Pradeep Dubey

Pradeep Dubey धर्म के ठेकेदारों पहले इंसान तो बनो...

25/12/2023

प्लीज़ यार कोई मुझे भी क्रिसमस की बधाई दे दो......
ताकि मेरा खून खौल उठे और मैं....,

“न तुम ईसाई....,न मैं ईसाई....,
तो फिर लौड़े की बधाई...,"

ये वाली पोस्ट कर सकूँ....,😭😐

03/12/2023

जब सभी चुनाव भाजपा को ही जीतना है तो, चुनाब करवाकर जनता का पैसा बर्बाद क्यों करते हो

03/12/2023

EVM को हैक किया गया है...😂

28/11/2023

मुझे महज सांसे मिली हैं खर्च करने के लिए....जिन्दगी इसबार भी नही मिली ...!

जीवन नही बस समय मिला है ....बस काटना है...!

कोई उद्देश्य कोई लक्ष्य ही नहीं तय कर सका.....की करना क्या है...!

मेरे पास खुद के द्वारा पुछे गये सवालो के जवाब तक नही है....की तुम क्या चाहते हो.....??

और मुझे सच मे नही पता की मै चाहता क्या हूं....!

जी बस इसलिए रहा हूं क्योकी मर नही पा रहा हूं...!

जिनके पास कोई लक्ष्य नही जो निरूद्देश्य हो.....वो कभी अमर नही होते... मेरे जैसे लोग मरते मरते जीते हैं और एक दिन मर ही जाते हैं....!

मेरा मन सदा दशरथ मांझी सा होने का रहा.....मेरा मन था मनुष्यता के लिए कुछ करने का......बस मन मे ही रह गया....पर सच तो यही है दशरथ मांझी ने कभी दशरथ मांझी होने का सोचा नही था बस हो गया... उसके कर्म ने उसे मांझी बना दिया...!

मन ही मन मे सोचते हुए ये एक जन्म ओर बीत गया....!

देख लो यारो तुम भी ..अभी भी उम्र है एक प्रबल ऊर्जा है कुछ कर गुजर सकते हो....वरना गुजारा तो सब कर ही रहे हैं....!

मैं नाच तो इस बार भी अच्छा सकता था.... पर बैकग्राउंड म्यूजिक मेरी पसंद का नहीं था...!

खैर ....नेकस्ट लाइफ प्लीज...!

22/11/2023

ये जो होलीवुड की बड़ी बड़ी मरवाले कॉमिक्स
टाइप्स सुपरहीरो वाली फिल्में होती हैं न....!

इनकी शूटिंग करने के लिए
बहुत ही बड़े एवं महँगे कैमरे का इस्तेमाल होता है....!

वरना आप खुद ही सोचिए....,
अगर मोबाइल से शूट करेंगे तो पिच्चर क्वालिटी
फटने नहीं लगेगी....!

जिस तरह से किसी उत्सव में खुश होने से बचा नही जा सकता ...ठीक वैसे ही दुख मे दुखी होने से बचा नही जा सकता....चाहे हम लाख ...
30/10/2023

जिस तरह से किसी उत्सव में खुश होने से बचा नही जा सकता ...ठीक वैसे ही दुख मे दुखी होने से बचा नही जा सकता....चाहे हम लाख प्रयत्न कर लें...क्योकी हमारे भीतर दोनो हार्मोन हैं...जो परिस्थितीनुकुल स्रावित होते हैं... किसी का दिया कोई ज्ञान काम नही आता ....हम थोड़ी देर के लिए डॉयवर्ट हो सकते हैं पर बच नही सकते.. जरा सोचिए हम किसी हंसी की बात पर अपनी हंसी कितनी देर रोक सकते हैं...!!!!!

अंततः खुलकर हंसने से ही हिसाब पूरा होता है... दुख में खुलकर रो कर ही हिसाब होता है...!

और जितनी देर हम दुख से बच रहे होते हैं दुख संचित होता हैंं....और मौका पाकर वो गुब्बार निकलता ही है....!

किसी भी दुख से निपटने का उपाय यही है की जो हो गया उसे बदल तो नही सकते....और डिप्रेस रहने से कोई हल भी नहीं निकलेगा......चिंता करने से कुछ नही होता..ऐसे समय में चिंतन की आवश्यकता है....चिंता समस्या के चारो तरफ घुमती है और चिंतन समाधान की तरफ...!

आग लगी है तो आग की तरफ नही पानी की तरफ भागना सीखना होगा...!

और इसके लिए 'अध्यात्म' कारगर है..!

गर हम अध्यात्म को आत्मसात करते हैं तो सारे दुख बौने नजर आते हैं...!

गीता का सार हमे हमेशा याद रखना चाहिए...

जो हुआ अच्छा हुआ जो होगा वो भी अच्छे के लिए होगा.....!

