09/05/2024
*बाल विवाह की सूचना कंट्रोल रुम के दूरभाष 07672-494353 पर दे सकते हैं नागरिक*
सतना 9 मई 2024/बाल विवाह सामाजिक कुरीति के साथ कानूनी रूप से अपराध है। विवाह के लिए कन्या की आयु 18 वर्ष से अधिक तथा वर की आयु 21 वर्ष से अधिक होना आवश्यक है। इस संबंध में जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास विभाग सौरभ सिंह ने बताया कि अक्षय तृतीया के अवसर पर बाल विवाह को रोकने की सूचना देने जिला बाल संरक्षण कार्यालय सतना में जिला स्तरीय कंट्रोल रूम बनाया गया है। कंट्रोल रुम के दूरभाष क्रमांक 07672-494353 पर कोई भी नागरिक क्षेत्र में हो रहे बाल विवाह की सूचना दे सकते हैं। इसके अलावा बाल विवाह की शिकायत चाइल्ड लाइन के टोल फ्री नम्बर 1098 पर भी की जा सकती है।
जिला कार्यक्रम अधिकारी सौरभ सिंह ने बताया कि बाल विवाह की घटनाओं को रोकने के लिये सतना जिले के सभी परियोजना अधिकारियों को भी सूचित किया जा सकता हैं। उन्होने बताया कि सतना शहरी-2 परियोजना के परियोजना अधिकारी अरुणेश तिवारी के मोबाइल नंबर 9425194729, सतना शहरी-1 के परियोजना अधिकारी पुनीत शर्मा के मो.नं. 9424316692 पर बाल विवाह होने के सूचना दी जा सकती है। इसी प्रकार चित्रकूट-1 और सोहावल के परियोजना अधिकारी अभय द्विवेदी को मो.नं. 9424315078, नागौद-1 और 2 के परियोजना अधिकारी इंद्रभूषण तिवारी को मो.नं. 9826529407, चित्रकूट-2 की परियोजना अधिकारी रीता द्विवेदी को मो.नं. 8719078796, रामपुर बघेलान-2 के परियोजना अधिकारी सुरेंद्र सिंह को मो.नं. 8839882295, उचेहरा के परियोजना अधिकारी रविकांत शर्मा को मो.नं. 7000232227 एवं रामपुर बघेलान-1 के परियोजना अधिकारी विद्याचरण तिवारी को मो.नं. 9977217939 पर सूचना दी जा सकती है।
जिला कार्यक्रम अधिकारी ने आमजनता से अपील करते हुए कहा है कि समाज में अब बाल विवाह होने की घटनाओं में कमी आई हैं। लेकिन यदि कहीं पर भी बाल विवाह संपन्न कराने का प्रयास किया जा रहा है तो आमजन तत्काल महिला एवं बाल विकास विभाग अथवा पुलिस थाने को इसकी सूचना दें। विवाह संपन्न कराने वाले धर्मगुरू तथा विवाह से संबंधित व्यवस्थाओं जैसे बारातघर, हलवाई, विवाह घर संचालक, बैण्डबाजे वाले आदि बाल विवाह होने पर तत्काल सूचना दें।
बाल विवाह गंभीर सामाजिक कुरीति है। इसे रोकने के लिए बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 लागू किया गया है। इसके तहत बाल विवाह से पीड़ितों को सुरक्षा और राहत प्रदान करने के साथ-साथ बाल विवाह को प्रोत्साहित करने एवं उसे संपन्न कराने वालों पर कठोर दण्ड का प्रावधान है। जिसमें दो वर्ष की जेल तथा एक लाख रुपए तक का जुर्माना हो सकता है।