Pankaj kumar

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बसपा नेता बनाने की फ़ैक्ट्री है? कैसे? जैसे पूरे भारतीय उपमहाद्वीप की खुदाई की जाए तो हर कण-कण में बौद्ध संस्कृति के निश...
16/05/2024

बसपा नेता बनाने की फ़ैक्ट्री है? कैसे?

जैसे पूरे भारतीय उपमहाद्वीप की खुदाई की जाए तो हर कण-कण में बौद्ध संस्कृति के निशान मिलेंगे।पूरा भारत बौद्धमय मिलेगा।
ठीक वैसे ही जब आप उत्तर प्रदेश की राजनीति की खुदाई करेंगे तो सब जगह बसपा के ही पूर्व नेता नए लिबास में मिलेंगे।बसपा के लिए मान्यवर की लोक प्रचलित उक्ति सटीक है- “बसपा नेता बनाने की फ़ैक्ट्री है।” यूपी में तो ये हालत है सपा, भाजपा, कांग्रेस के पास 60-70% ज़िला स्तर से लेकर राज्य व राष्ट्रीय स्तर के नेताओं की जननी बसपा है।

मेघालय के गवर्नर फागू चौहान हो या केरल के गवर्नर आरिफ़ मोहम्मद खान सबका अतीत बसपा का रहा है।उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक भी बसपा से लोकसभा और राज्यसभा सांसद रहे हैं।अनुप्रिया और पल्लवी के पिताजी सोने लाल पटेल बसपा के संस्थापक सदस्य थे।वर्तमान समय में उत्तर प्रदेश सरकार में पिछड़ा वर्ग मंत्री नरेंद्र कश्यप बसपा से राज्य सभा सांसद और राष्ट्रीय महासचिव रह चुके हैं।उत्तर प्रदेश सरकार में गन्ना विकास मंत्री चौधरी लक्ष्मी नारायण, मंत्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी भी बसपा के रहे हैं।ओम प्रकाश राजभर तो वाराणसी में बसपा ज़िलाध्यक्ष हुआ करते थे।रजनी तिवारी शाहाबाद से पहली बार बसपा ने विधायक बनाया आज मंत्री हैं। स्वामी प्रसाद मौर्य, धर्म सिंह सैनी, दारा सिंह चौहान सरीखे नेता सब बसपाई थे।बसपा फ़्रेशर और इंटर्न नेताओं की वो पहली कंपनी है जहां से सबकुछ सीख कर कर्मचारी नई कंपनी तलाश लेता है।
ये काम मान्यवर कांशीराम के दौर से चल रहा है।आज सपा बसपा के जितने भी छोटे बड़े नाम हैं उनमें ज़्यादातर वो चेहरे हैं जिन्होंने राजनीति का क,ख,ग, बसपा से सीखा है।

इस बार के लोकसभा चुनाव में सपा के उम्मीदवार जिनका बसपा का अतीत रहा है।

इस बार सपा के ज़्यादातर प्रत्याशी बसपा से आयातित हैं।
1.कैराना इकरा हसन की मॉं तबस्सुम हसन 2009 में बसपा सांसद
2.मुरादाबाद रुचि वीरा 2019 में आँवला से बसपा प्रत्याशी
3.संभल ज़ियाउर्रहमान के दादा शफीकुर्रहमान बर्क 2009 में बसपा सांसद
4.मेरठ सुनीता वर्मा के पति 2007 में बसपा विधायक
5.बागपत अमरपाल शर्मा बसपा विधायक
6.आँवला नीरज मौर्या दो बार बसपा विधायक
7.अकबरपुर राजाराम पाल पूर्व बसपा सांसद
8.अंबेडकरनगर लालजी वर्मा पूर्व मंत्री बसपा
9.बहराइच रमेश गौतम पूर्व बसपा ज़िलाध्यक्ष
10.श्रावस्ती रामशिरोमणि वर्मा पूर्व सांसद बसपा
11.डुमरियागंज भीष्म शंकर तिवारी पूर्व मंत्री बसपा
12.जौनपुर बाबू सिंह कुशवाहा पूर्व मंत्री बसपा
13.ग़ाज़ीपुर अफ़ज़ाल अंसारी पूर्व सासंद बसपा
14.मोहनलाल गंज आर के चौधरी बसपा पूर्व विधायक
15.चंदौली वीरेंद्र सिंह पूर्व विधायक बसपा
16.बस्ती रामप्रसाद चौधरी पूर्व मंत्री बसपा

2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा से जीते हुए ज़्यादातर विधायक बसपा के थे।

1-नकुड धर्म सिंह सैनी
2-छाता चौधरी लक्ष्मी नारायण
3-बिसौली कुशाग्र सागर के पिता योगेन्द्र सागर
4-बिल्सी राधा कृष्ण शर्मा
5-मीरगंज डीसी वर्मा
6-नवाबगंज केसर सिंह
7-पीलीभीत संजय गंगवार
8-तिलहर रोशन लाल वर्मा
9-पलिया रोमी साहनी
10-धौरहरा बाला प्रसाद अवस्थी
11-शाहाबाद रजनी तिवारी
12-स्वामी प्रसाद मौर्य
13- दारा सिंह चौहान
14- ब्रजेश पाठक

बसपा एकमात्र पार्टी है जो भारतीय लोकतंत्र के लोकतांत्रिक मूल्यों पर चलती है।जो किसी पूँजीपति धन्नासेठ से चंदा नहीं लेती।बसपा ने अपने पहले इलेक्शन से आजतक किसी भी ग़रीब शोषित को पकड़कर नेता बना दिया है।वो अलग बात है कि बसपा के साथ प्रोपेगैंडा और विश्वासघात सबसे ज़्यादा हुआ है।

सपा, कांग्रेस, भाजपा आजतक नेता नहीं बना पाई।सबको बसपा से आयात करने पड़े।मगर बसपा वो पार्टी है कि एक जाता है तो कोई नया नेता बसपा बना देती है।

“बहनजी” क्या हैं?  सबको पढ़ना चाहिए।भारतीय राजनीति में सर्वाधिक प्रौपेगैंडा बसपा के ख़िलाफ होता है।बसपा की स्थापना से ले...
14/05/2024

“बहनजी” क्या हैं? सबको पढ़ना चाहिए।

भारतीय राजनीति में सर्वाधिक प्रौपेगैंडा बसपा के ख़िलाफ होता है।बसपा की स्थापना से लेकर अभी तक ये सिलसिला चल रहा है।बहनजी के ऊपर विपक्षी ‘बी टीम’ होने का आरोप लगाते हैं।बहनजी बहुत दबे कुचले दलित वर्ग के एक सामान्य गरीब परिवार से निकलकर संघर्ष के दम पर देश के सबसे बड़े राज्य की चार-चार बार मुख्यमंत्री रही हैं।ये कोई साधारण बात नहीं है।ये भारतीय लोकतंत्र की असाधारण घटना और चमत्कार है।

