24/04/2024
सबसे प्रधान अथवा सबसे श्रेष्ठ कौन है?
गंगा जी के समान तीर्थ नहीं है, श्रीविष्णु भगवान से बढ़कर देव नहीं है और गायत्री से बढ़कर जपने योग्य मंत्र न हुआ, न ह....
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सबसे प्रधान अथवा सबसे श्रेष्ठ कौन है?
गंगा जी के समान तीर्थ नहीं है, श्रीविष्णु भगवान से बढ़कर देव नहीं है और गायत्री से बढ़कर जपने योग्य मंत्र न हुआ, न ह....
369 नंबर का क्या है रहस्य?
निकोला टेस्ला 369 नंबर के प्रति बहुत जुनूनी थे, क्योंकि उनका मानना था कि यह एक कोड है. उनका मानना था कि इन तीनों संख्या....
सत्व, रज और तम के गुण व प्रभाव
सत्त्वात्सञ्जायते ज्ञानं रजसो लोभ एव च।
प्रमादमोहौ तमसो भवतोऽज्ञानमेव च॥१७॥
ऊर्ध्वं गच्छन्ति सत्त्वस्था मध्ये तिष्ठन्ति राजसाः।
जघन्यगुणवृत्तिस्था अधो गच्छन्ति तामसाः॥१८॥
(भगवद्गीता अध्याय १४)
हे अर्जुन! सत्त्वगुण से ज्ञान उत्पन्न होता है, रजोगुण से लोभ तथा तमोगुण से प्रमाद और मोह उत्पन्न होते हैं और अज्ञान भी होता है॥ सत्त्वगुण में स्थित मनुष्य स्वर्ग आदि उच्च लोकों को जाते हैं, रजोगुण में स्थित राजस मनुष्य मध्य में अर्थात मनुष्यलोक में ही रहते हैं तथा तमोगुण के कार्यरूप निद्रा, प्रमाद और आलस्य आदि में स्थित तामस मनुष्य अधोगति को प्राप्त होकर नीच योनियों को तथा नरकों को प्राप्त होते हैं॥
सत्त्वगुण का स्वरूप सर्वथा निर्मल है, इसलिए वह प्रकाशक और अनामय है. कामना और आसक्ति से रजोगुण बढ़ता है तथा रजोगुण से कामना और आसक्ति बढ़ती है। तमोगुण से अज्ञान बढ़ता है और अज्ञान से तमोगुण बढ़ता है। तमोगुण मनुष्य की कर्तव्य-अकर्तव्य का निर्णय करने वाली विवेकशक्ति को नष्ट कर देता है एवं कर्तव्यपालन में अवहेलना कराके प्रमाद में लगा देता है.
सत्त्वानुरूपा सर्वस्य श्रद्धा भवति भारत।
श्रद्धामयोऽयं पुरुषो यो यच्छ्रद्धः स एव सः॥
यजन्ते सात्त्विका देवान्यक्षरक्षांसि राजसाः।
प्रेतान्भूतगणांश्चान्ये जयन्ते तामसा जनाः॥
आहारस्त्वपि सर्वस्य त्रिविधो भवति प्रियः।
यज्ञस्तपस्तथा दानं तेषां भेदमिमं श्रृणु॥
हे भारत! सभी मनुष्यों की श्रद्धा उनके अन्तःकरण के अनुरूप होती है। जो मनुष्य जैसी श्रद्धावाला है, वह स्वयं भी वही है॥ सात्त्विक पुरुष देवों को पूजते हैं, राजस पुरुष यक्ष और राक्षसों को तथा अन्य जो तामस मनुष्य हैं, वे प्रेत और भूतगणों को पूजते हैं॥ भोजन भी सबको अपनी-अपनी प्रकृति के अनुसार तीन प्रकार का प्रिय होता है। और वैसे ही यज्ञ, तप और दान भी तीन-तीन प्रकार के होते हैं।
"आहारशुदौ सत्त्वशुद्धिः" (छान्दोग्य 7/26/2)
