12/07/2020
विकास दुबे के एनकाउंटर पर खड़े हो रहे हैं कई सवाल, आइए समझे पिछले 7 दिन की कहानी...
कानपुर एनकाउंटर के मुख्य आरोपी का तड़के एनकाउंटर कर दिया गया। कुख्यात अपराधी विकास दुबे सिपाही की पिस्टल निकालकर भाग रहा था। जिसके बाद एसटीएफ ने उसे सरेंडर करने को कहा तो विकास ने फायरिंग कर दी,जिसके बाद जबावी कार्रवाई में वह मारा गया। बताया जा रहा है कि दुबे को कमर और सीने पर गोली लगी। इस मुठभेड़ में 4 पुलिस वालों के भी घायल होने की खबर है।
दरअसल, जब एसटीएफ विकास दुबे को उत्तर प्रदेश लेकर आ रही थी। तड़के सुबह एसटीएफ की गाड़ी जिसमें विकास दुबे भी बैठा था, वह अनियंत्रित होकर पलट गई। जिसके बाद विकास सिपाही की गन छीनकर भागने लगा। पुलिस ने जब विकास को सरेंडर करने को कहा तो अपराधी विकास ने पुलिसवालों पर फायरिंग शुरू कर दी। पुलिस ने भी जबावी फायरिंग की, जिसमें विकास के पेट और पैर में गोली लगी और वह घायल हो गया। घायल विकास को पुलिस अस्पताल लेकर गई जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
कब कैसे क्या-क्या हुआ:-
2 जुलाई को दुर्दांत अपराधी विकास दुबे के घर कानपुर की चौबेपुर थाने और बिठूर थाने की पुलिस दबिश देने गई लेकिन पुलिस द्वारा दबिश देने की खबर चौबेपुर थाने में तैनात कुछ पुलिसकर्मियों ने विकास को पहले ही दे दी थी। जिसके बाद विकास दुबे ने अपने कुछ साथियों को हथियारों से लैस होकर घर आने के लिए कहा।
पुलिस के आने से पहले ही सभी अपराधी पहले से पुलिस टीम पर हमला करने के लिए छतों और गलियों में तैनात हो गए और विकास के घर के बाहर सड़क पर जेसीबी लगा दी, जिससे पुलिस को कार से उतरना पड़े। जैसे ही पुलिस की टीम विकास दुबे के गांव में पहुँची तो सड़क पर खड़ी जेसीबी की वजह से सभी को गाड़ी से उतरना पड़ा। जिसके बाद घात लगाकर बैठे बदमाशों ने तीन तरफ से पुलिस टीम पर फायरिंग कर दी। जिससे पुलिसकर्मियों को संभलने का मौका भी नहीं मिला। जिस पुलिसकर्मी को जहां जगह मिली, वह उसी ओर भागा, लेकिन घात लगाकर बैठे बदमाशों की ताबड़तोड़ फायरिंग में 8 पुलिसकर्मी शहीद हो गए और 5 घायल हो गए।
घटना को अंजाम देने के बाद फरार हो गया था विकास:-
दुर्दांत विकास घटना के बाद फरार हो गया था। जिसकी तलाश में उत्तर प्रदेश पुलिस की 40 टीमें लगी थीं लेकिन वह हर बार पुलिस को चकमा देकर भाग जाता था। कानपुर से निकलने के बाद उसकी लोकेशन उत्तर प्रदेश के औरैया ज़िले में बताई गई। 7 दिनों से पुलिस विकास को ढूंढ रही थी लेकिन पुलिस की मिलीभगत से उसे पकड़ना बहुत मुश्किल हो गया था। 8 जुलाई को उत्तर प्रदेश पुलिस को खबर मिली कि विकास दुबे फरीदाबाद के एक होटल में रुका हुआ है लेकिन जब तक पुलिस होटल में छापेमारी करने पहुँची, वहां से भी विकास फरार हो गया और पुलिस के हाथ एक बार फिर खाली रह गए। 9 जुलाई को विकास दुबे को उज्जैन के महाकालेश्ववर मंदिर में देखा गया। जिसके बाद अपराधी विकास को मध्यप्रदेश पुलिस ने धर दबोचा और उत्तर प्रदेश पुलिस को खबर दी।
कैसे हुई शातिर अपराधी की गिरफ्तारी:-
