ?
यह भी अक्सर बहुत लोगों के साथ होता है, ये इनसे बचने के उपाय हैं

जैसे ATM PIN के लिए कोई भी चार अक्षर वाले संस्कृत शब्द को उस के कटपयादि मे परिवर्तन करें ( उस शब्द को सिर्फ अपने ही मन मे रखें, किसी को न बताएं )

उदाहरण के लिए –

इभस्तुत्यः = 0461

गणपतिः = 3516

गजेशानः = 3850

नरसिंहः = 0278

जनार्दनः = 8080

सुध्युपास्यः = 7111

शकुन्तला = 5163

सीतारामः = 7625

इत्यादि ( अपने से किसी भी शब्द को चुन लें )
ऐसे किसी भी शब्द को याद रखें और तत्काल “कटपयादि संख्या” में परिवर्तन करके अपना ATM PIN आदि में प्रयोग करें ।

सत्य सनातन धर्म की जय 🙏❤️

“A mother’s arms are more comforting than anyone else’s.”Mother and Child 12th century. Khajuraho, Chandela. Indian Muse...
30/10/2023

“A mother’s arms are more comforting than anyone else’s.”

Mother and Child 12th century. Khajuraho, Chandela. Indian Museum.

This is 12th Century Sculpture.
So Rich our Cultural and Art Heritage.

Mother always had a special place in Sanatan Dharma,
Evident through this priceless image of our ancient heritage!

This beautiful Mother and Child’s sculpture from The Temple at Khajuraho, Madhya Pradesh. Chandela dynasty.

Photographer: William Dalrymple(via Twitter: William Dalrymple)

*


अगर मुस्लिम होकर मुस्लिम देश छोड़ना पड़े और कोई मुस्लिम देश शरण न दे तोये इस्लाम छोड़ने का सही समय है ।।।
26/10/2023

अगर मुस्लिम होकर मुस्लिम देश छोड़ना पड़े और कोई मुस्लिम देश शरण न दे तो
ये इस्लाम छोड़ने का सही समय है ।।।

मनु स्मृति में लिखा है की ब्राह्मण के स्थान पर शुद्र बैठ जाये तो उसे दंडित करो।इस लेख को दिखा कर,, हिन्दूओं में भेदभाव ज...
16/10/2023

मनु स्मृति में लिखा है की ब्राह्मण के स्थान पर शुद्र बैठ जाये तो उसे दंडित करो।

इस लेख को दिखा कर,, हिन्दूओं में भेदभाव जातिवाद है कहकर...
एक व्यक्ति मुझे उकसाने लगा।

फिर मैंनें उसकी समस्या का समाधान करने के लिए ठान लिया।

सबसे पहले उसको बौद्ध मंदिर ले गया
वहां बुद्ध के पास भंते जी का स्थान था।

मैंने उस व्यक्ति से कहा कि,
अब तू भंते को हटा कर खुद बैठ जा।

व्यक्ति ने ऐसा ही किया

फिर क्या था ...
भंते जी ने गुस्से में चार पांच छड़ी व्यक्ति को जमाया
और उसे अपनी औकात में रहने की सलाह भी दे डाली।

फ़िर मैं उसे
एक दरगाह में ले गया
वहां कब्र के पास मौलाना साहब की गद्दी थी,

मैंने व्यक्ति से कहा की इसे हटा कर तू बैठ जा।
व्यक्ति ने वैसा ही किया।

मौलाना साहब ने उसे सौ जूते दिए
काफ़िर कह कर उसकी खूब ठुकाई की।
माफ़ी वगैरह मांगने के बाद व्यक्ति वहां से जान बचा कर भाग खड़ा हुआ।

फिर मैं उस व्यक्ति को एक चर्च में ले गया

वहां काफी लोग प्रे कर रहे थे , मैंने उससे कहा चर्च के फादर को किनारे ढकेल कर लोगो से बोलो की वह तुम्हें फादर कहे ,

फिर क्या था व्यक्ति ने वही किया ,
उसके बाद उसी चर्च में इतना ठुकाई हुई की बेहोश हो गया ,
बड़ी मुश्किल से उसे मैं घर लेकर आया।

फिर अगले दिन अब मैं उस,
व्यक्ति को एक गली के मंदिर मे ले गया

वहां सभी कॉलोनी के लोग बारी बारी से आरती कर रहे थे कोई शन्ख बजा रहा था तो कोई झालर, घण्टी व सभी लोग बारी बारी से आरती कर रहे थे...

