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सच मानिए, हकीकत है वीर हकीकत राय...यह चित्र सहारनपुर की एक कॉलोनी हकीकत नगर स्थित हकीकत राय चौक का है। एक बालक की प्रतिम...
10/07/2022

सच मानिए, हकीकत है वीर हकीकत राय...

यह चित्र सहारनपुर की एक कॉलोनी हकीकत नगर स्थित हकीकत राय चौक का है। एक बालक की प्रतिमा चौक के बीचों-बीच विराजमान है। मन में प्रश्न उठा कि आखिर स्यालकोट पाकिस्तान में जन्मे बालक की प्रतिमा सहारनपुर में क्यों है ? अवश्य इस बालक ने कोई विलक्षण कार्य किया होगा। बालक का इतिहास जानने के लिए अधिक तलाश नहीं करनी पड़ी। नीचे ही पत्थर पर उसके जीवन के बलिदान की सम्पूर्ण कथा लिखी हुई है।
कथा के अनुसार धर्मनिष्ठ हक़ीकत राय का जन्म स्यालकोट ( पाकिस्तान) में हुआ था। इनके पिता जी श्री भागमल धर्म परायण थे। दुर्गा भवानी से संतान के लिये प्रार्थना करने पर उनके यहाँ बालक का जन्म हुआ था। यह सन् 1719 के आस-पास की बात है। बालक का नाम उन्होने हकीकत राय रखा। जब वह बालक बड़ा हुआ तो उसे हिन्दी तथा संस्कृत की शिक्षा प्राप्त करने के लिये मौहल्ले के पण्डित जी के पास भेजा गया। इसके पश्चात उन्हें उर्दू तथा फ़ारसी की शिक्षा प्राप्त करने के लिये मौलवी जी के पास भेजा गया। वह प्रारम्भ से कुशाग्र बुद्धि थे और एकान्त प्रिय थे। एक बार मौलवी जी मकतब के जरूरी काम से बाहर चले गये। इसके पश्चात मकतब के सहपाठियों ने दुर्गा भवानी के बारे में अपमान जनक शब्द कहे। इस पर हकीकत राय ने उत्तर दिया कि आप यह शब्द अपने धर्म के लिए भी समझें। यह मामला तूल पकड़ गया और शहर काजी के पास पहुंच गया। शहर काजी ने मुकदमा सुनने के बाद हकीकत राय का सर कलम करने की सजा सुनाई। जब भागमल तथा उनकी धर्मपत्नी लक्ष्मी ने यह सज़ा सुनी तो वह रो-रो कर बेहाल हो गये! शहर काजी का हृदय बदला। उन्होंने बचाव के लिये भागमल से कहा कि हकीकत राय धर्म बदल ले तो वह बच सकता है। परन्तु हक़ीकत राय ने अपने धर्म को छोड़ने से इन्कार कर दिया और सजा के अनुसार उनको लाहौर में लाकर सर कलम कर दिया गया। यहीं वीर बालक की समाधी बनाई गई।
किंतु यह कहानी यहीं खत्म नहीं हुई 1947 हजारों-लाखों लोगों के जीवन में विभाजन का दर्द लेकर आया। हिंदू पंजाबी समुदाय पाकिस्तान से जान बचाकर भागा। हजारों हिंदू पंजाबी सहारनपुर और देश के दूसरे भागों में बस गए। इस दर्द भरी यात्रा के बाद भी उन्होंने उस बालक को विस्मृत नहीं होने दिया जिसने धर्म बदलने के बदले अपने प्राण देना अधिक उचित समझा। सहारनपुर में जहाँ शरणार्थी हिंदुओं को जगह दी गई, उसका नाम ही हकीकत नगर रख दिया गया। हकीकत राय की प्रतिमा स्थापित की गई। दिल्ली में भी हकीकत नगर है। कई जगह बाजारों का नाम भी हकीकत राय के नाम पर है। सच तो यह है कि मानवता की दृष्टि से हम एक-दूसरे के धर्म का सम्मान करके ही राष्ट्र को सशक्त कर सकते हैं। मैं वीर बलिदानी बालक को आज नमन करके आया। आप के पास भी जब समय हो तो एक बार इस बालक की प्रतिमा को नमन कीजिएगा। बालक की आँखों में झांक कर देखिएगा, आपको साहस, धर्मनिष्ठा और दृढ़ता दिखाई देगी। शायद आप भीतर से सिहर भी जाएं। सच मानिए, हकीकत है वीर हकीकत राय.......

13/06/2022

योगी की सेना

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