Baat uttarakhand ki

Baat uttarakhand ki बात उत्तराखंड की

टिहरी गढ़वाल
31/08/2022

टिहरी गढ़वाल

12/05/2022
शहरों में उजाला करने के लिये पहाड़ो के गाँवों का बलिदान दिया जा रहा हैउत्तराखंड बने महान बिजली पैदा करने वाला राज्य ऐसा इ...
13/04/2022

शहरों में उजाला करने के लिये पहाड़ो के गाँवों का बलिदान दिया जा रहा है
उत्तराखंड बने महान बिजली पैदा करने वाला राज्य ऐसा इतिहास लिखा जा रहा है
पहले टिहरी में भगीरथी का अब लोहारीगाँव माँ यमुना का गला घोंटा जा रहा है
थोड़ थोड़ कर पुस्तेनी घरों पर पानी का समंदर बनाया जा रहा है
तोड़ कर हजारों घरों के सपने शहरों का रोशन किया जा रहा है
पहले टिहरी बना काला पानी अब लोहारी का नाम आ रहा है

01/04/2022

"पहाड़ का पलायन"

घर घर मा ताला लगयाँ छा चौक मा छिबाड़ा नचाण लगयाँ छा

रोंण लग्युछा यु पहाड़ भी अब याखुली हमते आपडा घर बुलाण लग्यु छा

बांजा पड़ी छा आज सेरों का डोखरा
रोली गदेरी सुखण लगी छा

चलगी जै घर गाऊँ गुढ़ियार छोडी अब किराया कमरों ते सजोण लग्यु छा

थे जै पहाड़ कु शुद्ध हवा अर पानी
अब हवा की खातिर पंखा अर एसी कु मौतज हुयूँ छा

पी पैली पाणी बाँझ अर बुरांशा की जड्डीयों कु
अब पाणी कु भी बिल बनु छा

आज नी ता बोल यु दिन भी जरूर आलु
जब तू बोललू लोगों मा मैं आज अपड़ा पहाड़ जानू छा
मैं आज अपड़ा घर जाणु छा

लेखक
विरेंद्र राम

31/03/2022

"मुझे इंसान रहने दो"
बेशक़ तुम भगवान बन जाओ
मुझको इंसान रहने दो
तुम बन जाओ जग के नायक
मुझको खलनायक रहने दो
तुम बन जाओ राम अयोध्या के
मुझको लंका का रावण रहने दो
तुम बन जाओ अर्जुन के गाँडीव
मुझको तरकश के बाण रहने दो
तुम बन जाओ बेशक़ दानवीर कर्ण
मुझको पाताल का बलि रहने दो
तुम बन जाओ महान ज्ञानी मंदिर के
मुझको तुम अज्ञानी रहने दो
बाँट रहे हो तुम जिनको जाति धर्म के नामपर
मुझको सिर्फ इंसान रहने दो
बेशक़ तुम बन जाओ भगवान जगत के
मुझको बस इंसान रहने दो
मुझको बस इंसान रहने दो

लेखक
विरेंद्र राम

06/03/2022

खूब दस्तूर है दुनिया का

"नही चलेगी नही चलेगी ये तानाशाही नही चलेगी"दून महिला अस्पताल में प्रसव बंद होने के कारण वहां के मरीजों को गांधी शताब्दी ...
13/01/2022

"नही चलेगी नही चलेगी ये तानाशाही नही चलेगी"