मनुष्य जैसा भोजन करता है, वैसा ही उसका अन्तःकरण बन जाता है और उसके अन्तःकरण के अनुरूप ही श्रद्धा होती है। भोजन शुद्ध होगा तो परिणामस्वरूप अन्तःकरण भी शुद्ध होगा। अन्तःकरण की शुद्धि से ही विचार, भाव, श्रद्धादि गुण और क्रियाएं शुद्ध होगी। जो आहार जिसको प्रिय होता है, वह उसी गुणवाला होता है। अतः आहार की दृष्टि से भी किसी मनुष्य की पहचान की जा सकती है कि वह मनुष्य किस प्रवृत्ति का होगा।
यातयामं गतरसं पूति पर्युषितं च यत्।
उच्छिष्टमपि चामेध्यं भोजनं तामसप्रियम्॥
जो भोजन अधपका, रसरहित, दुर्गंधयुक्त, बासी और उच्छिष्ट है तथा जो अपवित्र है, वह भोजन तामस पुरुष को प्रिय होता है॥
मांस, अण्डा आदि हिंसामय और शराब-ताड़ी आदि निषिद्ध मादक वस्तुएँ, जो स्वभाव से ही अपवित्र हैं अथवा जिनमें किसी प्रकार के संगदोष से, किसी अपवित्र वस्तु, स्थान, पात्र या व्यक्ति के संयोग से या अन्याय व अधर्म से उपार्जित या असत् धन के द्वारा प्राप्त होने के कारण अपवित्रता आ गई हो, उन सभी वस्तुओं को "अमेध्य" (यज्ञ के अयोग्य या अपवित्र) कहा जाता है। ऐसे पदार्थ देव पूजन में भी निषिद्ध माने गये हैं। इनके सिवा गाँजा, भाँग, अफीम, तम्बाकू, बीड़ी, आसव और अपवित्र दवाइयाँ आदि तमोगुण उत्पन्न करने वाली जितनी भी खानपान की वस्तुएँ हैं- वे सभी अपवित्र बताई गई हैं।
मनुष्य जैसा आहार करता है, वैसा ही उसका अन्तःकरण बनता है और अन्तःकरण के अनुरूप ही उसकी श्रद्धा भी होती है. आहार शुद्ध...
शांगरी-ला घाटी (Shangri La Valley) के बारे में जानकारी बहुत ही रहस्यमयी है। इसे अक्सर एक ऐसी जगह के रूप में वर्णित किया जाता है जहाँ समय थम सा जाता है और जहाँ जाने वाले लोगों का जीवन-चक्र भी रुक जाता है। इस घाटी को धरती का आध्यात्मिक नियंत्रण केंद्र भी कहा जाता है।
यह घाटी अरुणाचल प्रदेश और तिब्बत के बीच में कहीं मौजूद मानी जाती है।
इस घाटी को सिद्धाश्रम भी कहते हैं। यह घाटी भारतीय धर्म ग्रंथों जैसे महाभारत, वाल्मिकी रामायण, वेदों और शास्त्रों में भी वर्णित है।
इसके अलावा, शांगरी-ला घाटी का जिक्र तिब्बती भाषा में लिखी किताब ‘काल विज्ञान’ में भी मिलता है, जिसमें इस जगह को एक रहस्यमय प्रकाश से भरा हुआ बताया गया है। यह किताब आज भी तिब्बत के तवांग मठ के पुस्तकालय में रखी हुई है।
‘तिब्बत की वह रहस्यमय घाटी’ किताब में लेखक अरुण शर्मा ने "शांगरी-ला घाटी" का जिक्र किया है। उनके अनुसार, युत्सुंग नामक एक लामा ने उन्हें बताया था कि शांगरी-ला घाटी में समय का प्रभाव नगण्य है और वहां मन, प्राण तथा विचार की शक्ति एक विशेष सीमा तक बढ़ जाती है। उनके मुताबिक अगर कोई भी चीज या व्यक्ति अनजाने में भी वहां चला जाता है तो वह वापस दुनिया में कभी नहीं आ पाता है।
इस घाटी का जिक्र जेम्स हिल्टन की पुस्तक “Lost Horizon” में भी मिलता है, जहाँ इसे एक काल्पनिक स्थान के रूप में वर्णित किया गया है।
शांगरी-ला घाटी को अक्सर तंत्र-साधना की दुनिया के नाम से भी जाना जाता है, और इसकी तुलना बरमूडा ट्राएंगल से भी की जाती है।
