BHOR Culture Stage

BHOR Culture Stage ' BHOR ' The Social, Art&Culture AWARENESS Organization at Boring road,patna (Bihar).

this Organization active -Art (Theatre, Drama, Nukkad, Film making) & awareness

ज़िन्दगी एक रंगमंच है जहाँ हर कोई अपनी-अपनी भूमिका अदा कर लोगों के दिल में अच्छा या बुरा छाप छोड़ चले जाते हैं... जब समीक्...
06/10/2023

ज़िन्दगी एक रंगमंच है जहाँ हर कोई अपनी-अपनी भूमिका अदा कर लोगों के दिल में अच्छा या बुरा छाप छोड़ चले जाते हैं... जब समीक्षा की बारी आती है तो हर कोई अपनी अच्छी अदायगी की सफाई देने को खड़े हो जाते.... अब तो आप दर्शक देवता हीं निर्णय लें कि कैसा रहा बीते अर्धशतक का सफ़रनामा....

15/08/2022
युवाओं को अपना सही मार्ग चुनने की सीख को जानने के लिए - 'चुहल' देखने जरूर पहुंचिए 25 जुलाई 22 को कालिदास रंगालय, पटना मे...
24/07/2022

युवाओं को अपना सही मार्ग चुनने की सीख को जानने के लिए - 'चुहल' देखने जरूर पहुंचिए 25 जुलाई 22 को कालिदास रंगालय, पटना में।

मिथिला मैथिली गतिविधि एवं रंगमंच को समर्पित चेतना समिति पटना द्वारा आयोजित तृतीय चेतना रंग उत्सव 2022 का आयोजन आज विद्या...
16/04/2022

मिथिला मैथिली गतिविधि एवं रंगमंच को समर्पित चेतना समिति पटना द्वारा आयोजित तृतीय चेतना रंग उत्सव 2022 का आयोजन आज विद्यापति भवन पटना में किया गया। ये रंग उत्सव 16 से 19 अप्रैल तक चलेगा जो महान साहित्यकार (मैथिली,हिंदी) सुधांशु शेखर को समर्पित किया गया है । इस रंग उत्सव में लेखक सुधांशु शेखर के रचनाओं पर प्रतिदिन परिचर्चा होगी और शाम में प्रतिदिन देशभर के जानेमाने नाट्य संस्था द्वारा सुधांशु शेखर के नाटकों का मंचन किया जाएगा।

चेतना रंग उत्सव के पहले दिन शनिवार 16 अप्रैल 2022 को पटना के चर्चित मैथिली रंगमंच को समर्पित संस्था 'भंगिमा' द्वारा किशोर केशव झा के निर्देशन में सुधांशु शेखर के उपन्यास पर आधारित कहानी "भारती" का मंचन किया गया जिसमे कलाकारों ने महिलाओं की दशा और विवशता को दर्शकों के सामने प्रस्तुत किया।

"कम मुनाफा बेसी सेल... सोच सं भ सकैत अछि स्थापित मैथिली फिल्मक इंडस्ट्री.....!दरभंगा- मैथिली फीचर फिल्म "मैथिली"के प्रदर...
09/04/2022

"कम मुनाफा बेसी सेल... सोच सं भ सकैत अछि स्थापित मैथिली फिल्मक इंडस्ट्री.....!

दरभंगा- मैथिली फीचर फिल्म "मैथिली"के प्रदर्शन 8 अप्रैल 22 कें साहिल सिनेप्लेक्स दरभंगा में दर्शक अपार भीड़ के संग भेल...। तीन मास बाद पहिल बेर कोनो मैथिली फिल्मक प्रदर्शन सिनेमा हॉल में भेल अछि। हॉल पर दर्शकक काफी भीड़ देखल गेल।
फ़िल्म "मैथिली" में सभ कलाकार अपन नीक प्रदर्शन देलक।

पहिल दिनक पहिल शो में दर्शकक चिक्कन भीड़ देखल गेल। फिल्मक समीक्षा बाद में बूझल जाय, अखन बस एतबे बूझू जे मैथिली सिनेमाक विकास आ उद्योग स्थापित करबा में अखन बहुत समय अछि। ई सिनेमा के एबाक सँ मात्र एकटा प्रोत्साहन भेट सकैत अछि आगूक मैथिली सिनेमाक निर्माण के क्षेत्र में...।
हमरा बुझा रहल अछि जे अखन मैथिली सिनेमाक बाजार स्थापित करबाक ले माहौल बनेबाक बेसी जरूरत अछि जे एना एक्का-दुक्का मैथिली सिनेमाक प्रदर्शन सं संभव नई अछि। मैथिल दर्शकक बीच हमरा सभ के लगातार सिनेमाक प्रदर्शन देबै पड़त तखन मैथिली सिनेमाक इंडस्ट्री स्थापित संभव भ सकत। ताहि लेल निर्माता केँ सभ सँ पहिने आगू आबय पड़ते, आ मैथिली फ़िल्म के निर्माण क कें हॉल तक पहुंचा केँ नीक प्रचार प्रसार करै पड़ते। ई नई जे जी जान लगा क सिनेमा बना कें पुरस्कार पाबै लेल अथबा मोट रकम पैबाक लेल सालो-साल तक सिनेमा के हॉल में रिलीज नई क केँ इंतजार में बैसल रही आ अंत में यूट्यूब पर रिलीज क दिए।
यो पहिने ई बूझू जे दुकान में माल (प्रोडक्ट) रहत तखने ने ग्राहक आओत...। प्रत्येक मिथिलावासी के मैथिली फ़िल्म देखबाक मोन होयत छै मुदा हॉल में लगबे नई करते त कतय सँ देखते आ हॉल में तखने लगतै जखन मैथिली फिल्मक निर्माण लगातार होयत... आ ओहो गुणवत्तापूर्ण...। हं गुणवत्ता तखने भेटत जखन मिथिलाक संस्कार के ध्यान में रखैत भरपूर मनोरंजन हो जकर मुख्य कड़ी होइत अछि प्रतिभावान कलाकार, नीक गीत-संगीत, कस्सल पटकथा आ नीक तकनीक... संगे कुशल कलाकारक उचित मान-सम्मान ... चाहे उ दृश्यक कलाकार हो अथवा अदृश्यक (पर्दा पाछू)।
जी बूझल अछि जे एहि सभहक लेल पाय चाही... त अपने सिनेमाक निर्माण खाली समाज सेवा लेल थोड़े करै छियैन्ह... व्यपार लेल करै छियैन्ह, तखन व्यपार कोना बढ़ते ? जखन प्रोडक्ट के गुणवत्ता नीक होयत, ताहि लेल त पाय लगबे ने करते...।। हमरा ई बूझल रहबाक चाही जे प्रोडक्ट निर्माण में खर्च कोन कोन भाग में करबाक चाही...। शुरू-शुरू में इन्वेस्टर कें कम मुनाफा बेसी सेल के रणनीति बनेबाक चाही...।
# # # # # माफी चाहब जे- ई हमर व्यक्तिगत विचार अछि। मैथिली फ़िल्म उद्योग सँ जुड़ल कोनो व्यक्तिक सोच अथवा कार्य पद्यति पर टिप्पणी करवाक हमर कोनो आशय नई अछि...।

