26/02/2023
यह बात 100 प्रतिशत सत्य हे हमने 3 पार्टनर लोगो ने फ़तेहपुर उत्त्तर प्रदेश में गुटखा बनाने का 25 वर्ष पूर्व कारखाना लगाया । 6 महीने में बंद करना पड़ गया क्योंकि सवेरा नाम से गोल्डन अलुमिनियम पैकिंग और सफेद बैकग्राउंड में अच्छा प्रोडक्ट बनाया पर बाजार से 65 प्रतिशत माल वापिस आ गया जान सर्वे से पता चला लोगो का कहना था की इसमें सेंट नही कुछ में कहा ईंस में पिनक नही और कुछ ने कहा दम नही तब पता किया कि छिपकलियों की पूंछ सांप का अल्प विष टेनिन निकोटिन डालना पड़ेगा।
अब गलत काम नही कर सकते लोगो को मार कर पैसा कमाना नही भाया तो 4 महीने में बंद कर के आर थोक में आने पौने दाम में पिसी सुपारी और पान मसाला पनवाड़ी लोगो को बेच दिया फतेहपुर में आज भी पता कर सकते हो ।
देख लो क्या खा रही दुनिया मैन अपना ये अनुभव पर्सनल लोगो को बताया हे आज वो अनैतिक काम करते तो 700 करोड़ रुपये कमा सकते थे पर दिल हे कि मानता नही । जान दे सकते हे ले नही सकते मित्रो कानपुर आगरा और नॉइडॉ में ऐसे जहर बनाये जा रहे।
जिंदगी न मिलेगी दोबारा।
सोचिए सरकारों को क्या क्या से फायदा होता लोगों के दांत पाचनतंत्र खराब उसके बाद जान जाती है । मेरे अनुभव को 4 करोड़ लोगों तक पहुंचा सकते बहुत सी जाने बचाई जा सकती हैं।