कभी भी स्वयं को बेचारा फील नही कराना चाहिए....क्योकी सहानुभुति करती कुछ नही है...हर हाल में मजबुत बने रहने की कला हमें आनी चाहिए....!

दुख के दौरान कंधा ढूंढने के बजाय पैर मजबुत रखे जाएं.....!

और दुख मे दुखी होना नैचुरल है......अन्यथा आंसु सूख जाते हैं...जिसके घुटने पर लगती है दर्द उसे ही सहना होगा..!

जमाना बस उसे डॉक्टर की तरह डॉयवर्ट करता है जरा सी देर...की वो पेड़ देखो...और इंजेक्सन लग जाता है....!

दुख तो हर हाल में भोगना ही पड़ेगा.... क्योंकि सुख के समय में हमने ईश्वर से कोई रियायत नहीं मांगी होती है कि ये ज्यादा हो गया थोड़ा कम करके मेरे पड़ोसी के भाग्य में शामिल कर दीजिए...!

सुख हो तो इसे बांटना सिखिए...और दुख को कहकर हल्का होना सिखिए.... दोनों का ही अति संग्रह हमें विक्षिप्त कर सकता है...!

समलिंगी की अपेक्षा विपरीत लिंगी हमें जल्दी संभाल सकती है...!

स्त्री नर का द्वार है..... इसलिए जीवन में एक अपने बौद्धिक स्तर की महिला मित्र जरूर रखें...!

बाकी हमारे भोसड़ी वाले दोस्त एक क्वाटर पिलाकर थोड़ी देर के लिए तो सुख-दुख से परे कर ही देगें...!

वो वादा नोश हूँ मौतों हयात का.......जिसकी तेरी नज़र पे ही दरो-मदार है साकी......
06/09/2023

वो वादा नोश हूँ मौतों हयात का.......
जिसकी तेरी नज़र पे ही दरो-मदार है साकी......

18/08/2023

आज गदर 2 देख कर आया

एक बात तो समझ आ गई कि अपने सनी पाजी को हजार दो हजार लोग तो काबू नहीं ही कर सकते हैं भले ही उनके पास कितने भी अत्याधुनिक हथियार हों और सनी पाजी निहत्थे हों

गदर 2 की कहानी 80 से 90 के दशक के बीच की है इसलिए अपने बेटे को छुडाने पाकिस्तान जाना पडा और गदर मचाना पडा

गदर 3 में सनी पाजी का पोता पाकिस्तान जाएगा और पाकिस्तानी फौजी उसे पकड़ लेंगे
ये कहानी 2014 के बाद की होगी
इसमें सनी पाजी को पाकिस्तान नहीं जाना पडेगा
मोदी जी सीधे अमेरिका के राष्ट्रपति को फोन करके बोलेंगे कि पाकिस्तान ने जिसे पकड़ा है वो भाजपा सांसद का पोता है
कल तक पाकिस्तान ने उसे नहीं छोड़ा तो हम पाकिस्तान पर हमला कर देंगे

फिर अमेरिका पाकिस्तान को हडकाएगा कि कल तक भाजपा सांसद के पोते को ससम्मान और बिना शर्त छोड़ दो बर्ना भारत के हमले से तुम्हें कोई नहीं बचा पाएगा

और हां एक और बात
अगर वो अपने साथ किसी पाकिस्तानी लड़की को भी साथ ले जाना चाहे तो ले जाने देना

17/08/2023

आजकल खुद से नाराज़ रहने लगा हूँ।
किसी भी काम को करने में रुचि नहीं रही।
जीवन अजीब भारीपन लगने लगा है।

खुद को बंधक महसूस करता हूं। अकेले में अश्रु बहाना
और सबके सामने हँसने वाला व्यक्ति बन चुका हूँ।

इन चंद वर्षों में सब कुछ बदल चुका है।
अवसाद और नाकामयाबियों में पीस कर रह गया हूँ।

07/08/2023

22 seconds · Clipped by BakLoli House · Original video "My Opinion on Khesari Lal Yadav New Song | Chachi Tohar Bachchi Sapanwa Me Aati Hai | The Pradeep |"...

