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09/11/2023

Shout out to my newest followers! Excited to have you onboard! Karan Ahuja, Sushil Kumar Barmera, Sumit Singh Bloda Barwala, Amit Amit

05/11/2023

17/10/2023

16/10/2023

07/10/2023
 #गणेशचतुर्थी संक्षिप्त पूजन विधि।। ।।पवित्रीकरण।।  बायें हाथ में जल लेकर उसे दायें हाथ से ढक कर मंत्र पढ़ें एवं मंत्र प...
19/09/2023

#गणेशचतुर्थी संक्षिप्त पूजन विधि।।
।।पवित्रीकरण।।
बायें हाथ में जल लेकर उसे दायें हाथ से ढक कर मंत्र पढ़ें एवं मंत्र पढ़ने के बाद इस जल को दाहिने हाथ से अपने सम्पूर्ण शरीर पर छिड़क लें।

॥ॐ अपवित्रः पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोऽपि वा यः स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यंतरः शुचिः॥

आचमन
मन , वाणि एवं हृदय की शुद्धि के लिए आचमनी द्वारा जल लेकर तीन बार मंत्र के उच्चारण के साथ पिएं।
ॐ केशवाय नमः।
ॐ नारायणाय नमः।
ॐ माधवाय नमः।
ॐ हृषीकेशाय नमः।
इस मंत्र को बोलकर हाथ धो लें।

शिखा बंधन
शिखा पर दाहिना हाथ रखकर दैवी शक्ति की स्थापना करें।

चिद्रुपिणि महामाये दिव्य तेजः समन्विते ,तिष्ठ देवि शिखामध्ये तेजो वृद्धिं कुरुष्व मे॥

मौली बांधने का मंत्र-
येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल:।
तेन त्वामनुबध्नामि रक्षे मा चल मा चल॥

तिलक लगाने का मंत्र-
कान्तिं लक्ष्मीं धृतिं सौख्यं सौभाग्यमतुलं बलम्।
ददातु चन्दनं नित्यं सततं धारयाम्यहम्॥

यज्ञोपवीत मंत्र-
ॐ यज्ञोपवीतम् परमं पवित्रं प्रजापतेर्यत्सहजं पुरस्तात्।
आयुष्यमग्रयं प्रतिमुञ्च शुभ्रं यज्ञोपवीतं बलमस्तु तेज:।।

पुराना यगोपवीत त्यागने का मंत्र

एतावद्दिनपर्यन्तं ब्रह्म त्वं धारितं मया।
जीर्णत्वात् त्वत्परित्यागो गच्छ सूत्र यथासुखम्।

न्यास:-
संपूर्ण शरीर को साधना के लिये पुष्ट एवं सबल बनाने के लिए प्रत्येक मन्त्र के साथ संबन्धित अंग को दाहिने हाथ से स्पर्श करें।

ॐ वाङ्ग में आस्येस्तु - मुख को
ॐ नसोर्मे प्राणोऽस्तु - नासिका के छिद्रों को
ॐ चक्षुर्में तेजोऽस्तु - दोनो नेत्रों को
ॐ कर्णयोमें श्रोत्रंमस्तु - दोनो कानों को
ॐ बह्वोर्मे बलमस्तु - दोनोें बाजुओं को
ॐ ऊवोर्में ओजोस्तु - दोनों जंघाओ को
ॐ अरिष्टानि मे अङ्गानि सन्तु - सम्पूर्ण शरीर को

आसन पूजन-
अब अपने आसन के नीचे चन्दन या कुमकुम से त्रिकोण बनाकर उसपर अक्षत पुष्प समर्पित करें एवं मन्त्र बोलते हुए हाथ जोडकर प्रार्थना करें।

ॐ पृथ्वि त्वया धृतालोका देवि त्वं विष्णुना धृता।
त्वं च धारय मां देवि पवित्रं कुरु चासनम्॥

दिग् बन्धन:-
बायें हाथ में जल या चावल लेकर दाहिने हाथ से चारों दिशाओ में छिड़कें।

ॐ अपसर्पन्तु ये भूता ये भूताःभूमि संस्थिताः।
ये भूता विघ्नकर्तारस्ते नश्यन्तु शिवाज्ञया॥
अपक्रामन्तु भूतानि पिशाचाः सर्वतो दिशम्।
सर्वेषाम विरोधेन पूजाकर्म समारम्भे ॥

।।गणेश स्मरण।।
सुमुखश्चैकदन्तश्च कपिलो गजकर्णकः।
लम्बोदरश्च विकटो विघ्ननाशो विनायकः॥

धुम्रकेतुर्गणाध्यक्षो भालचन्द्रो गजाननः।
द्वादशैतानि नामानि यः पठेच्छृणुयादपि॥

विद्यारम्भे विवाहे च प्रवेशे निर्गमे तथा।
संग्रामे संकटे चैव विघ्नस्तस्य न जायते॥

।।श्री गुरु ध्यान।।
अस्थि चर्म युक्त देह को हिं गुरु नहीं कहते अपितु इस देह में जो ज्ञान समाहित है उसे गुरु कहते हैं , इस ज्ञान की प्राप्ति के लिये उन्होने जो तप और त्याग किया है , हम उन्हें नमन करते हैं , गुरु हीं हमें दैहिक , भौतिक एवं आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त करने का ज्ञान देतें हैं इसलिये शास्त्रों में गुरु का महत्व सभी देवताओं से ऊँचा माना गया है , ईश्वर से भी पहले गुरु का ध्यान एवं पूजन करना शास्त्र सम्मत कही गई है।

