भारत में पत्रकारिता
आज हिंदी पत्रकारिता दिवस है। एलियन दूध पीता है, एलियन गाय लेकर भाग जाता है । इंडियन एयरफोर्स का प्लेन निकल जाता है यह सब तो आपने सुना होगा सोचा आज कुछ और दिखाया जाए।
भक्ति से ऊपर उठकर मजदूरों के दर्द को समझिए
हमारी दोस्ती बनी रहे और आप की भक्ति भी बनी रहे ~ ध्रुदीप ठक्कर
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देश के गरीब लोगों के साथ खड़े रहने का मतलब, देश के मजदूरों के साथ खड़े होने का मतलब यह नहीं है कि आप बीजेपी के खिलाफ हो जाते हैं। फिलहाल आप मजदूरों का साथ देकर भी बीजेपी का साथ दे सकते हैं। पहले भले ही भक्तों ने कुलदीप सिंह सेंगर का समर्थन किया हो लेकिन जब बलात्कार का आरोप साबित हुआ तब कुलदीप सिंह सेंगर ने जो किया वह गलत किया है यह कहने की हिम्मत आप में से ज्यादातर लोगों ने दिखाई थी और उसके साथ-साथ आप की भक्ति आपकी पार्टी के साथ बनाए रखी थी। हर रोज 19000 ट्रेन भारत में चला करती थी। 20000000 से भी ज्यादा लोग उसमें परिवहन करते थे। लेकिन आज श्रमिकों को लेकर केवल 200 ट्रेन जा रही है वो भी किराया लेकर और उसमे भी श्रमिकों की मौत हो रही है, श्रमिकों को परेशान किया जा रहा है यहां तक कि खाने और पीने के पानी का इंतजाम भ
Politics above humanity
दोनों ही पार्टियां चिट्ठी चिट्ठी खेलती रही लेकिन मजदूर सड़कों पर चलने को मजबूर हैं यह किसी को भी नहीं दिखा। बीजेपी ने कहा 297 बसे चलने लायक नहीं है। तो बाकी की बसों को क्यों नहीं जाने दिया गया ? एक बस भी अगर जाती तो 50 मजदूरों को चलकर नहीं जाना पड़ता। लेकिन राजनीति करनी है मजदूर मर जाए कोई फर्क नहीं पड़ता। यूपी गवर्नमेंट की बसों में बैठा हूं इससे खटिया बस और कोई नहीं होती लेकिन आज बस लॉक डाउन की वजह से जिन बसों का इंश्योरेंस और फिटनेस सर्टिफिकेट रिन्यू नहीं हुआ था और खुद सरकार की गाइडलाइन थी कि 3 महीने तक नहीं कराएंगे फिर भी चलेगा लेकिन इसी को लेकर एक घिनौनी राजनीति खेली गई। ना हम मजदूरों के लिए कुछ करेंगे और ना किसी को करने देंगे बस उन्हें सुकून से मरने देंगे। वैसे कांग्रेस को भी राजनीति ही करनी थी क्योंकि बांद्रा राजस्थान में भी उन्होंने ज्यादा कुछ नहीं किया। लेकिन
Social distancing in Uttar Pradesh.
यह गाजियाबाद है। फेशियल ट्रेन के लिए रजिस्ट्रेशन करवाने के लिए लोग इकट्ठा हुए है।
Coronavirus Bhangra
जिंदगी और मौत तो ऊपर वाले के हाथ में होती है।
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जीवन में कई दफा ऐसे मंजर आते हैं जहां पर हमारे हाथ में कुछ भी नहीं होता, ऐसा हमें लगता है। एक चीज हमेशा हमारे पास रहती है, जिसका चुनाव सिर्फ और सिर्फ हमें ही करना होता है और वह है खुशियां। जो आप कहीं भी पा सकते हो किसी भी परिस्थिति में आप उसे बटोर सकते हो। जालंधर की अस्पताल का दृश्य है जहां पर कुछ करोना संक्रमित लोग सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखते हुए जिंदगी के मजे ले रहे हैं। आप भी इसे देखिए और आसपास की खुशियों को बटोर लीजिए।
यह कर्नाटक के गवर्नर साहब है।
यह कर्नाटक के गवर्नर साहब है। अपने 100 से भी ज्यादा कर्मचारियों के साथ अपनी जिम्मेदारी को निभाते हुए।
लोकतंत्र और भीड़ तंत्र ~ ध्रुदीप ठक्कर
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यह गुजरात के अहमदाबाद शहर की तस्वीरें है। जब लोकतंत्र भीड़तंत्र में तब्दील हो जाता है तब क्या होता है इसका यह जीता जागता सबूत है। इनमें से ज्यादातर लोगों को पता भी नहीं होगा कि सिटीजनशिप एक्ट क्या है और उसमें क्या बदलाव किया गया है। सुनी सुनाई बात है और व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी द्वारा किए गए दुष्प्रचार से प्रेरित होकर यह पागलपन करने को उतावले हो रहे हैं। इनमें से ज्यादातर लोगों को अगर पूछा जाए तो CAA का पूरा नाम भी नहीं पता होगा। इनका सिर्फ एक ही मकसद है किसी भी तरीके से आतंक फैलाना और धर्म के नाम पर किसी से भी यह करवाना बहुत ही आसान काम हो जाता है। दिल्ली में पुलिस द्वारा की गई हिंसा निंदनीय है लेकिन उससे कहीं ज्यादा निंदनीय है लोगों द्वारा पुलिस पर हिंसा। अगर आप विरोध कर रहे हैं और आपको यह महसूस होता है कि आप सत्
मैंने कोई नए सिद्धांत प्रस्तुत नहीं किए हैं बल्कि पुराने सिद्धांतों को ही पुनः प्रस्तावित करने का प्रयास किया है। दुनिया को सिखाने के लिए मेरे पास कोई नई बात नहीं है। सत्य और अहिंसा उतने ही पुराने हैं जितने की पर्वत।