पौराणिक कथाएँ

पौराणिक कथाएँ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः 🙏🚩

 #हनुमान_जन्मोत्सवहर वर्ष चैत्र माह की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि के दिन हनुमान जन्मोत्सव मनाया जाता है। पंचांग के अनुस...
23/04/2024

#हनुमान_जन्मोत्सव
हर वर्ष चैत्र माह की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि के दिन हनुमान जन्मोत्सव मनाया जाता है। पंचांग के अनुसार, इस साल हनुमान जन्मोत्सव 23 अप्रैल 2024 को मनाया जाएगा।

आठ चिरंजीवियों में भगवान हनुमान एक हैं। उनकी विशेष कृपा पाने के लिए हनुमान जन्मोत्सव का दिन बेहद खास है। इस दौरान भक्तों द्वारा की गई सच्चे मन से पूजा बेहद फलदायी होती है। हनुमान जी के विशेष दिन पर देश भर के मंदिरों में पूजा पाठ व भंडारों के आयोजन किए जाते हैं। साथ ही उनके जन्म से जुड़ी कथाओं का भी पाठ किया जाता है।

#बजरंगबली_के_जन्म_से_जुड़ी_कथा
धार्मिक कथा के अनुसार हनुमान जी भगवान शिव का 11वां रुद्र अवतार है। उनके जन्म को लेकर कहा जाता है कि, जब विष्णु जी ने धर्म की स्थापना के लिए इस धरती पर प्रभु श्री राम के रूप में जन्म लिया, तब भगवान शिव ने उनकी मदद के लिए हनुमान जी के रूप में अवतार लिया था। दूसरी ओर राजा केसरी अपनी पत्नी अंजना के साथ तपस्या कर रहे थे। इस तपस्या का दृश्य देख भगवान शिव प्रसन्न हो उठें और उन दोनों से मनचाहा वर मांगने को कहा।

शिव जी की बात से माता अंजना खुश हो गई और उनसे कहा कि मुझे एक ऐसा पुत्र प्राप्त हो, जो बल में रुद्र की तरह बलि, गति में वायु की गतिमान और बुद्धि में गणपति के समान तेजस्वी हो। माता अंजना की ये बात सुनकर शिव जी ने अपनी रौद्र शक्ति के अंश को पवन देव के रूप में यज्ञ कुंड में अर्पित कर दिया। बाद में यही शक्ति माता अंजना के गर्भ में प्रविष्ट हुई। फिर हनुमान जी का जन्म हुआ था।

