AAP KE AWAAZ

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14/02/2020

पुलवामा : जो लौट के घर ना आए......
जम्मू एवं कश्मीर के पुलवामा में अवंतीपुर के गौरीपुरा इलाके में सीआरपीएफ के काफिले पर आतंकी हमले को 1 वर्ष हो चुका है। पुलवामा हमले की प्रथम बरसी पर उनकी शहादत को पुनः स्मरण करें हम नागरिक यह संकल्प ले कि उनकी शहादत को और उनके सम्मान में कमी ना होने दे । सैनिको की शहादत पर अक्सर लोगों का भारी हुजूम उमड़ पड़ता है , पर धीरे-धीरे उनकी शहादत को विस्मृत कर दिया जाता है ना सरकार ही उनके घरों की तरफ देखती है और ना लोग जिंदगी की चुनौतियों से उन्हें अकेले ही जूझना पड़ता है। आतंकी हमला उस दंश का एक हिस्सा है जो देश बीते कई सालों से इसे झेल रहा है। एक पीड़ा है जिसे इस देश का जवान अपने माथे पर शहादत के कफन के साथ बांधकर निकलता है। सेना पर हमला देश पर हमला होता है । और युद्ध के नियमों के विरुद्ध कायराना आतंकी हमलों में शहीद देश के जवानों को भावभीनी श्रद्धांजली। उन माताओं और पिताओं को नमन जिनकी आंखों में केवल इंतजार रहता है, पत्नियों को प्रणाम और उन बच्चों , बहनों को हौसला जिन्होंने राष्ट्र के नाम अपने पिता भाइयों को निछावर कर दिया।
सिर झुके बस उस शहादत में जो शहीद हुए हमारे हिफाजत में।
एक दिया उन शहीदों के नाम का भी जलाना जो देश के लिए शहीद हुए।
जय हिंद, जय भारत।

14/02/2020
13/02/2020

पहाड़ों से पलायन।
उत्तराखंड के पहाड़ों से पलायन आज एक बड़ा और विकराल समस्या का रूप ले चुका है। गौरतलब है कि नए राज्य की संकल्पना उत्तराखंड राज्य के सपने अलग राज्य की मांग में पलायन भी एक मुद्दा था, ताकि पलायन को रोका जा सके और रोजगार यहां के लोगों को मिल सके। आज पलायन का मुद्दा महज एक राजनीतिक मुद्दा नहीं रह गया है बल्कि अपनी सांस्कृतिक पहचान खोने के संकट से जुड़ा राष्ट्रीय मुद्दा बनता जा रहा है। पिछले कुछ वर्षों से चाहे स्थानीय पहाड़वासी हो या दूरदराज इलाकों में रहने वाले प्रवासी जन पलायन के अभीश्राप की पीड़ा झेलने के लिए विवश है।
आखिर इस भारी संख्या में हो रहे पलायन के लिए कौन जिम्मेदार है। सरकार को पलायन रोकने के लिए तमाम बुनियादी सुविधाओं से लैस कर कुछ तो सुगम बनाती। यहां खेत है लेकिन बीज नहीं, भवन है तो टीचर नहीं, पाइपलाइन है तो पानी कम, बिजली के खंबे है तो बिजली नहीं, ऐसा नहीं है कि पलायन इन 19 सालों की समस्या है काफी पहले से लोग रोजी-रोटी के लिए मैदानों का रुख करते हैं। उत्तराखंड में पड़ोसी राज्य हिमाचल प्रदेश भी एक उदाहरण है जिन्होंने अपनी उन चीजों में अपनी पहचान व समृद्धि का निर्माण किया है जिसका संबंध विशुद्ध पर्वतीयता से है, कृषि, बागवानी, पर्यटन, कला, पनबिजली आदि। क्या उत्तराखंड में यह संभव नहीं था आज गांव में बूढ़े अकेले छूट गए हैं गांव भूतिया हो गए हैं, खंडहर हो गए हैं इसकी जिम्मेदारी किस पर आती है । महात्मा गांधी ने कहा था कि भारत की आत्मा गांवों में बसती है लेकिन जब गांव ही नहीं रहेंगे तो उसकी आत्मा बियाबान में ही भटकेगी। अब सरकार गांव में विकास तो कर रही है सड़कें, बिजली, पानी, पर्यटन के आधार पर रोजगार के लिए होमस्टे आदि लेकिन जब पहाड़ में लोग ही नहीं रहेंगे यह विकास किस काम का। लगभग 7 सालों में 700 से ज्यादा गांव खाली हो चुके हैं 50% लोगों ने आजीविका के लिए पलायन क्या है। अब दुबारा लोगों को पहाड़ों की तरफ बसाना सरकार के लिए काफी मुश्किल है क्योंकि कहीं ना कहीं सरकार ने इस तरफ ध्यान देने में काफी देर कर दी हैं।
तोहिष भट्ट
देहरादून

दिल्ली में आप की जीत।नई ताकत को नहीं समझ पाना कांग्रेस और बीजेपी की चूक।दिल्ली में चुनाव आयोग के आधिकारिक आंकड़ों के अनु...
13/02/2020

दिल्ली में आप की जीत।
नई ताकत को नहीं समझ पाना कांग्रेस और बीजेपी की चूक।
दिल्ली में चुनाव आयोग के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार 70 सीटों पर परिणाम घोषित कर दिया गया आम आदमी पार्टी को 62 और भाजपा को 8 सीटों पर विजय प्राप्त हुई।
आम आदमी पार्टी आप की जीत के बाद मंगलवार को दिल्ली के लोगों ने आज देश में एक नई राजनीति को जन्म दिया है, जिसका नाम काम की राजनीति है। दिल्ली वालों ने स्पष्ट कर दिया है कि अब वोट उसी को जो हमारी सुनेगा। 24 घंटे बिजली देगा , सस्ती बिजली देगा, घर-घर पानी देगा, ये नई राजनीति है , और देश के लिए शुभ संदेश है , यही राजनीति हमारे देश को 21वीं सदी मे ले जा सकती है। ये केवल दिल्ली की जीत नहीं है यह हमारी भारत माता की जीत है। पूरे देश की जीत है। पिछली बार के मुकाबले कांग्रेस लगभग लुप्तप्राय हो गई है उसका वोट प्रतिशत आधा हो गया है। वहीं बीजेपी 2015 के मुकाबले पिछले चुनाव में 23 प्रतिशत थी अभी तक लगभग40 प्रतिशत है।
जीत के बाद अरविंद केजरीवाल ने कहा कि यह उन परिवारों की जीत है जिनके बच्चों को अच्छी शिक्षा मिलने लगी जिनके लोगों को अस्पतालों में अच्छा इलाज होने लगा।
तोहिष भट्ट
देहरादून

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