06/08/2023

Salman Khan Roast Part 2 | The Pradeep


13/06/2023

बापू ❤️❤️🙏

16/05/2023

जिन भी बच्चों के कम मार्क आए हैं उन्हें परेशान या निराश होने की आवश्यकता नहीं है

मोदी जी और योगी जी के भी दसवी और बारहवीं में बहोत कम मार्क आए थे

जिसके ज्यादा आए हैं उन्हें भी बहोत खुश होने की जरुरत नहीं है
राहुल गांधी और अखिलेश यादव के दसवीं और बारहवीं में बहोत ज्यादा मार्क आए थे
अखिलेश से तो उनके हिंदी टीचर ने उपमा अलंकार का उदाहरण पूछा तो अखिलेश ने बताया -- छलकता हमरो जवनिया ए राजा, ज्ईसे कि बल्टी के पनिया हो

मास्टर ने कहा -- जा ए बेटा, लरवे चटबा जिनगी भर

05/05/2023
02/05/2023

अब हिम्मत नहीं बची है फिर से कुछ नया शुरू करने की
फिर से किसी को अपने बारे में बताने की...,

अपनी पसंद....,नापसंद कुछ भी.....,
कौन सी फिल्में मेरे दिल के करीब हैं.....,
कौन से गाने मैं सोने से पहले सुनता हूँ.....,
मेरी कमियां....,मेरे सपने....,कुछ भी.....!

अब सिर्फ मैं हूँ....,मेरा दिमाग है....,
जो हर पल मेरे दिल को उस ओर जाने से रोकता है
जिस ओर मेरे दिल को तमाम खरोचें मिली....!

दिल और दिमाग की इस जंग में......,
दिमाग हर बार जीत रहा है और दिल हार रहा है......,
जिसकी वजह से दिल हताश है....,मायूस है....,परेशान है
लेकिन बेहद ज़रूरी बात ये है कि......,

अब मेरा दिल ‘मेहफूज़' है.....!

गिरती दीवारों के आँचल में ज़िंदा हूँ...!
29/04/2023

गिरती दीवारों के आँचल में ज़िंदा हूँ...!

27/04/2023

हर बुझने वाले, फरफराते लौ को देखकर लगता है ये मैं ही हूँ।
उस लौ में मैं अपना अक्स देखता हूँ।

अपने अस्तित्व के लिए वायु जैसे बलशाली से लड़ रहा है वो दिया। ठीक वैसे ही इस जमाने में रहकर मुझे भी ऐसा ही लग रहा है। खैर...

24/04/2023

भारत में ड्रग अब्यूज सबसे ज्यादा है, बीते दस साल में मैंने यह देखा है कि लोगों का इम्यून सिस्टम तो गड़बड़ हुआ ही है साथ में गंभीर बीमारियां बढ़ गई, इसमें बहुत से फैक्टर्स काम करते हैं लेकिन एक चीज जिसे हम नजरअंदाज करते हैं वह है बिना सही सलाह के दवाई खाना... लगभग 20 साल पहले मैंने देखा है कि उस समय एजीथ्रोमाइसिन जैसी एंटीबायोटिक डाक्टर रेअरली ही सजेस्ट करते थे,उस दौर में सिप्रोफ्लाक्सासिन,ओफलोक्स ही चलती थी... Cefuroxime axetil जो ग्लैक्सो की आती थी वह दवाई प्रतिष्ठित दुकानों पर ही मिलती,कारण महंगी और साथ ही साथ ना के बराबर बिकती... आज यह दवाई लोग सेट्रीजीन की तरह खा रहे हैं, मेरे एक बार पैर में गहरा घाव हो गया था, मैंने सोचा कि सेफ्टम जल्दी रिकवरी देगी लेकिन पापा ने साफ मना कर दिया था, ओफलोक्स से ही ठीक कर दिया.. उन्होंने Amoxyclav तक नहीं लेने दिया...

खैर यह तो बात हुई एंटीबायोटिक कौनसी लेनी चाहिए या नहीं लेकिन ड्रग अब्यूज का एक मुख्य कारण है हल्की सी दिक्कत में एंटीबायोटिक खा लेना और उसका भी मिनिमम cycle नहीं लेना, इसमें ग्राहक, मेडिकल वाले पूरे दोषी हैं, कौड़ियों में डिप्लोमा धारी मिल जाते हैं जिन्हें धेले भर का ज्ञान नहीं तिस पर मेडिकल स्टोर चलाने वाला भी ऐसा जिसने बस पर्ची पढ़कर दवाई दे दी,थोड़े दिन पहले एक ग्राहक आया जिसके पेट में जलन थी, मैंने पूछा कि कोई मेडिसिन खाई थी तो उसने पुरानी स्ट्रिप दिखाई, साधारण ज़ुकाम में linezolid जैसी एंटीबायोटिक,बिल बनाने के चक्कर में किसी मरीज़ को गलत दवा दे दी...अब उसके संभवतः अल्सर हुए हैं जिस वजह से पेट में भयंकर जलन हो रही थी...

