11/04/2024
जीवन विवेक का सौंदर्य
ए. अरविंदाक्षन
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जीवन विवेक का सौंदर्य
ए. अरविंदाक्षन
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बाल लैंगिक अपराध के विविध आयाम
(चुनौतियाँ और संभावनाएँ)
डॉ. दीना नाथ यादव
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मैं चुप्पी हूँ
(कविता-संग्रह)
संतोषी
Santoshi Devi
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स्मृतियों में काका
(कविता-संग्रह)
डॉ. धूल चंद मीना
डॉ. डी सी मीना
अमेज़न लिंक:
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Contemporary Issues in Human Resource Management
by
Dr Ravish Chandra Verma
Dr Arun Kumar
Dr Brajesh Kumar
Dr Sanjay Kumar
About The Book
Rapid technological progress, the COVID-19 pandemic, the Industrial Revolution 5.0, and profound changes in world culture have all led to a critical analysis of human resource management. Without a doubt, the most valuable resource for an organization is its human capital. We must recognize and adjust to the changes in our environment over time if we want to remain competitive.
Human resource management faced a sharp rise in both opportunities and challenges post COVID-19. Artificial Intelligence, Machine learning, workplace digitalisations are becoming a more useful tool for HR managers in modern businesses. In the current dynamic environment, where work is conducted in a hybrid mode within the organization, managing personnel and meeting industry targets in a time-sensitive manner is a formidable task for HR managers operating in a globally competitive market. The issue of overstaffing affects many organizations, and efforts are being made to address it through forced retirement, layoffs, or organization-wide reduction in size. Knowing and comprehending these crucial issues in the domestic and international markets is essential to addressing them and strengthening the organization.
This book highlights many facets of contemporaneous issues of HRM. It covers a wide range of pertinent topics, including HR Analytics, Stress Management, Sustainable HRM, Employment Generation, and more. Researchers and academicians will find this book highly informative and insightful.
Kalamkaar Publisher
Kalamkaar Publishers Pvt Ltd
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Philosophical and Educational Thoughts of Sri Aurobindo
Editor
Dr. Desh Raj Sirswal
Desh Raj Sirswal
Kalamkaar Publisher
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कुँवरवर्ती कैसे बहे
(कविता संग्रह)
राकेश कबीर
Rakesh Patel
Kalamkaar Publisher
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लाज रखो गिरधारी
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संत शिरोमणि मीराबाई जन्मोत्सव पर भक्ति साहित्य की युवा अध्येता दिव्या जोशी तथा साहित्य एवं कला के युवा अध्येता विशाल पाण्डेय द्वारा संपादित पुस्तक लाज रखो गिरधारी "मीरा के प्रभु गिरधर नागर" को समर्पित करते हुए..... 🙏
शरद पूर्णिमा के शुभ अवसर पर प्रवासी साहित्यकार मृदुल कीर्ति, कवि एवं कथाकार इंदु झुनझुनवाला, साहित्य अध्येता आदित्य नाथ तिवारी, प्राचीन मीरा मंदिर, वृंदावन के पुरोहित रूद्र प्रताप सिंग तथा साहित्य एवं कला के युवा अध्येता तथा पुस्तक के संपादक विशाल पाण्डेय द्वारा पुस्तक को समर्पित किया गया।
पुस्तक कलमकार प्रकाशन नई दिल्ली से प्रकाशित हुई है।
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स्थान: प्राचीन मीराबाई मंदिर, वृंदावन, उत्तर प्रदेश, भारत
Divya Radhika Devi Dasi विशाल पाण्डेय
आज 'परख' में बच्चा लाल 'उन्मेष' की किताब 'बहार के पतझड़'.......
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प्रस्तुति: विशाल पाण्डेय
धीरे-धीरे क़लमकार पब्लिशर्स की यात्रा के सौ क़दम....
सभी के सहयोग के लिए हार्दिक आभार 🙂🙏
शीघ्र प्रकाश्य....
स्मृतियों में काका
(कविता)
डॉ. धूल चन्द मीना
Kalamkaar Publisher
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शीघ्र प्रकाश्य....
लक्ष्मीनारायण सुधाकर समग्र
संपादन: जयप्रकाश कर्दम
Jai Prakash Kardam
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पाती
(गीत संग्रह)
संतोषी
Santoshi Devi
समाज को आईना दिखाती कविताएँ ....
