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Due to multiple landslides, the Coronation Bridge was closed heading into Sikkim.
01/07/2024

Due to multiple landslides, the Coronation Bridge was closed heading into Sikkim.

01/07/2024

⭕ Law : अब तय सीमा में लोगों को मिलेगा इंसाफ, सामूहिक पि*टाई पर फां**सी तक की सजा❗

01/07/2024

🛑 #ইসলামপুরের চোপড়া ও কোচবিহারের ঘটনার নিন্দা জানিয়ে প্রতিবাদে সামিল হল বিজেপি।

#বিক্ষোভে উপস্থিত ছিলেন শিলিগুড়ির বিধায়ক শঙ্কর ঘোষ।

🛑ইসলামপুরের চোপড়া ও কোচবিহারের ঘটনার নিন্দা জানিয়ে প্রতিবাদে সামিল হল বিজেপি।বিক্ষোভে উপস্থিত ছিলেন শিলিগুড়ির বিধায়ক শঙ...
01/07/2024

🛑ইসলামপুরের চোপড়া ও কোচবিহারের ঘটনার নিন্দা জানিয়ে প্রতিবাদে সামিল হল বিজেপি।

বিক্ষোভে উপস্থিত ছিলেন শিলিগুড়ির বিধায়ক শঙ্কর ঘোষ।

ইসলামপুরের চোপড়া ও কোচবিহারের ঘটনার নিন্দা জানিয়ে সোমবার বিকেলে প্রতিবাদে সামিল হল ভারতীয় জনতা পার্টি শিলিগুড়ি সাংগঠনিক জেলা কমিটি। এদিন শিলিগুড়ির কোর্ট মোর সংলগ্ন গান্ধী মূর্তির পাদদেশে প্রতিকি অবস্থান-বিক্ষোভে সামিল হল বিজেপি নেতাকর্মীরা। এই দিনের এই বিক্ষোভে উপস্থিত ছিলেন শিলিগুড়ির বিধায়ক শঙ্কর ঘোষ ও দলের অন্যান্য নেতাকর্মীরা।

এদিন সংবাদমাধ্যমের মুখোমুখি হয়ে তিনি বলেন চোপরাতে যুগলকে সালিশি সভাতে অত্যাচার করা হয়েছে এবং কোচবিহারে মহিলাকে বিবস্ত্র করে অত্যাচার চালানো হয়েছে। এই ঘটনা নিন্দনীয় পুরো রাজ্য জুড়ে এ ধরনের ঘটনা ঘটছে যার বিরোধীতায় তারা সড়ব হয়েছে। বিক্ষোভের পর তারা শিলিগুড়ি থানায় গিয়ে এই বিষয় নিয়ে একটি লিখিত অভিযোগ জমা করেন।

 #नए कानून के खिलाफ सिलीगुड़ी के अदालत में कामकाज बंद, वकीलों ने किया विरोध प्रदर्शन!! #अशोक झा, सिलीगुड़ी: बंगाल विधिज्...
01/07/2024

#नए कानून के खिलाफ सिलीगुड़ी के अदालत में कामकाज बंद, वकीलों ने किया विरोध प्रदर्शन!!

#अशोक झा, सिलीगुड़ी: बंगाल विधिज्ञ परिषद ने मौजूदा भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), आपराधिक दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और साक्ष्य अधिनियम की जगह लेने वाले तीन नए कानूनों को ''जनविरोधी और क्रूर'' करार देते हुए इन कानूनों के विरोध में एक जुलाई को ''काला दिवस'' मनाया गया। बंगाल विधिज्ञ परिषद द्वारा एक प्रस्ताव पारित किया था जिसमें कहा गया है कि पश्चिम बंगाल और अंडमान-निकोबार द्वीप की अदालतों में वकालत करने वाले वकील एक जुलाई को न्यायिक कार्य नहीं करेंगे। इसी को बल देते हुए सिलीगुड़ी में वकीलों ने विरोध प्रदर्शन करते हुए काम काज बंद किया। बताया गया की पिछले साल ही संसद में इन तीनों कानून बन गए थे। अब नए कानूनों के लागू होने के साथ ही औपनिवेशिक काल के कानूनों का अंत हो गया है।

जोड़ी गई आतंकवाद की धारा: कई ऐसे अपराध थे जिन्हें आईपीसी में पारिभाषित नहीं किया गया था। इसमें यह नहीं बताया गया था कि कौन से अपराध आतंकवाद की श्रेणी में आएंगे। नए कानून में भारत की एकता, अखंडता, संप्रभुता, सुरक्षा और आर्थिक सुरक्षा को खतरा पैदा करने को आतंकवाद की श्रेणी में रखा गया है। भारतीय न्याय संहिता की धारा 113 में इसका वर्णन किया गया है। इसमें भारतीय मुद्रा की तस्करी भी शामिल होगी। आतंकवादी गतिविधियों के लिए उम्रकैद या फिर मौत की सजा भी हो सकती है। कानून के मुताबिक आतंकी साजिश रचने के लिए पांच साल से लेकर उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान है।

इसके अलावा आतंकी संगठन से जुड़ने पर उम्रकैद और जुर्माने का प्रावधान है। आतंकियों को छिपाने पर तीन साल से लेकर उम्रकैद की सजा हो सकती है। इसके अलावा जुर्माना भी लगाया जा सकता है।खत्म हो गया राजद्रोह का अपराध: भारतीय न्याय संहिता में राजद्रोह को समाप्त कर दिया गया है। वहीं भारत की एकता और अखंडता को खतरा पहुंचाने वाले कृत्यों को देशद्रोह में शामिल किया गया है। इसके लिए बीएनएस की धारा 152 लगाई जाएगी। वहीं आईपीसी में मॉब लिंचिंग का भी जिक्र नहीं था। अब इस अपराध के लिए उम्रकैद से लेकर मौत तक की सजा हो सकती है। इसे बीएनएस की धारा 103 (2) में शामिल किया गया है।

आइए जानते हैं कि बीएनएस में आईपीसी की कौन सी धाराएं बदल गई हैं। ह*त्या के लिए आईपीसी में धारा 302 थी जो कि बीएनएस में धारा 101 हो गई है। ह*त्या का प्रयास का मुकदमा जो धारा 307 के तहत दर्ज होता था, अब धारा 109 के तहत दर्ज होगा। गैर इरादतन ह*त्या के लिए धारा 105 लागू होगी जो कि आईपीसी में धारा 304 थी। दहेज ह*त्या से जुड़ी धारा 80 होगी जो कि आईपीसी में धारा 304बी थी। चोरी के लिए अब धारा 303 में मुकदमा दर्ज किया जाएगा।

आईपीसी के तहत धारा 379 में चोरी का मुकदमा दर्ज होता था। अब नहीं होगी धारा 420: इसी तरह रेप की धारा 376 से बदलकर अब 64 हो गई है। छेड़छाड़ का मुकदमा धारा 74 के तहत दर्ज होगा। धोखाधड़ी का केस धारा 420 की जगह अब 318 के तहत दर्ज होगा। लापरवाही से मौ*त का मामला धारा 106 के अंतरगत आएगा जो कि पहले 304ए में आता था। आपराधिक षड्यंत्र के लिए धारा 120बी की जगह धारा 61 लागू होगी। मानहानि के लिए धारा 499, 500 की जगह अब 356 लागू होगी। लूट और डकैती के लिए क्रमशः धारा 309 और धारा 310 होगी। रिपोर्ट अशोक झा

🛑ফুলবাড়ির বাংলাবান্ধা সীমান্তে গ্রেফতার এক বাংলাদেশী যুবক।দুই দেশের নাগরিকতা নিয়ে বাংলাদেশ থেকে ফুলবাড়ির বাংলাবান্ধা সী...
01/07/2024