दून महिला अस्पताल में प्रसव बंद होने के कारण वहां के मरीजों को गांधी शताब्दी अस्पताल में जाना पड़ रहा है
लेकीन गांधी शताब्दी में उपयुक्त महिला स्टाफ व चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के न होने के कारण वहां की गर्भवती महिलाओं को प्रसव करवाने के लिए डॉक्टरों को नर्सेस स्टाफ पूरा न होने की वजह से बड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है लेकीन सरकार का इस ओर कोई ध्यान नही जा रहा है जहां उत्तराखंड में आयुर्वेदिक परिचारिकाओ को 3वर्ष 6माह का पाठयक्रम एवम् प्रशिक्षण करवाया गया है जिसमें की (2 दो वर्ष का हॉस्पिटल एंड मैनेजमेंट (1) साल का हॉस्पिटल वर्क और (6) माह का प्रसुति का पूरा 3वर्ष 6माह का पाठयक्रम एवम् प्रशिक्षण करवाया गया है) लेकीन इतना सब कुछ होने के बाद आज भी आयुर्वेदिक परिचारिकाएं नर्सेस बेरोजगार है जहां दून के अस्पतालो में स्टाफ की कमी हो रही है वहीं दूसरी ओर आयुर्वेदिक नर्स बेरोजगार धक्के खा रही है लेकीन सरकार को इनकी कोई परवा नहीं है हमेशा से ही नर्सों के साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है
सरकार से गुजारिश है कि गांधी शताब्दी अस्पताल में स्टाफ की कमी को देखते हुए आयुर्वेदिक परिचारिकाओ को उनकी जगह तैनाती दी जाए और आयुर्वेदिक नर्सों के बारे में सोचा जाए

समस्त बेरोजगार आयुर्वेदिक परिचारिकाएं आपके आभारी रहेंगी

02/11/2021

दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं

15/09/2021

बेरोजगार उत्तराखंड आयुर्वेदिक परिचारिका संघ
परिचारिका यानी नर्स जो की अस्पतालों में दिन रात मरीजों की सेवा में लगे रहते हैं जिनके बिना बड़ा या छोटा अस्पताल चलाना नामुमकिन है लेकिन यहां आयुर्वेदिक नर्सों के साथ भेद भाव धोखा किया जा रहा है जहां पहले इन्होंने गरीब मां बाप ने पता नही कैसे कैसे अपने बच्चों से यह कोर्स करवाया की हमारे बच्चे अच्छी पोस्ट पर काम करेंगे लेकिन यहां तो उल्टा ही हो गया है कॉलेज वालो ने पहले 3 साल का पाठ्यक्रम चलाया जिसमें सिर्फ 1st ईयर और 3rd ईयर ही पढ़ाई हुई 2nd ईयर कुछ नही हुआ फिर 6 माह का अलग से प्रसूति विज्ञान का पाठ्यकर्म चलाया जो की 4 साल तक छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ किया गया और अब जब नौकरी की बात आती है तो ना आयुष चिकित्सा वाले ना आयुष विंग और ना ही सरकार इनकी परेशानी को सुन रही है,
आलम यह है कि ना तो कोई अस्पताल ना नर्सिंग होम क्लीनिक या मेडिकल स्टोर में इनको कहीं जॉब नही मिल रही है आयुर्वेदिक परिचारिका का नाम सुनते ही लोग हंसने लग जाते हैं की यह कोन कोर्स है इन आयुर्वेदिक परिचारिका परिचारिकाओ को बेरोजगारी का सामना करना पड़ रहा है जहां देश में सब मेडिकल स्टॉफ ने कोरोना महामारी मे अपना सहयोग दिया इनको इतना भी हक नही दिया गया की इनकी सेवा भी अस्पतालो में ली जाए जहां सरकार ने संविदा पर कोविड केयर सेंटरो मे लोगों को लगाया क्या वहां आयुर्वेदिक परिचारिका को उन पदों पर भर्ती नहीं मिल सकती थी जो कि सारा कार्य जानती थी
सरकार को जल्दी से जल्दी आयुर्वेदिक परिचारिकाओ के भविष्य के बारे सोच कर उनकी पोस्ट को खोलना होगा