बहनजी उसूल पसंद, स्वाभिमानी और ईमानदार राजनेता हैं।आज के दौर में जब सत्ता सुख के लिए राजनैतिक दल क्या-क्या नहीं करते तब बहनजी ने सत्ता सुख को हमेशा ठुकराया है।एक-एक दो-दो विधायक सासंद वाले दल ख़ूब सत्ता सुख भोग रहे हैं लेकिन बहनजी बहुजन आंदोलन में निरंतर संघर्षरत हैं।बहनजी जैसे राजनेता भारतीय राजनीति में नगण्य ही हैं।

“बहनजी” की राजनैतिक जीवनयात्रा को समझिए-

1.यदि बहनजी चाहतीं तो उन्हें भाजपा और कांग्रेस दोनों दल राष्ट्रपति तक बना देते और अभी भी बना देंगे यदि चाहें लेकिन बहनजी ने कभी समझौता नहीं किया।राष्ट्रपति पद का प्रस्ताव लेकर अटल बिहारी वाजपेयी मान्यवर कांशीराम जी के पास एक बार गए थे तो मान्यवर ने कहा था कि हम इस देश के बहुजनों को राष्ट्रपति नहीं प्रधानमंत्री बनते हुए देखना चाहते हैं।
2.बहनजी ने कभी भी केंद्र की किसी भी सरकार में मंत्रीपद हासिल नहीं किया।कांग्रेस सरकार को भी बाहर से ही समर्थन दिया था।जबकि मुलायम सिंह जिस जनता दल से पहली बार 1989 में मुख्यमंत्री बने उस जनता दल ने 1989 में भाजपा के सहयोग से केंद्र में सरकार बनाई थी।ममता बनर्जी अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में रेलवे मंत्री थीं।फारूक अब्दुल्ला के बेटे उमर अब्दुल्ला मंत्री थे। आज ये सब इंडी गठबंधन में हैं।इन सबको सेक्युलरिज़्म की चिंता है।
3.बहनजी ने आजतक कभी भी भाजपा से प्री पोल एलाइंस नहीं किया है।जबकि शिवसेना जैसे दल नेचुरल अलाई रहे हैं और आज वो इंडी में शामिल होकर सेक्युलरिज़्म बचा रहे हैं।
4.आज मामूली विधायक बनने के लिए भी आदमी जुगाड़ लगाता है।रालोद के चौधरी अजीत सिंह और जयंत, लोजपा के रामविलास, रामदास अठावले, अनुप्रिया पटेल, संजय निषाद, ओमप्रकाश राजभर,महबूबा मुफ़्ती समेत ज़्यादातर दल भाजपा के साथ सुख भोगते रहे हैं।जबकि बहनजी 3 जून 1995 को पहली बार मुख्यमंत्री बनती हैं और 4.5 महीने के अंतराल में ही भाजपा की नीतियों से तंग आकर 18 अक्टूबर 1995 को स्वयं मुख्यमंत्री पद से इस्तीफ़ा देकर सत्ता को लात मार देती हैं।
5.बहनजी चाहतीं तो जनता दल यूनाइटेड के नीतीश कुमार की तरह भाजपा से गठबंधन करके उत्तर प्रदेश की आजीवन मुख्यमंत्री रह सकतीं थीं।सपा कांग्रेस का हमेशा के लिए यूपी से वजूद ख़त्म कर देती लेकिन उन्हें सत्ता सुख से ज़्यादा सम्मान स्वाभिमान और बहुजन मूवमेंट प्यारा है।
6.बहनजी ने केंद्र में 17 अप्रैल 1999 को एक वोट से भाजपा की अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार गिरा दी थी।
7.बहनजी ने दलित उत्पीड़न से दुखी होकर 2017 में राज्यसभा की सांसदी से इस्तीफ़ा दे दिया था।
8.बहनजी ने आजतक किसी पार्टी के विधायक तोड़कर सरकार नहीं बनाई जबकि मुलायम सिंह ने 2003 में बसपा के विधायकों को तोड़कर सरकार बनाई थी।

देश का बहुजन समाज भाग्यशाली है कि उसके पास बहनजी जैसा ईमानदार, उसूल पसंद स्वाभिमानी नेतृत्व है। बहनजी को जब-जब सत्ता मिली उन्होंने हमेशा दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यकों को आगे बढ़ाया।उनका मान सम्मान और स्वाभिमान सुरक्षित रखा।

इस विषय पर आपके क्या विचार हैं?

दलित बहुजनों सतर्क और सावधान।इंडी गठबंधन द्वारा सोची समझी साज़िश और रणनीति के तहत ये चुनाव दलित बहुजन लीडरशिप को ख़त्म क...
14/05/2024

दलित बहुजनों सतर्क और सावधान।

इंडी गठबंधन द्वारा सोची समझी साज़िश और रणनीति के तहत ये चुनाव दलित बहुजन लीडरशिप को ख़त्म करने और बहुजन आंदोलन को बर्बाद करने के लिए लड़ा जा रहा है।ये लोग मुसलमानों को भाजपा का डर दिखाकर पहले ही बर्बाद कर चुके हैं।आज मुसलमान इनके यहाँ दरी बिछाता है।अब ये लगातार दलितों को संविधान और आरक्षण ख़त्म करने का डर दिखाकर दलित लीडरशिप को ख़त्म करना चाहते हैं।इनकी मंशा है कि अगर दलित लीडरशिप ख़त्म हो गई तो फिर दलित भी मुसलमान की तरह इनका बंधुआ वोटर हो जाएगा।

इस बात के पीछे मेरे निम्नलिखित तर्क हैं-
1.इन्होंने गठबंधन में दलितों की किसी भी राष्ट्रीय स्तर या राज्य स्तर की पार्टी को शामिल नहीं किया है।
2.चुनाव घोषणा के समय से लगातार एक ही रट संविधान बदल दिया जाएगा।जबकि भाजपा की 10 साल से पूर्ण बहुमत की सरकार है।
3.सामान्य सीटों पर भी जातीय समीकरण ना होते हुए भी दलित प्रत्याशी खड़े किए हैं।
4.पहली बार खुलकर बसपा पर आक्रामकता के साथ हमला कर रहे हैं।
5.आरक्षण ख़त्म होने का मिथ्या प्रचार कर रहे हैं।
6.प्रत्येक चुनावी जनसभा में गांधी, नेहरू, लोहिया को छोड़कर बड़े स्तर पर बाबा साहब बाबा साहब जय भीम जय भीम कर रहे हैं।
7.बसपा के कई पूर्व घोषित प्रत्याशियों के ख़िलाफ बसपा प्रत्याशी की बिरादरी का कैंडिडेट दे दिया।उदाहरण बसपा ने कैसरगंज में ब्राह्मण नरेंद्र पांडेय को टिकट दिया तो सपा ने बसपा के बाद ब्राह्मण भगत राम मिश्रा को टिकट दिया।बसपा ने सहारनपुर और अमरोहा में मुस्लिम दिया तो कांग्रेस ने भी वहाँ बाद में मुस्लिम उतार दिया।बसपा ने रामपुर में पहले मुस्लिम दिया तो बाद में वहाँ सपा ने भी मुस्लिम उतार दिया।
8.सपा द्वारा बाबा साहब अंबेडकर वाहिनी का निर्माण किया गया।
9.सपा द्वारा बहुजन PDA के बैनर तहत चुनाव लड़ना।

