Sadhna News

Sadhna News ओमदेव दीक्षित : ख्यातिप्राप्त कवि/पत्?

13/12/2023
🙏सभी मित्रों समेत श्रेष्ठजन इतना सटीक कमेन्ट करें कि सम्पूर्ण सरकारी सिस्टम पर उठ रहे ऐसे तमाम सवालों से भ्रष्ट पुलिस सं...
12/12/2023

🙏सभी मित्रों समेत श्रेष्ठजन इतना सटीक कमेन्ट करें कि सम्पूर्ण सरकारी सिस्टम पर उठ रहे ऐसे तमाम सवालों से भ्रष्ट पुलिस संगठन समेत तानाशाह सरकार की चूलें हिल जाएं और फिर कोई न कोई ऐसा करिश्मा हो कि कानून एवं व्यवस्था गरीबों निरीहों असहायों समेत आम आदमी के लिए पर्याप्त रूप से सुदृढ़ हो जाए और कवियों तथा पत्रकारों की लेखनी खुल्लमखुल्ला सत्य लिख सके और पुलिस प्रशासन समेत सरकार अपनी लाख कोशिशों के बाबजूद प्रकाशित प्रसारित कविताओं तथा समाचारों के प्रतिशोधस्वरूप बदले में बड़ी कार्यवाही कर मेरी तरह कभी किसी और कवि या पत्रकार का परिवार सहित सम्पूर्ण जीवन चौपट न कर सके और न इस तरह समाज विरोधी तत्वों को सिर चढ़ाकर उनके जरिए आपराधिक जाल पर जाल बुनकर जंजाल खड़ा कर सके।🙏

🙏नहीं रुकेगी कलम, करा दे कलम पुलिस सर।
बहुत दबे, अब नहीं दबेंगे, चाहें जैसे जाएं मर।।
गुण्डे, हिस्ट्रीशीटर, और गैंगस्टर, पीछे पड़े बहुत,
सरकारी संरक्षण में, संगठित गैंग हो गए निडर।।🙏

🙏लखनऊ की अद्भुत गद्दी हो या दिल्ली का सिंहासन हो।
बसपा, सपा से बदतर, चाहें जितना भ्रष्ट प्रशासन हो।।
नहीं सहन कर सकता मित्रों, स्वाभिमान पर कर्री चोट।
देश धर्म के खातिर दे दूं, भले भाजपा को फिर वोट।।
लोकसभा में दे सकता हूं, विधानसभा में नहीं ही दूंगा।
लोकतंत्र के हत्यारों ने, किया पुलिस को बहरा, गूंगा।।
समझ रही हर बात इशारों में वह सारी आपस में।
हैं चोर–चोर मौसेरे भाई, गर्वित घोर अमावस में।।
सुविधाशुल्क वसूली होती, सोती हैं सारी सरकारें।
भ्रष्टाचार पनपता पल–पल, पीड़ित फिरते मारे मारे।।
फांद के लक्ष्मण रेखा रावण, अब तो सीता हरण कर रहे।
मृगतृष्णा में तड़प तड़प कर, कितने तरूणी तरुण मर रहे।।
धोखेबाजी के बाजीगर, विधि विधान पर भारी हैं।
वही बचे हैं जिनके रक्षक, चक्र सुदर्शन धारी हैं।।
धर्मध्वजा लेकर चलने वाले ही तो होते हैं पाखंडी।
नियम मानने वाले अब तो गिने चुने मिलते दंडी।।
रणचंडी भी बनने बाली बहनें, उत्पीड़ित बहुत यहां।
भ्रष्टाचार की पराकाष्ठा पर, पीड़ित हैं बहुत यहां।।
लोक लाज के कारण कितनीं, बहनें मन को मसोसे हैं।
होटल ढाबे वाले तक तो, चाहें जैसे जिसे परोसे हैं।।
चाय समोसे भोजन पानी, पुलिस वहीं पर करती है।
वंदनीय है महिला फिर भी, बहुत बेचारी डरती है।।
सुघड़ सलोनी सुन्दर होकर, भी जो अबला नारी है।
ब्लैकमेल हो रही वही फिर, वही विपत्ति की मारी है।।
विषम परिस्थिति में महिलाएं, जो समूह से जुड़ी हुईं।
उनमें कुछ की नई कहानी, नए मोड़ पर मुड़ी हुई।।
जीवन पथ पर बढ़ती बहनें, दृष्टिपात की पीड़ा में।
किसी धूर्त के चंगुल में फंसकर, पड़ जातीं क्रीड़ा में।।
कल भी तरूणी, किसी मोड़ पर, जीवन साथी चुनती थी।
उसको लेकर मन ही मन में, ताने–बाने बुनती थी।।
किन्तु आजकल तरुणायी में, बहनें भी बौराईं हैं।
पग पग पींगे बढ़ा बढ़ाकर, बहुत बनातीं भाई हैं।।
फिर भी इनकी रक्षा करने, कृष्ण कन्हैया आते हैं,
"ओम अजीब" उन्हीं के पीछे, रहते, कोई दुशासन हो।।
यूपी की अद्भुत गद्दी हो या दिल्ली का सिंहासन हो।
बसपा, सपा से बदतर, चाहें जितना भ्रष्ट प्रशासन हो।।🙏
🙏ओम अजीब शाहाबादी🙏
ओमदेव दीक्षित (पप्पू दीक्षित)
प्रख्यात कवि/पत्रकार

🙏 मित्रों कविता पढ़िए, परन्तु कविता में कहीं पर किंचित कमी दृष्टिगोचर हो तो समझ लेना कि यह कविता फौरी तौर पर फटाफट लिखी ...
10/12/2023

🙏 मित्रों कविता पढ़िए, परन्तु कविता में कहीं पर किंचित कमी दृष्टिगोचर हो तो समझ लेना कि यह कविता फौरी तौर पर फटाफट लिखी गई है। 🙏

कानून व्यवस्था की बदहाली, समझो भारत पर भारी है।
यूपी के हरदोई में फिर, पुलिस, बड़ी बीमारी है।।
पीड़ित बहनें गहने बेंच के, दर दर दौड़ लगातीं हैं।
भ्रष्टाचार की पराकाष्ठा पर वह ठोकर खाती हैं।।
दिन में जहां बड़ी असुरक्षा, वहां बात क्या रातों की।
बदमाशों की बल्ले बल्ले, ताकत बड़ी जमातों की।।
थानों से लेकर ऊपर तक, कुर्सी पर कुत्सित बैठ रहे।
चोर, उचक्के, हिस्ट्रीशीटर, फरियादी पर ऐंठ रहे।।
चोर चोर मौसेरे भाई, मिलकर हुक्म चलाते हैं।
संगठित गैंग के लोगों से, शोषित, पीड़ित थर्राते हैं।।
अबलाएं आहत होतीं हैं, फिर पुलिस की बेजा बातों से।
पीस कमेटी के टट्टू, भी भूखे तगड़ी लातों के।।
पुरजोर दलाली होती है, गंदे धंधे सब पनप रहे।
दुत्कारे जाते लुटे पिटे, पीडितों के आंसू छलक रहे।।
आरोपी लाभ उठाते हैं, अपराध कराते पुलिस मित्र।
जो कड़ुआ सत्य बोलते हैं, उनके ही सारे बने शत्रु।।
जो लिखते सच्ची खबर यहां, उनका जीना दुश्वार हुआ।
बदमाशों और पुलिस का फिर, उस पर ही तगड़ा बार हुआ।।
मेरे समेत निर्दोष बहुत, बेवजह सताए जाते हैं।
झूठे केशों में उनके ही, फिर नाम बढ़ाए जाते हैं।।
कवियों की चोट व्यवस्था पर, बिल्कुल है पुलिस को सहन नहीं।
सच लिखने वालों पर जानो, इस पुलिस की क्या तैयारी है।
कानून व्यवस्था की बदहाली, समझो भारत पर भारी है।।
कानून व्यवस्था की बदहाली, समझो भारत पर भारी है।।