13/09/2021
कामरेड श्री बिरेन्द्र भंडारी  जी को लाल सलाम
16/05/2021

कामरेड श्री बिरेन्द्र भंडारी जी को लाल सलाम

"आखिर चला ही गया मजदूरो का मददगार"
2 जून 1950 को श्री बुद सिंह भण्डारी व श्रीमती भगवती भण्डारी के परिवार मे जन्मे तीन भाइयों व दो बहिनो मे दूसरे नम्बर के बेटे थे, कामरेड बिरेन्द्र भण्डारी । कामरेड बिरेन्द्र भण्डारी का पैतृक गांव जनपद पौड़ी गढ़वाल के बीरुखाल ब्लाक का मेलदार गाँव है ।
आजादी से पूर्व उनके पिता जी, जो आज के पाकिस्तान का हिस्सा है रोजगार हेतु चले गये थे और देश की आजादी के बाद जब विभाजन हुआ तो वे वापस हिन्दुस्तान देहरादून आ गये औऱ यही पर अपने परिवार को साथ रखकर ब्यापार करने लगे ।
कम उम्र में ही उनके पिता का देहांत हो गया ऒर परिवार की पूरी जिम्मेदारी कामरेड भण्डारी के कन्धों पर आ गयी । परिवार की आवश्यक जरूरतों को पूरा करने के लिये उन्होंने देहरादून के रायपुर मे जहां उनकी पैतृक सम्पति है , चाय की दुकान खोली जिसमे परिवार के लोग भी मदद करते थे, कामरेड भण्डारी प्रातः साइकिल से अखबार बेचा करते थे बाद में उन्होंने लम्बे समय तक साइकिल से ही दूध बेचने का भी काम किया रायपुर क्षेत्र रक्षा क्षेत्र की फेक्ट्रियो का क्षेत्र होने के कारण मजदूर बाहुल्य होने के नाते, मजदूरों की यूनियनों का गठन करने में भी कामरेड भण्डारी का बड़ा योगदान रहा है । अपने भाई बहिनो की शिक्षा शादी विवाह की जिम्मेदारी के साथ- साथ उन्होंने अपनी पढ़ाई भी जारी रखी और स्नातक के साथ एलएलबी की डिग्री हासिल की इसी लिये देहरादून मे श्रम कानूनों के अच्छे वकीलो मे उनका नाम लिया जाता है ।
कामरेड भण्डारी बचपन से ही वामपंथी विचारो से काफी प्रभावित थे, उन्होंने अपने छात्र जीवन मे एसएफआई के गठन से पूर्व डीएवी महाविद्यालय मे प्रगतिशील छात्रो के समूह का गठन किया था इस समूह के जसबिन्दर सिंह मिक्की जी छात्र संघ के अध्यक्ष भी चुने गये थे, इसी दौर मे गढ़वाल बिश्वविद्यालय का आन्दोलन चल रहा था तब इस ग्रुप ने एसएफआई के नाम से इस आन्दोलन को समर्थन दिया था, उसके बाद डीएवी महाविद्यालय मे एसएफआई का गठन हुआ ।
1980 मे कामरेड पूरन चन्द के कहने पर कामरेड भण्डारी सीआईटीयू में आये और मजदूरो के बीच काम करने लगे कामरेड भण्डारी ने सबसे पहले कानपुर से ड्राइवर कण्डेक्टर यूनियन का पंजीयन कराकर सीटू के साथ जोड़ा इससे पूर्व केवल बल्ब फेक्ट्री व चाय बागान की ही यूनियनें ही सीटू के साथ थी इसके बाद देहरादून में सीआईटीयू का विधिवत गठन हुआ, कामरेड पूरण चन्द अध्यक्ष