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Radhe Radhe ❤️❤️🎯
11/06/2022

Radhe Radhe ❤️❤️🎯

जपहुं जाई शंकर सतनामा। होइहिं हृदय तुरंत विश्रामा।।शिव समान दाता नहीं विपत्ति विदारण हार।लज्जा सबकी राखियों वर्धा के असव...
11/06/2022

जपहुं जाई शंकर सतनामा।
होइहिं हृदय तुरंत विश्रामा।।
शिव समान दाता नहीं विपत्ति विदारण हार।
लज्जा सबकी राखियों वर्धा के असवार।।
शिव सेवा कर फल सुत सोई।
अविरल भगति राम पद होई।।
मेरे महादेव******गौ भक्त 🌹

द्वादश ज्योतिर्लिंग नमः
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.                            🌺"प्रेम का प्रसाद"🌺          प्रेम के भोजन में वस्तुओं की कोई महत्ता नहीं रहती है। किसी प्र...
10/06/2022

. 🌺"प्रेम का प्रसाद"🌺

प्रेम के भोजन में वस्तुओं की कोई महत्ता नहीं रहती है। किसी प्रेमी के हाथ की चीज स्वाभाविक रूप से मीठी हो जाती है। और, वैरी के हाथ की मीठी चीज भी खारी लगती है। प्रेमी के हाथ की चीज जब मिलती है तो उसके खाने में बड़ा आनन्द मिलता है क्योंकि उसके साथ प्रेम सना है। अतः उसमें विशेष मिठास आ जाती है।
एक कथा आती है कि उड़ीसा में एक गाँव में बेचारे एक दरिद्र ब्राह्मण थे। उनके यहाँ एक ठाकुरजी थे। उनके पास में पैसा था नहीं, जो अपने खायें सो ठाकुरजी को खिला दें। रूखा-सूखा भात खिला देते। भगवान का भोग लगाते। उनके यहाँ एक अच्छे आचार्य महात्मा आये। उनके मन्दिर में ठहरे। उन्होंने भगवान् का भोग लगाते देखा तो कहा- भई, यह तो तुम ठीक नहीं करते हो। बोले- क्या करें ? महात्मा ने कहा- भगवान् के लिये अच्छी चीज बननी चाहिये तब भगवान् को नैवेद्य दिया जाय। यह तुम भगवान् को रूखे भात रख देते हो न साथ में साग, न भाजी, न घी, न मीठा और कुछ नहीं। ब्राह्मण बोले-भाई ! हमारे पास तो है नहीं। वे बोले-नहीं है तो कहीं जीविकोपार्जन करो। ठाकुरजी की पूजा में क्या है ? ठाकुरजी की पूजा करनी है तो ठाकुरजी के योग्य सामान हो तब न ठाकुरजीकी पूजा होगी ? ठाकुरजी को ले आकर झोपड़ी में बैठा दिया और कोई पूजा होती नहीं। उसने कहा कि ठाकुरजी से हमारा प्रेम है इसलिये बैठाया है और जो हम खायें वह ठाकुरजी को खिला देते हैं। खिलाकर खाते हैं पहले तो खाते नहीं हैं और हम लायें कहाँ से ? फिर ब्राह्मण बोले-आप ? तब महात्माजी बोले-हम तो ऐसी पूजा करते हैं। वह बड़े आडम्बर से करते थे। यह बात भागवत में भी आयी है कि भगवान् की पूजा में कंजूसी नहीं करनी है। राजा यह न समझे कि भगवान् भावना के भूखे हैं; अपने तो ऐसे ही कर दो। राजा राजोपचार से करें । जिसकी जैसी स्थिति हो उसमें कंजूसी न करके बढ़िया चीज भगवान् को अर्पण करे। जो कंजूसी करता है तो वह पाप करता है। लेकिन घर में नहीं है तो भगवान् कभी यह नहीं कहते कि तुम हमारे लिये कहीं से जुगाड़ करके लाओ। जो है सो खिला दो। वह ब्राह्मण ऐसा ही था। उसने कहा कि ठाकुरजी को तुमको दे दें तो तुम ठीक पूजा करोगे। महात्माजी बोले-हाँ, हमको दे दो। उन्होंने ठाकुरजी को दे दिया। उनको दु:ख तो बहुत हुआ। उन्होंने कहा कि देखो ठाकुरजी ! हमारे पास बढ़िया चीज तो है नहीं। तुम्हें बढ़िया चाहिये तो जाओ। ठाकुरजी गये। उधर जो ले गये थे उनको रात में स्वप्न हुआ कि तुम हमें वहाँ अभी पहुँचाओ नहीं तो कल सबेरे तुम्हारी मृत्यु हो जायेगी। तुम्हारा घर नष्ट हो जायेगा। इधर ब्राह्मण के यहाँ ठाकुरजी का भोग नहीं लगा तो इसने खाना छोड़ दिया।
अब वह महात्मा भागा-भागा आया और बोला-लो अपने ठाकुरजी को। ब्राह्मण ने कहा कि ठाकुरजी बढ़िया चीज खायेंगे और हमारे पास है नहीं तो इन्हें अपने पास ही रखो। महात्मा बोले-पूछो इनसे। ब्राह्मण ने कहा-हमारे पास अगर रहना है तो रूखा भात मिलेगा और बढ़िया खाना हो तो तुम्हारे पास जायँ। तब भगवान् ने कहा कि हम यहीं रहेंगे। भगवान् वहीं रह गये।



🌺"जय जय श्री राधे"🌺

10/06/2022

Reality 💓

एक रेस्टोरेंट में कई बार देखा गया  कि, एक व्यक्ति (भिखारी) आता है और भीड़ का लाभ उठाकर नाश्ता कर चुपके से बिना पैसे, दिए...
10/06/2022

एक रेस्टोरेंट में कई बार देखा गया कि, एक व्यक्ति (भिखारी) आता है और भीड़ का लाभ उठाकर नाश्ता कर चुपके से बिना पैसे, दिए निकल जाता है। एक दिन जब वह खा रहा था तो एक आदमी ने चुपके से दुकान के मालिक को बताया कि यह भाई भीड़ का लाभ उठाएगा और बिना बिल चुकाए निकल जाएगा।

उसकी बात सुनकर रेस्टोरेंट का मालिक मुस्कराते हुए बोला – उसे बिना कुछ कहे जाने दो, हम इसके बारे में बाद में बात करेंगे। हमेशा की तरह भाई ने नाश्ता करके इधर-उधर देखा और भीड़ का लाभ उठाकर चुपचाप चला गया। उसके जाने के बाद, उसने रेस्टोरेंट के मालिक से पूछा कि मुझे बताओ कि आपने उस व्यक्ति को क्यों जाने दिया।

