Siwan Express

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Siwan Express सीवान और आस पास की ताज़ा तरीन अप्डेट्स

27/06/2022
चाणक्य की नीति हूँ , आर्यभट्ट का आविष्कार हूँ मैं ।महावीर की तपस्या हूँ , बुद्ध का अवतार हूँ मैं।अजी हाँ! बिहार हूँ मैं।...
22/03/2022

चाणक्य की नीति हूँ , आर्यभट्ट का आविष्कार हूँ मैं ।
महावीर की तपस्या हूँ , बुद्ध का अवतार हूँ मैं।
अजी हाँ! बिहार हूँ मैं।।
सीता की भूमि हूँ , विद्यापति का संसार हूँ मैं।
जनक की नगरी हूँ, माँ गंगा का श्रंगार हूँ मैं।
अजी हाँ! बिहार हूँ मैं।।
" देश बना है जिस मिट्टी से उसकी हिस्सेदारी हूँ..!
बुद्ध, महावीर, चंद्रगुप्त के गौरव का अधिकारी हूँ.!
हाँ, मैं बिहारी हूँ.!!"

समस्त बिहारवासियों को बिहार दिवस की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं!जय बिहार!

❤️

काला धन वापस तो आया लेकिन बी.जे.पी की खाते में।
31/01/2022

काला धन वापस तो आया लेकिन बी.जे.पी की खाते में।

14/01/2022

इस भोजपुरी देशी गाने की धुन और कलाकारों की मधुर आवाज सुन के मनमुगध न हो गए तो कहना ।

कोइरी का हल और मियां का ल$$ मजबूत होता है। तभी वो तुम्हारी बहनों का खेत भी जोत देता है अंधभक्तों गुफा की औलादों ।।
02/01/2022

कोइरी का हल और मियां का ल$$ मजबूत होता है। तभी वो तुम्हारी बहनों का खेत भी जोत देता है अंधभक्तों गुफा की औलादों ।।

Congratulations   for bringing back the ‘beautiful moment’ for India after 21 years. Proud Of You!
13/12/2021

Congratulations for bringing back the ‘beautiful moment’ for India after 21 years.

Proud Of You!


13/12/2021

अपने हिन्दू होने पर गर्व कीजिये, लेकिन सावधान

▪️मूर्खतापूर्ण नोटबन्दी हिंदुत्व नहीं है
▪️पेट्रोल डीजल पर बेतहाशा टैक्स थोपना हिंदुत्व नहीं है।
▪️बिना सोचे थोपा गया GST हिंदुत्व नही है
▪️रसोई गैस महंगा करना, सब्सिडी गायब करना हिंदुत्व नही है।
▪️खराब आर्थिक नीतियों से अर्थव्यवस्था का बंटाधार हिंदुत्व नही है।
▪️बिना तैयारी के लॉक डाउन हिंदुत्व नही है
▪️ऑक्सीजन की कमी से हुई मौत हिंदुत्व नही है
▪️खराब कृषि कानून से जमाखोरी और खाद्य पदार्थ महंगा होना हिंदुत्व नही है
▪️फायदे वाले सरकारी उपक्रम बेचना हिंदुत्व नही है।
▪️बैंकों का निजीकरण, विलय और छंटनी हिंदुत्व नही है।
▪️सरकारी नौकरियों में कटौती, बेरोजगारी हिंदुत्व नही है।
▪️पीएम केयर जैसा निजी ट्रस्ट और उसमें वसूला गया पैसा हिंदुत्व नही है।

दुःखद ।
16/10/2021

दुःखद ।

إِنَّا لِلّهِ وَإِنَّـا إِلَيْهِ رَاجِعونَभारतीय उप महाद्वीप की महान शख्सियत, पाकिस्तान के मशहूर कामेडियन, बेहतरीन शख्सि...
02/10/2021

إِنَّا لِلّهِ وَإِنَّـا إِلَيْهِ رَاجِعونَ
भारतीय उप महाद्वीप की महान शख्सियत, पाकिस्तान के मशहूर कामेडियन, बेहतरीन शख्सियत के मालिक उमर शरीफ़ के इंतकाल की ख़बर दुखदाई है ।
अल्लाह उनको जन्नत में आला मकाम अता करे ।

भारत के तमाम कलाकार उनको अपना उस्ताद मानते थे, एक इंटरव्यू में उमर शरीफ़ साहब को कहते सुना था कि उनसे अपने हाथ में धागा बंधवाने वालों में गोविंदा, अक्षय कुमार,जानी लीवर जैसे लोग शामिल थे ।

बहुत सारी भारतीय फिल्मों में उमर शरीफ़ के स्टेज ड्रामों के सीन को उमर शरीफ़ की इजाज़त लेकर शामिल किया गया था । बड़े मियां छोटे मियां जैसी फिल्मों में भी कई सीन उनके ड्रामों को रीक्रिएट किया गया था ।

उमर शरीफ़ साहब हम सब आपको हमेशा याद करते रहेंगे और हंसते मुस्कुराते रहेंगे, जैसा आप चाहते थे ।

20/09/2021

बिहार व उत्तर प्रदेश में इस्तंजे के लिए ढेला मुश्किल से मिलेगा,
मगर युवा नेता आराम से मिल जाएगा😊

पहचान कामयाबी की !!💐
19/09/2021

पहचान कामयाबी की !!💐

" #मस्जिदे_नबवीमस्जिदे नबवी 82000 sqare मीटर में बनी दुनिया की सबसे अज़ीम मस्जिदों में से एक है, जिसकी लागत 6 लाख 50000 क...
12/09/2021

" #मस्जिदे_नबवी

मस्जिदे नबवी 82000 sqare मीटर में बनी दुनिया की सबसे अज़ीम मस्जिदों में से एक है, जिसकी लागत 6 लाख 50000 करोड़ ₹ की है, जिसमें 2014 पिलर हैं।

मस्जिद में एक साथ 8 लाख 98000 लोग नमाज़ पढ़ सकते हैं। इस मस्जिद में हर वक़्त दुनिया से आए तक़रीबन 3 लाख लोग मौजूद रहते हैं ।

यहां पानी पीने के लिए रोज़ तकरीबन 20 लाख Disposable Glasses का इस्तेमाल होता है।

मस्जिद की सफाई के लिए 1800 कर्मचारी तैनात है जो 3 शिफ्ट में 24 घंटे सफाई करते हैं।

मस्जिद में तक़रीबन 50000 CCTV कैमरे लगे हुए हैं।जिसकी निगरानी 1 लाख लोग करते हैं।

टॉयलेट की बात की जाए तो तीन मंज़िल नीचे तक तकरीबन 1 लाख लोग एक वक्त में गुसलखाने और टॉयलेट का इस्तेमाल कर सकते हैं, जो दिन में तीन बार साफ होता है।

पार्किंग में एक वक्त में 2 लाख
गाड़ियां खड़ी की जा सकती हैं, जो कि तीन मंज़िल ज़मीन के अंदर तक है।

यहां दुनिया का सबसे बड़ा छाता लगा हुआ है, जो धूप में खुलता और शाम को बंद हो जाता है।

AC की बात की जाए तो मस्जिद में अनगिनत AC लगेI हुए हैं,जो मस्जिद के हर कोने को ठंडा रखते हैं।

माशा अल्लाह"
____________(copypost)__________________

31/08/2021

एक नेक सीरत औरत ने जब अपने बेटे का निकाह क्या तो उसको अकेले में कुछ____ नसीहतें कीं _ जो कि सोने की क़लम से लिखने के क़ाबिल हैं वह नसीहतें क्या थीं? आप भी गौर से पढ़िए!!