मैंने व्यक्ति से कहा की इनको हटा कर तू जो भी करना चाहता है वो कर सकता है, फिर
व्यक्ति ने वैसा ही किया, उसने घण्टी बजाई, आरती भी की, पंडित जी ने अपने हाथ से प्रसाद दिया.....

व्यक्ति तब से आज तक शर्मिंदा है कहता है मैं भी हिन्दू हुं, अज्ञानता वंश निज धर्म का ही विरोध करता था।
अब मिलता है तो बोलता है भाई, हिन्दू हिन्दू भाई भाई॥🙏
अगर आप को भी कोई व्यक्ति ऐसा मिले तो उसे चारो धाम के दर्शन जरूर करवायें। पुण्य कमाएं।

#जयहो

असम के गुवाहाटी में देवी मां कामाख्या के प्राचीन महा शक्ति पीठ में देवी चामुंडा (मातृका) की शक्तिशाली प्रतिमाओं में से ए...
04/09/2023

असम के गुवाहाटी में देवी मां कामाख्या के प्राचीन महा शक्ति पीठ में देवी चामुंडा (मातृका) की शक्तिशाली प्रतिमाओं में से एक!

जंगल नहीं यह एक पेड़ है :1.5 लाख वर्ग मीटर में फैला है एक बरगद का पेड़, उम्र 250 सालदुनिया का सबसे चौड़ा बरगद का पेड़ 14500...
02/09/2023

जंगल नहीं यह एक पेड़ है :
1.5 लाख वर्ग मीटर में फैला है एक बरगद का पेड़, उम्र 250 साल

दुनिया का सबसे चौड़ा बरगद का पेड़ 14500 वर्ग मीटर में फैला है। कोलकाता के पास आचार्य जगदीश चंद्र बोस बॉटनिकल गार्डन ( The Acharya Jagadish Chandra Bose Botanical Garden) में लगा ये पेड़ 250 साल से अधिक समय में इतना विशाल हो पाया है। दूर से देखने में ये पेड़ एक जंगल की तरह नज़र आता है। दरअसल,बरगद के पेड़ की शाखाओ से जटाए पानी की तलाश में निचे जमीन की और बढती है। वे बाद में जड़ के रूप में पेड़ को पानी और सहारा देने लगती है। ये सिलसिला चलता जाता है।

फ़िलहाल इस बरगद की 2800 से अधिक जटाए जड़ का रूप ले चुकी है। 19वीं शताब्दी में यहाँ आये 2 चक्रवाती तुफानो ने इसकी मूल जड़ को उखाड़ दिया था जो बाद में फंगस लगने के कारण खराब हो गई। 1925 में इस जड़ को काटकर अलग कर दिया गया पर तब तक कई दूसरी जटाए जड़ का रूप ले चुकी थी। इस कारण ये पेड़ आज भी बढता जा रहा है।

1. 1. एक हेक्टर भांग 25 हेक्टर जंगल जितना ऑक्सीजन छोड़ती है। भांग 4 महीने में और पेड़ 20-50 साल में ।2. 2. एक हेक्टेयर भ...
30/08/2023