बाबा साहब भीमराव अंबेडकर, बहुजन नायक मान्यवर कांशीराम और सामाजिक परिवर्तन की महानायिका बहन कुमारी मायावती जी के अथक संघर्ष और परिश्रम से राष्ट्रीय स्तर पर दलित नेतृत्व पूरे मान सम्मान स्वाभिमान के साथ खड़ा है।यदि ज़रा सी भी चूक होती है तो फिर उस ग़लती की भरपाई करने में बहुत समय लगेगा………।

इन दोनों पार्टियों ने अतीत में बाबा साहब का अपमान किया. कांगेस ने उनको भारत रत्न नहीं दिया. संसद में उनकी फोटो नहीं लगने...
11/05/2024

इन दोनों पार्टियों ने अतीत में बाबा साहब का अपमान किया. कांगेस ने उनको भारत रत्न नहीं दिया. संसद में उनकी फोटो नहीं लगने दी. अखिलेश सरकार ने भीम नगर जिले का नाम संभल कर दिया. इतिहास की चोट देखिए. बाबा साहब इनके सिर पर चढ़ गए.

बाबा साहब में है दम.
तो प्रेम से बोलिए - जय भीम

मान लीजिये कि मान्यवर कांशीराम को किसी भाषण में गलत शब्द इस्तेमाल करने के मामले मे 1975-80 वाले दौर में 5 -7 साल कोर्ट क...
08/05/2024

मान लीजिये कि मान्यवर कांशीराम को किसी भाषण में गलत शब्द इस्तेमाल करने के मामले मे 1975-80 वाले दौर में 5 -7 साल कोर्ट कचेहरी मे उलझाकर जेल मे डाल देते, तो बताइये आज देश में कितने अम्बेडकरवादी, मिशनरी, क्रांतिकारी उनकी जगह कोई कांशीराम साहेब बनकर उभर सकता था। क्या बहनजी भी बिना कांशीराम साहेब जैसे मैंटर के राजनीति में आ सकती थी, वो तो वैसे भी सिविल की तैयारी कर रही थी। अगर आप का जवाब हाँ हैं तो फिर आज तक कितने कांशीराम पैदा हो पाए हैं, सोचियेगा जरूर।

दलाल लाखो पैदा हो सकते हैं, अपनी सीट के लिए इधर उधार माथा टेकने वाले नेता तो लाखो पैदा हो जायेंगे, क्या कोई मायावती पैदा हो सकती है जिनको पिछले 40 - 45 साल की राजनीति में कोई मंत्रीपद से भी नहीं खरीद पाया। साल मे 3 जगह अपने छोटे छोटे लालचों में बिकने वाले नेता जब बहनजी को बदनाम करते हैं तो समझ लेना चाहिये कि इनमें भी मौकापरस्ती का चस्का लग चुका हैं, मिशन विशन जाये भाड़ में। सदियों में कोई एक मायावती बहन जी बन पाती हैं, सदियों मे कोई एक कांशीराम मान्यवर बन पाता है। जब सदियों में कोई एक आध मान्यवर और बहन जी की तरह बना हैं तब जाकर कांरवा लोग बाबा साहेब डॉ अम्बेड़कर को थोड़ा थोड़ा समझ पाए है। इनके फैसलों के पीछे कोई बड़ा कारण ही होता हैं, आकाश आनंद के फैसले के पीछे भी कारण है जो समय और परिस्थितियों के अनुसार लिया है।

जिसको भागना है वो भाग जाओं, चुनावों के बाद तुम लोगो की अक्ल का आंकलन मीडिया चुनावी परिणाम के आंकड़ों माध्यम से बता भी देता हैं कि इन लोगों मे आजादी के 77 सालो बाद भी सत्ता का महत्व और सत्ता की ताकत का कितना पता हैं। आरोप लगाओ, नाचो गाओ , फिलहाल तो चुनावों मे फ्री खाने पिलाने वाले भी मिल ही जायेंगे लेकिन बाद में क्या?

सम्राट अशोक की छवि को धूमिल करना संस्कृतिकरण का अहम हिस्सा है. धम्म अशोक या धर्म अशोक को चण्ड अशोक की अवधारणा गड़ी जा रह...
08/05/2024

सम्राट अशोक की छवि को धूमिल करना संस्कृतिकरण का अहम हिस्सा है. धम्म अशोक या धर्म अशोक को चण्ड अशोक की अवधारणा गड़ी जा रही है.

यह काम RSS के करीबी सवर्ण इतिहासकार करने की कोशिश कर रहे हैं. एक नाटककार को चण्ड अशोक पर नाटक लिखने के लिए BJP ने हिंदी साहित्य अकादमी पुरस्कार देकर सम्मानित किया.

चण्ड अशोक की बुनियाद सिंहली भाषा की अनुश्रुति से ली गयी है जिसमें अशोक द्वारा राजगद्दी के लिए अपने 99 भाइयों की हत्या का जिक्र है.

जबकि इसका कोई ऐतिहासिक और पुरातात्विक सबूत नही है. चण्ड अशोक की उपाधि का कोई प्रमाण या शिलालेख नही मिलता.

सम्राट अशोक के 99 भाई बहन नही थे. इतने भाइयों की कहानी झूठी और मिथ है.

सम्राट अशोक ने स्वयं अपने पांचवे शिलालेख में अपने भाई बहनों का पूरा विवरण दिया हुआ है.

चीनी यात्री फ़ाहियान और ह्वेन त्सांग ने अपनी रचनाओं में अशोक के भाई प्रेम की चर्चा की है. अशोक के भाई क्यो राज्यों में गवर्नर थे.

बोधगया में ज़मीन के नीचे मिले शिलालेख में सम्राट अशोक को जम्बोद्विप का महान सम्राट बताया गया है, जिसने 84,000 स्तूप बनाए.

इनमें एक स्तूप बौद्ध गया में भी बनाया, उसी स्थान पर जहां सुजाता ने तथागत बुद्ध को खीर खिलाई थी.

अमेरिका, यूरोप, रूस, चीन और सारा एशिया सम्राट अशोक को प्रियदर्शिनी सम्राट अशोक कहते हैं.

RSS के मनुवादी इतिहासकारों से बिनती है सत्ता के दम पर धम्म अशोक को बदनाम ना करें.