संतोषी देवी के काव्य संग्रह ‘पाती’ को पढ़ते हुए यह अहसास होता है कि इनकी कविताएँ हमारे आसपास घटित होते हुए देखी जा सकती हैं। इनकी कविताओं की भाषा आम बोल चाल की भाषा है। संतोषी देवी सामान्य परिवार से है तथा इन्होंने अब तक जीवन में कई उतार-चढाव देखे हैं जिनका प्रभाव इनकी कविताओं में देखा जा सकता है।
इनके कविता संग्रह में 84 के लगभग कविताएँ हैं जिनमें परिवार, समाज, अपना पराया, अच्छाई, बुराई को लेकर मन में होने वाली हलचल को इन्होंने सहज और सरल शब्दों में संजोया है। इसे पढ़कर एक धारणा बनती है कि संतोषी देवी व्यक्तिनिष्ठ नहीं होकर सामाजिक संवेदनाओं की कवयित्री हैं। समाज में उपेक्षित खुरदरे उपमानों को रेशमी एहसासों का जामा पहनाकर अभिव्यक्ति के रंगमंच पर उपस्थित कर दिया है। इनकी कविताओं की राष्ट्रीय स्तर पर पहचान है। इनकी अतुकान्त कविताओं में भाव प्रवणता का आधिक्य है। उसका प्रस्तुतीकरण बेजोड़ है। सामाजिक, राजनीतिक, धार्मिक और आर्थिक विसंगतियों का संवेदना की छुरी के साथ बड़े ही सहज भाव से पोस्टमार्टम किया है। इस प्रकार की अभिव्यक्ति आसान नहीं है। संतोषी देवी की कविताएँ उनके गूढ़ अनुभव और सृजनधर्मिता का स्वयं परिचय देती हैं। इनकी कविताओं में समाज के दोगलपन को भी उजागर किया है। इस काव्य संग्रह के अंतर्गत ‘जीवन फिर सरसाया है’, ‘अहसान जताकर रिश्तों के’, ‘दहशत में बाजार है’ ‘फूट पड़ा पाषाणों से’, ‘मन के रावण को मारो’, ‘सब दिन होते न एक समान’, ‘कुछ अपने ही बेगाने’, ‘खुद को गुम होते देखा’, ‘मानव बुत को रोते पाया’, ‘आओ अपनी कसम तोड़ दे’, ‘हृदय मेरा आवास तुम्हारा’, ‘माँ तेरे ऑचल की छाया’, ‘बरगद की अब छांव’, ‘शेष स्मृति साथ चलती’ आदि मन को झकझोड़ने वाली कविताएँ हैं।
कहा जा सकता है कि कवियत्री संतोषी देवी का यह अनूठा प्रयोग है जिसके माध्यम से वे समाज को आईना दिखाने में एकदम कामयाब हुई हैं। इसे पाठकों का भी स्नेह प्राप्त होगा, इनकी रचनाधर्मिता इसी प्रकार आगे बढती रहे, इनके उज्ज्वल भविष्य की कामना के साथ!
-रामस्वरूप रावतसरे
राजस्थान ब्यूरो
डायलॉग इंडिया दिल्ली
शाहपुरा, जयपुर
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शीघ्र प्रकाश्य....
अंतिम प्रहार
(काव्य संग्रह)
अनिल बिड़लान
Anil Bidlyan
क़लमकार पब्लिशर्स प्रा. लि., नई दिल्ली द्वारा प्रकाशित पुस्तकों की सूची। सभी पुस्तकें अमेजन पर उपलब्ध हैं। आप सीधे हमें संपर्क करके भी पुस्तकें ऑर्डर कर सकते हैं। सादर!
