Why are there 7 days in a week?
Why Day is divided into 24 hours?
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महामृत्युंजय मंत्र
ऊँ हौं जूं स: ऊँ भुर्भव: स्व: ऊँ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
ऊर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ऊँ भुव: भू: स्व: ऊँ स: जूं हौं ऊँ।।
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गुरु नानक जी की आध्यात्मिक यात्राएँ
गुरु नानक जी की दिव्य आध्यात्मिक यात्राओं को उड़ासी कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि गुरु नानक जी दुनिया के दूसरे सबसे अधिक यात्रा करने वाले व्यक्ति हैं। उनकी अधिकांश यात्राएँ उनके साथी भाई मरदाना जी के साथ पैदल ही की गई थीं। उन्होंने सभी चार दिशाओं- उत्तर, पूर्व, पश्चिम की यात्राओं को एक अभिलेख के रूप में जाता है। वैसे ऐसे भी अभिलेख हैं जो इस बात का संकेत करते है कि गुरु नानक जी ने सबसे अधिक यात्राएं की थी । माना जाता है कि गुरु नानक जी ने 1500 से 1524 की अवधि के मध्य दुनिया की अपनी पांच प्रमुख यात्राओं में 28,000 किलोमीटर से अधिक की यात्रा की थी। सबसे अधिक यात्रा करने वाले व्यक्ति का रिकॉर्ड मोरक्को के इब्न बतूता के नाम है। नीचे उन स्थानों की संक्षिप्त जानकारी दी गई है जहाँ पर गुरु नानक जी ने भ्रमण किया था
पहली उदासी : 1500-1506 ई.
यह लगभग 7 वर्ष
संत नामदेव : (वि. स. 1327 -1407, ई. सन 1270 – 1350)
संत नामदेव का जन्म ग्राम नरसी बामनी जिला परभनी (महाराष्ट्र) में हुआ था । महाराष्ट्र में नामदेव नाम के छह संत हो गए हैं । सर्वाधिक लोकप्रिय वे नामदेव हैं, जिन्होंने उत्तर भारत में, विशेष रूप से पंजाब में, भागवत धर्म का प्रचार किया और मराठी तथा हिन्दी में काव्य-रचना की।
संत नामदेव के पिता का नाम दयाशेठ तथा माता का नाम गोणाई था । संत नामदेव के परिवार में व्यापार होता था, किन्तु नामदेव का मन व्यापार में नहीं लगा । मन तो विट्ठल भक्ति में ही लगा रहता था । बीस वर्ष की आयु में संत नामदेव की भेंट संत ज्ञानेश्वर से हो गयी । संत ज्ञानेश्वर स्वयं नामदेव से भेंट करने पण्ढरपुर आये। दोनों में अभिन्नता हो गयी और फिर वे साथ-साथ ही रहने लगे। दोनों ने मिलकर पूरे देश की यात्रा कर डाली।
बिसोवा खेचर को गुरु माना- संत ज्ञानेश्वर ने कहा, नामदेव! अब आप बिसोवा ख
जम्मू-कश्मीर का भारत में अधिमिलन
भारत का विभाजन और आधिपत्य की समाप्ति – कोई रियासत स्वतंत्र नहीं सो सकती थी
जब द्वितीय विश्व युद्ध समाप्त हुआ तो भारत में स्व-शासन आंदोलन तेजी से प्रगति कर रहा था। 12 मई, 1946 को स्टेट ट्रीटीस एवं पैरामाउंट का ज्ञापन कैबिनेट मिशन द्वारा चैंबर ऑफ प्रिंसेस के चांसलर के समक्ष प्रस्तुत किया गया।
इसके बाद, 3 जून, 1947 को माउंटबैटन योजना की घोषणा कर दी गई। इस योजना की एक सलाह यह थी कि 562 रियासतें अपना भविष्य स्वयं तय करने के लिए स्वतंत्र हैं यानी वह भारत अथवा पाकिस्तान में से किसी एक को स्वीकार कर सकती हैं।
अंततः 18 जुलाई, 1947 को यूनाइटेड किंगडम की संसद ने विभाजन के साथ भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम पारित कर दिया।
अधिनियम की धारा 1 (I) के अनुसार, ‘अगस्त के पंद्रहवें दिन, उन्नीस सौ सैंतालिस से भारत में दो स्वतंत्र डोमिनियनस की स्थापना की जाएंगी, ज
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ॐ
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Thoughts On #Pakistan by Dr. B R #Ambedkar. A must read #book #ThoughtsOnPakistan
वाक युद्ध
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