ओर कामरेड भण्डारी महासचिव चुने गये ओर लम्वे समय तक देहरादून सीटू के महासचिव रहे । वर्ष 2000 मे जब उत्तरप्रदेश से अलग हो कर उत्तराखण्ड राज्य बना तो कामरेड सत्य प्रकाश अध्यक्ष व कामरेड भण्डारी उत्तराखण्ड सीआईटीयू के महासचिव चुने गये तथा लम्बे समय तक इस पद पर रहे, कामरेड सत्य प्रकाश के देहान्त के बाद कामरेड भण्डारी प्रान्तीय अध्यक्ष चुने गये थे जो कि वे अन्तिम समय तक रहे ।
वर्ष 1970-71 के दौर मे देहरादून के कांवली रोड पर स्थित अफ्रीका हाउस जो प्रगतिशील लोगो आवास हुआ करता था आज भी यह भवन स्थित है इसी ऐतिहासिक भवन मे पार्टी के संस्थापक सदस्यो मे रहे कामरेड गुरदीप सिंह ने कामरेड बिरेन्द्र भण्डारी को पार्टी का सदस्य बनाया था । उन्होंने कामरेड भण्डारी के पार्टी सदस्यता फार्म मे प्रस्तावक के रूप मे लिखा था कि इस कामरेड मे क्रांतिकारी बनने के पूरे गुण दिखाई देते है । कामरेड भण्डारी ने 1974-75 के दौर मे कामरेड विजय रावत के साथ किसान सभा मे भी काम किया ।
निश्चित तौर पर संगठन के नैतृत्वकारी साथी के जाने से अपूर्णीय क्षति होती है । वे पार्टी व ट्रेड यूनियन के राज्य के शीर्षस्थ नैतृत्व मे थे । उनके जीवन की अनेक महत्वपूर्ण राजनैतिक घटनाओं में रायपुर पंचायत मे उप प्रधान के पद पर रहते हुये व प्रधान के मृत्यु के बाद लम्बे समय तक ग्राम प्रधान पद का दायित्व निभाना व बाद मे रायपुर ग्राम प्रधान का चुनाव लड़ना भी था । इस चुनाव में आतंक का प्राय: बन चुके रेशम थापा के खिलाफ पार्टी द्वारा कामरेड भण्डारी को प्रत्याशी बनाया जाना व सभी साथियों द्वारा डटकर मुकाबला करना शामिल था । इस घटना से एक बेहद साधारण परिवार के युवा साथी भण्डारी को आगे बढ़ने का अवसर मिला । आगे चलकर वे देहरादून के प्रतिष्ठित श्रमिक नेता बने व कामरेड सुनील चन्द दत्ता ,कामरेड निताई घोष ,कामरेड पूरन चन्द द्वारा स्थापित परम्परा के वाहक बने ।
मंहगाई के खिलाफ जेल भरो आन्दोलन, ट्रेड यूनियन का ईंट भट्टा आन्दोलन व राजा डुमराव स्टेट के खिलाफ कारबारी की जनता का ऐतिहासिक आन्दोलन सुर्खियों में रहा, जिसके चलते हमारी पार्टी के साथियों को पुलिसिया दमन का सामना करते हुऐ भी आगे बढ़कर जनता के बीच पहचान बनाने का अवसर मिला । कारबारी का ऐतिहासिक आन्दोलन हमारी पार्टी व क्षेत्र के विकास में मील का पत्थर साबित हुआ जहाँ किसान सभा के नैतृत्व में डुमराव स्टेट की तानाशाही के खिलाफ ऐतिहासिक संघर्ष चला कर राजा द्वारा गांव के कब्जाये रास्ते को मुक्त किया । इस आन्दोलन की पृष्ठभूमि में कामरेड