रेस्टोरेंट के मालिक ने कहा आप अकेले नहीं हो, कई भाइयों ने उसे देखा है और मुझे उसके बारे में बताया है। वह रेस्टोरेंट के सामने बैठता है और जब देखता है कि भीड़ है, तो वह चुपके से खाना खा लेता है। मैंने हमेशा इसे नज़रअंदाज़ किया और कभी उसे रोका नहीं, उसे कभी पकड़ा नहीं और ना ही कभी उसका अपमान करने की कोशिश की.. क्योंकि मुझे लगता है कि मेरी दुकान में भीड़ इस भाई की प्रार्थना की वजह से है

वह मेरे रेस्टोरेंट के सामने बैठे हुए प्रार्थना करता है कि, जल्दी इस रेस्टोरेंट में भीड़ हो तो मैं जल्दी से अंदर जा सकूँ, खा सकूँ और निकल सकूँ। और निश्चित रूप से जब वह अंदर आता है तो हमेशा भीड़ होती है। तो ये भीड़ भी शायद उसकी "प्रार्थना" से है

शायद इसीलिए कहते है कि मत करो घमंड इतना कि मैं किसी को खिला रहा हूँ.. क्या पता की हम खुद ही किसके भाग्य से खा रहे हैँ !

तस्वीर -सांकेतिक-
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गंगा जल पीकर प्रेत की हुई मुक्तिएक ब्राह्मण प्रयागराज से 5 कोस (1 कोस = करीब2 मील) की दूरी पर रहता था । वह प्रत्येक संक्...
10/06/2022

गंगा जल पीकर प्रेत की हुई मुक्ति
एक ब्राह्मण प्रयागराज से 5 कोस (1 कोस = करीब2 मील) की दूरी पर रहता था । वह प्रत्येक संक्रांति के दिन स्नान करने के लिए प्रयाग में जाया करता था । माघ मास की संक्रांति के दिन तो वह अपने परिवारसहित अवश्य ही वहाँ जाता था ।

जब वह ब्राह्मण बूढ़ा और चलने में असमर्थ हो गया, तब एक बार माघ की संक्रांति आने पर उसने अपने पुत्र को बुलाकर कहा : ‘‘हे पुत्र ! तुम प्रयागराज जाओ, त्रिवेणी में स्नान करके मेरे लिए भी त्रिवेणी के जल की गागर भरकर लाना और संक्रांति के पुण्यकाल में मुझे स्नान कराना, देर मत करना ।

पिता के वचन का पालन करते हुए उसका पुत्र प्रयाग के लिए चल पड़ा । त्रिवेणी में स्नान कर जब वह जल से भरी गागर पिता के स्नान के लिए ला रहा था तो रास्ते में उसे एक प्रेत मिला । वह प्यास के कारण बहुत व्याकुल हो रहा था और गंगाजल पीने की इच्छा से रास्ते में पड़ा था ।

लड़के ने प्रेत से कहा : ‘‘मुझे रास्ता दो । प्रेत : ‘‘तुम कहाँ से आये हो ? तुम्हारे सिर पर क्या है ?
‘‘त्रिवेणी का जल है ।‘‘
"मैं इसी इच्छा से रास्ते में पड़ा हूँ कि कोई दयालु मुझे गंगाजल पिलाये तो मैं इस प्रेत-योनि से मुक्त हो जाऊँ क्योंकि मैंने गंगाजल का प्रभाव अपने नेत्रों से देखा है ।
‘‘क्या प्रभाव देखा है ?"

एक ब्राह्मण बड़ा विद्वान था । उसने शास्त्रार्थ द्वारा दिग्विजय प्राप्त करके बहुत धन उपार्जित कर रखा था । लेकिन क्रोधवश उसने किसी ब्रह्मवेत्ता ब्राह्मण को मार दिया । उस पाप के कारण मरने पर वह ब्रह्मराक्षस हुआ और हमारे साथ 8 वर्षों तक रहा । 8 वर्षों के बाद उसके पुत्र ने उसकी हड्डियाँ लाकर श्रीगंगाजी के निर्मल तीर्थ कनखल में डालकर गंगाजी से प्रार्थना की : ‘हे पापनाशिनी गंगा माते ! मेरे पिता को सद्गति प्रदान कीजिये । तब तत्काल ही वह ब्राह्मण ब्रह्मराक्षस भाव से मुक्त हो गया ।

उसीने मरते समय मुझे गंगाजल का माहात्म्य सुनाया था । मैं उसको मुक्त हुआ देखकर गंगाजल-पान की इच्छा से यहाँ पड़ा हूँ । अतः मुझको भी गंगाजल पिलाकर मुक्त कर दे, तुझे महान पुण्य होगा ।

‘‘मैं लाचार हूँ क्योंकि मेरे पिता बीमार हैं और उनका संक्रांति के स्नान का नियम है । यदि मैंने यह गंगाजल तुझे पिला दिया तो स्नान के पुण्यकाल तक न पहुँचने के कारण मेरे पिता का नियम भंग हो जायेगा ।"
‘‘तुम्हारे पिता का नियम भी भंग न हो और मेरी भी सद्गति हो जाय, ऐसा उपाय करो । पहले मुझे जल पिला दो,फिर नेत्रबंद करने पर मैं तुम्हें तत्काल श्रीगंगाजी के तट पर पहुँचाकर,तुम्हारे पिता के पास पहुँचा दूँगा ।"

ब्राह्मणपुत्र ने प्रेत की दुर्दशा पर दया करके उसे जल पिला दिया । तब प्रेत ने कहा : ‘‘अब नेत्रबंद करो और त्रिवेणी का जल लिये हुए स्वयं को अपने पिता के पास पहुँचा हुआ पाओ । ब्राह्मणपुत्र ने नेत्रबंद किये, फिर देखा कि वह त्रिवेणी के जल से गागर भरकर पिताजी के पास पहुँच गया है ।

गंगाजी की महिमा के विषय में भगवान व्यासजी ‘पद्म पुराण में कहते हैं : ‘‘अविलंब सद्गति का उपाय सोचनेवाले सभी स्त्री-पुरुषों के लिए गंगाजी ही एक ऐसा तीर्थ हैं, जिनके दर्शनमात्र से सारे पाप नष्ट हो जाते हैं ।

भगवान शंकर नारदजी से कहते हैं : ‘‘समुद्रसहित पृथ्वी का दान करने से मनीषी पुरुष जो फल पाते हैं, वही फल गंगा-स्नान करनेवाले को सहज में प्राप्त हो जाता है । राजा भगीरथ ने भगवान शंकर की आराधना करके गंगाजी को स्वर्ग से पृथ्वी पर उतारा था । जिस दिन वे गंगाजी को पृथ्वी पर लेकर आये वही दिन ‘गंगा दशहरा के नाम से जाना जाता है ।

हर हर गंगे❤️🙏

शहर के सबसे बड़े बैंक में एक बार एक बुढ़िया आई । उसने मैनेजर से कहा :- “मुझे इस बैंक में कुछ रुपये जमा करने हैं” मैनेजर ...
10/06/2022

शहर के सबसे बड़े बैंक में एक बार एक बुढ़िया आई ।
उसने मैनेजर से कहा :- “मुझे इस बैंक में कुछ रुपये जमा करने हैं”

मैनेजर ने पूछा :- कितने हैं ?

