16/09/2019
समाज सुधार में शिक्षको की भूमिका अहम -
भगवान भाई
तेघरा बेगुसराय
समाज को सुधारने हेतु आदर्श शिक्षको की आवश्यकता है। समाज सुधारने में शिक्षको की भूमिका अहम होती है। शिक्षक शिल्पकार है। विद्यार्थी उनकी मूर्तियाँ है। उक्त उदगार प्रजापिता ब्रम्हाकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय माउंट आबू राजस्थान से आये राजयोगी ब्रम्हाकुमार भगवान भाई ने कहे। वे आज मेघराज मेमोरियल बी.एड. कॉलेज के भावी प्रशिक्षणार्थी शिक्षको को आदर्श शिक्षक विषय पर संबोधित करते हुए बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि आज बिगड़ती हुई परिस्थिति को देखते हुए समाज को सुधारने की बहुत आवश्यकता है। अगर भावी समाज को आदर्श बनाना है तो छात्र छात्राओं को भौतिक शिक्षा के साथ साथ नैतिक आचरण पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि शिक्षक वही है जो अपने जीवन की धारणाओं से दुसरो को शिक्षा देता है। शिक्षको की धारणाओं से विद्यार्थियों में बल भरता है। जीवन की धारणाओं से वाणी, कर्म, व्यवहार और व्यक्तित्व में निखार आता है। उन्होंने कहा कि शिक्षा देने के बाद अगर बच्चे बिगड़ रहे है तो इसका मतलब मूर्तिकार में भी कुछ कमी है। शिक्षको को केवल पाठ पढ़ाने वाला शिक्षक नही बल्कि समाज को श्रेष्ठ मार्गदर्शन देने वाला शिक्षक बनना है। उन्होंने कहा कि शिक्षक होने के नाते हमारे में सद्गुण होना आवश्यक है। किताबी ज्ञान के साथ साथ बच्चो अपने जीवन की धारणाओं के आधार पर नैतिक पाठ पढ़ाना भी जरूरी है। भगवान भाई ने बताया कि शिक्षको के हाव्, भाव, उठना, बोलना, चलना व व्यवहार करना इन बातों का भी असर भी बच्चों के जीवन पर पड़ता है। उन्होंने कहा कि अब समाज को शिक्षित करने की शिक्षा देने का स्वरूप बदलने की आवश्यकता है तब सामने वालो पर उस शिक्षा का असर पड़ेगा। 5000 स्कूलों में नैतिकता का पाठ पढाकर अपना नाम इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज कराने वाले भगवान भाई ने कहा कि बच्चों के बौद्धिक विकास के साथ साथ चरित्रवान, संस्कारवान, बनाने की आवश्यकता है। भौतिक परीक्षाओ में पास होने के साथ वह बच्चे समाज मे जाने के बाद हर समस्या व परिस्थिति में भी पास हो जाये ऐसी शिक्षा की भी जरूरत है। उन्होंने बताया कि वर्तमान समय समाज मे अपराध बढ़ते जा रहे है। व्यसन, नशा, भ्रस्टाचार, अपघात, तनाव, मानशिक बीमारियाँ, आपसी मतभेद यह सब नैतिक मूल्यों की कमी के कारण हो रहे है। अगर समाज के अंदर के मूल्य नष्ट हो जाएंगे तो यह संसार वीरान बनेगा, राक्षशी वृति वाला समाज बनेगा। इसमे चलना बड़ा ही मुश्किल हो जाएगा। मानवी मन मे छिपे हुए मूल्यों को व्यवहार में लाना ही शिक्षा का मूल उद्देश्य है।
स्थानीय राजयोग सेवाकेंद्र प्रभारी ब्रह्मकुमारी आशा बहन जी ने भी अपना उदबोधन देते हुए कहा कि मूल्यों का स्रोत आध्यामिकता है। जबतक हम आध्यामिकता को नही समझते तब तक नैतिक मूल्य जीवन मे नही आएंगे। हम सभी ज्योति बिंदु आत्माये पिता परमात्मा के बच्चे आपस मे भाई-भाई है। जब मन मे आत्मिक भाईचारा जागृत होगा तब ही सहनशीलता, नम्रता, मधुरता आदि सद्गुण जीवन मे विकसित होगा।
प्राचार्य गिरिधर गोपाल जी ने अपना उदबोधन देते हुए कहा कि वर्तमान की परिस्थिति को परिवर्तन करने की जिम्मेवारी शिक्षको की है। उन्होंने बताया अब शिक्षक को स्वयं के अंदर अवगुन रूपी अंधेरे को मिटाने की आवश्यकता है। तब संसार मे हमारा प्रकाश फैलाकर अज्ञान, अंधेरा मिटेगा। स्वयं के आचरण पर ध्यान देने की आवश्यकता है। अंत मे मैडिटेशन भी कराया जिसमे कॉलेज के प्रधानाध्यापक प्रभात कुमार, ज्ञानचंद्र कुमार, निखर कुमार, अमित चौधरी, रौशन कुमार, शुषमा कुमारी, रूपेश कुमार, आनंद कुमार, संजीव एवं सैकड़ो विद्यार्थी शामिल थे।