1. 1. एक हेक्टर भांग 25 हेक्टर जंगल जितना ऑक्सीजन छोड़ती है। भांग 4 महीने में और पेड़ 20-50 साल में ।
2. 2. एक हेक्टेयर भांग से 4 हेक्टेयर जंगल उतने ही कागज मिलते हैं।
3. पेड़ 3 बार रीसाइक्लेबल पेपर बनाते हैं जबकि भांग 8 बार रीसाइक्लेबल पेपर बनाता है। हेम्प पेपर सबसे अच्छा और सबसे टिकाऊ है।
5. भांग के पौधे एक विकिरण जाल हैं। भांग के पौधे हवा को शुद्ध करते हैं।
6. दुनिया में कहीं भी भांग पैदा हो सकती है, इसे पानी की बहुत जरूरत है। इसके अलावा, क्योंकि यह परजीवी से खुद को बचा सकता है, इसे कीटनाशक की आवश्यकता नहीं है।
7. हेम्प टेक्सटाइल अपनी खुद की प्रॉपर्टीज पर फ्लैक्स उत्पादों का प्रदर्शन करते हैं।
48%
8. भांग किनारे, रस्सियों, बैग, जूते, टोपी के उत्पादन के लिए एक आदर्श पौधा है...
9. बुल्गारिया में भांग बैन है। लेकिन तकनीकी भांग में एक दवा नहीं है और इसकी खेती स्वतंत्र रूप से की जा सकती है। 10. भांग के बीज का प्रोटीन वैल्यू बहुत ज्यादा है और उसमें निहित दो फैटी एसिड प्रकृति में कहीं और नहीं है।
11. भांग का उत्पादन सोया से बहुत सस्ता है।
12. जिन जानवरों को भांग खाते हैं उन्हें हार्मोन सप्लीमेंट की जरूरत नहीं है।
13. सभी प्लास्टिक उत्पादों को भांग के साथ बनाया जा सकता है, भांग प्लास्टिक पर्यावरण के अनुकूल और पूरी तरह से बायोडिग्रेडेबल है।
14. इमारतों के थर्मल इन्सुलेशन के लिए भी भांग का उपयोग किया जा सकता है, यह टिकाऊ, सस्ता और लचीला है।
15. भांग साबुन और भांग प्रसाधन सामग्री पानी को प्रदूषित नहीं करते, इसलिए वे पूरी तरह से पर्यावरण के अनुकूल हैं।

Khajuraho Temple
23/08/2023

Khajuraho Temple

22/08/2023

हिन्दू जागृति के कारण विश्व भर में क्या हुआ?

दुनिया भर के सभी हिंदुओं को यह संदेश पढ़ना चाहिए!

कई लोग सोशल मीडिया को हल्के में लेते हैं, लेकिन मैं आपको इसकी ताकत बता दूं। इसे पढ़ने में केवल एक मिनट का समय लगता है:

1. भारत में हिंदुओं के नये आत्मविश्वास और एकता से पूरा यूरोप और अमेरिका दबाव महसूस कर रहा है!

2. गरीब भारतीयों को मुस्लिम या ईसाई बनाने की साजिश का हिंदू एकता से पर्दाफाश। हमारी वर्तमान सरकार ने 22,000 गैर सरकारी संगठनों और 4 प्रमुख ईसाई धर्मांतरण संगठनों पर प्रतिबंध लगा दिया है!

3. हिंदू एकजुटता के कारण "लव जिहाद" अब 50% तक कम हो गया है और कई राज्यों में यह गैरकानूनी भी है।

4.हिन्दुओं की एकता के कारण कई स्थानों पर जिहाद का कारोबार चौपट हो गया!

5. हिन्दू एकता के कारण ही सनातन धर्म के विरुद्ध बोलने वाले 70% लोगों का मुंह बंद हो गया है, इसके विपरीत कई विदेशी भी इसे स्वीकार करने लगे हैं।

6. हिंदू एकता ने व्हाट्सएप और फेसबुक पर हमारे त्योहारों और संस्कृति के बारे में चुटकुले 80% कम कर दिए हैं!