वृद्धा बोली :- होंगे कोई दस लाख ।

मैनेजर बोला :- वाह क्या बात है, आपके पास तो काफ़ी पैसा है, आप करती क्या हैं ?

वृद्धा बोली :- कुछ खास नहीं, बस शर्तें लगाती हूँ ।

मैनेजर बोला :- शर्त लगा-लगा कर आपने इतना सारा पैसा कमाया है ? कमाल है…

वृद्धा बोली :- कमाल कुछ नहीं है, बेटा, मैं अभी एक लाख रुपये की शर्त लगा सकती हूँ कि तुमने अपने सिर पर विग लगा रखा है ।

मैनेजर हँसते हुए बोला :- नहीं माताजी, मैं तो अभी जवान हूँ और विग नहीं लगाता ।

तो शर्त क्यों नहीं लगाते ? वृद्धा बोली ।

मैनेजर ने सोचा यह पागल बुढ़िया खामख्वाह ही एक लाख रुपये गँवाने पर तुली है, तो क्यों न मैं इसका फ़ायदा उठाऊँ… मुझे तो मालूम ही है कि मैं विग नहीं लगाता ।

मैनेजर एक लाख की शर्त लगाने को तैयार हो गया ।

वृद्धा बोली :- चूँकि मामला एक लाख रुपये का है, इसलिये मैं कल सुबह ठीक दस बजे अपने वकील के साथ आऊँगी और उसी के सामने शर्त का फ़ैसला होगा ।

मैनेजर ने कहा :- ठीक है, बात पक्की…

मैनेजर को रात भर नींद नहीं आई.. वह एक लाख रुपये और बुढ़िया के बारे में सोचता रहा ।

अगली सुबह ठीक दस बजे वह बुढ़िया अपने वकील के साथ मैनेजर के केबिन में पहुँची और कहा :- क्या आप तैयार हैं ?

मैनेजर ने कहा :- बिलकुल, क्यों नहीं ?

वृद्धा बोली :- लेकिन चूँकि वकील साहब भी यहाँ मौजूद हैं और बात एक लाख की है, अतः मैं तसल्ली करना चाहती हूँ कि सचमुच आप विग नहीं लगाते, इसलिये मैं अपने हाथों से आपके बाल नोचकर देखूँगी ।

मैनेजर ने पल भर सोचा और हाँ कर दी, आखिर मामला एक लाख का था ।

वृद्धा मैनेजर के नजदीक आई और मैनेजर के बाल नोचने लगी । उसी वक्त अचानक पता नहीं क्या हुआ, वकील साहब अपना माथा दीवार पर ठोंकने लगे ।

मैनेजर ने कहा :- अरे.. अरे.. वकील साहब को क्या हुआ ?

वृद्धा बोली :- कुछ नहीं, इन्हें सदमा लगा है, मैंने इनसे पाँच लाख रुपये की शर्त लगाई थी कि आज सुबह दस बजे मैं शहर के सबसे बड़े बैंक के मैनेजर के बाल नोचकर दिखा दूँगी ।
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Wow kya baat h Amazing 🤩वह कहते हैं ना कि मां तो मां होती है मां अगर दिल से एक बार कुछ बोल दे तो वह सच होकर रहता है तो अ...
09/06/2022

Wow kya baat h Amazing 🤩
वह कहते हैं ना कि मां तो मां होती है मां अगर दिल से एक बार कुछ बोल दे तो वह सच होकर रहता है तो अपने मां-बाप से प्यार करेंगे बाद में दुनिया को बीच में लाइए तू भी सबसे पहले मां बाप होते हैं उसके बाद में और लोग

पहले तसला, भगौना, पतीला (खुला बर्तन) में दाल-भात बनता था, अदहन जब अनाज के साथ उबलता था तो बार-बार एक मोटे झाग की परत जमा...
09/06/2022

पहले तसला, भगौना, पतीला (खुला बर्तन) में दाल-भात बनता था, अदहन जब अनाज के साथ उबलता था तो बार-बार एक मोटे झाग की परत जमा करती थी, जिसे अम्मा रह-रह के निकाल के फेक दिया करती थी। पूछने पर कहती कि "ई से तबियत खराब होत है'....
बाद में बड़े होने पर पता चला वो झाग शरीर मे यूरिक_एसिड बढ़ाता है और अम्मा इसीलिए वो झाग फेंक दिया करती थी। अम्मा ज्यादा पढ़ी लिखी तो नही थी पर ये चीज़े उन्होंने नानी से और नानी ने अपनी माँ से सीखा था।
अब कूकर में दाल-भात बनता है, पता नही झाग कहा जाता होगा, ज्यादा दाल खाने से पेट भी खराब हो जाते हैं
डॉक्टर कहते हैं एसिडिटी है
पुराने ज्ञान को याद करिये विज्ञान छुपा है उसमे 😔

09/06/2022

😃😃😃

*कल अनूप जलोटा रायपुर आये हुये थे, उन्होंने आकाशवाणी रायपुर में इंटरव्यू देने के लिए स्टूडियो जाने के लिए टैक्सी ली !*
*वहां पहुंचने के बाद, अनूप जलोटा ने ड्राइवर से कहा.. 40 मिनट तक रुक जाओ, मै अभी आता हूं... लेकिन ड्राइवर ने असमर्थता प्रकट करते हुए कहा, कि सर मै रुकने में असमर्थ हूं, क्यूंकि मुझे घर जा के रेडियो पर अनूप जलोटा का इंटरव्यू सुनना है !*
*अनूप जलोटा मुस्कुराए और उन्होंने अपनी पहचान बिना बताए, टैक्सी ड्राइवर को 100 की जगह 500 का नोट गर्व से थमा दिया...*
*ड्राइवर ने विनम्रता से 500 का नोट हाथ में लिया और बोला - "सर, मै आपका यहीं इंतज़ार करूंगा, ऐसी की तेसी साले अनूप जलोटा की।"*

😂😂🤣🤣
हँसते रहिये *immunity* अपने आप बढ़ जाएगी !😀😂😜🤣😴😀

08/06/2022

Reality

08/06/2022

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Hello friends यह मेरा नया     है जिस पर आपको नए नए  अपडेट मिलते रहेंगे    के  जिससे आपका मनोरंजन भी होगा कुछ नया सीखने क...
08/06/2022

Hello friends
यह मेरा नया है जिस पर आपको नए नए अपडेट मिलते रहेंगे के जिससे आपका मनोरंजन भी होगा कुछ नया सीखने को मिलेगा अगर आप कुछ नया सीखना चाहते हैं मेरी के द्वारा तो मुझे मेरे अकाउंट पर जाकर मुझे फॉलो कर लो