#हनुमान_जी_के_108_नाम

1. भीमसेन सहायकृते

2. कपीश्वराय

3. महाकायाय

4. कपिसेनानायक

5. कुमार ब्रह्मचारिणे

6. महाबलपराक्रमी

7. रामदूताय

8. अभयदाता

9. केसरी सुताय

10. शोक निवारणाय

11. अंजनागर्भसंभूताय

12. विभीषणप्रियाय

13. वज्रकायाय

14. रामभक्ताय

15. लंकापुरीविदाहक

16. सुग्रीव सचिवाय

17. पिंगलाक्षाय

18. हरिमर्कटमर्कटाय

19. रामकथालोलाय

20. सीतान्वेणकर्त्ता

21. वज्रनखाय

22. रुद्रवीर्य

23. वायु पुत्र

24. रामभक्त

25. वानरेश्वर

26. ब्रह्मचारी

27. आंजनेय

28. महावीर

29. हनुमत

30. मारुतात्मज

31. तत्वज्ञानप्रदाता

32. सीता मुद्राप्रदाता

33. अशोकवह्रिकक्षेत्रे

34. सर्वमायाविभंजन

35. सर्वबन्धविमोत्र

36. रक्षाविध्वंसकारी

37. परविद्यापरिहारी

38. परमशौर्यविनाशय

39. परमंत्र निराकर्त्रे

40. परयंत्र प्रभेदकाय

41. सर्वग्रह निवासिने

42. सर्वदु:खहराय

43. सर्वलोकचारिणे

44. मनोजवय

45. पारिजातमूलस्थाय

46. सर्वमूत्ररूपवते

47. सर्वतंत्ररूपिणे

48. सर्वयंत्रात्मकाय

49. सर्वरोगहराय

50. प्रभवे

51. सर्वविद्यासम्पत

52. भविष्य चतुरानन

53. रत्नकुण्डल पाहक

54. चंचलद्वाल

55. गंधर्वविद्यात्त्वज्ञ

56. कारागृहविमोक्त्री

57. सर्वबंधमोचकाय

58. सागरोत्तारकाय

59. प्रज्ञाय

60. प्रतापवते

61. बालार्कसदृशनाय

62. दशग्रीवकुलान्तक

63. लक्ष्मण प्राणदाता

64. महाद्युतये

65. चिरंजीवने

66. दैत्यविघातक

67. अक्षहन्त्रे

68. कालनाभाय

69. कांचनाभाय

70. पंचवक्त्राय

71. महातपसी

72. लंकिनीभंजन

73. श्रीमते

74. सिंहिकाप्राणहर्ता

75. लोकपूज्याय

76. धीराय

77. शूराय

78. दैत्यकुलान्तक

79. सुरारर्चित

80. महातेजस

81. रामचूड़ामणिप्रदाय

82. अंजली सुत

83. मैनाकपूजिताय

84. मार्तण्डमण्डलाय

85. विनितेन्द्रिय

86. रामसुग्रीव सन्धात्रे

87. महारावण मर्दनाय

88. स्फटिकाभाय

89. वागधीक्षाय

90. नवव्याकृतपंडित

91. चतुर्बाहवे

92. दीनबन्धवे

93. महात्मने

94. भक्तवत्सलाय

95.अपराजित

96. शुचये

97. वाग्मिने

98. दृढ़व्रताय

99. कालनेमि प्रमथनाय

100. दान्ताय

101. शान्ताय

102. प्रसनात्मने

103. शतकण्ठमदापहते

104. केसरी नंदन

105. अनघ

106. अकाय

107. तत्त्वगम्य

108. लंकारि

ुमते_नमः।🚩🙏

प्रभु श्री राम का सूर्य तिलक 🙏♥️दर्शन करिए🚩🙏
17/04/2024

प्रभु श्री राम का सूर्य तिलक 🙏♥️

दर्शन करिए🚩🙏

नववर्ष के प्रथम दिन और चैत्र नवरात्रि के पावन पर्व परमाता रानी आप सभी की सारी मनोकामनाएं पूर्ण करें।       2081 नव संवत्...
09/04/2024

नववर्ष के प्रथम दिन और चैत्र नवरात्रि के पावन पर्व पर

माता रानी आप सभी की सारी मनोकामनाएं पूर्ण करें।

2081 नव संवत्सर की हार्दिक शुभकामनाएं🚩

ाता_दी 🚩

30/03/2024

Thanks for being a top engager and making it on to my weekly engagement list! 🎉 Patel Pankajkumar, Pallavi Mishra, राकेश कुमार शुक्ला, Anil Patel, Krishor Thakur, Ramkishan Agarwal, Govind Ager, Homraj Pandav, Sk Rawat, Kapil Meena Kapil

ॐ सर्वाबाधा विनिर्मुक्तो,धन धान्यः सुतान्वितः ।मनुष्यो मत्प्रसादेन,भविष्यति न संशयःॐ ।🙏🚩     #महालक्ष्मी_नमस्तुभ्यं🙏🚩
22/03/2024

ॐ सर्वाबाधा विनिर्मुक्तो,
धन धान्यः सुतान्वितः ।
मनुष्यो मत्प्रसादेन,
भविष्यति न संशयःॐ ।🙏🚩

#महालक्ष्मी_नमस्तुभ्यं🙏🚩

मङ्गलम् भगवान विष्णुः,मङ्गलम् गरुणध्वजः।मङ्गलम् पुण्डरी काक्षः,मङ्गलाय तनो हरिः॥   ो_भगवते_वासुदेवाय_नमः 🙏🚩
21/03/2024

मङ्गलम् भगवान विष्णुः,
मङ्गलम् गरुणध्वजः।
मङ्गलम् पुण्डरी काक्षः,
मङ्गलाय तनो हरिः॥
ो_भगवते_वासुदेवाय_नमः 🙏🚩

 ्री_गणेश 🙏🚩वक्रतुंड महाकाय,सूर्य कोटि समप्रभनिर्विघ्नम कुरू मे देव,सर्वकार्येषु सर्वदा !!
20/03/2024

्री_गणेश 🙏🚩

वक्रतुंड महाकाय,
सूर्य कोटि समप्रभ
निर्विघ्नम कुरू मे देव,
सर्वकार्येषु सर्वदा !!

