Pigeon news

Pigeon news Contact information, map and directions, contact form, opening hours, services, ratings, photos, videos and announcements from Pigeon news, Media/News Company, Private bus stand, Sardarshahr.

25/07/2023

लेजर ट्रीटमेंट के बाद भी बढ़ते बाल:सिर्फ काले बालों को टारगेट करती मशीन; प्रेग्नेंसी, मुहांसे, स्किन इन्फेक्शन में ट्रीटमेंट न कराएं;----

ब्यूटीफुल और बोल्ड हर महिला दिखना चाहती है लेकिन अनचाहे बाल उसकी खूबसूरत में कांटों की तरह चुभते हैं।
हर 15 दिन में आइब्रो, अपर लिप और चिन पर बाल आना और लड़कियों का इन अनचाहे बालों से परेशान होकर पार्लर जाना, आम बात है।

यही नहीं, हर महीने दर्द सहकर बॉडी वैक्सिंग करवाना आदत बन गई है।

अगर चेहरे पर अनचाहे बालों की ग्रोथ हो और किसी वजह से पार्लर जाना ना हो पाए तो लड़कियां ऑफिस, स्कूल या कॉलेज तक नहीं जातीं। अनवॉन्टेंड हेयर की ग्रोथ का खौफ इतना हावी रहता है कि सेल्फ कॉन्फिडेंस तक डगमगा जाता है।

बार-बार पार्लर के चक्कर काटने से बचने के लिए आजकल कई ब्यूटी पार्लर और ब्यूटी क्लिनिक में परमानेंट हेयर रिडक्शन ट्रीटमेंट चल रहे हैं जो दावा करते हैं कि वो हमेशा के लिए अनचाहे बालों से मुक्ति दिलाएंगे।

यहीं नहीं अब यह सुविधा घर बैठे भी मिल सकती है। कई होम ब्यूटी सर्विस ऐप्स महिलाओं को घर पर ही लेजर ट्रीटमेंट लेने का कंफर्ट दे रहे हैं।

लेकिन क्या वाकई ये ट्रीटमेंट 100% बालों को खत्म करने या उनकी ग्रोथ रोकने में कामयाब होते हैं?

बाल नहीं, स्किन में मेलानिन को कम करती है लेजर बीम

लेजर का मतलब है Light Amplification by Stimulated Emission of Radiation। हर लेजर बीम एक खास ‘क्रोमेटोफोर’ यानी स्किन को कलर देने वाले सेल पर काम करती है। हेयर रिडक्शन के लिए लेजर ट्रीटमेंट मेलानिन पर ही काम करता है। मेलानिन स्किन में मौजूद केमिकल होता है जो हेयर का कलर और स्किन का कॉम्प्लेक्शन तय होता है।

हर लेजर की एक वेवलेंथ होती है। वेवलेंथ से ही तय होता है कि लेजर बीम स्किन पर उगे बालों पर कहां तक असर करेंगी। लेजर बीम का स्केल सेट किया जाता है। हेयर रिडक्शन में 810 नैनोमीटर की वेवलेंथ सेट की जाती है जो सही लेवल पर जाकर बालों को जलाती है और इसी प्रोसेस को हेयर रिडक्शन थेरेपी या ट्रीटमेंट कहते हैं।

सख्त बाल होते हैं सॉफ्ट, कम हो जाती है ग्रोथ

दिल्ली स्थित मैक्स स्मार्ट सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, साकेत में डर्मेटोलॉजिस्ट डॉ. कशिश कालरा कहते हैं कि लेजर हेयर रिडक्शन बीम की मदद से होता है।

इस ट्रीटमेंट से बाल धीरे-धीरे कम होने लगते हैं। वे सॉफ्ट हो जाते हैं और बालों के ग्रो होने की स्पीड कम हो जाती है।