🙏ओम अजीब शाहाबादी🙏
🙏 ओमदेव दीक्षित —प्रख्यात कवि पत्रकार 🙏 मीडिया प्रभारी —श्री रामलीला मेला समिति शाहाबाद 🙏
🙏 जिला सचिव —उत्तर प्रदेश श्रमजीवी पत्रकार यूनियन (पंजी) सब्बद्ध IJU एवं सैकड़ों साहित्यिक सांस्कृतिक सामाजिक मंचों से सम्मानित तथा पुलिस के कठोर कोपभाजन का बचपन से पचपन की उम्र तक लगातार शिकार होने के कारण अपनी पीढ़ी समेत अगली पीढ़ी का भी सम्पूर्ण जीवन लगभग बिल्कुल बर्बाद हालांकि माननीय सुप्रीम कोर्ट ही अन्ततः है हम सबके मौलिक अधिकारों का संरक्षक 🙏 इसलिए मेरे जीते जी न सही परन्तु मेरी हत्या या आत्महत्या के पश्चात तो एक बार अवश्य सैकड़ों पुलिस अधिकारियों समेत प्रशासनिक अधिकारियों पर जहां हमारा घोर उत्पीड़न भारी पड़ेगा🙏 वहीं मानवाधिकार आयोग की जवाबदेही भी तय होगी। 🙏 हमारे पास जो पुष्ट एवं अकाट्य साक्ष्य उपलब्ध हैं, वह सारे के सारे पुलिस समेत उसके सरकारी संरक्षण में पालित पोषित संगठित गैंगों समेत उनके गुर्गे और गुर्गियां भी चाहें तो अब मिटा नहीं पाएंगे क्योंकि वह सबके सब मतलब जितने उपरोक्त गणों द्वारा खुर्द बुर्द करने से बच गए, वह सब सुरक्षित हैं और फिर मिटाए भी कहां तक जाएंगे 🙏 यूपी पुलिस मुख्यालय के तत्कालीन अपर पुलिस महानिदेशक अपराध एवं कानून व्यवस्था की विशेष जांच से लेकर अन्य आला अधिकारियों की जांचों से लेकर अन्य पुष्ट एवं अकाट्य साक्ष्य मेरे मरने के बाद भी मरेंगे नहीं! और हम जब मरेंगे तो माननीय सीजेआई महोदय तक मेरे संपूर्ण साक्ष्यों सहित मेरा आखिरी सुसाइड नोट और शिकायतीपत्र अवश्य पहुंचेगा क्योंकि मैं अब तक इतना तो जान चुका हूं कि अपने महान भारत में मरने वाले की बात में फिर भी दम है परन्तु जिन्दा आदमी की बात में तभी दम है जब उसके पास अकूत संपत्ति या आलूदा दौलत हो! या बृहद राजनैतिक संरक्षण हो। हालांकि यह सबकी सब ताकतें हमारे शत्रुओं के लिए सर्वविदित हैं तो हैं। परन्तु पुलिस और उनमें मतभेद हों तभी तो कोई कुछ बोले अन्यथा तो आम आदमी या कहीं न कहीं से कमजोर या डरपोंक या दबा हुआ व्यक्ति भला कैसे कुछ सटीक बोल सकता है, जब बहुत से फेसबुक मित्र मेरी पोस्ट पर कमेंट करने तक से डरते हैं। जबकि बात अकेले मेरी नहीं अपितु जनहित की है।
थोड़ा लिखा अधिक समझना अंततः हाई टेंशन लाइन की तरह मैं टेंशन में रहा जरूर आज तक, परन्तु जिस तरह हाई टेंशन लाइन का तार टूटकर गिरता है तो जमीन जलने लगती है, ठीक उसी तरह मैं भी जिस दिन टूटकर गिरूंगा, उसी दिन भ्रष्टाचार की सारी की सारी जहरीली जमीन जल उठेगी! बिना क्रांति और कुर्बानी के आजादी भी कब किस आदमी या फिर देश को मिली है?
अंग्रेजी में एक मुहावरा है कि A Man's Barth noon after his death.