संपर्क : 9310562856
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क़लमकार पब्लिशर्स प्रा. लि., नई दिल्ली अपनी अब तक की यात्रा के लिए सभी साहित्यिक सुधीजनों और पाठकों का हार्दिक आभारी है। आशा है आप सभी का यह सहयोग भविष्य में भी इसी तरह मिलता रहेगा। सादर🙂
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पाती
(गीत संग्रह)
संतोषी
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संविधान से देश चलेगा
(कविता संग्रह)
लक्ष्मी नारायण सुधाकर
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दामोदर मोरे : प्रतिनिधि कविताएँ
चयन एवं संपादन
डॉ. कार्तिक चौधरी
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बेताल डाल पर
(कहानी संग्रह)
विपिन बिहारी
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वंचितों के कथाकार : ओमप्रकाश वाल्मीकि
संपादक : डॉ. नरेन्द्र वाल्मीकि
Narendra Valmiki
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कलमकार पब्लिशर्स प्राइवेट लिमिटेड, नई दिल्ली द्वारा प्रकाशित पुस्तकों के मूल्यांकन हेतु 8 अक्टूबर,2023 से 'परख' श्रृंखला आरंभ की जा रही है। इस श्रृंखला में आज 'कवि का विश्व (जितेंद्र श्रीवास्तव का कवि-कर्म)' पुस्तक का मूल्यांकन किया जाएगा। इस श्रृंखला में आप सभी का हार्दिक स्वागत है 🙏🙏
ार_पब्लिशर्स
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विरासत श्रृंखला
#क़लमकार_विरासत_श्रृंखला
परिकल्पना :
डॉ. सुरेश चंद मीणा
Suresh Meena
डॉ. चैनसिंह मीना
Chainsingh Meena
हिंदी भाषा और साहित्य की यात्रा विभिन्न कालखंडों के अंतर्गत अनेक पड़ावों से गुजरी है। आज हिंदी भाषा और साहित्य का जो स्वरूप हमारे सम्मुख है वह दीर्घ परंपरा में भाषाविदों एवं रचनाकारों के श्रम का सुपरिणाम है। ध्यातव्य है कि इस यात्रा में चुनौतियाँ भी कम नहीं रही हैं। आज भी हिंदी भाषा और साहित्य के सम्मुख अनेक चुनौतियाँ मौजूद हैं। ऐसे में अनेक आयामों में विस्तृत हिंदी भाषा और साहित्य की समृद्ध परंपरा को सहेजने की आवश्यकता है। इस संदर्भ में क़लमकार पब्लिशर्स द्वारा विरासत श्रृंखला का आरंभ किया गया है। इसमें महत्त्वपूर्ण रचनाकारों के समूचे रचना-कर्म का आलोचकों द्वारा पूरे मनोयोग से मूल्यांकन किया गया है। इस श्रृंखला के अंतर्गत प्रकाशित होने वाली पुस्तकें अगस्त माह से उपलब्ध होंगी। सादर!
ग्यारहवीं पुस्तक : श्रीलाल शुक्ल
लेखक : डॉ. कमल कुमार
क़लमकार पब्लिशर्स प्रा. लि., नई दिल्ली
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संपर्क: 9310562856
ईमेल: [email protected]
आवरण : लूना
moflo_designs
ई-मेल : [email protected]
New Book
A Toast To Winter Solstice
Devesh Path Sariya
Devesh Path Sariya
Translated by Shivam Tomar
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विरासत श्रृंखला
#क़लमकार_विरासत_श्रृंखला
परिकल्पना :
डॉ. सुरेश चंद मीणा
Suresh Meena
डॉ. चैनसिंह मीना
Chainsingh Meena
हिंदी भाषा और साहित्य की यात्रा विभिन्न कालखंडों के अंतर्गत अनेक पड़ावों से गुजरी है। आज हिंदी भाषा और साहित्य का जो स्वरूप हमारे सम्मुख है वह दीर्घ परंपरा में भाषाविदों एवं रचनाकारों के श्रम का सुपरिणाम है। ध्यातव्य है कि इस यात्रा में चुनौतियाँ भी कम नहीं रही हैं। आज भी हिंदी भाषा और साहित्य के सम्मुख अनेक चुनौतियाँ मौजूद हैं। ऐसे में अनेक आयामों में विस्तृत हिंदी भाषा और साहित्य की समृद्ध परंपरा को सहेजने की आवश्यकता है। इस संदर्भ में क़लमकार पब्लिशर्स द्वारा विरासत श्रृंखला का आरंभ किया गया है। इसमें महत्त्वपूर्ण रचनाकारों के समूचे रचना-कर्म का आलोचकों द्वारा पूरे मनोयोग से मूल्यांकन किया गया है। इस श्रृंखला के अंतर्गत प्रकाशित होने वाली पुस्तकें अगस्त माह से उपलब्ध होंगी। सादर!
दसवीं पुस्तक : अमरकांत
लेखक : परमजीत कुमार पंडित
क़लमकार पब्लिशर्स प्रा. लि., नई दिल्ली
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बेवजह नहीं कुछ भी
(कविता संग्रह)
जयप्रकाश कर्दम
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