आइब गेल मैथिली फ़िल्म  "मैथिली"8 अप्रैल कें मिथिलाक सभ लोग जरूर पहुंची फ़िल्म देखबाक लेल...लाइट हाउस  (रजनीश सिनेप्लेक्स) ...
07/04/2022

आइब गेल मैथिली फ़िल्म "मैथिली"
8 अप्रैल कें मिथिलाक सभ लोग जरूर पहुंची फ़िल्म देखबाक लेल...
लाइट हाउस (रजनीश सिनेप्लेक्स) लहेरियासराय, दरभंगा में 3 बजे सँ...
तखने होयत मैथिली फिल्मक विकास

आइब गेल मैथिली फ़िल्म  "मैथिली"8 अप्रैल कें मिथिलाक सभ लोग जरूर पहुंची फ़िल्म देखबाक लेल...लाइट हाउस  (रजनीश सिनेप्लेक्स) ...
07/04/2022

आइब गेल मैथिली फ़िल्म "मैथिली"
8 अप्रैल कें मिथिलाक सभ लोग जरूर पहुंची फ़िल्म देखबाक लेल...
लाइट हाउस (रजनीश सिनेप्लेक्स) लहेरियासराय, दरभंगा में 3 बजे सँ...
तखने होयत मैथिली फिल्मक विकास...

नई शुरुआत....
05/03/2022

नई शुरुआत....

LNMU संगीत एवं नाट्य विभाग दरभंगा में PG ड्रामा के छात्रों ने किया नाटक "धूर्त समागम" की सफल प्रस्तुति दरभंगा- शुक्रवार ...
07/01/2022

LNMU संगीत एवं नाट्य विभाग दरभंगा में PG ड्रामा के छात्रों ने किया नाटक "धूर्त समागम"
की सफल प्रस्तुति

दरभंगा- शुक्रवार को विश्वविद्यालय संगीत एवं नाट्य विभाग में स्नाकोत्तर ड्रामा अंतिम सेमेस्टर के छात्रों द्वारा आयोजित अपने प्रायोगिक परीक्षा में ज्योतिरीश्वर कृत अति प्राचीन नाटक धूर्त समागम की सफल प्रस्तुति की गई।
कलाकारों ने नाटक के माध्यम से समाज में व्याप्त अराजकता और धूर्तता का एक नंगा चित्रण प्रदर्शित किया है। नाटक प्रदर्शन में ये रोचक तथ्य देखा गया कि जहां भी देखें सब के सब धूर्त ही नजर आते हैं और एक माया रूपी गणिका को पाने में संसारी से सन्यासी तक, न्यायाधीश से अपराधी तक सब धन और काम को पाने में धूर्तता का कोई कसर नही छोड़ता।

बता दें कि मकवि ज्योतिरीश्वर ठाकुर की ये मूल रचना एक प्रहसन है जो संस्कृत में है, लेकिन इसे मंचीय प्रस्तुत के रूप में इसका प्रदर्शन आलेख डॉ अरविन्द अक्कू ने मैथिली भाषा में किया और आजकी जो प्रस्तुति थी वो हिंदी में हुई जिसका हिंदी अनुवाद व निर्देशन अमलेश कुमार आनंद ने किया।
नाटक के मुख्य चरित्र विश्वनगर अपने शिष्य स्नातक के साथ पूरे नाटक को बांध कर रखता है और नारी के प्रति अपनी कमजोरी को छुपाये नही छुपा पता है चाहे वो नायिका अनंगसेना हो या सूरत प्रिया।
मंच पर नाटक के कलाकार थे- मणिकांत चौधरी, संतोष कुमार, नीरज कुमार कुशवाहा, मोहित पाण्डेय, पियूष रंजन, मृतांगर ठाकुर, राहुल कुमार, नितेश कुमार , हरिनारायण कामत, सुनील कुमार, राहुल रंजन, .रूबी खातून, निकिता गुप्ता, नितेश कुमार।

मैथिली का प्रथम एब्सर्ड नाटक 'घुघ्घू' का सफल मंचनपटना- 5 दिसंबर 2021 रविवार को स्थानीय कालिदास रंगालय में प्रसिद्ध रंगकर...
05/12/2021