यह घाटी वास्तव में मौजूद है या नहीं, इसके बारे में कोई सटीक प्रमाण नहीं हैं, और इसे ढूंढने के प्रयासों में कई लोग गायब भी हो चुके हैं। कहते है कि चीन की सेना ने इस घाटी को ढूंढने की बहुत कोशिश की, लेकिन वो इस जगह का पता नहीं लगा सके। इसलिए, इसे एक मिथकीय और रहस्यमय स्थान के रूप में ही जाना जाता है।
हमारी आकाशगंगा (Milky Way Galaxy) में तारों से अधिक ग्रह हैं. हमारे सौरपरिवार यानी हमारे सौरमंडल में एक सूर्य, उसके आठ ग्रह और उन ग्रहों के उपग्रह आदि हैं. सभी ग्रह-उपग्रह सूर्य की परिक्रमा करते हैं.
इसी प्रकार, हमारी आकाशगंगा में और भी कई "सौरमंडल" हैं, जिनमें हमारे सूर्य की तरह ही तारे हैं और कुछ ग्रह-उपग्रह उन तारों की परिक्रमा करते हैं. या इसे यूं कहिये कि हमारी आकाशगंगा में जो अन्य तारे हैं, उनका भी अपना "सौरपरिवार" (हो सकता) है, जैसे हमारे सूर्य का एक परिवार है. हमारे सौरमंडल के बाहर के इन ग्रहों को एक्सोप्लैनेट (Exoplanets) के रूप में जाना जाता है.
कुछ एक्सोप्लैनेट एक साथ दो या दो से अधिक "सूर्यों" (तारों) की भी परिक्रमा करते हैं.
इसी के साथ, कुछ एक्सोप्लैनेट सूर्यविहीन भी हैं, जो आकाशगंगा में स्थायी अंधकार में भटक रहे हैं. हमारी आकाशगंगा में बहुत सारे ग्रह ऐसे भी हैं जो किसी तारे की परिक्रमा नहीं करते और अँधेरे में जहाँ-तहाँ घूमते रहते हैं और गैलेक्टिक केंद्र की परिक्रमा करते रहते हैं. ऐसे मुक्त-तैरते ग्रहों को "दुष्ट ग्रह" (Rogue Exoplanets) का नाम दिया गया है.
पहला एक्सोप्लैनेट 1990 के दशक में खोजा गया था. अब तक जिन एक्सोप्लैनेट की खोज की गई है, वे हमसे सैकड़ों या हजारों प्रकाश वर्ष दूर हैं, और अभी तक हमारे पास उन तक पहुंचने का कोई रास्ता नहीं है.
Can you drink coffee while fasting?
Certainly! When it comes to intermittent fasting, drinking during fasting periods is generally fine. Here’s why:
1. Black coffee contains very few calories (about 3 calories per cup) and minimal protein, fat, and trace minerals. These nutrients are unlikely to significantly disrupt your fast.
2. Some people find that coffee helps suppress appetite, making it easier to stick with fasting in the long term, although this claim remains scientifically unproven.
3. Surprisingly, may enhance the benefits of fasting:
(i) Metabolic benefits:
Both intermittent fasting and coffee intake may help reduce inflammation and improve insulin and glucose levels.
(ii) Brain health:
Regular coffee consumption is associated with a reduced risk of mental decline, Alzheimer’s, and Parkinson’s diseases, complementing the benefits of fasting.
