28/05/2023
प्राथमिक तौर पर जितना इतिहास सब पढ़ते हैं, मैंने भी पढ़ा है। स्नातक में भी एक विषय के रूप में इतिहास था। लेकिन इतना इतिहास बांचने के बाद भी मुझे याद नहीं आता कि स्वाधीनता प्राप्ति के अध्याय में कहीं सेंगोल का उल्लेख आया हो। इसे लिए हुए नेहरू जी की तस्वीर भी इतिहास के किसी पाठ्यक्रम में मैंने नहीं देखी। आपने अपने पाठ्यक्रम में कहीं इसका उल्लेख पाया हो तो मुझे जरूर बताइएगा।
स्वाधीनता प्राप्ति के गौरवशाली अवसर का पूरा इतिहास 'Tryst with Destiny' के आवरण में लिपटा हुआ है। हम यही समझते थे कि इस अवसर का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण प्रसंग पंडित नेहरू का यह भाषण ही था। जबकि भारतीय संस्कृति की महान विरासत सेंगोल, हमारा राजदंड, न केवल संसद भवन अपितु स्वाधीनता के समूचे इतिहास से बाहर कर कहीं म्यूज़ियम में 'Golden Walking Stick' बनाकर छिपा दिया गया था।
जो घटना स्वाधीनता प्राप्ति के इतिहास का मुख्य प्रसंग होनी चाहिए थी, उसे हाशिए पर भी जगह नहीं दी गई। ऐसे कितने और कैसे कैसे छल हमारे इतिहास के साथ किए गए हैं, इसका हमें कोई अंदाजा नहीं।
यह सुखद है कि आज जब देश अपने, स्वनिर्मित, नए संसद भवन के उद्घाटन के साथ भारतीय लोकतंत्र के एक नए अध्याय का शुभारंभ करने का जा रहा है, तब यह राजदंड उस संसद के सर्वोच्च आसन के निकट स्थापित होकर हमारी गौरवशाली विरासत को प्रतिबिंबित करेगा।
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(पीयूष द्विवेदी भारत की वॉल से साभार)