19/03/2024

#सीता_राम🙏🚩
पौराणिक कथाएँ

19/03/2024
अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं, दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम्।।🚩सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं, रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि ...
19/03/2024

अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं, दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम्।।🚩
सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं, रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि ।।🚩

भरोसा किसी पर भी        कर लो......।    लेकिन भरोसे   #प्रभु के ही रहना....।।
09/03/2024

भरोसा किसी पर भी
कर लो......।
लेकिन भरोसे
#प्रभु के ही रहना....।।

05/03/2024

🙏🚩

हमारे रामलला ❤️ ्री_राम‌‌ 🚩🙏🏻🙏🏻🙏🏻  पौराणिक कथाएँ
19/01/2024

हमारे रामलला ❤️
्री_राम‌‌ 🚩
🙏🏻🙏🏻🙏🏻


पौराणिक कथाएँ

 #सियावर_रामचंद्र_की_जय।🙏🚩 #रामलला की पहली तस्वीर 🚩🙏Bhakti Sagar  #श्री_राम_जय_राम_जय_जय_राम
19/01/2024

#सियावर_रामचंद्र_की_जय।🙏🚩

#रामलला की पहली तस्वीर 🚩🙏
Bhakti Sagar
#श्री_राम_जय_राम_जय_जय_राम

सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते।।       ाता_दी 🚩पौराणिक कथाएँ
15/01/2024

सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते।।
ाता_दी 🚩
पौराणिक कथाएँ

 #श्री_राम_जय_राम_जय_जय_राम🙏🚩
17/06/2023

#श्री_राम_जय_राम_जय_जय_राम🙏🚩

 ो_भगवते_हनुमते_नम:🚩🙏
29/04/2023

ो_भगवते_हनुमते_नम:🚩🙏

14/02/2023

मनोजवं मारुततुल्यवेगं, जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम्।
वातात्मजं वानरयूथमुख्यं, श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये॥

02/10/2022

यह यंत्र वास्तव में अद्भुत अभिलाषा पूर्ण चमत्कारी यंत्र है ।
जो भी मनुष्य इस यंत्र को अपने पास रखता है उसकी कहीं ना कहीं समस्त अभिलाषा चाहे धार्मिक हो या सांसारिक हो पूर्ण होती ही है । इस यंत्र के बहुत सारे गुण हैं परंतु थोड़े से मैं ही लिखे जाते हैं
1-यह यंत्र जिस मनुष्य के पास हो उसे अक्सर कठिन मुसीबत का सामना जल्दी से नहीं करना पड़ता ।
2- जब कोई मनुष्य बीमार हो जाए और शरीर बहुत दुखी हो किसी औषधि से लाभ ना हो तो इस यंत्र को रोगी के गले में बांधे परमात्मा की इच्छा से रोग दूर होगा ।
3 यदि किसी को कोई साए भूत प्रेत जिन आदि का भय हो तो इस यंत्र को मिस्त्री वर्षा का जल मैं बोलकर 7 दिन पिलाएं पिलाए तुरंत स्वास्थ्य लाभ होगा ।
4 जिन मनुष्यों को बुरी नजर लग जाए वह इस यंत्र को गले में अवश्य बांधे शीघ्र लाभ मिलेगा ।
इस यंत्र को शुभ दिन वह शुभ मुहूर्त पर अष्टगंध की स्याही से लिखें व विधिपूर्वक प्राण प्रतिष्ठा करें तत्पश्चात गले में धारण करें

॥प्राण प्रतिष्ठा विधानम्‌॥

इस विधान के अंत मे "ॐ" के आगे 15 लिखा है इस प्रकार सूक्ष्म रूप से विग्रह के पंच दस संस्कार सम्पन्न किया जा रहा है। इसका मतलब है की आपको ॐ को कुल 15 बार बोलना है। ये संख्या 15 से 16 न करें क्योंकि सोलहवां अंतिम संस्कार होता है। वैसे भी गुरुदेव की पुस्तक मे 15 ही है.इससे किसी भी चीज की प्राण प्रतिष्ठा कर सकते हैं
विनियोग-

ॐ अस्य श्री प्राण प्रतिष्ठा मंत्रस्य ब्रम्हा विष्णु महेश्वरा: ऋषयः। ऋग्यजु: सामानि छंदांसि। क्रियामय वपु: प्राण शक्ति देवता। ऐं बीजम्‌। ह्रीँ शक्ति:। क्रीँ कीलम्‌। प्राण प्रतिष्ठापने विनियोगः।

ऋष्यादि न्यास-

ॐ ब्रम्हा विष्णु महेश्वरा: ऋषिभ्यो नमः शिरसि।
ऋग्यजुः सामच्छन्देभ्यो नमः मुखे।
प्राणशक्त्यै नमः ह्रदये।
ऐँ बीजाय नमः लिँगे।
ह्रीँ शक्तये नमः पादयोः।
क्रीँ कीलकाय नमः सर्वाँगेषु।

