Kapil Patel Tabahi

Kapil Patel Tabahi Dm for pramotion

Farmer food पर आई फ्रांस वाली भुआ
21/09/2024

Farmer food पर आई फ्रांस वाली भुआ

 #साहब जब  साहब रिटायर होते  हैं  ! तब उनका सरकारी बँगला ,उसका हरा भरा लॉन ,ड्राईवरों ,चपरासियों  के साथ बिना नागा नमस्त...
18/09/2024

#साहब
जब साहब रिटायर होते हैं !
तब उनका सरकारी बँगला ,उसका हरा भरा लॉन ,
ड्राईवरों ,चपरासियों के साथ बिना नागा नमस्ते करने वालों की भीड एकाएक साथ छोड जाती है ..

चूँकि
वो हमेशा से यह माने बैठा था कि
वह बेहद ज्ञानी है !

दफ़्तर चलना मुश्किल होगा ..उसके बिना !

लोग
आयेंगे सलाह मशविरे के लिये !
मार्गदर्शन देने लिये बैचैन रिटायर साहब उम्मीद भरी आँखों से तकता है मार्ग !

पर
अफ़सोस !
कोई नही फटकता !

वह
पाता है दुनिया उसकी उम्मीद से कहीं पहले बदल गयी है !

अब
उसे कार का दरवाज़ा ख़ुद खोलना पड़ता है और शॉपिंग के वक्त बिल भी ख़ुद ही चुकाना होता है !

बैचैन
साहब अब मिलन सार होने की कोशिश करता है !

शादी ,मुंडन से लेकर तेरहवीं तक के हर न्योते की इज़्ज़त करने लगता है !

वो
पाता है उसके सामने याचक बने रहने वाले रिश्तेदार अचानक निष्ठुर हो चले हैं!

हैरान
परेशान रिटायर साहब बाल डाई करना भूलने लगता है !

तेज़ी से बूढ़ा होता है !

चिड़चिड़ाहट लौट आती है .. उसकी !

हताश
साहब घर मे साहबी करने की कोशिश करता है और मुँह की खाता है !

अनमना बेटा कन्नी काटता है !
नाती पोते दूर भागते है ,
बीबी उसे नाक़ाबिले बर्दाश्त घोषित कर देती है !

और
बडे जतन से पाला पोसा गया कुत्ता तक उसे देख बेड के नीचे घुस जाता है !

ऐसे
में वो कुढ़ता है और नाशुक्री दुनिया को गरियाता है !

दुखी
बना रहता है और आस पास वालों को दुखी करता है !
रिटायर साहब और कर भी क्या सकता है ?

जब
तक जीता है साहब ! यही करता है !

इन
साहबों के अधिकतर बच्चे बहू बेटे नाती पोते इनसे दूर बहुत दूर विदेशों में या बड़े शहरों में शिफ्ट हो चुके होते हैं ..

ये
अपना स्वयं का बनाया आलीशान घर माया मोह के चक्कर में छोड़ नही पाते हैं ...

नतीजन
इनकी जिन्दगी अकेले ही कटती है ,

बीमारी अजारी में कोई साथ नही होता , खाना भी रुखा सूखा या फिर नौकर ने जो बना दिया ठूंसना पड़ता है '

खाने में मीन मेष की गुंजाईश नही रह जाती !
मरते वक्त भी कोई साथ नही होता ..

जब
शव से भयंकर बदबू आती है तभी बगल वाला पुलिस को फोन कर !!

उफ्फ
कितना डरावना और वीभत्स अमानवीय लगता है न ये सब ?

इन
सबके जिम्मेदार वो साहब खुद ही होते हैं क्यों ये माया जाल उन्ही का रचा होता है !