अखंड भारत का निर्माण करने वाले महान धम्म अशोक को कोटि कोटि प्रणाम 🙏

07/05/2024

मुसलमानों का तो एक बहाना है असल में सो कॉल्ड सेक्युलर सूरमा दलितों को बर्बाद करना चाहते हैं।आज सोची समझी साज़िश और रणनीति के तहत दलितों से उनका नेतृत्व छीनने का षड्यंत्र हो रहा है।चूँकि दलित संगठित और सशक्त हैं।उनमें राजनैतिक चेतना है।तो उनसे उनकी राजनैतिक शक्ति छीनने का प्रयास हो रहा है।

इस एजेंडे के तहत उन्हें विपक्ष द्वारा अनावश्यक अकारण डर दिखाया जा रहा है कि- “ संविधान ख़तरे में है, आरक्षण ख़तरे में है, लोकतंत्र ख़तरे में है।” जिससे इस तरह के नकारात्मक प्रचार से भयभीत होकर वह विपक्ष को वोट करके स्वयं अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारें।

बहुत पहले यही डर मुसलमानों को दिखाया गया था ।इस डर का शिकार होकर मुसलमान आजतक बंधुआ मज़दूर है, और कुछ पार्टी विशेष की दरी बिछा रहे है।

दलित समाज को सतर्क और सावधान रहते हुए हर प्रकार की नकारात्मकता और डर को ख़त्म करके अपने नेतृत्व को मज़बूत करना चाहिए।अगर एक बार धोखे से भी दलित नेतृत्व ख़त्म हुआ तो उसका दोबारा उभरना बहुत मुश्किल होगा……।

दलित भाई/बहनों, आपके पास बाबा साहब Dr. BR Ambedkar जैसे महापुरुष हैं।आपके पास बहुजन नायक Manyawar Kanshiram साहब जैसे सम...
07/05/2024

दलित भाई/बहनों,

आपके पास बाबा साहब Dr. BR Ambedkar जैसे महापुरुष हैं।

आपके पास बहुजन नायक Manyawar Kanshiram साहब जैसे समाज सुधारक विज़नरी मिशनरी हैं।

आपके पास BSP जैसी देश की तीसरी सबसे बड़ी राजनैतिक शक्ति है।

आपके पास Behanji जैसा करिश्माई स्वाभिमानी नेतृत्व है।

आपके पास अनमोल ख़ज़ाना है।बचा लो अपनी इस धरोहर को।अपनी इस स्वर्णिम विरासत को।

पूछो भारतीय मुसलमानों के दिल से

हर राजनैतिक पार्टी में दरी बिछा रहे हैं, धक्के खा रहे हैं, उपेक्षा सह रहे हैं।फिर भी कुछ नहीं कर सकते।

उनके पास BSP जैसी कोई राजनैतिक शक्ति नहीं है।

अगर आपने अपनी धरोहर और विरासत को नहीं बचाया तो फिर दलितों को भी हर पार्टी में मुसलमानों तरह दरी बिेछाना होगा………

06/05/2024

आजतक BSP ने BJP के साथ मिलकर गठबंधन करके कभी चुनाव नहीं लड़ा है।जबकि——

1993 में SP-BSP ने मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ा।
1996 में BSP- Congress ने मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ा।
2019 में SP-BSP-RLD ने मिलकर लोकसभा का चुनाव लड़ा।

फिर भी BSP पर B Team का इल्ज़ाम है।

सोचो अगर—-

JDU की तरह सिर्फ़ एक बार BSP ने BJP के साथ मिलकर गठबंधन करके विधानसभा लोकसभा चुनाव लड़ लिया।तो फिर क्या होगा?

SP-Congress 1-1 विधायक और सांसद को तरस जाएगी।यूपी में दोनों दलों का सूपड़ा साफ़ हो जाएगा।BSP पूरी दमदारी से अकेले चुनाव लड़ती है सिर्फ़ इसलिए ही SP Congress का वजूद है।

इसलिए B Team का गाना बंद करिए।

06/05/2024

जौनपुर में टिकट बदलने पर सोशल मीडिया पर हाहाकार मचाने वाले ध्यान दें——

किसी भी चुनाव में कोई भी पार्टी चुनावी समीकरणों को ध्यान में रखते हुए प्रत्याशी बदलती है इसमें कोई नई बात नहीं है।ऐसा सभी दल करते हैं।मगर प्रत्याशी बदलने पर प्रोपेगैंडा करना और आरोप प्रत्यारोप की झड़ी लगा देना बिल्कुल भी न्यायोचित नहीं है।

पूरे ट्विटर पर जौनपुर की तो चर्चा है लेकिन कहीं श्रावस्ती की चर्चा नहीं है।श्रावस्ती सीट पर समाजवादी पार्टी ने बसपा के पूर्व सांसद राम शिरोमणि वर्मा का टिकट किया।इस सीट पर सपा के कोर मुस्लिम वोट की संख्या 30-35 % है।वर्मा के कुर्मी समाज की संख्या भी पिछड़ो में सर्वाधिक है।रामशिरोमणि मज़बूत कैंडिडेट थे।

इस सीट पर देश के ताक़तवर ब्यूरोक्रेट नृपेंद्र मिश्रा के बेटे साकेत मिश्रा को भाजपा ने प्रत्याशी बनाया है।कल आनन-फानन में सपा ने रामशिरोमणि का टिकट काटकर क्षत्रिय धीरेंद्र सिंह धीरू का टिकट कर दिया।

राम शिरोमणि का टिकट कटने पर इंडी पोषक पत्तलकारों, अनपढ़ सोशल एक्टिविस्ट से लेकर दरीबाज़ो तक में से किसी ने ‘बी टीम’ का राग नहीं अलापा।

इस चुनाव में सबसे ज़्यादा टिकट बदलने का काम सपा ने किया मेरठ में पहले भानू प्रताप, उसके बाद अतुल प्रधान उसके बाद सुनीता वर्मा, बिजनौर में दीपक सैनी का बाद में टिकट हुआ, सुल्तानपुर में पहले भीम निषाद उसके बाद राम भुआल निषाद, शाहजहाँपुर में पहले राजेश कश्यप बाद में ज्योत्सना कश्यप, लखनऊ में पहले रविदास मेहरोत्रा बाद में डॉ आशुतोष वर्मा, मुरादाबाद में पहले हसन साहब बाद में रुचि वीरा, कई सीटों पर दो-दो प्रत्याशियों के नामांकन कराए गए।

तब तो किसी ने नही कहा ‘बी टीम’, वॉकओवर दे दिया………

प्रोपेगैंडा करना बंद करिए…………

और अब बताइए

असली ‘बी टीम’ कौन है????