ऐ मेरे प्यारे बेटे याद रख----

कोई हमारे खाने का मोहताज नहीं होता फक़ीर भी दो वक़्त की रोटी बा आसानी खा लेता है _

कोई हमारे पैसे का भूखा नहीं होता यह सोचा जाए कि हम ही से सामने वाले का गुज़ारा है _

बीवी र"खे"ल या मुलाजमा नहीं होती कि जो चाहे उसके साथ सुलूक कर लो वह गवारा कर लेगी अल्लाह ने यह क़ानून रखा है कि अगर मर्द औरत की तौहीन पे तौहीन करे तो औरत उस मर्द को छोड़ दे तो उसको कोई गुनाह नहीं _

अगर कोई तुम्हें तुम्हारी बीवी के अयेब बताए तो कुछ करने से पहले बीवी से उस शख्स के बारे में सारा कच्चा चिट्ठा खोल दो किसी को अपनी बीवी से खेलने न दो और न खुद खेलो, वह कोई खिलौना नहीं अल्लाह ने उसको हलाल करके तुम्हारे हवाले करा है वह जब चाहे उसको तुम्हारे ऊपर हराम करके किसी दूसरे के लिए हलाल कर सकता है _

तुम्हारे खराब रवैय्ये को औरत बस उस वक़्त तक बर्दाश्त करती है जब तक वह तुम्हे चाहती है मुहब्बत खत्म होने के बाद वह फौरन रास्ता बदल लेती है यह औरत की फितरत है _

कभी भूले से भी औरत के ऊपर हाथ न उठाना क्योंकि औरत की यह फितरत है कि ऐसा करने से वह अंदर से मर्द की इज्ज़त करना छोड़ देती है_

कभी बीवी को एहसास-ए-कमतरी का शिकार करने के लिए अपने बच्चों को उसके आगे न करना वरना यह बच्चे आगे जाकर तुझे ज़लील करेंगे और तू बस देखता रह जाएगा क्योंकि एक माँ ही बच्चे को सिखाती है कि किसके साथ कैसे बात करनी है, अगर तू अपनी बीवी के साथ अच्छा रवैया रखेगा तो वह उसको तेरे लिए ऐसा ही बना देगी, वरना उलट के लिए तैयार हो जा _

मेरे प्यारे बेटे बआज़ दफा मर्द इसके साथ इंतिहाई सफाकी का सुलूक कर रहा होता है और यह सोच रहा होता है कि अब इसका मेरे सिवा कोई नहीं मैं कुछ भी कर लूं यह कहीं नहीं जा सकती.... उसकी यह सोच बिल्कुल गलत होती है औरत अपने शौहर से मुहब्बत करने वाली होती है वह अपने दिल के हाथों मजबूर होती है अपनी मुहब्बत छुटाए नहीं छुटती लेकिन जिस वक़्त छुट जाती है तो मर्द अगर उसके आगे हाथ बांध कर भी खड़ा हो जाए तो वह नहीं टिकती उसे छोड़ देती है यह ऐसा फैसला होता है जो वह पहली मर्तबा दिमाग़ से करती है _

जब मर्द औरत से न"फ"र"त करने लगता है तो वह पहले दिन ही से भांप लेती है फिर वही बात कि दिल के आगे मजबूर होती है लेकिन रोज़ क़तरा-क़तरा करके उसकी मुहब्बत दिल से निकालने लगती है फिर मर्द ने भी इस शिद्दत से औरत को अपने दिल से न निकाला होगा कि जिस शिद्दत से वह मर्द को अपनी ज़िन्दगी से निकाल देती है

अस्लामौअलइकुम अरब में 40 साल 30 साल तक काम कर कमाने वाले लोग आज घर पर जाकर 6 महीने बैठकर खाने के काबिल नहीं है इन सब के ...
26/08/2021

अस्लामौअलइकुम
अरब में 40 साल 30 साल तक काम कर कमाने वाले लोग
आज घर पर जाकर 6 महीने बैठकर खाने के काबिल नहीं है
इन सब के पीछे हमारे मुआशरे में फैली कुरीतियां और हमारी घरों में खर्चे पर कंट्रोल न होना है
पिछले सवा डेड साल से जिस तरह फ्लाइट बंद और चालु के सामाचार आ रहे हैं उसमें सब से ज्यादा दिलचस्पी हमारे समाज में देखने को मिल रही है
हो भी क्यों न
कई भाई तो तीन तीन साल से विदेश में बैठे हैं
वो इस डर से घर नहीं आ रहे हैं की वापस कैसे जाऊंगा
घर में बैटे या बेटी की शादी करनी है
लेकीन वो शादी अब एक बार नहीं हो सकती क्युं की पिता_भाई घर आ गऐ तो वापस कैसे जाऐंगे
पिछले तिन चार साल में समाज में एक मुहीम चली थी
*फिजूलखर्ची के खिलाफ*
काश वो मुहीम कुछ समय पहले चली होती
तो लोग अपने आप को ज्यादा बङा दिखाने के चक्कर में इस तरह की फिजूलखर्ची को रोकते और आज जिस तरह के हालात बन रहे हैं इस हालात में अपना गुजर-बसर ठीक तरह से कर लेते
कुल मिलाकर बात यही है
की अल्लाह तआला ने सन 1975 के बाद हमारे समाज को बहुत दौलत से नवाजा है
लेकीन हमने दौलत की बचत नहीं करी
आज अरब में होने वाली हर हलचल का असर शिधा हमारे उपर होतां है
अल्लाह तआला हम सब पर रहम फरमाये आमीन
✍️ इलियास अली खान भगासरां

22/08/2021

ये वीडियो अफगानिस्तान का नहीं बल्कि आज इंदौर का है, शिवराज सिंह चौहान के सपनों के मध्यप्रदेश में एक चूड़ी बेंचने वाले मुसलमान का सामान लूट कर सरेआम भीड़ से लिंचिंग करवाई जाती है ।
नरेंद्र मोदी जी क्या यही भारत बनाना चाहते थे आप ?

इन आतंकियों पर कार्यवाही कब होगी, क्या देश का मीडिया एैसे दरिंदों पर डिबेट करवायेगा ?

भेड़ बकरियाँ चरानें वाले मुट्ठी भर पहाड़ी  #तुर्कों के एक तरफ मंगोल का जुल्म था दूसरी तरफ से सलीबी हमलावर थे लेकिन दुनियाँ...
18/08/2021

भेड़ बकरियाँ चरानें वाले मुट्ठी भर पहाड़ी #तुर्कों के एक तरफ मंगोल का जुल्म था दूसरी तरफ से सलीबी हमलावर थे लेकिन दुनियाँ ने देखा है वही भेड़ बकरियां चराने वाले हर हाल में अल्लाह का शुक्र अदा करने वाले आधी दुनिया पर हुकूमत कर गए.... ❗
फ़तह हमें चौदह सौ साल फ़तह मक्का की याद ताज़ा करा दी !!

किसी पर ज़ुल्म नहीं किया जाएगा !!

किसी को क़त्ल नहीं किया जाएगा !!

जो अपने घरों में हैं उन्हें भी आमान दी जाती है !!

जो तलवार न उठाए सबके लिए आमान !!

सब अपने घरों में रहें आम मुआफ़ी का एलान किया जाता है !!

उनहें जाहिल ग्वार कहा गया पत्थर युग का कहा गया उन्हें जदीद तहज़ीब से कोसों दूर कहा गया लेकिन वो अल्लाह हु अकबर के नारों के साथ अपने मक़सद में लगे रहें उन्होनें आमाल का रास्ता अख्तियार किया नबी की सुन्नत को पकड़ा !!