बाल 3 स्टेज से गुजरते हैं। ग्राइंग स्टेज (जो उगते हैं), रेस्ट मोड (बाल शरीर के अंदर होते हैं), शेडिंग स्टेज (जब बाल झड़ते हैं)। बॉडी पर अधिकतर बाल रेस्ट मोड पर होते हैं।

ग्रोइंग बालों के 2 भाग होते हैं: शाफ्ट और बल्प। शाफ्ट शरीर के बाहर और बल्प हेयर फॉलिकल (बालों की जड़ों) का बेस होता है।

लेजर से बल्प को गलाया जाता है क्योंकि इसके अंदर मेलानिन होता है। जिसमें मेलानिन की अधिक मात्रा होगी, बाल उतने ही काले होंगे।

यानी हेयर रिडक्शन टेक्नीक में लेजर बालों को नहीं बल्कि उसके अंदर के मेलानिन के कलर को टारगेट करता है।

बाल शरीर के लिए कितने जरूरी?

बाल हर किसी के शरीर पर होते हैं और यह शरीर की सुरक्षा के लिए जरूरी भी हैं। अमेरिकन अकैडमी ऑफ डर्मेटोलॉजी के अनुसार पुरुषों के बाल महिलाओं के मुकाबले ज्यादा जल्दी बढ़ते हैं।

इनकी हर महीने 0.5 से 1.7 सेंटीमीटर तक ग्रोथ होती है। बाल बॉडी टेंपरेचर को रेगुलेट करते हैं।

गुरुग्राम के सीके बिरला हॉस्पिटल में डर्मेटोलॉजिस्ट डॉ.सीमा ओबरॉय लाल कहती हैं कि शरीर के कुछ भागों में बालों का खास काम है। जैसे पलकों और नाक के बाल आंखों और नाक को डस्ट से बचाते हैं।

बालों की जड़ों को हेयर फॉलिकल कहा जाता है। इनमें ऑयल ग्लैंड्स होती हैं जो स्किन को सेफ और मॉइश्चाइज रखते हैं। बालों की जड़ों में स्टेंप सेल होते हैं जो जख्म भरने में भी मदद करते हैं।

लेकिन शरीर के कई हिस्सों पर अनचाहे बाल होते हैं जिनका कोई काम नहीं होता। इसे लेजर से कम किया जा सकता है।

बाल 2 तरीकों से हटाए जाते हैं

बॉडी के बालों को 2 तरीकों से रिमूव किया जाता है लेकिन हेयर फॉलिकल यानी बालों की जड़ों को नहीं निकाला जाता। यानी कोई भी ब्यूटी ट्रीटमेंट हेयर रिमूव नहीं करता बल्कि हेयर रिडक्शन का काम करता है।

1 टेंपरेरी हेयर रिडक्शन: वैक्सिंग, शेविंग, थ्रेडिंग, प्लकिंग, क्रीम, एपिलेटर

2 परमाइनेंट हेडर रिडक्शन: लेजर, इलेक्ट्रोलिसिस

डॉ. सीमा ओबरॉय लाल के अनुसार जो महिलाएं टेंपरेरी हेयर रिडक्शन करवाती हैं, उन्हें ट्रीटमेंट एरिया में खुजली, जलन या इन्फेक्शन का डर बना रहता है क्योंकि पार्लर में हाइजीन का ध्यान नहीं रखा जाता। एक ही धागे से थ्रेडिंग की जाती है। इस पर लगी लार से हर्पीज हो सकती है।

वैक्सिंग के दौरान इस्तेमाल हुए चाकू और तौलिए से भी इंफेक्शन हो जाता है।

वहीं, हेयर रिमूवल क्रीम में मौजूद केमिकल से बालों को गलाया जाता है। इससे पिगमेंटेशन हो सकता है। अंडरआर्म का कलर डार्क हो सकता है। अगर इससे प्राइवेट पार्ट के बाल रिमूव किए जाएं तो रैशेज या इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है।

साफ रंग पर काले बाल पर लेजर ज्यादा असरदार

डॉ. कशिश कालरा कहते हैं कि जिन लोगों का रंग साफ होता है और बाल काले व सख्त हों तो लेजर ट्रीटमेंट का उन पर अच्छा रिजल्ट देखने को मिलता है।

