Bhanu Broadcast

Bhanu Broadcast "Professionalism in Media, Unmatched"

क्या यह आयोजन सरकार और संगठन की एकजुटता का संदेश दे पाया है? हाईकमान के किसी भी बड़े नेता का न आना सवालों में विपक्ष ने क...
15/12/2024

क्या यह आयोजन सरकार और संगठन की एकजुटता का संदेश दे पाया है?

हाईकमान के किसी भी बड़े नेता का न आना सवालों में
विपक्ष ने काला चिट्ठा सौंपकर खोला मुद्दों का पिटारा

शिमला/. सुक्खू सरकार ने सत्ता में दो वर्ष पूरे होने पर बिलासपुर में राज्य स्तरीय रैली का आयोजन किया है। इस रैली में तीस हजार लोगों के आने का लक्ष्य तय किया था। इस लक्ष्य के आईने में यह रैली बहुत सफल रही मानी जा सकती है। फिर इन दो वर्षों में सुक्खू सरकार जिस तरह के राजनीतिक वातावरण का सामना करते हुए इस मुकाम तक पहुंची है उसके आईने में भी इस आयोजन को एक सफल आयोजन करार दिया जा सकता है। लेकिन क्या इस रैली के बाद कांग्रेस संगठन और कांग्रेस सरकार अपने कार्यकर्ताओं तथा रैली में आई हुई जनता को अपनी एकजुटता का सन्देश दे पाये हैं ? क्या इस आयोजन के बाद विपक्ष के पास सरकार के खिलाफ कोई सवाल नहीं रह गये हैं जिनका जवाब आना शेष हो ?
यह सवाल इसलिये महत्वपूर्ण हो जाते हैं क्योंकि इन दो वर्षों में प्रदेश सरकार पहले दिन से ही केन्द्र पर राज्य को वांछित सहयोग न देने का आरोप लगाती आयी है और विपक्ष सरकार को गारंटीयों के नाम पर घेरती आयी है। इस रैली में कांग्रेस हाईकमान की ओर से कोई भी नेता शामिल नहीं हो पाया है जबकि आमन्त्रण सारे शीर्ष नेताओं को था। इस आयोजन के मुख्यअतिथि प्रदेश प्रभारी राजीव शुक्ला थे जबकि यह आयोजन प्रभारी होने के नाते उनके अपने कार्यकलाप की भी परीक्षा था।
इन बिन्दुओं पर यदि इस आयोजन का मूल्यांकन किया जाये तो इस अवसर पर रैली मैदान को लेकर जो सवाल पूर्व मंत्री रामलाल ठाकुर ने उठाये हैं वह अपने में बहुत कुछ ब्यान कर जाते हैं।
इस आयोजन में जिस तरह से प्रदेशाध्यक्ष प्रतिभा सिंह को स्टेज पर बोलते हुये रोका गया उससे उन आशंकाओं को स्वतः ही बल मिल जाता है कि होली लॉज को डिसलॉज करने का प्रयास किया जा रहा है। यहां यह उल्लेखनीय हो जाता है कि जब प्रतिभा सिंह ने भाजपा सरकार के कार्यकाल में मण्डी के लोकसभा का उपचुनाव जीता था तो वह स्व.वीरभद्र सिंह की विरासत के नाम पर ही संभव हो पाया था। इसी विरासत के कारण विधानसभा चुनावों के समय भी किसी एक को नेता घोषित नहीं किया गया था। बाद में मुख्यमंत्री पद के लिये शायद सुखविंदर सिंह सुक्खू इसलिये नामित हुये क्योंकि वही एकमात्र नेता थे जो कांग्रेस संगठन की तीनों इकाइयों छात्र, युवा और मुख्य संगठन के अध्यक्ष रह चुके थे।
लेकिन सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री पर जिस तरह से अपने ही मित्रों के गिर्द केन्द्रित होकर रह जाने के आरोप लगने शुरू हुये उनके कारण वीरभद्र कार्यकाल में सक्रिय रहे कार्यकर्ता मुख्य धारा से बाहर होते चले गये। लेकिन जिन मित्रों को मुख्यमंत्री आगे लाये वह न तो सरकार में ही कोई महत्वपूर्ण योगदान दे पाये और न ही मुख्यमंत्री के संकट मोचक हो पाये।
इस रैली के बाद अब तक उपेक्षित चले आ रहे कार्यकर्ताओं को स्व. वीरभद्र सिंह के नाम पर इकट्ठे होने का अवसर मिल जायेगा। क्योंकि विपक्ष ने जिस तरह का सौ पन्नों का सरकार का काला चिट्ठा राज्यपाल को सौंपा है उससे भाजपा के हर कार्यकर्ता से लेकर नेता तक हर आदमी के पास सरकार के खिलाफ सवाल उठाने के लिये मैटिरियल मिल जायेगा। क्योंकि इस कच्चे चिट्ठे में लगभग सभी मंत्रियों और विभागों के खिलाफ कुछ न कुछ दस्तावेजी प्रमाणों के साथ दर्ज है।

आने वाले दिनों में इस कच्चे चिट्ठे के आरोप हर दिन चर्चा का विषय रहेंगे। यह देखना दिलचस्प होगा कि मुख्यमंत्री के मित्र इस काले चिट्ठे का जवाब कैसे देते हैं। काले चिट्ठे में जिस तरह के आरोप दर्ज हैं उनसे यह संभावना बलवती हो गई है कि शायद कुछ मामलों में सीबीआई तक सक्रिय हो जाये। ई डी पहले ही सक्रिय है। इस परिदृश्य में रैली के भरे मंच से संगठन और सरकार में तीव्र मतभेद होने का खुला संदेश जाना किसी भी गणित से सरकार के लिये हितकर नहीं हो सकता। अब इस मामले की प्रदेश प्रभारी किस तरह की रिपोर्ट हाईकमान के सामने रखते हैं और हाईकमान उसका कैसे संज्ञान लेता है इस पर सबकी निगाहें लगी हुई हैं।

क्योंकि जिस तरह की वित्तीय स्थितियों से प्रदेश गुजर रहा है और प्रधानमंत्री स्वयं इसको मुद्दा बना चुके हैं उसके आईने में इस रैली का औचित्य स्वयं ही सवालों में आ जाता है। नेता प्रतिपक्ष ने इस आयोजन पर सवाल उठाने शुरू कर ही दिये हैं।

क्या नादौन में बस स्टैंड के लिये सरकार की जमीन ही सरकार को बेच दी गयी जब लैण्ड सीलिंग के बाद राजा नादौन के पास बची ही 31...
15/12/2024