7. हिन्दू जनमानस की एकता के कारण सम्पूर्ण विपक्षी दल अब हिन्दू दिखने का राग अलाप रहा है!

8. हिंदू एकता ने बॉलीवुड पर डाला दबाव.

9. हिंदू अब पहले जैसे शांत नहीं रहे, अब वे विदेशों में लंदन जैसी जगहों पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, पाकिस्तानी दुकानों और रेस्तरां का बहिष्कार कर रहे हैं!

10. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हिंदुओं की हीनता कम हो गयी है. हमें आत्मविश्वास मिला. हम अपने आप को, अपनी संस्कृति को, अपने महान इतिहास को कम आंक रहे थे, यह बंद हो गया। विश्व के लोग हमारी महान संस्कृति से आकर्षित हैं।

भले ही सोशल मीडिया पर आपके केवल 10 हिंदू मित्र हों, उनके बीच इन विचारों को फैलाने से आपको लाखों हिंदुओं तक पहुंचने में मदद मिलेगी!

यदि आप स्वयं नहीं लिखते हैं, तो कम से कम लिखने/बोलने वालों के विचारों को कॉपी करते हुए, अग्रेषित करते रहें, साझा करते रहें।

हिंदू धर्म के प्रति जागरूकता दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। यहां तक ​​कि "छद्म-धर्मनिरपेक्षता" का समर्थन करने वाले हिंदू भी अपनी स्थिति के बारे में सोचने लगे हैं!

जो लोग संवाद करने के लिए सोशल मीडिया का उपयोग करते हैं, जरूरी नहीं कि वे निष्क्रिय हों; कुछ शिक्षा के क्षेत्र में हैं, कुछ नौकरीपेशा हैं, कुछ व्यवसाय में हैं या स्व-रोज़गार या उद्यमी हैं!

लेकिन हर कोई हिंदुओं को संगठित करने और उनमें जागरूकता पैदा करने के लिए "धर्म कार्य" के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास कर रहा है!*l

बिना कुछ हासिल किये निकल जाने से बेहतर है एक लक्ष्य के लिए जीना! कम से कम अगली पीढ़ी तो गर्व से कहेगी कि मेरे माता-पिता अपनी संस्कृति और देश के लिए लड़े!

हिंदू संगठन एक ठोस शक्ति है. इसलिए महान संदेश को जोड़ते और फैलाते रहें, क्षमा करके, भूलकर, दूर होकर और जातिगत मतभेदों को मिटाकर एक-दूसरे की मदद करें!
हमारा एकमात्र लक्ष्य यह है कि भारत एक हिंदू राष्ट्र था, एक हिंदू राष्ट्र है और एक हिंदू राष्ट्र रहेगा
और भारत एक बार फिर एक महान राष्ट्र और महाशक्ति बनेगा हमारे सभी हिंदू भाइयों की एकता और एकता बहुत जरूरी है।

🚩जय श्री राम!🚩
भारत माता की जय !
🚩🕉️🚩

हमारे महान पूर्वजों ये आपने कैसे किया.... ❗अगर आप इस प्रतिमा की नक्काशियों को देखकर हैरान हो रहे हैं तो इस प्रतिमा के पै...
17/08/2023

हमारे महान पूर्वजों ये आपने कैसे किया.... ❗
अगर आप इस प्रतिमा की नक्काशियों को देखकर हैरान हो रहे हैं तो इस प्रतिमा के पैरों में देखिए इसपर इंसानी नसों की तरह ही नसों को दर्शाया गया है, मानो यह प्रतिमा पत्थर बनने से पहले सजीव रही हो....... ‼️
श्री वैकुंठनाथार महा विष्णु मंदिर, तमिलनाडु, भारत

नंदी के आभूषणों की इतनी महीन कारीगरी क्या छेनी-हथौड़ी से संभव है ?क्या इसकी सटीकता हमें लेजर कटिंग से आगे की ओर संकेत नही...
17/08/2023

नंदी के आभूषणों की इतनी महीन कारीगरी क्या छेनी-हथौड़ी से संभव है ?
क्या इसकी सटीकता हमें लेजर कटिंग से आगे की ओर संकेत नहीं करती ?
आखिर आज भी पत्थरों पर ऐसी नक्काशियाँ क्यों नहीं बन पाती ?
क्या हमारे पूर्वज तकनीकी दृष्टि से वर्तमान से अधिक उन्नत नहीं थे ?

