18/04/2021
ंगडायरी
"किशोरावस्थाक ओ रंगप्रेम"
मानवीय जीवनक सबसँ महत्वपूर्ण संवेदना प्रेमक अनुभूति किशोरावस्था मे होइत छै। नेनपन मे भेल प्रेमक बीजारोपण किशोरावस्था मे अंकुरित होमय लगैत छैक। बाल्यकालक बहुत किछु क्रियाकलाप बात व्यवहार बदलि जाइत छैक। नव-नव घटना परिघटना सभ जीवन मे नव रसानुभूति व आंनदक अनुभव करैछ, जे मानस पटल पर अंकित रहैछ। समय समय पर एहि समयकअविस्मरणीय पलअंदरसँ आह्लादित करैछ ।
सौराठक मिडिल स्कूल सँ आब लोहा हाई स्कूल मे आबि गेल छलहुँ । नेनपनक सभ खेल छुटि चुकल छल ।सभ खेलक स्थान पर मात्र एक खेल क्रिकेट । से सांझ मे खूब होइ ।आमक गाछीक नेनपनक रंगमंच अनायासे बन्द भ'गेलैक ।मुदा, गाछी नहि छुटल छल । मॉर्निंग स्कूल सँ अयलाक बाद,भोजन कएलाक बाद सोझे आमक गाछी । आब संग मे कोर्सक किताब रहैत छल। खोपरी मे राखल चौकी ।हं, हमरा गाछी मे मचान नहि बनैत छलै। चौकी पर सुजनी ,गेरुआ । एक कोन मे घैल आ गिलास।
सांझ मे मित्र मंडलीक बैसार होइ छलै आ राति मे नाटक देखबाक प्लान बनैत छलै। आब लोहा हाटक मैदान मे पुरन्दर झाक रामलीला पार्टीक बदला जयकुमार झा कम्पनी अबैत छलैक । किछु दिन मे रामलीला समाप्त क' लगभग एक मास तक नाटक होइत छलैक। जखन वर्षा ऋतु जोर पकड़ि लैत छलैक तखन एहि कम्पनीक नाटक बन्न भ'जाइत छलैक । हाई इस्कूलक सटले तँ ओहि कम्पनीक स्टेज बनल रहैत छलैक । से,टिफिन मे स्कूल सँ बाहर भ' स्टेजक बगल मे लगायल बड़का पोस्टर पर "आज की रात प्रस्तुत होने जा रहा है नाटक"------। नाटकक नाम पढ़लहुँ आबि गेलहुँ अपन क्लास । पढ़ाई शुरू। से,बैसार में निर्णय होइ छलै जे आइ राति चलल जाय कि नहि । नाटकक नाम पर निर्णय । सभ राति जायब सम्भव नहि छलैक । कारण नाटक टिकट पर होइत छलैक ।आठ आना बला आ एक रुपया बला ,से नाटक जाबत तक नै शुरू भेल हो। नाटक शुरू होमय सँ पहिने दु तीन टा कलाकार नटुआ बनल फिल्मी गीत गबैत नाच करैत छलैक । जखन चारु दिस सँ घेरल मैदान लगभग भरि जाइत छलैक तखन गेट पर जे चारि आना आठ आना द'दियौक सैह, तखन अंदर जाय दैत छलैक गेटकीपर । हम सभ एहि तरहक दर्शक छलहुँ। हमर सभहक नेता होइत छल रामगुणेश भाइ । 10-15 गोटेक ग्रुप छलैक। कहियो कहियो गेट पर हो हल्ला कएलक ,ओहि बीच भीड़ मे शामिल भ'हम सभ भीतर घुसि जाइ। पैसा बाँचि जाइ। ओहि दिनक खुशीक वर्णन नहि कएल जा सकैछ। नाटक सभ तरहक होइ छलै धार्मिक, सामाजिक, आ फिल्मी नाटक सेहो। ऐतिहासिक नाटक नहि करैत जाइ छलैक। नाटक सभ जे हिट होइ छलै ताहि में किछु नाम तँ एखनो मोन अछि। सत्य हरिश्चंद्र, श्रवण कुमार, सती नाग चम्पा, राजा भतृहरि, बनदेवी,सुल्ताना डाकू,भीख की रोटी,सिंदूर की क़ीमत, धूल का फूल,शोले । एहि नाटक सभ लेल किछु नव मित्रमंडली बनल । हमर संगी आब भाइ जी(हमर जेठ भाइ) आ हुनकर बतारी के हुनक संगी सभ छलाह । नाटकक प्रेमी दुनु भाइ। फूसि नहि कहब हमरा दुनु भाइ के राति मे ई नाटक देखय हेतु कहियो डांट फटकार नहि पड़ल। जेना दोसर हमर संगी सभ के होइ छलैक। माय बापक डरें मोन मसोरि क'रहि जाइत छल बेचारा । हमर बाबू बड्ड सज्जन । दोसर एकटा बात इहो रहैक जे हम दिन मे गाछी मे अपन पढ़ाई क'ली। क्लासक फर्स्ट