9 जुलाई को सुबह करीब सवा आठ बजे हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे महाकालेश्वर मंदिर पहुँचा और मंदिर में प्रवेश करने के लिए 250 रुपए की पर्ची कटाई। फिर उसने मंदिर परिसर में मौजूद फूलवाले से फूल लिए। फूलवाले ने जब शख्स को देखा तो उसे शक हुआ। जिसके बाद उसने मंदिर की सुरक्षा में तैनात गार्ड को इसकी सूचना दी कि कानपुर में हुए एनकाउंटर का अपराधी वहां मौजूद है।
जिसके बाद मंदिर के सुरक्षा गार्ड ने देखकर पुख्ता किया कि सच में ही वो विकास दुबे है या नहीं। गार्ड ने विकास दुबे को बिठाकर उसका पहचान पत्र मांगा तो विकास ने एक फर्जी पहचान पत्र दिखाया। जिसके बाद गार्डों ने मध्यप्रदेश पुलिस को सूचना दी। उज्जैन पुलिस ने मौके पर पहुँचकर अपराधी विकास को अपनी कस्टडी में ले लिया। तभी वहां पर मीडिया भी पहुँच गई। विकास दुबे पुलिस की गिरफ्त में आने के बाद जोर-जोर से अपना नाम चिल्लाने लगा। पुलिस उसे गाड़ी में बिठाने लगी तो वह चिल्लाया, " मैं विकास दुबे हूँ... कानपुर वाला...इन्होंने मुझे पकड़ लिया है। गिरफ्त में लेने के बाद एमपी पुलिस ने उत्तर प्रदेश पुलिस को सूचना दी।
विकास दुबे को गिरफ्तार करने के बाद अज्ञात जगह ले जाया गया। जहां पर उससे पूछताछ हुई। उसने बताया कि वह कानपुर गोलीकांड के बाद शहीद हुए पुलिस वालों की लाशों को जलाना चाहता था। 9 जुलाई शाम सवा सात बजे एमपी पुलिस ने यूपी एसटीएफ को विकास की कस्टडी दी।
हिस्ट्रीशीटर विकास का एनकाउंटर:-
उत्तर प्रदेश एसटीएफ विकास को अपनी कस्टडी में लेकर उज्जैन से कानपुर के लिए निकली। शुक्रवार सुबह साढ़े छ: बजे ख़बर आई कि जिस गाड़ी में विकास बैठा था, वह गाड़ी अनियंत्रित होकर पलट गई। हादसे के बाद विकास ने पुलिसकर्मी की पिस्टल छीनकर भागने की कोशिश की। पुलिस ने विकास को सरेंडर करने को कहा, लेकिन विकास ने पुलिस पर लूटी हुई पिस्टल से फायर कर दिया। जिसके बाद पुलिस ने भी जबावी कार्रवाई में फायर किया। पुलिस की एक गोली विकास के सीने में और एक कमर में लगी। जिससे वह घायल हो गया। घायलावस्था में पुलिस विकास को कानपुर के हैलट अस्पताल लेकर पहुँची। जहां डॉक्टरों ने उसे सुबह 7:55 पर मृत घोषित कर दिया।
महाकाल का भक्त था हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे:-
विकास दुबे महाकाल का बहुत बड़ा भक्त था। हर दिन वो दो घंटे पूजापाठ करता था। विकास दुबे को पक्का यकीन हो गया था कि अगर वह यूपी पुलिस के हाथ आया तो वह मार दिया जाएगा। इसलिए शायद वह गोलीकांड करने के बाद महाकाल की शरण में पहुँच गया था। उसने उज्जैन पुलिस को बताया कि वह मंदिर परिसर में बैठकर बहुत रोया है। साथ ही बोला कि मुझे अपने किए पर अफसोस है।
एनकाउंटर पर हो रहे हैं कई सवाल खड़े:-
1- विकास दुबे के एनकाउंटर को लेकर अब यूपी पुलिस पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं। आखिर जब विकास दुबे के गुर्गे प्रभात शुक्ला का जब पुलिस ने एनकाउंटर किया, उस वक़्त भी प्रभात पुलिसकर्मी की पिस्टल छीन कर भाग रहा था। तो आखिर यूपी पुलिस फिर से मुस्तैद क्यों नहीं थी। जब ऐसी घटना एक बार हो चुकी थी तो पुलिस इतनी सक्रिय क्यों नहीं थी।
2- अगर गाड़ी पलटी तो गाड़ी की स्पीड करीब 80 से 90 किलोमीटर/घंटा की थी तो इतनी स्पीड में तो हर गाड़ी पलटती है तो वह फिसलकर काफी दूर जाती है, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। क्यों?
