11/09/2021
*🏳️🌈गुरुवाणी🏳️🌈*
*11 दिसंबर 2023 पूर्णायु परिसर,*
*आचार्य गुरुवर विद्यासागर जी महाराज के उत्तम मार्दव धर्म पर प्रवचन*
*जो भारत को भूल गया वो भगवान को भूल गया आचार्य विद्यासागर महाराज*
आज के समय मां-बाप अपना सब कुछ त्याग कर , सारी संपत्ति लगाकर और लोन लेकर बच्चों को विदेश भेज रहे हैं जो शिक्षा भारत में मिलती है वह कहीं नहीं मिलती, विदेश जाकर बच्चे मां- पिता और अपनी धरती मां से वंचित रह जाते हैं, सिर्फ बैंक में पैसा आता है उससे क्या होगा?
घर से गए, तन से गए, मन से गए, और वतन से भी चले गए अब क्या हाथ आया ???
बच्चों को भारतीय संस्कृति और देश प्रेम की शिक्षा देनी चाहिए , यदि सिर्फ धन की ओर देखते हैं तो देखो क्या-क्या हो रहा है दुनिया मे , राष्ट्र के विकास का धन विस्फोटक पदार्थों में लग रहा है , अभी पता चला कि कहीं छः लाख करोड़ का विस्फोटक - हथियार छोड़ आए , सारा धन और ध्यान विस्फोटक पदार्थों को एकत्र करने में खर्च हो रहा है , आप से दुनिया डरेगी तो आपको भी दुनिया डराएगी, यदि दुनिया डरने - डराने का ही घर बन गया तो विश्व में शांति कहां से लाओगे ?
आचार्य श्री जी कहते हैं कि जिनवाणी की कृपा से ही लोगों में शांति आ सकती है , यही मूल मंत्र है प्रलय आने के पूर्व अपनी लय, अपनी चाल और अपनी ध्वनि को बदलो। चालाकी से बचें तभी सभी का कल्याण हो सकता है , हम कठोर ना बने बल्कि मानव धर्म से अपना श्रृंगार करें, इससे मान और कषाय खंडित होगा और हम मानव धर्म के मार्ग पर चलने लगेंगे,
हम भीड़ की देखा देखी करते हैं , जो दूसरे कर रहे हैं वही हम करने की सोचते हैं तात्पर्य है कि दुनिया करती है तो मुझे भी करना है , दुनिया में सभी नरक से बचना चाहते हैं परंतु नरक राह पर चल पड़ते हैं । हमें पाप से कोई डर नहीं है इस प्रकार सोचने वाला व्यक्ति कठिनाई से भी भवसागर में पार नहीं पा सकता।
मैं उस ज्ञान को नमस्कार करता हूं जो आत्मा के गुण का परिचय करा देते हैं , जो ज्ञान हमें पंचेेंद्रीय से छुटकारा दिला दे वहीं सर्वश्रेष्ठ है।
आचार्य श्री कहते हैं, भीतर माल गोदाम में सड़ रहा है लेकिन बाजार में भाव बढ़ रहा है इसीलिए नहीं बेचा जाएगा, यह विचार भी नरक के द्वार तक पहुंचा देते हैं , नर्क का द्वार कभी समाप्त होने वाला नहीं है। ऋषियों ने लिखा है, हम अपरिग्रह की ओर बढ़े तभी हमें मुक्ति मिल सकती है वह भी यदि बोझ हो जाए और बोझ कम हो रहा है तो सांस लेने के लिए रास्ता खुल रहा है यही मुक्ति और सुख का ठिकाना है , यही सम्यक ज्ञान है बाकी सब मिथ्या है ।
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