मैथिली का प्रथम एब्सर्ड नाटक 'घुघ्घू' का सफल मंचन

पटना- 5 दिसंबर 2021 रविवार को स्थानीय कालिदास रंगालय में प्रसिद्ध रंगकर्मी मनोज मनुज, कुमार गगन और बृजेश कुमार के स्मृति में 'मिथिला संस्कृति एवं कला मंच, पटना एवं 'अभिनय आर्ट्स' पटना के संयुक्त प्रयास से प्रसिद्ध नाटककार मनोज मनुज लिखित मैथिली का प्रथम एब्सर्ड नाटक 'घुघ्घू' का सफल मंचन किया गया। जिसके परिकल्पना नीतेश कुमार और निर्देशक आदर्श वैभव थे। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रुप में डॉक्टर अनिल सुलभ तथा अतिथि के रुप में श्री रोहिणी रमण झा, डॉ अरविंद अक्कू, श्री मुन्ना कुमार सिंह, प्रभु श्री नंद गोपाल जी, डॉक्टर संजीव शर्मा, श्रीमती आशा चौधरी, श्री प्रमोद कुमार एवं अभिषेक रंजन उपस्थित थे ।
'घुघ्घू' पक्षी प्रकृति से परोपकारी होता है इसका चेष्टा और प्रयास सो सउद्देश्य होता है मगर निर्णायक समय आने पर यह शिथिल हो जाता है या यूं कहें तटस्थ होकर मित्रवत होने का प्रयास करता है । घुघ्घू किसका पर्याय है रक्षक भक्षक अथवा मुखदर्शक का, यह स्पष्ट रेखांकित नहीं हो पाता है और यही चरित्र के रूप में नाटक के कथा में स्थान ग्रहण करता है । वर्तमान सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक व्यवस्था में जन्म लेने वाला मनुष्य से असुरक्षा की भावना ने उनके चरित्र एवं चिंतन को विकृत कर दिया है । आज का मनुष्य सैदान्तिक और व्यवहारिक जीवन के द्वंद में फंसकर विसंगति जीवन जीने के लिए बाध्य है यही विसंगति जीवन अति यथार्थ में मनुष्य को उटपटांग (एब्सर्ड) बना दिया है ।
नाटक के कलाकार मंच पर -----
अभिषेक आनंद, देवकांत टंडन, बैजू झा, रंजन ठाकुर, सिपाही- मणिकांत चौधरी, मुर्दा- सलोनी मलिक', लड़की- (1) अनन्या राज, लड़की (2) कुमकुम कुमारी, बताहा- श्याम ठाकुर, बिम्ब- सुमित कुमार ।
नेपथ्य में--- प्रकाश- परिकल्पना- अजीत गुर्जर, ध्वनि-प्रभाव---सुधांशु सौरव, मंच सज्जा--रंजन कुमार, सलोनी मल्लिक, बैनर एवं पोस्टर--डिजाइन सुधांशु सौरभ,बैजू झा मंच-निर्माण--गोपाल,सुनील कुमार, प्रस्तुति व्यवस्था--अभिषेक बिहारी, गुड्डी देवी, फोटोग्राफी--- राहुल राज, वीडियोग्राफी--नीरज कुमार परिकल्पना--नीतीश कुमार, निर्देशक--आदर्श वैभव ।

आलेख पाठ नाटक ^धुर्त समागम" LNMU ड्रामा विभाग
30/10/2021

आलेख पाठ नाटक ^धुर्त समागम" LNMU ड्रामा विभाग

*आमंत्रण*----------------*रंगकार 2021**सह नागेश्वर सम्मान समारोह* आयोजन:*अभिनय आर्ट्स, पटना* सहयोग:- प्रोग्रेसिव कल्चर क...
14/09/2021

*आमंत्रण*
----------------
*रंगकार 2021*
*सह नागेश्वर सम्मान समारोह*
आयोजन:*अभिनय आर्ट्स, पटना*
सहयोग:- प्रोग्रेसिव कल्चर कमिटी* की
नवीनतम प्रस्तूति
नाटक *दूसरा अध्याय*
लेखक:- *अजय शुक्ला*
संगीत संकलन: *बैजू झा*
पार्श्व संगीत:- *Rahul Kumar Raj*
कविता पाठ:- *नीलांशु रंजन*
पब्लिसिटी: *अमलेश कुमार आनंद*
मीडिया प्रभारी: *अवनींद्र झा*
उद्घोषणा: *संजय किशोर*
प्रोडक्शनकंट्रोलर *नवीनकुमार अमूल*
पोस्टरडिजाइन:*Manya Rajlaxmi*
प्रकाश परिकल्पना:
*Rahul Kumar Ravi*
सेट डिज़ाइन :-
*Aadersh Vaibhav*
*Ranjan thakur*
मेकअप:- *Suman Kumar*
परिकल्पना एवं
निर्देशन:*Manikant Choudhary*
दिनांक: 19 सितंबर 2021* *रविवार*
समय: - *6:30 बजे* ( *निश्चित* )
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नाटक:*गिल्ली डंडा और भाई साहब*
कहानी:- *मुंशी प्रेमचंद*
निर्देशक: *सनत कुमार*
प्रस्तुति: *रंग सृष्टि पटना*
दिनांक20 सितंबर 2021 *सोमवार*
समय: - *6:30 बजे* ( *निश्चित* )
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नाटक:- *पटकथा*
लेखक:- *धूमिल*
निर्देशक;- *क्षितिज प्रकाश*
प्रस्तुति:- *निर्माण रंगमंच हाजीपुर*
दिनांक:*21 सितंबर 2021**मंगलवार*
समय: - *6:30 बजे* ( *निश्चित* )
स्थान: कालिदास रंगालय*
*पुर्वी गाँधी मैदान पटना*

*आप सभी सादर आमंत्रित हैं*
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

दिनांक 8 सितंबर 2021 को LNMU दरभंगा के विश्वविद्यालय संगीत एवं नाट्य विभाग में MA ड्रामा के तृतीय सेमेस्टर के रंगकर्मी व...
10/09/2021