🛑ফুলবাড়ির বাংলাবান্ধা সীমান্তে গ্রেফতার এক বাংলাদেশী যুবক।

দুই দেশের নাগরিকতা নিয়ে বাংলাদেশ থেকে ফুলবাড়ির বাংলাবান্ধা সীমান্ত পার করে ভারতে প্রবেশের সময় বিএসএফ এর হাতে ধরা পড়লো এক বাংলাদেশী। ধৃতের নাম মানিক ইসলাম।

জানা গিয়েছে, রবিবার রাত দশটা নাগাদ সীমান্ত থেকে বাংলাদেশী যুবককে আটক করে বিএসএফ। তাকে জিজ্ঞাসাবাদ করে তার কাছ থেকে দুদেশের নাগরিকত্বের বেশকিছু নথিপত্র উদ্ধার হয়। পরবর্তীতে ধৃতকে নিউ জলপাইগুড়ি থানার হাতে তুলে দেয় বিএসএফ।

ধৃতকে সোমবার জলপাইগুড়ি আদালতে পেশ করা হয়েছে। ঘটনার তদন্ত শুরু করেছে পুলিশ।

01/07/2024

✅ #सिलीगुड़ी : विधान मार्केट में पालित हुआ डॉ विधानचंद्र रॉय का जन्म जयंती❗

🛑শিলিগুড়িতে পালিত হলো প্রাক্তন মুখ্যমন্ত্রী ডাক্তার বিধানচন্দ্র রায়ের জন্ম দিবস। বিধানচন্দ্র রায়ের নামে তৈরি হয়েছিল শ...
01/07/2024

🛑শিলিগুড়িতে পালিত হলো প্রাক্তন মুখ্যমন্ত্রী ডাক্তার বিধানচন্দ্র রায়ের জন্ম দিবস।

বিধানচন্দ্র রায়ের নামে তৈরি হয়েছিল শিলিগুড়ির বিধান মার্কেট। তিনি ছিলেন এই মার্কেটের প্রতিষ্ঠাতা। সেই কারণে তার মূর্তি প্রতিষ্ঠা করা হয় বিধান মার্কেটে। সোমবার ছিল ডঃ বিধান চন্দ্র রায়ের ১৪৩ তম জন্মবার্ষিকী। এই দিনটি শ্রদ্ধার সাথে পালন করে বিধান মার্কেট ব্যবসায়ী সমিতি।

অন্যদিকে শিলিগুড়ি কর্পোরেশনের পক্ষ থেকে বিধানচন্দ্র রায়ের মূর্তিতে মাল্যদান করে শ্রদ্ধা জানান ডেপুটি মেয়র রঞ্জন সরকার সহ অন্যান্য এমআইসি ও কাউন্সিলর। মাল্যদান করেন শিলিগুড়ি বিধায়ক শঙ্কর ঘোষ।

এদিন বিধানচন্দ্র রায়ের জন্মবার্ষিকী উপলক্ষে বিধান মার্কেট সমিতির পক্ষ থেকে একটি চক্ষু পরীক্ষা শিবির আয়োজন করা হয়। সেখানে বিধায়ক শংকর ঘোষ, বাপি পাল সহ অন্যান্যরা নিজেদের চোখ পরীক্ষা করান।এদিন অনেক সাধারণ মানুষও চোখ পরীক্ষা করান।

01/07/2024

⭕ #सिलिगुड़ी : सिलीगुड़ी के वार्ड नंबर 42 में अवैध निर्माण को किया गया ध्वस्त❗

  🔴 #ঘোকসাডাঙ্গায় প্রকাশ্য দিবালোকে যাত্রীবাহী বাসে ছিনতাই, চম্পট দুষ্কৃতীরা Iপ্রকাশ্য দিবালোকে যাত্রীবাহী বেসরকারি বাস...
01/07/2024


🔴 #ঘোকসাডাঙ্গায় প্রকাশ্য দিবালোকে যাত্রীবাহী বাসে ছিনতাই, চম্পট দুষ্কৃতীরা I

প্রকাশ্য দিবালোকে যাত্রীবাহী বেসরকারি বাসে আগ্নেয়াস্ত্র দেখিয়ে ছিনতাই। বাস থেকে নিয়ে গেলো একাধীক ব্যাগ। ঘটনায় রীতিমতো চাঞ্চল্য ছড়িয়েছে। ঘটনাটি ঘটেছে কোচবিহারের ঘোকসাডাঙ্গা এলাকায়।

জানা গিয়েছ, বাস চালকের মাথায় বন্দুক ঠেকিয়ে ডাকাতি করে। সহকারী চালককে মারধর করা হয়। যাত্রীদের কাছ থেকে কোনো কিছুই নেওয়া হয়নি। তবে একটি পার্সেল ব্যাগ নিয়ে পালিয়ে যাওয়ায়, নানান প্রশ্ন উঠেছে। কি ছিল ওই ব্যাগে। তা নিয়ে ভাবিয়ে তুলেছে পুলিশকে।

যাত্রীবাহী বাসটি রানাঘাট থেকে কোচবিহার যাচ্ছিল। অন্য যাত্রীদের মত 4 যুবক ফালাকাটা থেকে ওই বাসে ওঠে। এরপর ঘোকসাডাঙ্গা চৌপাতি পার হতেই এই ঘটনা ঘটায় ওই 4 যুবক। মুহুর্তের মধ্যে কয়েকটি ব্যাগ হাতিয়ে চম্পট দেয় দুষ্কৃতীরা। মনে করা হচ্ছে দুষ্কৃতীদের ওই ব্যাগ গুলির ওপরই নজর ছিল। ঘটনার খবর পেয়ে ঘটনাস্থলে পৌঁছায় কোচবিহার জেলার বিশাল পুলিশ বাহিনী। ঘটনার তদন্ত শুরু করেছে পুলিশ।

01/07/2024

⭕ #माटीगाड़ा : चोरी और खोया हुआ मोबाइल फोन असली मालिक के हवाले ; उपभोक्ताओं ने पुलिस की भूमिका पर जताई खुशी❗

 #सिलीगुड़ी नगर निगम के वार्ड नंबर 42 में अवैध निर्माण को किया गया ध्वस्त!!
01/07/2024

#सिलीगुड़ी नगर निगम के वार्ड नंबर 42 में अवैध निर्माण को किया गया ध्वस्त!!

01/07/2024

🔴 #চুরি যাওয়া এবং হারিয়ে যাওয়া মোবাইল ফোন প্রকৃত মালিকের হাতে তুলে দিলো মাটিগাড়া থানার পুলিশ।

🔴 #মোবাইল ফিরিয়ে পেয়ে খুশি উপভোক্তারা।

🔴চুরি যাওয়া এবং হারিয়ে যাওয়া মোবাইল ফোন প্রকৃত মালিকের হাতে তুলে দিলো মাটিগাড়া থানার পুলিশ।মোবাইল ফিরিয়ে পেয়ে খুশি উ...
01/07/2024

🔴চুরি যাওয়া এবং হারিয়ে যাওয়া মোবাইল ফোন প্রকৃত মালিকের হাতে তুলে দিলো মাটিগাড়া থানার পুলিশ।

মোবাইল ফিরিয়ে পেয়ে খুশি উপভোক্তারা।

মাটিগাড়া পুলিশের উদ্যোগে ৪১ জনকে তাদের হারিয়ে যাওয়া মোবাইল ফিরিয়ে দেওয়া হয়েছে বলে জানা গিয়েছে।

