Pradeep Dubey

Pradeep Dubey धर्म के ठेकेदारों पहले इंसान तो बनो...

बोलो सियावर राम चंद्र की जय. ..
29/10/2024

बोलो सियावर राम चंद्र की जय. ..

टाटा दूर के नहीं थे। टटोल कर देखेंगे तो आँगन के किसी कोने में मिल ही जाएँगे। नमक के पैकेट पर, लोहे की सरिया में ,आपकी गा...
10/10/2024

टाटा दूर के नहीं थे। टटोल कर देखेंगे तो आँगन के किसी कोने में मिल ही जाएँगे। नमक के पैकेट पर, लोहे की सरिया में ,आपकी गाड़ी में और सबसे ज़्यादा आपकी धड़कन में।
दावे से कह सकता हूँ व्यवसाय में रहते हुए लोकप्रियता के जिस चरम को पुण्यलीन रतन टाटा जी ने छुआ वो दूसरे व्यवसाई के लिये कभी संभव न होगा।
रतन टाटा ने भारत का भरोसा जीता। उम्र के आख़िरी दशक में भी अपने आख़िरी दिन तक अपने काम से मोहब्बत करना ही रतन टाटा होना है।
जाने क्यों लग रहा है कोई अपना चला गया।
दुनिया की आँखे नाम हैं गले गीले हैं और आवाज़ रूँधी हुई फिर रहमान फ़ारिस का वो शेर याद आता है।

कहानी ख़त्म हुई और ऐसे ख़त्म हुई
कि लोग रोने लगे तालियाँ बजाते हुए

🥺💐🙏🏻

22/09/2024
28/05/2024

😂😂

भाजपा वालों से पर्ची लेकर Rahul Gandhi को वोट कर आया हूं,हाँ हाँ मैं देशद्रोहियों की छाती पर चोट कर आया हुँ 😂
28/05/2024

भाजपा वालों से पर्ची लेकर Rahul Gandhi को वोट कर आया हूं,
हाँ हाँ मैं देशद्रोहियों की छाती पर चोट कर आया हुँ 😂

नहीं तुम सब बताओ अब मैं कहाँ जाऊँ?तुमको हंसाने के चक्कर में मेरे तो ❤️डे लग गए हैँ
28/05/2024

नहीं तुम सब बताओ अब मैं कहाँ जाऊँ?
तुमको हंसाने के चक्कर में मेरे तो ❤️डे लग गए हैँ

28/05/2024

इस्लाम की यही तो खूबसूरती है...

28/05/2024

Ajeet Bharti भईया इतना तो नहीं पेलना था की बंदा पानी भी न मांग पाए 🤣🤣🤣🤣😂😂😂

28/05/2024

तो कैसे हैँ आप सब? 🤣🤣

23/04/2024

बचपन में आवारापन पिच्चर इमरान हाश्मी वाली
बहुत पसंद आई थी....!

तब उम्र मात्र 10 साल थी मतलब परिपक्वता शून्य बोले तो कोई फीलिंग वीलिंग नहीं लेकिन ये पिच्चर देखकर पता नहीं क्यों लगता था कुछ तो बात है इसमें....!

इस फिलिम में एक सीन है
जब इमरान हाश्मी की प्रेमिका मर जाती है और उसे कब्रस्तान में दफना दिया जाता है....,और प्रेमिका की जुदाई में पागल हुआ इमरान इस हद तक चले जाता है कि.....!

रात कब्रिस्तान में जाकर अपनी प्रेमिका वाली कब्र खोदने लगता है वो भी सिर्फ अपने हाँथों से....,कब्र से मिट्टी हटाते वक्त इमरान के चेहरे पर एक पागलपन दिखता है जहाँ वो ज़िंदगी और मौत की बीच की दुनिया मे होता है...., उसवक्त इस सीन ने मेरे दिल पर बहुत गहरा छाप छोड़ा.....!

खैर दिन बीते साल बीते मैं बड़ा हुआ और मेरी भी एक प्रेमिका हुई और उसकी भी मौत हुई उसे भी कब्रस्तान में दफनाया गया मेरे भीतर भी वही पागलपन इमरान हाशमी वाला मैं निकल गया अंधरे रात में कब्रस्तान.... चेहरे पर पागलपन और आंखों में आंसू लिए उस प्रेमिका की कब्र से मिट्टी हटाने लगा अपने दोनों हाँथों से.....

अगले ही पल दो हाँथ से चार हाँथ हो गए मैं कुछ समझ पाता इससे पहले हाँथ 6 हो गए कुछ सोचता तबतक हाँथ 8 हो गए कुछ जानने की कोशिस करता तबतक 10 हो गए....मुझे पूरा माजरा पता लगते लगते हाँथ 20-22 हो चुके थे.....