क्या नादौन में बस स्टैंड के लिये सरकार की जमीन ही सरकार को बेच दी गयी
जब लैण्ड सीलिंग के बाद राजा नादौन के पास बची ही 316 कनाल थी तो उसने 70 कनाल और 770 कनाल कहां से बेच दी
क्या नादौन में लैण्ड सीलिंग एक्ट लागू नहीं हुआ है
जिस जमीन का राजस्व रिकॉर्ड ताबे हकूक बर्तन बर्तनदारान हो उसे प्राइवेट आदमी कैसे खरीद-बेच सकता है
शिमला/. जब सुक्खू सरकार सत्ता में दो साल पूरे होने का बिलासपुर में जश्न मना रही थी तो उसी समय भाजपा बतौर विपक्ष राज्यपाल को सरकार के खिलाफ दो साल के कारनामों का काला चिट्ठा सौंप रही थी। इस काले चिट्ठे में एक आरोप यह दर्ज है कि मुख्यमंत्री के गृह विधानसभा क्षेत्र नादौन में ई बसों के लिए बनाये जा रहे बस स्टैंड के लिए 2015 में तीन लोगों राजेन्द्र कुमार, अजय कुमार प्रभात चन्द द्वारा 2,40,000 में खरीद कर उसी जमीन को 2023 में एचआरटीसी को चार सौ गुना दामों पर 6,72,61,226 रुपए में बेच दिया गया। यह लोग मुख्यमंत्री के नजदीकी है क्योंकि नादौन से ही ताल्लुक रखते हैं। भाजपा का यह आरोप अपने में बहुत कमजोर है क्योंकि किसी भी सौदे में लाभ कमाना कोई अपराध नहीं है। फिर जब यह जमीन 70 कनाल 2015 में खरीदी गयी और अब जब 2023 में बेची गई तो दोनों बार सर्किल रेट के आधार पर ही गणना की गयी होगी। फिर भाजपा का यह भी आरोप नहीं है कि इसमें सर्किल रेट को नजरअन्दाज किया गया है। फिर इसमें आरोप क्या है और भाजपा ने उस आरोप का खुलासा क्यों नहीं किया है। जबकि यह अपने में एक बड़ा घोटाला है। भाजपा के ही काले चिठ्ठे में एक आरोप यह भी है कि मुख्यमंत्री ने स्वयं 770 कनाल जमीन खरीद रखी है। मुख्यमंत्री सुक्खू और एचआरटीसी को 70 कनाल जमीन बेचने वाले सभी लोगों ने 2015 में राजा नादौन से यह जमीन खरीद रखी है।
स्मरणीय है कि राजा नादौन को 1857 में अंग्रेज शासन के दौरान 1,59, 986 कनाल 10 मरले जमीन बतौर जागीर मिली थी। यह जमीन पूरी रियायत के 329 गांवों में फैली हुई थी और राजस्व रिकॉर्ड में इन जमीनों पर ताबे हकूक बर्तन बर्तनदारान दर्ज था और आज भी दर्ज है। जिन जमीनों पर इस तरह का अन्दराज राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज होता है उनकी मालिक सरकार होती है कोई व्यक्ति विशेष नहीं। इसलिए 1974 के लैण्ड सीलिंग एक्ट के तहत राजा नादौन की सारी सरप्लस जमीनों की मालिक सरकार बन गयी। सीलिंग के बाद राजा नादौन के पास बची हुई केवल 316 कनाल जमीन थी। ऐसे में सवाल उठता है कि जिस मलिक के पास कानून के तहत बची ही 316 कनाल जमीन थी उसने 770 कनाल और 70 कनाल जमीने बेच कहां से दी? क्या राजा नादौन सरकार की जमीने ही प्राइवेट लोगों को बेचते रहे? फिर जब जमीनों पर राजस्व रिकॉर्ड में ताबे हकूक बर्तन बर्तनदारान का अन्दराज है तो संबंधित प्रशासन ऐसी सेल डीड को प्रमाणित कैसे करता रहा। राजा नादौन ने अपनी जमीने बचाने के लिये अदालतों में एक लम्बी लड़ाई लड़ी है। लेकिन 1984 में वित्तायुक्त आर.के.आनन्द के फैसले से कानूनी लड़ाई का अन्त हुआ। राजा नादौन केवल 316 कनाल के मालिक रहे थे। ऐसे में 1984 के बाद राजा नादौन द्वारा बेची गई हर जमीन सवालों के दायरे में आ जाती है।
यही नहीं लैण्ड सीलिंग एक्ट के लागू होने के बाद प्रदेश, हमीरपुर और नादौन का राजनीतिक नेतृत्व विधानसभा से लेकर संसद तक इस मुद्दे पर क्या करता रहा। जब 2023 में एचआरटीसी को 70 कनाल जमीन बेची गयी तो उसी दौरान प्रदेश सरकार लैण्ड सीलिंग एक्ट में संशोधन कर रही थी। तब भी किसी ने यह जानने का प्रयास नहीं किया कि अब भी प्रदेश में लैण्ड सीलिंग से अधिक जमीन रखने वाले कितने मामले हैं और क्यों है। जबकि 2011 में विलेज कामन लैण्ड की खरीद बेच का सर्वाेच्च न्यायालय ने कड़ा संज्ञान लेते हुये पूरे देश के मुख्य सचिवों को ऐसे मामलों पर कड़ी कारवाई करते हुये इसके बारे में शीर्ष अदालत को भी सूचित करने के निर्देश जारी कर रखे हैं। कानून की स्थिति को सामने रखते हुये स्पष्ट हो जाता है कि एचआरटीसी के संद्धर्भ में सरकार की जमीन पहले 2,40,000/- रुपए में तीन लोगों को बेची गयी और फिर उसी जमीन को 6,72,61,226 रूपये में बेच दिया गया तथा संबद्ध प्रशासन आंखें बन्द करके बैठा रहा। जबकि यह मामला जिला प्रशासन तक भी गया है।

CBI करेगी मणिकर्ण में हुई युवक की मौत मामले की जांच, HC के आदेश…कुल्लू पुलिस की जांच पर सवाल शिमला, हिमाचल प्रदेश (Himac...
13/12/2024

CBI करेगी मणिकर्ण में हुई युवक की मौत मामले की जांच, HC के आदेश…कुल्लू पुलिस की जांच पर सवाल

शिमला, हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) के कुल्लू जिले की मणिकर्ण घाटी में हरियाणा के एक युवक वैभव यादव की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत का मामला की जांच अब केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को सौंपी गई है। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट (Himachal Pradesh High court) ने प्रदेश पुलिस की जांच पर सवाल उठाते हुए मामले की जांच सीबीआई को ट्रांसफर करने के निर्देश दिए हैं। गुरुवार को हुई सुनवाई में हाईकोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कुल्लू पुलिस के कामकाज पर नाराजगी जताई और मामले की निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने के लिए सीबीआई को त्वरित कार्रवाई के आदेश दिए। साथ ही हिमाचल पुलिस को तीन दिन के भीतर यह केस का सारा रिकॉर्ड सीबीआई को सौंपने के भी आदेश दिए थे।
दरअसल, हरियाणा के वैभव यादव अपने तीन दोस्तों – कुशाग्र, शशांक और रितिका मित्तल के साथ कुल्लू घूमने आए थे। 9 दिसंबर 2023 को, कसोल की तोष वैली में घूमने के दौरान वैभव की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। प्रारंभिक जांच के बाद, कुल्लू पुलिस ने इसे गैर-संदिग्ध मामला मानते हुए 11 दिसंबर को शव को परिजनों को सौंप दिया। हालांकि, वैभव के परिवार ने 14 दिसंबर को हिमाचल प्रदेश के तत्कालीन डीजीपी संजय कुंडू को पत्र लिखकर मौत को संदिग्ध बताया और मामले में गहरी जांच की मांग की।

वैभव के परिजनों ने आरोप लगाया कि कुल्लू पुलिस ने मामले की जांच में लापरवाही बरती। उन्होंने कहा कि पुलिस ने दोस्तों और होटल स्टाफ से उनकी उपस्थिति में पूछताछ नहीं की। परिजनों ने यह भी दावा किया कि घटना के समय वैभव के तीनों दोस्तों का व्यवहार असामान्य था। एक दोस्त के पिता ने फोन पर बताया था कि घटना के दौरान तीनों दोस्त उल्टियां कर रहे थे और उनकी तबीयत ठीक नहीं थी। इसके अतिरिक्त, परिजनों ने आरोप लगाया कि मामले में एक ट्रेनी आईपीएस अफसर ने हस्तक्षेप किया, क्योंकि दोस्तों में से एक उसका रिश्तेदार था। इस हस्तक्षेप के कारण पुलिस जांच प्रभावित हुई।

जांच में पता चला कि चारों दोस्तों ने तोष में एक गेस्ट हाउस के दो कमरे बुक किए थे। 9 दिसंबर की शाम को सभी पास के एक बेकरी और फिर कैफे में गए थे। इसी दौरान वैभव की तबीयत बिगड़ने लगी और वह गेस्ट हाउस लौट आया। बाद में जब उसके दोस्त वापस लौटे तो उन्होंने वैभव को गेस्ट हाउस के पास खेतों में गिरा हुआ पाया। गेस्ट हाउस के मैनेजर के अनुसार, वैभव चौथी मंजिल से गिरा था। मंडी में वैभव के सैंपलों की जांच में भांग के अंश पाए गए, लेकिन शराब का सेवन नहीं हुआ था। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत का कारण सिर में गंभीर चोट और खून बहना बताया गया।

हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणियां
हिमाचल हाईकोर्ट ने कहा कि यह मामला पुलिस अधिकारियों की कर्तव्य विमुखता और कानून के उल्लंघन का स्पष्ट उदाहरण है। कोर्ट ने टिप्पणी की कि यदि समय पर एफआईआर दर्ज की जाती तो पुलिस को गहन जांच का मौका मिलता और मामले की सच्चाई सामने आ सकती थी। कोर्ट ने यह भी कहा कि 14 फरवरी 2024 को वैभव के पिता ने हत्या की आशंका जताई थी, लेकिन पुलिस ने अपराध की सूचना होने के बावजूद केस दर्ज नहीं किया। कोर्ट ने इसे पुलिस की पक्षपाती कार्रवाई करार दिया और प्रदेश के होम सेक्रेटरी को पुलिस अधिकारियों के कंडक्ट की जांच करने का आदेश दिया।

हाईकोर्ट ने शिमला स्थित सीबीआई एसपी को निर्देश दिए हैं कि वे तत्काल इस मामले में केस दर्ज करें और जांच शुरू करें। साथ ही कुल्लू पुलिस को बिना किसी देरी के मामले से संबंधित सभी रिकॉर्ड सीबीआई को सौंपने का आदेश दिया गया है। इस मामले में वैभव के परिजनों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर न्याय की गुहार लगाई थी। कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए इसे सीबीआई को ट्रांसफर कर दिया है।

कुक्कर से बाहर आई असली खिचड़ी दो दिन से  पथ परिवहन निगम की बस में  कुक्कर और हीटर  का किराया वसूले जाने  की खासी चर्चा है...
12/12/2024