মোবাইল চুরির ঘটনা এখন প্রায়ই ঘটে। দীর্ঘদিন থেকেই মাটিগাড়ার বিভিন্ন এলাকা থেকে ফোন চুরি যাওয়া এবং হারিয়ে যাওয়ার অভিযোগ উঠে আসে। সেই ঘটনার তদন্তে নেমেই মাটিগাড়া থানার সাদা পোশাকের পুলিশ মোবাইল ফোনগুলি উদ্ধার করে। সোমবার চুরি যাওয়া এবং হারিয়ে যাওয়া মোট ৪১টি মোবাইল ফোন উদ্ধার করে। এরপর মোবাইল মালিকদের ডেকে তাদের হাতে মোবাইল ফোনগুলি তুলে দেওয়া হয়। চুরি বা হারিয়ে যাওয়া মোবাইল খুঁজে বের করে ফিরিয়ে দেওয়ার জন্য মাটিগাড়া পুলিশকে ধন্যবাদ জানিয়েছেন তারা।

🔴গণপিটুনিতে খু*নের সাজা মৃ*ত্যু*দণ্ড।🔴ভারতীয় ন্যায় সংহিতায় শাস্তি আরও কড়া।গত কয়েকদিন ধরে রাজ্যে গণপিটুনিতে মৃ*ত্যুর ঘটন...
01/07/2024

🔴গণপিটুনিতে খু*নের সাজা মৃ*ত্যু*দণ্ড।
🔴ভারতীয় ন্যায় সংহিতায় শাস্তি আরও কড়া।

গত কয়েকদিন ধরে রাজ্যে গণপিটুনিতে মৃ*ত্যুর ঘটনার অভিযোগ দায়ের হয়েছে। রবিবার পর্যন্ত দায়ের হওয়া সেই মামলাগুলির নিষ্পত্তি হবে পুরনো IPC-র ধারা অনুযায়ীই। তবে সোমবার থেকে নয়া ফৌজদারি আইন কার্যকর হয়েছে দেশে। আর এই নয়া ফৌজদারি আইনে এবার গণপিটুনিতে খু*নের সাজা মৃ*ত্যু*দণ্ড।

সোমবার থেকে দেশে কার্যকর হল দেশজুড়ে বলবৎ হলো নতুন তিনটি ফৌজদারি আইন — ভারতীয় ন্যায় সংহিতা (BNS), ভারতীয় নাগরিক সুরক্ষা সংহিতা (BNSS) ও ভারতীয় সাক্ষ্য অধিনিয়ম (BSA)। এর ফলে অতীত হয়ে গেল IPC। একাধিক ধারার পরিবর্তন হয়েছে এই নয়া ফৌজদারি আইনে। সংযোজন হয়েছে নয়া ধারার।

বিদ্বেষপূর্ণ অপরাধের কারণে খু*নের ঘটনায় ন্যূনতম শাস্তি সাত বছর থেকে বাড়িয়ে যাবজ্জীবন কারাদণ্ডের সাজা রয়েছে নয়া ফৌজদারি আইনে। গণপিটুনির ক্ষেত্রে যাবজ্জীবন কারাদণ্ড তো বটেই, মৃ*ত্যু*দণ্ড পর্যন্ত হতে পারে অপরাধীর। প্রথমবারের মতো গণপিটুনি এবং বিদ্বেষপূর্ণ অপরাধে হত্যার ঘটনাকে একটি পৃথক বিভাগের অন্তর্ভুক্ত করা হয়েছে। জাতি, বর্ণ, সম্প্রদায় বা ব্যক্তিগত বিশ্বাসের মতো কারণের উপর ভিত্তি করে পাঁচ বা ততোধিক ব্যক্তির একটি হত্যার ঘটনা ঘটলে তা এই বিশেষ বিভাগের আওতায় পড়বে। এরকম ঘটনায় মামলা হবে ভারতীয় ন্যায় সংহিতার ১০৩ (২) ধারায়।

 #डॉक्टर्स डे : फरिश्ते से कम नहीं होते है डॉक्टर!!- पेशे में व्यावसायिकता हावी है, लेकिन आज भी कुछ डॉक्टर ऐसे हैं, जो न...
01/07/2024

#डॉक्टर्स डे : फरिश्ते से कम नहीं होते है डॉक्टर!!
- पेशे में व्यावसायिकता हावी है, लेकिन आज भी कुछ डॉक्टर ऐसे हैं, जो निस्वार्थ भाव से सेवा करते है।

#अशोक झा, सिलीगुड़ी : डॉक्टर सभी प्रकार की बीमारियों से लड़ते हैं और दूसरों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने का काम करते हैं। यह सुनिश्चित करने में उनका योगदान बहुत बड़ा है कि हम एक अच्छा जीवन जी सकें। वे रोगियों की देखभाल करते हैं, उन्हें आश्वस्त करते हैं, आवश्यक दवाएं देते हैं और सुनिश्चित करते हैं कि रोगी समय के साथ ठीक हो जाए। समाज के प्रति उनकी निस्वार्थ सेवा का हर दिन जश्न मनाया जाना चाहिए और उसका सम्मान किया जाना चाहिए। लोगों के प्रति उनकी सेवा के लिए उनका सम्मान करने के लिए हर साल 'नेशनल डॉक्टर्स डे' मनाया जाता है। डॉक्टर्स धरती पर भगवान का दूसरा रूप होते हैं।

भगवान के इसी अवतार के प्रति सम्मान प्रकट करने के लिए हर वर्ष एक जुलाई को डॉक्टर्स डे मनाया जाता है। इनके बिना स्वस्थ जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है। अमूमन हर किसी के जीवन में ऐसा दुखद क्षण आता है, जब वह बीमारी से पीड़ित हो जाता है। ऐसे समय में यदि आर्थिक संकट हो तो समस्या और भी गंभीर हो जाती है। यह सिर्फ एक प्रोफेशन नहीं बल्कि एक इंसान कि लाइफ लाइन है। देश के सभी डॉक्टर्स के योगदान को ध्यान में रखते हुए साल 1 जुलाई के दिन ‘नेशनल डॉक्टर्स डे’ मनाया जाता है।

ऐसे में आइए जानें क्यों और कैसे हुई थी इस दिन की शुरुआत?: जानकारी के अनुसार, देश में डॉक्टर्स डे मनाने की शुरुआत 1 जुलाई 1991 से की गई थी। यह दिन प्रसिद्ध चिकित्सक शिक्षाविद और बंगाल के दूसरे मुख्यमंत्री डॉ. बिधान चंद्र रॉय के सम्मान में मनाया जाता है। इनका जन्म 1 जुलाई 1882 को बिहार के पटना में हुआ था। सन् 1976 में इन्हें भारत रत्न पुरस्कार से नवाजा गया था। उनके तमाम योगदान को सम्मान देने के लिए हर साल 1 जुलाई का दिन 'डॉक्टर्स डे' के रूप में मनाया जाता है।इस दिन को मनाने का महत्व: इस खास दिन को मनाने के पीछे एक ही कारण है कि देश के सभी डॉक्टर्स जो दिन-रात अपने मरीज की जान बचाने के लिए जुटे रहते हैं उन्हें सम्मानित करना। कोरोना काल में डॉक्टर्स ने जो अपनी भूमिका निभाई है वह किसी से छिपी नहीं है।

इस खास दिन को मनाने के पीछे यही कारण यही है कि उन्हें सम्मानित करना। उन्हें दूसरे के सेवा के लिए प्रेरित करना। डॉक्टर्स के प्रति अपना सम्मान दिखाने के लिए इससे खास दिन और कोई हो नहीं सकता है। वैसे तो इस पेशे में व्यावसायिकता हावी है, लेकिन जिले में आज भी कुछ डॉक्टर ऐसे हैं, जो निस्वार्थ भाव से मरीजों का इलाज करते हैं। उनके लिए फीस नहीं, मरीजों की सेवा मायने रखती है। ऐसे ही एक दंत चिकत्सक है डॉक्टर प्रशांत झा। वे पैसा से ज्यादा रोगी की सेवा में ध्यान देते है।