फिर मैंने पाया कि मेरे साथ 10 और लोग कब्र खोद रहे हैं चेहरे पर वही पागलपन और आँखों मे आंसू लिए....!
कुछ समझे दया Bkl प्रेमिका मेरे साथ साथ दस और लोगों को चुटिया बना रही थी.....

इसलिए हाँथों की संख्या और बढ़ती मैं उठा और मैंने पेंट से अपना तीसरा हाँथ बाहर निकाला उसकी कब्र की प्यास को बुझाकर वहाँ से लौट आया....!

08/02/2024

शेयर्स लेना चाहता हूं लेकिन इसकी नॉलेज नहीं है, मार्केट में क्या ये सही वक्त है लेने का? मैने सुना है अभी ऊपर है जब नीचे होता है तब लेना चाहिए ?

नीचे मतलब कितना नीचे हो
तो लेना चाहिए ?

जब अंग्रेज़ भारत छोड़ कर गए तो इंडिपेंडेंस ऑफ इंडिया एक्ट 1947 के अनुसार सभी रियासतों को यह अधिकार दिया गया कि वह भारत या ...
10/01/2024

जब अंग्रेज़ भारत छोड़ कर गए तो इंडिपेंडेंस ऑफ इंडिया एक्ट 1947 के अनुसार सभी रियासतों को यह अधिकार दिया गया कि वह भारत या पाकिस्तान जिस देश मे शामिल होना चाहते है हो सकते है या स्वतंत्रत रहना चाहते है तो रह सकते। उस समय हड़प्पा और मोहनजोदड़ो के समय की एक सभ्यता कलात में रहती थी। कलात ब्रिटिश संरक्षित एक स्वतंत्र रियासत थी, जिसमें जिसमें जिस पर खान ऑफ कलात मीर अहमद खान का शासन था।

कलात रियासत में खारान, लॉस बुला और मकरान शामिल थे। खान ऑफ कलात जानते थे कि दोनों ही देशों के बीच कलात का स्वतंत्र रहना मुमकिन नहीं है। खान ऑफ कलात ने पंडित नेहरू से भारत मे शामिल होने की इच्छा जताई मगर नेहरू ने यह कहकर इनकार कर दिया कि कलात भारत से बहुत दूर है। इसके बाद कलात ने खुद को एक स्वतंत्र राष्ट्र घोषित कर दिया लेकिन मार्च 1948 में पाकिस्तान ने फौज भेजकर इस पूरे इलाके पर कब्जा कर लिया, जिसे आज हम बलोचिस्तान के नाम से जानते हैं।

खान ऑफ कलात के भाई ने इस सैन्य अधिग्रहण के खिलाफ क्रांति का बिगुल फूंक दिया। तब से लेकर बलोचों का पाकिस्तान से आजादी का यह संघर्ष आज भी जारी है,जिसमें हजारों लाखों बलोचों ने अपनी जान कुर्बान की है। बाकी राज्यों या राष्ट्रों की आज़ादी के लिए जहां सत्ता के लालची लोगों ने आम जनता को आगे कर उनकी कुर्बानी दी, वही बलोचिस्तान दुनिया का एकमात्र ऐसा राज्य है जिसकी आजादी के लिए उस पर राज करने वाले राज वंशजों ने अपनी कुर्बानी दी है।

बलूचिस्तान का कुछ हिस्स ईरान के कब्जे में भी है। इसी बलूचिस्तान के लसबेला कस्बे में मौजूद है, बलोचों की आस्था का केंद्र बीबी नानी पीर का मंदिर। बलोचों के लिए यह जगह हज से कम महत्वपूर्ण नहीं है। बीबी नानी पीर का मंदिर असल में 51 शक्तिपीठों में से एक माता हिंगलाज का मंदिर है। हिंगलाज माता मंदिर पहुंचने के आपको 1000 फुट ऊंचे-ऊंचे पहाड़, दूर तक फैला सुनसान रेगिस्तान, जंगली जानवर वाले घने जंगल, 300 फीट ऊंचे मड ज्वालामुखी और आतंकियों से भी जूझना पड़ेगा।

हिंगलाज माता नाथ सम्प्रदाय की कुलदेवी और अघोर सम्प्रदाय की अधिष्ठात्री देवी है। 51 शक्तिपीठों में से यह पहला है जहां माता सती का सिर गिरा था। बलोचों ने इस मंदिर की रक्षा के लिए अपने प्राण कुर्बान किये है। पाकिस्तानी हिन्दू और बलोच मुसलमान साथ मे माता की उपासना करते है। उम्मीद है कि एक रोज बलोचिस्तान आजाद होगा और हम भारत के हिन्दू भी माता हिंगलाज के चरणों को चरणों को स्पर्श कर पाएंगे।