लेकिन अगर कोई सांवला है, भले ही बाल भी काले हों तो लेजर तकनीक स्किन के कलर और बालों को लेकर कंफ्यूज हो सकती है। इससे स्किन जलने का डर रहता है। यहां डर्मेटोलॉजिस्ट को बहुत सोच समझकर सही एनर्जी के साथ काम करना होता है। एनर्जी यानी लेजर मशीन की सेटिंग।

कोई भी टेक्नीक 100% हेयर रिमूव नहीं करती

शुरुआती दौर में लेजर को परमानेंट हेयर रिमूवल टेक्नीक कहा जाता था लेकिन जब यह देखा गया कि लेजर ट्रीटमेंट परमानेंट हेयर रिमूवल नहीं करता तो इंडियन मेडिकल काउंसिल ने इसे परमानेंट हेयर रिडक्शन ट्रीटमेंट का नाम दिया।

दरअसल कई लोग सोचते हैं कि इस ट्रीटमेंट से परमानेंट 100% बाल रिमूव हो जाएंगे लेकिन ऐसा नहीं होता। इस टेक्नीक से 60 से 70% तक ही बाल कम हो पाते हैं। 30% से 40% जो बाल शरीर पर रह जाते हैं वो पतले और नर्म पड़ते हैं यानी बालों की ग्रोथ हल्की हो जाती है।

लेजर सॉफ्ट बालों पर भी काम नहीं करता क्योंकि उनके अंदर मेलानिन नहीं होता।

7 से 8 सेशन में ही कम हो जाते हैं बाल

हर किसी की बॉडी पर हेयर ग्रोथ अलग-अलग तरीके की होती है। अगर किसी महिला के चेहरे पर बालों की ग्रोथ नॉर्मल है तो 7 से 8 सेशन में ही हेयर रिडक्शन थेरेपी के अच्छे रिजल्ट देखने को मिलते हैं।

जो बाल शरीर पर बच जाते हैं उसके लिए 4-5 महीने बाद दोबारा लेजर ट्रीटमेंट रिपीट किया जाता है या शेव कर सकते हैं। ध्यान रहे शेव ही करें, वैक्सिंग, थ्रेडिंग या हेयर रिमूवल क्रीम का इस्तेमाल ना करें। यानी लेजर ट्रीटमेंट पूरी जिंदगी लिया जा सकता है।
मेडिकल टेस्ट के बाद ही लें हेयर रिडक्शन थेरेपी

लेजर हेयर रिडक्शन ट्रीटमेंट हमेशा डर्मेटोलॉजिस्ट से ही करवाना चाहिए। डॉक्टर लेजर करवाने से पहले मेडिकल टेस्ट करवाते हैं। अगर कोई लड़की PCOS (पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम) की शिकार है तो उसके लेजर सेशन की सीटिंग बढ़ जाती है क्योंकि इस बीमारी में बालों की ग्रोथ बहुत ज्यादा होती है।

अगर किसी को पीसीओएस है तो लेजर के साथ-साथ उनका गायनेकोलॉजिस्ट और हॉर्मोन स्पेशलिस्ट डॉक्टर एंडोक्राइनोलॉजिस्ट से इलाज करवाया जाता है।

आइब्रो पर लेजर से आंखें हो सकती हैं खराब

डॉ. कालरा कहते हैं कि आइब्रो के आसपास लेजर नहीं करवाना चाहिए। दरअसल आंखों में मेलानिन होता है। लेजर मशीन से उसे टारगेट करने पर यह आंखों को खराब कर सकता है। अगर कोई ब्यूटी पार्लर ऐसा करता है तो यह गलत है।

कुछ लोगों की आइब्रो में जॉइंट होता है। उस जॉइंट पर लेजर हो सकता है क्योंकि वह एरिया माथे के बीच में है।