दिनांक 8 सितंबर 2021 को LNMU दरभंगा के विश्वविद्यालय संगीत एवं नाट्य विभाग में MA ड्रामा के तृतीय सेमेस्टर के रंगकर्मी विद्यार्थी द्वारा हिंदी नाटक "आषाढ़ का एक दिन" का धमाकेदार प्रस्तुति की गई जो प्रायोगिक परीक्षा के अंतर्गत प्रस्तुत किया गया। चूंकि ये प्रस्तुति प्रायोगिक परीक्षा के तहत थी जिसके लिए वाह्य परीक्षक भी उपस्थित थे जिनमे- नाट्यकला साहित्य और संस्कृति के राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त और वर्तमान में वर्धा सेंट्रल यूनिवर्सिटी नाट्यकला के हेड डॉ. ओम प्रकाश भर्ती जी . खुद मुख्य परीक्षक के रूप में उपस्थित रहे और उन्होंने भी आषाढ़ का एक दिन को काफी सराहा और उन्होंने कहा भी कि आप सबों ने बहुत भारी नाटक प्रस्तुत किया है जो काबिले तारीफ है।
सबसे खास बात ये है कि "आषाढ़ का एक दिन" नाटक को देखने के लिए विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति डॉली सिन्हा जी पूरे नाटक को देखी जो उनके लिए ये एक अविष्मर्निय क्षण रहा होगा क्योंकि इस तीन दिवसीय प्रायोगिक नाट्य प्रस्तुति में प्रति कुलपति ने सिर्फ और सिर्फ नाटक "आषाढ़ का एक दिन" को देखने की रुचि जगाई थी विभागाध्यक्ष डॉ पुष्पम नारायण जी से...।
विभागाध्यक्ष पुष्पम नारायण ने बेहतरीन प्रस्तुति प्रस्तुत करने के लिए कलाकारों का उत्साहवर्धन किया और आगे बढ़ते रहने का शुभकामना भी दिया।
मंचस्थ कलाकार थे - मणिकांत चौधरी, अमलेश कुमार आनंद, मौसमी भारती, श्रेया मयंक, दिवाकर कुमार, पीयूष रंजन और महेंद्र कुमार माही।
निर्देशक- मणिकांत चौधरी, प्रकाश परिकल्पना- राहुल कुमार रवि, ध्वनि संयोजन- राहुल कुमार राज, वस्त्र एवं रूप सज्जा- लाडली रॉय और सेट डिजाइन- रोहित कुमार।
कलाकारों ने बताया कि इस नाटक को तैयार करने का काफी कम समय मिला हालांकि सभी कलाकारों ने जी तोर मिहनत किया और अपने नाटक को बेहतर प्रस्तुति के लायक बनाया।
निर्देशक मणिकांत चौधरी का मानना है कि मोहन राकेश के किसी भी नाटक को अच्छी प्रस्तुति के लायक तैयार करने के लिए कमसे कम तीन महीने का समय लगता है। अंत में नाटक के सभी कलाकारों ने दरभंगा के सबसे सक्रिय रंगकर्मी सागर सिंह जी को उनके सहयोग के लिए उनका आभार जताया।

नाटक "आषाढ़ का एक दिन" दरभंगा LNMU के नाट्य विभाग में देखने आप 8 सितंबर 2021 को 6 बजे शाम में जरूर आये बंधुवर
06/09/2021

नाटक "आषाढ़ का एक दिन" दरभंगा LNMU के नाट्य विभाग में देखने आप 8 सितंबर 2021 को 6 बजे शाम में जरूर आये बंधुवर

नई उम्मीद और नए तरंग के संग हाजिर... नए सीरियल का आगाज बतौर चीफ&एसोसिएट निर्देशक &कास्टिंग डायरेक्ट
20/07/2021

नई उम्मीद और नए तरंग के संग हाजिर... नए सीरियल का आगाज बतौर चीफ&एसोसिएट निर्देशक &कास्टिंग डायरेक्ट

17/06/2021

जीवन के इस रंगमंच पर
हम और तुम
चलेंगे साथ-साथ
कहीं दूर...बहुत दूर...

 ंगडायरी                   "किशोरावस्थाक ओ रंगप्रेम"   मानवीय जीवनक  सबसँ महत्वपूर्ण संवेदना प्रेमक अनुभूति किशोरावस्था ...
18/04/2021

ंगडायरी
"किशोरावस्थाक ओ रंगप्रेम"