Remember to keep your coffee black, without any added ingredients, to avoid breaking your fast. ☕🌿
महिषासुर मर्दिनी स्तोत्र
(Mahishasura Mardini Stotram)
मां दुर्गा से तीनों सर्वोच्च शक्तियां- मां पार्वती (शक्ति), मां लक्ष्मी और मां सरस्वती जी हैं. ये सभी शक्तियां मिलकर...
हम अपने आराध्य देवी-देवताओं के स्वरूपों को देखें तो किसी के कई हाथ हैं, कई सिर हैं. तमाम तरीके के अस्त्र-शस्त्र धारण करते हैं. सभी देवी-देवता अलग-अलग वाहनों पर विराजमान हैं, जैसे कोई सिंह पर तो कोई चूहे पर और कोई वृषभ पर आदि.
ऐसा क्यों?
मां दुर्गा के 9 रूपों का क्या है रहस्य?
हम अपने आराध्य देवी-देवताओं के स्वरूपों को देखें तो किसी के कई हाथ हैं, कई सिर हैं. तमाम तरीके के अस्त्र-शस्त्र धारण ....
तारे क्या हैं?
तारों का रंग
पृथ्वी से तारों की दूरी और दिशा
बाइनरी स्टार सिस्टम क्या है?
तारों का प्रकाश पृथ्वी पर दिखाई देने में कितना समय लगता है?
तारों की दूरियों की गणना कैसे की जाती है?
तारों का निर्माण
क्या तारे एक-दूसरे से टकराते हैं?
तारों (Stars) के बारे में कुछ महत्वपूर्ण और रोचक तथ्य
प्रॉक्सिमा सेंचुरी (Proxima Centauri) सूर्य के बाद पृथ्वी के सबसे निकट का तारा है. अल्फा सेंटॉरी A और B तारे पृथ्वी से लगभग 4.35 प्र...
Total Solar Eclipse April 8 2024
वर्ष 2024 का पहला सूर्य ग्रहण 8 अप्रैल को होगा. यह पूर्ण सूर्य ग्रहण (Total Solar Eclipse) होगा. 8 अप्रैल 2024 को पूर्ण सूर्य ग्रहण उत्तरी अमेरिका, मैक्सिको, संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा से होकर गुजरेगा. 8 अप्रैल 2024 का पूर्ण सूर्य ग्रहण भारत या यहां तक कि एशिया में भी किसी को दिखाई नहीं देगा. ऐसे में लोग इस खगोलीय घटना को ऑनलाइन देख सकते हैं.
Total Solar Eclipse April 8 2024 : What time will the solar eclipse start and where to watch it, total solar eclipse 2024 india
ब्लैक होल ब्रह्माण्ड की सबसे रहस्यमय वस्तुओं में से एक है, जिनके बारे में अध्ययन तो बहुत किया गया है लेकिन फिर भी इन्हें समझने में सफलता नहीं मिल सकी है. ब्लैक होल वास्तव में कोई छेद नहीं हैं. वे बहुत छोटे स्थानों में पैक किए गए पदार्थ की विशाल सांद्रता हैं.
खगोल वैज्ञानिकों के अनुसार, अधिकतर आकाशगंगाओं (Galaxies) के केंद्र में अतिविशाल ब्लैक होल होते हैं. इन महाविशाल ब्लैक होल के निर्माण और आकाशगंगाओं के निर्माण के बीच संबंध अभी भी समझ से बाहर है.
ऐसा हो सकता है कि एक ब्लैक होल ने हमारी आकाशगंगा के निर्माण में भूमिका निभाई हो, लेकिन यह मुर्गी या अंडे जैसी ही समस्या है. यानी पहले कौन आया, आकाशगंगा या ब्लैक होल? तारे या आकाशगंगाएँ? यह हमारे ब्रह्मांड की सबसे बड़ी पहेलियों में से एक है. इससे वैज्ञानिकों के लिए ब्रह्मांड की संरचना के निर्माण की पहेली को सुलझाना और भी अधिक चुनौतीपूर्ण हो गया है.
भले ही सूर्य के समान द्रव्यमान वाला एक ब्लैक होल सूर्य की जगह ले ले, या सूर्य एक ब्लैक होल बन जाये, तो भी इससे ग्रहों .....