विजय रावत, कामरेड राज शर्मा, कामरेड पूरन चन्द, बीरेन्द्र भण्डारी, कामरेड गोसांई सिंह जगवाण तथा का0 भगवान सिंह पुंडीर की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करना ज़रूरी हो जाता है । छोटी पार्टी होने के बावजूद ऐतिहासिक कार्य की शुरुआत कर डाली । इस आन्दोलन के बाद आरकेडिया, सभावाला, सहसपुर आदि अनेक पंचायतों में पार्टी कामरेड्स ने जीत हासिल कर कुशल नैतृत्व दिया । 1982- 83 ईंट भट्टा तथा 1986 पर्यावरण की आड़ में उद्योगों को बन्द करने के खिलाफ आन्दोलनों मे सीआईटीयू की भूमिका केन्द्र में आ चुकी थी जिसका नैतृत्व कामरेड पूरन चन्द व कामरेड बीरेन्द्र भण्डारी कर रहे थे । इस आन्दोलन के समर्थन में एसएफआई के रूप मे देहरादून की कमेटी सक्रिय रही । देहरादून शहर को अपनी आधुनिकता के लिये प्रसिद्धि मिल रही थी जबकि इसके ग्रामीण क्षेत्र कांवली, मेहूवाला, पित्थुवाला, बंशीवाला आदि में स्थापित ईंट भट्ठों के मजदूर दशकों से बन्धुवा मज़दूर के रूप में पिस रहे थे । इसके विरोध में आयोजित आन्दोलन के कारण वहाँ कार्यरत मज़दूरों की मुक्ति का रास्ता खुला तथा काम के घण्टे तय हुये तथा मज़दूरी में इज़ाफा हुआ । इस आन्दोलन का नैतृत्व कामरेड बिरेन्द्र भण्डारी कर रहे थे ।
1986 में पर्यावरण की आड़ में चूना ,सीमेंट आदि उद्योग बंद किये जा रहे थे ताकि दून घाटी राजनेताओं तथा नौकरशाहों की ऐशगाह बन सके । किन्तु हमारी पार्टी व ट्रेड यूनियन ने वैकल्पिक नीतियों को पेश करते हुऐ (पर्यावरण भी सुरक्षित रहे व उद्योग धन्धे भी चलते रहें) नारे को आगे बढ़ाया व इसमें काफी हद तक सफलता हासिल की जिसका नैतृत्व कामरेड भण्डारी ने बखूबी से किया ।
कामरेड बीरेन्द्र भण्डारी के निधन पर अनेक जाने माने लोगों सामाजिक -राजनैतिक संगठनों सहित पार्टी व जनसंगठनों के केन्द्रीय नेतृत्व ने जो शोक संवेदना जताई वह निश्चित रूप से वीरेंद्र भंडारी जी सहित सभी साथियों के संघर्षों व कुर्बानिंयों का परिणाम है । (इस लेख को लिखने मे कामरेड विजय रावत व कामरेड अनन्त आकाश का बिशेष सहयोग प्राप्त हुआ है) ।
13 मई 2021 को 10.15 बजे प्रातः केंसर जैसी घातक बीमारी से संघर्ष करते हुये वे हम सब को छोड़ कर चले गये । भारत की कम्युनिस्ट पार्टी ( मार्क्सवादी) की राज्य कमेटी कामरेड को क्रांतिकारी श्रद्धांजलि अर्पित करती है तथा इस दुःख की घड़ी मे हमारी पूरी पार्टी उनके परिवार के साथ खड़ी है ।
कामरेड बिरेन्द्र भण्डारी अमर रहे !
कामरेड बिरेन्द्र भण्डारी को लालसलाम!!
(राजेन्द्र नेगी)
राज्य सचिव