कर न्यास-

ॐ अं कं खं गं घं ङं आं पृथिव्यप्तेजो वाय्वाकाशात्मने अंगुष्ठाभ्यां नमः।
ॐ इं चं छं जं झं ञं ईँ शब्दस्पर्श रुप-रस-गंधात्मने तर्जनीभ्यां नमः।
ॐ उं टं ठं डं ढं णं ऊं त्वक्‌ चक्षुः श्रोत्र जिह्वाघ्राणात्मने मध्यमाभ्यां नमः।
ॐ एं तं थं दं धं नं ऐँ वाक्‌ पाणि पाद पायूपस्थात्मने अनामिकाभ्यां नमः।
ॐ ओँ पं फं बं भं मं औँ वचनादान गति विसर्गा नंदात्मने कनिष्ठिकाभ्यां नमः।
ॐ अं यं रं लं वं शं षं सं हं क्षं अः मनो बुद्धयहंकार चित्त विज्ञानात्मने करतलकर पृष्ठाभ्यां नमः।
हृदयादि न्यास-

ॐ अं कं खं गं घं ङं आं पृथिव्यप्तेजो वाय्वाकाशात्मने हृदयाय नमः।
ॐ इं चं छं जं झं ञं ईँ शब्दस्पर्श रुप-रस-गंधात्मने शिरसे स्वाहा।
ॐ उं टं ठं डं ढं णं ऊं त्वक्‌ चक्षुः श्रोत्र जिह्वाघ्राणात्मने शिखायै वषट्‌।
ॐ एं तं थं दं धं नं ऐँ वाक्‌ पाणि पाद पायूपस्थात्मने कवचाय हुं।
ॐ ओँ पं फं बं भं मं औँ वचनादान गति विसर्गा नंदात्मने नेत्रत्रयाय वौषट्‌।
ॐ अं यं रं लं वं शं षं सं हं क्षं अः मनो बुद्धयहंकार चित्त विज्ञानात्मने अस्त्राय फट्‌।
ॐ ऐँ इति नाभिमारभ्य पादान्तं स्पृशेत्‌।
ॐ ह्रीँ इति हृदयमारभ्य नाभ्यन्तम्‌ स्पृशेत।
ॐ क्रीँ इति मस्तकमारभ्य हृदयांतं च स्पृशेत।
ध्यान-

रक्ताम्भोधिस्थ पोतोल्लसदरुण सरोजाविरुद्धा कराब्जैः,
पाशं कोदण्ड भिक्षुद्‌भवमथ गुण मप्यं अत्य कुशं पँच बाणान्‌।
बिभ्राणांसृक्कपालं त्रिनयन लसिता पीन वक्षोरुहाढ्‌याः,
देवी बालार्क वर्णा भवतु सुखकरी प्राणशक्तिः परा नः॥
राणशक्तिः परा नः॥

प्राण प्रतिष्ठा मंत्र-

ॐ आं ह्रीँ क्रौँ यं रं लं वं शं षं सं हं सः सोऽहम्‌ प्राणा इह प्राणाः।
ॐ आं ह्रीँ क्रौँ यं रं लं वं शं षं सं हं सः जीव इह जीव स्थितः।
ॐ आं ह्रीँ क्रौँ यं रं लं वं शं षं सं हं सः सर्वेंद्रियाणि इह सर्वेंद्रियाणि।
वाङ्‌मनस्त्वक्‌ चक्षुः श्रोत्र जिह्वा घ्राण वाक्प्राण पाद्‌पायूपस्थानि इहैवागत्य सुखं चिरं तिष्ठंतु स्वाहा।
ॐ (15 बार) मम देहस्य पंचदश संस्काराः सम्पद्यन्ताम्‌ इत्युक्त्वा।
विधि- जिस विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा करना हो पहले उसका षोडषोपचार पूजन करें फिर हाथ मे जल लेकर संकल्प करें फिर उपरोक्त विधि से प्राण प्रतिष्ठित करें फिर षोडषोपचार पूजन करें इस प्रकार प्राण प्रतिष्ठा सम्पन्न होगा।

अगर किसी मनुष्य को यंत्र में शंका होती है तो मनुष्य का कर्तव्य बनता है कि अपनी शंका दूर करें शंका दूर करने के लिए फिलहाल अपने आप लाल कलम से या लाल पेन से यह यंत्र लिखकर अपने पास रखें आपको थोड़ा बहुत अंतर नजर आने लगेगा क्योंकि विधि पूर्वक नहीं बना है इस कारण थोड़ा बहुत अंतर ही लगेगा उस अंतर से ही आपको इस यंत्र की शक्ति का आभास हो जाएगा

30/08/2022

हरतालिका व्रत का वैदिक एवं लौकिक मंत्रों से पूजन
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हरतालिका पूजन के लिए शिव, पार्वती, गणेश एव रिद्धि सिद्धि जी की प्रतिमा बालू रेत अथवा काली मिट्टी से बनाई जाती हैं। इसके बाद निम्न मंत्रो द्वारा शिव परिवार की पहले गणेश जी इसके बाद महादेव फिर माता पार्वती और कार्तिकेय जी की क्रम से पूजा करनी चाहिये।