विद्यार्थी सेहो छलिऐक ने। क्लास पंचमा सँ मैट्रिक तक कहियों सेकेंड नहि केलिएक । कहियो कोनो शिकायत नहि सुनबाक मौका । से बाबू निश्चिंत रहै छलाह, एकटा इएह नाटकक चसक छल । से एक राति धरा गेलहुँ। अर्ध वार्षिक परीक्षा चलै छल। ओहि सँ एक राति पहिने शोले नाटक होइ बाला छलैक। सिनेमा नै देखने रही। तँ विचार भेलैक देखल जाय । मुदा नाटक देखय काल पकड़ा गेलहुँ । आगाँ मे स्कूलक दु टा मास्टर साहेब जे इस्कूलेक होस्टल में रहै छलखिन ,सेहो ई नाटक देखय आयल छलखिन । अपना भरि नुकेबाक प्रयास कयल । हमरा भेल जे नहि देखने हेताह। मुदा, भोर मे जखन परीक्षा होइत छलैक, ओहि दिन वैह सत्यदेव बाबूक गार्डिंग छलनि। किछु नहि कहलनि। खाली जखन परीक्षा चालू भ'गेलैक तँ पूरा क्लास केँ हमरा पर व्यंग्य करैत कहलथिन, "क्लास के फर्स्ट विद्यार्थी भी शोले नाटक देखते हैं परीक्षा के समय" । हम बहुत लजा गेल रही। पकड़ा गेल छलहुँ। जय कुमार कम्पनीक ई अंतिम नाटक छल हमर देखल। मुदा, दसमा में जखन रही, तँ जे कहियों नहि भेल छलैक, से 15 अगस्त,1980 में स्कूल परिसर में नाटक कयलहुँ। शुरू मे हेडमास्टर द्वारा विरोध,मुदा किछु नव मास्टर साहेबक सहयोग सँ "डाकू चंदन सिंह"क मंचन भेलैक। ई नाटक जय प्रकाश नारायण द्वारा डाकू सभ केँ आत्म समर्पण केँ घटना के देखबैत छै । आपना मे चंदा कयल गेलै, स्कूल सँ सेहो किछु फंड लेल गेलैक। लोहा गामक विद्यार्थी सभ एहि मे मदति कयलक। ओहि समयक पॉपुलर नाच पार्टी सुरजा कम्पनी के आनने राहिएक। से,ई अपन स'ख केँ पूरा कयल स्कूल मे। लोहा हाई स्कूल सँ जुड़ल अनेको स्मृति मे ई सेहो अविस्मरणीय अछि हमरा लेल।
एम्हर गाम मे दुर्गा पूजा के अवसर पर षष्ठी सँ नवमी धरि नाटक होइ छलै ।गामक ओहि समयक 1973-74 मे प्रगतिशील नवयुवक नाट्य परिषदक स्थापना तत्कालीन युवा लोकनि द्वारा भेल छलैक। ओना नाटक खेलेबाक परम्परा हमर टोल मे बहुत प्राचीन काल सँ छलैक। मुदा एना संस्थाक नाम सँ स्वतंत्र नाट्य संगठन नहि छलैक । से नाटक खूब नीक होइत छलैक। जे गाम सँ बाहर रहैत छलाह हुनकर रोल लिखक' डाक द्वारा पठा देल जाइत छलैक। एम्हर जे गाम मे रहैत छलाह से सभ एक महीना पहिने सँ राति में रिहर्सल करैत छलाह । एखन हमरा सभहक उम्रक लड़का केँ कम मौका लगैत छलैक। हमरा तँ लागियो जाय मुदा बहुतो गोटे केँ चांस नहि भेटैक दशमी मे। तँ, हमर बैचक लड़का सभ कोजगरा के राति नाटक करय। "तिरंगा खतरे में है" " ई नाटक बांग्ला देशक निर्माण कालक युद्धक विषय सँ संबंधित छै। मैट्रिक परीक्षा देलाक बाद हिंदी में एकटा नाटक लिखलिएक 'रक्तदान'। भैयारी प्रेम पर आधारित। एहि नाटकक मंचन हमर भाईजीक कोजगरा के अवसर पर भेल छलैक। पहिल बेर अखबार में नाम आयल छल। आर्यावर्त्त प्रेस मे गामेक मिथिलेश मिश्र काज करैत छलखिन। ओ एहि नाटक के रिपोर्टिग निकालने रहथिन ।