मानवीय जीवनक सबसँ महत्वपूर्ण संवेदना प्रेमक अनुभूति किशोरावस्था मे होइत छै। नेनपन मे भेल प्रेमक बीजारोपण किशोरावस्था मे अंकुरित होमय लगैत छैक। बाल्यकालक बहुत किछु क्रियाकलाप बात व्यवहार बदलि जाइत छैक। नव-नव घटना परिघटना सभ जीवन मे नव रसानुभूति व आंनदक अनुभव करैछ, जे मानस पटल पर अंकित रहैछ। समय समय पर एहि समयकअविस्मरणीय पलअंदरसँ आह्लादित करैछ ।
सौराठक मिडिल स्कूल सँ आब लोहा हाई स्कूल मे आबि गेल छलहुँ । नेनपनक सभ खेल छुटि चुकल छल ।सभ खेलक स्थान पर मात्र एक खेल क्रिकेट । से सांझ मे खूब होइ ।आमक गाछीक नेनपनक रंगमंच अनायासे बन्द भ'गेलैक ।मुदा, गाछी नहि छुटल छल । मॉर्निंग स्कूल सँ अयलाक बाद,भोजन कएलाक बाद सोझे आमक गाछी । आब संग मे कोर्सक किताब रहैत छल। खोपरी मे राखल चौकी ।हं, हमरा गाछी मे मचान नहि बनैत छलै। चौकी पर सुजनी ,गेरुआ । एक कोन मे घैल आ गिलास।
सांझ मे मित्र मंडलीक बैसार होइ छलै आ राति मे नाटक देखबाक प्लान बनैत छलै। आब लोहा हाटक मैदान मे पुरन्दर झाक रामलीला पार्टीक बदला जयकुमार झा कम्पनी अबैत छलैक । किछु दिन मे रामलीला समाप्त क' लगभग एक मास तक नाटक होइत छलैक। जखन वर्षा ऋतु जोर पकड़ि लैत छलैक तखन एहि कम्पनीक नाटक बन्न भ'जाइत छलैक । हाई इस्कूलक सटले तँ ओहि कम्पनीक स्टेज बनल रहैत छलैक । से,टिफिन मे स्कूल सँ बाहर भ' स्टेजक बगल मे लगायल बड़का पोस्टर पर "आज की रात प्रस्तुत होने जा रहा है नाटक"------। नाटकक नाम पढ़लहुँ आबि गेलहुँ अपन क्लास । पढ़ाई शुरू। से,बैसार में निर्णय होइ छलै जे आइ राति चलल जाय कि नहि । नाटकक नाम पर निर्णय । सभ राति जायब सम्भव नहि छलैक । कारण नाटक टिकट पर होइत छलैक ।आठ आना बला आ एक रुपया बला ,से नाटक जाबत तक नै शुरू भेल हो। नाटक शुरू होमय सँ पहिने दु तीन टा कलाकार नटुआ बनल फिल्मी गीत गबैत नाच करैत छलैक । जखन चारु दिस सँ घेरल मैदान लगभग भरि जाइत छलैक तखन गेट पर जे चारि आना आठ आना द'दियौक सैह, तखन अंदर जाय दैत छलैक गेटकीपर । हम सभ एहि तरहक दर्शक छलहुँ। हमर सभहक नेता होइत छल रामगुणेश भाइ । 10-15 गोटेक ग्रुप छलैक। कहियो कहियो गेट पर हो हल्ला कएलक ,ओहि बीच भीड़ मे शामिल भ'हम सभ भीतर घुसि जाइ। पैसा बाँचि जाइ। ओहि दिनक खुशीक वर्णन नहि कएल जा सकैछ। नाटक सभ तरहक होइ छलै धार्मिक, सामाजिक, आ फिल्मी नाटक सेहो। ऐतिहासिक नाटक नहि करैत जाइ छलैक। नाटक सभ जे हिट होइ छलै ताहि में किछु नाम तँ एखनो मोन अछि। सत्य हरिश्चंद्र, श्रवण कुमार, सती नाग चम्पा, राजा भतृहरि, बनदेवी,सुल्ताना डाकू,भीख की रोटी,सिंदूर की क़ीमत, धूल का फूल,शोले । एहि नाटक सभ लेल किछु नव मित्रमंडली बनल । हमर संगी आब भाइ जी(हमर जेठ भाइ) आ हुनकर बतारी के हुनक संगी सभ छलाह । नाटकक प्रेमी दुनु भाइ। फूसि नहि कहब हमरा दुनु भाइ के राति मे ई नाटक देखय हेतु कहियो डांट फटकार नहि पड़ल। जेना दोसर हमर संगी सभ के होइ छलैक। माय बापक डरें मोन मसोरि क'रहि जाइत छल बेचारा । हमर बाबू बड्ड सज्जन । दोसर एकटा बात इहो रहैक जे हम दिन मे गाछी मे अपन पढ़ाई क'ली। क्लासक फर्स्ट विद्यार्थी सेहो छलिऐक ने। क्लास पंचमा सँ मैट्रिक तक कहियों सेकेंड नहि केलिएक । कहियो कोनो शिकायत नहि सुनबाक मौका । से बाबू निश्चिंत रहै छलाह, एकटा इएह नाटकक चसक छल । से एक राति धरा गेलहुँ। अर्ध वार्षिक परीक्षा चलै छल। ओहि सँ एक राति पहिने शोले नाटक होइ बाला छलैक। सिनेमा नै देखने रही। तँ विचार भेलैक देखल जाय । मुदा नाटक देखय काल पकड़ा गेलहुँ । आगाँ मे स्कूलक दु टा मास्टर साहेब जे इस्कूलेक होस्टल में रहै छलखिन ,सेहो ई नाटक देखय आयल छलखिन । अपना भरि नुकेबाक प्रयास कयल । हमरा भेल जे नहि देखने हेताह। मुदा, भोर मे जखन परीक्षा होइत छलैक, ओहि दिन वैह सत्यदेव बाबूक गार्डिंग छलनि। किछु नहि कहलनि। खाली जखन परीक्षा चालू भ'गेलैक तँ पूरा क्लास केँ हमरा पर व्यंग्य करैत कहलथिन, "क्लास के फर्स्ट विद्यार्थी भी शोले नाटक देखते हैं परीक्षा के समय" । हम बहुत लजा गेल रही। पकड़ा गेल छलहुँ। जय कुमार कम्पनीक ई अंतिम नाटक छल हमर देखल। मुदा, दसमा में जखन रही, तँ जे कहियों नहि भेल छलैक, से 15 अगस्त,1980 में स्कूल परिसर में नाटक कयलहुँ। शुरू मे हेडमास्टर द्वारा विरोध,मुदा किछु नव मास्टर साहेबक सहयोग सँ "डाकू चंदन सिंह"क मंचन भेलैक। ई नाटक जय प्रकाश नारायण द्वारा डाकू सभ केँ आत्म समर्पण केँ घटना के देखबैत छै । आपना मे चंदा कयल गेलै, स्कूल सँ सेहो किछु फंड लेल गेलैक। लोहा गामक विद्यार्थी सभ एहि मे मदति कयलक। ओहि समयक पॉपुलर नाच पार्टी सुरजा कम्पनी के आनने राहिएक। से,ई अपन स'ख केँ पूरा कयल स्कूल मे। लोहा हाई स्कूल सँ जुड़ल अनेको स्मृति मे ई सेहो अविस्मरणीय अछि हमरा लेल।