हल्का सा सरदर्द हुआ नहीं कि लाओ जी दो गोली एंटीबायोटिक की भी दे दो, एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस शुरू हो जाएगा भाई.... आजकल डाक्टर्स को भी देखता हूं जो लगातार 1 महीने तक एंटीबायोटिक खिलाते हैं साधारण सी दिक्कत भर में... बड़े भैया के डेंगू हुआ था, जयपुर के फेमस डॉ ने मात्र ओफलोक्स और फीवर के लिए डोलो देकर ठीक किया जबकि केस बिगड़ चुका था... गूगल से पढ़कर आजकल ग्राहक ज्ञान देने अधिक आते हैं,ये वाली दे दो,वो‌ वाली दे दो,बात बात पर डिक्लोफेनेक खाकर अपना हार्ट कमजोर कर रहे हैं,स्टेराइड खा लेते हैं... वजन बढ़ाने के लिए सबसे ज्यादा कुख्यात कांबिनेशन है डेक्सोना,एप अप का....

दो दिन पहले एक 20 साल का लड़का टेस्टोस्टेरोन का इंजेक्शन लेने आया, मैंने पूछा कि भाई क्यों ले रहा है तो वहीं जवाब मेरा ताऊ का लड़का डाक्टर है उसने दौड़ में स्टेमिना बढ़ाने के लिए यह इंजेक्शन बताया है,ताऊ का लड़का कोई डाक्टर नहीं,ये वो इंसान होते हैं जो किसी लेबोरेटरी में काम करने वाले होते हैं या किसी डाक्टर के असिस्टेंट, अस्टिटेंट में भी वो वाले जो डाक्टर साहब के लिए मार्केट से सब्जी दूध लाते हैं बस.... अब 20 साल का लड़का इस उम्र में टेस्टोस्टेरोन बूस्ट के लिए दवाई लेगा तो जाॅनी तो ठंडा होएगा ही बाद में... हमारा शरीर नेचुरल टेस्टोस्टेरोन बनाता है अच्छी मात्रा में, शार्टकट के चक्कर में लोग बाहर से मसाला डालते हैं और फिर केसेज होते हैं नंपुसकता के, हार्ट किडनी डिज़ीज़ के...

हमारे बाप दादा 90 तक जी लेते थे बिना ज्यादा बीमारी लिए वहीं आज 20-21 साल की उम्र में हम हार्ट डिज़ीज़ के शिकार हैं,कारण बहुत लेकिन दवाओं का गलत तरीके से उपयोग भी एक कारण बनता है... कोरोना के समय जबरदस्ती लोगों ने दवाईयां खा ली थी जिसके साइड इफेक्ट्स अब दिखाई पड़ रहे हैं,दवाओं का इस्तेमाल बात बात पर नहीं करना चाहिए.... अच्छा एक दिक्कत यह भी है कि सबको एक गोली से ही आराम चाहिए,लोग इस चक्कर में दस दिन में तीन डाक्टर को दिखा चुके होते हैं, डाक्टर साहब भी फिर पहले वाले को काटकर दूसरी एंटीबायोटिक ठोक देते हैं बगैर यह सोचे कि उस मरीज के लिए यह सही होगा या नहीं... सभी तो नहीं लेकिन बहुतायत में ऐसा देखा है, ऐसे डाक्टर भी देखें हैं मैंने जो पहले वाले डाक्टर की मेडिसिन को अपूर्व कर देते हैं बस मरीज की मानसिकता को बनाकर रखने के लिए कोई मल्टीविटामिन जोड़ देते हैं वरना मरीज फिर डाक्टर को गालियां देने लगता है...

दवाई लीजिए लेकिन सही परामर्श लेकर ही

दोस्तों को कहने की जरूरत नहीं पड़ती वो बस कर देते हैँ...
17/04/2023

दोस्तों को कहने की जरूरत नहीं पड़ती वो बस कर देते हैँ...

प्यार चाहिए ❤️❤️
15/04/2023

प्यार चाहिए ❤️❤️

पदम्श्री डांसर को कर दिया रोस्ट 😂 || Padm Shree Dancer Roasted || BakLoli House Disc...

कुछ दिन पहले एक परिचित के घर गया था। जिस वक्त घर में मैं बैठा था, उनकी मेड घर की सफाई कर रही थी। मैं ड्राइंग रूम में बैठ...
11/04/2023

कुछ दिन पहले एक परिचित के घर गया था। जिस वक्त घर में मैं बैठा था, उनकी मेड घर की सफाई कर रही थी। मैं ड्राइंग रूम में बैठा था, मेरे परिचित फोन पर किसी से बात कर रहे थे। उनकी पत्नी चाय बना रही थीं। मेरी नज़र सामने वाले कमरे तक गई, जहां मेड फर्श पर पोछा लगा रही थी।

अचानक मेरे कानों में आवाज़ आई।

“बुढ़िया अभी ज़मीन पर पोछा लगा है, नीचे पांव मत उतारना। मैं बार-बार यही नहीं करती रहूंगी।”

मैंने अपने परिचित से पूछा, “मां कमरे में हैं क्या?