लेजर फोरहेड पर हो सकता है लेकिन इसमें मशीन की एनर्जी (सेटिंग) पर ध्यान देने की बहुत जरूरत है।

लेजर के दौरान मरीज के साथ ही डॉक्टर और टेक्नीशियन की भी आंखें कवर रहती हैं।

लड़कियां चेहरे के बाल तो लड़के दाड़ी की रीशेपिंग कराते हैं

कई क्लिनिक फुल बॉडी लेजर ट्रीटमेंट का पैकेज देते हैं लेकिन लड़कियों का फुल बॉडी लेजर ट्रीटमेंट नहीं होता क्योंकि उनकी छाती या कमर पर बाल नहीं होते। वे चेहरे, हाथ और पैरों का लेजर करवाती हैं जबकि लड़के फुल लेजर ट्रीटमेंट ले सकते हैं।

अधिकतर लड़कियां अपर लिप्स या चिन के बालों पर ट्रीटमेंट करवाती हैं लेकिन लड़के दाढ़ी की रीशेपिंग करवाते हैं क्योंकि कई बार बाल आंखों के नीचे गालों पर या गले के निचले हिस्से पर भी आ जाते हैं। कुछ लड़के जुड़ी हुई आइब्रो पर भी लेजर ट्रीटमेंट करवाते हैं।

प्राइवेट पार्ट के बालों को रिमूव करवाना फायदेमंद

डॉ. सीमा ओबराय लाल के अनुसार हर महिला को प्राइवेट पार्ट से बाल रिमूव करने चाहिए। दरअसल इस एरिया में पसीना ज्यादा आता है जिससे फंगल इन्फेक्शन हो जाता है। बॉडी में इसी जगह सबसे ज्यादा इंफेक्शन होते हैं। ऐसे में इस एरिया में लेजर ट्रीटमेंट करवाना फायदेमंद है।

अगर कोई महिला लेजर नहीं करवाना चाहती तो उस जगह शेव या हेयर रिमूवल क्रीम का भी इस्तेमाल ना करें। इससे इन्फेक्शन हो सकता है। ऐसे में केवल ट्रिमर का ही इस्तेमाल करना चाहिए।

अंडरआर्म और ब्यूपिक हेयर पर बेस्ट रिजल्ट

अंडरआर्म और प्यूबिक एरिया (प्राइवेट पार्ट) के बाल काले और सख्त होते हैं। यहां की स्किन शरीर के बाकी हिस्सों से साफ होती है और बालों में मेलानिन की मात्रा सबसे अधिक पाई जाती है।

ब्यूपिक हेयर को बिकनी लाइन कहा जाता है। इस एरिया में लेजर हेयर रिडक्शन ट्रीटमेंट के बेस्ट रिजल्ट देखने को मिलते हैं।
प्रेग्नेंट महिलाओं पर नहीं होता लेजर ट्रीटमेंट

मेडिकल गाइडलाइंस के मुताबिक प्रेग्नेंट महिला को लेजर ट्रीटमेंट नहीं दिया जाता। अगर किसी महिला का पहले से सेशन चल रहा है और वह प्रेग्नेंट हो जाती है तो सेशन बंद कर दिया जाता है। लेकिन जब बेबी हो जाता है तो सेशन दोबारा शुरू कर सकते हैं।