20/03/2021

Heart teaching line

दिल को छू लेने वाली लाइन
12/03/2021

दिल को छू लेने वाली लाइन

12/03/2021

एक चित्रकार ने एक स्तनपान करवाते हुये माँ की तस्वीर बनाई और बेचने के लिए लगा दी तो वहाँ आये सभी लोगों ने चित्रकार का खूब उपहास किया भला बुरा बोला लेकिन तभी एक छोटा बच्चा देख कर बोला कि कितनी प्यारी मम्मी है मेरी मम्मी की तरह
मेरी मम्मी भी मुझे ऐसे ही प्यार से दूध पिलाती है
तो वहाँ आए सभी लोगों के आँखों में आंसू आ गए उनको अपना बचपन याद आ गया
दोस्तों आँखे और दिल हम सब के पास होता है मगर अच्छा नजरिया किसी किसी के पास होता है।

पहाड़ का शुद्ध वातावरण बर्फीली वादियाँ सुन्दर नजारे
14/12/2020

पहाड़ का शुद्ध वातावरण बर्फीली वादियाँ सुन्दर नजारे

25/11/2020

नमस्कार मेरा सभी उत्तराखंडी भाई बहनों दोस्तों कु
जन कि आप सभी लोग देखणा ही छा कि आज हमारू जू वातावरण पर्यावरण छा त उ आज हमारा द्वारा जगह जगह गंदगी कूड़ा फैलोण सी जंगलो मा आग लगोंण सी ज्यादा मात्रा मा वणों मा पेड़ पौधों का कटण सी आज वातावरण पर्यावरण अशुद्ध होण लग्यूं छ जैका कारण तरह-तरह की बीमारी आज हम सबका भीतर पलण लग्यीं छा
जू कि बहुत जल्द आप सबका बीच मा ई टोपिक मा विचार विमर्श कोला
धन्यवाद।

23/11/2020

याद आली टिहरी

प्रतापनगर जो कि बाँध प्रभावित क्षेत्र है जहाँ आज भी सारी सुविधाएं उपलब्ध नही है जनता परेशान है उक्त रोजगार स्वास्थ्य शिक...
09/11/2020

प्रतापनगर जो कि बाँध प्रभावित क्षेत्र है जहाँ आज भी सारी सुविधाएं उपलब्ध नही है जनता परेशान है उक्त रोजगार स्वास्थ्य शिक्षा कुछ भी नही है और लोग शहरो में पलायन कर रहे हैं

05/11/2020

बाँध प्रभावित क्षेत्र प्रतापनगर जहाँ आज सारी सुविधाएं उपलब्ध नहीं होती ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी सारी सेवायें उपलब्ध नहीं हो पाती है बीच में टिहरी झील होने के कारण लोगों को 20-25 कि.मी घूम कर जाना पड़ता है |

01/11/2020

कन्या भ्रूण हत्या जैसे घिनौने अपराध और 1 मासूम सी नन्ही जान जो अभी जन्मी भी नहीं है उसे मारने जैसा दुष्कर्म करने वालों को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए
ऐसी बेटियां जो भ्रुण हत्या का शिकार हुई है उनको एक गीत समर्पित

23/10/2020

बहुत जल्द आप सभी का बीच 1 नयी वीडियो जू कि नशा एक जहर पर आधारित छा कि हमारी जू पीढ़ी छा नौजवान भाई बंन्ध छा उ लोग आज नशा की ओर ज्यादा प्रभावित होणा छ और अपडी जिन्दगी कू नाश कना छा

बात उत्तराखंड की आज हमारा उत्तराखंड का जु मूल निवासी छ ऊ लोग आज सब पलायन करीके शहरों मा बस्यां छआज हमारी जु अपडी बोली भा...
22/10/2020

बात उत्तराखंड की आज हमारा उत्तराखंड का जु मूल निवासी छ ऊ लोग आज सब पलायन करीके शहरों मा बस्यां छ
आज हमारी जु अपडी बोली भाषा गढ़वाली छ हम आज गढ़वाली बोलणमा भी शर्मादां जे कारण हमारी दूधबोली जन्म भाषा गढ़वाली आज सिर्फ गांव तक ही सीमित रैगी
हमारू अगाडी यू प्रयास रलू की हमारी जतना भी वीडियो आली व गढ़वाली मा आऊ

https://youtu.be/RvCGzKVT-J0
18/10/2020

https://youtu.be/RvCGzKVT-J0

उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्र में उक्त रोजगार ना होने पर पहाड़ो से ग्रामीण क्षेत्रों में बड़ा पलायन , Please LIKE SHARE SUBSCRIBE MY YOUTUBE...

बहुत जल्द आप सभी का खातिर नयी वीडियो ओण वाली जू कि रोजगार पर आधारित छ मेरी पहली वीडियो ते भी आप सभी लोगों न बहुत प्यार द...
15/10/2020

बहुत जल्द आप सभी का खातिर नयी वीडियो ओण वाली जू कि रोजगार पर आधारित छ मेरी पहली वीडियो ते भी आप सभी लोगों न बहुत प्यार देनी मैं ते यकीन छ नई वीडियो तेइ भी आप जरूर पसंद कोला और प्यार देला।

13/10/2020

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Tehri Garhwal
Tehri
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