द्विदल कमलमध्ये बद्ध संवित्समुद्रं। धृतशिवमयगात्रं साधकानुग्रहार्थम् ॥
श्रुतिशिरसि विभान्तं बोधमार्तण्ड मूर्तिं। शमित तिमिरशोकं श्री गुरुं भावयामि॥

ह्रिद्यंबुजे कर्णिक मध्यसंस्थं।
सिंहासने संस्थित दिव्यमूर्तिम्॥
ध्यायेद् गुरुं चन्द्रशिला प्रकाशं।
चित्पुस्तिकाभिष्टवरं दधानम्॥
श्री गुरु चरणकमलेभ्यो नमः ध्यानं समर्पयामि।

॥ श्री गुरु चरण कमलेभ्यो नमः प्रार्थनां समर्पयामि , श्री गुरुं मम हृदये आवाहयामि मम हृदये कमलमध्ये स्थापयामि नमः॥

।।गणेश पूजन।।
।।ध्यानम।।
खर्वं स्थूलतनुं गजेन्द्रवदनं लम्बोदरं सुन्दरं, प्रस्यन्दन्मदगन्ध लुब्धमधुपव्यालोलगण्डस्थलम्।
दन्ताघातविदारितारिरुधिरैः सिन्दुरशोभाकरं। वन्दे शैलसुता सुतं गणपतिं सिद्धिप्रदं कामदम्॥
ॐ गं गणपतये नमः ध्यानं समर्पयामि।

।।आवाहन।।
ॐ गणानां त्वां गणपति ( गूं ) हवामहे प्रियाणां त्वां प्रियपति ( गूं ) हवामहे निधीनां त्वां निधिपति ( गूं ) हवामहे वसो मम। आहमजानि गर्भधमा त्वमजासि गर्भधम्॥

एह्येहि हेरन्ब महेशपुत्र समस्त विघ्नौघविनाशदक्ष।
माङ्गल्यपूजाप्रथमप्रधान गृहाण पूजां भगवन् नमस्ते॥
ॐ भूर्भुवः स्वः सिद्धिबुद्धि सहिताय गणपतये नमः। गणपतिमावाहयामि ,स्थापयामि पूजयामि।

।।आसन।।
॥अनेकरत्नसंयुक्तं नानामणि गणान्वितम् कार्तस्वरमयं दिव्यमासनं परिगृह्यताम॥
ॐ गं गणपतये नमः आसनार्थे पुष्पं समर्पयामि।

।।स्नान।।
॥मन्दाकिन्यास्तु यद्वारि सर्वपाप हरं शुभम्। तदिदं कल्पितं देव स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम् ॥

ॐ गं गणपतये नमः पाद्यं , अर्ध्यं , आचमनीयं च स्नानं समर्पयामि, पुनः आचमनीयं जलं समर्पयामि।(पांच आचमनी जल प्लेट में चढायें )

।।वस्त्र।।
॥ सर्वभुषादिके सौम्ये लोके लज्जानिवारणे , मयोपपादिते तुभ्यं गृह्यतां वसिसे शुभे ॥
ॐ गं गणपतये नमः वस्त्रोपवस्त्रं समर्पयामि , आचमनीयं जलं समर्पयामि।

।।यज्ञोपवीत।।
ॐ यज्ञोपवीतं परमं पवित्रं प्रजापतेर्यत्सहजं पुरस्तात्।
आयुष्यमग्रयं प्रतिमुञ्च शुभ्रं यज्ञोपवीतं बलमस्तु तेजः॥
यज्ञोपवीतमसि यज्ञस्य त्वा यज्ञोपवितेनोपनह्यामि।
नवभिस्तन्तुभिर्युक्तं त्रिगुणं देवतामयम्।
उपवीतं मया दत्तं गृहाण परमेश्वर॥
ॐ गं गणपतये नमः यज्ञोपवीतं समर्पयामि,यज्ञोपवीतान्ते आचमनीयं जलं समर्पयामि।

।।चन्दन।।
॥ॐ श्रीखण्डं चन्दनं दिव्यं गन्धाढयं सुमनोहरं , विलेपनं सुरश्रेष्ठ चन्दनं प्रतिगृह्यताम्॥
ॐ गं गणपतये नमः चन्दनं समर्पयामि।

।।अक्षत।।
॥अक्षताश्च सुरश्रेष्ठ कुङ्कुमाक्ताः सुशोभिताः मया निवेदिता भक्त्या गृहाण परमेश्वर॥
ॐ गं गणपतये नमः अक्षतान् समर्पयामि।

।।पुष्प।।
माल्यादीनि सुगन्धीनि मालत्यादीनि भक्तितः मयाऽऽ ह्रतानि पुष्पाणि पूजार्थं प्रतिगृह्यतां॥
ॐ गं गणपतये नमः पुष्पं बिल्वपत्रं च समर्पयामि ।

।।दूर्वा।।
॥दूर्वाङ्कुरान् सुहरितानमृतान् मङ्गलप्रदान्,आनीतांस्तव पूजार्थं गृहाण गणनायक॥
ॐ गं गणपतये नमः दूर्वाङ्कुरान समर्पयामि।