उन्होंने जदीद टेक्नोलॉजी को ख़ुदा मानने वालों को भी यह सोचने पर मजबूर कर दिया के आख़िर अल्लाह हु अकबर का नारा कौन हथियार है जिसके आगे वो ढेर हो गए उनका सारा पावर धरा का धरा रह गया !!

आज यह फ़ातेह ठहराएं गए अल्लाह ने सब कुछ इनके कदमों में डाल दिया !!

यह फ़तह तमाम अमल ए इस्लाम के लिए फ़तह का दिन है यह फ़तह पूरे आलम-ए- इस्लाम के लिए फ़तह मुबीन का दिन है !!

अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त ने पूरी दुनियां में इन इन चंद मुस्लिमो की मदद से ऐलान करवा दिया के हक़ीक़ी बादशाहत हमेशा से सिर्फ़ जब्बार व क़हार ही कि है !!

फ़तह मक्का के पैरोकारों को फ़तह मुबारक हो !!

" सब ताज उछाले जाएंगे
सब तख्त गिराए जाएंगे
बस नाम रहेगा अल्लाह का "

बेशक सुपर पावर सिर्फ अल्लाह है ❤️

तालिबानियों के आतंक से भागते लोग जहाज़ से गिरकर मर गए!,,लेकिन इन ट्रक पर लटकने वालो के पीछे किसकी नाकामी थी ??
18/08/2021

तालिबानियों के आतंक से भागते लोग जहाज़ से गिरकर मर गए!,,

लेकिन इन ट्रक पर लटकने वालो के पीछे किसकी नाकामी थी ??

 #इजरायल और  #फिलिस्तीन के बीच युद्ध के दौरान फलस्तीनी नागरिकों के कत्लेआम की बहुत सी तस्वीरें, वीडियो सामने आई,  #सीरिय...
17/08/2021

#इजरायल और #फिलिस्तीन के बीच युद्ध के दौरान फलस्तीनी नागरिकों के कत्लेआम की बहुत सी तस्वीरें, वीडियो सामने आई,
#सीरिया के बेगुनाहों के कत्लेआम की तस्वीरें सामने आई,
#म्यांमार में #रोहिंग्यायों के कत्लेआम की तस्वीरें सामने आई,
इंसानियत के नाते ही सही किसी भी बुद्धजीवी लिब्रल या कोई भी मीडिया चैनल को इनसे कोई सहानुभूति नही हुई और ना ही कोई चर्चा हुई,
लेकिन मौजूदा हालात में जिस #अफगानिस्तान पर हाय तौबा मचा हुआ है जबकि वहां अभी तक ऐसी कोई ऐसी तस्वीरें भी सामने नही आई है जिसकी पुष्टि हुई हो कि #तालिबान ने मारा है लेकिन फिर भी मीडिया चैनलों में अफगानिस्तान को लेकर बहुत जोरों शोर से विधवा विलाप किया जा रहा है
हमें पता है कि इन्हें
नफरत #तालिबान से नही हमारे मज़हबे #इस्लाम से है..!

कुछ लोग तालिबान की तुलना संघ से कर रहे हैं ,उन्हें समझना चाहिए के तालिबान अपने मुल्क पर हुए नाजायज क़ब्जे के खिलाफ लड़ र...
17/08/2021

कुछ लोग तालिबान की तुलना संघ से कर रहे हैं ,उन्हें समझना चाहिए के तालिबान अपने मुल्क पर हुए नाजायज क़ब्जे के खिलाफ लड़ रहे थे,ये उनकी आज़ादी और अस्मिता की लड़ाई थी मगर संघ कौन सी लड़ाई लड़ रहा है किस देश के खिलाफ? किसने भारत पर क़ब्जा किया हुआ है ? बजरंग दल या फिर दूसरे आतंकी संगठन किस से लड़ रहे हैं?
अपने लोगों से? गरीब कमज़ोर मुसलमानों से ? ये जंग है या ज़ुल्म ?
तालिबान और संघ का ट्रीटमेंट बिल्कुल अलग अलग है,तालिबान अपने दुश्मन से अमने सामने लड़ता है ,गोली का जवाब गोली ,,मगर संघ अपने ही देश की एक community की जड़ें काट रहा है,उनसे नौकरियां छीनी जा रही हैं,उनके व्यापार पर क़ब्जा हो रहा है,उनको फौज से पुलिस से और प्रशासन से gradully बेदखल किया जा रहा है, सरे आम रास्तों पर क़त्ल किया जा रहा है , ज़बरदस्ती जय श्री राम के नारे लगवाए जा रहे हैं ।
तालिबान ऐसा नहीं करते,,,अगर आप उनके दुश्मन हैं तो पहले लड़ाई के लिए ललकारते हैं ,फिर लड़ते हैं,मरते हैं मारते हैं,आप उन्हें हिंसक कह सकते हैं लेकिन वो एक उसूल पर चलते हैं,जिसमें छल कपट,झूठ फरेब की गुंजाइश नहीं,सुखी रोटी खाकर अमेरिका से वही लड़ सकते हैं संघी नहीं,,
संघ planing और proxy war करता है जबकि तालिबान battle field warrior हैं।।
अल्लाह उन्हें सद्बुद्धि दें ताकि वो अमन के लिए काम कर सकें ,देश में शांति स्थापित हो सके ।। औरतें, बच्चे सुरक्षित हों,,,
अमन सब के हित में है और बेहतर तर्ज़ ए ज़िन्दगी है !!
परमेश्वर से प्रार्थना है कि संघ को भी सन्मति दें ताकि वो घृणा की नीति त्याग कर प्रेम और अहिंसा का मार्ग अपनाए !!
® Sohail Ahmed

17/08/2021

हर हर और घर घर करनेवालों अपने पुरखों का शुक्रिया करो जो उन्होंने धार्मिक उन्मादियों की जगह गांधी और नेहरू को चुना!
वर्ना आज तुम भी किसी हवाई जहाज से लटकने के लिए दौड रहे होते!

Assalamu alaikum अरब में 40 साल 30 साल तक काम कर कमाने वाले लोग आज घर पर जाकर 6 महीने बैठकर खाने के काबिल नहीं है इन सब ...
04/08/2021

Assalamu alaikum
अरब में 40 साल 30 साल तक काम कर कमाने वाले लोग
आज घर पर जाकर 6 महीने बैठकर खाने के काबिल नहीं है
इन सब के पीछे हमारे मुआशरे में फैली कुरीतियां और हमारी घरों में खर्चे पर कंट्रोल न होना है
पिछले सवा डेड साल से जिस तरह फ्लाइट बंद और चालु के सामाचार आ रहे हैं उसमें सब से ज्यादा दिलचस्पी हमारे समाज में देखने को मिल रही है
हो भी क्यों न
कई भाई तो तीन तीन साल से विदेश में बैठे हैं
वो इस डर से घर नहीं आ रहे हैं की वापस कैसे जाऊंगा
घर में बैटे या बेटी की शादी करनी है
लेकीन वो शादी अब एक बार नहीं हो सकती क्युं की पिता_भाई घर आ गऐ तो वापस कैसे जाऐंगे
पिछले तिन चार साल में समाज में एक मुहीम चली थी
*फिजूलखर्ची के खिलाफ*
काश वो मुहीम कुछ समय पहले चली होती
तो लोग अपने आप को ज्यादा बङा दिखाने के चक्कर में इस तरह की फिजूलखर्ची को रोकते और आज जिस तरह के हालात बन रहे हैं इस हालात में अपना गुजर-बसर ठीक तरह से कर लेते
कुल मिलाकर बात यही है
की अल्लाह तआला ने सन 1975 के बाद हमारे समाज को बहुत दौलत से नवाजा है
लेकीन हमने दौलत की बचत नहीं करी
आज अरब में होने वाली हर हलचल का असर शिधा हमारे उपर होतां है
अल्लाह तआला हम सब पर रहम फरमाये आमीन
✍️इलियास अली खान भगासरां