एम्हर गाम मे दुर्गा पूजा के अवसर पर षष्ठी सँ नवमी धरि नाटक होइ छलै ।गामक ओहि समयक 1973-74 मे प्रगतिशील नवयुवक नाट्य परिषदक स्थापना तत्कालीन युवा लोकनि द्वारा भेल छलैक। ओना नाटक खेलेबाक परम्परा हमर टोल मे बहुत प्राचीन काल सँ छलैक। मुदा एना संस्थाक नाम सँ स्वतंत्र नाट्य संगठन नहि छलैक । से नाटक खूब नीक होइत छलैक। जे गाम सँ बाहर रहैत छलाह हुनकर रोल लिखक' डाक द्वारा पठा देल जाइत छलैक। एम्हर जे गाम मे रहैत छलाह से सभ एक महीना पहिने सँ राति में रिहर्सल करैत छलाह । एखन हमरा सभहक उम्रक लड़का केँ कम मौका लगैत छलैक। हमरा तँ लागियो जाय मुदा बहुतो गोटे केँ चांस नहि भेटैक दशमी मे। तँ, हमर बैचक लड़का सभ कोजगरा के राति नाटक करय। "तिरंगा खतरे में है" " ई नाटक बांग्ला देशक निर्माण कालक युद्धक विषय सँ संबंधित छै। मैट्रिक परीक्षा देलाक बाद हिंदी में एकटा नाटक लिखलिएक 'रक्तदान'। भैयारी प्रेम पर आधारित। एहि नाटकक मंचन हमर भाईजीक कोजगरा के अवसर पर भेल छलैक। पहिल बेर अखबार में नाम आयल छल। आर्यावर्त्त प्रेस मे गामेक मिथिलेश मिश्र काज करैत छलखिन। ओ एहि नाटक के रिपोर्टिग निकालने रहथिन ।आब ई नाटक पढ़ै छिऐ तँ हँसी लगैत अछि। एम्हर हमर जे ओहि समय वयस छल से देखैत नाट्य परिषद मे गामक नाटकक हिसाबे हमरा लेडीज रोल भेटय लागल। सभ तँ मोन नहि अछि । हं,चतुर्भुज लिखित नाटक 'रावण' मे सीताक रोल आ देवासुर संग्राम मे 'दुर्गा'क रोल मोन अछि। मुदा,ओहि समय सबसँ बेसी प्रशंसा भेटल रहय चतुर्भुज लिखित नाटक"श्री कृष्ण"में। हम कृष्ण आ हमर भाइजी बलरामक भूमिका कयने रहथि। ओहि समय गामक नाटक मे परम्परा छलैक जे नीक रोल पर लोक पुरस्कार रूप में 5 ,10,20 टाका दैत छलैक। से ओहि बेर नीक पाइ भेटल रहय। एहि तरहें गामक नाटक मे भाग लैत छलहुँ। मैट्रिक परीक्षा फर्स्ट डिवीज़न सँ पास कयलहुँ। ओहि समय मे गामक लोकक हिसाबे 75% सँ बेसी नंबर आनब बढ़िया रिजल्ट मानल जाइत छलैक। से गाम मे खूब प्रशंसा करै लोक सभ । एकरबाद आगूक पढ़ाई हेतु पटना आबि गेलहुँ । मुदा, दुर्गा पूजाक छुट्टी मे गाम जाइ तँ नाटक करबे करी । पटना मे 5 सालक बाद भंगिमाक सँ जुड़ल। एकर बादसँ जे गाममे नाटक करी से मात्र मैथिली नाटकमे।काठक लोक, बसात,बड़का साहेब,मि नीलो काका, ई नाटक सभ मोन पड़ैत अछि ,एहि सभ मे अभिनय कयने छी। पहिलुक किछु नाटक घटकैती, खट्टर काका चीन मे,उगना ई नाटक सभ सेहो मोन पड़ैत अछि, जे गाम मे भेल छलैक।
किशोरावस्था मे गामक रंगमंचक अनेको मधुर स्मृति सभ मोन पड़ैत अछि। दालान सभ सँ चौकी उघनाइ स्टेज हेतु, आँगन सभसँ काकी,भौजी सभ सँ विंग्स वास्ते साड़ी मंगनाइ, हंसी-ठठ्ठा, राति में ज़ोर ज़ोर सँ बाजि कए रिहर्सल केनाइ,पार्ट के लेल झगड़ा, लेडीज रोल मे घरे सँ साड़ी पहिरने,मेकअप क'क' मेकअप रूम मे एनाई, बीच मे नटुआक नाच, संगहि लीला भाइ आ नुनु काकाक कॉमिक। गामक लड़की सभ भने स्टेज पर नहि अबैत छलैक, मुदा सहभागिता रहैत छलैक नाटक मे। ओहि समयक पढ़लि लिखलि एडवांस लड़की सभ मेकअप करैत छलैक, लेडीज़ रोल करैबला लड़का सभहक। से खूब मन सँ करैत छलैक। मोन पड़ैत आछि दुर्गा बला रोल मे हमर मेकअप करै मे ओइ दुनु बहिन केँ घंटा भरि लागल रहैक।छोटकी बहिनकेँ अपन कएल मेकअप पर बहुत गर्व छलै । दर्शकमे बैसल अपन संगी सहेली केँ कहै जे हमही मेक अप केलियनि हें साक्षात दुर्गा भगवती लगै छथिन। ई बात भोर में बुझलिएक आकर संगी कहलक दुर्गास्थान मे ।दिन मे टिका टिप्पणी सेहो करैत छलैक। नाटकक खूब क्रेज छलैक ओहि समय गाम मे।गामक की सुन्दर वातावरण छलैक ओहि समय ! कतेक प्रेम,स्नेह, सौहार्दक माहौल छलै ! कतेको मधुर स्मृति सभ मोन अछि एखनो !
से समय बदलि गेलैक। खपड़ाबला घरक दुर्गा मंदिर आब भव्य पक्का, मार्वल टाइल्स,पंखा आदि सँ सुसज्जित भ'गेलैक। एकटा महादेवक मंदिर सेहो बनि गेलैक,पूजा खूब धूम-धाम सँ होइत छै।सभ किछु मे बृद्धि भ'गेलैक। खाली,वर्षोक सांस्कृतिक परंपरा जे नाट्य प्रदर्शन छलैक, तकरा वर्त्तमान राजनीति सँ प्रभावित गामक लोक क्षुद्र स्वार्थक कारणे नाटकक प्रदर्शन केँ बन्न क'देलकैक।
से,जखन दुर्गा पूजा मे गाम जाइत छी, वीरान पड़ल ओ पक्का के स्टेज धिक्कारैत अछि। जेना कहैत हो मोन छौ ने इएह मंच तोहर जड़ि छौ। एकर बादे किछु आर। ओकरा सँ की कहियौक जे सभ किछु ओहिना मोन अछि मुदा हम असहाय छी। समाज मे जाधरि चेतना नहि ओतैक ताधरि नाट्य कर्म सन सामूहिक विधा मे किछु नहि भ'सकैत छैक।
मुदा, किशोरावस्था ओ रंगप्रेम हमरा अतीत मे ल'जाइत अछि। एहि अवस्था मे भेल प्रेम अविस्मरणीय रहैत छै। ओहि प्रेमक स्मृति बेर बेर मोन पड़ैत अछि ।अद्भुत छल ओ रंग प्रेम---! ओकर व्यख्या की शब्द मे कयल जा सकैछ--- ?