किसी भी पूजा से पहले दीपक जलाया जाता है उसके बाद पूजन का संकल्प लिया जाता है।

दीप प्रज्वलन का मंत्र
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शुभं करोति कल्याणम् आरोग्यम् धनसंपदा।
शत्रुबुद्धिविनाशाय दीपकाय नमोऽस्तु ते।।
दीपो ज्योति परं ब्रह्म दीपो ज्योतिर्जनार्दन:।
दीपो हरतु मे पापं संध्यादीप नमोऽस्तु ते।।

आचमन
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(अब निम्न मंत्र बोलते हुए तीन बार आचमन करें-

ॐ केशवाय नमः स्वाहा (आचमन करें)
ॐ नारायणाय नमः स्वाहा (आचमन करें)
ॐ माधवाय नमः स्वाहा (आचमन करें)
(निम्न मंत्र बोलकर हाथ धो लें)
ॐ हृषीकेशाय नमः हस्तम्‌ प्रक्षालयामि
तत्पश्चात तीन बार प्राणायाम करें।

पवित्रकरण
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(प्राणायाम के बाद अपने ऊपर एवं पूजन सामग्री पर निम्न मंत्र बोलते हुए जल छिड़कें)- 'ॐ अपवित्रह पवित्रो वा सर्व-अवस्थाम्‌ गतो-अपि वा।
यः स्मरेत्‌ पुण्डरी-काक्षम्‌ स बाह्य-अभ्यंतरह शुचि-हि॥
ॐ पुण्डरी-काक्षह पुनातु।'

पूजन संकल्प
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संकल्प लेते समय हाथ में जल लिया जाता है, क्योंकि इस पूरी सृष्टि के पंचतत्व अग्रि, पृथ्वी, आकाश, वायु और जल में भगवान गणपति जल तत्व के अधिपति हैं। इसीलिए प्रथम पूज्य श्रीगणेश को सामने रखकर संकल्प लिया जाता है। ताकि श्रीगणेश की कृपा से पूजन कर्म बिना किसी बाधा के पूर्ण हो सके।

आवाहन मंत्र
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गजाननं भूतगणादिसेवितम कपित्थजम्बू फल चारू भक्षणं।
उमासुतम शोक विनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वर पादपंकजम।।

आगच्छ भगवन्देव स्थाने चात्र स्थिरो भव।
यावत्पूजा करिष्यामि तावत्वं सन्निधौ भव।।

अब नीचे दिया मंत्र पढ़कर प्रतिष्ठा (प्राण प्रतिष्ठा) करें -
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मंत्र👉 अस्यैप्राणाः प्रतिष्ठन्तु अस्यै प्राणा क्षरन्तु च।
अस्यै देवत्वमर्चार्यम मामेहती च कश्चन।।

निम्न मंत्र से गणेश भगवान को आसान दें
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रम्यं सुशोभनं दिव्यं सर्व सौख्यंकर शुभम।
आसनं च मया दत्तं गृहाण परमेश्वरः।।

पाद्य (पैर धुलना) निम्न मंत्र से पैर धुलाये।
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उष्णोदकं निर्मलं च सर्व सौगंध्य संयुत्तम।
पादप्रक्षालनार्थाय दत्तं ते प्रतिगह्यताम।।

आर्घ्य(हाथ धुलना) निम्न मंत्र से हाथ धुलाये
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अर्घ्य गृहाण देवेश गंध पुष्पाक्षतै:।
करुणाम कुरु में देव गृहणार्ध्य नमोस्तुते।।

अब निम्न मंत्र से आचमन कराए
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सर्वतीर्थ समायुक्तं सुगन्धि निर्मलं जलं।
आचम्यताम मया दत्तं गृहीत्वा परमेश्वरः।।

स्नान का मंत्र
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गंगा सरस्वती रेवा पयोष्णी नर्मदाजलै:।
स्नापितोSसी मया देव तथा शांति कुरुश्वमे।।

दूध् से स्नान कराये
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कामधेनुसमुत्पन्नं सर्वेषां जीवन परम।
पावनं यज्ञ हेतुश्च पयः स्नानार्थं समर्पितं।।

दही से स्नान कराए
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पयस्तु समुदभूतं मधुराम्लं शक्तिप्रभं।
ध्यानीतं मया देव स्नानार्थं प्रतिगृह्यतां।।

घी से स्नान कराए
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नवनीत समुत्पन्नं सर्व संतोषकारकं।
घृतं तुभ्यं प्रदास्यामि स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम।।।