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अरुण ग्रह या यूरेनस अपनी धुरी पर 97.77 डिग्री झुका हुआ है, जिससे वह लेटा हुआ-सा दिखाई देता है. इसलिए इसे 'लेटा हुआ ग्रह' भी कहते हैं. मानो दण्डवत प्रणाम करते हुए सूर्य की परिक्रमा करता है. यूरेनस सूर्य से सातवां ग्रह है. सूर्य के प्रकाश को यूरेनस तक पहुँचने में 2 घंटे 40 मिनट का समय लगता है.
यूरेनस पर एक दिन लगभग 17 घंटे 14 मिनट का होता है. यहाँ का एक वर्ष, पृथ्वी के 84 वर्षों के बराबर होता है. अन्य ग्रहों की तुलना में यूरेनस और शुक्र विपरीत दिशा में घूमते हैं. अरुण और वरुण ग्रह (Uranus and Neptune) सूर्य से भिन्न दूरी पर हैं, लेकिन फिर भी दोनों ग्रहों का तापमान लगभग समान रहता है, जिसका कारण अभी भी एक रहस्य है.
Ek Bharat Shreshtha Bharat in Hindi : एक भारत श्रेष्ठ भारत...
Ek Bharat Shreshtha Bharat Essay in Hindi - मेरा अतुल्य भारत! पूरे विश्व में हमारा भारत (Bharat) सबसे प्राचीन, सबसे खूबसूरत और सबसे महान देश है, जिस.....
हीरा पृथ्वी पर पाए जाने वाले सबसे प्रसिद्ध, सबसे खूबसूरत और सबसे महंगे पदार्थों में से एक है. यह अपने अंतिम रूप में जितना खूबसूरत और चमकदार दिखता है, वैसा इसका प्रारम्भ नहीं होता. कोयले के टुकड़े और खूबसूरत हीरे के बीच एकमात्र अंतर दबाव और गर्मी का है. हीरा पृथ्वी पर पाई जाने वाली सबसे पुरानी उपलब्ध सामग्रियों में से एक हैं. अब तक प्राप्त हीरों में कुछ की आयु 3.5 अरब वर्ष है. इसलिए वैज्ञानिकों का मानना है कि हीरे पृथ्वी पर पानी की उत्पत्ति और यहां तक कि जीवन की उत्पत्ति के बारे में भी महत्वपूर्ण सवालों का जवाब दे सकते हैं. हीरे केवल पृथ्वी पर ही नहीं पाए जाते, ये अन्य ग्रहों पर भी पाए जा सकते हैं, ऐसा खगोल वैज्ञानिकों का दावा है.
स्वास्थ्य और आहार से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें
यह बहुत आवश्यक है कि हमारा आहार अच्छा हो, स्वस्थ हो, उचित और अनुकूल हो. यदि मनुष्य इस बात का ज्ञान रखे कि उसके शरीर के ....
मेहनत या भाग्य?
पुरुषार्थ या प्रारब्ध? दोनों में कौन है अधिक बलवान?
योगवासिष्ठ (Yogvasishtha)
रघुनन्दन! पूर्वजन्म के तथा इस जन्म के पुरुषार्थं (कर्म) दो भेड़ों की तरह आपस में लड़ते हैं. उनमें जो भी बलवान् होता है,...
अंतरिक्ष में हमारी पृथ्वी के अतिरिक्त और भी कई ऐसे स्थान हैं, जहाँ पानी प्रचुर मात्रा में मौजूद है. कहीं-कहीं तो पृथ्वी से भी बहुत अधिक मात्रा में है. जैसे कि -
पृथ्वी से 1,500 प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित, ओरियन नेबुला (Messier 42) हंटर तारामंडल (Hunter Constellation) का सबसे चमकीला बिंदु है. ओरियन नेबुला में पानी के अणु मौजूद हैं और आज भी बन रहे हैं. यह निहारिका अधिकतर हाइड्रोजन गैस से बनी है. ओरियन निहारिका (Orion Nebula) इतनी विशाल है और हर दिन इतना पानी बनाती है कि यह पृथ्वी के महासागरों को 60 गुना तक भर सकती है.
