12/12/2023
🙏सभी मित्रों समेत श्रेष्ठजन इतना सटीक कमेन्ट करें कि सम्पूर्ण सरकारी सिस्टम पर उठ रहे ऐसे तमाम सवालों से भ्रष्ट पुलिस संगठन समेत तानाशाह सरकार की चूलें हिल जाएं और फिर कोई न कोई ऐसा करिश्मा हो कि कानून एवं व्यवस्था गरीबों निरीहों असहायों समेत आम आदमी के लिए पर्याप्त रूप से सुदृढ़ हो जाए और कवियों तथा पत्रकारों की लेखनी खुल्लमखुल्ला सत्य लिख सके और पुलिस प्रशासन समेत सरकार अपनी लाख कोशिशों के बाबजूद प्रकाशित प्रसारित कविताओं तथा समाचारों के प्रतिशोधस्वरूप बदले में बड़ी कार्यवाही कर मेरी तरह कभी किसी और कवि या पत्रकार का परिवार सहित सम्पूर्ण जीवन चौपट न कर सके और न इस तरह समाज विरोधी तत्वों को सिर चढ़ाकर उनके जरिए आपराधिक जाल पर जाल बुनकर जंजाल खड़ा कर सके।🙏
🙏नहीं रुकेगी कलम, करा दे कलम पुलिस सर।
बहुत दबे, अब नहीं दबेंगे, चाहें जैसे जाएं मर।।
गुण्डे, हिस्ट्रीशीटर, और गैंगस्टर, पीछे पड़े बहुत,
सरकारी संरक्षण में, संगठित गैंग हो गए निडर।।🙏
🙏लखनऊ की अद्भुत गद्दी हो या दिल्ली का सिंहासन हो।
बसपा, सपा से बदतर, चाहें जितना भ्रष्ट प्रशासन हो।।
नहीं सहन कर सकता मित्रों, स्वाभिमान पर कर्री चोट।
देश धर्म के खातिर दे दूं, भले भाजपा को फिर वोट।।
लोकसभा में दे सकता हूं, विधानसभा में नहीं ही दूंगा।
लोकतंत्र के हत्यारों ने, किया पुलिस को बहरा, गूंगा।।
समझ रही हर बात इशारों में वह सारी आपस में।
हैं चोर–चोर मौसेरे भाई, गर्वित घोर अमावस में।।
सुविधाशुल्क वसूली होती, सोती हैं सारी सरकारें।
भ्रष्टाचार पनपता पल–पल, पीड़ित फिरते मारे मारे।।
फांद के लक्ष्मण रेखा रावण, अब तो सीता हरण कर रहे।
मृगतृष्णा में तड़प तड़प कर, कितने तरूणी तरुण मर रहे।।
धोखेबाजी के बाजीगर, विधि विधान पर भारी हैं।
वही बचे हैं जिनके रक्षक, चक्र सुदर्शन धारी हैं।।
धर्मध्वजा लेकर चलने वाले ही तो होते हैं पाखंडी।
नियम मानने वाले अब तो गिने चुने मिलते दंडी।।
रणचंडी भी बनने बाली बहनें, उत्पीड़ित बहुत यहां।
भ्रष्टाचार की पराकाष्ठा पर, पीड़ित हैं बहुत यहां।।
लोक लाज के कारण कितनीं, बहनें मन को मसोसे हैं।
होटल ढाबे वाले तक तो, चाहें जैसे जिसे परोसे हैं।।
चाय समोसे भोजन पानी, पुलिस वहीं पर करती है।
वंदनीय है महिला फिर भी, बहुत बेचारी डरती है।।
सुघड़ सलोनी सुन्दर होकर, भी जो अबला नारी है।
ब्लैकमेल हो रही वही फिर, वही विपत्ति की मारी है।।
विषम परिस्थिति में महिलाएं, जो समूह से जुड़ी हुईं।
उनमें कुछ की नई कहानी, नए मोड़ पर मुड़ी हुई।।
जीवन पथ पर बढ़ती बहनें, दृष्टिपात की पीड़ा में।
किसी धूर्त के चंगुल में फंसकर, पड़ जातीं क्रीड़ा में।।
कल भी तरूणी, किसी मोड़ पर, जीवन साथी चुनती थी।
उसको लेकर मन ही मन में, ताने–बाने बुनती थी।।
किन्तु आजकल तरुणायी में, बहनें भी बौराईं हैं।
पग पग पींगे बढ़ा बढ़ाकर, बहुत बनातीं भाई हैं।।
फिर भी इनकी रक्षा करने, कृष्ण कन्हैया आते हैं,
"ओम अजीब" उन्हीं के पीछे, रहते, कोई दुशासन हो।।
यूपी की अद्भुत गद्दी हो या दिल्ली का सिंहासन हो।
बसपा, सपा से बदतर, चाहें जितना भ्रष्ट प्रशासन हो।।🙏
🙏ओम अजीब शाहाबादी🙏
ओमदेव दीक्षित (पप्पू दीक्षित)
प्रख्यात कवि/पत्रकार