09/12/2023

योगीराज से पहले जिस तरह पुलिस कानून के नाक कान काटकर किसी भी निरपराध व्यक्तित्व को अपने द्वारा पालित पोषित संगठित गैंगों समेत उनके ग्रुर्गों व गुर्गियों से एक राय होकर फर्जी झूठे मुकदमों में फंसाकर उसका संपूर्ण जीवन बर्बाद करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ती थी ठीक वैसे नहीं बल्कि उससे बहुत ज्यादा बेलगाम पुलिस संगठन आजकल इधर अति सर्वत्र वर्जयेत जैसी कहावत पर भी भारी पड़ रही है और संगठित भूमाफियाओं समेत गुंडों हिस्ट्रीशीटरों गैंगस्टरों और उनके गुर्गों व गुर्गियों सहित सफेदपोश बदमाशों से साज करके सभ्य समाज के ऐसे व्यक्तियों के विरूद्ध फर्जी झूठे बदनीयती एवं बेईमानी से दर्ज कर अत्यन्त कठोर कदम उठा रही है। जिसमें प्रख्यात कवियों और पत्रकारों पर भी अविधिक दूषित मुकदमें लिखने या फिर अन्य दर्ज होने वाले मुकदमों में फंसाने का सिलसिला चालू है। रही हमारी बात तो हमारा तो पुलिस पहले ही समाज विरोधी तत्वों से साज करके सबकुछ अर्थात संपूर्ण जीवन बर्बाद कर चुकी है हालांकि अब बीते करीब एक दशक से हमारे परिजनों का भी जीवन बर्बाद करने पर तुली है। इतना ही नहीं मेरे सहित मेरे बच्चों के जीवन एवं जीविका को भी पुलिस तेजी से चौपट करने का कुचक्र रच रही है। समाज का हर वह महिला तथा पुरुष पुलिस संगठन से सांठ गांठ करने में माहिर है जो कुछ न कुछ या फिर बहुत कुछ गलत काम धंधे कर रहा है आखिर इसलिए पुलिस सभ्य समाज सहित कवियों और पत्रकारों पर इधर आगबबूला होकर भरपूर दबाव बना रही है। जनपद हरदोई उत्तर प्रदेश के इस शाहाबाद नगर इलाके के दुर्दांत हिस्ट्रीशीटर्स समेत गैंगस्टरों और उनके गुर्गों गुर्गियों तथा भूमाफियायों ने पुलिस के सरकारी संरक्षण में वर्षों से मेरा परिजनों समेत जीना दुश्वार कर रखा है। क्योंकि रूपया बोलता है और काली कमाई के चक्कर में उपरोक्त सभी लोग आपस में चोर चोर मौसेरे भाई की भूमिका निभा रहे हैं। आखिर कहीं से कड़की के कारण किंचित मात्र राहत न मिलने पर मैं अब तक बचपन से पचपन तक की उम्र में अति उत्पीड़न अर्थात समस्त मौलिक अधिकारों के हनन से अंतरात्मा तक आहत हो चुका हूं। मैं प्रख्यात कवि एवं पत्रकार पप्पू दीक्षित अंततः माननीय सुप्रीम कोर्ट समेत माननीय सीजेआई को एक सुसाइड नोट लिखकर अपनी इहलीला समाप्त करने की सोच रहा हूं, भले अब तक मैं मात्र माननीय सीजेआई महोदय से याचना करना चाहता था। परन्तु मनी प्रॉब्लम ऊपर से समाज विरोधी तत्वों समेत पुलिस द्वारा मेरी समूर्ण जीवन को बर्बादी के बाद मेरे बच्चों के जीवन को भी नष्ट भ्रष्ट करने की पूरी कोशिश से मैं इतना टूट गया हूं कि अब आखिर मेरे पास इस जिंदगी में इतना रूपया नहीं जुट पाएगा कि मैं माननीय सुप्रीम कोर्ट में मजबूती से जरिए विद्वान अधिवक्ता खड़ा हो पाऊंगा। अलबत्ता जो आदतन पुलिस इलाके के दुर्दांत गैंग से साज करके मेरा सपरिवार जीवन बर्बाद करने पर तुली है, अब भला उसे मैं रोक भी नहीं सकता! बीच में पुलिस समेत समाज विरोधी तत्वों के दबाव में मैंने पत्रकारिता तथा काव्यपाठ करना, लिखना सब छोड़ दिया था, यहां तक कि अपनी श्री रामलीला मेला समिति शाहाबाद के मंच पर मेरे द्वारा वर्षों से जो विराट कवि सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा था, वह भी मैंने दबाव में आकर या फिर अपने बच्चों के भविष्य की खातिर विराम कर दिया था, जो कि कोरोना काल में 3 साल अत्यधिक दबाव के कारण नहीं करा सका, भले अपने ही श्री रामलीला मेला मंच पर उत्तर प्रदेश शासन के निर्देशन में सम्पन्न कराए गए एक बार कवि सम्मेलन में एक साल आमंत्रित किए जाने पर अपनी ओजपूर्ण रचनाएं पढ़ीं परन्तु वह भी कानून एवं व्यवस्था तथा भ्रष्टाचार पर ही पढ़ीं, जिससे पुलिस व प्रशासन आगबबूला होकर रह गया था। परन्तु इस साल जब मैंने न केवल एक बडे़ चैनल में काम शुरु कर दिया और अपने मंच पर भी विराट कवि सम्मेलन का सराहनीय कार्यक्रम मां सरस्वती की कृपा से पूर्ण कराया और इधर जल्दी कई बड़ी घटनात्मक खबरें भी चलाना आवश्यक हो गया। इतना ही नहीं बल्कि मैंने
दिनांक 9 नवंबर 23 को एक कविता और दिनांक 13 नवंबर को दूसरी कविता अपने आइना ग्रुप एवं अन्य पर शिथिल तथा महाभ्रष्ट पुलिसिंग पर लिख दी जिसे पढ़ते ही पुलिस के बड़े अधिकारियों सहित सरकारी संरक्षण में पालित पोषित अभ्यस्त संगठित गैंग समेत गुर्गे और गुर्गियां अत्यधिक सक्रिय हो गईं। परिणामस्वरूप मुझे फर्जी झूठे मुकदमों में फिर फंसाने का सिलसिला तेज हो गया है। हालांकि बचपन से पचपन तक सहन किए मौलिक अधिकारों के घोर हनन की हद पार अभी तक पुलिस मुझे सरेआम बेइज्जत करके जेल भेजने में कामयाब नहीं हुई और जनपद स्तरीय अदालतों से जमानत मिल गई, इसलिए जिंदा हूं परन्तु अब और नहीं, इसलिए कुछ बड़ा करना पड़ेगा आखिर अपने लिए न सही अपनी अगली पीढ़ी के लिए ही सही। नहीं तो पुलिस जब जब कहेगी आदत बदलो तब तब मुझे हतोत्साहित होना पड़ेगा और पत्रकारिता कविता समाजसेवा से विरक्त होना पड़ेगा क्योंकि सभी उपरोक्त गणों का दो टूक कहना है कि आदत बदलो अर्थात मैं भी या तो उनका मौसेरा भाई बनकर उनके इशारों पर नाचने लगूं। कुल मिलाकर मैं बिकाऊ नहीं हूं और न मैं कविता पत्रकारिता छोड़कर दलाली मक्कारी चोरी चपारी बदमाशी, अवैध धंधों में भागीदारी कर बुढ़ापे पर अपनी बनी बनाई शाख में बट्टा लगा सकता हूं।
रही कविता और पत्रकारिता छोड़ने की बात तो करीब 3 दशक में सैकड़ों मंचो से सम्मानित होने के बाद भला मैं पुलिस समेत उपरोक्त गणों की बात कैसे मान सकता हूं वैसे भी जब बचपन से सच बोलने और लिखने का आदी हूं तो अब बुढ़ापे में भी वही आदत बिल्कुल कैसे बदल सकती है।
बड़ी बात यह कि उपरोक्त गणों द्वारा हमारा संपूर्ण जीवन बर्बाद करने और कहीं से भी अभी तक मुझे न्याय न मिलने से कमसेकम यूपी की कानून एवं व्यवस्था पर ही नहीं बल्कि संपूर्ण सिस्टम पर ही बड़ा सवाल है हालांकि मेरे अलावा इसी नगर में ऐसे बहुत से नर नारी व्यापारी हैं जिनके उत्पीड़न की मिशाले नगर इलाके के नागरिक दबी जुबान देते देखे सुने जाते हैं।
परिणामस्वरूप निर्दोष को दोषी और दोषी को निर्दोष सिद्ध करने का सिलसिला तेज है, जिससे पुलिस और अदालत का समय एवं संसाधन बर्बाद हो रहे हैं। मेरी उपरोक्त पोस्ट हवा में नहीं बल्कि मेरे पास अपनी हर बात सिद्ध करने के लिए पुष्ट एवं अकाट्य साक्ष्य उपलब्ध हैं जबकि उपरोक्त गणों ने अभी तक तमाम मजबूत साक्ष्य खुर्द वुर्द करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। फिर भी अभी जितने पुष्ट एवं अकाट्य साक्ष्य मेरे पास सुरक्षित हैं उतने शायद भारत भर में किसी निर्दोष के पास नहीं होंगे। खास यह कि मेरे पास जो साक्ष्य हैं उनमें से अधिकतर तो पुलिस की हायर कलम से ही निकले हैं फिर भी यूपी में जहां एक ओर कोई सुनने बाला नहीं है वहीं केन्द्र में भी काफी शिथिलता है। यहां तक कि मैं दिल्ली पीसीआई तक लड़ा तो वर्ष 2017में कई पुलिस अधिकारियों को वहां पर हाजिर होने के लिए भी जाना पड़ा हालांकि माननीय सुप्रीम कोर्ट के लिए रुपया कम पड़ गया, और फिर कई बडे़ अधिकारी मेरे मामलों को निपटाने की भी हामी भरे लेकिन बड़ा विश्वासघात कर एक तो माननीय सर्वोच्च न्यायालय में लड़ने भर की फुर्सत नहीं मिलने दिए, हर प्रकार के दबाव पर दबाव बनाए और आखिर मेरे दिल्ली की तरफ बढ़ते कदम जबरदस्ती कई फर्जी झूठे मुकदमे दर्ज कर जिला कोर्ट कचहरी की तरफ मोड़ दिए जिससे मैं पंगु होकर पढ़ने लगा कि>>>>>>> मूकं करोति वाचालं. गंगु लंघयते गिरिम् ।
यत्कृपा तमहं वन्दे, परमानन्द माधवम्।।​
उपरोक्त लेख प्रार्थी के पूरे प्रकरण बानगी मात्र🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