नही भुला पाऊंगा आपकी नैतिक जिम्मेदारी और आपकी कृति को....। रंगमंचीय बड़ी क्षति हुई है "कुमार गगन" भैया के चले जाने से.......
18/04/2021

नही भुला पाऊंगा आपकी नैतिक जिम्मेदारी और आपकी कृति को....। रंगमंचीय बड़ी क्षति हुई है "कुमार गगन" भैया के चले जाने से......। धिक्कार है सरकार के स्वास्थ्य विभाग के कुव्यवस्था पर। ...."कोइली बिनु बगिया सून" भ गेल...... अपने ई नाटक लिखलों आ अपने कोइली के असली पात्र किया निभाइलों भैया.....। पूरा मैथिली रंगमंच, भंगिमा आ अरिपन अहाँक कमी कोना पूर्ण करत....। ओह, हम ई केकरा कहि रहल छी, ओ त सुनता नई.... नई भैया अखन जरूर सुनैत हेता... छै ने भैया। बाजू ने....

अभिनय आर्ट पटना द्वारा स्कूली बच्चे के साथ "स्वच्छता में ही दक्षता" पर नाट्य कार्यशाला करते हुए
07/03/2021

अभिनय आर्ट पटना द्वारा स्कूली बच्चे के साथ "स्वच्छता में ही दक्षता" पर नाट्य कार्यशाला करते हुए

रंगमंचीय गतिविधि के कुछ क्षण
10/02/2021

रंगमंचीय गतिविधि के कुछ क्षण

पटना में तीन दिवसीय नाट्य समारोह में संजय उपाध्य ने नाटक ‘विदेसिया’ की 725वीं प्रस्तुति कर फिर रचा नाट्य इतिहास... 👌 ‘गौ...
09/01/2021

पटना में तीन दिवसीय नाट्य समारोह में संजय उपाध्य ने नाटक ‘विदेसिया’ की 725वीं प्रस्तुति कर फिर रचा नाट्य इतिहास... 👌

‘गौऊना करा के पियबा भागल परदेस हो रामा…’ प्यारी सुंदरी के इस दर्द से कराहता रहा प्रेक्षागृह…..….....
पटना- जीवन में प्रेम, विरह, वेदना और वास्तविक परिस्थिति का साक्षात्कार अगर देखना हो तो नाटक ‘विदेसिया’ को जरूर देखना चाहिए, जहां जीवन के अनेक रंगों से आप रू-बरू होंगे | देसी अभिनय शैली, लोक गीतों और संगीतों का विभिन्न आयाम विदेसिया नाटक में दिखता नजर आता है |...... अवसर था संस्था ‘प्रस्तुति’ पटना द्वारा आयोजित तीन दिवसीय नाट्य समारोह का जिसमें समारोह के आखरी दिन शुक्रवार को पटना के कालिदास रंगालय में निर्माण कला मंच पटना द्वारा प्रस्तुत और रंगनिर्देशक संजय उपाध्याय निर्देशित भोजपुरी के प्रख्यात लोक कथा लेखक भिखारी ठाकुर के प्रचलित और सर्वप्रिय नाटक “विदेसिया” का मंचन किया गया | नाटक के कथा-सार से आप सभी अबूझ नहीं हैं | इसकी गूंज विदेशों तक फैली है और आज भी भिखारी ठाकुर के नाटकों कि प्रासंगिकता बनी हुई है |

निर्देशक संजय उपाध्याय ने नाटक विदेसिया को 30 साल से देश भर और विदेशों में करते आ रहे है और अब तक इस नाटक की 725 प्रस्तुति हो चुकी है जो अपने आप में एक इतिहास साबित होता है | बता दें कि आज तक हिंदी रंगमंच पर हिंदी नाटकों की भी इतनी प्रस्तुति नहीं हुई होगी शायद |