 ें_डूबा_तुर्की, जंगल से शहरों तक पहुँची आग हमे लगता है ये आग इस्लाम दुश्मनों के ज़रिये लगाई गई है ताकि तुर्की को कमजोर ...
01/08/2021

ें_डूबा_तुर्की,
जंगल से शहरों तक पहुँची आग हमे लगता है ये आग इस्लाम दुश्मनों के ज़रिये लगाई गई है ताकि तुर्की को कमजोर किया जा सके🙄जब से तुर्की और अज़रबैजान ने मिलकर #आर्मीनिया को हराया है तब से इस्लाम दुशमनो की नजर मे तुर्की कुछ ज़्यादा ही खटक रहा है.दूसरी बात #ड्रोन के मामले मे तुर्की ने अमरीका और इसराइल तक को पछाड़ दिया है👍जब भी कहीं मुस्लिमो पर ज़ुल्म होता है तो सबसे पहले तुर्की खुलकर मुसलमानों के लिए आवाज़ उठाता है😍लाखो #रोहंग्यॉ मुसलमानों को तुर्की ने अपने मुलक मे पनाह दी👍करीब दस लाख रोहंगियॉ मुसलमान जो बांग्लादेश मे रहते है उनका तमाम खर्च तुरकी उठाता है.फ़िलिस्तीन से लेकर हिंदुस्तान के मुसलमानो तक के लिए तुर्की खुलकर आवाज़ बुलंद करता है इसलिए तुरकी तमाम #इस्लाम दुशमनो की हिट लिस्ट मे है🙄या अल्लाह🤲तुर्की और वहा रहने वाले तमाम लोगों की हिफ़ाज़त फ़रमा आमीन🤲

27/07/2021

800 वर्षो से ऊपर क़ुतुब मीनार खड़े-खड़े अपनी ईमानदारी का सबूत दे रहा है

ओर 3000 करोड़ की मूर्ति एक बारिश में रेनकोट मांगने लगी
😆😂

वो कैसी औरतें थीं...जो गीली लकड़ियों को फूंक कर चूल्हा जलाती थींजो सिल पर सुर्ख़ मिर्चें पीस कर सालन पकाती थींसुबह से शा...
27/07/2021

वो कैसी औरतें थीं...

जो गीली लकड़ियों को फूंक कर चूल्हा जलाती थीं
जो सिल पर सुर्ख़ मिर्चें पीस कर सालन पकाती थीं

सुबह से शाम तक मसरूफ़, लेकिन मुस्कुराती थीं
भरी दोपहर में सर अपना ढक कर मिलने आती थीं

जो दरवाज़े पे रुक कर देर तक रस्में निभाती थीं
पलंगों पर नफ़ासत से दरी-चादर बिछाती थीं

बसद इसरार मेहमानों को सिरहाने बिठाती थीं
अगर गर्मी ज़्यादा हो तो रुहआफ्ज़ा पिलाती थीं

जो अपनी बेटियों को स्वेटर बुनना सिखाती थीं
जो "क़लमे" काढ़ कर लकड़ी के फ्रेमों में सजाती थीं

दुआएं फूंक कर बच्चों को बिस्तर पर सुलाती थीं
अपनी जा-नमाज़ें मोड़ कर तकिया लगाती थीं

कोई साईल जो दस्तक दे, उसे खाना खिलाती थीं
पड़ोसन मांग ले कुछ तो बा-ख़ुशी देती-दिलाती थीं

जो रिश्तों को बरतने के कई गुर सिखाती थीं
मुहल्ले में कोई मर जाए तो आँसू बहाती थीं

कोई बीमार पड़ जाए तो उसके पास जाती थीं
कोई त्योहार पड़ जाए तो ख़ूब मिलजुल कर मनाती थीं

वह क्या दिन थे किसी भी दोस्त के हम घर जो जाते थे
तो उसकी माँ उसे जो देतीं वह हमको खिलाती थीं

मुहल्ले में किसी के घर अगर शादी की महफ़िल हो
तो उसके घर के मेहमानों को अपने घर सुलाती थीं

मैं जब गांव अपने जाता हूँ तो फ़ुर्सत के ज़मानों में
उन्हें ही ढूंढता फिरता हूं, गलियों और मकानों में

मगर अपना ज़माना साथ लेकर खो गईं हैं वो
किसी एक क़ब्र में सारी की सारी सो गईं हैं वो...।

😔

अलविदा दिलीप साहब inna lillahi va inna alaihi rajioon
07/07/2021

अलविदा दिलीप साहब
inna lillahi va inna alaihi rajioon

28/06/2021

भारतीय टीम की जबरदस्त बल्लेबाजी ओपनर बल्लेबाज पेट्रोल सिंह 103 रन बनाकर नाबाद खेल रहे है, जबकि दूसरे छोर पर डीजल गुप्ता भी अपने शतक से मात्र 6 रन दूर है, टेस्ट मैच में भी भारतीय बल्लेबाजों का शानदार प्रदर्शन जारी हैं सरसों तेल ने दोहरा शतक जड़ दिया है, साथ में ओपनिंग कर रहे बल्लेबाज सोयाबीन तेल अपने निजी स्कोर 180 रन पर नाबाद खेल रहे हैं और दोहरे शतक से मात्र 20 रन दूर है जबकि गैस सिलेंडर ने 1000 रन पूरा कर लिया हैं।।लेकिन दयाअधीन जी( DA) 17 के स्कोर पर चोटिल हो कर मैदान से बाहर चले गये हैं मैदान में दुबारा आने के लिए सरकारी कर्मचारी टक टकी लगाये हुए हैं ।लेकिन अभी भी संसय बरकरार है ।देखना है आते हैं की नहीं ।।

21/06/2021

अविश्वसनीय और चौंकाने वाली जानकारी अवश्य पढ़ें।

डीडी पोधिगई ने श्री पी एम नायर (सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी, जो डॉ अब्दुल कलाम सर के राष्ट्रपति थे, के सचिव थे) के साथ एक साक्षात्कार का प्रसारण किया।

मैं उन बिंदुओं को संक्षेप में प्रस्तुत करता हूं जो उन्होंने भावनाओं से घुटी हुई आवाज में बोले थे।

श्री नायर ने *"कलाम प्रभाव"* नामक पुस्तक लिखी

1. डॉ कलाम जब भी विदेश जाते थे तो उन्हें महंगे उपहार मिलते थे क्योंकि कई देशों में यह प्रथा है कि वे आने वाले राष्ट्राध्यक्षों को उपहार देते हैं।

उपहार से इंकार करना राष्ट्र का अपमान और भारत के लिए शर्मिंदगी बन जाएगा।

इसलिए, उन्होंने उन्हें प्राप्त किया और उनकी वापसी पर, डॉ कलाम ने उपहारों को फोटो खिंचवाने और फिर सूचीबद्ध करने और अभिलेखागार को सौंपने के लिए कहा।

इसके बाद उन्होंने कभी उनकी ओर देखा तक नहीं। राष्ट्रपति भवन से निकलने पर मिले उपहारों में से उन्होंने एक पेंसिल भी नहीं ली।