कुक्कर से बाहर आई असली खिचड़ी

दो दिन से पथ परिवहन निगम की बस में कुक्कर और हीटर का किराया वसूले जाने की खासी चर्चा है। परिवहन निगम ने इसकी जांच करवाई है और दावा किया है के कहानी कुछ और है। निगम के अनुसार दो छात्र शिमला से धर्मशाला जा रहे थे जिनके पास काफी सामान था।सामान में बैग्स के अलावा हीटर, टेबल इत्यादि शामिल था। नियमानुसार 30 किलो फ्री के बाद भी उनके पास तीस किलो से ज्यादा सामान था जिसमे से अतिरिक्त सामान का टिकट काटा गया।
(hrtc press note attached )

भ्रष्टाचार से अकूत दौलत कमाने वाले ड्रग कंट्रोलर कपिल धीमान को 3 साल की सजा, पिता-भतीजे भी दोषीशिमला, 11 दिसंबर : हिमाचल...
11/12/2024

भ्रष्टाचार से अकूत दौलत कमाने वाले ड्रग कंट्रोलर कपिल धीमान को 3 साल की सजा, पिता-भतीजे भी दोषी

शिमला, 11 दिसंबर : हिमाचल प्रदेश में विशेष न्यायालय सोलन के न्यायाधीश अरविंद मल्होत्रा ने आय से अधिक (अनुपातहीन संपत्ति) और आपराधिक षड्यंत्र के मामले में तीन दोषियों को सजा सुनाई है। यह मामला 14 दिसंबर 2012 को दर्ज किया गया था। आरोपियों पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 13(1) (ई), 13(2) और भारतीय दंड संहिता की धारा 120-बी के तहत कार्रवाई की गई थी। यह मामला हिमाचल प्रदेश के राज्य सतर्कता और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (SV & ACB) सोलन द्वारा दर्ज किया गया था।

अदालत ने भ्रष्टाचार के संगीन मामले में औद्योगिक क्षेत्र बद्दी के तत्कालीन ड्रग कंट्रोलर कपिल धीमान को पिता व भतीजे सहित दोषी करार दिया है। भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 और भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत दोषी पाए गए कपिल धीमान, एल.एस. धीमान और पुनीत धीमान को अदालत ने कठोर दंड दिया है।

अदालत ने यह भी पाया कि कपिल धीमान ने फार्मास्युटिकल व्यवसाय में दोषी पुनीत धीमान को शामिल कर लाभ अर्जित किया। उन्होंने अपने पिता लक्ष्मण सिंह धीमान, के नाम पर हरियाणा के जिला पंचकुला और मंडी जिले के हंसा गांव में संपत्तियां खरीदीं। विशेष न्यायालय ने कपिल धीमान को तीन साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है। इसके साथ ही उन्हें पांच लाख रुपये जुर्माना भरने का आदेश भी दिया गया है। जुर्माना न भरने पर छह महीने का साधारण कारावास भुगतना होगा। इसके अतिरिक्त भारतीय दंड संहिता की धारा 120-बी के तहत कपिल धीमान को दो साल की सजा और दो लाख का जुर्माना लगाया गया है।

अदालत ने दोषी कपिल धीमान की 34,89,541 लाख रुपये की अनुपातहीन संपत्ति (आय से अधिक) के मद्देनजर, हरियाणा के सूरजपुर स्थित अमरावती एन्क्लेव में उनकी 35,लाख रुपये की अचल संपत्ति को हिमाचल प्रदेश सरकार के पक्ष में जब्त करने का आदेश भी दिया है। 1 नवंबर 1991 को ड्रग इंस्पेक्टर के पद पर नियुक्त कपिल धीमान पर आरोप था कि उसने रिश्वत लेकर बिना औपचारिकताएं पूरी किए कई फार्मा कंपनियों के लाइसेंस जारी करवा दिए।

उधर एक अन्य दोषी एल.एस. धीमान को दो साल के कठोर कारावास और दो लाख रुपये का जुर्माना भरने का आदेश दिया गया है। जुर्माना न भरने पर छह महीने का साधारण कारावास भुगतना होगा। उनकी 15,26,955 की अनुपातहीन संपत्ति को ध्यान में रखते हुए मंडी जिले के ओट तहसील में तीन मंजिला भवन (कुल कीमत 18,04,395 लाख) को हिमाचल प्रदेश सरकार के पक्ष में जब्त करने के आदेश भी जारी हुए है।

दोषी पुनीत धीमान को दो साल के कठोर कारावास और दो लाख रुपये का जुर्माना भरने का आदेश दिया गया है। जुर्माना न भरने पर छह महीने का साधारण कारावास भुगतना होगा। उनकी ₹4,66,767 रूपये की अनुपातहीन संपत्ति को देखते हुए उनकी एफडी आर (55,150/-, 55,150/-, 55,136) और 11,69,171 लाख की बैंक शेष राशि, ब्याज सहित, जब्त करने का आदेश दिया गया है।

विशेष लोक अभियोजक हेमंत चौधरी ने न्यायालय ने बताया कि कपिल धीमान को धारा 13(2) और 13(1)(ई) के तहत दोषी ठहराया गया और 5,00,000 लाख के जुर्माने और तीन वर्ष के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई। जुर्माना अदा न करने की स्थिति में दो वर्ष का साधारण कारावास भुगतना होगा। उनकी संपत्ति, अमरावती एन्क्लेव (पंचकुला) की कीमत 35,00,000 लाख को राज्य सरकार के पक्ष में जब्त कर लिया गया है। दीगर है कि प्रवर्तन निदेशालय ने भी आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का मामला दर्ज किया हुआ है।

क्या है मामला
विजिलेंस की टीम ने 15 दिसंबर को कपिल धीमान के सोलन में चंबा घाट स्थित घर पर अचानक दबिश दी थी और इसी के साथ उसके अन्य ठिकानों व संपत्तियों पर भी विभाग की भिन्न-भिन्न टीमें पहुंच गई। धीमान के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति होने का मामला दर्ज किया गया था, जिसके आधार पर विजिलेंस ने यह कार्रवाई की। इसी के साथ अधिकारी के कुल्लू, पंचकूला, नारायणगढ़ व मंडी सहित अन्य ठिकानों पर भी दबिश दी गई। विजिलेंस की विभिन्न टीमों ने सभी स्थानों से संपत्ति के दस्तावेज व अन्य आवश्यक सामग्री अपने कब्जे में ली और विस्तृत जांच आरंभ कर दी है। इस बीच धीमान के चंबाघाट स्थित घर में बनी दो मंजिलों में उपहारों का गोदाम भरा पाया गया।

मुख्य बिंदु
हाईकोर्ट ने ड्रग कंट्रोलर के खिलाफ दर्ज FIR को खारिज करने से इंकार कर दिया था। HC ने धीमान की याचिका को खारिज करते हुए कहा था कि अभियोजन पक्ष द्वारा लगाए आरोपों के अनुसार याचिकाकर्ता ने अपनी आय से अधिक संपत्ति अर्जित की और याचिका में दिए तथ्यों से यह अनुमान लगाना मुश्किल है कि ड्रग इंस्पेक्टर के खिलाफ कोई अपराध नहीं बनता। एफआईआर दर्ज होने के बाद पुलिस ने कपिल धीमान के घर समेत उसके रिश्तेदारों के यहां तलाशी ली गई थी। तलाशी के दौरान कपिल की चल- अचल संपत्ति के कागजात कब्जे में लिए गए। जांच का दायरा 2001 से 2012 के बीच रखा गया था। धीमान पर राज्य व बाहरी प्रदेशों में अकूत संपत्ति अर्जित करने का आरोप लगा था। पुलिस के अनुसार प्रार्थी के पास आय के स्रोत से कहीं अधिक संपत्ति पाई गई।

ये बरी
इस मामले में आरोपी, धर्मेंद्र गुलाटी, संजीव अग्रवाल, और सुशील गोयल को अदालत ने उनके खिलाफ कोई ठोस सबूत न मिलने के कारण उन्हें बरी कर दिया। विशेष न्यायालय ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए कहा कि सरकारी पदों का दुरुपयोग कर संपत्ति अर्जित करना न केवल कानून का उल्लंघन है बल्कि समाज के प्रति विश्वासघात भी है। अदालत ने यह भी सुनिश्चित किया कि राज्य सरकार के पक्ष में जब्त की गई संपत्ति का सही तरीके से प्रबंधन हो।

वर्तमान कांग्रेस सरकार के 2 वर्ष के काले कारनामों का'कच्चा चिट्ठा'वर्तमान कांग्रेस सरकार का 2 वर्ष का यह कार्यकाल प्रदेश...
11/12/2024

वर्तमान कांग्रेस सरकार के 2 वर्ष के काले कारनामों का

'कच्चा चिट्ठा'