लगातार ये प्रोपेगैंडा प्रचारित-प्रसारित किया जाता है कि 2012 के बाद से बसपा ख़त्म हो गई है।वास्तविकता इससे जुदा है।2014 ...
05/05/2024

लगातार ये प्रोपेगैंडा प्रचारित-प्रसारित किया जाता है कि 2012 के बाद से बसपा ख़त्म हो गई है।वास्तविकता इससे जुदा है।2014 के लोकसभा आम चुनाव के चुनाव परिणाम में 0 सीट आने पर मज़ाक़ उड़ाया गया जबकि 2014 के लोकसभा चुनाव में बसपा 4.14% वोट शेयर के साथ भाजपा कांग्रेस के बाद देश की तीसरी सबसे बड़ी पार्टी थी।इस चुनाव में सपा को 3.37% वोट मिला था।भले ही बसपा का एक भी सांसद न जीता हो लेकिन उत्तर प्रदेश में 80 सीटों में से सर्वाधिक 34 सीटों पर बसपा दूसरे स्थान पर थी।सपा 31 सीटों पर दूसरे स्थान पर थी।कांग्रेस 5 सीटों पर रालोद 2 सीटों पर आप 1 सीट पर और भाजपा 7 सीटों पर द्वितीय स्थान पर थी।

2019 के लोकसभा चुनाव में सपा बसपा रालोद का गठबंधन था।इस चुनाव में भाजपा के बाद सर्वाधिक 10 सीट बसपा ने जीतीं।बसपा का वोट शेयर देश में भाजपा, कांग्रेस और तृणमूल के बाद चौथे स्थान पर था।बसपा मेरठ में मात्र 4529 वोटों से और मछलीशहर लोकसभा में मात्र 181 वोट से हार गई।इस चुनाव में सपा कांग्रेस रालोद के महागठबंधन के बावजूद मैनपुरी से डिंपल, बदायूँ से धर्मेंद्र, फ़िरोज़ाबाद से अक्षय और मुज़फ़्फ़रनगर से चौधरी अजीत सिंह चुनाव हार गए।सपा का ये कहना कि उनके वोट से बसपा 10 सीट जीत गई तो 2014 में में बसपा 4.14% वोट शेयर के साथ तीसरे स्थान पर थी। जबकि गठबंधन करने के बाद 2019 में बसपा 3.62% वोट शेयर के साथ चौथे स्थान पर थी।

2009 लोकसभा चुनाव में भी बसपा 6.17% वोट शेयर के साथ भाजपा कांग्रेस के बाद देश की तीसरी सबसे बड़ी पार्टी थी।2004 में 5.33% वोट शेयर के साथ देश की चौथी बड़ी पार्टी थी।1999 में 4.16% वोट शेयर के साथ चौथे स्थान पर थी।

2600 ईसा पूर्व में फ्लश शौचालयों का उपयोग पहली बार सिंधु घाटी सभ्यता में किया गया था.सिंधु घाटी सभ्यता के शहरों में यह प...
04/05/2024

2600 ईसा पूर्व में फ्लश शौचालयों का उपयोग पहली बार सिंधु घाटी सभ्यता में किया गया था.

सिंधु घाटी सभ्यता के शहरों में यह पाया गया कि लगभग हर घर में एक फ्लश शौचालय था, जो एक परिष्कृत सीवेज प्रणाली से पकी हुई मिट्टी की ईंटों से ढकी नालियों से जुड़े थे.

मल मूत्र उठाने के लिए जाति नही थी. कपड़े धोने के लिए जाति नही थी. सिंधु घाटी सभ्यता में जाति का नामोनिशान नही है.

आधुनिक भारत के आधुनिक शहरों की कई कॉलोनियों में घरों में शौचालय नही है. शौचालय है तो पक्की निकासी नही है.

मल मूत्र साफ करने के लिए जाति है.

जाति वर्ण अव्यवस्था ने भारत को बर्बाद कर दिया है.

भारत का भविष्य मुझे पता नही. आपका भविष्य मुझे पता नही. राजनीति में कौन हारेगा कौन जीतेगा मुझे पता नही.लेकिन मुझे इतना पत...
04/05/2024

भारत का भविष्य मुझे पता नही. आपका भविष्य मुझे पता नही. राजनीति में कौन हारेगा कौन जीतेगा मुझे पता नही.

लेकिन मुझे इतना पता है इतिहास में सिंधु घाटी सभ्यता प्राचीन बौद्ध सभ्यता थी.

बौद्ध सभ्यता 8000 वर्ष से भी पुरानी सभ्यता है. सिंधु घाटी सभ्यता द्रविड़ सभ्यता थी. सिंधु सभ्यता काल के बुद्धों का नाम द्रविड़ भाषा में है.

प्राकृत भाषा 5000 हज़ार वर्ष प्राचीन भाषा है. अखंड भारत की बुनियाद महान सम्राट असोका ने रखी. तथागत बुद्ध नाम सिद्धार्थ नही, सुकिति था.

बौद्ध सभ्यता में भारत पर कोई आंख उठाकर देखने की हिम्मत नही करता था. नंद वंश और मौर्य वंश में भारत सुपरपॉवर था.

बौद्ध सभ्यता में जाति नही थी. वर्ण अव्यवस्था और जाति का जन्म ईसा बाद हुआ.

जाति वर्ण अव्यवस्था जैसे जैसे मजबूत होते गयी भारत कमजोर होते गया.

आज के लिए इतना इतिहास काफी है. मैं किसी को ओवर डोज़ नही देना चाहता.

फ़ोटो : मोहनजोदड़ो स्तूप (बौद्ध सभ्यता)

04/05/2024

बसपा बी टीम है ये प्रौपेगैंडा सपा करती है और इसे हवा देते हैं मुस्लिम नौजवान 2004 के लोकसभा चुनाव में 80 में से सर्वाधिक 35 सीट सपा जीती जिसमें से 7 मुस्लिम सांसद थे।उसके बाद होता है 2009 का लोकसभा चुनाव इस बार फिर सर्वाधिक सीट सपा ने जीतीं 23 सीट लेकिन सपा के मुस्लिम सांसद 0 जबकि इसके विपरीत बसपा ने 20 सीटें जीतीं जिसमें से 4 सांसद मुस्लिम थे।

1- कैराना तबस्सुम हसन बसपा सांसद (इकरा हसन की माँ)
2- मुज़फ़्फ़रनगर क़ादिर राणा बसपा सांसद
3- संभल शफीकुर्रहमान वर्क बसपा सांसद( ज़ियाउर्रहमान वर्क के दादा)
4- सीतापुर कैसर जहां अंसारी बसपा सांसद (सपा MLC जासमीर अंसारी की पत्नी)

इसके बाद 2014 का लोकसभा चुनाव आता है।इस चुनाव में सपा 80 में से सिर्फ़ 5 सीटें जीतती है।पाँचों सैफई परिवार के लोग जीतते हैं।सपा के मुस्लिम सांसद 0।
2014 में सपा ने जो पाँच सीटें जीती वो निम्नलिखित हैं।
1- आज़मगढ़ मुलायम सिंह यादव
2- मैनपुरी मुलायम सिंह यादव बाद में उपचुनाव के बाद तेजप्रताप यादव
3- बदायूँ धर्मेंद्र यादव
4- फ़िरोज़ाबाद अक्षय यादव
5- कन्नौज डिंपल यादव
यहाँ बताते चलें सपा संभल, रामपुर मुरादाबाद तक हार गई।