*दीवाली में दन्न, दन्न, धुम, धुम्म, धड़ाम धड़ाम मचा।*बहुत जोर है आतिशबाजी, जानें कैसे शहर बचा।।कस्बे के अंदर से निकली, ल...
13/11/2023

*दीवाली में दन्न, दन्न, धुम, धुम्म, धड़ाम धड़ाम मचा।*
बहुत जोर है आतिशबाजी, जानें कैसे शहर बचा।।
कस्बे के अंदर से निकली, लाखों की आतिशबाजी फिर।
महिलाओं पुरुषों बच्चों की लग गई जान की बाजी फिर।।
आतिशबाजी के बाजीगर, मनमर्जी खूब चलाते हैं।
बम और पटाखे खतरनाक चाहें जैसे बिकबाते हैं।।
रहती है इनकी पुलिस मित्र, लेती है पटाखे खूब मुफ्त।
पहुंचा देती है ऊपर तक, रहता है प्रशासन तभी सुस्त।।
सब मस्त मस्त अधिकारीगण, मस्ती पर मस्ती मार रहे।
कुछ लोगों को मनुहार रहे, कुछ लोगों को दुत्कार रहे।।
कुछ पत्रकार जैसे तैसे, इनके गुलाम बन जाते हैं।
कर कर के गलत काम धंधे, फिर फूले नहीं समाते हैं।।
उनको भी पटाखे मिलते हैं, उस मुफ्त की बड़ी वसूली से।
निर्धन महंगाई के मारे, दिखते फिर खाली मूली से।।
कितने बच्चे बेचारे फिर, सुरसुरी के लिए तरस जाते।
महंगी कीमत चुका के पाते, पात्र बेचारे बचा खुचा।।
*दीवाली में दन्न, दन्न, धुम, धुम्म, धड़ाम धड़ाम मचा।।*
ओमदेव दीक्षित —ख्यातिप्राप्त कवि/पत्रकार
मीडिया प्रभारी —श्री रामलीला मेला समिति शाहाबाद।
—जिला सचिव: उप्र श्रमजीवी पत्रकार यूनियन (पंजी) सबद्ध IJU
🙏पप्पू दीक्षित🙏

30/10/2023

श्री रामलीला मेला समिति मोहल्ला पठकाना के पावन मंच पर हमारे अपने आयोजन में सम्पन्न अखिल भारतीय विराट कवि सम्मेलन में मैं स्वयं काव्यपाठ करता हुआ, मां बाणी की कृपा सबसे बड़ी कृपा है।

मौत के घाट हैं, हरदोई जनपद से लेकर शाहाबाद नगर तक के अस्पताल, इन अस्पतालों में जिंदा मरीज मुर्दा निकलने का सिलसिला चालू ...
30/10/2023

मौत के घाट हैं, हरदोई जनपद से लेकर शाहाबाद नगर तक के अस्पताल, इन अस्पतालों में जिंदा मरीज मुर्दा निकलने का सिलसिला चालू है, गर्भवती महिलाओं के पेट की चीरफाड़ ऐसे ऐसे अनाड़ी तथाकथित डॉक्टर और नकली नर्सें करतीं रहती हैं और सरकार 0टॉरलेंस की बात पर गला फाड़ने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ती है।
हरदोई जनपद में CMO और स्वास्थ्य विभाग की मिलीभगत से एक सोची समझी साजिश के तहत भ्रष्टाचार की चरम सीमा पर मरिजों को मौत के मुंह में अप्रशिक्षित स्टॉफ द्वारा आए दिन ढकेला जा रहा है, किसी न किसी निजी हॉस्पिटल में कोई न कोई मरीज ठग रूपी डॉक्टरों की मनमानी तानाशाही जबरदस्ती के परिणामस्वरूप अकाल मौत मरता है। परंतु शिकायतों के बाद कार्यवाही के नाम पर मात्र खानापूर्ति होती है।

शाहाबाद नगर क्षेत्र के सभी नागरिकों समेत सभी जनपद वासियों के साथ साथ सभी अधिकारीगणों से विनम्रतापूर्वक आग्रह है कि आगामी...
06/10/2023

शाहाबाद नगर क्षेत्र के सभी नागरिकों समेत सभी जनपद वासियों के साथ साथ सभी अधिकारीगणों से विनम्रतापूर्वक आग्रह है कि आगामी दिनांक 14अक्तूबर 2023 को श्री रामलीला मेला मैदान पठकाना में अवश्य दर्शन दें क्योंकि आप सभी स्वजन यहां हमारी आत्मा से ससम्मान आमंत्रित हैं। आप सभी से करबद्ध अनुरोध है कि आगामी 14 अक्टूबर को समय से उपस्थित होकर हमारे विराट कवि सम्मलेन की शोभा बढ़ाएं, आप सभी स्वजनों, श्रेष्ठजनों, श्रद्धेयजनों, महानुभावों की गरिमामयी उपस्थिति से हम सभी सयोजकों समेत आयोजक श्री रामलीला मेला समिति का आल्हादित होना स्वाभाविक है। हमारे बीच काव्यजगत की जानी मानी हस्तियों में जहां कवियत्री अंकिता शुक्ला कार्यक्रम में 4 चांद लगाने आ रहीं हैं, वहीं कंटक, व्योम, सरस, आशू के अतिरिक्त देश की राजधानी दिल्ली से हमारे भाई अजय मिश्र दबंग भी अपनी जननी जन्मभूमि से इस बार अपनी दबंगई का जादू संपूर्ण देश में दौड़ाने आ रहे हैं। इसी शुभ अवसर पर प्रख्यात कविश्रेष्ठ सतीश शुक्ल, सत्यनारायण शुक्ल मधुप, श्रीकांत सिंह और रोहित राकेश, अभिनव दीक्षित, अरविंद मिश्रा, अवनीश त्रिवेदी, सुनीत बाजपेयी के शुभागमन की सूचना मात्र ही हम सबका तन मन अभी से पुलकित करने के लिए पर्याप्त है। हमारे समेत हमारी श्री रामलीला मेला समिति अंततः उपरोक्त सभी श्रेष्ठ कवियों के गरिमामयी आगमन के समय तक ऐसे ही पूर्ण प्रफुल्लित मन मस्तिष्क से प्रेरित रहकर पलक पांवड़े बिछाए रहेगी। स्वागतम🙏💐🙏💐🙏💐🙏💐🙏💐🙏🙏