वर्तमान कांग्रेस सरकार का 2 वर्ष का यह कार्यकाल प्रदेश के इतिहास में काले अध्याय के रूप में जाना जाएगा क्योंकि इस दौरान भ्रष्टाचार में आकंठ डूबी इस सुक्खु सरकार ने 'मित्रों' को अनैतिक रूप से लाभ पहुँचाकर, फ़िजूल खर्ची को बढ़ावा देकर और आर्थिक कुप्रबंधन कर जहाँ प्रदेश को आर्थिक दिवालियापन के कगार पर खड़ा कर दिया वहीं क़ानून व्यवस्था को ठेंगा दिखाते हुए खनन, ड्रग, शराब, कबाड़, वन व भू माफिया को सरंक्षण दे प्रदेश में माफिया राज स्थापित कर दिया। यही नहीं कांग्रेस की इस सरकार ने जहाँ जन विरोधी निर्णय लेकर प्रदेश की जनता को त्रस्त करने का काम किया, वहीं कई अजीबोगरीब फैसले लेकर प्रदेश को देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में मज़ाक का विषय बना दिया। हिमाचल प्रदेश भारतीय जानता पार्टी वर्तमान प्रदेश सरकार के 2 साल के कार्यकाल पूरा होने पर इस सरकार के काले कारनामों का कच्चा चिट्ठा प्रस्तुत कर रही है।

घोटालों की सरकार

1. मुख्यमंत्री कार्यालय बना भ्रष्टाचार का अड्डाः

श्री सुखविंदर सिंह सुक्खु द्वारा मुख्यमंत्री पद की बागडोर संभालते ही मुख्यमंत्री कार्यालय में रहे एक कर्मचारी ने प्रधानमंत्री कार्यालय को एक गुमनाम पत्र लिख कर आरोप लगाया था कि मुख्यमंत्री कार्यालय में कार्यरत एक अधिकारी, बिजली बोर्ड के आलाधिकारी के साथ मिलकर भ्रष्टाचार को अंजाम दे रहे हैं। पत्र में आरोप लगाया गया था कि किन्नौर स्थित शोंग-टोंग-कड़छम हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट बनाने वाली मैसर्ज पटेल इंजीनियरिंग कंपनी द्वारा 25 करोड़ रुपए इन अधिकारियों को मुख्यमंत्री कार्यालय में दिए। अब यह आरोप इसलिए सत्य लग रहा है क्योकि हिमाचल सरकार हिमाचल प्रदेश पॉवर कारपोरेशन लिमिटेड (HPPCL-एच.पी.पी.सी.एल.) के माध्यम से अनेक तरह के लाभ इस कंपनी को पहुँचा रही है जैसे एच.पी.पी.सी.एल. ने अपने बोर्ड की बैठक में कार्यपूर्ति की समय अवधि को दूसरी बार बढ़ा दिया। प्रोजेक्ट समय पर पूरा न करने पर 162 करोड़ रू. के जुर्माने को न लगाकर 1765 दिनों की समय अवधि और बढ़ा दी। दूसरा, घाटे पर चल रही इस कंपनी को 150 करोड़ रु. का काम बढ़ा कर 288 करोड़ रू. में दे दिया। यही नहीं, मलवा हटाने का रेट भी 67 रू/क्यूबिक मीटर से बढ़ाकर 88 रू/ क्यूबिक मीटर कर दिया और मलवे की मात्रा भी 1,74,000 क्यूबिक मीटर से बढ़ाकर 3,74,000 क्यूबिक मीटर कर दी जो भ्रष्टाचार का एक स्पष्ट प्रमाण है। (Ann A: Copy of proceeding of the 88th meeting of the Board of Directors of HPPCL)

2. शराब घोटालाः

हिमाचल सरकार के आबकारी एवं कराधान विभाग ने इस वर्ष के लिए फ़रवरी-मार्च 2024 में शराब के ठेकों की नीलामी की जिसमें बहुत बड़ा घोटाला घटा। एक तो विभाग ने जिलों में छोटे यूनिट मिलाकर बड़े यूनिट बना दिया, अर्थात यूनिट बड़े बना दिए ताकि चहेते ठेकेदारों को ज़्यादा काम मिल सके। इसका विवरण इस प्रकार है :

1. सिरमौर ज़िला - 5 यूनिट का 1 यूनिट

2. मंडी ज़िला - 8 यूनिट का 1 यूनिट

3. नूरपुर - 5 यूनिट का 1 यूनिट

4. चंबा ज़िला -11 यूनिट का 1 यूनिट

5. बिलासपुर ज़िला - 5 यूनिट के 2 यूनिट

दूसरा सरकारी दबाव में प्रशासनिक अधिकारियों ने नीलामी करने में गड़बड़ियाँ की जिससे कई जिलों में बोली रिज़र्व दाम के बराबर या कम में ही चली गई और चहेतों को लाभ देने के लिए सरकारी ख़ज़ाने को चूना लगाने का काम किया गया। (Ann B: विधान सभा प्रश्न संख्या 1779, दिनांक 29-8-2024 की कॉपी)
नीलामी के दौरान की गई गड़बड़ियों का उदाहरण ज़िला बिलासपुर से मिलता है जिसमे जब ऑनलाइन किसी ने बोली नहीं दी तो रात के अंधेरे में ही टेंडर डलवा लिया गया, जिसकी वीडियो (video) सन्लगित और इसमें तो एक महिला अधिकारी कैश (cash) लेते हुए भी नज़र आ रहीं हैं। आवश्यकता है कि ज़िला बिलासपुर समेत अन्य ज़िलों में भी नीलामी की इस प्रक्रिया की जाँच हो। (Ann C: Copy and video gained through RTI)
• 26 जुलाई 2024 को पानीपत पुलिस ने पोंटा साहिब स्थित शराब की फैक्ट्री से 970 शराब की पेटियों को अवैध रूप से बिहार को लेजाते हुए पकड़ा, जबकि बिहार में शराब बैन है। यही नहीं, ट्रक में शराब की पेटियों को चूने की 34 बोरियों से ढक कर लेजाया जा रहा था। चूने के बिल और ट्रक की नंबर प्लेट भी नकली थी। इस संबंध में पानीपत पुलिस ने एफ.आई.आर. भी दर्ज की और हिमाचल प्रदेश पुलिस प्रशासन को आगामी करवाई के लिए प्रेषित किया परंतु सरकारी दबाव के कारण आज तक न तो पुलिस प्रशासन ने कोई करवाई की और न ही आबकारी एवं कराधान विभाग ने। शराब माफिया का दबाव इस मामले में भी स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। (Ann D: विधानसभा प्रश्न संख्या 1806 दीनांक 29/5/24) उल्टा इस घटना के बाद भी इस फैक्ट्री से अवैध ढंग से शराब लेजाती गाड़ियाँ उत्तराखंड व अन्य राज्यों में पकड़ी।
• प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने हिमाचल में बड़ी कार्रवाई करते हुए नालागढ़ स्थित शराब कंपनी की 9.31 करोड़ रुपए की अचल संपत्ति अस्थायी रूप से जब्त की है। ईडी ने मैसर्ज काला अंब डिस्टिलरी एड ब्रीवरी प्राइवेट लिमिटेड नालागढ़ की 5.31 करोड़ रुपए की संपत्ति (फैक्टरी और भवन के साथ एक औद्योगिक भूखंड शामिल), सहित अरुणाचल प्रदेश के होलोंगी गांव में चार करोड़ की 22504 वर्ग मीटर भूमि कारखाने और भवन को जब्त किया हैं। ईडी ने यह कार्रवाई बिहार में अवैध रूप से - शराब की आपूर्ति के एक मामले में धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) 2002 के - प्रावधानों के तहत की है। हिमाचल प्रदेश में बाहर के राज्यों से भी अवैध रूप से शराब लाकर बेची जा रही है जिससे सरकारी खजाने को भारी नुकसान पहुंच रहा है।
• वर्तमान सरकार पर यह भी आरोप है कि शराब नीति में बदलाव की अब शराब की बोतल पर Maximum Retail Price (M.R.P.) लिखने की बजाए Minimum Sale Price (M.S.P.) लिखा जा रहा है, जिस का लाभ उठाकर शराब के ठेकेदार मनचाहे दामों पर शराब की बिक्री कर रहे हैं। जिससे चहेते ठेकेदारों को तो लाभ मिल रहा है परन्तु सरकारी खजाने को चूना लगाया जा रहा है।