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Reality 💓🕶️
07/06/2022

Reality 💓🕶️

Reality 💓☺️
07/06/2022

Reality 💓☺️

एक प्राथमिक स्कूल मे अंजलि नाम की एक शिक्षिका थीं वह कक्षा 5 की क्लास टीचर थी, उसकी एक आदत थी कि वह कक्षा मे आते ही हमेश...
06/06/2022

एक प्राथमिक स्कूल मे अंजलि नाम की एक शिक्षिका थीं वह कक्षा 5 की क्लास टीचर थी, उसकी एक आदत थी कि वह कक्षा मे आते ही हमेशा "LOVE YOU ALL" बोला करतीं थी।
मगर वह जानती थीं कि वह सच नहीं बोल रही ।
वह कक्षा के सभी बच्चों से एक जैसा प्यार नहीं करती थीं।
कक्षा में एक ऐसा बच्चा था जो उनको फटी आंख भी नहीं भाता था। उसका नाम राजू था। राजू मैली कुचेली स्थिति में स्कूल आ जाया करता है। उसके बाल खराब होते, जूतों के बन्ध खुले, शर्ट के कॉलर पर मेल के निशान । पढ़ाई के दौरान भी उसका ध्यान कहीं और होता था।
मेडम के डाँटने पर वह चौंक कर उन्हें देखता, मगर उसकी खाली खाली नज़रों से साफ पता लगता रहता.कि राजू शारीरिक रूप से कक्षा में उपस्थित होने के बावजूद भी मानसिक रूप से गायब हे यानी (प्रजेंट बाडी अफसेटं माइड) .धीरे धीरे मेडम को राजू से नफरत सी होने लगी। क्लास में घुसते ही राजू मेडम की आलोचना का निशाना बनने लगता। सब बुराई उदाहरण राजू के नाम पर किये जाते. बच्चे उस पर खिलखिला कर हंसते.और मेडम उसको अपमानित कर के संतोष प्राप्त करतीं।
राजू ने हालांकि किसी बात का कभी कोई जवाब नहीं दिया था।
मेडम को वह एक बेजान पत्थर की तरह लगता जिसके अंदर आत्मा नाम की कोई चीज नहीं थी। प्रत्येक डांट, व्यंग्य और सजा के जवाब में वह बस अपनी भावनाओं से खाली नज़रों से उन्हें देखा करता और सिर झुका लेता। मेडम को अब इससे गंभीर नफरत हो चुकी थी।
पहला सेमेस्टर समाप्त हो गया और प्रोग्रेस रिपोर्ट बनाने का चरण आया तो मेडम ने राजू की प्रगति रिपोर्ट में यह सब बुरी बातें लिख मारी । प्रगति रिपोर्ट माता पिता को दिखाने से पहले हेड मास्टर के पास जाया करती थी। उन्होंने जब राजू की प्रोग्रेस रिपोर्ट देखी तो मेडम को बुला लिया। "मेडम प्रगति रिपोर्ट में कुछ तो राजू की प्रगति भी लिखनी चाहिए। आपने तो जो कुछ लिखा है इससे राजू के पिता इससे बिल्कुल निराश हो जाएंगे।" मेडम ने कहा "मैं माफी माँगती हूँ, लेकिन राजू एक बिल्कुल ही अशिष्ट और निकम्मा बच्चा है । मुझे नहीं लगता कि मैं उसकी प्रगति के बारे में कुछ लिख सकती हूँ। "मेडम घृणित लहजे में बोलकर वहां से उठ कर चली गई स्कूल की छुट्टी हो गई आज तो ।
अगले दिन हेड मास्टर ने एक विचार किया ओर उन्होंने चपरासी के हाथ मेडम की डेस्क पर राजू की पिछले वर्षों की प्रगति रिपोर्ट रखवा दी । अगले दिन मेडम ने कक्षा में प्रवेश किया तो रिपोर्ट पर नजर पड़ी। पलट कर देखा तो पता लगा कि यह राजू की रिपोर्ट हैं। " मेडम ने सोचा कि पिछली कक्षाओं में भी राजू ने निश्चय ही यही गुल खिलाए होंगे।" उन्होंने सोचा और कक्षा 3 की रिपोर्ट खोली। रिपोर्ट में टिप्पणी पढ़कर उनकी आश्चर्य की कोई सीमा न रही जब उन्होंने देखा कि रिपोर्ट उसकी तारीफों से भरी पड़ी है। "राजू जैसा बुद्धिमान बच्चा मैंने आज तक नहीं देखा।" "बेहद संवेदनशील बच्चा है और अपने मित्रों और शिक्षक से बेहद लगाव रखता है।" "
यह लिखा था
अंतिम सेमेस्टर में भी राजू ने प्रथम स्थान प्राप्त कर लिया है। "मेडम ने अनिश्चित स्थिति में कक्षा 4 की रिपोर्ट खोली।" राजू ने अपनी मां की बीमारी का बेहद प्रभाव लिया। .उसका ध्यान पढ़ाई से हट रहा है। "" राजू की माँ को अंतिम चरण का कैंसर हुआ है। । घर पर उसका और कोई ध्यान रखनेवाला नहीं है.जिसका गहरा प्रभाव उसकी पढ़ाई पर पड़ा है।
" लिखा था
निचे हेड मास्टर ने लिखा कि राजू की माँ मर चुकी है और इसके साथ ही राजू के जीवन की चमक और रौनक भी। । उसे बचाना होगा...इससे पहले कि बहुत देर हो जाए। " यह पढ़कर मेडम के दिमाग पर भयानक बोझ हावी हो गया। कांपते हाथों से उन्होंने प्रगति रिपोर्ट बंद की । मेडम की आखो से आंसू एक के बाद एक गिरने लगे. मेडम ने साङी से अपने आंसू पोछे
अगले दिन जब मेडम कक्षा में दाख़िल हुईं तो उन्होंने अपनी आदत के अनुसार अपना पारंपरिक वाक्यांश "आई लव यू ऑल" दोहराया।
मगर वह जानती थीं कि वह आज भी झूठ बोल रही हैं। क्योंकि इसी क्लास में बैठे एक उलझे बालों वाले बच्चे राजू के लिए जो प्यार वह आज अपने दिल में महसूस कर रही थीं..वह कक्षा में बैठे और किसी भी बच्चे से अधिक था ।