नक्सलबाड़ी के नूरुल हुदा ने बताया की उनका दुर्घटना में दांतों का हाल बेहाल हो गया था। इलाज के लिए कई डॉक्टरों के पास गया लेकिन काफी पैसा की मांग की गई। इसी बीच मुझे डॉक्टर प्रशांत झा के बारे में पता चला। उनके मोबाइल नंबर 7001441636 से बात होने पर उन्होंने इलाज का ना सिर्फ वादा किया बल्कि कम पैसे में उचित इलाज किया। आज इस दिवस के वास्तविक सम्मान के हकदार है। मेरा तो सभी लोगों से आग्रह है की हाथी मोड़ स्थित डॉक्टर प्रशांत डेंटल हब में जाकर एक बार जरूर जाए। यहां सस्ता और अच्छा इलाज मिलेगा।
रिपोर्ट अशोक झा

 #अब तय सीमा में लोगों को मिलेगा इंसाफ, सामूहिक पि*टाई पर फां**सी तक की सजा!!  #अशोक झा, सिलीगुड़ी: अभी तक आप आईपीसी,सीआ...
01/07/2024

#अब तय सीमा में लोगों को मिलेगा इंसाफ, सामूहिक पि*टाई पर फां**सी तक की सजा!!

#अशोक झा, सिलीगुड़ी: अभी तक आप आईपीसी,सीआरपीसी और इंडियन एविडेंस एक्ट के बारे में सुनते रहे होंगे। लेकिन अब यह इतिहास बन चुके हैं। पहली जुलाई यानी आज से तीन नए आपराधिक कानून लागू हो चुके हैं जिनमें बहुत कुछ बदलाव किया गया है। महिलाओं से जुड़े ज्यादातर अपराधों में पहले से ज्यादा सजा मिलेगी। इलेक्ट्रॉनिक सूचना से भी FIR दर्ज हो सकेगी। कम्युनिटी सेवा जैसे प्रावधान भी लागू होंगे।

20 पॉइंट में जानिए तीनों नए कानून में क्या खास है...एक जुलाई से पहले दर्ज हुए मामलों में नए कानून का असर नहीं होगा. यानी जो केस 1 जुलाई 2024 से पहले दर्ज हुए हैं, उनकी जांच से लेकर ट्रायल तक पुराने कानून का हिस्सा होगी। एक जुलाई से नए कानून के तहत एफआईआर दर्ज हो रही है और इसी के अनुसार जांच से लेकर ट्रायल पूरा होगा।

BNSS में कुल 531 धाराएं हैं। इसके 177 प्रावधानों में संशोधन किया गया है. जबकि 14 धाराओं को हटा दिया गया है. 9 नई धाराएं और 39 उप धाराएं जोड़ी गई हैं। पहले CrPC में 484 धाराएं थीं।भारतीय न्याय संहिता में कुल 357 धाराएं हैं. अब तक आईपीसी में 511 धाराएं थीं। इसी तरह भारतीय साक्ष्य अधिनियम में कुल 170 धाराएं हैं. नए कानून में 6 धाराओं को हटाया गया है. 2 नई धाराएं और 6 उप धाराएं जोड़ी गई हैं. पहले इंडियन एविडेंस एक्ट में कुल 167 धाराएं थीं।

6. नए कानून में ऑडियो-वीडियो यानी इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य पर जोर दिया गया है. फॉरेंसिंक जांच को अहमियत दी गई है। कोई भी नागरिक अपराध के सिलसिले में कहीं भी जीरो FIR दर्ज करा सकेगा। जांच के लिए मामले को संबंधित थाने में भेजा जाएगा. अगर जीरो एफआईआर ऐसे अपराध से जुड़ी है, जिसमें तीन से सात साल तक सजा का प्रावधान है तो फॉरेंसिक टीम से साक्ष्यों की जांच करवानी होगी।

अब ई-सूचना से भी एफआईआर दर्ज हो सकेगी. ह*त्या, लूट या रे*प जैसी गंभीर धाराओं में भी ई-एफआईआर हो सकेगी. वॉइस रिकॉर्डिंग से भी पुलिस को सूचना दे सकेंगे. E-FIR के मामले में फरियादी को तीन दिन के भीतर थाने पहुंचकर एफआईआर की कॉपी पर साइन करना जरूरी होंगे। फरियादी को एफआईआर, बयान से जुड़े दस्तावेज भी दिए जाने का प्रावधान किया गया है. फरियादी चाहे तो पुलिस द्वारा आरोपी से हुई पूछताछ के बिंदु भी ले सकता है।

FIR के 90 दिन के भीतर चार्जशीट दाखिल करनी जरूरी होगी. चार्जशीट दाखिल होने के 60 दिनों के भीतर कोर्ट को आरोप तय करने होंगे। मामले की सुनवाई पूरी होने के 30 दिन के भीतर जजमेंट यानी फैसला देना होगा. जजमेंट दिए जाने के बाद 7 दिनों के भीतर उसकी कॉपी मुहैया करानी होगी। पुलिस को हिरासत में लिए गए शख्स के बारे में उसके परिवार को लिखित में बताना होगा। ऑफलाइन और ऑनलाइन भी सूचना देनी होगी। महिलाओं-बच्चों के खिलाफ होने वाले अपराधों को BNS में कुल 36 धाराओं में प्रावधान किया गया है।

रेप का केस धारा 63 के तहत दर्ज होगा. धारा 64 में अपराधी को अधिकतम आजीवन कारावास और न्यूनतम 10 वर्ष कैद की सजा का प्रावधान है। धारा 65 के तहत 16 साल से कम आयु की पीड़ित से दुष्कर्म किए जाने पर 20 साल का कठोर कारावास, उम्रकैद और जुर्माने का प्रावधान है. गैंगरे*प में पीड़िता यदि वयस्क है तो अपराधी को आजीवन कारावास का प्रावधान है। 12 साल से कम उम्र की पीड़िता के साथ रे*प पर अपराधी को न्यूनतम 20 साल की सजा, आजीवन कारावास या मृ*त्युदंड का प्रावधान है।

शादी का झांसा देकर संबंध बनाने वाले अपराध को रेप से अलग अपराध माना गया है. यानी उसे रे*प की परिभाषा में नहीं रखा गया है।16. पीड़ित को उसके केस से जुड़े हर अपडेट की जानकारी हर स्तर पर उसके मोबाइल नंबर पर एसएमएस के जरिए दी जाएगी. अपडेट देने की समय-सीमा 90 दिन निर्धारित की गई है।

राज्य सरकारें अब राजनीतिक केस (पार्टी वर्कर्स के धरना-प्रदर्शन और आंदोलन) से जुड़े केस एकतरफा बंद नहीं कर सकेंगी. धरना-प्रदर्शन, उपद्रव में यदि फरियादी आम नागरिक है तो उसकी मंजूरी लेनी होगी। गवाहों की सुरक्षा के लिए भी प्रावधान है. तमाम इलेक्ट्रॉनिक सबूत भी कागजी रिकॉर्ड की तरह कोर्ट में मान्य होंगे। मॉब लिंचिंग भी अपराध के दायरे में आ गया है. शरीर पर चोट पहुंचाने वाले अपराधों को धारा 100-146 तक बताया गया है. ह*त्या के मामले में धारा 103 के तहत केस दर्ज होगा।

धारा 111 में संगठित अपराध के लिए सजा का प्रावधान है. धारा 113 में टेरर एक्ट बताया गया है. मॉब लिंचिंग के मामले में 7 साल की कैद या उम्रकैद या फां**सी की सजा का प्रावधान है। चुनावी अपराध को धारा 169-177 तक रखा गया है. संपत्ति को नुकसान, चोरी, लूट और डकैती आदि मामले को धारा 303-334 तक रखा गया है. मानहानि का जिक्र धारा 356 में किया गया है. दहेज ह*त्या धारा 79 में और दहेज प्रताड़ना धारा 84 में बताई गई है।रिपोर्ट अशोक झा

🔴বার্বাডোজে বেরিল, দেশে ট্রফি আনতে দেরি টিম ইন্ডিয়ার!বার্বাডোজে আসছে ভয়ঙ্কর ঘূর্ণিঝড়। যে কারণে বাতিল করা হয়েছে অনেক ফ্ল...
01/07/2024

🔴বার্বাডোজে বেরিল, দেশে ট্রফি আনতে দেরি টিম ইন্ডিয়ার!