3- एसटीएफ के काफिले को मीडिया कवर कर रही थी। तो टोल नाके पर मीडिया को एक दम से क्यों रोक दिया गया? और इसके बाद एक्सीडेंट की खबर आई।
ऐसे कई सवाल अब पुलिस पर खड़े हो रहे हैं। आखिर ऐसा क्या हुआ जो एक दम से गाड़ी अनियंत्रित हो गई और वो भी वही गाड़ी जिसमें विकास दुबे बैठा था। घटनास्थल पर कितनी गोलियां चली। क्या हुआ क्या नहीं ये तो जांच के बाद ही साफ हो पाएगा।
हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे के 6 गुर्गों का हो चुका है एनकाउंटर:-
विकास दुबे की गैंग के 7 सदस्य पुलिस के चंगुल में आए। जिसमें से सिर्फ दो को ही गिरफ्तार किया गया, 6 एनकाउंटर में मारे गए। यूपी पुलिस ने विकास की तलाश के दौरान शुरू में ही कानपुर के बिकरू गांव के जंगलों में उसके मामा प्रेम प्रकाश पांडेय और चचेरे भाई अतुल दुबे को एनकाउंटर में मार गिराया था।
इसके बाद विकास के करीबी दयाशंकर अग्निहोत्री को कल्याणपुर इलाके में घेर लिया और सरेंडर करने को कहा लेकिन दयाशंकर ने देसी तमंचे से पुलिस पर फायरिंग कर दी और भागने की कोशिश की। पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया।
इसके बाद पुलिस को विकास दुबे के राइट हैंड कहे जाने वाले अमर दुबे के हमीरपुर में छिपे होने की जानकारी मिली। जब पुलिस अमर दुबे को पकड़ने पहुँची तो उसने फायरिंग कर दी। पुलिस ने जबावी कार्रवाई में अमर दुबे को एनकाउंटर में मार गिराया। इसी हफ्ते पुलिस ने विकास के एक और करीबी श्यामू वाजपेयी का एनकाउंटर किया था। श्यामू के पैर में गोली लगी थी, उसे कानपुर के हैलट अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जहां उसकी मौत हो गई।
8 जुलाई को भी पुलिस ने विकास दुबे के दो साथियों प्रभात मिश्रा और बउआ दुबे को एनकाउंटर में मार गिराया था। प्रभात मिश्रा पुलिस कस्टडी से भागने की कोशिश कर रहा था, जिसके बाद उसका एनकांउटर कर दिया गया। बउआ दुबे को उत्तर प्रदेश के इटावा में ढेर कर दिया गया।
1990 के दशक में ही विकास ने जुर्म की दुनिया में रख दिया था कदम:-
विकास दुबे बचपन से ही आपराधिक प्रवत्ति का था। 17 साल की उम्र में ही उसने अपना गैंग बना लिया और लूटपाट शुरू कर दी थी। उसका जब इतने से मन नहीं भरा तो वह डकैती और हत्याएं भी करने लगा। उसने मात्र 19 साल की उम्र में दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री की हत्या कर दी थी। 2001 में उसने इस वारदात को अंजाम दिया था। उसने राज्यमंत्री संतोष शुक्ला की हत्या थाने में घुसकर की थी। उसका इतना ख़ौफ़ था कि किसी भी पुलिसवाले ने उसके खिलाफ कोर्ट में बयान नहीं दिया और वह आराम से बरी हो गया। इसके अलावा साल 2000 में भी कानपुर के शिवली थाना क्षेत्र के अंतर्गत ताराचंद इंटर कॉलेज के सहायक प्रबंधक सिद्धेस्वर पांडेय की हत्या में भी विकास दुबे का नाम आया था।
साल 2004 में केबल व्यवसायी दिनेश दुबे की हत्या में भी विकास का नाम सामने आया था। विकास के अंदर हैवानियत इस कदर भर गई थी कि उसने 2018 में जेल में होने के बाद भी अपने चचेरे भाई अनुराग दुबे की हत्या करवा दी थी। अनुराग की पत्नी ने विकास सहित चार लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करवाई थी। विकास ने अवैध तरीकों से जमीनों पर कब्जे के साथ गैर कानूनी तरीकों से बहुत संपत्ति बनाई। हत्या, लूट, फिरौती, किडनैपिंग जैसे कई केस विकास से जुड़े हैं। विकास पर करीब 60 मामले दर्ज थे।
राजनीतिक दलों में भी थी पैठ:-
विकास दुबे की राजनीतिक दलों में भी तूती बोलती थी। सभी राजनीतिक दलों में विकास दुबे की पकड़ रही। 2002 में मायावती की सरकार के दौरान वह खूब फला- फूला। उसने अवैध कब्जों के साथ, गैर कानूनी तरीकों से कई संपत्तियां बनाई हैं। बिठूर में ही उसके स्कूल कॉलेज हैं, साथ ही वह एक लॉ कॉलेज का मालिक भी है। विकास दुबे जेल से ही शिवराजपुर से नगर पंचायत का चुनाव लड़ा था और जीता भी था। विकास दुबे जेल में बैठे-बैठे ही हत्याएं करवा देता था।