Media Darbar

Media Darbar मीडिया दरबार - जहाँ लगता है दरबार. आप ही

योग गुरु के रूप में प्रसिद्धि पाने के बाद आयुर्वेदिक दवाओं के व्यवसाय में उतरे बाबा रामदेव जैसे-जैसे ख्याति पाते गये, वे...
24/11/2023

योग गुरु के रूप में प्रसिद्धि पाने के बाद आयुर्वेदिक दवाओं के व्यवसाय में उतरे बाबा रामदेव जैसे-जैसे ख्याति पाते गये, वे नये-नये विवादों में भी घिरते गये हैं। प्रारम्भ में तो उनकी सराहना हुई कि उन्होंने भारतीयों को अपने स्वास्थ्य के बारे में जागरूक किया। उनके योग शिविरों में लोगों ने भारी-भरकम शुल्क देकर योग सीखा। इसके बल पर उन्होंने अपना बड़ा साम्राज्य स्थापित कर लिया।...

योग गुरु के रूप में प्रसिद्धि पाने के बाद आयुर्वेदिक दवाओं के व्यवसाय में उतरे बाबा रामदेव जैसे-जैसे ख्याति पाते ग...

46 दिन बाद ग़ज़ा में हिंसा रुकने की कोई उम्मीद जागी है। 7 अक्टूबर को हमास ने इजरायल पर हमला किया था, जिसमें 12 सौ लोग मारे...
23/11/2023

46 दिन बाद ग़ज़ा में हिंसा रुकने की कोई उम्मीद जागी है। 7 अक्टूबर को हमास ने इजरायल पर हमला किया था, जिसमें 12 सौ लोग मारे गए। यह पचास वर्षों में किए गए सबसे भयावह हमलों में से एक था। फिलिस्तीन पर किसी भी तरह कब्जा जमाने की फिराक में लगे इजरायल के लिए यह हमला सुनहरा मौका लेकर आया। इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने बिना समय गंवाए युद्ध का ऐलान कर दिया। 12 सौ इजरायलियों के बदले 14 हजार फिलिस्तिनियों को मारा जा चुका है।...

46 दिन बाद ग़ज़ा में हिंसा रुकने की कोई उम्मीद जागी है। 7 अक्टूबर को हमास ने इजरायल पर हमला किया था, जिसमें 12 सौ लोग मारे ग...

-सुनील कुमार॥ तीन बरस पहले दिल्ली की सरहद पर लंबे चले किसान आंदोलन में सैकड़ों किसानों की शहादत तो हुई, लेकिन मोदी सरकार...
06/11/2023

-सुनील कुमार॥ तीन बरस पहले दिल्ली की सरहद पर लंबे चले किसान आंदोलन में सैकड़ों किसानों की शहादत तो हुई, लेकिन मोदी सरकार को तीन विवादास्पद किसान कानूनों को वापिस लेना पड़ा था। इन कानूनों को सरकार ने एनडीए के संसदीय बाहुबल से बना तो लिया था, लेकिन किसान आंदोलन ने जिस तरह सरकार के सामने चुुनौती पेश की थी, उसे देखते हुए आखिर में सरकार को ही पीछे हटना पड़ा। उसके बाद से अब तक देश में कोई बड़ा किसान मुद्दा नहीं था। लेकिन छत्तीसगढ़ के इस चुनाव में किसानों का मुद्दा एक बार फिर जोर पकड़ चुका है जिसे देखते हुए भाजपा ने अपने इस घोषणापत्र में अपनी लंबी लीक से अलग हटकर धान के एक अकल्पनीय दाम की घोषणा की थी। केन्द्र सरकार का समर्थन मूल्य 22 सौ रूपए क्विंटल के करीब का है, और भाजपा ने छत्तीसगढ़ में 31 सौ रूपए के दाम का वायदा किया, और यह भी वायदा किया कि वह पूरा दाम एकमुश्त देगी। अब यह याद रखने की जरूरत है कि चार बरस पहले जब भूपेश सरकार केन्द्र के समर्थन मूल्य से अधिक दाम-बोनस छत्तीसगढ़ में देने जा रही थी तो केन्द्र ने उसे लिखकर रोक दिया था कि अगर उसके समर्थन मूल्य से अधिक दाम दिया जाएगा, तो वह राज्य का चावल नहीं खरीदेगी। अब आज जब अमित शाह भाजपा के घोषणापत्र में किसानों को एक साथ 31 सौ रूपए दाम देने की बात कहते हैं, तो दो सवाल उठते हैं कि क्या केन्द्र सरकार उस शर्त पर अड़ी रहेगी जिसके आधार पर उसने भूपेश सरकार से चावल लेना मना कर दिया था, या वह अपनी ही पार्टी के घोषणापत्र को मानने के लिए अपने नियमों या फैसलों को बदलेगी?...