उसके बाद आता है साल 2019 का चुनाव सपा बसपा का गठबंधन होता है, सपा फिर से पाँच सीट ही जीतती है लेकिन इस बार पाँच में से 3 मुस्लिम जीतते हैं
1-रामपुर आज़म खां
2-संभल शफीकुर्रहमान वर्क
3-मुरादाबाद डॉ एस टी हसन

ये ताक़त है बसपा और दलित समाज की।बसपा और दलित मिलकर सपा के दस साल के मुस्लिम सूखे को दूर करते हैं और तीन मुस्लिम सांसद सपा के जीतते हैं।
बसपा से निम्नलिखित मुस्लिम सांसद जीतते हैं-
1- हाजी फजलुर्रहमान सहारनपुर
2- कुंवर दानिश अमरोहा
3- ग़ाज़ीपुर अफ़ज़ाल अंसारी

2014 में दलित मुस्लिम अलग थे तब भाजपा 73 सीट मुस्लिम सांसद 0 सीट। 2019 में दलित मुस्लिम एक हुए भाजपा 73 से सीधे 62 सीट बसपा 0 से सीधे 10 सीट। मुस्लिम 0 सासंद से सीधे 6 सांसद।

दलित मुस्लिम समीकरण जीत का फ़ॉर्मूला है।सफलता की कुंजी है।

03/05/2024

असली ‘बी टीम’ कौन? ऐसे समझिए——

देश की सबसे चर्चित सीटों में से एक कैसरगंज लोकसभा सीट।ये सीट क्षत्रिय Vs जाट अस्मिता से जुड़ी सीट बन गई थी।क्यों इसका उत्तर सबको पता है।बृजभूषण शरण सिंह और जाट पहलवानों की नूरा कुश्ती के कारण देश के क्षत्रिय समाज और जाट समाज ने इस सीट को अपनी प्रतिष्ठा से जोड़ रखा था।
ये सीट भाजपा के गले की फाँस बन गई।अगर बृजभूषण को टिकट देते तो जाट नाराज़ और नहीं देते तो क्षत्रिय नाराज़।जाट और क्षत्रिय वोटर्स के दबाव के कारण भाजपा ने इस सीट को होल्ड पर रख दिया।भाजपा का तो समझ आता है लेकिन सपा ने अंतिम दिन तक प्रत्याशी घोषित नहीं किया।क्यों? क्योंकि सपा इस लोभ में थी कि अगर भाजपा से बृजभूषण शरण सिंह का टिकट कटता है तो उन्हें उम्मीदवार बना देगी।इस बात से बृजभूषण शरण सिंह का क़द भी पता चलता है कि दो-दो पार्टी बिना निर्णय लिए नफा नुक़सान का गणित लगा रही थी।
इससे सपा की दयनीय हालत भी पता चलती है कि उनके पास इस सीट पर कोई अच्छा असरदार उम्मीदवार नहीं था।सपा बृजभूषण के इंतज़ार में अंत समय तक रही।इस सब उठा पटक में सबसे पहले बसपा ने 4.5 लाख ब्राह्मण मतदाताओं वाली इस सीट पर ब्राह्मण प्रत्याशी उतारा।कल जब भाजपा ने बृजभूषण शरण सिंह के बेटे करण भूषण सिंह को प्रत्याशी बना दिया तो उसके बाद सपा ने बाद में बसपा के ब्राह्मण प्रत्याशी के ख़िलाफ ब्राह्मण प्रत्याशी उतार दिया।

1- अब बताइए सपा ने पहले प्रत्याशी घोषित क्यों नहीं किया ?
2- सपा का प्रत्याशी किस पार्टी को लाभ पहुँचाएगा?
3- सपा ने ब्राह्मण प्रत्याशी ही क्यों दिया?

लेकिन सोशल मीडिया से लेकर ज़मीन तक ये प्रौपेगैंडा चलाया जाता है कि ‘बसपा बी टीम’ है?

03/05/2024

जुलाई 2022 में भारतीय गणराज्य के 16वें राष्ट्रपति के लिए चुनाव होना था।भाजपा ने सुदूर पूर्व भारत के प्रांत उड़ीसा की आदिवासी महिला द्रौपदी मुर्मू को NDA की तरफ़ से उम्मीदवार बनाया।

जिसके जवाब में भारत के विपक्ष इंडी गठबंधन ने BJP के बाग़ी ‘सवर्ण कायस्थ यशवंत सिन्हा’ को विपक्ष का उम्मीदवार बनाया।

18 जुलाई 2022 को भारतीय गणराज्य के 16 वें राष्ट्रपति के चुनाव हेतु मतदान हुआ।

SC/ST समाज की स्वघोषित हितैषी समाजवादी पार्टी ने यशवंत सिन्हा को वोट किया।

चूँकि बसपा SC/ST बहुजनों की राजनीति करती है इसलिए बसपा ने बहुजन हित में NDA की उम्मीदवार आदिवासी ST समाज की बेटी द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में वोट किया।

ST महिला के पक्ष में मतदान करने के कारण हमेशा की तरह BSP के ख़िलाफ ‘बी टीम-बी टीम’ वाला प्रौपेगैंडा किया गया।

जिन्होंने राष्ट्रपति चुनाव में ST महिला के विरोध में मतदान किया वे किस हक़ से SC/ST के हितैषी बनते हैं……….???

इंडी गठबंधन में अधिकांश वे पार्टियाँ हैं जिनका राजनैतिक अस्तित्व या तो ख़त्म हो गया है या ख़त्म होने की कगार पर है।इंडी ...
03/05/2024

इंडी गठबंधन में अधिकांश वे पार्टियाँ हैं जिनका राजनैतिक अस्तित्व या तो ख़त्म हो गया है या ख़त्म होने की कगार पर है।इंडी गठबंधन के तमाम घटक दल सेक्युलरिज़्म और संविधान रक्षा की दुहाई देकर अपने अस्तित्व बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं।

1- शिवसेना- शिवसेना घोर दक्षिणपंथी पार्टी है।इस पार्टी ने हमेशा हिंदुत्व पर चुनाव लड़े हैं।ये भाजपा की नेचुरल एलाई है।शिवसेना भाजपा के साथ मिलकर महाराष्ट्र और केंद्र दोनों जगह सरकार बना चुकी हैं।अब सेक्युलरिज़्म और संविधान बचाने की बात याद आ रही है।

2- ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस- ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस 1999-2004 वाली भाजपा की NDA सरकार में सहयोगी थी।ममता बनर्जी रेलवे मिनिस्टर थीं।अब सेक्युलरिज़्म बचाने की इन्हें भी याद आ रही है।

3- समाजवादी पार्टी- सपा ने बसपा के 13 विधायक तोड़कर 2003 में जो सरकार बनाई वो भाजपा के अप्रत्यक्ष समर्थन से बनी थी।सरकार में कल्याण सिंह के बेटे राजवीर सिंह कैबिनेट मंत्री थे।कल्याण सिंह के साथ मिलकर 2009 लोकसभा चुनाव सपा ने लड़ा।अब सपा को भी संविधान पर ख़तरा नज़र आ रहा है।