वन विभाग कार्मिकों की महाभृष्ट कार्यप्रणाली के चलते वन विभाग कार्मिकों से आए दिन शाहाबाद वनरेंज इलाके में तू तू मैं मैं ...
26/09/2023

वन विभाग कार्मिकों की महाभृष्ट कार्यप्रणाली के चलते वन विभाग कार्मिकों से आए दिन शाहाबाद वनरेंज इलाके में तू तू मैं मैं तथा मारपीट से इलाकाई पुलिस भी तंग आ गई है! हालांकि इसके लिए वन रेंज अधिकारी आलोक शर्मा ही पूरी तरह प्रथमदृष्टया दोषी मालुम हो रहे हैं क्योंकि इधर पुलिस और वनविभाग और लकड़कट्टों के बीच जो कमीशनखोरी का खेल चालू है उसके लिए वन विभाग सहित कहीं न कहीं वन रेंज अधिकारी शाहाबाद सीधे तौर पर जिम्मेदार हैं! जिससे लकड़ी ठेकदारों समेत लकड़कट्टों के दिमाग बहुत खराब हैं, वनविभाग की अतिभृष्ट कार्यप्रणाली के कारण ही तो लकड़ी ठेकेदारों ने इलाके से हरियाली खत्म कर दी है, केवल इस इलाके में ही वन विभाग ने वृक्षारोपण के नाम पर बीते वर्षों में करोड़ों का घोटाला किया, लाखों पेड़ केवल कागजों पर ही लग गए और उसका मोटा धन आपसी बंदरबांट का शिकार हो गया। इतना ही नहीं रेंजर आलोक शर्मा ने एक दैनिक वेतन भोगी चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी को इतना सिर चढ़ा लिया कि वह न केवल रेंजर के लिए अनाधिकृत रूप से बर्दी पहनकर सरकारी बाइक और रेंजर की कार से न केवल वसूली करने लगा बल्कि लकड़ी शातिर चोरों से मिलकर कहीं सरकारी पेड़ और कहीं लोगों के निजी पेड़ तक चोरी से कटवाने लगा है जिनकी सुरागरसी पतरसी करने में रेंजर की किंचित मात्र दिलचस्पी कभी कहीं नजर नहीं आई जिससे इधर कई मामले तेजी से तूल पकड़ते गए और स्थिति यहां तक आ गई कि आए दिन वनविभाग के मामूली कार्मिक ही नहीं बल्कि वन दारोगा गरियाए और पीटे जाने लगे। जब शाहाबाद में वन दारोगा अक्षय कुमार पांडेय की पिटाई को लोग भूले भी नहीं थे तभी रेंज के चठिया नेवादा गांव में एक वन दारोगा समेत वन रक्षक की जान पर बन आई। उन्होंने रसूखदार दबंगों से दहशतज़दा होकर आखिर पत्रकारों का सहारा लिया और फिर पत्रकारों के सामने कैमरे पर काफ़ी रुआंसी शक्ल में आपबीती बताते नजर आए। इतना ही नहीं एक बार फिर शाहाबाद में एक और वनदारोगा आशीष कुमार ने मुकदमा दर्ज़ कराया है जिसमें उन्होंने जहां अपने ऊपर प्रतिबंधित प्रजाति की लकड़ी से लदी ट्रैक्टर ट्रॉली चालक द्वारा चढ़ाने के प्रयास का जिक्र किया वहीं 3 लकड़ी ठेकदारों समेत कई लकड़कट्टों द्वारा गरेबान पकड़ना, जान से मारने की धमकी आदि आरोप लगाए हैं। हालांकि इतना सबकुछ मात्र बानगी है। बांकी वन विभाग कार्मिकों की आए दिन बेइज्जती की इधर चर्चाएं आम हैं जिसमें रेंजर के मुंहलगा दैनिक वेतन भोगी चतुर्थ श्रेणी बाबर्दी कर्मचारी कार चालक की भूमिका काफी अहम बताई जा रही है परन्तु रेंजर पर अपने उपरोक्त कर्मचारी का भूत सवार है जिसकी चर्चा सर्वत्र सुनाई दे रही है।
दरअसल रेंजर आलोक शर्मा लकड़ी कटान के मामले में ही लापरवाह या मजबूर नहीं बल्कि राष्ट्रीय पक्षी मोर एक्सीडेंट मामलों में भी मनमानी कर धनउगाही करने के लिए बहुचर्चित हैं, इधर अपनी रेंज में उन्होंने मोर एक्सीडेंट के 2मामलों को ऐसे निपटा दिया जैसे कि मोर का एक्सीडेंट नहीं बल्कि किसी मामूली मुर्गों की मौत हुई है। फिर भी आला अफसरों के कानों पर जूं नहीं रेंगी। *ऐसी ही खबरों के लिए
देखते रहें भारत समाचार न्यूज चैनल*

वन दारोगा पर हुए हमले के बाद पुलिस कार्यवाही में शिथिलता के कारण सिविल पुलिस और जंगल पुलिस में मनमुटाव हुआ मोटा अब कौन क...
13/06/2023

वन दारोगा पर हुए हमले के बाद पुलिस कार्यवाही में शिथिलता के कारण सिविल पुलिस और जंगल पुलिस में मनमुटाव हुआ मोटा अब कौन कम कौन ज्यादा खोंटा यह समीक्षा का विषय है, फिलहाल मित्रगण पढ़ें और कमेंट करें बांकी जहां सबको अपनी अपनी पड़ी वहां कौन इलाके की हरियाली बचा लेगा और कौन पुलिस की कार्यशैली सुधार देगा? एक तो घोर कलयुग और ऊपर से योगी बाबा की यूपी पुलिस को खुली छूट!