বার্বাডোজে আসছে ভয়ঙ্কর ঘূর্ণিঝড়। যে কারণে বাতিল করা হয়েছে অনেক ফ্লাইট। বেরিল ঘূর্ণিঝড়ে আটকে পড়ার সম্ভাবনা রয়েছে ভারতীয় ক্রিকেট দলের। আটকে পড়েছে দক্ষিণ আফ্রিকার ক্রিকেটাররাও। আপাতত বার্বাডোজে টিম হোটেলেই রয়েছেন রোহিতরা।

ন্যাশনাল হারিকেন সেন্টার জানিয়েছে, বেরিল খুবই বিপজ্জনক ঘূর্ণিঝড়। প্রায় ২০০ কিমি গতিবেগে এই ঝড় আসতে পারে। স্থানীয় সময় অনুযায়ী সোমবার সকালে আছড়ে পড়তে পারে এই ঘূর্ণিঝড়। অনেক ক্ষয়ক্ষতির আশঙ্কাও করা হচ্ছে। ফলে দীর্ঘ সময়ের জন্য বন্ধ করে দেওয়া হবে বার্বাডোজ বিমানবন্দর। প্রচুর বিমান বাতিল হয়েছে এবং আরও সম্ভাবনা রয়েছে। এই ঘূর্ণিঝড় যতক্ষণ না কমছে, পরিস্থিতি স্বাভাবিক হচ্ছে, ভারতীয় দলও সেখানে আটকে পড়বে।

ন্যাশনাল হারিকেন সেন্টারের তরফে জানানো হয়েছে, এই ঝড়ের ফলে সমুদ্রপৃষ্ঠ থেকে ৬-৯ ফুট জলস্তর বাড়তে পারে। সমস্ত এলাকায় সতর্কতা জারি করা হয়েছে।

01/07/2024

📌 SRI SRI ACADEMY
Day Boarding & Residential School in Siliguri

A seat of happy learning. A campus of inspired living.

CBSE Affiliated | Hostel for boys and girls Admissions open for 2024-25 - Nursery to Class XII (All Streams)

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🔴দুষ্কৃতীদের শনাক্ত করতে এবার ফেসিয়াল রেকগনিশন সিসি ক্যামেরা বসাচ্ছে পূর্ব রেলের আসানসোল ডিভিশন।রেল যাত্রীদের নিরাপত্তার...
01/07/2024

🔴দুষ্কৃতীদের শনাক্ত করতে এবার ফেসিয়াল রেকগনিশন সিসি ক্যামেরা বসাচ্ছে পূর্ব রেলের আসানসোল ডিভিশন।

রেল যাত্রীদের নিরাপত্তার কথা মাথায় রেখে এবার ফেসিয়াল রেকগনিশন সিসি ক্যামেরা বসাচ্ছে পূর্ব রেলের আসানসোল ডিভিশন।

নির্ভয়া প্রকল্পে এর জন্য এই ডিভিশনের ৫৩টি স্টেশনে বসানো হচ্ছে ৭৩০টি সিসি ক্যামেরা। পূর্ব রেলের মুখ্য জনসংযোগ আধিকারিক কৌশিক মিত্র বলেন, ‘ফেসিয়াল রেকগনিশন সিস্টেমে দুষ্কৃতীদের ছবি আপলোড করা থাকবে। এতে রেলে যাত্রী নিরাপত্তা অনেকটাই বাড়ানো যাবে।’

আসানসোল ডিভিশনের কোনও স্টেশনে কুখ্যাত কোনও দুষ্কৃতী এলে তা আরপিএফ কন্ট্রোলরুমের বিশেষ মনিটর থেকে জানতে পারবেন রেলসুরক্ষা বাহিনীর আধিকারিকরা। মনিটরে ভেসে উঠবে ওই দুষ্কৃতীর মুখ। কন্ট্রোলরুমে বাজতে থাকবে বিশেষ ধরনের অ্যালার্ম। সঙ্গে সঙ্গে তাকে গ্রেপ্তারও করা হবে। এই সিসি ক্যামেরার সঙ্গে যোগ করা হবে বিশেষ সফটওয়্যার।

সেই সফটওয়্যারে আসানসোল ছাড়াও হাওড়া ডিভিশন এবং রাজ্য পুলিশের হেফাজতে থাকা দুষ্কৃতিদের প্রায় সাড়ে চারশো ছবি এখানে আপলোড করা থাকবে।

🔴এবার সেনায় থাকবে কুকুরের আকারের রোবট। আপাতত ২৫ টি রোবটিক কুকুর যোগ দেবে সেনায়।এবার ভারতীয় সেনায় যোগ দেবে চার পায়ের জওয়া...
01/07/2024

🔴এবার সেনায় থাকবে কুকুরের আকারের রোবট। আপাতত ২৫ টি রোবটিক কুকুর যোগ দেবে সেনায়।

এবার ভারতীয় সেনায় যোগ দেবে চার পায়ের জওয়ানরা। তবে এই চারপেয়েরা কোনও পশু নয়। কুকুরের আকারের মাল্টি ইউটিলিটি লেগড ইকুইপমেন্ট বা মিউলস। প্রযুক্তি নির্ভর যুদ্ধের জন্য পালটা দিতে তৈরি ভারতও। সেই কারণেই রোবোটিক মাল্টি ইউটিলিটি লেগড ইকুইপমেন্ট বা মিউলস কিনছে সেনা।

আত্মনির্ভর ভারতী সেনার আধুনিকীকরণে কিনেছে কুকুরের আকারের এমন রোবোটিক মাল্টি ইউটিলিটি লেগড ইকুইপমেন্ট বা মিউলস। এই ধরনের ২৫ টি মিউলসের পরীক্ষা ইতিমধ্যেই সম্পন্ন হয়েছে। খুব শিগগির রোবোটিক কুকুরগুলি সেনাবাহিনীতে যোগ দিতে চলেছে।

ভারত-চিন সীমান্তের মতো কঠিন প্রাকৃতিক পরিবেশে কাজে লাগানো যাবে এই কুকুর। এই কুকুরই বয়ে দেবে মালপত্র। সেই সঙ্গে চালাবে নজরদারিও।

সেনা সূত্রে জানা গিয়েছে যে, কুকুরগুলি সেনার জন্য কার্যকরি হলে এগুলি আরও কেনার সিদ্ধান্ত নেওয়া হবে। দিল্লির এক সংস্থা সেনার জন্য এই রোবোটিক কুকুরগুলি তৈরি করছে বলে জানা গিয়েছে।

রোবোটিক এই কুকুরগুলিতে থার্মাল ক্যামেরা এবং সেন্সর লাগানো রয়েছে। এর মাধ্যমেই নজরদারি চালাবে। অন্যদিকে, দুর্গম ভূখণ্ডে, চরম আবহাওয়ায় শত্রু পক্ষ গা ঢাকা দিয়ে রয়েছে, এমন এলাকায় যেখানে জওয়ানদের পাঠানো ঝুঁকির হতে পারে সেখানে সেনার এই চারপেয়ে সদস্যরা পৌঁছে যাবে।

30/06/2024

⭕ #बागडोगरा के लाल सहीद संजय उरांव के दूसरी पुण्यतिथि पर एक साल की बच्ची एवं बूढ़े माता पिता सहित पत्नी ने फूल चढ़ा नम आंखों से याद किया, मौजूद रहे कई ग्रामवासी ।

30/06/2024

⭕ : होटल में चल रहे देह व्यापार के धंधे का पर्दाफाश ; 3 महिलाओं समेत 6 लोगों की गिरफ्तारी‼️

30/06/2024

⭕ by Authority Sunrise School Principal C.P Saroj at Chota Adalpur regarding .