... वर्तमान से बहुत अधिक उन्नत यह हमारा अतीत है ।

होयसलेश्वर मंदिर , कर्नाटक

संघ का हिन्दूओं के साथ छलावा। स्वंय केन्द्र में बैठे संघीयो ने अल्पसंख्यकों के लिए 200 योजनाएं चला रही है।
09/08/2023

संघ का हिन्दूओं के साथ छलावा। स्वंय केन्द्र में बैठे संघीयो ने अल्पसंख्यकों के लिए 200 योजनाएं चला रही है।

इस चित्र में ये जो सज्जन दिखाई दे रहे हैं, ये डॉक्टर सी.पी.मेथ्यु हैं, जो कोट्टायम मेडिकल कॉलेज के केंसर सर्जरी विभाग के...
19/07/2023

इस चित्र में ये जो सज्जन दिखाई दे रहे हैं, ये डॉक्टर सी.पी.मेथ्यु हैं, जो कोट्टायम मेडिकल कॉलेज के केंसर सर्जरी विभाग के प्रमुख प्रोफेसर और बाद में प्रिंसिपल के पद से सेवानिवृत हुए।

सेवानिवृति के बाद ये विश्व के 50 देशों में विजिटिंग प्रोफेसर थे। 60 वर्ष की आयु में इन्होने वह सब भूलने का निर्णय लिया जो कुछ भी उन्होने सीखा था। एक पारंपरिक वैद्य को इन्होने अपना गुरु बनाया और उनसे सीखी हुई विद्या से अनगिनत केंसर रोगियों को ठीक किया। इनके मरीजों में कई तो ऐसे मरीज थे जिन्हें अमेरिका की मेयो क्लीनिक ने भी जवाब दे दिया था।
बाद में इन्होने हिन्दू धर्म स्वीकार कर लिया और अपना उपनयन संस्कार भी करवाकर वेदों और उपनिषदों का स्वाध्याय किया।

20 अक्तूबर 2021 को इन का निधन हुआ और सारे अंतिम संस्कार हिन्दू धर्मानुसार हुए। केरल के किसी भी समाचारपत्र ने इनके देहावसान का समाचार नहीं छापा, क्योंकि ये ईसाई मत को छोड़कर हिन्दू बन गए थे और सनातन धर्म अपना लिया।

ये होती है इकोसिस्टम की शक्ति….

अयोध्या हाईवे UP भीखी पुरवा मे अद्भुत पेड़ है, विश्व में भारत के अलावा कहीं नहीं है, इसलिए इसका कोई वैज्ञानिक नाम नहीं ह...
04/07/2023

अयोध्या हाईवे UP भीखी पुरवा मे अद्भुत पेड़ है, विश्व में भारत के अलावा कहीं नहीं है, इसलिए इसका कोई वैज्ञानिक नाम नहीं है, जब छाल सूखकर उतरती है, तो राम लिखा नजर आता है, स्थानीय लोग रामवृक्ष पुकारते है, सरकार से निवेदन है, बीज संग्रहित कर पूरे भारत मे वृक्षारोपण हो। 🙏🏻
🚩।।जय श्री राम।।🚩

एक गाय गंगाराम के घर रोजाना आती, जहां से उसे रोटी और चारा खाने को दिया जाता। सदैव की तरह जब २७ जून २०१९ को यह गाय गंगारा...
30/06/2023