2. 2002 में, जिस साल डॉ कलाम ने पदभार संभाला था, रमजान का महीना जुलाई-अगस्त में आया था।

राष्ट्रपति के लिए इफ्तार पार्टी की मेजबानी करना एक नियमित प्रथा थी।

डॉ कलाम ने श्री नायर से पूछा कि उन्हें उन लोगों के लिए एक पार्टी की मेजबानी क्यों करनी चाहिए जो पहले से ही अच्छी तरह से खिलाए गए हैं और उनसे यह पता लगाने के लिए कहा कि इसकी लागत कितनी होगी।

श्री नायर ने बताया कि इसकी लागत लगभग रु. 22 लाख।

डॉ कलाम ने उनसे उस राशि को कुछ चुनिंदा अनाथालयों को भोजन, कपड़े और कंबल के रूप में दान करने के लिए कहा।

अनाथालयों का चयन राष्ट्रपति भवन में एक टीम पर छोड़ दिया गया था और इसमें डॉ कलाम की कोई भूमिका नहीं थी।

चयन होने के बाद, डॉ कलाम ने श्री नायर को अपने कमरे के अंदर आने के लिए कहा और उन्हें 1 लाख रुपये का चेक दिया।

उन्होंने कहा कि वह अपनी निजी बचत से कुछ राशि दे रहे हैं और इसकी जानकारी किसी को नहीं देनी चाहिए।

मिस्टर नायर इतने चौंक गए कि उन्होंने कहा, "सर, मैं बाहर जाकर सबको बता दूंगा। लोगों को पता होना चाहिए कि यहां एक आदमी है जिसने न केवल वह दान किया जो उसे खर्च करना चाहिए था बल्कि वह अपना पैसा भी दे रहा है"।

डॉ कलाम हालांकि एक धर्मनिष्ठ मुसलमान थे, उन वर्षों में इफ्तार पार्टियां नहीं हुई थीं, जिनमें वे राष्ट्रपति थे।

3. डॉ कलाम को "यस सर" प्रकार के लोग पसंद नहीं थे।

एक बार जब भारत के मुख्य न्यायाधीश आए थे और किसी बिंदु पर डॉ कलाम ने अपना विचार व्यक्त किया और श्री नायर से पूछा,
"क्या आप सहमत हैं?" श्री नायर ने कहा "

नहीं सर, मैं आपकी बात से सहमत नहीं हूं।"
मुख्य न्यायाधीश चौंक गए और अपने कानों पर विश्वास नहीं कर सके।

एक सिविल सेवक के लिए राष्ट्रपति से असहमत होना असंभव था और वह भी इतने खुले तौर पर।

श्री नायर ने उनसे कहा कि राष्ट्रपति बाद में उनसे सवाल करेंगे कि वे असहमत क्यों थे और यदि कारण तार्किक 99% था तो वे अपना विचार बदल देंगे।

4. डॉ कलाम ने अपने 50 रिश्तेदारों को दिल्ली आने के लिए आमंत्रित किया और वे सभी राष्ट्रपति भवन में रहे।

उसने उनके लिए शहर के चारों ओर जाने के लिए एक बस का आयोजन किया जिसका भुगतान उसके द्वारा किया गया था।

कोई आधिकारिक कार इस्तेमाल नहीं की गई थी। डॉ कलाम के निर्देश के अनुसार उनके ठहरने और खाने की सारी गणना की गई और बिल 2 लाख रुपये आया, जिसका उन्होंने भुगतान किया।

इस देश के इतिहास में किसी ने ऐसा नहीं किया है।

अब, चरमोत्कर्ष की प्रतीक्षा करें, डॉ कलाम के बड़े भाई पूरे एक सप्ताह तक उनके साथ उनके कमरे में रहे क्योंकि डॉ कलाम चाहते थे कि उनका भाई उनके साथ रहे।

जब वे चले गए तो डॉ कलाम उस कमरे का भी किराया देना चाहते थे।

कल्पना कीजिए कि एक देश का राष्ट्रपति उस कमरे का किराया दे रहा है जिसमें वह रह रहा है।

यह किसी भी तरह से कर्मचारियों द्वारा सहमत नहीं था, जिन्होंने सोचा था कि ईमानदारी को संभालने के लिए बहुत अधिक हो रहा था !!!।

5. जब कलाम सर को अपने कार्यकाल के अंत में राष्ट्रपति भवन छोड़ना था, तो स्टाफ का हर सदस्य उनके पास गया और उनसे मुलाकात की और उन्हें पुष्प गुच्छ भेंट किया।

मिस्टर नायर अकेले उनके पास गए क्योंकि उनकी पत्नी का पैर टूट गया था और वह बिस्तर तक ही सीमित थीं। डॉ कलाम ने पूछा कि उनकी पत्नी क्यों नहीं आई। उसने जवाब दिया कि वह एक दुर्घटना के कारण बिस्तर पर थी।

अगले दिन, श्री नायर ने अपने घर के आसपास बहुत सारे पुलिसकर्मियों को देखा और पूछा कि क्या हुआ था।

उन्होंने कहा कि भारत के राष्ट्रपति उनसे मिलने उनके घर आ रहे हैं. वह आया और अपनी पत्नी से मिला और कुछ देर बातें की।

श्री नायर का कहना है कि किसी भी देश का कोई भी राष्ट्रपति किसी सिविल सेवक के घर नहीं जाएगा और वह भी इतने साधारण बहाने से।

मैंने सोचा कि मुझे विवरण देना चाहिए क्योंकि आप में से कई लोगों ने प्रसारण नहीं देखा होगा और इसलिए यह उपयोगी हो सकता है।

एपीजे अब्दुल कलाम का छोटा भाई छाता मरम्मत की दुकान चलाता है।

जब श्री नायर कलाम के अंतिम संस्कार के दौरान उनसे मिले, तो उन्होंने श्री नायर और भाई दोनों के सम्मान में उनके पैर छुए।

इस तरह की जानकारी को सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से साझा किया जाना चाहिए क्योंकि मुख्यधारा का मीडिया इसे नहीं दिखाएगा क्योंकि यह तथाकथित जीबी टीआरपी नहीं रखता है।

*डॉ.ए.पी.जे.अब्दुल कलाम द्वारा छोड़ी गई संपत्ति का अनुमान लगाया गया था।*
_
उसका है
6 पैंट (2 DRDO वर्दी)
4 शर्ट (2 DRDO वर्दी)
3 सूट (1 पश्चिमी, 2 भारतीय)
2500 पुस्तकें
1 फ्लैट (जो उसने दान किया है)
१ पद्मश्री
१ पद्मभूषण
१ भारत रत्न
16 डॉक्टरेट
1 वेबसाइट
1 ट्विटर अकाउंट
1 ईमेल आईडी

उसके पास कोई टीवी, एसी, कार, आभूषण, शेयर, जमीन या बैंक बैलेंस नहीं था।

यहां तक ​​कि उन्होंने पिछले 8 साल की पेंशन भी अपने गांव के विकास के लिए दान कर दी थी.
vh
वे एक सच्चे देशभक्त और सच्चे भारतीय थे

भारत सदैव आपका आभारी रहेगा सर।

*सुनिश्चित करें कि आपके सभी दोस्त और प्रियजन इसे बिना असफल हुए पढ़ें*

20/06/2021

#जनसंख्या_नियंत्रण_कानून

मेरे गांव की आबादी लगभग 2500 है पूरे गांव में दो या तीन सरकारी नौकर हैं बाकी लोग मुंबई गुजरात और खाड़ी देशों में रहकर अपना जीविकोपार्जन करते हैं।

