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District Tai Commando competition Deoria UP.Dated - Oct 15th, 2023.All winner............Congratulations on your incredi...
15/10/2023

District Tai Commando competition Deoria UP.

Dated - Oct 15th, 2023.

All winner............

Congratulations on your incredible success! I always knew you could do it, and I'm incredibly proud of you."

Regards
GDS Academy
Kushmauni Baikunthpur Deoria u.p.

October 2nd happens to be the birth anniversary of two great leaders of India, Mahatma Gandhi and Shri Lal Bahadur Shast...
02/10/2023

October 2nd happens to be the birth anniversary of two great leaders of India, Mahatma Gandhi and Shri Lal Bahadur Shastri. The life of both Mahatma Gandhi and Lal Bahadur Shastri is exemplary and a source of motivation for everyone. They are known to exhibit clarity and calmness even in situations that created panic. On this day of celebration, KIT wishes a very Happy Gandhi Jayanti & Lal Bahadur Shastri Jayanti to all and wishes all the success for future endeavours.

15/08/2023
।। संयमित एवं संतुलित व्यवहार = सुखमय जीवन का आधार।।।।जय छठी मैया।।  G D S Academy
30/10/2022

।। संयमित एवं संतुलित व्यवहार = सुखमय जीवन का आधार।।

।।जय छठी मैया।। G D S Academy

मुस्कुराते हंसते दीप तुम जलानाजीवन में नई खुशियों को लाना,दुख दर्द अपने भूल करसबको गले लगाना.G. D. S. Academy की तरफ से ...
24/10/2022

मुस्कुराते हंसते दीप तुम जलाना

जीवन में नई खुशियों को लाना,

दुख दर्द अपने भूल कर

सबको गले लगाना.

G. D. S. Academy की तरफ से आप सभी को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं!

16/08/2022
G D S Academy की तरफ से "ईद-उल-अज़हा" की बहुत-बहुत मुबारकबाद!
10/07/2022

G D S Academy की तरफ से "ईद-उल-अज़हा" की बहुत-बहुत मुबारकबाद!

Admission open
04/09/2021

Admission open

आवश्यक सूचना COVID-19 महामारी कें चलते   सभी parent's को सूचित कीया जाता हैं कि जिनके बालक या बालिकाओं का Admission हुआ ...
20/04/2020

आवश्यक सूचना COVID-19 महामारी कें चलते सभी parent's को सूचित कीया जाता हैं कि जिनके बालक या बालिकाओं का Admission हुआ हैं G.D.S. Academy कि तरफ से Online classes 22-04-2020 बुधवार से चलाई जाएंगी सभी parent's को सूचित कीया जाता हैं कि अपना whatsapp no school कें whatsapp no 9260994901 से जोड़े धन्यवाद

भारतीय संविधान के रचयिता डॉक्‍टर भीमराव अंबेडकर (Dr Bhimrao Ambedkar) की जयंती हर साल 14 अप्रैल को मनाई जाती है.  भारत स...
14/04/2020

भारतीय संविधान के रचयिता डॉक्‍टर भीमराव अंबेडकर (Dr Bhimrao Ambedkar) की जयंती हर साल 14 अप्रैल को मनाई जाती है. भारत समेत दुनिया भर में उनके जन्‍मोत्‍सव को अंबेडकर जयंती (Ambedkar Kayanti) के रूप में मनाया जाता है. बाबा साहेब के नाम से मशहूर भारत रत्‍न अंबेडकर जीवन भर समानता के लिए संघर्ष करते रहे. यही वजह है कि भीम जयंती (Bhim Jayanti) को भारत में 'समानता दिवस' (Samanta Diws) और 'ज्ञान दिवस' (Gyan Diwas) के रूप में मनाया जाता है. जानिए उनसे जुड़ी ये 7 बातें
1. डॉक्‍टर भीमराव अंबेडकर का जन्‍म 14 अप्रैल 1891 को मध्‍य प्रदेश के एक छोटे से गांव में हुआ था. हालांकि उनका परिवार मराठी था और मूल रूप से महाराष्‍ट्र के रत्‍नागिरी जिले के आंबडवे गांव से था. उनके पिता का नाम रामजी मालोजी सकपाल और मां भीमाबाई थीं. अंबेडकर महार जाति के थे. इस जाति के लोगों को समाज में अछूत माना जाता था और उनके साथ भेदभाव किया जाता था. अंबेडकर बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि थे लेकिन जातीय छुआछूत की वजह से उन्‍हें प्रारंभ‍िक श‍िक्षा लेने में भी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा. स्‍कूल में उनका उपनाम उनके गांव के नाम के आधार पर आंबडवेकर ल‍िखवाया गया था. स्‍कूल के एक टीचर को भीमराव से बड़ा लगाव था और उन्‍होंने उनके उपनाम आंबडवेकर को सरल करते हुए उसे अंबेडकर कर दिया.

