06/02/2024
जिस समाज में हम रहते हैं , वहाँ बच्चपन से सिखाया जाता है माँ बाप की कदर करो , इज़्ज़त करो , उनकी आँखों से आँखे मिलकर बात न करो , हम किसी भी जाती और धर्म के हों , माँ बाप की पैरों में स्वर्ग , या जन्नत बताया जाता है , जो बिलकुल संच है , हमारे कुछ कर्तब्ये होते हैं जिसका पालन करना ज़रूरी होता है !
आज कल आये दिन TV और सोशल नेटवर्क पे कुछ वीडियो देखने को मिल जाते हैं , बेटे ने माँ बाप को घर से निकाल दिया , उनके साथ मार पिट करते हुए देखा गया , बाज औकात में तो ऐसे भी देखा गया की क़तल तक की नौबत आ गई है , जो निहायत ही आपत्ति जनक है !
अब सवाल ये उठता है की क्या ऐसे हालात की ज़िम्मेदार कौन है ? क्या वह लड़का है जो अपने माँ बाप को घर से निकाल दिया ? या ये समाज जो अपने आस पास जुर्म होते देख कर अपनी आँखे बंद कर लेता है? ये वह बाप जो अपने बेटा, बेटी को तालीम के साथ तरबियत नहीं दे पाते , अपने धर्म व संस्कार का सही तरह बता नहीं पाते , आखिर कमी कहाँ रह जाती है !
कुछ माँ बाप तो अपने बेटे को भी घर से निकाल देते हैं ,क्या ये सब सारे वाक़्यात अचानक से हो जाते हैं ? या कोई एक छोटी सी बात से शुरू होकर हालत यहां तक पहुँच जाते हैं , कुछ तो माँ बाप में भी कमी रही होगी !
हमारे समाज में एक दहाड़ना बानी हुई है , बात कुछ भी हो गलती औलाद की ही बताई जाती है , शराब बेचने वाला अगर दूध बेचने लगे तो हम यकीन नहीं कर सकते , हमारे दिल में ख़याल आएगा दूध के बहाने शराब ही बेचता होगा !
मैं कहना ये चाहता हूँ की हमें अपनी सोंच बदलने की ज़रुरत है सही को सही और ग़लत को ग़लत कहने की ज़रुरत है , ये जानने की ज़रुरत है की संच क्या है और झूठ क्या है , ये नहीं की माँ बाप से ग़लती नहीं हो सकती है , और नफरत की नज़र से देखना शुरू कर दें !
मुझे लगता है इन सारी बुराईओं का ज़ड ना इंसाफ़ी है जो माँ बाप अपने बच्चो के साथ करते हैं , या बच्चे अपने माँ बाप के साथ !
रहिमुल
Good Morning
Have a Nice day
In the society in which we live, we are taught from childhood to respect and honor our parents, do not make eye contact with them, no matter what caste or religion we belong to, heaven or heaven lies at the feet of our parents. It is clear that we have some duties which need to be followed.
These days, one gets to see some videos on TV and social networks in which the son threw his parents out of the house, was seen beating them, and in extreme situations, it was even seen that it came to the point of murder. Which is extremely objectionable!
Now the question arises that who is responsible for such a situation? Is he the boy who threw his parents out of the house? Or this society which closes its eyes after seeing crimes happening around it? These fathers who are not able to educate their sons and daughters, who are not able to impart their religion and values properly, where is the lack left?
Some parents even throw their sons out of the house, do all these incidents happen suddenly? Or the situation starts from a small thing and reaches this point; there must be something lacking in the parents too!
There is a roar in our society, no matter what the issue is, it is said that it is the children's fault. If a liquor seller starts selling milk, we cannot believe it. A thought will come in our heart that he must be selling liquor in the name of milk.
What I want to say is that we need to change our thinking, we need to call right as right and wrong as wrong, we need to know what is truth and what is lie, not that parents cannot make mistakes. , and start looking with hatred!
I think the root of all these evils is the injustice that parents do to their children, or children to their parents.
Rahimul
Good Morning
Have a nice day