3. भू-घोटालेः
• फ़रवरी-मार्च 2015 में मुख्यमंत्री श्री सुखरिंदर सिंह सुक्खु के नज़दीकी श्री अजय कुमार, श्री राजेंद्र सिंह राणा और श्री प्रभात चंद ने श्रीमान महेश्वर सिंह जी से 70 कनाल ज़मीन ₹. 2 लाख 60 हज़ार रू. में तीन अलग अलग रजिस्ट्रियाँ करवा कर खरीदी गई (रजिस्ट्री की कापियाँ)।उस समय के वहाँ के तहसीलदार श्री अनिल मनकोटिया आज मुख्यमंत्री महोदय के ओ.एस.डी. हैं। अब दिसंबर 2023 में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खु ने मुख्यमंत्री रहते यह 70 कनाल ज़मीन तीनो चहेतों से हि. प्र. पथ परिवहन निगम को 6 करोड़ 72 लाख 61 हज़ार 266 रू. में, अर्थात 400% दाम बढ़ा कर दिलवा दी और अपने चहेतों को लाभ पहुँचा, इस भू घोटाले को अंजाम दिया । (Ann E: रजिस्ट्री की कॉपियाँ)
• जलशक्ति विभाग मंडल प्रागपुर द्वारा उठाऊ पेयजल योजना गाँव रक्कड़, प्रागपुर में 2 रिसवा कूँओं को लगाने हेतु 00-07-65 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहित की जिसके एवज में इस भूमि के मालिक मुख्यमंत्री श्री सुखविंदर सिंह सुक्खु के परिवार ने 18,00,000 रु. लिए और आश्चर्य की बात है कि इसमें से 4 लाख 50 हज़ार रुपयमुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खु जी के खाते में गए। हिमाचल प्रदेश के जल शक्ति विभाग द्वारा पीने के पानी के टैंक आदि बनाने के लिए गरीब से गरीब व्यक्ति भी ज़मीन देने के बदले कोई पैसा नहीं लेता परंतु मुख्यमंत्री व उनके परिवार के सदस्यों द्वारा 7 बिस्वा ज़मीन के 18 लाख रू. लेना मुख्यमंत्री द्वारा ख़ुद को दानी एवं ईमानदार दर्शाने की कोशिश की पोल खोलता है। (Ann F: विधानसभा प्रश्न संख्या 2024 दिनांक 4-9-24)
• मुख्यमंत्री श्री सुखविंदर सिंह सुक्खु जी के भाई राजीव सिंह जी ने नादौन में 769 कनाल ज़मीन ख़रीदी जिसे साल 2012 में सुक्खु जी ने अपने नाम करवा लिया, तब यह कृषि भूमि के नाम से दर्ज थी परंतु उस समय के एस.डी.एम. अनिल मनकोटिया जो अब मुख्यमंत्री महोदय के ओ.एस.डी. हैं, उन्होंने इस ज़मीन की किस्म को बदल दिया और सुक्खु जी ने इस भूमि को 2017 व 2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान दिए हल्फनामे में गैर कृषि भूमि दर्शाया और इसकी क़ीमत 2 करोड़ 78 लाख रू. बताई जब की सच यह है की भूमि निर्धारण धारा-3 के अनुसार यह भूमि किसी भी परिभाषा में नहीं आती। प्रदेश के मुख्यमंत्री पद पर बैठे व्यक्ति अपने ओ.एसडी. से मिलकर किस तरह भू-घोटाले को अंजाम दे रहे हैं, यह उसका एक उदाहरण है (Ann G: Copy of Complaint)
• विधानसभा क्षेत्र पालमपुर के अंतर्गत नगर निगम वार्ड 1 में बंदला के छिड़ चौक क्षेत्र से निकलने वाली महत्वपूर्ण 3 कूल्हों (1. दाईं दी कुल्ह, 2. मियां फ़तह कुल्ह, 3. दिवान कुल्ह) के ऊपर एक भू माफिया ने बहुत बड़ा स्लैब डालकर कुल्ह पर क़ब्ज़ा कर लिया है। कुल्ह के ऊपर स्लैब को डालने की शिकायत करने पर सरकार ने अभी तक कोई करवाई नहीं की।
• पेट्रोल पम्प हेतु सरकारी ज़मीन वर्तमान सरकार के एक विधायक की पत्नी के भाई श्री प्रदीप कुमार सुपुत्र श्री रोशन लाल, पालमपुर निवासी को पेट्रोल पम्प लगाने के लिए धर्मशाला में सरकारी ज़मीन देने के लिए ज़िला प्रशासन दिन रात मेहनत कर रहा है। एन.ओ.सी. तो दे भी दी है। भाई ठीक ही कहा है... 'सारी खुदाई एक तरफ़, जोरू का भाई एक तरफ़'।(Ann H: ज़िलाधीश काँगड़ा कार्यालय द्वारा जारी NOC की कॉपी)

4. खनन माफियाः
• हि. प्र. की सुक्खु सरकार के समय खनन माफिया का सरकारी सरंक्षण में इतना दबाव बढ़ गया है कि सरेआम अवैध खनन होता है और प्रशासनिक अधिकारी चाह कर भी कुछ नहीं कर सकते। बद्दी में वहाँ की एस. पी. का लंबी छुट्टी पर चले जाना इस आरोप की पुष्टि करता है।
• आपदा के समय सरकार ने कांगड़ा जोन के सभी स्टोन क्रशर बंद करने के निर्देश दे दिए परंतु मुख्यमंत्री के गृह क्षेत्र नादौन में उनके भाई व मित्रों के स्टोन क्रशर चलते रहे। अवैध खनन कर इन्होंने सभी सरकारी कामों पर ऊंचे दाम पर रेत बजरी सप्लाई किया और. मुख्यमंत्री ने अन्य मामलों की तरह इसमें भी अपने मित्रों को अनैतिक ढंग से लाभ पहुंचाया। हमारे इस आरोप की पुष्टि ई. डी. (E.D.) द्वारा रेड कर मुख्यमंत्री के दो करीबी लोगों की गिरफ्तारीयाँ होने से मिलती है।
• यही नहीं अवैध खनन कांगड़ा, ऊना, बिलासपुर, सोलन व सिरमौर ज़िलों के सीमावरती क्षेत्रों में बेरोक-टोक हो रहा है। सरकारी सरंक्षण से खनन माफिया इतना हावी है कि साथ लगते पंजाब की तुलना में रेत बजरी महँगा मिल रहा है, मगर प्रशासन कोई करवाई नहीं कर रहा है।
• ज़िला मंडी की ब्यास नदी, पोंटा साहिब की यमुना और काला अम्ब की मारकण्ड में तो सरकारी आदेश से ही अवैध रूप से भारी मात्रा में खनन हुआ और आज ये नदियाँ अपनी दिशाएँ बदल रही हैं जिससे आने वाले समय में किसी आपदा की संभावना पैदा हो रही है।

5. वन माफियाः
• वर्तमान सरकार ने प्राइवेट ज़मीन से पेड़ काटने को अपने चहेतों को लाइसेंस दे रखे हैं और वे ठेकेदार एक तो जिन 9 किस्म के पेड़ों के कटान की परमिशन है उनके अलावा अन्य किस्म के पेड़ों को भी काट रहे है और दूसरा प्राइवेट ज़मीन के अलावा सरकारी जंगलों से भी अवैध रूप से कटान किया जा रहा है। सरकारी दबाव के कारण वन विभाग के अधिकारी मूकदर्शक बन गए हैं। सिर्फ गगरेट में पिछले दिनों 50 गाड़ियाँ अवैध कटान कर लकड़ी ले जाती हुई पकड़ी गई जबकि अवैध कटान हर क्षेत्र में सरकारी संरक्षण में सरेआम हो रहा है।
• सरकारी जंगलों में अवैध रूप से खैर की कटान भी करवाया जा रहा है जिसके कारण प्रदेश की वन सम्पन्दा ही तबाह हो रही है। सरकारी जंगलों में अवैध रूप से खैर की कटान भी करवाया जा रहा है जिसके कारण प्रदेश की वन सरपदा ही तबाह हो रही है।