2. भीमराव अंबेडकर मुंबई की एल्‍फिंस्‍टन रोड पर स्थित गवर्नमेंट स्‍कूल के पहले अछूत छात्र बने. 1913 में अमेरिका की कोलंबिया यूनिवर्सिटी में पढ़ने के लिए भीमराव का चयन किया गया, जहां से उन्‍होंने राजनीति विज्ञान में ग्रेजुएशन किया. 1916 में उन्‍हें एक शोध के लिए पीएचडी से सम्‍मानित किया गया. अंबेडकर लंदन से अर्थशास्‍त्र में डॉक्‍टरेट करना चाहते थे लेकिन स्‍कॉलरश‍िप खत्‍म हो जाने की वजह से उन्‍हें बीच में ही पढ़ाई छोड़कर वापस भारत आना पड़ा. इसके बाद वे कभी ट्यूटर बने तो कभी कंसल्‍टिंग का काम शुरू किया लेकिन सामाजिक भेदभाव की वजह से उन्‍हें सफलता नहीं मिली. फिर वे मुंबई के सिडनेम कॉलेज में प्रोफेसर नियुक्‍त हो गए. 1923 में उन्‍होंने 'The Problem of the Rupee' नाम से अपना शोध पूरा किया और लंदन यूनिवर्सिटी ने उन्‍हें डॉक्‍टर्स ऑफ साइंस की उपाध‍ि दी. 1927 में कोलंबंनिया यूनिवर्सिटी ने भी उन्‍हें पीएचडी दी.

3. डॉक्‍टर भीमराव अंबेडकर समाज में दलित वर्ग को समानता दिलाने के जीवन भर संघर्ष करते रहे. उन्‍होंने दलित समुदाय के लिए एक ऐसी अलग राजनैतिक पहचान की वकालत की जिसमें कांग्रेस और ब्रिटिश दोनों का ही कोई दखल ना हो. 1932 में ब्रिटिश सरकार ने अंबेडकर की पृथक निर्वाचिका के प्रस्‍ताव को मंजूरी दे दी, लेकिन इसके विरोध में महात्‍मा गांधी ने आमरण अनशन शुरू कर दिया. इसके बाद अंबेडकर ने अपनी मांग वापस ले ली. बदले में दलित समुदाय को सीटों में आरक्षण और मंदिरों में प्रवेश करने का अध‍िकार देने के साथ ही छुआ-छूत खत्‍म करने की बात मान ली गई.
4. अंबेडकर ने 1936 में स्वतंत्र लेबर पार्टी की स्थापना की. इस पार्टी ने 1937 में केंद्रीय विधानसभा चुनावों मे 15 सीटें जीती. महात्‍मा गांधी दलित समुदाय को हरिजन कहकर बुलाते थे, लेकिन अंबेडकर ने इस बात की खूब आलोचना की. 1941 और 1945 के बीच उन्‍होंने कई विवादित किताबें लिखीं जिनमें 'थॉट्स ऑन पाकिस्‍तान' और 'वॉट कांग्रेस एंड गांधी हैव डन टू द अनटचेबल्‍स' भी शामिल हैं.

5. डॉक्‍टर भीमराव अंबेडकर प्रकांड विद्वान थे. तभी तो अपने विवादास्‍पद विचारों और कांग्रेस व महात्‍मा गांधी की आलोचना के बावजूद उन्‍हें स्‍वतंत्र भारत का पहला कानून मंत्री बनाया गया. इतना ही नहीं 29 अगस्‍त 1947 को अंबेडकर को भारत के संविधान मसौदा समिति का अध्‍यक्ष न‍ियुक्‍त क‍िया गया. बाबासाहेब अंबेडकर ने 1952 में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में लोकसभा चुनाव लड़ा, लेकिन वो हार गए. मार्च 1952 में उन्हें राज्य सभा के लिए नियुक्त किया गया और फिर अपनी मृत्यु तक वो इस सदन के सदस्य रहे.

6. डॉक्‍टर भीमराव अंबेडकर ने 14 अक्टूबर 1956 को नागपुर में एक औपचारिक सार्वजनिक समारोह का आयोजन किया. इस समारोह में उन्‍होंने श्रीलंका के महान बौद्ध भिक्षु महत्थवीर चंद्रमणी से पारंपरिक तरीके से त्रिरत्न और पंचशील को अपनाते हुए बौद्ध धर्म को अपना लिया. अंबेडकर ने 1956 में अपनी आख‍िरी किताब बौद्ध धर्म पर लिखी जिसका नाम था 'द बुद्ध एंड हिज़ धम्‍म'. यह किताब उनकी मृत्‍यु के बाद 1957 में प्रकाश‍ित हुई.

7. डॉक्‍टर अंबेडकर को डायबिटीज थी. अपनी आख‍िरी किताब 'द बुद्ध एंड हिज़ धम्‍म' को पूरा करने के तीन दिन बाद 6 दिसंबर 1956 को दिल्‍ली में उनका निधन हो गया. उनका अंतिम संस्‍कार मुंबई में बौद्ध रीति-रिवाज के साथ हुआ. उनके अंतिम संस्‍कार के समय उन्‍हें साक्षी मानकर करीब 10 लाख समर्थकों ने बौद्ध धर्म की दीक्षा ली थी.

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07/04/2020

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