“हां।”

“जब तक चाय बन रही है, मैं मां से मिल लेता हूं।”

“हां, हां। लेकिन रुकिए, अभी-अभी शायद पोछा लगा है, सूख जाए,फिर जाइएगा।”

"क्यों? गीला है तो मेड दुबारा लगाएगी। नहीं लगाएगी तो थोड़े निशान रह जाएंगे फर्श पर। क्या फर्क पड़ेगा?"

परिचित थोड़ा हैरान हुए । भैया ऐसा क्यों कह रहे हैं?

तब तक मैं कमरे में चला गया था। गीले पर्श पर पांव के खूब निशान उकेरता हुआ।

मैं मां के पास गया। मैंने उनके पांव छुए और फिर उनसे कहा कि चलिए आप भी ड्राइंग रूम में, वहां साथ बैठ कर चाय पीते हैं। चाय बन रही है। भाभी रसोई में चाय बना रही हैं।

मैंने इतना ही कहा था। मां एकदम घबरा गईं।

“अरे नहीं , अभी फर्श पर पांव नहीं रखना है। फर्श गीला है न, मेरे पांव के निशान पड़ जाएंगे।”

“पांव के निशान पड़ जाएंगे? वाह! फिर तो मैं उनकी तस्वीर उतार कर बड़ा करवा कर फ्रेम में लगाऊंगा। आप चलिए तो सही।”

पर मां बिस्तर से नीचे नहीं उतर रही थीं। उन्होंने कहा कि तुम चाय पी लो बेटा।

तब तक मेरे परिचित भी मां के कमरे तक आ गए थे।

उन्होंने मुझसे कहा कि मां सुबह चाय पी चुकी है। आप आइए भैया ।

"नहीं। मां के साथ मैं यहीं कमरे में चाय लूंगा।"

चमकते हुए टाइल्स पर मेरे जूते के निशान बयां कर रहे थे कि मैंने जानबूझ कर कुछ निशान छोड़े हैं। वो समझ नहीं पा रहे थे कि आखिर मैंने ऐसा किया ही क्यों?

उन्होंने मुझसे तो कुछ नहीं कहा, लेकिन मेड को उन्होंने आवाज़ दी। "बबिता, जरा इधर आना। इधर भैया के पांव के निशान पड़ गए हैं, उन्हें साफ कर देना।"

बबीता ने गीला पोछा फर्श पर लगाया। जैसे ही फर्श की दुबारा सफाई हुई मैं फिर खड़ा होकर उस पर चल पड़ा। दुबारा निशान पड़ गए।

अब बबिता हैरान थी। मेरे परिचित भी। तब तक उनकी पत्नी भी कमरे में आ चुकी थीं।

उन्होंने कहा, " भैया, आइए चाय रखी है।"

मैंने परिचित की पत्नी से कहा कि ‘बुढ़िया’ के लिए चाय यहीं दे दीजिए।

मेरे परिचित ने मेरी ओर देखा।

मैंने कहा कि हैरान मत होइए।

वो चुप थे।

मैंने कहा कि मुझे ऐसा लगता है कि आप लोग मां को प्यार से बुढ़िया बुलाते हैं।

मेड वहीं खड़ी थी। सन्न। परिचित की पत्नी वहीं खड़ी थी, सन्न।

परिचित ने पूछा, "क्या हुआ भैया ?"

हुआ कुछ नहीं। मैंने खुद सुना है कि आपकी बबिता मां को बुढ़िया कह कर बुला रही थी। उसने मां को बिस्तर से उतरने से धमकाया भी था। यकीनन काम वाली ने मां को बुढ़िया पहली बार नहीं कहा होगा। बल्कि वो कह भी नहीं सकती उन्हें बुढ़िया। उसने सुना होगा। बेटे के मुंह से। बहू के मुंह से। बिना सुने वो नहीं कह सकती थी।

जाहिर है आप लोग प्यार से मां को इसी नाम से बुलाते होगे, तभी तो उनसे कहा।

पल भर के लिए धरती हिलने लगी थी। गीले फर्श पर हज़ारों निशान उभर आए थे।

मेरे परिचित के छोटे-छोटे पांव के निशान वहां उभरे हुए हैं। बच्चा भाग रहा है। मां खेल रही है बच्चे के साथ-साथ। एक निशान, दो निशान, निशान ही निशान। मां खुश रही है। बेटे के पांव देख कर कह रही है, देखो तो इसके पांव के निशान। बेटा इधर से उधर दौड़ रहा था। दौड़ता जा रहा था, पूरे घर में।

बुढ़िया रो रही थी। बहू की आंखें झुकी हुई थीं। बबिता चुप थी।

“भैया, गलती हो गई। अब नहीं होगा ऐसा। भैया बहुत बड़ी भूल थी मेरी।”