6. हिमाचल ऑन सेल (Himachal on Sale):
• वर्तमान प्रदेश सरकार में बड़े पैमाने पर हिमाचल प्रदेश की संपत्तियों को बेचना शुरू कर दिया है और पर्यटन निगम इसका एक उदाहरण है। पर्यटन निगम के कर्मचारी संघ ने सेवानिवृत कर्मचारियों की देनदारियों को लेकर एक मामला माननीय उच्च न्यायालय में दर्ज किया जिसमें जानबूझकर पर्यटन निगम ने अदालत के आदेश पर जो रिपोर्ट अदालत में रखी उसमे पर्यटन निगम के उन 18 होटलों को घाटे में दर्शा दिया जो प्राइम स्थानों पर चल रहे हैं। अदालत द्वारा पूछे जाने पर की पर्यटन निगम इन्हें कैसे लाभ में लाएगा, सरकार ने कोई जवाब नहीं दिया, जिसके परिणाम स्वरूप अदालत ने इन होटलों को बंद करने के आदेश दे दिए, और अभी मामला स्टे पर है परंतु आरोप यह है की सरकारी वकीलों ने मामले की पैरवी इसलिए ढंग से नहीं की ताकि बंद होने पर इन होटलों को अपने चहेतों को बेचा जा सके। हमारे इस आरोप की पुष्टि मुख्यमंत्री महोदय द्वारा द ट्रिब्यून को दिए साक्षात्कार से मिलती है। (Ann ।: माननीय हाई कोर्ट के निर्णय की कॉपी)
• हि. प्र. के माननीय उच्च न्यायालय ने 13 जनवरी 2023 को Seli Hydro Electric Power Co Ltd द्वारा हिमाचल सरकार के ऊर्जा विभाग पर दायर एक मामले में सरकार को उक्त कंपनी को 64 करोड़ रु. जमा करवाने के निर्देश थे परंतु सरकार द्वारा यह राशि न देने के कारण अब 18 नवंबर 2024 को माननीय उच्च न्यायालय ने दिल्ली स्थित हिमाचल भवन को उपयोक्त कंपनी के साथ अटैच कर उसे कुर्क करने के आदेश दे दिए। इससे प्रतीत होता है कि सरकार ने जानबूझ कर पैसा जमा नहीं करता ताकि हिमाचल भवन किसी चहेते मित्र को दिलाया जा सके। चौतरफ़ा विरोध सुन अब शायद प्रदेश सरकार यह पैसे जमा करवाये। (Ann J: माननीय हाई कोर्ट के निर्णय की कॉपी)

7. लोक निर्माण विभाग बना भ्रष्टाचार का अड्डाः
• वर्तमान सरकार के समय लोक निर्माण विभाग भ्रष्टाचार का अड्डा बना है। मुख्यमंत्री और मंत्री की लड़ाई के बीच जहाँ विकास प्रभावित हो रहा है वहीं इस विभाग में भ्रष्टाचार के लिए भी दोनों के बीच प्रतियोगिता चल रही है। हमीरपुर व कांगड़ा जोन में मुख्यमंत्री सीधा हस्ताक्षेप कर अपने चहेतों को टेंडर दिलाने में लगे हैं। अगर उनमें चहेतों को काम नहीं मिलता तो टेंडर ही रद्द कर दिया जाता है। भरवाईं डिवीज़न में एक काम का टेंडर इसी कारण 10 बार रद्द हो गया। कई डिविजनों में अपने मित्रों को काम देने के लिए अन्यों के टेंडर रद्द कर दिए जाते हैं। मंडी व शिमला जोन में मंत्री महोदय अपना सिक्का चलाने का प्रयास करते हैं परंतु कोशिश यह रहती है की ऐन-केन-प्रकेण उनके चहेतों को ही काम मिले और चहेते बिना काम किए बिल पेश कर पेमेंट लेने के लिए अधिकारियों के पास जाते हैं और भारी दबाव में कई बार असहाय होकर, अधिकारी भी ग़लत कार्य करने को अंजाम दे रहे हैं। लोक निर्माण विभाग में घट रहे घोटालों का उदाहरण बंजार डिवीज़न का है 16 महीनों में 14 करोड़ रू. के 1809 टेंडर लगवाकर मलवा हटाने पर खर्च कर दिए, परंतु कई जगह यह मलवा हटाया ही नहीं गया। विधानसभा में मुद्दा उठाने पर भी सरकार ने जांच नहीं करवाई जिससे स्पष्ट है की यह घोटाला ही सरकार के सरंक्षण में घटा है। आपदा में चहेतों की मशीनें ही सड़कों की मुरम्मत करने के लिए लगाई गई, बिना काम किए बिल देकर पेमेंट ले ली गई और सड़कों की अभी तक मुरम्मत नहीं हुई। ऐसे अनेक उदाहरण प्रदेश में मिल जाएँगे।

8. भ्रष्ट अधिकारियों को सरंक्षण देने का आरोपः
• पिछली भाजपा सरकार के समय प्रदेश के मुख्य सचिव आई.ए.एस. अधिकारी श्री राम सुभाग सिंह पर श्री सुखविंदर सिंह सुक्खु जी ने विधायक रहते हुए विधानसभा के अंदर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे और आज उसी राम सुभाग सिंह को उन्होंने अपना मुख्य सलाहकार बना रखा है।
• जिस पुलिस अधिकारी फ़िरोज़ ख़ान पर बद्दी में एफ.आई.आर. दर्ज हुई थी और माननीय उच्च न्यायलय ने जिसके ख़िलाफ़ सरबत टिप्पणी की थी उसे इस सरकार ने ऊना में विजिलेंस विभाग में तैनात कर दिया है।
• जिस विक्रम महाजन ने नगर निगम पालमपुर में आयुक्त पद पर रहते हुए अवैध नक्शों को पास किया और विजिलेंस ने भी जिसे दोषी करार दिया था, उसे सरकार ने हि. प्र. चयन आयोग हमीरपुर में सचिव के पद पर तैनात किया है। (ANN K: विजिलेंस जाँच की कॉपी)
• जिस ड्रग इंस्पेक्टर कमलेश नायक पर भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच चल रही है, उसे स्वास्थ्य विभाग के असिस्टेंट ड्रग कंट्रोलर के पद पर बद्दी में लगा दिया है और बाकी वरिष्ट अधिकारियों से ज़्यादा क्षेत्र का काम देकर सम्मानित भी किया।

9. बैंक घोटालेः
• कांगड़ा सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक ने वन टाइम सेटलमेंट पालिसी के नाम पर प्रभावशाली लोगों को लाभ पहुंचाया। ऊना सदर के पूर्व विधायक व पिछले लोकसभा चुनाव में हमीरपुर से कांग्रेस प्रत्याशी श्री सतपाल सिंह रायज़ादा के 5 करोड़ 97 लाख रू. में से 3 करोड़ 15 लाख रू. माफ कर लाभ पहुंचाया। इसके अलावा भी अनेक प्रभावशाली लोगों को लाभ पहुँचाने के आरोप इस बैंक के अधिकारियों पर लगे हैं। आश्चर्य की बात तो यह है की जब तक इस पालिसी का पता आम आदमी को लगता, यह पालिसी बंद कर दी गई।
• हि.प्र. राज्य सहकारी बैंक की नोहराधार शाखा के सहायक प्रबंधक का भी 4 करोड़ रू. से अधिक का घोटाला सामने आया है परंतु सरकार के एक वरिष्ट मंत्री उसे बचाने में लगे हैं।
• 10 जुलाई 2024 को दी सुबाथु अर्बन को-ऑपरेटिव सोसाइटी में हुई करीब 18 करोड़ की धोखाधड़ी मामले में सुबाथु की पुलिस टीम ने गिरफ्तार किया है परंतु सरकार के कई कर्णधार उक्त आरोपी को बचाने में लगे हैं।
• राज्य सहकारी बैंक जंजैली में भ्रष्टाचार का एक मामला उजागर हुआ है जिसमें जांच अभी चल रही है परंतु सरकार के कारणधार दोषियों को बचाने का काम कर रहे हैं।

10. देहरा राशन घोटाला
• हिमाचल प्रदेश राज्य खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति निगम के देहरा स्थित राशन गोदाम में करीब एक करोड़ रुपये की कीमत के राशन का घोटाला हुआ। आरोपी राशन गोदाम इंचार्ज के जवाब से खाद्य एवं उपभोक्ता विभाग के अधिकारी संतुष्ट नहीं है। अब आरोपी गोदाम इंचार्ज से विभागीय दंड संहिता के अंतर्गत गायब हुए राशन की बाज़ारी कीमत के अनुसार दोगुना जुर्माना वसूला जाएगा। फिलहाल गोदाम इंचार्ज को देहरा स्थित गोदाम से हटाकर जिला मुख्यालय में तैनात किया गया है। राज्य खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति निगम की देहरा में राशन गोदाम है, जहाँ से क्षेत्र की 100 से अधिक उचित मूल्य की दुकानों के लिए सार्वजनिक राशन वितरण प्रणाली के अंतर्गत दालें, चीनी, नमक, तेल, गंदम, आटा और चावल समेत अन्य खाद्य सामग्री पहुँचती है। लेकिन बीते माह गोदाम से करीब एक करोड़ क़ीमत का राशन गायब हो गया। गोदाम में इस राशन की एंट्री है, लेकिन उचित मूल्य की दुकानों पर यह राशन नहीं पहुँचा। डिपो संचालकों ने जब विभाग से इस बात की शिकायत की तो यह घोटाला उजागर हुआ ।