शाहाबाद ब्लॉक मोड़ के पास मवेशी अस्पताल के सामने और स्थानीय कोतवाली से चंद कदम की दूरी पर घटी घटना में मनबढ़ लकड़कट्टों ने वन दारोगा से हाथापाई, पिटाई और प्रतिबंधित प्रजाति की हरे नीम को लकड़ी भरी गाड़ी भगा ले जाने की जिस तरह हिम्मत दिखाई है, वह भले कोतवाली पुलिस के लिए इसलिए मामूली बात हो सकती है क्योंकि उसके लिए इलाके के लकड़कट्टे किसी धन कुबेर से कम कभी नहीं रहे, आखिर तभी तो यह फलपट्टी घोषित रहा इलाका बिल्कुल वीरान हो चुका है, शीशम सागौन सेमर नीम आम (तुकमी) सब गुजरे जमाने के नजारे हैं यहां तक कि इमली जामुन पीपल बरगद सब बचपन की यादें अवशेष हैं वश, क्योंकि इन सब जिम्मेदारों को इधर की इलाकाई हरियाली से किंचित मात्र वास्ता व सरोकार नहीं अपितु उनका लक्ष्य इस इलाके की हरियाली उजाड़कर अपनी जेबें भरना है हालांकि वन विभाग और पुलिस विभाग के बीच बीती शाम से टकराव की स्थिति है फिर भी वन विभाग पुलिस विभाग के समक्ष असहाय परिलक्षित है क्योंकि पॉवर के मामले में पुलिस का कहीं कोई सानी नहीं है , भले पुलिस जैसी बर्दी समेत वैसे ही स्टार वन विभाग के अधिकारीगण भी लगाए हैं लेकिन पुलिस के सामने रंगे सियार जैसी परिस्थितियां बनी हुईं हैं, बन दारोगा के साथ बीते दिन घटी घटना से सिद्ध है कि पुलिस के लिए जैसे खाकी वर्दीधारी होमगार्ड या पीआरडी, वैसे ही वन विभाग? बर्ना पुलिस के दारोगा के साथ मारपीट हुई होती तो शायद अब तक जिला हिल गया होता और समूचा पुलिस संगठन आरोपी के घर परिवार पर तक पिल गया होता परन्तु सीधी सी बात है कि किसी हरे पेड़ की कोई मोटी पतली शाखा तक बिना कमीशन अदा किया यदि कोई काट सकता है तो वह केवल पुलिस का ही कोई बड़ा लाड़ला कमाऊ पूत अन्यथा किसी की क्या मजाल कि किसी हरे प्रतिबंधित प्रजाति के किसी पेड़ की एक पतली सी डाल भी काट ले हालांकि वन विभाग भी बिना कमीशन कोई लकड़ी कटने नहीं देता और यदि बिना कमीशन मिले कहीं लकड़ी कटने की सूचना वन विभाग को मिलती है तो वह तत्काल एक्शन मोड में दिखाई देता है जैसे बीते दिवस उपरोक्त घटना के समय दिखाई दिया, यह अलग बात कि वन दारोगा वर्दी के घमंड में ऐसी असरदार लकड़कट्टों के आड़े आ गया जिनके लिए लोकल पुलिस पहाड़ की तरह वन विभाग के आड़े खड़ी हो गई भले तहरीर बदलवाकर वन दारोगा की दूसरी तहरीर पर मुकदमा दर्ज कर अपने कर्तव्यों की इतिश्री की गई। कुल मिलाकर भ्रष्टाचार के दलदल में आकंठ तक डूबी कोतवाली पुलिस और जंगल पुलिस के बीच उपरोक्त घटना से काफी मतभेद परिलक्षित हो रहे हैं अंततः नतीजा वही ढाक के तीन पात ही निकलेगा! भले कल घटी घटना के बाद से वन रेंज अधिकारी शाहाबाद स्थानीय पुलिस की कार्यप्रणाली से क्षुब्ध परिलक्षित हैं और कुछ परेशान भी?????

हरदोई जिले की शाहाबाद कोतवाली पुलिस के नित नए कारनामों के बीच यह भी एक बड़ा ही हैरतंगेज कारनामा सामने आया है, पुलिस ने र...
05/06/2023

हरदोई जिले की शाहाबाद कोतवाली पुलिस के नित नए कारनामों के बीच यह भी एक बड़ा ही हैरतंगेज कारनामा सामने आया है, पुलिस ने रेप पीड़िता की तहरीर दबाकर उल्टा उसके सहित उसकी मां, बहन पर मुकदमा पहले दर्ज़ कर दिया और उसे दुत्कार कर भगा दिया, फिर मामला फंसता देख पीड़िता की तहरीर बदलवाकर उसका केस मात्र छेड़छाड़ की धारा 354 में दर्ज कर दिया, इतना ही नहीं उसके मेडिकोलीगल में CHC के डॉक्टर ने भी चोटों के खाने में निल लिख दिया। कुल मिलाकर हर सूरत में पुलिस आरोपी के पक्ष में पीड़िता सहित उसकी मां बहन पर दबाव बना रही है। वैसे भी पुलिस सहित दलालों द्वारा रेप पीड़िता की मदद की बजाय आरोपी पक्ष की मदद मतलब भर की कर दी गई जो कि कानून एवं व्यवस्था के नजरिए से काफी काबिलेगौर है।

05/06/2023

यह नाजनी भी बड़ी लाजवाब है।
इससे मिलना भी एक ख्वाब में।।

शासन-प्रशासन संज्ञान ले और निरंकुश नौकरशाही की मनमानी तानाशाही धन उगाही बंदरबांट पर लगाम लगाए अन्यथा जीरो टॉलरेंस नीति क...
08/04/2023

शासन-प्रशासन संज्ञान ले और निरंकुश नौकरशाही की मनमानी तानाशाही धन उगाही बंदरबांट पर लगाम लगाए अन्यथा जीरो टॉलरेंस नीति के थोथे गाल बजाने बालों का क्या मतलब निकाल रही है प्रदेश की जनता जर्नादन और क्या बोल रहे हैं विपक्षी पार्टियों के लोग?जिसमें आजकल सरकार के खिलाफ बिल्कुल स्पष्ट बोलने बाले समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव तेजी से इसीलिए क्या आगे नहीं बढ़ रहे हैं? अंततः सच्चाई आखिरकार सफेद झूठ एवं सफेद हाथियों को भला कब तक ज़बरदस्ती बर्दाश्त कर सकती है? जिम्मेदार आखिर समझते क्यों नहीं कि झूठ आखिर झूठ होता है! ऊपर से उड़ेले जा रहे निर्देशों का धरातल बिल्कुल खाली खाली दिखाई दे रहा है!झूठ के काठ से बनी हांडी की कहावत फिलहाल कलियुग पर भारी भले है और जल नहीं रही है अपितु सच को जला रही है परन्तु प्रकृति के नियमों के ऊपर कदापि कोई नहीं निकल सकता क्योंकि ऊपर परमपिता परमेश्वर और नीचे यह जो पब्लिक है वह सब जानती है अभी तक अंधभक्त जनता को कोई दूसरा विकल्प बेहतर नज़र नहीं आ रहा है इसलिए कशमकश की स्तिथि में है अन्यथा वह दिन दूर नहीं जब भ्रष्टाचार की पराकाष्ठा पर अट्टहास करने बालों को यही जनता सबक सिखाने के लिए उतारू हो जाएगी और सरकारी योजनाओं की वास्तविक पात्र जनता तथा दबंगों माफियाओं भू माफियाओं समेत जिम्मेदारों से दुखी परेशान पीड़ित जनता तथा अपनी आँखों से जिम्मेदारों की मनमानी तानाशाही धन उगाही बंदरबांट देख देख कर दुखी हो रही जनता जल्दी ही जोरदार विरोध पर उतारू होकर रह जाएगी कि नहीं? हालांकि मुझे मालुम है कि चाटुकारिता के दौर में हमारी ऐसी स्पष्ट पोस्ट पर बहुत कम ही बिल्कुल सटीक कमेन्ट आयेंगे! जय श्रीराम 🙏जय हनुमान 🙏जय शनि देव 🙏जय सर्व देव देवी नमो नम:🙏💐

■उत्तर प्रदेश में अपराधियों के हौसले पस्त!■0 टॉलरेंस की नीति पर कोई प्रश्नचिन्ह नहीं!■कानून एवं व्यवस्था सुदृढ़! यूपी मे...
29/03/2023

■उत्तर प्रदेश में अपराधियों के हौसले पस्त!
■0 टॉलरेंस की नीति पर कोई प्रश्नचिन्ह नहीं!
■कानून एवं व्यवस्था सुदृढ़! यूपी में रामराज्य!
■पुलिसिंग की जितनी प्रशंसा की जाए, उतनी कम!