इस 22 जनवरी को जन्म अयोध्या के राम मंदिर में रामलला के आगमन में दीवाली मनाना तो एक दिया उन अनगिनत मन्दिरों के लिए भी जलाना, जो हमसे छीन लिए गए। उन देवी देवताओं के लिए जो अपने घर से बेघर कर दिए गए, तोड़ दिए गए। उन मन्दिरों के लिए जिनके पुनरोद्धार के लिए अभी हमें सदियों इंतजार भी करना होगा और कुर्बानियां भी देनी होगी।

02/01/2024

उसे आईलाइनर पसंद था, मुझे काजल।
वो फ्रेंच टोस्ट और कॉफी पे मरती थी, और मैं अदरक की चाय पे।
उसे नाइट क्लब पसंद थे, मुझे रात की शांत सड़कें।
शांत लोग मरे हुए लगते थे उसे, मुझे शांत रहकर उसे सुनना पसंद था।
लेखक बोरिंग लगते थे उसे, पर मुझे मिनटों देखा करती जब मैं लिखता।
वो न्यूयॉर्क के टाइम्स स्कवायर, इस्तांबुल के ग्रैंड बाजार में शॉपिंग के सपने देखती थी, मैं असम के चाय के बागानों में खोना चाहता था।
मसूरी के लाल टिब्बे में बैठकर सूरज डूबना देखना चाहता था।
उसकी बातों में महँगे शहर थे, और मेरा तो पूरा शहर ही वो।

न मैंने उसे बदलना चाहा न उसने मुझे। एक अरसा हुआ दोनों को रिश्ते से आगे बढ़े। कुछ दिन पहले उनके साथ रहने वाली एक दोस्त से पता चला, वो अब शांत रहने लगी है, लिखने लगी है, मसूरी भी घूम आई, लाल टिब्बे पर अँधेरे तक बैठी रही। आधी रात को अचानक से उनका मन अब चाय पीने को करता है।

और मैं......
मैं भी अब अक्सर कॉफी पी लेता हूँ किसी महँगी जगह बैठकर।

27/12/2023

सालों बाद मिली थी वो मुझे फिर से
एक व्हाट्सएप ग्रुप में...,
जिसे हमदोनों के कॉमन फ्रेंड्स ने बनाया था...!

इससे पहले उसका मोबाइल नम्बर तक नहीं था मेरे पास...!
ग्रुप में नम्बर मिलते ही उसके नम्बर पर जाकर देखा तो
शायद DP एवरीवन कर रखी थी उसने...,
चेहरा अब भी वैसा ही था वही पाँच साल पहले वाला...!

ग्रुप में हम दोस्तों की मैसेजिंग चलती रही
उसने भी खूब किए और मैंने भी लेकिन उस ग्रुप में
एकदूसरे से हम दोनों कभी बात नहीं किए
एकदूसरे का जिक्र तक नहीं किए...!

उसका नम्बर सेव करना भी सही नहीं समझा मैंने
क्योंकि मेरे ख्याल से ऐसे केस में बिना सामने वाले के परमिशन के उसका नम्बर रखना सही नहीं...!

बस कभी कभार उसकी प्रोफ़ाइल पर जाकर
उसकी डीपी देख आता और सोचता क्या ज़रूरत है इसे
अपनी DP एवरीवन करके रखने की...!

खैर ग्रुप बन्द हुए चार साल हो गए...!
अब तो मैं वो व्हाट्सएप नम्बर यूज भी नहीं करता...!

आज उस नम्बर से व्हाट्सएप लॉगिन किया
तो सोचा उस ग्रुप को लेफ्ट करते चलूँ...!
ग्रुप लेफ्ट करने से पहले पता नहीं क्या मन में आया
और एकबार फिर मैं उसकी प्रोफइल पर चले गया...!
DP भी अब भी उसने एवरीवन कर रखी है...!

पता नहीं और क्या मन में आया
तो मैंने सोचा कि ग्रुप लेफ्ट कर ही रहा हूँ
तो उसका नम्बर भी सेव कर ही लेता हूँ...!

फ़िलहाल नम्बर सेव कर लिया मैंने...!
अपने नए नम्बर से व्हाट्सएप लॉगिन करके उसकी प्रोफ़ाइल पर गया तो अब उसकी DP नहीं दिख रही थी...!

और इसतरह आज चार साल बाद मुझे पता चला कि...,
नहीं,उसने अपनी DP कभी एवरीवन की ही नहीं थी...!

25/12/2023

प्लीज़ यार कोई मुझे भी क्रिसमस की बधाई दे दो......
ताकि मेरा खून खौल उठे और मैं....,

“न तुम ईसाई....,न मैं ईसाई....,
तो फिर लौड़े की बधाई...,"

ये वाली पोस्ट कर सकूँ....,😭😐

03/12/2023

जब सभी चुनाव भाजपा को ही जीतना है तो, चुनाब करवाकर जनता का पैसा बर्बाद क्यों करते हो

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