भारत की लैंगिक समानता बढ़ रही है!
यूएनडीपी की मानव विकास रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने लैंगिक असमानता सूचकांक में 19 रैंक की छलांग लगाई है, जो 2014 में 127वें स्थान से बढ़कर 2022 में 108वें स्थान पर पहुंच गया है।
India's Gender Equality on the Rise!
According to the UNDP's Human Development Report, India has jumped 19 ranks in the Gender Inequality Index, moving from 127th rank in 2014 to 108th rank in 2022.
यदि शनि #चंद्रमा के समान दूरी पर होता तो #शनि ऐसा दिखता।
This is how it would look if it was at the same distance as the .
इंटरमिटेंट फॉस्टिंग से हार्ट की बीमारियों से मौत का खतरा बढ़ रहा है। एक रिसर्च रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि वजन कम करने के लिए दिन में केवल 8 घंटे खाने का रेस्ट्रिक्शन, हृदय रोग से मौत के खतरे को 91 प्रतिशत तक बढ़ा रहा है।
क्या बुद्ध भगवान विष्णु के अवतार थे?
एक दिन सुबह-सुबह गौतम बुद्ध अपने शिष्यों की सभा में बैठे हुए थे. वहां एक व्यक्ति आया. वह ईश्वर का बहुत बड़ा भक्त था. ख.....
Sombrero Galaxy!
The most beautiful galaxy to capture from planet Earth!
The color of a meteor depends on its chemical composition.
भारत चुनाव आयोग ने सी विजिल (CVIGIL App) नाम का एक एप्लीकेशन बनाया है. इस एप से मतदाता मतदान केंद्र पर किसी भी संदिग्ध व्यक्ति और गड़बड़ी की शिकायत कर सकता है.
लोकसभा चुनाव पूरी तरह से निष्पक्ष और स्वतंत्र हो इसके लिए चुनाव आयोग ने इस एप को बनाया है. जिसकी मदद से आम लोग भी आयोग की मदद कर सकेंगे. इस एप्लीकेशन को मोबाइल फोन पर डाउनलोड कर लोग किसी भी असामाजिक गतिविधि का वीडियो फोटो आयोग को भेज सकेंगे.
📍जानिए कैसे करेगा काम?
सबसे पहले तो आपको इसे प्ले स्टोर से डाउनलोड करना होगा. ये एप एंड्राइड और आईओएस फोन पर उपलब्ध है. चुनाव के दौरान कहीं भी आचार संहिता का उल्लंघन या मतदान को प्रभावित करने जैसी गतिविधियां हो रही हैं तो आप इसे एप के माध्यम से वीडियो-फोटो रिकॉर्ड कर एप पर अपलोड कर सकते हैं. खास बात ये है कि मोबाइल में पहले से रिकॉर्ड कंटेंट इस पर अपलोड नहीं होंगे. एप से ही धांधली की रिकॉर्डिंग करनी होगी.
📍शिकायतकर्ता का नाम रहेगा गोपनीय
वहीं इस एप पर शिकायत करने वालों का नाम, पता गोपनीय रखा जाएगा. आयोग ने शिकायतकर्ता की सुरक्षा को लेकर ये फैसला लिया है. इसके अलावा अगर किसी ने शिकायतकर्ता के बारे में किसी को बताया तो उस अधिकारी और कर्मचारी के खिलाफ कार्रवाई भी होगी.