पढ़ाई के दौरान उन्होंने रोजाना दिनचर्या की तरह एक सवाल राजू पर दागा और हमेशा की तरह राजू ने सिर झुका लिया। जब कुछ देर तक मेडम से कोई डांट फटकार और सहपाठी सहयोगियों से हंसी की आवाज उसके कानों में न पड़ी तो उसने अचंभे में सिर उठाकर मेडम की ओर देखा। अप्रत्याशित उनके माथे पर आज बल न थे, वह मुस्कुरा रही थीं। उन्होंने राजू को अपने पास बुलाया और उसे सवाल का जवाब बताकर जबरन दोहराने के लिए कहा। राजू तीन चार बार के आग्रह के बाद अंतत:बोल ही पड़ा। इसके जवाब देते ही मेडम ने न सिर्फ खुद खुशान्दाज़ होकर तालियाँ बजाईं बल्कि सभी बच्चो से भी बजवायी..
फिर तो यह दिनचर्या बन गयी।मेडम हर सवाल का जवाब अपने आप बताती और फिर उसकी खूब सराहना तारीफ करतीं। प्रत्येक अच्छा उदाहरण राजू के कारण दिया जाने लगा । धीरे-धीरे पुराना राजू सन्नाटे की कब्र फाड़ कर बाहर आ गया। अब मेडम को सवाल के साथ जवाब बताने की जरूरत नहीं पड़ती। वह रोज बिना त्रुटि उत्तर देकर सभी को प्रभावित करता और नये नए सवाल पूछ कर सबको हैरान भी करता ।
उसके बाल अब कुछ हद तक सुधरे हुए होते, कपड़े भी काफी हद तक साफ होते जिन्हें शायद वह खुद धोने लगा था। देखते ही देखते साल समाप्त हो गया और राजू ने दूसरा स्थान हासिल कर कक्षा 5 वी पास कर लिया यानी अब दुसरी जगह स्कूल मे दाखिले के लिए तैयार था।
कक्षा 5 वी के विदाई समारोह में सभी बच्चे मेडम के लिये सुंदर उपहार लेकर आए और मेडम की टेबल पर ढेर लग गया । इन खूबसूरती से पैक हुए उपहारो में एक पुराने अखबार में बदतर सलीके से पैक हुआ एक उपहार भी पड़ा था। बच्चे उसे देखकर हंस रहे थे । किसी को जानने में देर न लगी कि यह उपहार राजू लाया होगा। मेडम ने उपहार के इस छोटे से पहाड़ में से लपक कर राजू वाले उपहार को निकाला। खोलकर देखा तो उसके अंदर एक महिलाओं द्वारा इस्तेमाल करने वाली इत्र की आधी इस्तेमाल की हुई शीशी और एक हाथ में पहनने वाला एक बड़ा सा कड़ा कंगन था जिसके ज्यादातर मोती झड़ चुके थे। मिस ने चुपचाप इस इत्र को खुद पर छिड़का और हाथ में कंगन पहन लिया। बच्चे यह दृश्य देखकर सब हैरान रह गए। खुद राजू भी। आखिर राजू से रहा न गया और मिस के पास आकर खड़ा हो गया। ।
कुछ देर बाद उसने अटक अटक कर मेडम को बोला "आज आप में से मेरी माँ जैसी खुशबू आ रही है।" इतना सुनकर मेडम के आखो मे आसू आ गये ओर मेडम ने राजू को अपने गले से लगा लिया
राजू अब दुसरी स्कूल मे जाने वाला था
राजू ने दुसरी जगह स्कूल मे दाखिले ले लिया था
समय बितने लगा।
दिन सप्ताह,
सप्ताह महीने और महीने साल में बदलते भला कहां देर लगती है?
मगर हर साल के अंत में मेडम को राजू से एक पत्र नियमित रूप से प्राप्त होता जिसमें लिखा होता कि "इस साल कई नए टीचर्स से मिला।। मगर आप जैसा मेडम कोई नहीं था।"
फिर राजू की पढ़ाई समाप्त हो गया और पत्रों का सिलसिला भी सम्माप्त । कई साल आगे गुज़रे और मेडम रिटायर हो गईं।
एक दिन मेडम के घर अपनी मेल में राजू का पत्र मिला जिसमें लिखा था:
"इस महीने के अंत में मेरी शादी है और आपके बिना शादी की बात मैं नहीं सोच सकता। एक और बात .. मैं जीवन में बहुत सारे लोगों से मिल चुका हूं।। आप जैसा कोई नहीं है.........आपका डॉक्टर राजू
पत्र मे साथ ही विमान का आने जाने का टिकट भी लिफाफे में मौजूद था।
मेडम खुद को हरगिज़ न रोक सकी। उन्होंने अपने पति से अनुमति ली और वह राजू के शहर के लिए रवाना हो गईं। शादी के दिन जब वह शादी की जगह पहुंची तो थोड़ी लेट हो चुकी थीं।
उन्हें लगा समारोह समाप्त हो चुका होगा.. मगर यह देखकर उनके आश्चर्य की सीमा न रही कि शहर के बड़े डॉक्टर , बिजनेसमैन और यहां तक कि वहां पर शादी कराने वाले पंडितजी भी थक गये थे. कि आखिर कौन आना बाकी है...मगर राजू समारोह में शादी के मंडप के बजाय गेट की तरफ टकटकी लगाए उनके आने का इंतजार कर रहा था। फिर सबने देखा कि जैसे ही एक बुड्ढी ओरत ने गेट से प्रवेश किया राजू उनकी ओर लपका और उनका वह हाथ पकड़ा जिसमें उन्होंने अब तक वह कड़ा पहना हुआ था कंगन पहना हुआ था और उन्हें सीधा मंच पर ले गया।
राजू ने माइक हाथ में पकड़ कर कुछ यूं बोला "दोस्तों आप सभी हमेशा मुझसे मेरी माँ के बारे में पूछा करते थे और मैं आप सबसे वादा किया करता था कि जल्द ही आप सबको उनसे मिलाउंगा।।।........
ध्यान से देखो यह यह मेरी प्यारी सी मा दुनिया की सबसे अच्छी है यह मेरी मा यह मेरी माँ हैं -
!! प्रिय दोस्तों.... इस सुंदर कहानी को सिर्फ शिक्षक और शिष्य के रिश्ते के कारण ही मत सोचिएगा । अपने आसपास देखें, राजू जैसे कई फूल मुरझा रहे हैं जिन्हें आप का जरा सा ध्यान, प्यार और स्नेह नया जीवन दे सकता है...........👍