100 प्रतिशत पक्के घर हैं, हर घर में बाइक है माशाल्लाह अच्छा खाते पीते हैं मतलब अगर सरकार ये कानून लाती है कि दो बच्चों से ज्यादा वालों को सरकारी नौकरी नहीं दी जाएगी तो मेरे गांव के लोगों को कुछ भी फर्क नहीं पड़ने वाला।

लगभग यही पोजीशन पूरे देश के मुसलमानों का है एक से दो प्रतिशत लोग सरकारी नौकरी में हैं बाकी सब स्वरोजगार से अपना जीवन यापन कर रहे हैं।

जनसंख्या नियंत्रण कानून का असर तो खासकर दलितों और पिछड़ों पर पड़ेगा क्योंकि अस्सी प्रतिशत दलितों और पिछड़ों के भी दो से ज्यादा बच्चे होते हैं इस तरह दलित और पिछड़े अपने आप आरक्षण से मुक्त हो जाएंगे।

मेरा मानना है कि जनसंख्या नियंत्रण कानून भी सरकार का हिंदुओं को भटकाने का एक नायाब तरीका है इसमें मुसलमानों को ज्यादा लोड लेने की जरूरत नहीं है।

इस कानून से भी देश को उतना ही लाभ होगा जितना नोटबंदी से हुआ था।

عشق عشق کی بات ہے کہیں معصوم بچے گھسٹتے ہوۓ قبلۂ اول تک پہنچ جاتے ہیں اور کہیں رات دیر تک ارتغرل غازی دیکھنے والے نمازِ ...
19/06/2021

عشق عشق کی بات ہے کہیں معصوم بچے گھسٹتے ہوۓ قبلۂ اول تک پہنچ جاتے ہیں اور کہیں رات دیر تک ارتغرل غازی دیکھنے والے نمازِ فجر کے وقت میٹھی نیند سویے ہوتے ہیں

کہیں گولیوں کی بوچھار میں عشق کے سجدے ادا ہوتے ہیں اور کہیں ایسی (Ac) کی کولینگ میں امام کے رکوع کا انتظار ہوتا ہے

کہیں بیسیوں ہتھیار بند ظالموں کے بیچ کے نعرے لگاۓ جاتے ہیں اور کہیں حکومت کے ایک اشارے پر اذان کے مائک بند کر دیے جاتے ہیں

کہیں چھوٹے بچے شہید شہید کھیلتے ہیں اور کہیں بچوں کو PUBG کا عادی بنایا جاتا ہے.

رب کریم ہماری قوم کے بچوں کو اسلامی اقدار سے آشنا کرا کر ان کی زندگی خدمت اسلام کے لئے قبول فرما آمین ثم آمین یارب العالمین

संप्रभुता....यही तो पूंजी है एक स्वतंत्र देश की तथा इसकी हिफाजत तथा इसका समर्पण यही हमारे देश की राजनीति को मथता रहा है।...
07/06/2021

संप्रभुता....

यही तो पूंजी है एक स्वतंत्र देश की तथा इसकी हिफाजत तथा इसका समर्पण यही हमारे देश की राजनीति को मथता रहा है। अफसोस इस देश के नागरिकों का चिंतन अभीतक इतना परिपक्व नहीं हो पाया है जो इन बातों को समझ सके और उस आधार पर निर्णय ले सके।

हमारे पड़ोस के एक ताकतवर मित्र जो मोहल्ले के नाते विवशता मे हमारा सबंधी है, हम उसकी दो चार बातें तो मान सकते हैं जिसमें हमारा फायदा हो किंतु हम खुदमुख्तार उसके दिशा निर्देशन मे अपना घर तो नहीं चलायेंगे।

बस कांग्रेस और गांधी परिवार की यही विशेषता है कि उसने संप्रभुता जीती है कुरबानियां देकर तथा उसका मोल वो समझती है तथा उसके रहते भारत की संप्रभुता की तरफ कोई आंख नहीं उठा पाया।

आखिर क्या कारण है कि गांधी परिवार पर एक परंपरा के तहत चोट की जाती है और ऐसे कुतर्क दिये जाते हैं कि आखिर एक ही परिवार सत्ता पर क्यों काबिज रहे। हमको क्या अगर सब कुछ देश में सही चलता रहे फिर चाहे कोई शासन मे रहे। हमारी परंपरागत कहावत रही है कि"कोऊ नृप होये हमय का हानी"।

दरअसल गांधी परिवार पर चोट एक वैश्विक साजिश है। इंदिरा ने निक्सन के सामने झुकने से मना कर दिया तो जंग शुरू हो गयी "इंदिरा हटाओ" तथा मामला कहां तक कैसे पहुंचा लिखने की आवश्यकता नहीं तथा आखिर में इंदिरा जी बलिदान हो गयीं।
राजीव गांधी जी ने साफ और खुला एतराज करके चंद्रशेखर की सरकार से समर्थन वापस ले लिया जब खाड़ी युद्ध के दौरान हमारे मित्र इराक के ऊपर बमबारी करने के लिए बंबई मे अमरीकी जहाजों को पेट्रोल दिया गया तथा पूर्व में रीगन और राजीव की खटपट जगजाहिर है। राजीव जी बलिदान हो गये क्योंकि दक्षिण एशिया मे भारत का दबदबा सबसे ज्यादा राजीव जी के नेतृत्व मे भारत ने कायम किया तथा पं नेहरू के गुट निरपेक्ष की तरह सार्क बनाकर वो हीरो तथा क्षेत्रीय ताकत बने,आज सार्क कहां है। विश्व के व्यक्तिगत संप्रभुता की दुश्मन शार्क मछली गुलामों के जरिये सार्क को निगल गयी।

सोनिया जी के विरूद्ध गंदे हमले तथा उनकी काल्पनिक दौलत का आकलन भारत का मूर्ख जनमानस अमूमन किया करता है।
राहुल गांधी जी के विरूद्ध एजेंडा अरबों की दौलत खर्च करके चलाया जाता है जिसका आधार क्या है और निराधार बातों पर भारत की जनता आत्महत्या कर चुकी है।

गांधी परिवार के विरूद्ध मात्र लंबे समय तक सत्ता मे रहने के कारण काफी दौलत पैदा करने के अनुमान मे जीने वाला एक मूर्खमंडल मोदी की विलासी राजनीति जैसे पीएम आवास मे किसानों की उपेक्षा करके वीडियो बनवाना,सी प्लेन नुमायश, जिम कार्बेट यात्रा इत्यादि पर खामोश रहता है। कभी इंदिरा जी तथा राजीव जी को पीएम रहते आपने ऐसा कभी करते देखा?