।।सिन्दुर।।
॥ सिन्दूरं शोभनं रक्तं सौभाग्यं सुखवर्धनम् ,शुभदं कामदं चैव सिन्दूरं प्रतिगृह्यताम्॥
ॐ गं गणपतये नमः सिदूरं समर्पयामि।

।।धूप।।
॥ वनस्पति रसोद् भूतो गन्धाढयो सुमनोहरः,आघ्रेयः सर्वदेवानां धूपोऽयं प्रतिगृह्यताम्॥
ॐ गं गणपतये नमः धूपं आघ्रापयामि ।

।।दीप।।
॥ साज्यं च वर्तिसंयुक्तं वह्निना योजितं मया, दीपं गृहाण देवेश त्रैलोक्यतिमिरापहम्॥
ॐ गं गणपतये नमः दीपं दर्शयामि।

।।नैवैद्य।।
॥शर्कराखण्डखाद्यानि दधिक्षीर घृतानि च , आहारं भक्ष्यभोज्यं च नैवैद्यं प्रतिगृह्यताम्॥
ॐ गं गणपतये नमः नैवैद्यं निवेदयामि नानाऋतुफलानि च समर्पयामि, आचमनीयं जलं समर्पयामि।

।।ताम्बूल।।
॥पूगीफलं महद्दिव्यम् नागवल्ली दलैर्युतम् एलालवङ्ग संयुक्तं ताम्बूलं प्रतिगृह्यताम्॥
ॐ गं गणपतये नमः ताम्बूलं समर्पयामि।

।।दक्षिणा।।
॥हिरण्यगर्भगर्भस्थं हेमबीजं विभावसोः अनन्तपुण्यफलदमतः शान्तिं प्रयच्छ मे॥
ॐ गं गणपतये नमः कृतायाः पूजायाः सद् गुण्यार्थे द्रव्य दक्षिणां समर्पयामि।

।।आरती।।
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी।
माथे सिंदूर सोहे,मूसे की सवारी॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥

पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा।
लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥

अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया।
बांझन को पुत्र देत,निर्धन को माया॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥

विघ्न विनाशक स्वामी सुख संपत्ति देवा।
सब काम सिद्ध करे श्री गणेश देवा।।
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥

दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी।
कामना को पूर्ण करो, जाऊं बलिहारी॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥

॥ कदलीगर्भसम्भूतं कर्पूरं तु प्रदीपितम्,आरार्तिकमहं कुर्वे पश्य मां वरदोभव॥
ॐ गं गणपतये नमः आरार्तिकं समर्पयामि।

।।मन्त्रपुष्पाञ्जलि।।
॥नानासुगन्धिपुष्पाणि यथाकालोद् भवानि च पुष्पाञ्जलिर्मया दत्तो गृहान परमेश्वर॥

ॐ गं गणपतये नमः। मन्त्रपुष्पाञ्जलिम् समर्पयामि।

।।प्रदक्षिणा।।
॥ यानि कानि च पापानि जन्मान्तरकृतानिच,तानि सर्वाणि नश्यन्तु प्रदक्षिणपदे पदे॥
ॐ गं गणपतये नमः प्रदक्षिणां समर्पयामि।

।।विशेषार्ध्य।।
रक्ष रक्ष गणाध्यक्ष रक्ष त्रैलोक्यरक्षक , भक्तानामभयं कर्ता त्राता भव भवार्णवात्।
द्वैमातुर कृपासिन्धो षाण्मातुराग्रज प्रभो, वरदस्त्वं वरं देहि वाञ्छितं वाञ्छितार्थद॥
अनेन सफलार्ध्येण वरदोऽस्तु सदामम॥
ॐ गं गणपतये नमः विशेषार्ध्य समर्पयामि।

।।प्रार्थना।।
विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय
लम्बोदराय सकलाय जगध्दिताय
नागाननाय श्रुतियज्ञविभूषिताय
गौरीसुताय गणनाथ नमो नमस्ते

भक्तार्तिनाशनपराय गणेश्वराय
सर्वेश्वराय शुभदाय सुरेश्वराय
विद्याधराय विकटाय च वामनाय
भक्तप्रसन्नवरदाय नमो नमस्ते

नमस्ते ब्रह्मरूपाय विष्णुरूपाय ते नमः
नमस्ते रुद्ररुपाय करिरुपाय ते नमः
विश्वरूपस्वरुपाय नमस्ते ब्रह्मचारिणे भक्तप्रियाय देवाय नमस्तुभ्यं विनायक
त्वां विघ्नशत्रुदलनेति च सुन्दरेति
भक्तप्रियेति सुखदेति फलप्रदेति

विद्याप्रदेत्यघहरेति च ये स्तुवन्ति
तेभ्यो गणेश वरदो भव नित्यमेव
त्वं वैष्णवी शक्तिरनन्तवीर्या
विश्वस्य बीजं परमासि माया
सम्मोहितं देवि समस्तमेतत्
त्वं वै प्रसन्ना भुवि मुक्तिहेतुः।

