राजपूतों में महिलाओं का शादी के बाद सरनेम नहीं बदलता
#rajtilak #mewar #chittorgarh
#history #rajput #sisodiya #rajputana #udaipur
श्री संग्राम गढ़ ठिकाना - सोयला जोधपुर मारवाड़ कर्मसोत -राठौड़।
© Bhupendra Singh
ठिकाना - "राजमहल रावता" (बीसलपुर, टोडा) दुर्ग
इस ठिकाने की स्थापना टोडा के सोलंकी शासक राव नाथाजी ने
सन् 1478 ( संवत् 1535) में की थी ।
यह नाथावत शाखा के सोलंकी वंश के राजपूतों का मुख्य निकास स्थान है (जन्मभूमि)।
राव नाथाजी महा पराक्रमी योद्धा हुए, इन्होंने इब्राहिम लोदी को टोडा थान पर बुरी तरह परास्त किया था, इनको टोडा़ से राजमहल रावता की जागीर प्राप्त हुई थी।
(राव नाथाजी के नाथावत सोलंकी के 12 पुत्रों से उपखापे चली ।
वर्तमान में पहाड़ी के ऊपर दुर्ग खंडहर अवस्था में जर्जर हालत में है
और एक किला बनास नदी के समीप स्थित है ।
यहां राव नाथाजी ने डूंगर ऊपर पक्को गढ़, वराही माता का मंदिर और बावड़ी का निर्माण करवाया था।
मुगल (अकबर) और जयपुर की सेना के द्वारा संवत् 1652 को टोडा़ पर आक्रमण करने पर सोलंकी वंश से टोडा रियासत भी छूट गयी तो आसपास के ठिकाने जैसे राजमहल - रावता और दूनी की जागी