शहद से स्नान कराए
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तरु पुष्प समुदभूतं सुस्वादु मधुरं मधुः।
तेजः पुष्टिकरं दिव्यं स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम।।

शर्करा (गुड़ वाली चीनी) से स्नान
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इक्षुसार समुदभूता शंकरा पुष्टिकार्कम।
मलापहारिका दिव्या स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम।।

पंचामृत से स्नान कराए
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पयोदधिघृतं चैव मधु च शर्करायुतं।
पंचामृतं मयानीतं स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम।।

शुध्दोदक (शुद्ध जल ) से स्नान कराए
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मंदाकिन्यास्त यध्दारि सर्वपापहरं शुभम।
तदिधं कल्पितं देव स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम।।

निम्न मंत्र बोलकर वस्त्र पहनाए
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सर्वभूषाधिके सौम्ये लोक लज्जा निवारणे।
मयोपपादिते तुभ्यं वाससी प्रतिगृह्यतां।।

उपवस्त्र (कपडे का टुकड़ा ) अर्पण करें
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सुजातो ज्योतिषा सह्शर्म वरुथमासदत्सव:।
वासोअस्तेविश्वरूपवं संव्ययस्वविभावसो।।

अब यज्ञोपवीत (जनेऊ) पहनाए
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नवभिस्तन्तुभिर्युक्त त्रिगुण देवतामयम |
उपवीतं मया दत्तं गृहाणं परमेश्वर : ||

मधुपर्क (दही, घी, शहद और चीनी का मिश्रण) अर्पण करें।
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कस्य कन्स्येनपिहितो दधिमध्वा ज्यसन्युतः।
मधुपर्को मयानीतः पूजार्थ् प्रतिगृह्यतां।।

गन्ध (चंदन अबीर गुलाल) चढ़ाए
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श्रीखण्डचन्दनं दिव्यँ गन्धाढयं सुमनोहरम। विलेपनं सुरश्रेष्ठ चन्दनं प्रतिगृह्यतां।।

रक्त(लाल )चन्दन चढ़ाए
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रक्त चन्दन समिश्रं पारिजातसमुदभवम।
मया दत्तं गृहाणाश चन्दनं गन्धसंयुम।।

रोली लगाए
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कुमकुम कामनादिव्यं कामनाकामसंभवाम ।
कुम्कुमेनार्चितो देव गृहाण परमेश्वर्:।।

सिन्दूर चढ़ाए
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सिन्दूरं शोभनं रक्तं सौभाग्यं सुखवर्धनम्।
शुभदं कामदं चैव सिन्दूरं प्रतिगृह्यतां।।

अक्षत चढ़ाए
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अक्षताश्च सुरश्रेष्ठं कुम्कुमाक्तः सुशोभितः।
माया निवेदिता भक्त्या गृहाण परमेश्वरः।।

पुष्प चढ़ाये
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पुष्पैर्नांनाविधेर्दिव्यै: कुमुदैरथ चम्पकै:।
पूजार्थ नीयते तुभ्यं पुष्पाणि प्रतिगृह्यतां।।

पुष्प माला चढ़ाए
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माल्यादीनि सुगन्धिनी मालत्यादीनि वै प्रभो।
मयानीतानि पुष्पाणि गृहाण परमेश्वर:।।

बेल का पत्र चढ़ाए
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त्रिशाखैर्विल्वपत्रैश्च अच्छिद्रै: कोमलै: शुभै:।
तव पूजां करिष्यामि गृहाण परमेश्वर :।।

दूर्वा चढ़ाए
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त्वं दूर्वेSमृतजन्मानि वन्दितासि सुरैरपि।
सौभाग्यं संततिं देहि सर्वकार्यकरो भव।।

दूर्वाकर (दूर्वा हरि दूब) चढ़ाए।
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दूर्वाकुरान सुहरिता नमृतान मंगलप्रदाम।
आनीतांस्तव पूजार्थ गृहाण गणनायक:।।

शमीपत्र अर्पण करें
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शमी शमय ये पापं शमी लाहित कष्टका।
धारिण्यर्जुनवाणानां रामस्य प्रियवादिनी।।

अबीर गुलाल चढ़ाए
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अबीरं च गुलालं च चोवा चन्दन्मेव च।
अबीरेणर्चितो देव क्षत: शान्ति प्रयच्छमे।।

आभूषण चढ़ाए
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अलंकारान्महा दव्यान्नानारत्न विनिर्मितान।
गृहाण देवदेवेश प्रसीद परमेश्वर:।।

सुगंध तेल चढ़ाए
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चम्पकाशोक वकु ल मालती मीगरादिभि:।
वासितं स्निग्धता हेतु तेलं चारु प्रगृह्यतां।।

