21/09/2022
साहिबगंज
सचिन केजरीवाल की रिपोर्ट
आज बुधवार को गंगा पुल निर्माण संघर्ष समिति के 5 सदस्यीय शिष्टमंडल ने साहिबगंज पहुंचे केंद्रीय रेल राज्यमंत्री राव साहेब पाटिल दानवे से उत्सव बैंक्वेट हॉल में मिलकर एक सूत्री ज्ञापन सौंपा। शिष्टमंडल में गंगा पुल निर्माण संघर्ष समिति के केंद्रीय अध्यक्ष अरविंद कुमार गुप्ता, सिद्धार्थ कुमार, सुधांशु शेखर मिश्रा, संदीप कुमार एवं चेतन कुमार शर्मा शामिल थे। इस अवसर पर शिष्टमंडल का नेतृत्व कर रहे गंगा पुल निर्माण संघर्ष समिति के केंद्रीय अध्यक्ष अरविंद कुमार गुप्ता ने केंद्रीय रेल राज्य मंत्री से साहिबगंज से मनिहारी गंगा नदी पर अलग से एक रेल पुल निर्माण कराने की मांग की। अरविंद कुमार गुप्ता ने कहा कि आजादी के बाद जब देश में व्यापार, परिवहन एवं सुरक्षा की दृष्टि से पूर्वोत्तर भारत में गंगा नदी पर रेल-सह-सड़क पुल निर्माण की आवश्यकता महसूस की गई तो भारत सरकार द्वारा तत्कालीन विश्व प्रसिद्ध अभियंता, भारत रत्न, डॉक्टर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया के द्वारा सन 1960 के दशक में सर्वे करवाया गया था, जिसके मुताबिक साहिबगंज-मनिहारी रेल-सह-सड़क पुल निर्माण हेतु सामरिक, भौगोलिक, तकनीकी एवं व्यापारिक दृष्टिकोण से सबसे महत्वपूर्ण स्थल माना गया था, परंतु पश्चिम बंगाल के तत्कालीन मुख्यमंत्री विधान चंद्र राय ने अपने राजनैतिक प्रभाव से पश्चिम बंगाल के फरक्का में इस पुल का निर्माण करवा लिया, तभी से यानी लगभग 60-70 वर्षों से स्थानीय जनता साहिबगंज से मनिहारी गंगा नदी पर रेल-सह-सड़क पुल निर्माण के लिए आंदोलनरत है। प्रधानमंत्री ने 6 अप्रैल 2017 को केवल सड़क पुल निर्माण के लिए शिलान्यास किया था, जो कि निर्माणाधीन है, परंतु इसमें रेल पुल नहीं होने से ब्रिटिश काल से चले आ रहे रेलवे का यह मुख्य मार्ग रेल के क्षेत्र में उपेक्षित हो रहा है। उन्होंने रेल राज्य मंत्री से मांग किया कि निर्माणाधीन गंगा पुल के बगल में एक रेल पुल का भी निर्माण किया जाए ताकि सुदूर यात्रा किया जा सके. इस रेल पुल का निर्माण होने से झारखंड राज्य का उत्तरी बिहार, बंगाल, असम, नागालैंड, मेघालय, सिक्किम, नेपाल, भूटान, बांग्लादेश, म्यांमार, चीन आदि से सीधा संपर्क हो जाएगा. असम से रांची, कोलकाता, दुमका, देवघर, नई दिल्ली, मुंबई, नागपुर, चेन्नई, सूरत, कन्याकुमारी इत्यादि स्थानों के लिए भी यह सबसे छोटा एवं महत्वपूर्ण रेलमार्ग होगा। इस पुल का निर्माण होने से संपूर्ण झारखंड एवं पूर्वी बिहार का सर्वांगीण विकास होगा, जो झारखंड राज्य का लाइफ लाइन साबित होगा।