4- नेशनल कॉन्फ़्रेंस- फारूक अब्दुल्ला 1999-2004 वाली NDA सरकार में सहयोगी थे।इनके बेटे उमर अब्दुल्ला वाजपेयी सरकार में विदेश राज्यमंत्री थे।अब इन्हें भी संविधान पर ख़तरा नज़र आ रहा है।

भारत के विपक्ष ने 2014 में भी संविधान पर ख़तरा, सेक्युलरिज़्म, आख़िरी चुनाव जैसे जुमलों पर चुनाव लड़ा था।2019 में भी यही कहा था कि ये आख़िरी चुनाव है इसके बाद चुनाव नहीं होगा, आरक्षण पर ख़तरा है, सेक्युलरिज़्म पर ख़तरा है, संविधान पर ख़तरा है।भाजपा संविधान बदल देगी।2024 में भी इन्हीं सब मुद्दों पर चुनाव लड़ रहा है विपक्ष।

बसपा पिछले एक दशक से कई चुनाव हार कर भी जीत गई।पूछिए कैसे? अभी चुनाव परिणाम क्या होगा?ये तो भविष्य के गर्भ में है लेकिन ...
02/05/2024

बसपा पिछले एक दशक से कई चुनाव हार कर भी जीत गई।

पूछिए कैसे?
अभी चुनाव परिणाम क्या होगा?ये तो भविष्य के गर्भ में है लेकिन चुनाव के बीच में ही सभी राजनैतिक दल अपनी कोर विचारधारा को छोड़कर उन्हीं मुद्दों पर चुनाव लड़ रहे हैं जो बसपा के कोर मुद्दे हैं।ये बसपा की बड़ी वैचारिक जीत है।
सभी दलों को बहनजी के हिसाब से खेलना पड़ रहा है।
आज से पहले जितने चुनाव हुए उसमें भाजपा के मुद्दे होते थे—
हिंदुत्व
राष्ट्रवाद
राममंदिर
पाकिस्तान
मुसलमान
इस चुनाव में भाजपा के मुद्दे हैं-
SC,ST,OBC आरक्षण
सामाजिक न्याय
संविधान की रक्षा
बाबा साहब
SC,ST,OBC का राजनैतिक प्रतिनिधित्व

पहले कांग्रेस के मुद्दे होते थे
——
धर्मनिरपेक्षता(सेक्युलरिज़्म)
राष्ट्रीय एकता
गंगा-‘जुम्मनी’ एकता
भारत की विविधता
अल्पसंख्यक छद्म तुष्टिकरण
लोकतंत्र की रक्षा

अब कांग्रेस के मुद्दे हैं——-
SC,ST,OBC के आरक्षण को 50% से बढ़ाकर अधिक करना
जाति जनगणना
सामाजिक न्याय
SC,ST,OBC वर्ग को राजनैतिक और आर्थिक न्याय

सपा के पहले मुद्दे——-
गंगा-‘जुम्मनी’ एकता
नव सामंती समाजवाद
अल्पसंख्यक छद्म तुष्टिकरण

अब सपा के मुद्दे——-
PDA को प्राथमिकता
सामाजिक न्याय
संविधान की रक्षा
बाबा साहब
सामान्य सीटों पर दलित प्रत्याशी
अति पिछड़ों और पिछड़ो को उनकी संख्या के अनुपात में राजनैतिक हिस्सेदारी

इस चुनाव का जब आप सूक्ष्म विश्लेषण करेंगे तो पाएँगे ये देश का पहला ऐसा चुनाव है जो बसपा के कोर मुद्दों पर लड़ा जा रहा है।यही बसपा की सबसे बड़ी वैचारिक जीत है।बसपा ने देश की राजनीति को वहाँ लाकर खड़ा किया है जहां बहुजन नायक मान्यवर कांशीराम साहब चाहते थे।हारकर भी जीतना इसी को कहते हैं।

मजदूर दिवस ( 1 मई ) और डॉ भीमराव अम्बेडकर जी का योगदान :-1:- 12-14 घंटे काम करने के समय को 8 घंटे करने का प्रावधान किया ...
01/05/2024

मजदूर दिवस
( 1 मई ) और डॉ भीमराव अम्बेडकर जी का योगदान :-
1:- 12-14 घंटे काम करने के समय को 8 घंटे करने का प्रावधान किया गया ।
2:- महिला श्रमिकों के लिए मातृत्व ( मैटरनिटी लीव ) लाभ का प्रावधान किया गया ।
3:- मजदूरों के लिए " न्यूनतम मजदूरी कानून " का प्रावधान किया गया ।
4:- मजदूरों के लिए लड़ने के लिए " Independent Labour Party " का गठन किया गया ।
5:- मजदूरों को हड़ताल करने का अधिकार लेकर दिया ।
6:- बम्बई में म्युनिसिंपल कामगार यूनियन की स्थापना की गई ।
7:- कर्मचारी राज्य बीमा ( Employees State Insurance ) का गठन किया गया ।
8:- महंगाई भत्ता ( Dearness Allowance ) का प्रावधान किया गया ।
9:- रोजगार कार्यालय (Employees Exchange ) का गठन किया गया ।
10:- अभ्रक खान श्रम कल्याण निधि ( Mica Mines Labour Welfare Fund ) का प्रावधान किया गया ।
ये सभी कार्य बाबा साहब डॉ अम्बेडकर जी के उन सभी मजदूरों के लिए किये जो किसी भी जाति/वर्ण से संबंध रखते हैं। इसमें किसी भी प्रकार का कोई भी भेदभाव नहीं किया
मजदूर दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं

इस देश के निर्माण में मजदूरों का बड़ा योगदान रहा है इसलिए बाबा साहब भीमराव अंबेडकर ने उनके बहुत महत्वपूर्ण कार्य की जो क...
01/05/2024

इस देश के निर्माण में मजदूरों का बड़ा योगदान रहा है इसलिए बाबा साहब भीमराव अंबेडकर ने उनके बहुत महत्वपूर्ण कार्य की जो कुछ इस प्रकार है....