धूप दिखाए
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वनस्पतिरसोदभूतो गन्धढयो गंध उत्तम :।
आघ्रेय सर्वदेवानां धूपोSयं प्रतिगृह्यतां।।

दीप दिखाए
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आज्यं च वर्तिसंयुक्तं वहिन्ना योजितं मया।
दीपं गृहाण देवेश त्रैलोक्यतिमिरापहम।।

धूप दीप दिखाने के बाद अपने हाथ धो लें।

नैवेद्य (मिठाई) अर्पण करें
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शर्कराघृत संयुक्तं मधुरं स्वादुचोत्तमम।
उपहार समायुक्तं नैवेद्यं प्रतिगृह्यतां।।

मध्येपानीय (आचमन के लिये जल दिखाए)
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अतितृप्तिकरं तोयं सुगन्धि च पिबेच्छ्या।
त्वयि तृप्ते जगतृप्तं नित्यतृप्ते महात्मनि।।

ऋतुफल (फल)
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नारिकेलफलं जम्बूफलं नारंगमुत्तमम।
कुष्माण्डं पुरतो भक्त्या कल्पितं प्रतिगृह्यतां।।

आचमन (भगवान को जल दिखाकर किसी पात्र में डाले)
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गंगाजलं समानीतां सुवर्णकलशे स्थितन।
आचमम्यतां सुरश्रेष्ठ शुद्धमाचनीयकम।।

अखंड ऋतुफल (सूखे मेवे) चढ़ाए।
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इदं फलं मयादेव स्थापितं पुरतस्तव।
तेन मे सफलावाप्तिर्भवेज्जन्मनि जन्मनि।।

ताम्बूल पूंगीफलं (पान, सुपारी लौंग, इलायची) चढ़ाए
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पूंगीफलम महद्दिश्यं नागवल्लीदलैर्युतम।
एलादि चूर्णादि संयुक्तं ताम्बूलं प्रतिगृह्यतां।।

दक्षिणा (दान) अर्पण करें
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हिरण्यगर्भ गर्भस्थं हेमबीजं विभावसो:।
अनन्तपुण्यफलदमत : शान्ति प्रयच्छ मे।।

आरती करें
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चंद्रादित्यो च धरणी विद्युद्ग्निंस्तर्थव च।
त्वमेव सर्वज्योतीष आर्तिक्यं प्रतिगृह्यताम।।

पुष्पांजलि करें
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नानासुगन्धिपुष्पाणि यथाकालोदभवानि च ।
पुष्पांजलिर्मया दत्तो गृहाण परमेश्वर:।।

प्रार्थना करें
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रक्ष रक्ष गणाध्यक्ष रक्ष त्रैलोक्य रक्षक:।
भक्तानामभयं कर्ता त्राता भव भवार्णवात।।

।।अनया पूजया श्री गणपति: देवता प्रीयतां न मम।। ऐसा बोलकर हाथ जोड़कर प्रणाम करें।।

।।
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🌼सावन विशेष🌼         🌿बेलपत्र की कहानी 🌿     स्कंद पुराण के अनुसार, एक बार माता पार्वती के पसीने की बूंद मंदराचल पर्वत प...
26/07/2022

🌼सावन विशेष🌼
🌿बेलपत्र की कहानी 🌿
स्कंद पुराण के अनुसार, एक बार माता पार्वती के पसीने की बूंद मंदराचल पर्वत पर गिर गई और उससे बेल का पेड़ निकल आया। चुंकि माता पार्वती के पसीने से बेल के पेड़ का उद्भव हुआ। अत: इसमें माता पार्वती के सभी रूप बसते हैं। वे पेड़ की जड़ में गिरिजा के स्वरूप में, इसके तनों में माहेश्वरी के स्वरूप में और शाखाओं में दक्षिणायनी व पत्तियों में पार्वती के रूप में रहती हैं,
फलों में कात्यायनी स्वरूप व फूलों में गौरी स्वरूप निवास करता है। इस सभी रूपों के अलावा, मां लक्ष्मी का रूप समस्त वृक्ष में निवास करता है। बेलपत्र में माता पार्वती का प्रतिबिंब होने के कारण इसे भगवान शिव पर चढ़ाया जाता है। भगवान शिव पर बेल पत्र चढ़ाने से वे प्रसन्न होते हैं और भक्त की मनोकामना पूर्ण करते हैं। जो व्यक्ति किसी तीर्थस्थान पर नहीं जा सकता है अगर वह श्रावण मास में बिल्व के पेड़ के मूल भाग की पूजा करके उसमें जल अर्पित करे तो उसे सभी तीर्थों के दर्शन का पुण्य मिलता है।
बेल वृक्ष का महत्व-