अतः
समय रहते सुधार आवश्यक है, ये साहबगिरि साठ साल तक का ही खेला है ऊपर सबका हिसाब होना है।
साहबी छोड़ मानवीयता अपनाओ ..
समाज और देश के लिए कुछ करो जिसके लिए यह साहबगिरी मिली है आपको।

भाई+भाई = तबाही
16/09/2024

भाई+भाई = तबाही

मरियन आपका यह यह फोटो देखकर खुशी हुई , और माथे की बिंदी देखकर और ज्यादा खुशी हुई सीताराम 🙏
11/09/2024

मरियन आपका यह यह फोटो देखकर खुशी हुई , और माथे की बिंदी देखकर और ज्यादा खुशी हुई
सीताराम 🙏

पी ले ओ पाढ़ी पाणी
06/09/2024

पी ले ओ पाढ़ी पाणी

रखोड़ीया लाड़ू को आप कैसे खाते है ?
05/09/2024

रखोड़ीया लाड़ू को आप कैसे खाते है ?

मेरी दोस्त मरियन फ्रांस से भारत के पांडिचेरी आ गई है जल्द ही उज्जैन आने वाली है भारत भूमि पर स्वागत है आपका ।
05/09/2024

मेरी दोस्त मरियन फ्रांस से भारत के पांडिचेरी आ गई है जल्द ही उज्जैन आने वाली है
भारत भूमि पर स्वागत है आपका ।

आप सभी का धन्यवाद
03/09/2024

आप सभी का धन्यवाद

जो पहचान गया वो ठोंको 👍
02/09/2024

जो पहचान गया वो ठोंको 👍

जिस दाल का भाव तुम्हे ज्यादा लगता है , वो उस भाव से भी ज्यादा मेहनत से पैदा होती है ।
01/09/2024

जिस दाल का भाव तुम्हे ज्यादा लगता है , वो उस भाव से भी ज्यादा मेहनत से पैदा होती है ।

नर्मदे हर जीवन भर
01/09/2024

नर्मदे हर जीवन भर

बाटी खा लो guys
31/08/2024

बाटी खा लो guys

27/08/2024

जप ले नाम राधे का
राधे राधे
श्री सीताराम भक्त मंडल टकवासा

ब्रह्मांड का सबसे बडा़ धनुर्धारी उस दिन परेशान था..वह अपने अवचेतन मन से ही एक लंबे समय ये लडा़ई कर रहा था....उसने कान्हा...
26/08/2024

ब्रह्मांड का सबसे बडा़ धनुर्धारी उस दिन परेशान था..वह अपने अवचेतन मन से ही एक लंबे समय ये लडा़ई कर रहा था....
उसने कान्हा की ओर देखा और तुरंत प्रश्न दाग दिया-

जीवन इतना कठिन क्यों हो गया है ?
केशव मुस्कुरा उठे..उन्होने कहा,जीवन के बारे में सोचना बंद कर दो,ये जीवन को कठिन करता है,सिर्फ जीवन को जियो..

पर अर्जुन अभी भी उद्धेलित थे..उनके मन में एक एक प्रश्न आ-जा रहे थे..वो पूछ बैठे...
हम सदैव दुखी क्यों रहते है ?
कृष्ण अपनी बांसुरी बजाते बजाते बीच में रूके और बोले,चिंता करना तुम्हारी आदत बन चुकी है , तुम दुखी हो...!

पर केशव लोगो को इतना कष्ट क्यों भुगतना पड़ता है ?
वासुदेव ने उसके कंधे पर हाथ रखा और हंसते हुए बोले,हीरे को रगड़ के बिना चमकाया नहीं जा सकता और सोने को कभी ताप के बिना खरा नहीं किया जा सकता , अच्छे लोगो को परीक्षा के दौर से गुजरना पड़ता है , ये कष्ट भुगतना नहीं हुआ..अनुभव से जीवन सुखद बनता है , ना की दुखद..