एक गाय गंगाराम के घर रोजाना आती, जहां से उसे रोटी और चारा खाने को दिया जाता।

सदैव की तरह जब २७ जून २०१९ को यह गाय गंगाराम के घर आयी, लेकिन उस दिन अकस्मात गंगाराम का निधन हो गया।

यह गाय भी शवयात्रा के साथ-साथ श्मशान भूमि तक आयी और जब तक मृतक की देह भस्मीभूत नहीं हुई, वहीं पर बैठी रही।

गाय को हम यूंही माता नहीं मानते।

यह आंध्रप्रदेश के श्रीकाकुलम जिले के रविवल्सा गांव में 20 मीटर ऊंचा और 3 मीटर चौड़ा स्वयंभू शिवलिंग है।इस शिवलिंग की महत...
26/05/2023

यह आंध्रप्रदेश के श्रीकाकुलम जिले के रविवल्सा गांव में 20 मीटर ऊंचा और 3 मीटर चौड़ा स्वयंभू शिवलिंग है।

इस शिवलिंग की महत्वपूर्ण बात यह बताई जाती है की यह शिवलिंग #त्रेतायुग का बताया जाता है।

और यह सदियों से लगातार ऐसे ही बढ़ता आ रहा है।
ः_शिवाय🌿🙏🏻

रविवल्सा गाँव श्रीकाकुलम आंध्रप्रदेश

हर हर महादेव🔱

गो भूमि सर्व तीर्थमयी होती है । गो भूमि में बैठने मात्र से कल्याण हो जाता है ।
22/05/2023

गो भूमि सर्व तीर्थमयी होती है । गो भूमि में बैठने मात्र से कल्याण हो जाता है ।

🔥पुरी में स्थित विश्व प्रसिद्ध श्री जगन्नाथ जी के मंदिर के दक्षिण द्वार के पास श्रीहनुमान जी की मूर्ति की कहानी अद्भुत ह...
04/05/2023

🔥पुरी में स्थित विश्व प्रसिद्ध श्री जगन्नाथ जी के मंदिर के दक्षिण द्वार के पास श्रीहनुमान जी की मूर्ति की कहानी अद्भुत है ....!!

पुरातन समय मे मंदिर के पास स्थित समुंदर की लहरें कभी भी मंदिर के प्रांगण में आ जाती थीं, जिससे वहां लगभग हर वक़्त स्थिति आपदा वाली रहती थी,
जिससे वहां पर आए भक्तों को बहुत परेशानी होती थी,

इसको रोकने के लिए जगतगुरु आदिशंकराचार्य जी ने दक्षिण द्वार पर हनुमान जी की मूर्ति स्थापित कर उनका आह्वान किया और समंदर को रोक कर रखने की प्रार्थना किये..!!

लोककथाओं में वर्णित है कि उसके बाद
हनुमान जी की कृपा से समुंदर द्वारा पुरी में
कभी भी कोई भी प्राकृतिक आपदा नहीं आई..!!

्री_जगन्नाथ_जी 🙏
्री_हनुमान_जी 🙏

अनुभवी घाघ ने कहा है..…"ग्रीष्म ऋतु वैशाख माह औरा दिखे अकाश।जन धन अन्न हानि होय, भाखत अनुभव घाघ ।।"  घाघ कहते हैं...    ...
30/04/2023

अनुभवी घाघ ने कहा है..…

"ग्रीष्म ऋतु वैशाख माह औरा दिखे अकाश।
जन धन अन्न हानि होय, भाखत अनुभव घाघ ।।"

घाघ कहते हैं...
ग्रीष्म ऋतु में वैशाख महीने में यदि आकाश मंडल में सूर्य का औरा दिखाई दे तो उस वर्ष में जन,धन और अन्न की हानि हो ऐसे में दैवीय प्रकोप जैसे अनावृष्टि या अतिवृष्टि या असामयिक वृष्टि, भूकंप आदि घटनाएं होती हैं।

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