ब्रेस्ट फीडिंग करवाने वाली महिला हेयर रिडक्शन ट्रीटमेंट ले सकती है।

लेजर हेयर रिडक्शन में इन बातों का रखें ध्यान

यह ब्यूटी ट्रीटमेंट हमेशा डर्मेटोलॉजिस्ट से ही करवाएं।
इसे करवाने से पहले डॉक्टर और मशीन की पूरी जानकारी लें।
ट्रीटमेंट लेने से पहले मेडिकल जांच जरूरी है।
चेहरे के बाल 18 साल और शरीर के बाल 20 साल की उम्र के बाद रिमूव करवाएं।
ब्लीच, वैक्सिंग, थ्रेडिंग और प्लकिंग इस दौरान नहीं करवा सकते।
स्किन में कट या बर्न होने से गांठ यानी किलॉइड बन गए हों तो लेजर नहीं करवाएं।
सूरज की रोशनी में ना निकलें। अगर निकलें तो सनस्क्रीन जरूर लगाएं।
अगर किसी को हर्पीज हों या मुंहासे हों तब भी यह ट्रीटमेंट ना लें।
प्रेग्नेंसी में इससे बचें, पीरियड्स अनियमित हैं तो बालों की ग्रोथ होगी।
लेजर ट्रीटमेंट लेने से पहले डॉक्टर और मशीन के बारे में पूछें

आजकल कई ब्यूटी सैलून, क्लीनिक और होम ब्यूटी सर्विस हेयर रिमूवल ट्रीटमेंट की सर्विस दे रहे हैं। लेकिन कई बार लोग शिकायत करते हैं कि उन्हें इससे कोई फायदा नहीं हुआ या कुछ लोगों की स्किन बर्न हो जाती है।

दरअसल लेजर हेयर रिडक्शन ट्रीटमेंट लेने से पहले मरीज को यह पूछने का हक है कि वह किस मशीन से लेजर लेगा और क्या वह प्रोसीजर डर्मेटोलॉजिस्ट करेगा या नहीं। लेजर में मशीन की क्वालिटी और उसकी सेटिंग बहुत जरूरी है। यह सेटिंग इंसान की त्वचा के रंग और बालों के टाइप के हिसाब से होती है।

आजकल कई जगह चाइनीज और कोरियन मशीन इस्तेमाल हो रही हैं लेकिन लेजर मशीन हमेशा अमेरिका के FDA से अप्रूव्ड होनी चाहिए। आजकल अधिकतर सैलून ने इसे बिजनेस बना दिया है जबकि वह इस प्रोसेस को करने से पहले मेडिकल जांच नहीं करवाते। अगर किसी को हार्मोन डिस्बैलेंस की दिक्कत है तो उनके बालों की ग्रोथ होगी ही।
इलेक्ट्रोलिसिस सफेद बाल या गिने-चुने बाल निकालने में कारगर

इलेक्ट्रोलेसिस एक पेनफुल टेक्नीक है। इसमें एक-एक बाल को जलाने में बहुत टाइम लगता है। दरअसल एक पतले से तार में करंट छोड़ा जाता है जो स्किन में जाकर बाल को जलाता है। इसमें भी बाल जड़ों से नहीं निकाले जाते। इस टेक्नीक के बाद भी बाल दोबारा ग्रो करते हैं। यह टेक्नीक उन लोगों के लिए कारगर है जिनके सफेद बाल हैं क्योंकि लेजर मशीन सफेद बालों पर काम नहीं करती। इसके अलावा अक्सर कुछ महिलाओं के निप्पल पर 2-3 बाल होते हैं, उसे भी इस टेक्नीक से निकाला जाता है।

हेयर रिडक्शन ट्रीटमेंट लेने से पहले अच्छे डर्मेटोलॉजिस्ट से सलाह लें। यह ब्यूटी ट्रीटमेंट हमेशा हॉस्पिटल में अच्छी लेजर मशीन से ही लें। भूल कर भी होम ब्यूटी ऐप सर्विस और पार्लर से हेयर रिमूव नहीं करवाएं। इस बात को ध्यान रखें कि अगर हार्मोन डिस्बैलेंस की दिक्कत है तो लेजर हेयर रिमूवल ट्रीटमेंट का अच्छा रिजल्ट नहीं दिखेगा।

16/09/2022

Refferal code:. D1PYW8RE

Address

Private Bus Stand
Sardarshahr
331403

Website

Alerts

Be the first to know and let us send you an email when Pigeon news posts news and promotions. Your email address will not be used for any other purpose, and you can unsubscribe at any time.

Share


Other Media/News Companies in Sardarshahr

Show All