आप के कहने का मतलब है की ये अनुभव काम के है ?
मेरे कहने का मतलब यही है की अनुभव एक कठोर शिक्षक है , जो पहले परीक्षा लेते है और बाद में पाठ पढाते है..
पर केशव जीवन की बहुत सारी समस्याओं की वजह हमें ये ही समझ नहीं आता की हम किधर जा रहे है ?
कृष्ण बोले,अगर बाहर देखोगे तो समझ नहीं आएगा की कंहा जा रहे है , अपने भीतर देखो। आँखे दिशा दिखाती है और हृदय रास्ता...

अर्जुन ने पूछा ,पर क्या असफलता ज्यादा दुखी करती है या सही दिशा में नहीं जा पाना ?
वासुदेव गंभीर हो गये..बोल उठे, सफलता का मापदंड हमेशा दूसरे लोग तय करते है और संतुष्टि का आप स्वयं...
अर्जुन ने फिर पूछा, कठिन समय में अपने आप को प्रेरित कैसे रखना चाहिए ?
जबाब मिला, हमेशा देखो आप कितने दूर आ चुके हो बजाये ये देखने के की अभी कितनी दूर और जाना है , हमेशा ध्यान रखे ईश्वर की कृपा से क्या मिला है ये नहीं की क्या नहीं मिला है...

श्री कृष्ण ने आगे कहा लोगो के बारे में सबसे अधिक अचंभित करता है जब वे कठिनाई में होते है तो कहते है “मैं ही क्यों ?” जब वो समृद्ध होते है तब कभी नहीं कहते की “मैं क्यों ?”

अर्जुन ने पूछा..मैं अपने जीवन में सर्वश्रेष्ठ कैसे प्राप्त कर सकता हूँ ?
योगेश्वर के होठो पर मुस्कान तैर गयी...बोले,अपने पिछले जीवन का बिना किसी खेद के सामना करो , वर्तमान को आत्म विश्वास से जियो और भविष्य का सामना करने के लिए अपने को निडरता से तैयार रखो..
अर्जुन ने अंतिम प्रश्न किया..कई बार मुझे ऐसा लगता है की मेरी प्रार्थनाओं की सुनवाई नहीं होती..
नीली छतरी वाला हँस पडा़...बोल उठा,कोई भी ऐसी प्रार्थना नहीं है जिसकी सुनवाई न हुई हो , विश्वास रखो और भय मुक्त हो जाओ..जीवन एक पहेली है सुलझाने के लिए , कोई समस्या नहीं है जिसका हल खोजा जाये... मुझ पर विश्वास रखो , जीवन बहुत सुन्दर है अगर आपको जीना आता है तो , हमेशा खुश रहो..
अर्जुन के मन को एक चिर शांति मिल चूकी थी....कान्हा बांसुरी बजाने में लीन हो गये..!

दुनिया के सबसे बडे़ मैनेजिंग डायरेक्टर और एकमात्र ऐसे दैविय शख्स जिन्होने कुरूक्षेत्र में सीना ठोककर कहा था कि अर्जुन मैं ही 'ईश्वर' हूँ...
उनके जन्मोत्सव की अशेष शुभकामनाए....बधाई..
हैप्पी बड्डे कान्हा ❤️
जन्माष्टमी की सबको अनंत बधाईयाँ..🙏🏼

23/08/2024

Dr मोहन यादव जी ने रोड़ बनाने के आदेश दे दिए है ।

बचपन का ये प्यारा खेल किसे याद है?
22/08/2024

बचपन का ये प्यारा खेल किसे याद है?

कॉपी पेस्ट ये कहानी लक्ष्मीकांत पांडेय जी की हैं…. और जब मैंने पढ़ी तो मेरी आंखों में से आंसू नहीं रुक रहे थे…आशा करती ह...
22/08/2024

कॉपी पेस्ट
ये कहानी लक्ष्मीकांत पांडेय जी की हैं…. और जब मैंने पढ़ी तो मेरी आंखों में से आंसू नहीं रुक रहे थे…

आशा करती हूं आपको पसंद आएगी…

ये कोई कहानी नही बल्कि आँखों देखी सच्ची घटना है....!!