आब ई नाटक पढ़ै छिऐ तँ हँसी लगैत अछि। एम्हर हमर जे ओहि समय वयस छल से देखैत नाट्य परिषद मे गामक नाटकक हिसाबे हमरा लेडीज रोल भेटय लागल। सभ तँ मोन नहि अछि । हं,चतुर्भुज लिखित नाटक 'रावण' मे सीताक रोल आ देवासुर संग्राम मे 'दुर्गा'क रोल मोन अछि। मुदा,ओहि समय सबसँ बेसी प्रशंसा भेटल रहय चतुर्भुज लिखित नाटक"श्री कृष्ण"में। हम कृष्ण आ हमर भाइजी बलरामक भूमिका कयने रहथि। ओहि समय गामक नाटक मे परम्परा छलैक जे नीक रोल पर लोक पुरस्कार रूप में 5 ,10,20 टाका दैत छलैक। से ओहि बेर नीक पाइ भेटल रहय। एहि तरहें गामक नाटक मे भाग लैत छलहुँ। मैट्रिक परीक्षा फर्स्ट डिवीज़न सँ पास कयलहुँ। ओहि समय मे गामक लोकक हिसाबे 75% सँ बेसी नंबर आनब बढ़िया रिजल्ट मानल जाइत छलैक। से गाम मे खूब प्रशंसा करै लोक सभ । एकरबाद आगूक पढ़ाई हेतु पटना आबि गेलहुँ । मुदा, दुर्गा पूजाक छुट्टी मे गाम जाइ तँ नाटक करबे करी । पटना मे 5 सालक बाद भंगिमाक सँ जुड़ल। एकर बादसँ जे गाममे नाटक करी से मात्र मैथिली नाटकमे।काठक लोक, बसात,बड़का साहेब,मि नीलो काका, ई नाटक सभ मोन पड़ैत अछि ,एहि सभ मे अभिनय कयने छी। पहिलुक किछु नाटक घटकैती, खट्टर काका चीन मे,उगना ई नाटक सभ सेहो मोन पड़ैत अछि, जे गाम मे भेल छलैक।
किशोरावस्था मे गामक रंगमंचक अनेको मधुर स्मृति सभ मोन पड़ैत अछि। दालान सभ सँ चौकी उघनाइ स्टेज हेतु, आँगन सभसँ काकी,भौजी सभ सँ विंग्स वास्ते साड़ी मंगनाइ, हंसी-ठठ्ठा, राति में ज़ोर ज़ोर सँ बाजि कए रिहर्सल केनाइ,पार्ट के लेल झगड़ा, लेडीज रोल मे घरे सँ साड़ी पहिरने,मेकअप क'क' मेकअप रूम मे एनाई, बीच मे नटुआक नाच, संगहि लीला भाइ आ नुनु काकाक कॉमिक। गामक लड़की सभ भने स्टेज पर नहि अबैत छलैक, मुदा सहभागिता रहैत छलैक नाटक मे। ओहि समयक पढ़लि लिखलि एडवांस लड़की सभ मेकअप करैत छलैक, लेडीज़ रोल करैबला लड़का सभहक। से खूब मन सँ करैत छलैक। मोन पड़ैत आछि दुर्गा बला रोल मे हमर मेकअप करै मे ओइ दुनु बहिन केँ घंटा भरि लागल रहैक।छोटकी बहिनकेँ अपन कएल मेकअप पर बहुत गर्व छलै । दर्शकमे बैसल अपन संगी सहेली केँ कहै जे हमही मेक अप केलियनि हें साक्षात दुर्गा भगवती लगै छथिन। ई बात भोर में बुझलिएक आकर संगी कहलक दुर्गास्थान मे ।दिन मे टिका टिप्पणी सेहो करैत छलैक। नाटकक खूब क्रेज छलैक ओहि समय गाम मे।गामक की सुन्दर वातावरण छलैक ओहि समय ! कतेक प्रेम,स्नेह, सौहार्दक माहौल छलै ! कतेको मधुर स्मृति सभ मोन अछि एखनो !
से समय बदलि गेलैक। खपड़ाबला घरक दुर्गा मंदिर आब भव्य पक्का, मार्वल टाइल्स,पंखा आदि सँ सुसज्जित भ'गेलैक। एकटा महादेवक मंदिर सेहो बनि गेलैक,पूजा खूब धूम-धाम सँ होइत छै।सभ किछु मे बृद्धि भ'गेलैक। खाली,वर्षोक सांस्कृतिक परंपरा जे नाट्य प्रदर्शन छलैक, तकरा वर्त्तमान राजनीति सँ प्रभावित गामक लोक क्षुद्र स्वार्थक कारणे नाटकक प्रदर्शन केँ बन्न क'देलकैक।
से,जखन दुर्गा पूजा मे गाम जाइत छी, वीरान पड़ल ओ पक्का के स्टेज धिक्कारैत अछि। जेना कहैत हो मोन छौ ने इएह मंच तोहर जड़ि छौ। एकर बादे किछु आर। ओकरा सँ की कहियौक जे सभ किछु ओहिना मोन अछि मुदा हम असहाय छी। समाज मे जाधरि चेतना नहि ओतैक ताधरि नाट्य कर्म सन सामूहिक विधा मे किछु नहि भ'सकैत छैक।
मुदा, किशोरावस्था ओ रंगप्रेम हमरा अतीत मे ल'जाइत अछि। एहि अवस्था मे भेल प्रेम अविस्मरणीय रहैत छै। ओहि प्रेमक स्मृति बेर बेर मोन पड़ैत अछि ।अद्भुत छल ओ रंग प्रेम---! ओकर व्यख्या की शब्द मे कयल जा सकैछ--- ?