 #आदिवासियों के आंदोलन को इतिहास में जगह नहीं मिली पर क्या भूल सकते है हूल के नायक भाइयों सिदो-कान्हू को!! #अशोक झा, सिल...
30/06/2024

#आदिवासियों के आंदोलन को इतिहास में जगह नहीं मिली पर क्या भूल सकते है हूल के नायक भाइयों सिदो-कान्हू को!!

#अशोक झा, सिलीगुड़ी : आज हुल दिवस के मौके पर उत्तर बंगाल के आदिवासी क्षेत्र में सिदो-कान्हू की वीरता को याद किया जा रहा है। हर वर्ष 30 जून को इस आंदोलन की याद ताजा की जाती और याद किया जाता है। किस प्रकार आदिवासियों ने अपनी जल-जंगल और जमीन की रक्षा के लिए अंग्रेजों की बंदूक और गो*ली के सामने अपने तीर-धनुष लेकर खड़े हो गए थे और उन्हें शिकस्त भी दी थी। हूल का परिणाम यह हुआ था कि संताल परगना क्षेत्र में एसपीटी एक्ट लागू हुआ और आदिवासियों को लाभ यह मिला कि उनकी जमीन बिकने से बच गई। इस एक्ट के प्रभाव से आदिवासियों की जमीन बेची नहीं जा सकती है।

अंग्रेजों ने हूल के नायक भाइयों सिदो-कान्हू को फांसी की सजा दी थी, जबकि चांद-भैरव के बारे में कहा जाता है कि उन्हें काला-पानी की सजा दी गई. इनकी दो बहन फूलो-झानो ने हूल में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और अंग्रेजों से युद्ध किया. फूलो-झानो के बारे में यह कहा जाता है कि लड़ाई में ये भी शहीद हुईं, लेकिन इससे पहले उन्होंने 21 अंग्रेजों को भी मारा।

हूल आंदोलन के नायक सिदो-कान्हू
आदिवासियों के इस आंदोलन को इतिहास में उस तरह का स्थान नहीं मिला, जैसा कि मिलना चाहिए था. भारत के इतिहास में 1857 के विद्रोह को प्रथम स्वतंत्रता आंदोलन माना जाता है, जबकि सच्चाई यह है कि हूल इससे पहले हुआ था और इसे ही पहला स्वतंत्रता आंदोलन माना जाना चाहिए. रांची के गोस्सनर काॅलेज की प्रोफेसर ईवा मार्ग्रेट हांसदा ने बताया कि आदिवासी स्थानीय महाजनों और जमींदारों की टैक्स वसूली से परेशान थे, जो एक तरह से अंग्रेजों के ही नुमाइंदे थे, आदिवासी इस बात की शिकायत करने कोलकाता के लाट साहब के पास जाना चाहते थे, जब उन्हें रोका गया तो अंग्रेजों का गुस्सा फूटा और आंदोलन हिंसक हो गया।

सरकारी संपत्तियों का नुकसान भी इस आंदोलन में हुआ। अंग्रेजों ने लागू किया था मार्शल लाॅ: अंग्रेजों ने इस युद्ध में मार्शल लाॅ लागू किया और आदिवासियों का एक तरह से नरसंहार हुआ। इस आंदोलन में 60 हजार से अधिक आदिवासी और स्थानीय कामगार भी शामिल हुए थे, जो आदिवासी नहीं थे. हूल में हजारों महिला और बच्चे भी शामिल हुए थे और यह अपने तरह का पहला जनाक्रोश था, जिससे अंग्रेजी शासत बौखला गए थे और इस बात का जिक्र उनके दस्तावेजों में होता है।

इतिहास के पुनर्लेखन की जरूरत : सोशल एक्टिविस्ट वंदना टेटे का कहना है कि हूल को लेकर वर्तमान समाज में भ्रम की स्थिति बनी हुई है। इसलिए जरूरी है कि इतिहास का पुनर्लेखन किया जाए और सही तरीके से बताया जाए कि उस वक्त हुआ क्या था। हूल के केंद्र भोगनाडीह में आदिवासियों का जो महाजुटान हुआ और उन्होंने जिस तरह आक्रोश दिखाया उसका जिक्र इतिहास में सही तरीके से नहीं किया गया। आज जरूरत इस बात की है कि इतिहास का पुनर्लेखन हो।

भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का पहला विद्रोह हूल : आदिवासी समाज के संताल हूल को भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का पहला विद्रोह माना जाता है, लेकिन आज भी इस आंदोलन के बारे में लोगों की जानकारी झारखंड से बाहर बहुत कम ही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आजादी के 75 साल पूरे पर आदिवासियों के आंदोलनों को पहचान दिलाने के लिए 15 नवंबर यानी बिरसा मुंडा की जयंती को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की। साथ ही उन्होंने हूल दिवस के मौके पर संताल के वीरों को श्रद्धांजलि दी, जिसकी वजह से हूल दिवस को झारखंड के बाहर भी पहचान मिली।

पर्यटन को बढ़ावा देकर भी संभव है नायकों का सम्मान आदिवासी समाज के प्रबुद्ध लोग इतिहास के पुनर्लेखन की बात करते हैं, साथ ही यह जरूरी भी है कि अपने इस आंदोलन की जानकारी देने के लिए उन इलाकों में पर्यटन को बढ़ावा दिया जाए ताकि जब पर्यटक उन ऐतिहासिक जगहों पर जाएं तो उन्हें हूल की सही जानकारी और इस लड़ाई के नायक-नायिकाओं के बारे में जानकारी मिले।अंग्रेजों के अत्याचार और उसके खिलाफ आक्रोश की जानकारी मिले, जिसका अभी सख्त अभाव दिखता है।

भोगनाडीह साहिबगंज जिले में पड़ता है. यहां की प्राकृतिक सुंदरता और ऐतिहासिक स्मारकों और स्थानों को पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने की काफी संभावना है। लेकिन प्रयास उस तरह से नहीं हुए हैं, जिस तरह से होने चाहिए थे. अगर यह संभव हुआ तो झारखंड को राजस्व का भी लाभ मिलेगा और नायकों को सम्मान भी मिलेगा. हूल के लिए जिस स्थान पर सभा हुई, जहां से सिदो-कान्हू को पकड़ा गया, जहां फांसी हुई ये सभी स्थल ऐतिहासिक महत्व के हैं और लोगों को आकर्षित भी करेंगे. जिस मार्ग से कोलकाता के लिए कूच हुआ, जहां नरसंहार हुआ सबकुछ. मार्टिलो टावर जिसके जिसके जरिए आदिवासियों का नरसंहार हुआ और जिसे अंग्रेजों ने एक रात में तैयार किया था। रिपोर्ट अशोक झा

 #बेसरबाटी की मुखिया अनुपम ठाकुर पर जानलेवा ह*मला!!- जिंदगी और मौ*त के बीच जूझ रही एमजीएम में, भाजपा में रोष!!  #अशोक झा...
30/06/2024

#बेसरबाटी की मुखिया अनुपम ठाकुर पर जानलेवा ह*मला!!
- जिंदगी और मौ*त के बीच जूझ रही एमजीएम में, भाजपा में रोष!!