मेरी छोटी बुआ….!!!!

रक्षाबंधन का त्यौहार पास आते ही मुझे सबसे ज्यादा जमशेदपुर (झारखण्ड )वाली बुआ जी की राखी के कूरियर का इन्तेज़ार रहता था.

कितना बड़ा पार्सल भेजती थी बुआ जी.

तरह-तरह के विदेशी ब्रांड वाले चॉकलेट,गेम्स, मेरे लिए कलर फूल ड्रेस , मम्मी के लिए साड़ी, पापाजी के लिए कोई ब्रांडेड शर्ट.

इस बार भी बहुत सारा सामान भेजा था उन्होंने.

पटना और रामगढ़ वाली दोनों बुआ जी ने भी रंग बिरंगी राखीयों के साथ बहुत सारे गिफ्टस भेजे थे.

बस रोहतास वाली जया बुआ की राखी हर साल की तरह एक साधारण से लिफाफे में आयी थी.

पांच राखियाँ, कागज के टुकड़े में लपेटे हुए रोली चावल और पचास का एक नोट.

मम्मी ने चारों बुआ जी के पैकेट डायनिंग टेबल पर रख दिए थे ताकि पापा ऑफिस से लौटकर एक नजर अपनी बहनों की भेजी राखियां और तोहफे देख लें...

पापा रोज की तरह आते ही टी टेबल पर लंच बॉक्स का थैला और लैपटॉप की बैग रखकर सोफ़े पर पसर गए थे.

"चारो दीदी की राखियाँ आ गयी है...

मम्मी ने पापा के लिए किचन में चाय चढ़ाते हुए आवाज लगायी थी...

"जया का लिफाफा दिखाना जरा...

पापा जया बुआ की राखी का सबसे ज्यादा इन्तेज़ार करते थे और सबसे पहले उन्हीं की भेजी राखी कलाई में बांधते थे....

जया बुआ सारे भाई बहनो में सबसे छोटी थी पर एक वही थी जिसने विवाह के बाद से शायद कभी सुख नहीं देखा था.

विवाह के तुरंत बाद देवर ने सारा व्यापार हड़प कर घर से बेदखल कर दिया था.

तबसे फ़ूफा जी की मानसिक हालत बहुत अच्छी नहीं थी. मामूली सी नौकरी कर थोड़ा बहुत कमाते थे .

बेहद मुश्किल से बुआ घर चलाती थी.

इकलौते बेटे श्याम को भी मोहल्ले के साधारण से स्कूल में डाल रखा था. बस एक उम्मीद सी लेकर बुआ जी किसी तरह जिये जा रहीं थीं...

जया बुआ के भेजे लिफ़ाफ़े को देखकर पापा कुछ सोचने लगे थे...

"गायत्री इस बार रक्षाबंधन के दिन हम सब सुबह वाली पैसेंजर ट्रेन से जया के घर रोहतास (बिहार )उसे बगैर बताए जाएंगे...

"जया दीदी के घर..!!

मम्मी तो पापा की बात पर एकदम से चौंक गयी थी...

"आप को पता है न कि उनके घर मे कितनी तंगी है...

हम तीन लोगों का नास्ता-खाना भी जया दीदी के लिए कितना भारी हो जाएगा....वो कैसे सबकुछ मैनेज कर पाएगी.

पर पापा की खामोशी बता रहीं थीं उन्होंने जया बुआ के घर जाने का मन बना लिया है और घर मे ये सब को पता था कि पापा के निश्चय को बदलना बेहद मुश्किल होता है...

रक्षाबंधन के दिन सुबह वाली धनबाद टू डेहरी ऑन सोन पैसेंजर से हम सब रोहतास पहुँच गए थे.

बुआ घर के बाहर बने बरामदे में लगी नल के नीचे कपड़े धो रहीं थीं....