ॐ गं गणपतये नमः प्रार्थनापूर्वकं नमस्कारान् समर्पयामि। (साष्टाङ्ग नमस्कार करें )
।।समर्पण।।
गणेशपूजने कर्म यन्न्यूनमधिकं कृतम्।
तेन सर्वेण सर्वात्मा प्रसन्नोऽस्तु सदा मम॥
अनया पूजया गणेशे प्रियेताम् न मम।
( ऐसा कहकार समस्त पूजनकर्म भगवान् को समर्पित कर दें ) तथा पुनः नमस्कार करें। गणेश जी से आशीर्वाद मांगें।आप चाहें तो गुरुप्रदत्त सर्वार्थ सिद्धि गणेश मंत्र और अथर्वशीर्ष का पाठ करें।
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21/08/2023

कुंडली के अनुसार लग्नेश का जीवन में विशेष महत्व होता है अगर लग्नेश पर हम कार्य करते हैं तो हमारे कार्य अपने आप ही सिद्ध हो जाते हैं।
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पहरेदार होने के योगजिनकी जन्म कुंडली में लग्न का स्वामी 6th,8th में या 12वे भाव में बैठा हो तो वह व्यक्ति पहरेदार का काम...
19/08/2023

पहरेदार होने के योग
जिनकी जन्म कुंडली में लग्न का स्वामी 6th,8th में या 12वे भाव में बैठा हो तो वह व्यक्ति पहरेदार का काम अवश्य करता है।
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03/08/2023

Arvind Kejriwal Local Express News Paper Entertainment Daily UK Ramkumar Makaju Ramphal Bhaker Subhash Kumar Bhadani Murari Uikey Narendra Jaiswal Tilak Palewar A Sha Asha Devi Lalu Rathot Ajeet Dwivedi Aman Dixit Balajidham Subhash Saini Balaji dham Hansi
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Shout out to my newest followers! Excited to have you onboard!Thanks all 💕💕💕💕💕Ramkumar Makaju, Ramphal Bhaker, Pradèp Gu...
02/08/2023

Shout out to my newest followers! Excited to have you onboard!
Thanks all 💕💕💕💕💕
Ramkumar Makaju, Ramphal Bhaker, Pradèp Gupta, Subhash Kumar Bhadani, Subhash Saini, Harendra Kumar, Narendra Jaiswal, Tilak Palewar, Lalu Rathot, A Sha Asha Devi, Sanjay Patil, Ajeet Dwivedi, अवचरपटेल पटेल, Dinesh Goutam, Nitesh Kumar, Murari Uikey

आपकी नजर में क्या यह सही है लड्डू गोपाल को हर जगह साथ में लेकर जाना घूमना साथ में लेकर उन्हें झूठे हाथों से खा भी लेते ह...
26/07/2023

आपकी नजर में क्या यह सही है लड्डू गोपाल को हर जगह साथ में लेकर जाना घूमना साथ में लेकर उन्हें झूठे हाथों से खा भी लेते हैं भगवान दिखावे के नहीं आस्था के भूखे है यह ढकोसला बाजी बंद करो भगवान को भगवान ही रहने दो नीचे देखो यह क्या कृत्य है जूता घर में लड्डू गोपाल को छोड़कर गए हैं कहीं तो शर्म करो

Local Express News Paper Harish Jindal Entertainment Daily UK Arvind Kejriwal Astro Sanjay Sharma Shastri G
17/07/2023

Local Express News Paper
Harish Jindal Entertainment Daily UK Arvind Kejriwal Astro Sanjay Sharma Shastri G

*उकलाना में वार्ड नंबर 1 हिसार जिला परिषद के चुनाव होने जा रहे हैं।*इसे चुनावी चर्चा पर ज्योतिष का आकलन-*1अनिल* बिठमडा -...
30/06/2023

*उकलाना में वार्ड नंबर 1 हिसार जिला परिषद के चुनाव होने जा रहे हैं।*
इसे चुनावी चर्चा पर ज्योतिष का आकलन-
*1अनिल* बिठमडा -(मेष राशि)- उगता सूरज-(वृष राशि)
इस जातक के नाम से और चुनाव चीन से कुछ यह भिन्नता उत्पन्न हो सकती हैं।
क्योंकि इनके नाम के साथ चुनाव का जो चीन है वह कहीं ना कहीं इनको समस्या अवश्य देगा।
यह ग्रह दृष्टि के अनुसार स्पष्ट पता चल रहा है इसको अपने ही धोखा देंगे और स्तर भी इनका कमजोर हो सकता है।
चुनावी माहौल को देखते हुए कुछ लोग इनके साथ विशेष संपर्क बनाएंगे और अपना कार्य करने की कोशिश करेंगे।
इनको अपनी प्रक्रिया को बनाए रखने के लिए लोगों की मन को भावना के साथ जोड़ना होगा और सामाजिक स्तर को बढ़ाकर आगे बढ़ना होगा।
क्योंकि किसी कवि ने ठीक ही कहा है यह सफर आसान नहीं है।
इसलिए अपने ही लोग आपको आधात कर सकते हैं। इसलिए सावधान रहें सतर्क रहें।
क्योंकि आपकी कुंडली में सूर्य और मंगल खराब है।