#अशोक झा, सिलीगुड़ी : पड़ोसी राज्य बिहार के ठाकुरगंज प्रखंड स्थित बेसरबाटी पंचायत की मुखिया श्रीमती अनुपम ठाकुर पर बीती रात जानलेवा ह*मला किया गया। वह जिंदगी और मौ*त से जूझ रही है। वह मुखिया के साथ किशनगंज जिला भाजपा महिला मोर्चा की अध्यक्ष भी है। इस घटना के बाद जिला भाजपा और समर्थकों में पूरा रोष है। भाजपा के जिलाध्यक्ष सुशांत गोप और राज्य के मंत्री दिलीप जायसवाल ने इस घटना की तीव्र निंदा की है।

घटना में लिप्त सभी अपराधियों की तत्काल गिरफ्तारी के साथ उसे सख्त सजा दिलाने की मांग की गई है। बताया जाता है की मुखिया का पति विमलेश ठाकुर कटिहार में प्रधान शिक्षक की परीक्षा देने गए हुए है। परिवार के अभिभावक उमेश ठाकुर ने बताया की घायल मुखिया अभी कुछ भी बोल पाने की स्थिति में नहीं है। जब वह पूरी तरह होश में आएगी तभी पूरी घटना पर उनके द्वारा प्रकाश डाला जा सकेगा। जो जानकारी मिली है उसके अनुसार शनिवार की देर शाम मुखिया अपने क्षेत्र से घर लौट रही थी। कुर्लिकोर्ट थाना के पीछे घात लगाए चार पांच हथियार बंद लोगों ने ह*मला कर दिया।

लोहे के रॉड से माथे पर ताबड़तोड़ ह*मला किया गया है। मरा हुआ समझकर वहां से हमलावर भाग गए। स्थानीय लोगों की मदद से उन्हे पहले ठाकुरगंज अस्पताल और फिर किशनगंज एमजीएम ले जाया गया है। माथे पर 13 स्टिच लगाया गया है। इस घटना को लेकर चर्चा शुरू हो गई है की यह राजनीतिक द्वेष के कारण हमला है। मुखिया अनुपम किसी भी आंदोलन और घटना से अग्रणी भूमिका निभाते देखी गई है। वह जवलंत समस्याओं को लेकर सड़क से अधिकारियों तक सक्रिय रहती थी।

एक जुझारू छवि बना रही मुखिया से क्षेत्र ही नहीं प्रखंड स्तर के राजनेताओं में स्पर्धा बनने लगी थी। कहा तो यह भी जा रहा है की वह आने वाले दिनों में महिला आरक्षण के कारण विधायक की उम्मीदवार भी बन सकती थी। अपने क्षेत्र में घायल मुखिया दलालों की एक नही चलने दे रही थी। अब देखना होगा की इस हमले के पीछे कौन है जो सीमांचल में हिंसक राजनीति को जन्म देकर यहां का माहौल बिगाड़ने में लगा है। पुलिस अभी कुछ भी नहीं कर पा रही है वह मामले की जांच में जुटी है।

 #कल से अग्रेजों के बनाए तीन कानून से होगी मुक्ति, बंगाल में विरोध!! #अशोक झा, सिलीगुड़ी: भारतीय न्याय संहिता, भारतीय ना...
30/06/2024

#कल से अग्रेजों के बनाए तीन कानून से होगी मुक्ति, बंगाल में विरोध!!

#अशोक झा, सिलीगुड़ी: भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम ब्रिटिश काल के क्रमश: भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम का स्थान लेंगे। तीन नए आपराधिक कानून 1 जुलाई, 2024 से लागू हो रहे हैं, यानी सोमवार (1 जुलाई) से देश में नए कानून लागू होंगे। तीनों नए कानून वर्तमान में लागू ब्र‍िट‍िश काल के भारतीय दंड संहिता, आपराध‍िक प्रक्रिया संहिता और 1872 के भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह लेने वाले हैं।।तीनों नए कानून भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम कहे जाएंगे, जो क्रमश: भारतीय दंड संहिता (1860), आपराधिक प्रक्रिया संहिता (1898) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (1872) का स्थान लेंगे।।

कानूनों में प्रभावी होने के साथ ही इनमें शामिल धाराओं का क्रम भी बदल जाएगा। आइये जानते हैं आईपीसी की कुछ अहम धाराओं के बदलाव के बारे में? नए कानून में इन्हें किस क्रम में रखा गया है? वे पहले किस स्थान पर थीं? पहले जानते हैं कि भारतीय न्याय संहिता में क्या बदला है?
भारतीय दंड संहिता में 511 धाराएं थीं, लेकिन भारतीय न्याय संहिता में धाराएं 358 रह गई हैं। संशोधन के जरिए इसमें 20 नए अपराध शामिल किए हैं, तो 33 अपराधों में सजा अवधि बढ़ाई है। 83 अपराधों में जुर्माने की रकम भी बढ़ाई है। 23 अपराधों में अनिवार्य न्यूनतम सजा का प्रावधान है। छह अपराधों में सामुदायिक सेवा की सजा का प्रावधान किया गया है।

अब जानते हैं अहम धाराओं में बदलाव
धारा 124: आईपीसी की धारा 124 राजद्रोह से जुड़े मामलों में सजा का प्रावधान रखती थी। नए कानूनों के तहत 'राजद्रोह' को एक नया शब्द 'देशद्रोह' मिला है यानी ब्रिटिश काल के शब्द को हटा दिया गया है। भारतीय न्याय संहिता में अध्याय 7 में राज्य के विरुद्ध अपराधों कि श्रेणी में 'देशद्रोह' को रखा गया है।
धारा 144: आईपीसी की धारा 144 घातक हथियार से लैस होकर गैरकानूनी सभा में शामिल होना के बारे में थी। इस धारा को भारतीय न्याय संहिता के अध्याय 11 में सार्वजनिक शांति के विरुद्ध अपराध की श्रेणी में रखा गया है। अब भारतीय न्याय संहिता की धारा 187 गैरकानूनी सभा के बारे में है।

धारा 302: पहले किसी की हत्या करने वाला धारा 302 के तहत आरोपी बनाया जाता था। हालांकि, अब ऐसे अपराधियों को धारा 101 के तहत सजा मिलेगी। नए कानून के अनुसार, हत्या की धारा को अध्याय 6 में मानव शरीर को प्रभावित करने वाले अपराध कहा जाएगा।धारा 307: नए कानून के अस्तित्व में आने से पहले हत्या करने के प्रयास में दोषी को आईपीसी की धारा 307 के तहत सजा मिलती थी। अब ऐसे दोषियों को भारतीय न्याय संहिता की धारा 109 के तहत सजा सुनाई जाएगी। इस धारा को भी अध्याय 6 में रखा गया है।धारा 376: दुष्कर्म से जुड़े अपराध में सजा को पहले आईपीसी की धारा 376 में परिभाषित किया गया था। भारतीय न्याय संहिता में इसे अध्याय 5 में महिलाओं और बच्चों के विरुद्ध अपराध की श्रेणी में जगह दी गई है। नए कानून में दुष्कर्म से जुड़े अपराध में सजा को धारा 63 में परिभाषित किया गया है। वहीं सामूहिक दुष्कर्म को आईपीसी की धारा 376 डी को नए कानून में धारा 70 में शामिल किया गया है।