बुआ उम्र में सबसे छोटी थी पर तंग हाली और रोज की चिंता फिक्र ने उसे सबसे उम्रदराज बना दिया था....

एकदम पतली दुबली कमजोर सी काया. इतनी कम उम्र में चेहरे की त्वचा पर सिलवटें साफ़ दिख रहीं थीं...

बुआ की शादी का फोटो एल्बम मैंने कई बार देखा था. शादी में बुआ की खूबसूरती का कोई ज़वाब नहीं था. शादी के बाद के ग्यारह वर्षो की परेशानियों ने बुआ जी को कितना बदल दिया था.

बेहद पुरानी घिसी सी साड़ी में बुआ को दूर से ही पापा मम्मी कुछ क्षण देखे जा रहे थे...

पापा की आंखे डब डबा सी गयी थी.

हम सब पर नजर पड़ते ही बुआ जी एकदम चौंक गयी थी.

उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि वो कैसे और क्या प्रतिक्रिया दे.

अपने बिखरे बालों को सम्भाले या अस्त व्यस्त पड़े घर को दुरुस्त करे.उसके घर तो बर्षों से कोई मेहमान नहीं आया था...

वो तो जैसे जमाने पहले भूल चुकी थी कि मेहमानों को घर के अंदर आने को कैसे कहा जाता है...

बुआ जी के बारे मे सब बताते है कि बचपन से उन्हें साफ सफ़ाई और सजने सँवरने का बेहद शौक रहा था....

पर आज दिख रहा था कि अभाव और चिंता कैसे इंसान को अंदर से दीमक की तरह खा जाती है...

अक्सर बुआ जी को छोटी मोटी जरुरतों के लिए कभी किसी के सामने तो कभी किसी के सामने हाथ फैलाना होता था...

हालात ये हो गए थे कि ज्यादातर रिश्तेदार उनका फोन उठाना बंद कर चुके थे.....

एक बस पापा ही थे जो अपनी सीमित तनख्वाह के बावजूद कुछ न कुछ बुआ को दिया करते थे...

पापा ने आगे बढ़कर सहम सी गयी अपनी बहन को गले से लगा लिया था.....

"भैया भाभी मन्नू तुम सब अचानक आज ?

सब ठीक है न...?

बुआ ने कांपती सी आवाज में पूछा था...

"आज वर्षों बाद मन हुआ राखी में तुम्हारे घर आने का..

तो बस आ गए हम सब...

पापा ने बुआ को सहज करते हुए कहा था.....

"भाभी आओ न अंदर....

मैं चाय नास्ता लेकर आती हूं...

अपने भैया के पास बैठी थीं....

मैं चाय नास्ता लेकर आती हूं...

जया बुआ ने मम्मी के हाथों को अपनी ठण्डी हथेलियों में लेते हुए कहा था.

"जया तुम बस बैठो मेरे पास. चाय नास्ता गायत्री देख लेगी."

हमलोग बुआ जी के घर जाते समय रास्ते मे रूककर बहुत सारी मिठाइयाँ और नमकीन ले गए थे......

मम्मी किचन में जाकर सबके लिए प्लेट लगाने लगी थी...

उधर बुआ कमरे में पुरानी फटी चादर बिछे खटिया पर अपने भैया के पास बैठी थीं....

बुआ जी का बेटा श्याम दोड़ कर फ़ूफा जी को बुला लाया था.

राखी बांधने का मुहूर्त शाम सात बजे तक का था.मम्मी अपनी ननद को लेकर मॉल चली गयी थी सबके लिए नए ड्रेसेस खरीदने और बुआ जी के घर के लिए किराने का सामान लेने के लिए....

शाम होते होते पूरे घर का हुलिया बदल गया था

नए पर्दे, बिस्तर पर नई चादर, रंग बिरंगे डोर मेट, और सारा परिवार नए ड्रेसेस पहनकर जंच रहा था.

न जाने कितने सालों बाद आज जया बुआ की रसोई का भंडार घर लबालब भरा हुआ था....