प्रशासन की शिथिलता के चलते सरकारी योजनाओं के अस्तित्व का धरातल खाली खाली है, इसकी बानगी भर ही तो है यह कि कल ही जिस योजन...
27/03/2023

प्रशासन की शिथिलता के चलते सरकारी योजनाओं के अस्तित्व का धरातल खाली खाली है, इसकी बानगी भर ही तो है यह कि कल ही जिस योजना का यूपी भर में खूब बढ़ा चढ़ाकर प्रचार प्रसार किया गया, और बीमार पशुओं के त्वरित उपचार हेतु
पशु पालकों की सहायतार्थ टोल फ्री नम्बर 1962 जारी किया गया, वही टोल फ्री नम्बर आज लोगों ने जब लगाया तो कई-कई मिनट घंटी जाने के पश्चात आखिर जब रिसीव हुआ तो उधर से बताया गया कि अभी इसका लाभ आपको नहीं मिल सकता, क्योंकि अभी कल ही इस योजना की शुरुआत हुई है, अभी आपके जिले में त्वरित उपचार की व्यवस्था नहीं है!

हरदोई में स्वास्थ्य सेवाएं जानलेवा साबित,  वयोवृद्ध वरिष्ठ पत्रकार की बदइंतजामी से हुई मौत से दहल गए जिले से लेकर आसपास ...
26/03/2023

हरदोई में स्वास्थ्य सेवाएं जानलेवा साबित, वयोवृद्ध वरिष्ठ पत्रकार की बदइंतजामी से हुई मौत से दहल गए जिले से लेकर आसपास तक के पत्रकारों के कलेजे लेकिन कुंभकर्णी नींद से प्रशासन नहीं जागा आखिर वह जब भी जागता है तो केवल अवैध धन उगाही के लिए ही जागता है, वर्ना सोने के आदी स्वास्थ्य विभाग समेत सम्पूर्ण प्रशासन पर मुख्यमंत्री जी का भी किन्चित मात्र अंकुश नहीं है! बांकी सच तो यह है कि ज्यादतर नौकरशाह पब्लिक ड्युटी न करके केवल अपने मतलब की ड्यूटी करके आखिर अपनी ढपली और और राग अलाप कर लगभग सबको उल्लू बना रहे हैं, तभी तो ऊपर से नीचे तक घोर कलियुगी भ्रष्टाचार व्याप्त है और अत्यंत भयभीत जनता शांत है अंततः क्रांतिकारी विचारधारा के मूकदर्शकों का मुखर होना जब तक भारी पड़ेगा तब तक उनका घर परिवार यही प्रशासन तहस - नहस कर देगा, जिसका कोई पुरुसाहाल इस सरकार में कहीं ढूंढे नहीं मिलेगा! क्योंकि नौकरशाहों की पूरी तानाशाही है! भगवान भला करे, निर्दोषों का, असहायों का, और अभिव्यक्ति व्यक्त करने के कारण बर्बादी की कगार पर कांख रहे स्पष्ट वक्ताओं का, वर्ना निकट भविष्य में इस पूरे भारत में शायद ही कोई स्पस्ट वक्ता या लेखक या पत्रकार सुरक्षित रह जाए? मैंने बीच में पत्रकारिता इसीलिए छोड़ दी थी परन्तु एक बार फिर पुलिस-प्रशासन और सरकार का झूठ लिखने के लिए कलम पकड़ ली है! अक्षरशः सही लिखेंगे तो रामनाम सत्य समझो मेरा भी! अन्यथा कोई बताए कि शाहाबाद समाचार के प्रधान संपादक एवं वयोवृद्ध वरिष्ठ पत्रकार स्वर्गीय राधेश्याम त्रिपाठी की अस्पताल में बदइंतजामी से हुई मौत पर कौन पत्रकार जमीन लौट देगा! माना कि मैं विवादित पत्रकार सही परन्तु त्रिपाठी जी तो भले सीधे सज्जन एवं पत्रकारिता के पुरोधा थे कि नहीं थे? परन्तु सेहत डिपार्टमेंट के ड्यूटी पर मौजूद रहने बाले उन महाभ्रष्ट लापरवाह कार्मिकों समेत शिथिल पर्यवेक्षण बरतने बाले अधिकारियों पर भला क्या कुछ कार्यवाही होगी कि नहीं होगी?? मेरे साथ होने बाले अन्याय अत्याचार अमानवीयता अनीति अविधिक दूषित कार्यवाही के प्रति इलाके एवं जिले के कर्तव्यनिष्ठ पत्रकार नहीं बोलते तो कोई बात नहीं, मैं स्वयं ईश्वरीय शक्तियों का आह्वान कर आखिर जैसे तैसे निपट ही लेता हूँ! परन्तु अब देखना यह है कि स्वर्गीय त्रिपाठी जी की बदइंतजामी से हुई मौत मामले में कौन पत्रकार या पत्रकार संगठन या उनका शुभचिंतक स्वास्थ्य विभाग के विरुद्ध कठोर कार्यवाही कराकर ही चैन की साँस लेता है?? शायद ऐसी किसी सख्ती से शायद व्यवस्था भी कुछ न कुछ सुधर जाए????????

भ्रष्टाचार की पराकाष्ठा पर PM आवासों में भी बड़ी वसूली हुई एवं हो रही है परन्तु जिम्मेदार कुंभकर्णी नींद से केवल करारे न...
25/03/2023

भ्रष्टाचार की पराकाष्ठा पर PM आवासों में भी बड़ी वसूली हुई एवं हो रही है परन्तु जिम्मेदार कुंभकर्णी नींद से केवल करारे नोट गिनने-गिनाने के लिए ही बस जाग रहे हैं आखिर कैसे चलेगा सिस्टम, बड़ा सवाल है सिस्टम पर! परेशान है प्रदेश की आम जनता!जिसमें हरदोई और फिर शाहाबाद तहसील क्षेत्र सबसे अव्वल है। भ्रष्ट अफसरों ने अति कर दी जबकि सरकार रामराज्य और 0 टॉलरेंस की बात पर बल दे रही है आखिर इसे ही चोरी की चोरी ऊपर से सीना जोरी कहा जाता है! अंततः जनहित में जिम्मेदारों को सबक सिखाने के लिए हर समर्थ व्यक्ति को आगे आना ही चाहिए!

https://twitter.com/bstvlive/status/1639296043367165957?t=9fF5nIvPa5lLW2I6K78KOw&s=08__________________रिपोर्ट-पप्पू दीक...
24/03/2023

https://twitter.com/bstvlive/status/1639296043367165957?t=9fF5nIvPa5lLW2I6K78KOw&s=08
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रिपोर्ट-पप्पू दीक्षित- भारत समाचार शाहाबाद-मोबाइल नम्बर- 9453896533, 7985428237- यही महावत महिलाएं नहीं बल्कि अनगिनत ऐसी महावत एवं ऐसी ही अन्य महिलाएं हैं, जिन्हें सरकारी योजनाओं का ज्ञान नहीं और जिम्मेदारों को जिधर सुविधा शुल्क दिखाई नहीं देता, उधर देखना पसन्द नहीं करते क्योंकि नौकरशाही हावी है, नौकरशाहों के पास हर ताले की चावी हैं, बड़ी बिडम्बना है कि गरीबों और दिव्यांगों की समस्याओं का जिम्मेदार स्वतः सज्ञान क्यों नहीं लेते, यहां तक कि शिकायतों के बाबजूद सम्बन्धित अधिनस्थों पर प्रभावी कार्यवाही नहीं करते आखिर क्यों इसी प्रश्न का उत्तर आज सम्वेदनशील जनमानस तलाश रहा है बस 🙏

“हरदोई - सरकारी योजनाओं से वंचित महावत जाति के गरीब,करीब 20 किमी दूर लकड़ियां बीनतीं हैं महिलाएं,महिलाएं लकड़ियां ब....