शुक्रवार को नाट्य प्रस्तुति में ऐसा लगा कि निर्देशक ने अपने इस नविन नाट्य प्रस्तुति ‘विदेसिया’ के क्राफ्ट से लेकर अभिनेताओं के अभिव्यक्ति पर काफी काम किया होगा जिसका प्रमाण मंच पर दिख रहा था | संगीत के साथ अभिनेताओं का ताल मेल को देख कर ऐसा नहीं लग रहा था कि वनटेक पर्फोर्मेंस लाइव देख रहे हैं…|

नाटक के एक दृश्य को कभी भुलाया नहीं जा सकता है- जब बिदेसी अपनी नई नवेली बहु को छोड़ कर पूरव यानि कलकत्ता को जाने को कहता है… तब प्यारी सुंदरी पति की जुदाई को सहन करने से असमर्थ हो जाती है लेकिन बिदेसी छल से सुंदरी को छोड़ परदेस चला जाता है |

प्यारी सुंदरी पति बिदेसी से बिछुरन के बियोग में सूख कर काँटा हो जाती है और अपनी आप बीती बटोही को बताती है… “‘गौऊनमा करा के पियबा भागल परदेस हो रामा…’ प्यारी सुंदरी के इस दर्द का असर कालिदास रंगालय के प्रेक्षागृह में दिख रहा था |

मुख्य अभिनेत्री शारदा सिंह (प्यारी सुंदरी) के कुशल अभिनय शैली ने प्यारी सुंदरी के चरित्र को इस कदर अभिव्यक्त किया जिसका सात्विक अभिनय सीधा दर्शकों के ह्रदय में संचारित हो रहा था और दर्शक उस चरित्र को अपने जीवन में टटोलने पर मजबूर था| उसी प्रकार नाटक के सभी पात्र चाहे बटोही हो या बिदेसी, रखेलन या फिर मंच पर अभिनय एवं चूहल करते अन्य कलाकार, सभी ने अपने निर्देशक के अनुसाशन का कदर करते हुए अपना अपना काम बखूबी निभाया |.......... नाटक में संगीत और नृत्य पक्ष काफी प्रभावित किया। प्रेम, हास्य-विनोद के साथ करुण भाव पूरे नाटक में लबालब रहा।
प्रेम के साथ विरह को समेटे प्यारी सुंदरी की अदाकारी ने दर्शकों के दिल पर राज किया।

रिपोर्ट- अमलेश आनंद (Digitale news live )

पटना- भिखारी ठाकुर के नाटक में से एक सर्वलोकप्रिय नाटक है "गबरघिचोर"। आज पटना के कालिदास रंगालय में इस नाटक का मंचन देखन...
04/01/2021

पटना- भिखारी ठाकुर के नाटक में से एक सर्वलोकप्रिय नाटक है "गबरघिचोर"। आज पटना के कालिदास रंगालय में इस नाटक का मंचन देखने को मिला। नाटक की प्रासंगिकता शायद ही किसी रंगदर्शक से अबुझ होगा।इनकी भाषा खांटी भोजपुरी जो बिहार के दर्शकों के मष्तिष्क में रमा है और ऊपर से म्यूजिकल थीम। सबसे खास बात की कलाकार बिल्कुल ही नेचुरल... जैसे लग रहा था कि ग्राम के किसी दलान पर आपसी बात चीत कर अपनी वेदना अथवा भावाव्यक्ति कर रहा हो।
नाटक में वैसे तो सारे पात्रों ने अपने अपने चरित्र को बखूबी निभाया मगर गलीज बहु (दीपा दीक्षित) और पंच(सौरभ सफारी) ने दर्शकों के सामने अपने चरित्र को जीवंत किया।
अभिनेता सौरभ सफारी का कमाल का अभिनय रहा नाटक गबरघिचोर में। अभिनेता वही जो अपने वास्तविक पहचान को छुपा अभिनीत पात्र के चरित्र को चित्रित करने का मंच पर भ्रम पैदा कर सके दर्शकों के लिए...।

29/12/2020

बहुत बहुत बधाई 'अशोक कुमार राय' आपको, आज दिनाक 29 दिसम्बर को DXN बिजनेस में अपना पहला पिन स्टार एजेंट का पाया। आपको इस पहली कामयाबी के लिए बधाई। दुआ करता हूँ कि आपका क्राउन एम्बेसेडर की मंजिल जल्द प्राप्त हो।

सिस्टम पर कड़ा प्रहार किया अभिनेता मनोज मानव का "मैं तमाशा"।पटना रंगमंच में एक से एक प्रतिभावान कलाकार स्थापित है फिर भी ...
27/12/2020

सिस्टम पर कड़ा प्रहार किया अभिनेता मनोज मानव का "मैं तमाशा"।
पटना रंगमंच में एक से एक प्रतिभावान कलाकार स्थापित है फिर भी सरकार कलाकारों के प्रगति और संरक्षण के लिए कुछ भी नही सोचती।
@@एक कहावत है - "अन्हरा गाम में कान्हा राजा" ....
आज कल कालिदास रंगालय में नाट्य फेस्टिवल चल रहा है जिसमें एकल अभिनय का मंचन लगातार जारी है। बड़े दिन बाद एकल अभिनय की प्रस्तुति देखने को मिला जिसमें नाटक रसप्रिया में अभिनेता बुल्लू कुमार और मैं तमाशा में अभिनेता मनोज मानव की बेहत भावनात्मक अभिनय देखने को मिला।
ऐसा क्यों होता है कि रंगमंच पर बेहतर काम करने वाले को सरकार से मदद नही दिया जाता और सिर्फ खाना पूर्ति वाले काम के लिए कुछ संस्था को महज नाटक दिखाने भर के लिए अनुदान दिया जाता....? हद तो तब होती है कि जब सिर्फ सरकारी फाइल पर नाटक करने वाले लोग अनुदानित नाटक के बैनर पर #टिकट ले कर नाटक देखने का नसीहत भी लिख देते हैं...।

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