धीरे धीरे एक आत्म विश्वास सा लौटता दिख रहा था बुआ के चेहरे पर....

पर सच तो ये था कि उसे अभी भी सब कुछ स्वप्न सा लग रहा था....

बुआ जी ने थाली में राखियाँ सज़ा ली थी

मिठाई का डब्बा रख लिया था

जैसे ही पापा को तिलक करने लगी पापा ने बुआ को रुकने को कहा.

सभी आश्चर्यचकित थे...

" दस मिनट रुक जाओ तुम्हारी दूसरी बहनें भी बस पहुँचने वाली है. "

पापा ने मुस्कुराते हुए कहा तो सभी पापा को देखते रह गए....

तभी बाहर दरवाजे पर गाड़ियां के हॉर्न की आवाज सुनकर बुआ ,मम्मी और फ़ूफ़ा जी दोड़ कर बाहर आए तो तीनों बुआ का पूरा परिवार सामने था....

जया बुआ का घर मेहमानों से खचाखच भर गया था.

महराजगंज वाली नीलम बुआ बताने लगी कि कुछ समय पहले उन्होंने पापा को कहा था कि क्यों न सब मिलकर चारो धाम की यात्रा पर निकलते है...

बस पापा ने उस दिन तीनों बहनो को फोन किया कि अब चार धाम की यात्रा का समय आ गया है..

पापा की बात पर तीनों बुआ सहमत थी और सबने तय किया था कि इस बार जया के घर सब जमा होंगे और थोड़े थोड़े पैसे मिलाकर उसकी सहायता करेंगे.

जया बुआ तो बस एकटक अपनी बहनों और भाई के परिवार को देखे जा रहीं थीं....

कितना बड़ा सरप्राइस दिया था आज सबने उसे...

सारी बहनो से वो गले मिलती जा रहीं थीं...

सबने पापा को राखी बांधी....

ऐसा रक्षाबन्धन शायद पहली बार था सबके लिए...

रात एक बड़े रेस्त्रां में हम सभी ने डिनर किया....

फिर गप्पे करते जाने कब काफी रात हो चुकी थी....

अभी भी जया बुआ ज्यादा बोल नहीं रहीं थीं.

वो तो बस बीच बीच में छलक आते अपने आंसू पोंछ लेती थी.

बीच आंगन में ही सब चादर बिछा कर लेट गए थे...

जया बुआ पापा से किसी छोटी बच्ची की तरह चिपकी हुई थी...

मानो इस प्यार और दुलार का उसे वर्षों से इन्तेज़ार था.

बातें करते करते अचानक पापा को बुआ का शरीर एकदम ठंडा सा लगा तो पापा घबरा गए थे...

सारे लोग जाग गए पर जया बुआ हमेशा के लिए सो गयी थी....

पापा की गोद में एक बच्ची की तरह लेटे लेटे वो विदा हो चुकी ..

पता नही कितने दिनों से बीमार थीं....

और आज तक किसी से कही भी नही थीं...

आज सबसे मिलने का ही आशा लिये जिन्दा थीं शायद...!!😥😥😥😥😩
😭😭😭😭😭

राखी की यादें फोटो की लिए सब सांस रोक के खड़े है 17 फोटो में से एक फोटो सिलेक्ट हुआ है
20/08/2024

राखी की यादें
फोटो की लिए सब सांस रोक के खड़े है 17 फोटो में से एक फोटो सिलेक्ट हुआ है

योनि से बहते खून को रोक पाना मुश्किल हैक्योंकि नहीं बताया जातामासिक धर्म का अध्यायधुला पुछा समाज रख देता हैजवान होने का ...
20/08/2024

योनि से बहते खून को
रोक पाना मुश्किल है
क्योंकि नहीं बताया जाता
मासिक धर्म का अध्याय
धुला पुछा समाज रख देता है
जवान होने का हथियार उसकी छाती पर
और कहता है
तुम्हारे जवान होने का
मुर्दा सबूत है खून का बह जाना ।

कोई नहीं जानता
कब क्यों कैसे बहाया गया
गंदा खून, मासिक धर्म कहलाया
और बन गया यौवन की पहली सीढ़ी
क्योंकि सबको पता था कि
अब प्रतिभा जवानी की दहलीज पर है
जहां वो ब्याही जायेगी
और फिर बहेगा गंदा खून और
बन जायेगी, मां !