*2-आत्माराम धानक* (मेष राशि) बैलगाड़ी (वृष राशि)
इस जातक के साथ में अपने नाम के साथ चुनाव चिन्हों में अलग प्रभाव दिखाई दे रहा है। यह चुनाव में एक विशेष चीज को लेकर आगे बढ़ने वाला है। परंतु किसी न किसी कारण इसका मन टूट सकता है। शुक्र की दृष्टि राहु पर पड़ने से पढ़ने से समाज के लोगों के साथ इनके वैचारिक मतभेद भी हो सकते हैं।
इनके दिमाग में हर रोज योजना बनती जा रही है परंतु वह सफल होगी या नहीं यह बात कही न कही समस्या का विषय बन सकती हैं।
यह कहीं ना कहीं मानसिक और शारीरिक रूप से परेशान हो सकते हैं ग्रह की दृष्टि के कारण कहीं ना कहीं आर्थिक दुविधा भी इनको समस्या का कारण बना सकती है।
परंतु राहु की दृष्टि होने के कारण इनके अंदर आत्मबल ज्यादा है किसी से डरते नहीं है आगे बढ़ने की कोशिश करते रहेंगे।
अपने और अपने परिवार को जोड़कर चले शायद कहीं न कहीं भी फायदा हो सकता है।
*3- पंकज बिठमड़ा*-(कन्या राशि) पतंग (कन्या राशि)
इस जातक का चुनाव चिन्ह इसके नाम के अनुसार काफी हद तक मेलजोल बना रहा है।
इनकी आत्मबल और आतम दृष्टि ऊर्जावान है।
इस जातक के अपने ही लोग किसके साथ जुड़कर अन्य लोगों को आघात पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं। यह अपनी विशेष प्रक्रिया के माध्यम से चुनाव का नया दौर देने वाला है।
समाज में अपनी नई छाप छोड़ने की कोशिश करेगा।
आने वाले 3 दिन में इस जाटों को समाज का पूरा सहयोग मिलने वाला है परंतु ध्यान रखें कुछ एबिस्वास लोग इसकी बातों को काट सकते हैं तो उस वक्त सूझबूझ से कार्य करेगा तो फायदा होगा नहीं तो कहीं ना कहीं मुंह की खानी पड़ेगी।
बुध की स्थिति अच्छी होने के कारण परंतु सूर्य की स्थिति खराब है इसलिए मान सम्मान को बचाए रखें।

*4-रामपाल बिठमड़ा*-(तुला राशि)-केतली-(मिथुन)
इस जातक का भविष्य भी बड़ा ही है असमझ में अटका हुआ दिखाई दे रहा है।
इस जातक का हमेशा मन भ्रमित रहता है कि तेरे साथ होगा क्या???
चुनावी दृष्टि से देखा जाए तो ऊर्जा की स्थिति काफी बनी हुई है शुक्र की दृष्टि बुध पर पड़ने से धन की समस्या तो नहीं होगी परंतु मानसिक शांति कहीं न कहीं भंग होगी। लोग इनके पास बैठेंगे और कुछ मिलने मिले अपना उल्लू सीधा करने के लिए आगे अवश्य बढ़ेंगे।
परंतु जातक की दृष्टि देखे तो यह मन की स्थिति से बड़े ही अच्छे और व्यवहारिक हैं। यह समाज के अंदर नया बदलाव पैदा करने के लिए अपने विचारों को लाने की कोशिश कर रहे हैं। इनके विचार उत्तम है और समाज को जोड़ना चाहते हैं और नई पहल को लेकर आगे बढ़ना चाहते हैं।
परंतु इनकी कुंडली के अनुसार बुध की दृष्टि खराब होने से जो यंग विचारधारा के लोग हैं वह इससे दूर हो सकते हैं।
सब को जोड़ने की कोशिश करें। शब्द की भावना समझने की कोशिश करें कि लोग क्या कह रहे हैं आप के प्रति उस विचारधारा को हटाकर अपने विचार को आगे बढ़ाने की कोशिश करें। केतु और मंगल खराब होने के कारण चुनाव में इनको जी तोड़ मेहनत लगानी होगी तभी कुछ हो सकता है। साथ में अपने आतम ज्ञान और आत्म बल का अवश्य प्रयोग करें।
*5-विजय सुरेवाला*-(राशि वृष)-जीप +राशि मकर)
इस जातक की कुंडली में एक अजीब प्रकार की उलझन है परंतु ऊर्जा ज्यादा अधिक है।
इस जातक के पास भी अनेक प्रकार की विचारधाराएं हैं। हर विचारधारा पर काम करने की कोशिश करेंगे। प्रभावशाली व्यक्तित्व होने के कारण लोगों के अंदर अपनी पहचान बनाना इनको अच्छी तरह आता है। शुक्र और शनि की युति होने के कारण लोगों का घेराव ज्यादा है परंतु अपने ही समाज के लोग इनको कहीं ना कहीं आघात पहुंचा सकते हैं इसलिए सावधान रहने की आवश्यकता है।
कुंडली के अनुसार शनि की अच्छी दृष्टि होने के कारण यह कहीं ना कहीं चुनाव में फेरबदल करने की ताकत रखते हैं।
मेरे अनुसार सावधान रहें सतर्क रहें। कान के कच्चे ना होकर अपने विचारों को लेकर आगे बढ़े और समाज को जोड़ने की कोशिश करें तो कहीं ना कहीं एक अच्छी रूपरेखा आपकी बन सकती है।
*6-विजयपाल*(राशि वृष)-जंग (मकर राशि)
विजयपाल के चुनाव चिन्ह दोनों के साथ कुछ ना कुछ वैचारिक दृष्टि से अलग दिखाई दे रहा है।
जातक के अंदर उर्जा की दृष्टि होने के कारण आत्मबल भी बहुत ज्यादा है।
अपनी विचारधारा का विशेष प्रयोग करना चाहते हैं। बालू से लोगों को जागरूक करना चाहते हैं। शुक्र की दृष्टि राहु के साथ पढ़ने से कहीं ना कहीं लोगों की नजर लगने से इनको समस्या अवश्य होगी। हम लोग सोचेगा कि आपकी धारणा क्या है???
परंतु इनके विचार अच्छे हैं और अच्छे ऊर्जा के साथ आगे बढ़ रहे हैं सब कुछ भगवान भरोसे है।