मेरे परिचित अपनी आंखें पोंछ रहे थे।

मैं चल पड़ा। सिर्फ इतना कह कर कि आँखें ही पोंछनी चाहिए। उस फर्श को तो चूम लेना चाहिए जहां मां के पांव के निशान पड़े हों।

साभार
इस कहानी के लिए इससे उपयुक्त चित्र कोई और नहीं लगा।✍️✍️💐💐

अपनी  #मृत्यु और अपनों की मृत्यु  #डरावनी लगती है। बाकी तो मौत को enjoy ही करता है इंसान ...मौत के स्वाद का  #चटखारे लेत...
07/04/2023

अपनी #मृत्यु और अपनों की मृत्यु #डरावनी लगती है। बाकी तो मौत को enjoy ही करता है इंसान ...

मौत के स्वाद का #चटखारे लेता मनुष्य ...

थोड़ा #कड़वा लिखा है पर मन का लिखा है ...

मौत से प्यार नहीं , मौत तो हमारा #स्वाद है।---

बकरे का,गाय का,भेंस का,ऊँट का,सुअर का,हिरण का,तीतर का, मुर्गे का,हलाल का,बिना हलाल का, ताजा बकरे का,भुना हुआ बकरे का,छोटी मछली, #बड़ी मछली,
हल्की आंच पर सिका हुआ #मछली।

न जाने कितने बल्कि अनगिनत स्वाद हैं मौत के।
क्योंकि मौत किसी और की, और स्वाद हमारा....

स्वाद से कारोबार बन गई #मौत।
मुर्गी पालन, मछली पालन, बकरी पालन, पोल्ट्री फार्म्स।
नाम "पालन" और मक़सद "हत्या"❗

#स्लाटर हाउस तक खोल दिये। वो भी #ऑफिशियल।

गली गली में खुले नये बिरयानी #रेस्टॉरेंट, मौत का कारोबार नहीं तो और क्या हैं ? मौत से प्यार और उसका कारोबार इसलिए क्योंकि मौत हमारी नही है।

जो हमारी तरह बोल नही सकते, #अभिव्यक्त नही कर सकते, अपनी सुरक्षा स्वयं करने में समर्थ नहीं हैं,
उनकी असहायता को हमने अपना बल कैसे मान लिया ?
कैसे मान लिया कि उनमें #भावनाएं नहीं होतीं ?
या उनकी आहें नहीं निकलतीं ?

#डाइनिंग टेबल पर हड्डियां नोचते बाप बच्चों को सीख देते है, बेटा कभी किसी का दिल नही दुखाना ! किसी की आहें मत लेना ! किसी की #आंख में तुम्हारी वजह से आंसू नहीं आना चाहिए !

बच्चों में झुठे #संस्कार डालते बाप को, अपने हाथ मे वो हडडी दिखाई नही देती, जो इससे पहले एक शरीर थी, जिसके अंदर इससे पहले एक #आत्मा थी, उसकी भी एक मां थी ...??
जिसे काटा गया होगा ? जो कराहा होगा ? जो तड़पा होगा ?
जिसकी आहें निकली होंगी ? जिसने बद्दुआ भी दी होगी ?

कैसे मान लिया कि जब जब धरती पर #अत्याचार बढ़ेंगे तो
भगवान सिर्फ तुम इंसानों की #रक्षा के लिए अवतार लेंगे ..❓

क्या मूक #जानवर उस परमपिता #परमेश्वर की संतान नहीं हैं .❓
क्या उस ईश्वर को उनकी रक्षा की #चिंता नहीं है .. ❓

धर्म की आड़ में उस #परमपिता के नाम पर अपने स्वाद के लिए कभी ईद पर बकरे काटते हो, कभी दुर्गा मां या भैरव बाबा के सामने बकरे की #बली चढ़ाते हो।
कहीं तुम अपने स्वाद के लिए मछली का भोग लगाते हो।

कभी सोचा ...??
क्या ईश्वर का #स्वाद होता है ? ....क्या है उनका भोजन ?

किसे ठग रहे हो ?
भगवान को ? वाहेगुरु को ? अल्लाह को ? जीसस को ? या स्वयं को ?

#मंगलवार को नानवेज नही खाता ...!
आज शनिवार है इसलिए नहीं ...!

अभी रोज़े चल रहे हैं ....!
#नवरात्रि में तो सवाल ही नही उठता ....!

झूठ पर झूठ.....झूठ पर झूठ.झूठ पर झूठ ..

हमारे बच्चों को अगर कोई ऐसे खाए तो हमें कैसा लगेगा ??