धारा 399: पहले मानहानि के मामले में आईपीसी की धारा 399 इस्तेमाल की जाती थी। नए कानून में अध्याय 19 के तहत आपराधिक धमकी, अपमान, मानहानि, आदि में इसे जगह दी गई है। मानहानि को भारतीय न्याय संहिता की धारा 356 में रखा गया है।धारा 420: भारतीय न्याय संहिता में धोखाधड़ी या ठगी का अपराध 420 में नहीं, अब धारा 316 के तहत आएगा। इस धारा को भारतीय न्याय संहिता में अध्याय 17 में संपत्ति की चोरी के विरूद्ध अपराधों की श्रेणी में रखा गया है।

सीआरपीसी और साक्ष्य अधिनियम में क्या बदलाव?
दंड प्रक्रिया संहिता यानी सीआरपीसी की जगह अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता ने ले ली है। सीआरपीसी की 484 धाराओं के बदले भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में 531 धाराएं हैं। नए कानून के तहत 177 प्रावधान बदले गए हैं जबकि नौ नई धाराएं और 39 उपधाराएं जोड़ी हैं। इसके अलावा 35 धाराओं में समय सीमा तय की गई है।

वहीं, नए भारतीय साक्ष्य अधिनियम में 170 प्रावधान हैं। इससे पहले वाले कानून में 167 प्रावधान थे। नए कानून में 24 प्रावधान बदले हैं।
बंगाल में नए कानून का होगा विरोध, मनाया जायेगा काला दिवस: पश्चिम बंगाल बार काउंसिल ने केंद्र द्वारा तीन नए आपराधिक कानूनों के कार्यान्वयन के खिलाफ 1 जुलाई को 'काला दिवस' विरोध घोषित किया, जो भारतीय दंड संहिता, साक्ष्य अधिनियम और आपराधिक प्रक्रिया संहिता की जगह लेंगे।

प्रस्ताव के अनुसार, परिषद के सदस्य 1) ​​भारतीय न्याय संहिता, 2023 2) भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 और 3) भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 के संबंध में अपने सर्वसम्मत विचार व्यक्त करते हैं, ये तीनों अधिनियम जनविरोधी, अलोकतांत्रिक, क्रूर हैं और आम लोगों को बहुत कठिनाई का सामना करना पड़ेगा, पश्चिम बंगाल बार काउंसिल ने कोई अन्य विकल्प न पाकर इन तीनों जनविरोधी अधिनियमों के खिलाफ अपना विरोध जोरदार तरीके से उठाया।

वही दूसरी ओर इस कानून को लागू करने के लिए छह लाख से ज्यादा लोगों को दी गई ट्रेनिंग दी गई है। केंद्र सरकार के सूत्रों के मुताबिक राष्ट्रीय आपराधिक रिकॉर्ड ब्यूरो और पुलिस अनुसंधान ब्यूरो के साथ-साथ राष्ट्रीय सूचना संचार सेवा ने भी राज्य सरकारों के साथ मिलकर पुलिस अधिकारियों, न्यायिक अधिकारियों और इससे जुड़ी सेवाओं के सवा छह लाख से ज्यादा लोगों को नए नियमों की ट्रेनिंग दी है. बीते छह महीनों में इन प्रशिक्षु अधिकारियों को नए जमाने और तकनीक के साथ जांच के नए औजारों और सुविधाओं के साथ पुख्ता सबूत जुटाने की ट्रेनिंग सक्षम और दक्ष ट्रेनरों ने दी है।

सभी राज्य सरकारों और केंद्रशासित प्रदेशों के न्याय और गृह विभाग, कारागारों, अभियोजन अधिकारियों, कानून के छात्रों, शिक्षा विभाग, महिला और बाल विकास विभाग, सहकारिता और ग्रामीण विकास विभाग के साथ पुलिस रिकॉर्ड से जुड़े अधिकारियों कर्मचारियों को इन संहिताओं, कानून की जटिलताओं और उनसे सरलता और सहजता से निपटने के तकनीकी स्रोतों की जानकारी और प्रशिक्षा दी गई. इस कार्य में विज्ञान प्रोद्योगिकी, संचार, पंचायती राज मंत्रालयों के विशेषज्ञों ने भी अपनी भूमिका निभाई।

फोटोग्राफी से लेकर सबूत जुटाने की दी गई ट्रेनिंग: इनको बताया गया कि कैसे अपराध के स्थान की फोटोग्राफी, वीडीयोग्राफी करनी है, साक्ष्य कैसे जुटाने हैं, इनमें तकनीक के जरिए अचूक तरीका कैसा होना चाहिए, बयान दर्ज करने में भी तकनीक का प्रयोग और मानवाधिकारों का ध्यान सर्वोपरि रूप से रखने आदि का प्रशिक्षण दिया गया। इसके अलावा एनआईसी ने जो ई कोर्ट्स के लिए न्याय श्रुति, ई साक्ष्य और ई समन जैसे मोबाइल ऐप विकसित किए हैं उनके सहजता और कुशलता से इस्तेमाल की भी ट्रेनिंग दी गई. इन सबके लिए विकसित कोर्स के ढाई सौ से ज्यादा सत्र वेबिनार सेमिनार के जरिए आयोजित किए गए. इनमें करीब 50 हजार लोगों को प्रशिक्षित किया गया।

फिर इन लोगों ने अपने सहयोगी और ग्राउंड वर्कर्स को ट्रेंड किया। जागरूकता सेमिनार से जुड़े 40 लाख से ज्यादा लोग: इन कानून और संहिताओं से जुड़े तीन प्रशिक्षण कोर्स में ही करीब ढाई लाख अधिकारियों ने नामांकन कराया है। आम नागरिकों को इन नए कानूनों के प्रति जागरूक बनाने के लिए आयोजित वेबिनार सेमिनार में 40 लाख से ज्यादा लोगों ने प्रत्यक्ष या वीसी के जरिए जुड़ कर प्रशिक्षण लिया। इसके अलावा पीआईबी और सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने भी देश के नागरिकों के लिए वार्तालाप सीरीज का आयोजन 17 बार किया।

'नए कानूनों के साथ आएंगी नई चुनौतियां': अब इनका कितना असर हुआ इसकी जानकारी तो एक जुलाई के बाद से मिलना शुरू होगी क्योंकि कानून के कई दिग्गज जानकारों ने इन संहिताओं में मौजूद गंभीर खामियों के प्रति सरकार और समाज को बताया था।सुप्रीम कोर्ट में वकील समर सिंह के मुताबिक न्यायविदों के सुझाव और अपत्तियों पर अब तक तो कोई कंक्रीट समाधान नहीं हुआ है. शायद जब आगे समस्याएं सामने आएंगी तब कुछ किया जा सके. क्योंकि नए कानूनों के साथ नई चुनौतियां भी सामने आएंगी।

कानून लागू होने से पहले सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मामला: तीन नए आपराधिक कानून लागू होने से तीन दिन पहले मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. फिलहाल तीनों कानूनों के लागू करने पर रोक लगाने की मांग की गई है. याचिका में मांग की गई है कि सुप्रीम कोर्ट विशेषज्ञों की समिति का गठन कर इन तीनों विधि संहिताओं का विस्तृत अध्ययन कराए ताकि इनमें मौजूद दोषों का समुचित परिष्कार हो जाए. तब तक इनके क्रियान्वयन पर रोक लगाने की गुहार लगाई गई है। पिछले साल 25 दिसंबर को संसद के दोनों सदनों से पारित इन तीनों संहिताओं के विधेयक पर राष्ट्रपति ने दस्तखत कर दिए थे. लेकिन सरकार ने इनको एक जुलाई से लागू करने की अधिसूचना जारी की थी। सुप्रीम कोर्ट में अंजली पटेल और छाया मिश्रा ने यह जनहित याचिका दायर की है। रिपोर्ट अशोक झा

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