-सुनील कुमार॥ तीन बरस पहले दिल्ली की सरहद पर लंबे चले किसान आंदोलन में सैकड़ों किसानों की शहादत तो हुई, लेकिन मोदी स...

देश में पत्रकारिता की स्थिति जितनी आज खराब है, उतनी आपातकाल के दौर में भी नहीं थी। पर्यावरण के नजरिए से ही नहीं वैचारिक ...
06/11/2023

देश में पत्रकारिता की स्थिति जितनी आज खराब है, उतनी आपातकाल के दौर में भी नहीं थी। पर्यावरण के नजरिए से ही नहीं वैचारिक स्थिति में भी देश की राजधानी प्रदूषण का शिकार है। सरकारी एजेंसियों को असहमति के स्वर दबाने के लिए हथियार की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है। पत्रकार सत्ता संस्थानों से सवाल पूछना ही भूल गए हैं। देश में 60 करोड़ से अधिक सोशल मीडिया के उपभोक्ता हैं, लेकिन उनके पास किसी पोस्ट की सच्चाई जानने या परखने का कोई जरिया नहीं है। जिसके कारण ’व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी’ देश के जनमानस को प्रभावित कर रही है।...

देश में पत्रकारिता की स्थिति जितनी आज खराब है, उतनी आपातकाल के दौर में भी नहीं थी। पर्यावरण के नजरिए से ही नहीं वैचा...

-सुनील कुमार॥ फेसबुक पर हर कुछ दिनों में एक बहुत सनसनी खेज किस्म की पोस्ट दिखती है जिसमें कभी नारायण मूर्ति, कभी नंदन नि...
05/11/2023

-सुनील कुमार॥ फेसबुक पर हर कुछ दिनों में एक बहुत सनसनी खेज किस्म की पोस्ट दिखती है जिसमें कभी नारायण मूर्ति, कभी नंदन निलेकेणी, तो कभी करण थापर जैसे लोगों के इंटरव्यू दिखाए जाते हैं, और देश की कुछ सबसे नामी-गिरामी वेबसाईटों की कतरन की तरह वह विज्ञापन पोस्ट रहती है। इनमें ये बड़े-बड़े लोग बताते हैं कि किस तरह क्रिप्टो करेंसी या किसी और जालसाजी के कारोबार में पैसा लगाकर उन्होंने कितनी कमाई की है। यह सिरे से ही जालसाजी का काम रहता है, और इसमें ऐसी धोखेबाज वेबसाइटों के लिंक भी रहते हैं। पढऩे वाले लोगों में से जो कमअक्ल लोग रहते हैं, वे इन पर भरोसा भी कर लेते हैं, और हो सकता है कि कई लोग इनमें पैसा लगा भी देते हों। आजकल मालूमी से अखबार भी इश्तहारों के साथ यह छापते हैं कि इनमें किए गए दावों की जांच लोग खुद कर लें, अखबार इसके लिए जिम्मेदारी नहीं रहेंगे, लेकिन फेसबुक जैसी दुनिया की एक सबसे बड़ी कंपनी लगातार यह धोखाधड़ी बढ़ा रही है। ऐसा भी नहीं कि फेसबुक को इसके बारे में पता न चले, इस अखबार के संपादक जो कि यह लिख रहे हैं, उन्होंने फेसबुक के ऐसे झांसे वाले पोस्ट पर बार-बार लिखा है कि यह धोखा है, और फेसबुक को इसकी शिकायत भी की है, लेकिन पैसे कमाने के चक्कर में फेसबुक जालसाजी के ऐसे इश्तहार लगातार दिखाते रहता है। अब ताजा मामला बीबीसी का एक नकली पेज बनाकर उस पर करण थापर नाम के चर्चित पत्रकार के नाम से जालसाजी को बढ़ावा देने की सिफारिश का है जिसका कि बीबीसी ने खंडन किया है, और करण थापर ने इसकी पुलिस रिपोर्ट लिखाई है।...

-सुनील कुमार॥ फेसबुक पर हर कुछ दिनों में एक बहुत सनसनी खेज किस्म की पोस्ट दिखती है जिसमें कभी नारायण मूर्ति, कभी नंद...