1. बिल्व वृक्ष के आसपास सांप नहीं आते।

2. अगर किसी की शवयात्रा बिल्व वृक्ष की छाया से होकर गुजरे तो उसका मोक्ष हो जाता है।

3. वायुमंडल में व्याप्त अशुद्धियों को सोखने की क्षमता सबसे ज्यादा बिल्व वृक्ष में होती है।

4. 4, 5, 6 या 7 पत्तों वाले बिल्व पत्रक पाने वाला परम भाग्यशाली और शिव को अर्पण करने से अनंत गुना फल मिलता है।

5. बेल वृक्ष को काटने से वंश का नाश होता है और बेल वृक्ष लगाने से वंश की वृद्धि होती है।

6. सुबह-शाम बेल वृक्ष के दर्शन मात्र से पापों का नाश होता है।

7. बेल वृक्ष को सींचने से पितर तृप्त होते हैं।

8. बेल वृक्ष और सफेद आक को जोड़े से लगाने पर अटूट लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।

9. बेलपत्र और ताम्र धातु के एक विशेष प्रयोग से ऋषि मुनि स्वर्ण धातु का उत्पादन करते थे।

10. जीवन में सिर्फ 1 बार और वह भी यदि भूल से भी शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ा दिया हो तो भी उसके सारे पाप मुक्त हो जाते हैं।

11. बेल वृक्ष का रोपण, पोषण और संवर्द्धन करने से महादेव से साक्षात्कार करने का अवश्य लाभ मिलता है।

कृपया बिल्व पत्र का पेड़ जरूर लगाएं। बिल्व पत्र के लिए पेड़ को क्षति न पहुचाएं।
सादर जय सिया राम🙏
ॐ नमः शिवाय🙏

🚩 🚩शनिवार की पूजन विधि🚩🚩◼️ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नहा धोकर और साफ कपड़े पहनकर पीपल के वृक्ष पर जल अर्पण करें।⚫️ लोहे से ...
22/01/2022

🚩 🚩शनिवार की पूजन विधि🚩🚩
◼️ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नहा धोकर और साफ कपड़े पहनकर पीपल के वृक्ष पर जल अर्पण करें।
⚫️ लोहे से बनी शनि देवता की मूर्ति को पंचामृत से स्नान कराएं।
⚫️फिर मूर्ति को चावलों से बनाए चौबीस दल के कमल पर स्थापित करें।
⚫️इसके बाद काले तिल, फूल, धूप, काला वस्त्र व तेल आदि से पूजा करें।
⚫️पूजन के दौरान शनि के दस नामों का उच्चारण करें-
कोणस्थ, कृष्ण, पिप्पला, सौरि, यम, पिंगलो, रोद्रोतको, बभ्रु, मंद, शनैश्चर।

⚫️पूजन के बाद पीपल के वृक्ष के तने पर सूत के धागे से सात परिक्रमा करें।
⚫️इसके बाद शनिदेव का मंत्र पढ़ते हुए प्रार्थना करें-
#शनैश्चर_नमस्तुभ्यं_नमस्ते_त्वथ_राहवे।🚩
#केतवेअथ_नमस्तुभ्यं_सर्वशांतिप्रदो_भव॥🚩🚩

01/01/2022

कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम् ।
सदा बसन्तं हृदयारबिन्दे भबं भवानीसहितं नमामि ।।
हर हर महादेव.. 🚩

जयन्ती मड्गला काली भद्रकाली कपालिनी ।दुर्गा क्षमा शिवाधात्री स्वाहा स्वधा नमो स्तुते ॥
31/12/2021

जयन्ती मड्गला काली भद्रकाली कपालिनी ।
दुर्गा क्षमा शिवाधात्री स्वाहा स्वधा नमो स्तुते ॥

मयूर नृत्य की छवि लिए अपराजिता का प्यारा फूल 🚩
21/10/2021

मयूर नृत्य की छवि लिए अपराजिता का प्यारा फूल 🚩

ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः🚩शक्ति व विजय के प्रतीक पावन पर्व 'शारदीय नवरात्रि' की सभी   भक्तों को हार्दिक बधाई व शुभकामनाएं।म...
07/10/2021

ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः🚩

शक्ति व विजय के प्रतीक पावन पर्व 'शारदीय नवरात्रि' की सभी भक्तों को हार्दिक बधाई व शुभकामनाएं।

माँ शैलपुत्री से प्रार्थना है कि हम सभी को सुख-सिद्धि तथा आनन्दमय जीवन प्रदान करें।

✍️ या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः🚩

जय हरि स्मरणम्🚩
शुभम् भवन्तु कल्याणम्
सपरिवार सकुशलता का अभिलाषी---------🚩
जय माता दी🙏🚩

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