*7-विकास सेलवाल*-(राशि वृष) हवाई जहाज (राशि मिथुन)
इनके नाम के साथ इनका चुनाव चिह्न काफी हद तक मेल खा रहा है। आत्मबल और समाज की ताकत के साथ आगे बढ़ रहे हैं। कुंडली के अंदर शनि और बुध की युति होने के कारण पूर्वजों की शक्ति का भी प्रभाव उनके ऊपर पड़ रहा है। इनको कहीं ना कहीं पितृ बल और आत्मबल एक साथ मिल रहा है।
यह समाज के अंदर कुछ नया लेकर आना चाहते हैं।
परंतु राहु की दृष्टि खराब होने के कारण कहीं ना कहीं इनको ग्रहण लग सकता है।
क्योंकि दृष्टि खराब होने से कुछ लोगों के मन में धारणा और दिमाग को भ्रमित करने का योग बनेगा लोग कहेंगे कुछ और करेंगे कुछ और बताएंगे कुछ और इनके सामने ऐसी दृष्टि उत्पन्न होने वाली है।
यह सब दृष्टि इनको 4 से 5 दिन के अंदर प्रत्यक्ष हो जाएगी। क्योंकि मंगल की दृष्टि राहों पर पड़ने पर गुस्सा बढ़ाएगा और लोगों के अंदर जिज्ञासा के साथ-साथ कुछ अलग सोच पैदा करने वाला है। इसमें अपने ही लोग इनके ऊपर सेंध लगाने की तैयारी कर रहे हैं।
शुक्र और बुध युति होने के कारण धन के योग तो बनेंगे। परंतु मानसिक और शारीरिक समस्या अवश्य उत्पन्न होगी।
चुनाव में अच्छे योग बन रहे हैं परंतु ग्रहण लगने के कारण इनको समस्या अवश्य पैदा हो सकती है।
इसलिए सावधान रहें सतर्क रहें।

*चुनाव का समीकरण*
1-अनिल उगता सूरज-60%
2-आत्माराम बैलगाड़ी 50%
3-पंकज पतंग 62%
4-रामपाल केतली 61%
5-विजय जीप 67%
6-विजयपाल जग 52%
7-विकास सेलवाल हवाई जहाज 67%
यह सिर्फ एक ज्योतिष गणना है।
विशेष उपाय के माध्यम से चुनाव की दृष्टि में अपनी स्थिति को भी बदला जा सकता है। यह उपाय साम दाम दंड भेद आदि चीजों पर जागृत होते हैं।
उसी के आधार पर चुनाव की दृष्टि बदल सकती हैं।
अगर किसी को अन्य जानकारी चाहिए तो वह मेरे कार्यालय में आकर मुझसे मिल सकता है।
*Astro Shastri G*
Uklana Mandi Hisar
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Office no 9306320211

Thanks for being a top engager and making it on to my weekly engagement list! 🎉 Sanjay Shah, Kailash Jadiya, Harish Jind...
26/06/2023

Thanks for being a top engager and making it on to my weekly engagement list! 🎉 Sanjay Shah, Kailash Jadiya, Harish Jindal

Astro Shastri G Arvind Kejriwal
23/06/2023

Astro Shastri G Arvind Kejriwal

Shout out to my newest followers! Excited to have you onboard!B K Dubey Dubey, Manoher Lal Saini, Sandeep Sahu
21/06/2023

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B K Dubey Dubey, Manoher Lal Saini, Sandeep Sahu

Astro Shastri G
20/06/2023

Astro Shastri G

#जन्मपत्रिका में #दाम्पत्य-सुख का विचार*
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सप्तम भाव व सप्तमेश से किया जाता है। इसके अतिरिक्त शुक्र भी दाम्पत्य-सुख का प्रबल कारक होता है क्योंकि शुक्र भोग-विलास व शैय्या सुख का प्रतिनिधि है। पुरूष की जन्मपत्रिका में शुक्र #पत्नी का एवं स्त्री की जन्मपत्रिका में गुरू पति का कारक माना गया है। जन्मपत्रिका का द्वादश भाव शैय्या सुख का भाव होता है। अत: इन दाम्पत्य सुख प्रदाता कारकों पर यदि पाप ग्रहों, क्रूर ग्रहों व अलगाववादी ग्रहों का प्रभाव हो तो व्यक्ति आजीवन दाम्पत्य सुख को तरसता रहता है। सूर्य,शनि,राहु अलगाववादी स्वभाव वाले ग्रह हैं वहीं मंगल व केतु मारणात्मक स्वभाव वाले ग्रह। ये सभी दाम्पत्य-सुख के लिए हानिकारक होते हैं। आइये जानते हैं कि किन योगों के कारण व्यक्ति इससे वंचित होता है।

1. यदि #सप्तम भाव पर राहु,शनि व सूर्य की दृष्टि हो एवं सप्तमेश अशुभ स्थानों में हो एवं शुक्र पीड़ित व निर्बल हो तो व्यक्ति को दाम्पत्य-सुख नहीं मिलता।