सोनिया जी ने राहुल से कहा था कि सत्ता जहर है और गांधी परिवार ने देश की संप्रभुता की रक्षा करने के लिए वो जहर पिया है जो संप्रभुता आज न्यू वर्ल्ड आर्डर के तहत गिरवीं है।
इंदिरा जी की हत्या के बाद एम्स के कमरे में राजीव जी के पीएम बनने से खिन्न सोनिया जी ने कहा कि वो तुम्हे भी मार डालेंगे तो राजीव गांधी ने कहा कि वो तो मै जानता हूँ तथा शाम को उन्होंने वो जहर का प्याला मुह से लगा लिया जिसके असर से मात्र सात साल बाद.वो हमें छोड़कर चले गये।

गांधी परिवार के लिये सत्ता काजू की रोटी और गुच्ची मशरुम का भोजन नहीं बल्कि देश की आन,बान और शान तथा संप्रभुता की रक्षा के लिये बलिदान की शपथ है।

क्योंकि उनका मानना है,
हमने सदियों में ये आजादी की नेमत पायी है,
कितने वीरानों से गुजरे हैं तो जन्नत पायी है,
खाक में हम अपनी इज्जत को मिला सकते नहीं,
अपनी आजादी को हम हरगिज मिटा सकते नहीं।
जय हो। *पागल वरूण* की वाल से काॅपी

दो कौड़ी के लोग नेता तो बन जाते हैं लेकिन इतिहास उन्हें मालूम नहीं होता। क्या आपको मालूम है कि जिस दिन जम्मू कश्मीर से 4 ...
05/06/2021

दो कौड़ी के लोग नेता तो बन जाते हैं लेकिन इतिहास उन्हें मालूम नहीं होता। क्या आपको मालूम है कि जिस दिन जम्मू कश्मीर से 4 लाख से. अधिक हिन्दुओं को भगाया गया वह तारीख थी 19 जनवरी 1990, उस दिन केंद्र में विश्वनाथ प्रताप सिंह प्रधानमंत्री थे, जनता दल गठबंधन की सरकार थी। असली राष्ट्रवादी बीजेपी के समर्थन से सरकार बनी थी और चल रही थी।
उस समय अलगाववादी नेता मुफ़्ती मुहम्मद सईद देश के गृहमंत्री थे जिनकी बेटी महबूबा मुफ़्ती हैं। उस समय जम्मू कश्मीर के राज्यपाल बीजेपी नेता जगमोहन थे। उस समय वहां राज्यपाल शासन था जो कि केंद्र सरकार के अधीन होता है।
अब जरा आप गौर कीजिए कि जम्मू कश्मीर से हिन्दुओं को भगाए जाने का आरोप किस पर लगता है..
कांग्रेस पर क्यो...?
लेकिन सरकार किसकी थी..?
राज्यपाल किसका था.....?
एक्शन किसको लेना था..?
किसकी जिम्मेदारी थी....?
हिन्दुओं को सुरक्षा देना किस सरकार की जिम्मेदारी थी....? फिर भी अगर कोई इसका आरोप कांग्रेस पर ही लगाए तो समझ लें कि वह जानबूझ कर अंजान है या पब्लिक को बेवकूफ बना रहा हे ।
यह तस्वीर दीखिये यहाँ सब कुछ बया कर रही है..

03/06/2021

सुप्रीम कोर्ट के जज रहे अरुण मिश्रा को अब राष्ट्रीय मानवाधिकार का अध्यक्ष बना दिया गया है, जिसपर सोशल मीडिया

केन्या द्वारा भेजे गए 12 टन अनाज पर सोशल मीडिया में केन्या को "भिखारी, भिखमंगा, गरीब" आदि आदि कहा जा रहा है।आपने अमरीका ...
31/05/2021

केन्या द्वारा भेजे गए 12 टन अनाज पर सोशल मीडिया में केन्या को "भिखारी, भिखमंगा, गरीब" आदि आदि कहा जा रहा है।

आपने अमरीका का नाम सुना होगा, मैनहैटन का भी, वर्ल्ड ट्रेड सेंटर का भी और ओसामा बिन लादेन का भी। जो ज़्यादातर लोगों ने नहीं सुना होगा वो है

इनोसाईन गाँव' जो पड़ता है केन्या और तंजानिया के बॉर्डर पर और यहाँ की लोकल जनजाति है #मसाई ।

अमेरिका पर हुए 9/11 के हमले की ख़बर मसाई लोगों तक पहुचने में कई महीने लग गए। ये ख़बर उन तक तब पहुँची जब उनके गाँव के पास के ही कस्बे में रहने वाली, स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी की मेडिकल स्टूडेंट किमेली नाओमा छुट्टियों में वापस केन्या आयी और वहाँ की लोकल जनजाति मसाई को 9/11 का आंखों देखा हाल सुनाया।

कोई बिल्डिंग इतनी ऊंची हो सकती है कि वहाँ से गिरने पर जान चली जाए, झोपड़ी में रहने वाले मसाई लोगों के लिए ये बात अविश्वसनीय थी मगर फिर भी उन लोगों ने अमरीकियों के दुःख को महसूस किया और उसी मेडिकल स्टूडेंट के माध्यम से केन्या की राजधानी नैरोबी में अमेरिकी दूतावास के डिप्टी चीफ़ विलियम ब्रांगिक को एक पत्र भिजवाया जिसे पढ़ने के बाद विलियम ब्रांगिक ने पहले हवाई जहाज का सफर किया, उसके बाद कई मील तक टूटी फूटी सड़क पर कठिनाई का रास्ता पर करते हुए मसाई जनजाति के गाँव पहुँचे।

गाँव पहुँचने पर मसाई जनजाति के लोग इक्कट्ठा हुए और एक कतार में 14 गायें ले कर अमरीकी दूतावास के डिप्टी चीफ़ के पास पहुँचे। मसाईयों के एक बुज़ुर्ग ने गायों से बंधी रस्सी डिप्टी चीफ़ के हांथों पे पकड़ाते हुए एक तख़्ती की तरफ इशारा कर दिया। जानते हैं उस तख़्ती पर क्या लिखा था? लिखा था- "इस दुःख की घड़ी में अमरीका के लोगों की मदद के लिए हम ये गायें उन्हें दान कर रहे हैं"। जी हाँ, उस पत्र को पढ़ कर दुनियाँ के सबसे ताकतवर और समृद्धि देश का राजदूत सैकड़ो मील चल कर चौदह गायों का दान लेने आया था।

गायों के ट्रांसपोर्ट की कठिनाई और कानूनी बाध्यता के कारण गायें तो नहीं जा पायीं मगर उनको बेंचकर एक मसाई आभूषण ख़रीद कर 9/11 मेमोरियल म्यूजियम में रखने की पेशकश की गई। जब ये बात अमरीका के आम नागरिकों तक पहुँची तो पता है क्या हुआ? उन्होंने आभूषण की जगह गाय लेने की ज़िद्द कर दी। ऑनलाइन पिटीशन साइन किये गए की उन्हें आभूषण नहीं गाय ही चाहिए, अधिकारियों को ईमेल लिखे गए, नेताओं से बात की गई और करोड़ों अमरीका वासियों ने मसाई जनजाति और केन्या के लोगों को इस अभूतपूर्व प्रेम के लिए कृतज्ञ भाव से धन्यवाद दिया, उनका अभिनंदन किया।

12 टन अनाज को सहर्ष स्वीकार करिये।( और निक्कमे को कोसिए की वो ये नौबत ला चुका है।) दान नहीं, दानी का हृदय देखिये, कंकड़ नहीं, कंकड़ उठा कर सेतु में लगाने वाली गिलहरी की श्रद्धा देखिये।

साभार समर प्रताप की वॉल से

28/05/2021

🗡 #फिलस्तीन🗡 #इसराईल🗡

अरबों की इस्राइल के लिए की जा रही डिप्लोमेटिक घेराबंदी ज़बरदस्त काम कर रही है OIC ने UNHRC में इस्राइल हमास 11 दिनी जंग पर इस्राइल के युद्ध अपराधों पर जांच आयोग भेजने का रिजॉल्यूशन पास करा लिया है। इस रिजॉल्यूशन पर नेतनयाहू बुरी तरह बिफरा हुआ है मज़े की बात ये है कि अमेरिका भी इस्राइल के किसी काम नहीं आ सका। अब UN का जांच आयोग इस्राइल फिलीस्तीन जाकर सारे मामले की वजह, इस्राइली सेटलमेंट और इस्राइल के भेदभाव वाले लैंड कानूनों का गहराई से मुताला करेगा।

UNHRC में फिलहाल 47 देश हैं अमेरिका को ट्रंप सरकार ने UNHRC से पहले ही बाहर निकाल लिया था। इस प्रस्ताव पर भारत के साथ 13 और देश मतदान से बाहर रहे। 24 देशों ने प्रस्ताव का समर्थन किया और 9 देशों ने इसराइल का साथ दिया। भारत ने 27 मई को यूएनएचआरसी में वही बात कही जो पिछले कई बयानों में कही गई है- भारत फ़लस्तीनियों के मुद्दों के साथ खड़ा है।

वोटिंग से बाहर रहने वाले देश हैं- भारत, फ़्रांस, इटली, जापान, नेपाल, नीदरलैंड्स, पोलैंड, दक्षिण कोरिया, फिजी, बहमास, ब्राज़ील, डेनमार्क, टोगो और यूक्रेन.