11. ग्रीन एनर्जी प्रोजेक्ट घोटाला
• प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खु अक्सर मंचों पर ग्रीन एनर्जी को लेकर बड़े-बड़े दावे करते हैं, लेकिन प्रदेश के ऊना जिला के पेखुवेला में लगे 32 मेगावाट के ग्रीन एनर्जी प्रोजेक्ट को लेकर बड़ा गोलमाल हुआ है। इस प्रोजेक्ट का उद्घाटन सीएम सुक्खु ने 15 अप्रैल 2024 को किया था और इस पर 220 करोड़ रुपय खर्च हुए। ऐसा ही एक प्रोजेक्ट जो 35 मेगावाट का गुजरात में लगा है उसकी लागत 144 करोड़ रुपय है। वहीं, गुजरात में इस प्रोजेक्ट का निर

11. ग्रीन एनर्जी प्रोजेक्ट घोटाला
• प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खु अक्सर मंचों पर ग्रीन एनर्जी को लेकर बड़े-बड़े दावे करते हैं, लेकिन प्रदेश के ऊना जिला के पेखुवेला में लगे 32 मेगावाट के ग्रीन एनर्जी प्रोजेक्ट को लेकर बड़ा गोलमाल हुआ है। इस प्रोजेक्ट का उद्घाटन सीएम सुक्खु ने 15 अप्रैल 2024 को किया था और इस पर 220 करोड़ रुपय खर्च हुए। ऐसा ही एक प्रोजेक्ट जो 35 मेगावाट का गुजरात में लगा है उसकी लागत 144 करोड़ रुपय है। वहीं, गुजरात में इस प्रोजेक्ट का निर्माण करने वाली कंपनी 10 साल तक प्रोजेक्ट की मुरम्मत और रखरखाव करेगी जबकि हिमाचल में लगे इस प्रोजेक्ट की मुरम्मत और रखरखाव कंपनी मात्र 8 साल तक करेगी। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल है कि प्रोजेक्ट की इतनी ज़्यादा लागत कैसे हुई? क्या इसमें भी भ्रष्टाचार हुआ है?

12. क्रूज घोटाला
• गोबिंदसागर झील में क्रूज उतारने में भी कथित तौर पर रिश्वत कांड का मामला उजागर हुआ है। इस रिश्वत कांड से एम. डी. एडवेंचर कंपनी के पार्टनर रहे श्री गौरव कुमार ने सरकार के एक प्रभावशाली मंत्री और जिला के प्रशासनिक अधिकारियों को 11 मई 2024 को मोरनी हिल्स में और कुछ दिन बाद घुमारवीं रेस्ट हाउस में लाखों रुपय रिश्वत देने का आरोप लगाया है। यही नहीं, गोबिंदसागर झील में उतारे गए क्रूज घटिया स्तर के हैं जिसके कारण कई दुर्घटनाएँ होते होते बची हैं। आरोप तो यह भी है कि यह क्रूज संबंधित अधिकारी से अनुभूति लिए बिना ही चल रहे हैं और इस संबंध में शिकायत भी संबंधित विभाग के अधिकारियों के समक्ष दर्ज की गई है । (Ann L: पर्यटन विभाग का नोटिस)

13. औद्योगिक क्षेत्र में घोटाला
• बद्दी औद्योगिक क्षेत्र के अंतर्गत मुख्य संसदीय सचिव रहे विधायक की पत्नी श्रीमती कुलदीप कौर ने M/S czar faucets Itd. और M/S Om Stainless Steel नाम की दो फैक्ट्रियाँ ख़रीदी और कुछ माह बाद ही 10 गुना ज़्यादा दाम पर बेच दी। अब प्रश्न यह उठता है कि उद्योग विभाग ने किस के दबाव में इन औद्योगिक इकाइयों को इस तरह बार-बार बेचने की अनुमति दी और क्या इस ख़रीद-फरोक्त में काले धन का इस्तेमाल कर सरकारी ख़ज़ाने को नुक़सान पहुंचाया । जानकारी मिली है कि इसकी अंतिम स्वीकृति तो माननीय मुख्यमंत्री महोदय ने स्वयं दी है! (Ann M: उद्योग विभाग द्वारा जारी एन. ओ. सी. की कॉपी)

14. पर्यटन निगम की गड़बड़ी
• पर्यटन निगम मुख्यमंत्री महोदय के विधान सभा क्षेत्र नादौन में एशियन विकास बैंक से क़र्ज़ लेकर पंच सितारा होटल बना रहा है जिसमे शुरू से ही भ्रष्टाचार की बू आ रही है. एक तो उस होटल के निर्माण का टेंडर L1 की बजाय L2 को दिया गया। दूसरा, जिस ज़मीन पर होटल बनना था उसपर अदालत से स्टे होने कि बावजूद प्रशासन ने छुट्टी वाले दिन ज़मीन को समतल करने का काम किया जो कि जनता में चर्चा का विषय बना कि आख़िर किसके दबाव में टेंडर देने में गड़बड़ी की गई और किसके सरंक्षण में कोर्ट के स्टे के बावजूद ज़मीन समतल की गई। चर्चा यही है कि मुख्यमंत्री महोदय स्वयं यह सब करवा रहे हैं। वैसे नादौन में पंच सितारा होटल आवश्यक भी है या नहीं, इस बात पर भी प्रश्न चिन्ह खड़ा किया जा रहा है। क्या इस होटल को भी बाद में अपने मित्रों को देने की योजना तो नहीं?

15. आउटसोर्स घोटाला
• हिमाचल प्रदेश की सुक्खू सरकार में ट्रामा सेंटर में मैन पॉवर उपलब्ध करवाने के नाम पर घोटाला हुआ। डेढ़ साल से बंद पड़ा आईजीएमसी का नवनिर्मित ट्रामा सेंटर सिर्फ कागजों में चल रहा था और वहां पर अलग-अलग समय में सपोर्टिव और पैरामेडिकल स्टाफ की नियुक्ति ठेकेदार के माध्यम से कर दी गई थी। अपने चहेतों को लाभ दिलवाने के लिए सभी कायदे कानून ताक पर रख दिए गए। एक बंद पड़े ट्रामा सेंटर में सैकड़ों कर्मचारी नियुक्ति की गई और बिना एक भी मरीज का इलाज किए ट्रामा सेंटर के मैन पॉवर के नाम पर दो करोड़ तीस लाख का बिल सरकार पर लाद दिया गया। मैंन पॉवर के लिए आने वाले खर्च को केंद्र सरकार द्वारा उठाया जा रहा है। यह केंद्र द्वारा जनहित के लिए भेजे गए पैसों की खुलेआम लूट है। फाइनेंस प्रूडेंश और फाइनेंस डिसिप्लिन के नाम पर कर्मचारियों का वेतन और पेंशनधारकों की पेंशन रोकने वाले पाले मुख्यमंत्री की नाक के नीचे इस तरह से जनहित के काम में आने वाले पैसों को अपने चहेतों में बाटा जा रहा है। आउटसोर्स एजेंसी के माध्यम से अभी नर्सों की आउटसोर्स पर भर्ती होनी थी, उसमें भी सरकार के दलाल प्रार्थियाँ से भर्ती करवाने की एवज में लाख-लाख रुपए ले रहे थे, परंतु मामला अदालत में जाने से भर्तियाँ अभी तक नहीं हो पाई।

16. कबाड़ घोटाला
• गुम्मा पेयजल परियोजना से लाखों का तांबे और कांसे का कबाड़ गायब हो गया है और कंपनी ने नगर निगम को घटना की भनक नहीं लगने दी। राजधानी की सबसे बड़ी गुम्मा पेयजल परियोजना से तांबे और कांसे का कई क्विंटल कबाड़ गायब हो गया है।
• औद्यगिक क्षेत्र बद्दी, बरोटीवाला, नालागढ़, काला अम्ब, ऊना, पोंटा साहिब आदि में भी कबाड़ माफिया सरकारी संरक्षण में फल-फूल रहा है, सरेआम उद्योगपतियों को डराया धमकाया जा रहा है और मनमर्जी के दाम पर स्क्रैप की बिक्री हो रही है। कई बार तो यह कबाड़ माफिया गुंडागर्दी पर भी उतारू हो जाते हैं और कई जगह गोलियां तक चल गई मगर प्रशासन चुपी साधे रखता है।