-सर्वमित्रा सुरजन!! मीडिया के इस नए दौर को लेकर कई मंचों से, कई तरह की चिंताएं जाहिर की गईं। पत्रकारिता का पतन हो गया है...
21/09/2023

-सर्वमित्रा सुरजन!! मीडिया के इस नए दौर को लेकर कई मंचों से, कई तरह की चिंताएं जाहिर की गईं। पत्रकारिता का पतन हो गया है, अब निष्पक्ष पत्रकारिता इतिहास की बात हो गई, ऐसी बहुत सी बातें कही गईं। पिछले 9 सालों के मोदी सरकार के कार्यकाल में पत्रकारिता में पक्षपात को लेकर भी गंभीर सवाल उठे। कांग्रेस को सत्ता से हटाकर भी उसका खौफ बना रहा।...

-सर्वमित्रा सुरजन!! मीडिया के इस नए दौर को लेकर कई मंचों से, कई तरह की चिंताएं जाहिर की गईं। पत्रकारिता का पतन हो गया .....

लोकसभा में लाये गये महिला आरक्षण विधेयक का भारतीय जनता पार्टी को 2024 के लोकसभा चुनाव में लाभ मिलने की उम्मीद तो धूमिल प...
21/09/2023

लोकसभा में लाये गये महिला आरक्षण विधेयक का भारतीय जनता पार्टी को 2024 के लोकसभा चुनाव में लाभ मिलने की उम्मीद तो धूमिल पड़ ही गई है, उलटे लोकसभा में इस पर बुधवार को हुई प्रदीर्घ चर्चा ने उसके महिला सम्मान की कलई को खोलकर रख दिया है। मंगलवार को नये संसद भवन में जाने के बाद शाम को यह विधेयक पेश किया गया जिसके अनुसार यह 2026 में लागू होगा और इसका आधार भावी परिसीमन होगा। यानी इसका वास्तविक लाभ 2029 के लोकसभा चुनावों में ही मिलेगा। वह भी केवल 15 वर्षों के लिए। इसे तीन साल बाद अमल में लाने का कारण 2021 में जनगणना का न होना है।...

लोकसभा में लाये गये महिला आरक्षण विधेयक का भारतीय जनता पार्टी को 2024 के लोकसभा चुनाव में लाभ मिलने की उम्मीद तो धूमि....

सुनील कुमार अगले कुछ दिन दुनिया में कोई बहुत बड़ी अनहोनी न हो जाए, तो हिन्दुस्तान के भीतर चर्चा और बहस के लिए महिला आरक्...
20/09/2023

सुनील कुमार अगले कुछ दिन दुनिया में कोई बहुत बड़ी अनहोनी न हो जाए, तो हिन्दुस्तान के भीतर चर्चा और बहस के लिए महिला आरक्षण अकेला मुद्दा होना चाहिए। चौथाई सदी से चली आ रही कोशिशों को कल मोदी सरकार ने एक बार फिर एक विधेयक की शक्ल में संसद में पेश किया है, और इस बार सत्तारूढ़ पार्टियों से परे भी देश का प्रमुख विपक्षी दल, कांग्रेस इसके साथ है, और कई और पार्टियां भी यूपीए-2 के शासन काल के मुकाबले अब महिला आरक्षण का साथ देंगी। कांग्रेस की एक मुखिया सोनिया गांधी ने अभी कुछ मिनट पहले लोकसभा में इस बिल पर अपनी बात शुरू करते हुए पहला ही वाक्य इसका समर्थन करने का कहा है। उसके साथ ही उन्होंने दो-तीन और बातें कही हैं जिस पर गौर करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि यह बात कही जा रही है कि और छह-आठ बरस भारतीय महिला अपने हक का इंतजार करे। उन्होंने मांग की कि इस बिल को तुरंत ही अमल में लाया जाए, और उसके बाद जाति जनगणना करवाकर अनुसूचित जाति, जनजाति, और ओबीसी की महिलाओं के हक सुनिश्चित किए जाएं। जाहिर है कि वे लोकसभा की मौजूदा सीटों के भीतर आज के दलित और आदिवासी आरक्षण के तहत ही महिलाओं को एक तिहाई आरक्षण देने की वकालत कर रही हैं, और हमारा मानना है कि संसद के मौजूदा आरक्षण के तहत एक बड़ा सीधा-सरल आरक्षण आज लागू हो सकता है, जो कि आने वाले पांच विधानसभा चुनावों के पहले भी किया जा सकता है। आज संसद में अनारक्षित, और दलित, आदिवासी, ऐसी तीन किस्म की सीटें हैं। इन तीनों तबकों के भीतर 33 फीसदी आरक्षण तुरंत ही लागू हो सकता है, और एनडीए और कांग्रेस मिलकर ही देश के आधे राज्यों में ऐसे संशोधन को पास करने के लिए काफी हैं।...