औरत की टांगों के बीच के
हिस्से को पल्लू के पीछे
हँसी ठिठौली से पुकारा जायेगा
और प्रतिभा के जवान होने की
घोषणा पूरे गांव में होगी
फिर बहेगा खून और अभागे समाज को
सौंप दी, जायेगी बढ़ती जनसंख्या।

क्या था प्रतिभा का होना
एक और भ्रूण हत्या
जहां योनि से गर्भपात के दौरान नहीं
बहाया गया गंदा खून
बच्चे को जन्म देते हुए
प्रतिभा अब स्कूल नहीं जाएगी
नहीं पढ़ेगी क ख
वो समझेगी कैसे पिलाते हैं
नन्ही बच्ची को दूध और
कैसे पालना होता है खुद को।

औरत की योनि का
पहला और आखिरी सच था ये
जो प्रतिभा जान चुकी थी
और जानती थी लाखों घरों की औरतें
जो योनि से बहे खून को पहचानने लगीं
और सौंपती गई, जनसंख्या के बढ़ते आंकड़े।

अनुभूति गुप्ता

18/08/2024

इस्कॉन वालों को सब शेयर करते है इनको नही करेंगे
श्री सीताराम भक्त मंडल टकवासा जिला उज्जैन
राधे राधे

पोज दीजिए भैया 😜
17/08/2024

पोज दीजिए भैया 😜

16/08/2024

ये देश है वीर जवानों का

ये दुख
14/08/2024

ये दुख

कभी कभी सब कुछ कितना आसान लगता है ,,है ना ,, स्वयं नारायण अवतार लेकर जिन समस्याओं का समाधान सम्पूर्ण जीवन संघर्ष में झोक...
14/08/2024

कभी कभी सब कुछ कितना आसान लगता है ,,है ना ,, स्वयं नारायण अवतार लेकर जिन समस्याओं का समाधान सम्पूर्ण जीवन संघर्ष में झोककर ये बता कर गए ,,की हमने भी इसी तरह पार पाया था,, लीला ही सही संघर्ष तो किया ही न,

उन्ही समस्याओं का समाधान ,,केवल दो घंटे में विथ चैलेंज गारंटी से हो जाता है ,,
150 वर्ष पुरानी सिद्धि से युक्त,,
जीवन मरण के आवागमन से मुक्त,,
आपकी समस्याओं के हेड देंगे जाले,,
गुरु सामरी जी ,कलकत्ता वाले ,,,
40 वर्षो का अनुभव ,7 सिद्धियों का ज्ञान ,,
मुंह में बीड़ी ,,हाथ में पान ,,साधना भूमि पाकिस्तान,,

हर तरफ से निराश ,व्यक्ति संपर्क करें ।।
प्रभु जी मेरे अवगुण ,चित्त ना धरें,,।।

भला हो ,,गुरु सामरी जी जैसे सिद्ध पुरुष इस धरती पर मौजूद है ,,,,वरना कलयुग माथे पर सवार हो ही चुका था ,,
ये तो गुरु सामरी का ही सामर्थ्य था ,,जो ,,उसे 40 सालो में 56 बार भारत भूमि से खदेड़ कर सोमालिया भेज आए ,,,

हर तरफ से निराश व्यक्ति ,,केवल बुद्ध पुरुष के सम्पर्क में रहें।।
क्युकी ,,

मुस्कुराइए ,,एक ही जिंदगी है ,,
✍️✍️Pawan anjana

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