Ashwani Swami 06✍️🙏
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05/06/2022

नानक से पहले कोई सिक्ख नहीं था! जीसस से पहले कोई ईसाई नहीं था! मुहम्मद से पहले कोई मुसलमान नहीं था! ऋषभदेव से पहले कोई जैनी नहीं था! बुद्घ से पहले कोई बौद्ध नहीं था! कार्ल मार्क्स से पहले कोई वामपंथी नहीं था!

लेकिन :--
कृष्ण से पहले राम...
राम से पहले जमदग्नि...जमदग्नि से पहले अत्री...अत्री से पहले अगस्त्य ...अगस्त्य से पहले पतंजलि ...
पतंजलि से पहले कणाद...कणाद से पहले याज्ञवल्क्य ...याज्ञवलक्य से पहले...
सभी "सनातन वैदिक" धर्मी थे..!
"राजनीतिक शतरंज" की इन -"12 चालों" को, ध्यान से -"देखें और समझें" ....?*

*01*.
"मुगल", "भारतीय" बन गए...? और, "भारतीय., "काफ़िर".. ..?

*02*.
“ग़यासुद्दीनखान”:-, मोतीलाल, जवाहरलाल "नेहरू”-इंदिरा,राजीव,-माइनो, "गांधी" बन गए.. ?और.., "भारतीय", "मूर्ख"....?*

*03*.
"मोमिन", "कश्मीरी" बन गए... ?और, "कश्मीरी पंडित", "शरणार्थी"....?

*04*.
"बांग्लादेशी"- "बंगाली" बन गये....?और, "बंगाली", "बाहरी हिन्दू" .....?

*05*.
"सैनिको" के "हत्यारे" और "पत्थर बरसाने वाले"...., "आंदोलनकारी" बन गए.....? और, "सेना", "मानवाधिकार उल्लंघनकारी"....?*

*06*.
"टुकड़े- टुकड़े गैंग", "देशभक्त" बन गया...? और, "देशभक्त", "ब्रांडेड कट्टर अतिवादी ......?*

*07*.
"चिता की लकड़ी", "पर्यावरणीय चिंता" बन गई.....? और, "दफनाने" में "बर्बाद होने वाली भूमि", "जन्मसिद्ध अधिकार" हो गई.....?

*08*.
"राखी" में इस्तेमाल किया गये -"ऊन" से, "भेड़" को "चोट" पहुंची..?, और, "बकरीद" में -"हजारों बकरियों" का "कत्ल", "धार्मिक स्वतंत्रता" बन गया....?*
*09*.
"तुष्टिकरण", "धर्मनिरपेक्ष" हो गया.....?जबकि, "समानता", "कम्यूनल" हो गई....?

*10*.
"आरएसएस", "आतंकवादी" बन गया...?और, "ओसामा जी"..., "हाफिज साहेब"..., और -"हुर्रियत", "शांति के शिखर"......
*11*.
“भारत माता की जय”, "सांप्रदायिक" हो गया....?और, “भारत तेरे टुकडे होंगे” ,"फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन हो गया"....?*
*12*.“फूट डालो राज करो” ,"नियम" बन गया.... ?और.., “सबका साथ सबका विकास” "जुमला"..*?

ज़रा "सोचो"...? और "समझो"... कि :- "आखिर" एक - "हिन्दू बहुल देश" में ....,"ये सब" हुआ कैसे...???

सिर्फ पढ़ोगे,, ? या फारवर्ड भी ,करोगे,,? नहीं ना,,,???

मुझे पता था

*"हिन्दू" जो "ठहरे", "हम"...?*!!!

ऐसे ही सोए रहे .....? तो - पता भी नही चलेगा..?, "कब"... "मुस्लिम देश" के "नागरिक" बन गए...?

*"मजबूर हिंदू" होने के नाते, मेरी -"आप" से "विनती" है, कि:- कम से कम "10 लोग", अथवा -"ग्रुप" में अवश्य भेजिए।*
*गृह युद्ध से बचने का अलर्ट*❓
बीजेपी नवंबर में राज्यसभा में बहुमत में आ जाएगी और 1 दिसंबर , 2021 से 31 मार्च ,2022 के बीच ..; *25 नए बिल पास होंगे , जिसमें जनसंख्या नियंत्रण बिल , सबसे महत्वपूर्ण बिल है*❗️
ध्यान में रखें , कि यह समय .; हमारे लिए जिंदगी का सबसे कठिन समय होगा❗️
मेरा सभी से निवेदन है , कि अभी से आप सब लोग तैयारी कर लें❗️
अपने आस पास वालों को सचेत कर लें ! उन्हें समझा दें , कि उस वक्त हमें बहुत समझदारी और ध्यान पूर्वक कार्य करना है❗️
सबसे महत्वपूर्ण बात है , कि उस वक्त हम को , हमारे परिवार व समाज के लोगों की सुरक्षा करना है❗️
अगर इसकी तैयारी अभी से नहीं की , तो बहुत बड़ी दुर्घटना घट सकती है❗️
जब यह सब बिल पास होंगे , तब पूरे देश में एक साथ , एक बड़ा गृह युद्ध हो सकता है❗️
आप की तैयारी हो या ना हो , लेकिन विरोधियों की तैयारी जबरदस्त है❗️
उनकी तैयारी का नमूना दिल्ली और बेंगलुरु में देखा जा चुका है❗️
इसी समय चीन व पाकिस्तान के साथ युद्ध होने की भी प्रबल संभावना है ! सेना सीमा पर व्यस्त होगी , यानी वह देश के भीतर कुछ न करने की हालत में होगी ! इसलिए अपनी एकता और समझदारी में ही फायदा है❗️
🔺 *क्या करें*❓❓❓
कोई भी एक दिन और एक समय निश्चित करके , अपने 8-10 पडोसियों को लेकर , समाज में कहीं बैठें ! फिर अगले एक - दो दिन में दूसरे 8-10 लोगों को एकत्रित करें और उनको कहें , कि हम लोग हर हफ्ते यहां बैठेंगे ! इसी प्रक्रिया को दो-तीन बार दुहराने से , आपकी पूरी गली साप्ताहिक मीटिंग पर होगी❗️
अगर मंदिर में एकत्रित हो रहे हैं , तो पूजा के पश्चात , उनसे धर्म पर , जाति समाप्त करने पर , सफाई पर , सहयोग पर , स्वास्थ्य पर , समाज पर , शहर और देश पर बात करें , कि इस सुरक्षा चक्र में , अब इस बार कोई भी जिहादी घुस नहीं पाये❗️
इतना प्रसारित करें , प्रचारित करें , मेहनत करें , कि हर गली में पुख्ता सुरक्षा इंतजाम हो जाये और हर गली का , हर मंदिर , पूरे देश में , इस नारे के साथ गुंजायमान हो जाये❗️
*बात चली , भई ! बात चली , भई ! हिंदू एकता गली - गली*❗️⛱ *गणित से समझें*❗️
आजादी से , अब तक 75 साल में , भारत मे रुक गए मुसलमान की आबादी 3 करोड़ से दस गुना बढ़कर , 30 करोड़ हो गयी है , तो हमारे बेटे के जीवन काल यानी अगले 70 साल ( 2090 ) में , उनकी आबादी कितनी होगी❓❓❓
फिर से दस गुणा यानि 300 करोड़ और सोचिये , तब ....;
1. - हमारी सम्पत्ति का क्या होगा❓
2. - हमारे व्यवसाय का क्या होगा❓
3. - हमारी नौकरी का क्या होगा❓
4. - हमारे मन्दिरों का क्या होगा❓
5. - स्कूल गयी , हमारी बेटी का क्या होगा❓
6. - हमारे संविधान का क्या होगा❓
7. - हमारे आरक्षण का क्या होगा❓
8. - हमारी नेतागिरी का क्या होगा❓
9. - हमारी जाति के लोगों का क्या होगा❓
🔺 *क्या , तब हमारी स्वार्थी बुद्धि , कोई समाधान कर पायेगी❓नहीं ना , तो फिर वही होगा , जो काश्मीरी हिंदूओ का हुआ था❗️, उनके पास फिर भी शरण लेने के लिए , भारत देश था❗️ आपके पास क्या होगा* ❓ , इसीलिए भावी पीढ़ी की सलामती के लिये सी ए ए , एन आर सी , एन पी आर तथा जनसंख्या नियंत्रण बिल आना अनिवार्य है❗️
🔺 *मैं तैयार हूं और मैं आगे 3 लोगों को जोड़ रहा हूं और मैं उन तीन को बोलूंगा , कि वे भी आगे 3-3 लोगों को जोड़ने की कोशिश करें* ‼️