📍100 मिनट में दूर होगी शिकायत
चुनाव आयोग ने इसके लिए 100 मिनट का टाइम फिक्स किया है. जो भी शिकायत होगी वो सीधे कंट्रोल रुम को भेजा जाएगा. वहां से संबंधित टीम को शिकायत जाएगी और फिर प्रभावी कार्रवाई कर उचित जवाब एप पर अपलोड कर दिया जाएगा. पूरी कार्रवाई रिटर्निंग अफसर के माध्यम से 100 मिनट के अंदर होगी।
#सी_विजिल
जैसे-जैसे आप पृथ्वी की गहराई में जाते हैं, तापमान बढ़ता जाता है. प्लेट्स के निचले भाग में, लगभग 100 किलोमीटर गहराई पर तापमान लगभग 1,300 डिग्री सेल्सियस है. जब तक आप मेंटल और बाहरी कोर (Core) के बीच की सीमा तक पहुंचते हैं, जो कि 2,900 किलोमीटर नीचे है, यहाँ तापमान लगभग 2,700 डिग्री सेल्सियस हो जाता है.
फिर बाहरी और आंतरिक कोर के बीच की सीमा पर तापमान 6,000 डिग्री सेल्सियस तक चला जाता है, यानी कि सूर्य की सतह जितना ही तापमान. ऐसी स्थिति में आंतरिक भाग में पाई जाने वाली चट्टानों को तरल और गैसीय अवस्था में होना चाहिए, लेकिन ऐसा है नहीं. आंतरिक कोर लोहे की एक गर्म, घनी गेंद के समान है. इतने उच्च तापमान पर पदार्थ का ठोस अवस्था में पाया जाना आश्चर्यजनक है.
वैज्ञानिक इसका कारण यह बताते हैं कि पृथ्वी के आंतरिक कोर में दबाव का प्रभाव गर्मी के प्रभाव से अधिक होता है, जिस कारण कोर में पाई जाने वस्तुओं के कण पास-पास रहते हैं और इसलिए वे ठोस अवस्था में पाई जाती हैं.
अंटार्टिका महासागर में सूर्य हरा दिखाई देता हैं। यह अद्भुत दृश्य...
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पृथ्वी और मंगल के बीच अंतर और समानताएं
Differences and Similarities between Earth and Mars
हमारे सौरमंडल का सबसे बड़ा ज्वालामुखी पर्वत ओलंपस मॉन्स और सबसे ऊंचा पर्वत वैलेस मेरिनरिस मंगल ग्रह (Mars) पर हैं. ओलं...
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कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) पृथ्वी पर प्राथमिक ग्रीनहाउस गैसों में से एक है, जो गर्मी को पृथ्वी के करीब रोकती है. यह पृथ्वी को सूर्य से प्राप्त होने वाली कुछ गर्मी को बनाए रखने में मदद करती है ताकि सारी ऊर्जा वापस अंतरिक्ष में न चली जाए. यदि ऐसा नहीं होता, तो पृथ्वी का महासागर ठोस रूप से जम जाता. यदि ग्रीनहाउस प्रभाव नहीं होता, तो पृथ्वी एक बर्फ का गोला होती! पृथ्वी जीवन का वह सुंदर नीला और हरा ग्रह नहीं होती जो वह है. लेकिन CO2 केवल एक सीमा तक ही अच्छी है. उस सीमा के बाद, पृथ्वी का तापमान बहुत अधिक बढ़ जाता है. वायुमंडल में CO2 की थोड़ी सी भी वृद्धि पृथ्वी को और भी गर्म कर सकती है, जो पृथ्वी पर रहने वाले सभी प्रकार के प्राणियों के लिए अच्छा नहीं होगा.
गुजरात के साइंस सिटी में अत्याधुनिक और समुद्री जीवों की सुंदरता से समृद्ध #AquaticGallery #20YearsOfVibrantGujarat
Robotics Gallery, Gujarat Science City See how these technologies are sparking curiosity among the youth.
उत्तर से दक्षिण तक सांस्कृतिक सद्भावना को प्रगाढ़ करने वाला गंगा पुष्कर मेला भारत की विविधता में एकता की संकल्पना का सार्थक प्रमाण है! आइए, वाराणसी में 11 वर्षों के पश्चात आयोजित गंगा पुष्कर मेला के साक्षी बनें। #UPTourism #UttarPradesh #PushkarMela #Varanasi #Kashi #RethinkTourism #UPNahiDekhaTohIndiaNahiDekha
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