#कर्म का #फल मिल कर रहता है ये याद रखना ।

ईश्वर ने #विवेक सिर्फ तुम्हे दी । ताकि तमाम योनियों में भटकने के बाद मानव योनि में तुम #जन्म_मृत्यु के चक्र से निकलने का रास्ता ढूँढ सको। लेकिन तुमने इस मानव योनि को पाते ही स्वयं को #भगवान समझ लिया।

प्रकृति के साथ रहो।
प्रकृति के होकर रहो।

🙏 जय श्री राम 🙏

भगवान श्री राम के जीवन में जो दो कठिन समय आएं उसमें हनुमान भगवान ही उनका बेड़ा पार लगाएं। जब लक्ष्मण जी मुर्छावस्था में थ...
06/04/2023

भगवान श्री राम के जीवन में जो दो कठिन समय आएं
उसमें हनुमान भगवान ही उनका बेड़ा पार लगाएं।

जब लक्ष्मण जी मुर्छावस्था में थे और उनके जीवन को
बचाने के लिए संजीवनी लानी थी तब ये काम हमारे वीर बजरंगबली को सौंपा गया और कहा गया कि सूर्योदय से पहले आपको संजीवनी लेकर आना है।

वो शीघ्र निकल गए पर उन्हें ये आभाष हुआ कि समय काफी कम है और शायद मैं सूर्योदय से पूर्व संजीवनी नहीं ला पाऊं तब उन्होंने सूर्य भगवान से आग्रह किया की थोड़ा विलम्ब से आप निकले, और उस आग्रह के अंत मे जो चेतावनी दी उन्होंने सूर्य को वो सिर्फ पवनपुत्र ही कर सकते हैं।

पढिये क्या कहें हनुमान जी सूर्य से-

हे सूरज इतना याद रहे , संकट एक सूरज वंश पे है,
लंका के नीच राहु द्वारा आघात दिनेश अंश पर है।

इसलिए छिपे रहना भगवन जब तक न जड़ी पंहुचा दूँ मै,
बस तभी प्रकट होना दिनकर जब संकट निशा मिटा दूँ मै।

मेरे आने से पहले यदि किरणों का चमत्कार होगा ,
तो सूर्यवंश में निश्चित ही अंधकार होगा।

आशा है, उम्मीद है।
स्वल्प प्राथना यह, सच्चे दिल से स्वीकरोगे,
आतुर की करुणार्थ अवस्था को सच्चे दिल से स्वीकरोगे।

अन्यथा क्षमा करना दिनकर अंजनी तनय से पाला है,
बचपन से जान रहे हो तुम, हनुमत कितना मतवाला है।

मुख में तुमको धर रखने का फिर वही क्रूर साधन होगा,
बंदी मोचन तब होगा जब लक्ष्मण का दुख मोचन होगा।

हम सभी को हनुमान जयंती की शुभकामनाएं।

04/04/2023

पैसे इतने कमाओ की @सलमान खान जैसे लोग तुम्हारे पीछे नाचे

04/04/2023

अपनी भावनाएं एवम वास्तविकता में फँस कर रह गया हूँ।
अब तो मस्तिष्क ने सोचना और समझना भी बन्द कर दिया है।

ईश्वर से मेरा कितना गहरा नाता था अब तो ऐसा लगता है नास्तिक सा हो गया हूँ।

सब कुछ ताख पर रख कर अपनी अवसादों से लड़ने में ही
वक्त गुज़ार देता हूँ। मैं एक बन्द कमरे में रह गया हूं।