 #एकादशी के   #शुभ अवसर पर  #भगवान के आशीर्वाद से किसी भी बैंक से कर्ज लिए बगैर, यारों दोस्तों की मदद के बगैर, दिन रात क...
05/06/2022

#एकादशी के #शुभ अवसर पर #भगवान के आशीर्वाद से किसी भी बैंक से कर्ज लिए बगैर,

यारों दोस्तों की मदद के बगैर, दिन रात की कोशिशों और #मेहनत के बाद आज इस मुकाम पर पहुँचा हूँ।

राह में कई रुकावटें भी आयीं, लोग रोकते थे, ताना मारते थे, हंसते थे।
कई बार दिल ने कहा ये मुमकिन नहीं है पर पक्के इरादे और सच्चे लगन की बदौलत

आज मैंने खुद फॉर्च्यूनर गाड़ी की फोटो सफलतापूर्वक खींच ली है😍🥀💟
कैसा लगा मजाक 🫣
मजा आया 🤣🤣

सिर्फ पोस्ट पढ़कर लाइक करके मत जाया करो यार मेरे चैनल को भी सब्सक्राइब कर दो जिससे आपको नई मोटिवेशनल वीडियोस मिलती रहे औ...
05/06/2022

सिर्फ पोस्ट पढ़कर लाइक करके मत जाया करो यार मेरे चैनल को भी सब्सक्राइब कर दो जिससे आपको नई मोटिवेशनल वीडियोस मिलती रहे और आप मोटिवेट होते रहें यह मेरे चैनल का लिंक है प्लीज 10 सेकंड लगेंगे आपको चैनल को सब्सक्राइब कर दीजिए और एक वीडियो जरूर देखना
www.youtube.com/AshwaniSwami06

यदि पत्नी के माँगके बीचो बीच #सिन्दूर लगा हुआ है तो उसके पति की अकाल मृत्यू नही हो सकती है।

जो स्त्री अपने माँगके सिन्दूर को बालोसे छिपा लेती है उसका पति समाज मेँ छिप जाता है।

जो स्त्री बीच माँग मेँ सिन्दूर न लगाकर किनारे की तरफ सिन्दूर लगाती है उसका पति उससे किनारा कर लेता है।

यदि स्त्री के बीच माँग मेँ सिन्दूर भरा है तो उसके पति की आयु लम्बी होतीहै।

रामायण मेँ एक प्रसंग आता है जब बालि और सुग्रीवके बीच युध्द हो रहा था तब श्रीरामने बालि को नही मारा।

जब बालि के हाथो मार खाकर सुग्रीव श्रीरामके पास पहुचा तो श्रीरामने कहा की तुम्हारी और बालि की शक्ल एक सी है इसिलिये मैँ भ्रमित हो गया
अब आप ही बताइये श्रीरामके नजरोसे भला कोई छुप सकता है क्या?

असली बात तो यह थी जब श्रीराम ने यह देख लिया की बालि की पत्नी तारा का माँग सिन्दूरसे भरा हुआ है तो उन्होने सिन्दूरका सम्मान करते हुये बालि को नही मारा ।

दूसरी बार जब सुग्रीवने बालिको ललकारा तब तारा स्नान कर रही थी उसी समय भगवानने देखा की मौका देखकर और बाण छोड दिया अब आप ही बताइये की जब माँग मेँ सिन्दूर भरा हो तो
परमात्मा भी उसको नही मारते फिर उनके सिवाय कोई और क्या मारेगा।

यह पोस्ट मै इसीलिये कर रहा हूँ की आजकल फैसन चल रहा है सिन्दूर न लगाने की या हल्का लगाने की या बीच माँग मेँ न लगाकर किनारे लगाने की ।

मैँ आशा करती हूँ की मेरे इस पोस्टसे आप लोग सिन्दूरका महत्व समझ गयी होँगी और अपने पति की लम्बी आयु और अच्छे स्वास्थय के लिये अपने पतिके नामका #सिंदूर अपने माँगमेँ भरे रहेगी।

्रीराम 🚩🚩

05/06/2022

Give your reaction

Realitywww.youtube.com/AshwaniSwami06 यार कभी मेरे चैनल को सब्सक्राइब भी कर दिया करो हमेशा पोस्ट देख कर चले जाते हो मेरे...
03/06/2022

Reality
www.youtube.com/AshwaniSwami06
यार कभी मेरे चैनल को सब्सक्राइब भी कर दिया करो हमेशा पोस्ट देख कर चले जाते हो मेरे चैनल पर नई-नई मोटिवेशन वीडियोस मिलेंगी आपको एक नई #थीम के साथ एक नई टोन के साथ जो आपके अंदर एक नई ऊर्जा उत्पन्न कर देंगे जिससे आप अपने काम को करने में पूरा दम लगा देंगे पूरी ताकत लगा देंगे लेकिन आप मेरी वीडियो देखते नहीं हो मेरे चैनल पर कभी गए ही नहीं हो तो आपको पता कैसे होगा कि मेरा भी कोई चैनल यूट्यूब पर अब तो यार प्लीज यूट्यूब पर जाकर मेरे चैनल को सब्सक्राइब कर दो यार जिससे आपको नई नई वीडियो मोटिवेशनल वीडियो मिलती रहे आप मोटिवेट होते रहे और अपने काम पर ध्यान देते रहे निरंतर प्रयासरत रहें और अपने मंजिल को पा सके तो मैं भी अपनी मेहनत कर रहा हूं इसलिए मैं जब कभी भी हो जाता हूं तो अपनी ही विडियोज देख लेता हूं और अगर आप भी कभी हो जाते हैं डीमोटिवेटेड या फिर जब आपका मन काम में नहीं लगता है तो आप मेरी वीडियो को देखें और आप मेहनत करते रहिए