2. यदि #सूर्य-शुक्र की युति हो व सप्तमेश निर्बल व पीड़ित हो एवं सप्तम भाव पर पाप ग्रहों का प्रभाव हो तो व्यक्ति को दाम्पत्य सुख प्राप्त नहीं होता।

3. यदि सप्तम भाव में मकर या कुम्भ राशि स्थित हो, सप्तमेश #सूर्य,शनि व राहु के साथ हो एवं शुक्र पीड़ित व निर्बल हो तो व्यक्ति को दाम्पत्य सुख नहीं मिलता।

4. यदि सप्तमेश निर्बल व पीड़ित हो एवं सप्तम भाव पर अशुभ ग्रहों की दृष्टि हो तो व्यक्ति को दाम्पत्य सुख प्राप्त नहीं होता।

5. Astro Shastri G के अनुसार यदि द्वादश भाव पर अशुभ ग्रहों का प्रभाव हो, #शुक्र पीड़ित व निर्बल हो और सप्तम भाव पर सूर्य,राहु व शनि का प्रभाव हो व सप्तमेश अशुभ स्थानों में हो तो व्यक्ति को दाम्पत्य सुख प्राप्त नहीं होता।

6. यदि #लग्न में राहु स्थित हो एवं जन्मपत्रिका में सूर्य व शुक्र की युति हो तो जातक को दाम्पत्य सुख प्राप्त नहीं होता।

7. यदि #लग्न में शनि स्थित हो और सप्तमेश अस्त, निर्बल या अशुभ स्थानों में हो तो जातक का विवाह विलम्ब से होता है व जीवनसाथी से उसका मतभेद रहता है।

8. यदि #सप्तम भाव में राहु स्थित हो और सप्तमेश पाप ग्रहों के साथ छ्ठे, आठवें या बारहवें भाव में स्थित हो तो जातक के तलाक की सम्भावना होती है।

9. यदि लग्न में #मंगल हो व सप्तमेश अशुभ भावों में स्थित हो व द्वितीयेश पर मारणात्मक ग्रहों का प्रभाव हो तो पत्नी की मृत्यु के कारण व्यक्ति को दाम्पत्य-सुख से वंचित होना पड़ता है।

10. यदि किसी स्त्री की जन्मपत्रिका में #गुरू पर अशुभ ग्रहों का प्रभाव हो, सप्तमेश पाप ग्रहों से युत हो एवं सप्तम भाव पर सूर्य,शनि व राहु की दृष्टि हो तो ऐसी स्त्री को दाम्पत्य सुख प्राप्त नहीं होता।
*कुंडली विश्लेषण और ज्योतिष सम्बंधित समस्या के निवारण, अभिमन्त्रिक रत्न, हर एक तरह की असली माला, नव ग्रह शांति और सभी दोषों की शांति की पूजा आदि के लिए कॉल या व्हाट्सअप से संपर्क करें:-*
*एडवांस मे फीस देय हैं*
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 #जन्मपत्रिका में  #दाम्पत्य-सुख का विचार*🌹🌹🌹🌹🌹🌹 सप्तम भाव व सप्तमेश से किया जाता है। इसके अतिरिक्त शुक्र भी दाम्पत्य-सु...
20/06/2023

#जन्मपत्रिका में #दाम्पत्य-सुख का विचार*
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सप्तम भाव व सप्तमेश से किया जाता है। इसके अतिरिक्त शुक्र भी दाम्पत्य-सुख का प्रबल कारक होता है क्योंकि शुक्र भोग-विलास व शैय्या सुख का प्रतिनिधि है। पुरूष की जन्मपत्रिका में शुक्र #पत्नी का एवं स्त्री की जन्मपत्रिका में गुरू पति का कारक माना गया है। जन्मपत्रिका का द्वादश भाव शैय्या सुख का भाव होता है। अत: इन दाम्पत्य सुख प्रदाता कारकों पर यदि पाप ग्रहों, क्रूर ग्रहों व अलगाववादी ग्रहों का प्रभाव हो तो व्यक्ति आजीवन दाम्पत्य सुख को तरसता रहता है। सूर्य,शनि,राहु अलगाववादी स्वभाव वाले ग्रह हैं वहीं मंगल व केतु मारणात्मक स्वभाव वाले ग्रह। ये सभी दाम्पत्य-सुख के लिए हानिकारक होते हैं। आइये जानते हैं कि किन योगों के कारण व्यक्ति इससे वंचित होता है।

1. यदि #सप्तम भाव पर राहु,शनि व सूर्य की दृष्टि हो एवं सप्तमेश अशुभ स्थानों में हो एवं शुक्र पीड़ित व निर्बल हो तो व्यक्ति को दाम्पत्य-सुख नहीं मिलता।

2. यदि #सूर्य-शुक्र की युति हो व सप्तमेश निर्बल व पीड़ित हो एवं सप्तम भाव पर पाप ग्रहों का प्रभाव हो तो व्यक्ति को दाम्पत्य सुख प्राप्त नहीं होता।

3. यदि सप्तम भाव में मकर या कुम्भ राशि स्थित हो, सप्तमेश #सूर्य,शनि व राहु के साथ हो एवं शुक्र पीड़ित व निर्बल हो तो व्यक्ति को दाम्पत्य सुख नहीं मिलता।