10/03/2023

कुछ दिन पहले पंजाब के जालंधर में सडक किनारे सूबह-सूबह एक युवक अपनी धून में चला जा रहा था, इतमे में उसके बगल में एक कार आकर रूकी,कार में चार लडकियां बैठी थी,उनमे से एक लड़की नें उस से किसी का पता पुछा।
लडका उन्हे पता बताते हुए कुछ निश्चिन्तता में असावधान हो गया। लडकियों नें मौका देख कर उसकी आँख में कोई स्प्रे मारा और उसके डगमगाने की स्थिति में उसे जबरदस्ती गाडी में डाल एक सुनसान घर में ले गई।
वहां उस युवक को डरा-धमका कर जबरदस्ती शराब पिलाई गई और नशे व मदहोशी की हालत में बारी-बारी से उन चार लड़कियों ने उस युवक के साथ बलात्कार किया। फिर मन भर जाने के बाद दूसरे दिन गाडी में डाल उसे किसी सडक के किनारे फेंक दिया गया।
वह लडका गुहार लगाता रहा लेकिन उसकी किसी ने भी नही सुनी,पुलिस स्टेशन में रपट लिखाने गया पर पुलिस ने उसका मजाक उडाते हुए वहां से भगा दिया। कुछ दिन के बाद निराशा की अवस्था में उसने आत्म हत्या कर ली। आखिर इज्जत तो लडकों की भी होती है,लुट तो वह भी सकती है।
भारतीय संविधान की धारा 375 यह मान कर चलती है कि पुरूषो के साथ कभी बलात्कार नही हो सकता है। जबकि दुनियाभर के 76 मुल्क यह मानते है कि बलात्कार पुरुषों के साथ भी हो सकता है और महिलाएं भी बलात्कार कर सकती है लेकिन भारतीय संविधान इस बात से इत्तफाक नही रखता और हमारा समाज इस बात पर हंसी ठीठोली करता है।
प्राकृतिक रूप से देखा जाये तो महिलाओ से बलात्कार के सबूत आसानी से मिल जाते है,बन जाते है लेकिन पुरुषों के साथ ऐसा मुश्किल है। ईश्वर भी इस मामले में पुरूषों के साथ बेईमानी करता है,पक्षपात करता है। भारत में बलात्कार का शिकार हुए पुरुष को इंसाफ नही मिलता है। उसको कोई पूछता नही,विश्वास नही करता...उसे कोई सहानुभूति नही मिलती है।
मुंबई में कुछ माह पहले एक शिक्षिका ने अपने छात्र के साथ बलात्कार किया था,उसकी भी कही सुनवाई नही हुई। जेल में सजायाफ्ता पुरुष कैदी अपनी हवस मिटाने के लिए दूसरे कमजोर पुरुष कैदी का शारीरिक शोषण-दमन करते है लेकिन इस बात के लिए कोई केस दर्ज नही होता है। बलात्कार का शिकार पुरुष अपनी फरियाद कही भी लेकर नही जा पाता है।
आप को जानकर आश्चर्य होगा कि भारत में हर साल 1200 के आसपास पुरुष बलात्कार का शिकार होते है। लगभग 09% बच्चे बचपन में शारीरिक शोषण का शिकार होते है लेकिन ये आखिर अपनी फरियाद लेकर जायें कहां ? इनका भारतीय संविधान और समाज साथ नही देता,इनका मजाक उडाता है।
अपनी असहाय स्थिती पर पुरुष बिदारदी मनमसोर कर चुप रह जाती है या अवसाद में चली जाती है क्योकि हम सब यह मारकर चलते है कि इज्जत तो सिर्फ महिलाओ की होती है और उन्ही की ही लुटती भी है।....बेचारे एक पुरुष की क्या इज्जत होती है? पुरुष का नाम तो मर्दानगी के साथ जुडा होता है और मर्द को दर्द नही होता!
सिक्के का दूसरा पहलू भी देखे,जहां पुरुष संविधान के आगे बेबस हो जाता है।...कुछ महिलायें पुरुषो के खिलाफ बयान देती है कि .." ये मुझे होटल में बहला फूसला कर ले गया और मेरे साथ बलात्कार किया" ...." डरा-धमका कर मेरे साथ कई बार बलात्कार किया/ कई महिने या साल से बलात्कार कर रहा था।" ... आप शायद जानते नही है लेकिन यह सच है कि ऐसे बलात्कार के लगभग 98% केस फेक होते है लेकिन पुरुष बिचारे इस झुठे केसों में फंस जाते है।
महिलाओ का पूरा सम्मान करते हुए कहना चाहूंगा कि महानगरी इलाकों में बलात्कार के 72% केस झूठे होते है। अधिकांश मामलों में तो प्रेमी-प्रेमिका के आपत्तिजनक हालत में मिलने पर अपने को बचाने के मकसद से प्रेमिका द्वारा बलात्कार का नाम दे दिया जाता है।
अभी हाल फिलहाल में "Me Too" के मामलों ने जोर पकड़ा था,कई रसूखदार पुरुष इसमें बदनाम हुए, केस दर्ज हुआ लेकिन कोई भी सबूत नही मिला,सब बरी और बात खत्म हो गई। बस अखबारों में चटखारेदार खबरे बनी पर उन बदनाम हुए पुरूषों का क्या ? कोई सांत्वना भी देने नही गया।
एक मजेदार बात बताता हूँ। 84 साल के फिल्म अभिनेता जितेंद्र पर हाल ही में उनकी 82 वर्षीय रिश्तेदार ने आरोप लगाया था कि जितेंद्र ने उनके साथ 12 साल की उम्र में छेडछाड किया था,मजे की बात देखिए कि आज से 70 साल पहले की घटना पर आज मामला भी दर्ज हो गया!
और पुरुष के बलात्कार की कोई सुनवाई नही होती है,संविधान में कोई धारा ही नही है,समाज भी मजाक उडाता है। ऐसे में पुरुष विचारा क्या करें,कहां जाये,कहा रोये ?

09/03/2023

“दरअसल मैं ढूढ़ रही हूँ करियवा नीग्रो को...,
वरना मुझे पता है खीरे और केले किस दराज़ में हैं...,"

:- युवा शायरा शफूरा जी शाहीन बाग़ वाली

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13/02/2023

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