17. टेंडर घोटाला
• हिमाचल प्रदेश मार्केटिंग बोर्ड में केंद्र सरकार से आए लगभग 7 करोड़ के मंडियों को डिजिटलाइज करने के टेंडर को लेकर भी सवाल खड़े हुए हैं। मार्केटिंग बोर्ड के एम.डी. की अध्यक्षता वाली कमेटी ने टेंडर डालने वाली कंपनियों में से जिस कंपनी को टेक्निकल आधार पर रद्द किया था, प्रदेश सरकार के कृषि सचिव ने उसी कंपनी को टेंडर दे दिया था। भारतीय जानता पार्टी नेताओं द्वारा प्रेस वार्ताओं के माध्यम से इस मुद्दे को उठाने के बाद सरकार ने यह टेंडर रद्द कर दिया था। इसी तरह बिजली बोर्ड में 7 शहरों में बिजली के ढांचागत विकास को लेकर केंद्रीय योजना के तहत 175.73 करोड़ रू. आये थे जिस कार्य हेतु मात्र एक कंपनी ने ही टेंडर भरा और उसका रेट 40% ज़्यादा, यानी 240.84 करोड़ रू. था। वित्त विभाग के अधिकारियों की लिखित आपत्ति के बावजूद बिजली बोर्ड के अधिकारियों ने यह सिंगल टेंडर पारित कर दिया, जिसका विरोध भाजपा के नेताओं ने बिधानसभा के अंदर एवं बाहर प्रभावी ढंग से किया जिसके कारण प्रदेश सरकार ने यह टेंडर भी रद्द कर दिया। लोक निर्माण विभाग में पूरे प्रदेश के अंदर टेंडरों की बंदरबांट हो रही है। भाई-भतीजावाद के आधार पर सरकार के करणधारों के निर्देश पर ही लोक निर्माण अधिकारी काम दे रहे हैं। पूरे प्रदेश से इसकी शिकायतें मीडिया के माध्यम से प्रचारित होती रही हैं।
• इसी तरह, जल शक्ति विभाग में भी कई डिविजनों से टेंडर प्रक्रिया में अनियमितताएँ बरतने के आरोप लगे हैं। शिमला जल प्रबंधन निगम द्वारा शिमला शहर में 24 घंटे पेय जल आपूर्ति हेतु वर्ल्ड बैंक से स्वीकृत प्रोजेक्ट के 450 करोड़ में हुए टेंडर को रद्द कर अब सरकार ने दोबारा टेंडर कर, 872 crore में यह काम दिया। प्रश्न तो खड़ा हो ही गया कि आख़िर ऐसा क्यूँ कीया गया। (ANN: विधानसभा प्रश्न संख्या 1688 दिनांक 27/8/2024)

18. आपदा में घोटाला
• हिमाचल प्रदेश में पिछले वर्ष भारी बरसात के कारण आई आपदा में केंद्र सरकार द्वारा diye गए 1782 करोड़ रुपये और जानता द्वारा आपदा राहत कोष में दिए गए 251 करोड़ रुपये की धनराशि का जमकर दुरुपयोग हुआ। प्रदेश सरकार के मंत्रियों, विधायकों और यहाँ तक की जनता द्वारा हारे-नकारे लोगों ने अपने चहेतों को इस राशि को बांट दिया। विधानसभा के अंदर व बाहर बार बार मामला उठाने पर सरकार किसी तरह की जांच करने की जहमत नहीं उठा रही क्योंकि सरकार की सहमति से इस राशि की बंदरबाँट हुई और आपदा के कारण से वास्तविक रूप से प्रभावित लोग केंद्र डियरा भेजी इस राशि से वंचित रह गए, जिसकी ज़िम्मेदार सिर्फ और सिर्फ़ यह सुक्खु सरकार है।

झूठी गारंटीया-झूठी सरकार
हिमाचल प्रदेश की जनता को झूठी गारंटीया देकर सता में आई कांग्रेस सरकार अब गारंटीया पूरा होने का झूठ बोल रही है जब की सच्चाई यह है कि इस सरकार ने अभी तक एक भी गारंटी को पूरी तरह लागू नही किया।
1. पहली ही केबिनट मीटिंग में ओ.पी.एस. लागू करने की गारंटी देने वाली कांग्रेस सरकार अभी तक भी इसे पूरी तरह से लागू नहीं कर पायी। बिजली बोर्ड और नगर निगमों के कर्मचारी इससे वंचित है बिजली बोर्ड के पिछले दो वर्षों में सेवानिवृत हुए 150 कर्मचारियों को ओ.पी.एस की सुविधा नहीं मिली।
2. 1 जनवरी 2023 से महिला सम्मान योजना शुरू कर 18 वर्ष से 60 वर्ष की हर महिला को 1500 रूपए प्रति माह देने की गारंटी देने वाली कांग्रेस सरकार अभी तक भी किसी महिला को 1500 रू. नहीं दे पायी। लोकसभा चुनाव और विधानसभा उपचुनाव के दौरान महिलाओ से फॉर्म तो भरवाए गए परंतु अभी तक किसी को भी 1500 रू. नहीं दिए गये।
3. भैंस का दूध 100 रू. और गाए का दूध 80 रू. प्रति लीटर खरीदने की गारंटी देने वाली कांग्रेस सरकार ने 55 रू. व 45 रू. प्रति लीटर दूध खरीदने की घोषणा तो की परंतु कही भी दूध खरीदा नहीं जा रहा।
4. 2 रू. किलो गोबर खरीदने की गारंटी तो हवा हवाई ही निकली क्यों की 2 वर्ष बीत जाने पर भी इसकी कोई योजना नहीं बनी।
5. बागवानो के उत्पाद का मूल्य बागवानों से पूछ कर तय करने की गारंटी तो उसी दिन झूठ साबित हो गईं जब बागवानी मंत्री महोदय ने शपथ लेने के तुरंत बाद इसे असम्भव करार दिया था।
6. हर साल एक लाख और 5 साल में 5 लाख नौकरियां देने की गारंटी से तो मुख्यमंत्री विधानसभा में ही मुकर गए थे।
7. हर विधानसभा क्षेत्र में स्टार्ट अप योजना के तहत 10 करोड़ रू. बजट कुल 680 करोड़ बजट के प्रावधान की गारंटी दे कर आई सुक्खू सरकार ने अभी तक इसका बजट मे कोई प्रावधान नहीं किया।
8. 300 यूनिट बिजली मुफ्त देने की गारंटी देने वाली इस सरकार ने पिछली भाजपा सरकार के समय मुफ्त मिल रही 125 यूनिट बिजली देना तो बंद किया ही उल्टा बिजली घरेलू उत्तपादको को 32 पैसे प्रति यूनिट और उद्यौगिक 1रू 28 पैसे प्रति यूनिट महंगी कर दी।
9. प्राकृतिक खेती के संबंध में तो इस सरकार ने पुछली सरकार की इस संबंध में जारी अधिसूचना को ही रद्द कर दिया था।
10. प्राथमिक कक्षा से अंग्रेजी शुरू कर शिक्षा वाली सुक्खु सरकार तो स्कूलों को बंद करने में ही लगी है।

जनविरोधी सरकार : 24 महीने-24 जनविरोधी निर्णय

1. सत्ता में आते ही पिछली भाजपा सरकार द्वारा जनहित में खोले गए संस्थानों को बंद करने का जो सिलसिला शुरू हुआ अभी तक लगातार चल रहा है। लगभग 1500 संस्थान कर चूके है बंद, स्कूलो को बन्द करना अभी भी जारी और सरदार पटेल मण्डी विश्वविद्यालय को बन्द करने की भी बनाई जा रही है योजना।
2. 7 रू. प्रति लीटर डीजल पर वैट लगा कर किया था जिसके कारण अब 2500 करोड़ अतिरिक्त आर्थिक बोझ प्रदेश की जनता पर पड़ा।
3. सीमेंट की बोरी में हुई 150 रु. से ज्यादा की बढ़ोत्री।
4. 300 यूनिट मुफ्त बिजली की गारंटी देने वाली सुक्खू सरकार ने पिछली भाजपा सरकार द्वारा दी जा रही 125 यूनिट मुफ्त बिजली को किया बन्द।
5. घरेलू उत्पादको को पहले 22 पैसे प्रति यूनिट की वढोत्री और अब 10 पैसे मिल्क सैस लगा कर की 32 पैसे प्रति यूनिट वढोत्री।
6. औद्योगिक क्षेत्र में बिजली की दरो में पहले की 19% वढोत्री अब 10 पैसे मिल्क सैस और 10 पैसे पर्यावण सैस लगा कर 20% से अधिक वढोत्री। प्रदेश से उद्योग करने लगे पलायन, नए उद्योग आने हुए बन्द। बेरोजगारो की फौज में हो जाएगी बेतहाशा बढ़ोत्री कर जनता पर भारी आर्थिक बोझ डाला गया।
7. राजस्व विभाग में रजिस्ट्री फीस पावर ऑफ अटारनी फीस व अन्य स्टांप ड्यूटी आदि में हुई 10 गुणा से भी ज्यादा वढोत्री।
8. मन्दिर दर्शन करने के लिए लगाई फीस, माता चिंतपूर्णी से की शुरुआत।
9. विकास कार्य किए ठप्प, नए विकास कार्य होना तो दूर पिछली भाजपा सरकार के समय से चल रहे विकास कार्य भी बजट के समय में हो गए बन्द। जो काम हो गए उनकी ठेकेदारों को पेमेंट नहीं मिल रही।
10. जनवरी 2023 से मार्च 2023 की विधायक क्षेत्र विकास निधि की 50 लाख रू. प्रति विधानसभा क्षेत्र की किस्त ही जारी नहीं की, जिससे भी विकास हुआ प

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