4. यदि सप्तमेश निर्बल व पीड़ित हो एवं सप्तम भाव पर अशुभ ग्रहों की दृष्टि हो तो व्यक्ति को दाम्पत्य सुख प्राप्त नहीं होता।

5. Astro Shastri G के अनुसार यदि द्वादश भाव पर अशुभ ग्रहों का प्रभाव हो, #शुक्र पीड़ित व निर्बल हो और सप्तम भाव पर सूर्य,राहु व शनि का प्रभाव हो व सप्तमेश अशुभ स्थानों में हो तो व्यक्ति को दाम्पत्य सुख प्राप्त नहीं होता।

6. यदि #लग्न में राहु स्थित हो एवं जन्मपत्रिका में सूर्य व शुक्र की युति हो तो जातक को दाम्पत्य सुख प्राप्त नहीं होता।

7. यदि #लग्न में शनि स्थित हो और सप्तमेश अस्त, निर्बल या अशुभ स्थानों में हो तो जातक का विवाह विलम्ब से होता है व जीवनसाथी से उसका मतभेद रहता है।

8. यदि #सप्तम भाव में राहु स्थित हो और सप्तमेश पाप ग्रहों के साथ छ्ठे, आठवें या बारहवें भाव में स्थित हो तो जातक के तलाक की सम्भावना होती है।

9. यदि लग्न में #मंगल हो व सप्तमेश अशुभ भावों में स्थित हो व द्वितीयेश पर मारणात्मक ग्रहों का प्रभाव हो तो पत्नी की मृत्यु के कारण व्यक्ति को दाम्पत्य-सुख से वंचित होना पड़ता है।

10. यदि किसी स्त्री की जन्मपत्रिका में #गुरू पर अशुभ ग्रहों का प्रभाव हो, सप्तमेश पाप ग्रहों से युत हो एवं सप्तम भाव पर सूर्य,शनि व राहु की दृष्टि हो तो ऐसी स्त्री को दाम्पत्य सुख प्राप्त नहीं होता।
*कुंडली विश्लेषण और ज्योतिष सम्बंधित समस्या के निवारण, अभिमन्त्रिक रत्न, हर एक तरह की असली माला, नव ग्रह शांति और सभी दोषों की शांति की पूजा आदि के लिए कॉल या व्हाट्सअप से संपर्क करें:-*
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*कुंडली में शेयर/सट्टा से लाभ योग* 🌹🌹🌹🌹🌹🌹✍🏻ज‌िनकी कुंडली में ग्रहों की कुछ खास स्‍थ‌ित‌ि होती है उन जातको को शेयर/सट्टे ...
18/06/2023

*कुंडली में शेयर/सट्टा से लाभ योग*
🌹🌹🌹🌹🌹🌹✍🏻ज‌िनकी कुंडली में ग्रहों की कुछ खास स्‍थ‌ित‌ि होती है उन जातको को शेयर/सट्टे से आकस्मिक लाभ म‌िलता है। तो देख‌िए आपकी जन्मपत्री में भी ऐसे योग तो नहीं बन रहे।

*१.-* Astro Shastri G के अनुसार यदि किसी जन्मपत्री में पांचवें घर में गुरू के साथ पहले घर यानी लग्न के स्वामी ग्रह बैठे हों तब व्यक्त‌ि को अचानक से धन लाभ म‌िलता रहता है।

*२.-* यदि किसी कुंडली के पांचवें घर में चंद्र है और उस पर शुक्र की दृष्ट‌ि है तो यह भी अचानक धन प्राप्त होने का योग है।

*३.-* यदि किसी जन्मपत्री में दूसरे घघर यानी धन भाव और ग्यारहवें घर यानी लाभ स्थान के स्वामी चौथे घर में साथ बैठे हों और उन पर क‌िसी शुभ ग्रह की दृष्ट‌ि है तो आपको अचानक धन म‌िल सकता है।

*४.-* यदि जन्मपत्री के केन्द्र स्‍थान यानी पहले, चौथे, सातवें और दसवें घर में कोई शुभ ग्रह हैं मजबूत स्‍थ‌ित‌ि में हों तो यह व्यक्त‌ि को आकस्मिक लाभ दिलाता है।

*५.-* यदि आपका जन्म मीन लग्न में हुआ है और आपकी कुंडली में पांचवें घर में बुध है और ग्यारहवें घर यानी आय स्‍थान में शन‌ि है तो यह शेयर सट्टे में अचानक लाभ का योग बनाता है।
*कुंडली विश्लेषण और ज्योतिष सम्बंधित समस्या के निवारण, अभिमन्त्रिक रत्न, हर एक तरह की असली माला, नव ग्रह शांति और सभी दोषों की शांति की पूजा आदि के लिए कॉल या व्हाट्सअप से संपर्क करें:-*
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*वेद पढ़ना आसान हो सकता है लेकिन किसी की वेदना पढ़ना बहुत मुश्किल**जिस दिन आपने किसी की वेदना को पढकर उसका हल कर दिया तो ...
09/06/2023

*वेद पढ़ना आसान हो सकता है लेकिन किसी की वेदना पढ़ना बहुत मुश्किल*
*जिस दिन आपने किसी की वेदना को पढकर उसका हल कर दिया तो समझो आपने ईश्वर को पा लिया*
*🙏सुप्रभात🙏*
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