Dolly creator entertainment

Dolly creator entertainment पैसे का तो पता नहीं թαցlí,👿
पर कुछ जगह पर नाम ऐसा कमाया🔥
है की वहाँ թαísα😈 नहीं मेरा ղααต😈 चलता ह

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28/01/2024

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Love 💕😘 forever
20/11/2023

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16/09/2023

Pillar todne ka 😆😆😆😆.

19/01/2023

Village dance Desi

19/01/2023

ankleshwar gujrat vande Bharat express speed

Ravan is back ........
17/01/2023

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16/01/2023

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16/01/2023

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शौहरत कदम चूमती थी जब बदनाम हुआ करते थे. जिन्हे हम चाहते है वो आम हो भी नहीं सकते. हम तो बादशाह लोग हैं जिगरा रखते हैं. ...
16/01/2023

शौहरत कदम चूमती थी जब बदनाम हुआ करते थे. जिन्हे हम चाहते है वो आम हो भी नहीं सकते. हम तो बादशाह लोग हैं जिगरा रखते हैं. वरना दुश्मन हमे आज भी बाप के नाम से जानते है.

06/12/2022

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Hot Girl .....

10/10/2022

Jindgi me ek life choices krne mile to aap kisko choice krenge

LOVE
FAMILY
MONEY
LIFE

11/06/2022

मेरे बचपन में
जब दहेज में घड़ी, रेडियो और साइकिल मिल जाने पर लोग फिर बहुओं को जलाते नहीं थे

बच्चे स्कूलों के नतीजे आने पर
आत्महत्या नहीं करते थे बल्कि स्कूल में मास्टर जी और घर में पिताजी उन्हें बेतहासा पीट दिया करते थे

बच्चे चौदह-पन्द्रह साल तक
बच्चे ही रहा करते थे तब
मानवाधिकार कम लोग ही जानते थे

मेरे बचपन में
जब कुँए का पानी गर्मियों में ठंढा और सर्दियों में गरम होता था

घरों में फ्रिज नहीं मटके और 'दुधहांड़ी' होती थी दही तब सफेद नहीं हल्का ललक्षों हुआ करता था

सर्दियों में कोल्हू गड़ते ही
ताज़े गुड़ की महक....अहा ! लगता था

धरती ने आसमान को खुश करने के लिए अभी अभी 'बसंदर' किया हो
अम्मा
गन्ने के रस में चावल डालकर 'रस्यावर' बना लेती थी
आम की बगिया तो थी पर 'माज़ा' नहीं
'राब' का शरबत तो था
पर कोल्डड्रिंक्स नहीं
पैसे बहुत कम थे
पर जिंदगी बहुत मीठी
जब
गर्मियां आज जैसी ही होती थीं
पर एक अकेला 'बेना'
उसे हराने के लिए काफी होता था
दोपहर में अम्मा, बगल वाली दिदिया
और उनकी सहेलियों की महफ़िल
'काशा' और 'फरों' की रंगाई 'डेलैय्या' और 'डेलवों' की एक से बढ़कर एक डिजायनें और उनपर नक्कासी
सींक से बने 'बेने' और उनकी झालरें
कला ! तब सरकार की मोहताज नहीं थी
बल्कि जीवन में रची बसी थी !
मेरे बचपन में
जब
गांव में खलिहान हुआ करते थे
मशीनें कम थीं
इंसान ज्यादा
लोग बैल या भैसो कि जोड़ी रखते थे
महीनों 'मड़नी' चलती थी
तब फसल घर आती थी
'कुनाव' पर सोने का सुख
मेट्रेस पर सोने वाला क्या जाने
अचानक आई आंधी से भूसा और अनाज बचाते हुए ..हम
न जाने कब
जिंदगी की आँधियों से लड़ना सीख गये
पता ही नही चला !

मेरे बचपन में
जब
किसान ...अपनी जरूरत की हर चीज़ ...जैसे
धान, गेंहू, गन्ना, सरसों, ज्वार, चना, आलू , घनिया
लहसुन, प्याज, अरहर, तिल्ली और रामदाना ....सब कुछ
पैदा कर लेता था
धरती आज भी वही है ...पर आज
नकदी फसलों का ज़माना है
बुरा हो इस 'पेरोस्त्राईका' और 'ग्लास्नोस्त' का
बुरा हो इस आर्थिक उदारीकरण का

जिस पैसे के पीछे इतना जोर लगा के दौड़े
अब
न तो उस पैसे की कोई कीमत है
और न इंसान की

11/06/2022

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Vadodara
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