जनहित में न्यूज जरूर पढ़ें और समझें कि आज के दौर में भी वही कहावत चरितार्थ है कि देख धरातल खाली खाली......
24/03/2023

जनहित में न्यूज जरूर पढ़ें और समझें कि आज के दौर में भी वही कहावत चरितार्थ है कि देख धरातल खाली खाली......

https://twitter.com/bstvlive/status/1639281711644041222?t=WMXZxT14gZh_o14MbygY4w&s=08https://twitter.com/bstvlive/status...
24/03/2023

https://twitter.com/bstvlive/status/1639281711644041222?t=WMXZxT14gZh_o14MbygY4w&s=08
https://twitter.com/bstvlive/status/1639281711644041222?t=vKeBiTsjcA9ODQkE10sBFg&s=08
__________________ तहसील शाहाबाद से जुड़ी किसी ब्लॉक की कोई ग्राम पंचायत ऐसी नहीं और न ही नगर पिहानी व शाहाबाद का ऐसा कोई मोहल्ला, जिसमें 20 हज़ार रुपए से लेकर 50 हज़ार तक का सुविधा शुल्क जिम्मेदारों की मिलीभगत से प्रधानों और वार्ड सभासदों द्वारा वसूला नहीं गया है, मतलब लगभग सबसे वसूला गया और फिर बंदरबांट किया गया है। इसीलिए पात्रों की बजाय अपात्रों को ज्यादा आवास आवंटित किए गए हैं। चूंकि पात्रों की अपेक्षा अपात्रों ने अधिक धन उपलब्ध कराया है, हालांकि बहुत से बहुत गरीब पात्रों को तो बस दुत्कार कर भगाया गया है, क्षेत्र में तमाम दिव्यांग एवं असहाय ऐसे हैं जिनके प्रति जिम्मेदारों की संवेदनहीनता की हद सामने आई है। *रिपोर्ट-पप्पू दीक्षित-भारत समाचार HRD9. मोबाइल नम्बर- 9453896533, 7985428237

“हरदोई ➡️भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रही पीएम आवास योजना ➡️40 हजार की पहली किस्त में प्रधान ने वसूले रुपए ➡️ग्राम प्रधा.....

24/03/2023

सुरक्षित पत्रकारिता के बिना सुरक्षित लोकतंत्र की परिकल्पना व्यर्थ है, नौकरशाहों समेत नेताओं की मनमानी तानाशाही से पत्रकारिता आतंकित है! हालांकि स्वस्थ पत्रकारिता से परे पत्रकारों को भी सुधरने की जरूरत है, कुलमिलाकर महा भ्रष्टाचार के कारण पत्रकारिता पंगु पोजीशन में है, फिर भी
इंडियन जर्नलिस्ट यूनियन (आईजेयू) की राष्ट्रीय कार्यसमिति की दो दिवसीय बैठक चंडीगढ़ के किसान भवन में संपन्न हुई थी। बैठक की अध्यक्षता आईजेयू अध्यक्ष के. श्रीनिवास रेड्डी ने तथा संचालन राष्ट्रीय महासचिव बलविंदर सिंह जम्मू ने किया था। आईजेयू ने देश के विभिन्न राज्यों में अमर शहीद भगत सिंह की पुण्यतिथि पर पत्रकारिता सुरक्षा दिवस मनाने का संकल्प लिया था, जिसका सभी राज्यों से पहुंचे प्रतिनिधियों ने समर्थन किया था, जबकि श्रमजीवी पत्रकार यूनियन ने उत्तर प्रदेश में 23 मार्च से पत्रकारिता सुरक्षा सप्ताह चलाने का ऐलान किया था, तभी अपने संकल्प को पूरा करने के उद्देश्य से हरदोई में पत्रकारों ने हाथों में Save journalism- Save DEMOCRACY अंकित तख्तियां लेकर सत्याग्रह किया और निरंतर संघर्ष रत रहने का संकल्प लिया।

निर्देशों पर चल रही सरकार में नौकरशाही के सामने हर आम आदमी बौना है! कहीं कहीं पर कोई कोई कृत्य बहुत घिनौना है! चरम सीमा ...
18/03/2023

निर्देशों पर चल रही सरकार में नौकरशाही के सामने हर आम आदमी बौना है! कहीं कहीं पर कोई कोई कृत्य बहुत घिनौना है! चरम सीमा पर भ्रष्टाचार हावी है! और सरकार का जीरो टॉलरेंस किसी मखौल से कहीं कम नहीं है! आखिर कल शुक्रवार की ही यदि हम बात करें तो टुमुर्की गांव में बर्षों से बिना NOC, लाइसेंस, एवं अन्य आवश्यक औपचारिकताएं पूरी किए बिना ही इतना बड़ा भट्टा संचालित था, जिस पर यूपी और बिहार के जो मजदूर महिलाएं सपरिवार काम कर रहीं थीं, उन बेचारों को क्या मालुम था कि जिम्मेदारों की मिलीभगत से इतना बड़ा और इतने बड़े क्षेत्रफल में ईंट भट्टा अवैध रूप से संचालित है! जबकि खनन भी भट्टे के लिए इलाके भर में होता रहा, फिर भी कभी प्रशासन ने सच्चाई जानने या समीक्षा करने या जांच करने की जहमत गवारा नहीं की, अब कल जब वह सबके सब मजदूर परिवार अपनी मजदूरी दिलाने की बात पर अड़ियल रुख बनाने लगे तो तहसीलदार शाहाबाद ने डांट दिया, कहा एफआईआर दर्ज करा देंगे! अब समझिए कि उनका भला क्या दोष है! बिहार बालों को पता कि यूपी में नियम कानून को ठेंगा दिखाकर ईंट भट्टे संचालित हैं, हालांकि तहसील इलाके में और भी बहुत कुछ जिम्मेदारों की मिलीभगत से चल रहा है, भले भ्रष्टाचार के कारण सबको नहीं दिख रहा है! बांकी अवैध तरीके से इलाके में क्लीनिक, नर्सिंग होम आजकल बड़ी चर्चा के साथ मीडिया की सुर्खियों में हैं परन्तु उन्हें भला भ्रष्टाचार की पराकाष्ठा पर कौन पूंछ रहा है! हालांकि यह अलग बात कि *अंधेर नगरी, चौपट राज* नहीं अपितु रामराज्य शायद इसी तरह की व्यवस्था को कहते होंगे!!!

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