खानों में महिलाओं को ‘माइन्स मैटरनिटी बेनिफिट एक्ट’ के तहत मातृत्व अवकाश (प्रसवपूर्व और प्रसवोत्तर) देने की अनुशंसा की गई।

‘कारखाना संशोधन विधेयक’ पारित करके श्रमिकों को 10 दिन का सवेतन अवकाश और बाल श्रमिकों को 14 दिन का सवैतनिक अवकाश देने के लिए कानून में संशोधन किया गया।

1946 के बजट सत्र में, सप्ताह के काम के घंटे 54 से घटाकर 48 घंटे और 10 घंटे के बजाय 8 घंटे प्रतिदिन करने का प्रस्ताव किया गया था।

21 फरवरी 1946 को, भारतीय ट्रेड यूनियन (संशोधन) अधिनियम लाकर प्रबंधन को ट्रेड यूनियनों को मान्यता देने के लिए बाध्य करने के लिए केंद्रीय विधान परिषद में एक विधेयक पेश किया था।

19 अप्रैल 1946 को केंद्रीय विधान परिषद में न्यूनतम वेतन और श्रमिकों की संख्या के संबंध में एक विधेयक पेश किया. उन्होंने संविधान में प्रावधान किया कि पुरुषों के समान पद पर काम करने वाली महिलाओं को समान वेतन दिया जाना चाहिए. बाबा साहेब ने कहा है ‘जबरन श्रम एक अपराध है’।

मजदूर दिवस पर आप सभी को ढेर सारी शुभकामनाएं।

जय भीम,
जय संविधान।

1 दिसम्बर 1997 में बिहार के लक्ष्मणपुर बाथे गांव में रणवीर सेना ने 63 दलितों का नरसंहर किया जिसमे 27 महिलाएं 16 बच्चे थे...
01/05/2024

1 दिसम्बर 1997 में बिहार के लक्ष्मणपुर बाथे गांव में रणवीर सेना ने 63 दलितों का नरसंहर किया जिसमे 27 महिलाएं 16 बच्चे थे.

सबसे छोटा विक्टिम 1 साल का मासूम बच्चा था जिसे हवा में उछाल कर तलवार से दो टुकड़े कर दिए गए.

26 जनवरी 1999 गांव शंकरबीघा, ज़िला जहानाबाद. रणवीर सेना ने 22 दलितों को मौत के घाट उतार दिया.

10 फेब्रुवारी 1999 गांव नारायणपुर ज़िला जहानाबाद, रणवीर सेना ने 12 दलितों की हत्या की जिसमे 5 महिलाएं और मासूम बच्चे थे.

भूमिहार ब्राह्मण समाज रणवीर सेना के पक्ष में खड़ा था, उस वक़्त की कांग्रेस या यूनाइटेड फ्रंट सरकार हो या बीजेपी सरकार हो किसीं ने रणवीर सेना से मुक़बले के लिए सीआरपीएफ को बिहार नही भेजा ?

कहीं ना कहीं भूमिहार नेताओं को रणवीर सेना से हमदर्दी थी ?

रणवीर सेना का वो अंजाम क्यों नही किया गया जो अंजाम आतंकवादियों और नक्षलियों का किया जाता है ?

सवाल सभी राजनेताओं से है.

फ़ोटो : लक्षणपुर बाथे में मरने वालों का नाम गांव के शहीद स्मारक में दर्ज है.

88 साल पहले आज ही के दिन बाबा साहब डॉक्टर आंबेडकर के अथक प्रयासों से इंग्लैंड की पार्लियामेंट ने अनुसूचित जाति ऑर्डर, 19...
30/04/2024

88 साल पहले आज ही के दिन बाबा साहब डॉक्टर आंबेडकर के अथक प्रयासों से इंग्लैंड की पार्लियामेंट ने अनुसूचित जाति ऑर्डर, 1936 पास करके इंग्लैंड के राजा से मंज़ूरी लेकर क़ानून में तब्दील किया था। 88 साल पहले आज ही के दिन से इस देश में दलितों के आरक्षण की शुरुआत हुई थी। आज से ही दलितों को शेड्यूल्ड कास्ट की पहचान मिली। जय भीम और ढेरों बधाइयाँ 🙌🏿🙏🏿🎈🎂🎊

24/04/2024

सांप्रदायिकता कैसे राजनीति को प्रभावित करती है समझिए. बाबा साहब के कानून मंत्री रहने के समय जारी संविधान आदेश 1950 के तहत मुसलमान और ईसाई लोग एससी यानी अनुसूचित जाति के नहीं बन सकते.

समाजवादी पार्टी यानी सपा ने यूपी में सरकार में रहते हुए एससी का प्रमोशन में आरक्षण रद्द किया और 2 लाख से ज्यादा एससी अफसरों और कर्मचारियों को डिमोट किया. एसपी फिर से डीएसपी बन गए. यही नहीं बीएसपी के विरोध के बाद जब इसे सुधारने के लिए संसद में बिल आया तो सपा ने अपने एक सांसद से वह बिल फड़वा दिया.

सपा किनको खुश करने के लिए ये कर रही थी? ये है सांप्रदायिकता. जो आपको देश और समाज के सबसे वंचित दलितों के खिलाफ खड़ा कर देती है।

1 बिहार,लोकसभा वैशाली - पत्रकार शंभू कुमार सिंह 2 लोकसभा लालगंज - प्रोफेसर इंदू चौधरी 3 लोकसभा नगीना - एडवोकेट चंद्रशेखर...
09/04/2024

1 बिहार,लोकसभा वैशाली - पत्रकार शंभू कुमार सिंह
2 लोकसभा लालगंज - प्रोफेसर इंदू चौधरी
3 लोकसभा नगीना - एडवोकेट चंद्रशेखर आज़ाद

संसद में 3 कैंडीडेट्स 100 कैंडीडेट्स पे भारी पड़ेंगे

इंतज़ार है ऐसे 300 कब होगें।

09/04/2024

संविधान को सर्वोपरि मान कर दलित शोषित और वंचितों को मिलने वाले प्रमोशन आरक्षण बिल को कौन सी पार्टी सदन में पास करा कर उनके हकों को दिला सकती है।

A. बहुजन समाज पार्टी
B. भारतीय जनता पार्टी
C. इंडियन नेशनल कांग्रेस
D. समाजवादी पार्टी

25/01/2024

कहीं प्रेम खो न जाए इसलिए लोगों ने प्रेम करना छोड़ दिया, और विवाह करना शुरू किया, शादी कागज का फूल है, प्रेम गुलाब का फूल है जो शाम तक मुरझा जायेगा.
Osho

खुश होती रही तू जिंदगी मुश्किलें डाल-डाल के,फिर भी तुझे जिया रास्ते निकाल -निकाल के,थाम के रखते इसे तो शायद महफूज ही रहत...
24/01/2024

खुश होती रही तू जिंदगी मुश्किलें डाल-डाल के,
फिर भी तुझे जिया रास्ते निकाल -निकाल के,

थाम के रखते इसे तो शायद महफूज ही रहता,
खुद तोड़ लिया दिल अपना उछाल-उछाल के,

भर ही जाता जख्म जो वक्त पर दवा कर लेते,
नासूर बना बैठे हैं मर्ज को टाल- टाल के ,

खुद बढ़ा हाथ इनको खतम कर के फिर देख,
कुछ ना मिलेगा दिल में इनको पाल-पाल के,

वो सब शिकवे गिले जो उनसे किये ना जा सके,
जहर बना लिया है दिल में संभाल-संभाल के,

कातिल ने मेरे कत्ल का एक भी निशां ना छोड़ा ,
थक गए हैं सब मौके को खंगाल -खंगाल के,

शायरी करनी है तो पंकज अभी और फरेब खा ,
शेर निकलेंगे दिल से फिर कमाल-कमाल के |

14/01/2024

वे पूछ लेते बस मिजाज मेरा, कितना आसान था इलाज मेरा

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