इसराइल के ख़िलाफ़ वोट करने वाले अहम देश हैं- चीन, रूस, पाकिस्तान, बांग्लादेश, फिलीपींस, अर्जेंटीना, बहरीन, क्यूबा, इंडोनेशिया, लीबिया, मेक्सीको, नामीबिया, उज़बेकिस्तान, सोमालिया और सूडान.

इसराइल के साथ देने वाले देश हैं- ऑस्ट्रिया, बुल्गारिया, कैमरून, चेक रिपब्लिक, जर्मनी, मलावी, मार्शऑल आईलैंड्स, ब्रिटेन और उरुग्वे.

सोर्स - BBC News हिन्दी

(कापी✔ मौहम्मद शाहीन साहब की वाल से)

24/05/2021

खान सर इज़ दी मेल वर्जन ऑफ कंगना रानावत, ज्यादा भाव देने की जरूरत नही है...
RSS agent urf Amit kr.Singh patna wale.

23/05/2021

सिस्टम अगर “आंसू” की जगह “पसीना” बहाता तो कितनों की जान बच जाती!
🤔🤔

आज शेर शाह सूरी की बरसी है, अमूमन हम किसी की बरसी पर उनकी अच्छाइयों को याद करते है, शेर शाह सूरी ने सिर्फ़ पाँच साल, पाँच...
23/05/2021

आज शेर शाह सूरी की बरसी है, अमूमन हम किसी की बरसी पर उनकी अच्छाइयों को याद करते है,
शेर शाह सूरी ने सिर्फ़ पाँच साल, पाँच दिन राज किया था, इस बीच वो 31 महीने युद्ध की वजह से राजधानी दिल्ली से दूर रहे थे। इसके बाद भी, उन्होंने सिर्फ़ 5 सालों में जो कर दिखाया, वो आज भी किसी रिकॉर्ड से कम नहीं है।

उन्होंने, पूरे राज्य में ज़मीन के सर्वे और मपाई का सिस्टम शुरू किया। खेती की ज़मीन को नापने के लिए 39 इंच के लोहे की छड़ का स्टैंडर्ड तय किया, जिसे गज़ कहा गया। (सिकंदर गज़ नाम की इस छड़ का सिस्टम आज तक इस्तेमाल होता है) ज़मीन की ख़रीद बिक्री के लिए पट्टा सिस्टम लागू किया।

उनकी डाक व्यवस्था आज भी मिसाल है

उन्होंने, रुपया का सिस्टम शुरू किया, जो 178 रत्ती, चाँदी का सिक्का था। एक रुपया 64 दाम का था। इसी दाम को बाद में ‘आना’ कहा गया, भारत मे रुपया शेर शाह सूरी की देन है।

राज्य में, 47 जिले बनाए, जिन्हें सरकार कहा जाता था। हर जिले यानि सरकार में एक फ़ौजी अफ़सर (शिक़दर-ए-शिक़दरान) और एक सिविल अफ़सर (मुंसिफ़) नियुक्त किया। ये आज की SP और DM की प्रणाली की तरह है।

हर जिले या सरकार में रेवेन्यू अदालतें बनायी, जिसमें मुंसिफ़ आज के DM, रेवेन्यू केस में जज की भूमिका में होते थे। हर जिले या सरकार में फ़ौजदारी अदालतें भी बनायी, जिसमें शिक़दर आज के SP क्रिमिनल केस में जज की भूमिका में होते थे।

शासन की कैबिनेट व्यवस्था बनायी, जिसमें वित्त मंत्री (दीवान-ए-वजीरत) रक्षा मंत्री (दीवान-ए-अर्ज़) विदेश मंत्री (दीवान-ए-रसालत) संचार मंत्री (दीवान-ए-इंशा) बनाए गए थे। लेकिन सारे फ़ैसले ख़ुद शेर शाह के स्तर पर एप्रूव होते थे।

किसानों के लिए क़र्ज़ (तक़ावी) की व्यवस्था शुरू की, ताकि किसान अच्छी फसल उगा सके।

व्यापार में दो टैक्स व्यवस्था बनायी- एक टैक्स राज्य में समान के प्रवेश पर और एक दुकान पर समान की बिक्री पर। यानी आज का कस्टम टैक्स और जीएसटी, बाक़ी सभी टैक्स को उन्होंने ख़त्म कर दिया।

फ़ौज का नया सिस्टम बनाया, जिसमें फ़ौजियों के विस्तृत रेकार्ड, घोड़ों को दाग़ कर निशानदेही की व्यवस्था, उनकी भर्ती और यूनिट की व्यवस्था शुरू की। यही सिस्टम बाद में मनसबदारी में विकसित हुआ, जो बाद के रेजिमेंट सिस्टम की तरह था।

आगरा से जोधपुर, आगरा से बुरहानपुर, लाहौर से मुलतान के हाइवे बनवाए। GT रोड बनवायी, जो पेशावर से सोनारगाँव, बांग्लादेश तक 3000 किमी लम्बी थी, उन रास्तों पर 1700 सरायें बनायीं (आज का मुग़लसराय उन्ही सराय में से एक है) राजगीरों की हिफाज़त की जवाबदेही गाँव के मुखिया और लोगों की तय की। अगर यात्री के साथ लूटपाट हो जाती, उनपर हुक़्म था, तब गाँव के लोग या तो अपराधी को पेश करें या फिर, मिल कर यात्री के आर्थिक नुक़सान की भरपायी करें। क़त्ल के केस में अगर गाँव के बड़े क़ातिल नहीं ढूँढ सके, तो सज़ा मुखिया को मिलती थी। इसी वजह से सफ़र करना काफ़ी महफूज़ हो गया था।

कई इतिहासकार लिखते है शेरशाह की हुकूमत में कश्मीर से कन्याकुमारी तक नौजवान लड़की अपने पूरे जेवरात पहनकर आकेली जा सकती थी !

दिल्ली का पुराना क़िला, रोहतासगढ़ क़िला,पंजाब में तमाम किले और सराय,पूरे देश मे और कई बिल्डिंग बनवायीं।

शाही फौज के गुजरने पर जो नुकसान किसानों का होता था मौके पर ही भुगतान होता था !

जो लोग कहते हैं 5साल मे क्या होता उनके लिए 5साल की शेर शाह सूरी और 10साल की हज़रत उमर रजिल्लाहू की हुकूमत करने का निजाम इतिहास मे पढ़ लो कायराना अल्फ़ाज़ बोलना बंद कर दोगे।काम का जज़्बा हो तो 5साल 10साल की हुकूमत बहोत होती हैं ।

काश कोई ले आता आज भी ऐसा निज़ाम !!
Tariq Mohd भाई की वाल से

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