सुनील कुमार अगले कुछ दिन दुनिया में कोई बहुत बड़ी अनहोनी न हो जाए, तो हिन्दुस्तान के भीतर चर्चा और बहस के लिए महिला .....

-सुनील कुमार।। कांग्रेस को शायद काफी देर से यह बात समझ आई, लेकिन हैदराबाद में हुई पार्टी की कार्यसमिति की बैठक में राहुल...
18/09/2023

-सुनील कुमार।। कांग्रेस को शायद काफी देर से यह बात समझ आई, लेकिन हैदराबाद में हुई पार्टी की कार्यसमिति की बैठक में राहुल गांधी सहित दिग्विजय सिंह और भूपेश बघेल जैसे नेताओं ने कहा कि तमिलनाडु के डीएमके नेता के बयान से शुरू हुए सनातन के बयानबाजी से पार्टी को बचना चाहिए। वहां से निकली खबरें बताती हैं कि कांग्रेस के बहुत से नेताओं का यह कहना था कि पार्टी को बीजेपी के एजेंडा में नहीं फंसना चाहिए। पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े के बारे में बताया जाता है कि उन्होंने नेताओं को पार्टी लाईन से परे निजी बयान देने से कड़ाई से मना किया है। कुल मिलाकर पांच राज्यों के चुनावों में कांग्रेस को कई हिसाब से चौकन्ना कर दिया है, और वह जो परंपरागत चूक करती है, अब उसका नुकसान पार्टी को समझ आ रहा है। लेकिन औपचारिक चर्चाओं से परे अभी भी बहुत सी बातें हैं जो कि इन खबरों में नहीं आई हैं, और हो सकता है कि उन पर कार्यसमिति की बैठक में चर्चा हुई हो, या न भी हुई हो।...

-सुनील कुमार।। कांग्रेस को शायद काफी देर से यह बात समझ आई, लेकिन हैदराबाद में हुई पार्टी की कार्यसमिति की बैठक में र...

एक ओर तो रविवार को सम्पन्न हुए जी-20 सम्मेलन में उभरे अनेक अंतरराष्ट्रीय मसलों के बारे में खबरें आ रही हैं, तो वहीं ये प...
11/09/2023

एक ओर तो रविवार को सम्पन्न हुए जी-20 सम्मेलन में उभरे अनेक अंतरराष्ट्रीय मसलों के बारे में खबरें आ रही हैं, तो वहीं ये पहलू भी सामने आया है कि नरेन्द्र मोदी सरकार ने अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन को मीडिया से बात करने की इजाजत नहीं दी थी। शिखर सम्मेलन के पहले तथा मोदी-बाइडेन मुलाकात के बाद प्रेस अमेरिकी राष्ट्रपति से बात करना चाहता था, लेकिन उन्हें ऐसा करने नहीं दिया गया।...

एक ओर तो रविवार को सम्पन्न हुए जी-20 सम्मेलन में उभरे अनेक अंतरराष्ट्रीय मसलों के बारे में खबरें आ रही हैं, तो वहीं ये...

-सुनील कुमार।। यूक्रेन पर हमला करने के बाद अब रूस बड़ी अजीब नौबतों से गुजर रहा है। यूक्रेन पर फतह कुछ हफ्तों का मामला लग...
28/08/2023