Jai Ho Narayan Bhagwaan ❤️❤️🙏🏻🌹🌹
03/06/2022

Jai Ho Narayan Bhagwaan ❤️❤️🙏🏻🌹🌹

03/06/2022
चंद्रशेखर आजाद जी को अपनी फोटो खिंचवाने से बड़ी चिढ़ होती थी लिहाज़ा बार - बार उनकी एकाध फोटो ही हमारे आसपास घुमती रहती ...
02/06/2022

चंद्रशेखर आजाद जी को अपनी फोटो खिंचवाने से बड़ी चिढ़ होती थी लिहाज़ा बार - बार उनकी एकाध फोटो ही हमारे आसपास घुमती रहती हैं ।

आइए जानते हैं उस बेहद लोकप्रिय फोटो के बारे में जिसमें आजाद अपने मूंछों पर ताव देते नजर आते हैं ।

काकोड़ी कांड के बाद अंग्रेज हाथ धोकर इस डाके में संलिप्त क्रांतिकारियों के पीछे पड़ गए थे । आजाद के साथियों की गिरफ्तारी का सिलशिला शुरू हो चुका था । चारों तरफ जासूसों का जाल बिछा हुआ था ।

आजाद जासूसों से बचते - बचते किसी तरह झांसी पहुंचे । वहां उन्होंने रूद्रनारायण सिंह " मास्टर जी " के आवास में शरण ली । मास्टर जी का आवास कला - संस्कृति और व्यायाम का केंद्र हुआ करता था । सरकारी जासूसों और नौकरशाहों का भी आना - जाना वहां लगा रहता था । इसलिए आजाद ने वहां रूकना मुनासिब नहीं समझा । लाख मना करने के बावजूद भी वह पास के जंगल में एक छोटे से हनुमान मंदिर के पुजारी बनकर रहने लगे ।

फिर एक दिन आजाद को मास्टर जी अपने आवास पर ले आये । कला - प्रेमी होने के साथ - साथ मास्टरजी फोटोग्राफी भी कर लिया करते थे ।

बहुत देर से मास्टरजी आजाद को बिना कुछ बताए ही उनकी तस्वीर अपने कैमरे में कैद करने की कोशिश कर रहे थे लेकिन आजाद थे कि सही पॉजिशन ले ही नहीं रहे थे ।

बाद में तंग होकर मास्टरजी ने आजाद से एक फोटो खिंचवाने का निवेदन ही कर दिया । पहले तो आजाद तैयार नहीं हो रहे थे लेकिन बाद में फोटो खिंचवाने के लिए खड़े हो गए ।

फिर मास्टरजी ने जैसे ही अपना कैमरा संभाला और बोला , " आज तुम मुझे ऐसे ही तुम्हारा एक फोटो खींच लेने दो

" आजाद ने कहा , " अच्छा तो ज़रा मेरी मूंछे एंठ लेने दो " और ऐसा कहकर उन्होंने अपनी मूंछे घुमानी शुरू कर दी । इसी बीच मास्टर जी ने उस ऐतिहासिक तस्वीर को अपने कैमरे में कैद कर लिया जो आज राष्ट्र की महान नीधि बन गया ।

आजाद जी को कोटि कोटि नमन 🙏🙏🙏

इंकलाब ज़िंदाबाद ✊✊✊

कुछ महिलाए ऐसी भी है जो अधिकार का दुरप्रयोग कर रही है “मैंने दहेज़ नहीं माँगा”साहब मैं थाने नहीं आउंगा,अपने इस घर से कहीं...
02/06/2022

कुछ महिलाए ऐसी भी है जो अधिकार का दुरप्रयोग कर रही है
“मैंने दहेज़ नहीं माँगा”
साहब मैं थाने नहीं आउंगा,
अपने इस घर से कहीं नहीं जाउंगा,
माना पत्नी से थोड़ा मन-मुटाव था,
सोच में अन्तर और विचारों में खिंचाव था,
पर यकीन मानिए साहब, “मैंने दहेज़ नहीं माँगा”

मानता हूँ कानून आज पत्नी के पास है,
महिलाओं का समाज में हो रहा विकास है।
चाहत मेरी भी बस ये थी कि माँ बाप का सम्मान हो,
उन्हें भी समझे माता पिता, न कभी उनका अपमान हो।
पर अब क्या फायदा, जब टूट ही गया हर रिश्ते का धागा,
यकीन मानिए साहब, “मैंने दहेज़ नहीं माँगा”

परिवार के साथ रहना इसे पसंन्द नहीं है,
कहती यहाँ कोई रस, कोई आनन्द नही है,
मुझे ले चलो इस घर से दूर, किसी किराए के आशियाने में,
कुछ नहीं रखा माँ बाप पर प्यार बरसाने में,
हाँ छोड़ दो, छोड़ दो इस माँ बाप के प्यार को,
नहीं माने तो याद रखोगे मेरी मार को,

फिर शुरू हुआ वाद विवाद माँ बाप से अलग होने का,
शायद समय आ गया था, चैन और सुकून खोने का,
एक दिन साफ़ मैंने पत्नी को मना कर दिया,
न रहूँगा माँ बाप के बिना ये उसके दिमाग में भर दिया।
बस मुझसे लड़कर मोहतरमा मायके जा पहुंची,

2 दिन बाद ही पत्नी के घर से मुझे धमकी आ पहुंची,
माँ बाप से हो जा अलग, नहीं सबक सीखा देंगे ,
क्या होता है दहेज़ कानून तुझे इसका असर दिखा देगें।
परिणाम जानते हुए भी हर धमकी को गले में टांगा,
यकींन माँनिये साहब, “मैंने दहेज़ नहीं माँगा”

जो कहा था बीवी ने, आखिरकार वो कर दिखाया,
झगड़ा किसी और बात पर था, पर उसने दहेज़ का नाटक रचाया।
बस पुलिस थाने से एक दिन मुझे फ़ोन आया,
क्यों बे, पत्नी से दहेज़ मांगता है, ये कह के मुझे धमकाया।
माता पिता भाई बहिन जीजा सभी के रिपोर्ट में नाम थे,
घर में सब हैरान, सब परेशान थे,
अब अकेले बैठ कर सोचता हूँ, वो क्यों ज़िन्दगी में आई थी,

मैंने भी तो उसके प्रति हर ज़िम्मेदारी निभाई थी।
आखिरकार तमका मिला हमें दहेज़ लोभी होने का,
कोई फायदा न हुआ मीठे मीठे सपने संजोने का।
बुलाने पर थाने आया हूँ, छुपकर कहीं नहीं भागा,
लेकिन यकींन मानिए साहब, “मैंने दहेज़ नहीं माँगा”

😪झूठे दहेज के मुकदमों के कारण,
पुरुष के दर्द से ओतप्रोत एक मार्मिक कृति…🙏🙏

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