-सुनील कुमार।। यूक्रेन पर हमला करने के बाद अब रूस बड़ी अजीब नौबतों से गुजर रहा है। यूक्रेन पर फतह कुछ हफ्तों का मामला लग रही थी, लेकिन अब उसे सवा साल हो चुका है, और रूसी सेना ने बहुत जख्म खाए हैं, और बड़ी शिकस्त भी झेली है। दुनिया की एक महाशक्ति पड़ोस के छोटे से देश को निपटा नहीं पाई, और रूस के खिलाफ यूक्रेन के साथ सैनिक गठबंधन नाटो के देश जिस हद तक एक हो गए हैं, उसने रूस के साथ-साथ खुद नाटो देशों को भी चौंका दिया है। लोगों को यह लग रहा है कि यूक्रेन के बाद अगली बारी किसी भी नाटो देश की हो सकती है, और उस हालत में गठबंधन के संविधान के मुताबिक तमाम देशों को रूस के खिलाफ टूट पडऩा होगा। इसलिए आज लोग यूक्रेन का साथ देकर रूस के खिलाफ एक प्रॉक्सी लड़ाई भी लड़ रहे हैं, ताकि रूस खोखला होते चले, और नाटो देशों में ताबूत न लौटें। ऐसी नौबत के बीच अभी कुछ अरसा पहले जब रूस के लिए यूक्रेन में जंग लड़ता भाड़े पर सैनिक तैनात करने वाला एक संगठन वाग्नर ग्रुप रूसी फौजी जनरलों के रवैये के खिलाफ बगावत पर उतर आया, और उसने एक रूसी शहर पर कब्जा कर लिया, और राजधानी मास्को की तरफ फौजी कूच कर दिया, तो यह रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन के लिए बड़ी शर्मिंदगी की बात थी। कुछ रहस्यमय वजहों से वाग्नर की बगावत एक दिन से ज्यादा नहीं चली, और उसी दिन से यह माना जाने लगा था कि अब इस मिलिट्री ग्रुप का मुखिया येवेगनी प्रिगोझिन एक चलती-फिरती लाश है। वह जिंदा जरूर था, लेकिन पुतिन के विरोधियों की तरह उसकी जिंदगी के दिन भी बहुत गिने-चुने माने जा रहे थे। और हुआ भी वही, अभी वह एक निजी विमान में अपने फौजी गिरोह के और लीडरों के साथ मास्को आ रहा था, और पहुंचने के ठीक पहले एक विस्फोट में विमान के तमाम दस लोग खत्म हो गए। रूस और बाकी दुनिया में जानकार लोग इसे पुतिन स्टाइल की सजा करार दे रहे हैं। लेकिन अभी एक सवाल उठ खड़ा हुआ है कि वाग्नर ग्रुप के सैनिक न सिर्फ यूक्रेन के मोर्चे पर हैं, बल्कि वे अफ्रीका के कई देशों में वहां की सरकारों की फौज को मदद करने के लिए और बागियों के खिलाफ लडऩे के लिए भाड़े पर चल रहे हैं, और खदानों का कारोबार भी कर रहे हैं। अब खबर है कि पुतिन ने वाग्नर ग्रुप के सभी सैनिकों को रूस के प्रति वफादारी के हलफनामे पर दस्तखत करने कहा है, क्योंकि इनमें से बहुत से लोग अपने मुखिया प्रिगोझिन की संदिग्ध मौत का बदला लेने की धमकी दे रहे थे।...

-सुनील कुमार।। यूक्रेन पर हमला करने के बाद अब रूस बड़ी अजीब नौबतों से गुजर रहा है। यूक्रेन पर फतह कुछ हफ्तों का मामल...

-सत्य पारीक किस्मत वाला लेकिन सत्ता लोभी नेता के नाम के इतिहास में अशोक गहलोत का नाम सबसे ऊपर अंकित किया जाएगा जो स्वंय ...
23/08/2023

-सत्य पारीक किस्मत वाला लेकिन सत्ता लोभी नेता के नाम के इतिहास में अशोक गहलोत का नाम सबसे ऊपर अंकित किया जाएगा जो स्वंय को शातिर मानते हैं लेकिन हैं वो सत्तालोभी । क्योंकि जिन्होंने अपना व अपने राज्य का नाम रोशन करने वाले कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद ठुकरा दिया और मुख्यमंत्री बने रहने में ही अपना व अपने परिवार का हित समझा ऐसे नेता को सत्ता लोभी नहीं कहेंगे तो और क्या कहेंगे ?...

-सत्य पारीक किस्मत वाला लेकिन सत्ता लोभी नेता के नाम के इतिहास में अशोक गहलोत का नाम सबसे ऊपर अंकित किया जाएगा जो स्...

Address


Alerts

Be the first to know and let us send you an email when Media Darbar posts news and promotions. Your email address will not be used for any other purpose, and you can unsubscribe at any time.

Contact The Business

Send a message to Media Darbar:

Shortcuts

  • Address
  • Telephone
  • Alerts
  • Contact The Business
  • Claim ownership or report listing
  • Want your business to be the top-listed Media Company?

Share