Mast rajasthani

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22/05/2024

गांव के बच्चों का झूले का तरीका देख कर आप हंसते हंसते लोटपोट होजाओगे #ट्रेंडिंग_वीडियो
#वायरल

22/05/2024

Jab bache ko khet me sath le Jaye to kitna khush hota h

Yoyo hni singh
19/05/2024

Yoyo hni singh

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12/05/2024
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10/05/2024

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गोतम बुद्ध निशुल्क कोचिंग शेयर करें अपना फर्ज निभाए
10/05/2024

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07/05/2024
30/04/2024

अंधभख्तो के पापा ने तो सबको मरवाने का प्लान बना दिया कुछ लोग को फ़ायदा मिलने के लिय देश को बरबाद करने का ठान रखा है
कोई जवाब देगा अब जितनी जबरदस्ती से लोगो को लगाई थी वैक्सीन अब उनका हिसाब कोन देगा:– पूछता है भारत

06/04/2024
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09/03/2024

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14/02/2024
दर्द
12/02/2024

दर्द

दर्द का होना
12/02/2024

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Gret br.ambedkar
09/02/2024

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ताकत शब्दों में
09/02/2024

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Suvichar
06/02/2024

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खुशहाल जिंदगी के लिए जरूरी  है
06/02/2024

खुशहाल जिंदगी के लिए जरूरी है

जिन्दगी
05/02/2024

जिन्दगी

देश को बचाना है बहन जी को लाना है
04/02/2024

देश को बचाना है बहन जी को लाना है

चिता की ओर हाथ जोड़कर मन ही मन दुआ और अंतिम विदाई  देकर समसान की चार दिवारी से बाहर निकले बाहर निकले तबतक सभी एक साथ निक...
03/02/2024

चिता की ओर हाथ जोड़कर मन ही मन दुआ और अंतिम विदाई देकर समसान की चार दिवारी से बाहर निकले बाहर निकले तबतक सभी एक साथ निकले बाहर निकलते ही अलग अलग ग्रुप में बांट ने लगे सभी अपने अपने जलाशयों की ओर बढ़ने लगे वह मंजर सब कुछ भूलकर जातिवाद को जीवित कर रहा था सभी हाथ मुंह धोकर फिर मरने वाले के घर की ओर चल पड़े
वहा दरी बिछी पड़ी थी एक बार फिर सभी एकसाथ बैठ गए
फिर वही पाप पुण्य संवर्ग नर्क की बातें होने लगी
कुछ समय बाद परिवार के कुछ लोग चाय लेकर आए कुछ लोगों ने चाय ली और कुछ लोग चाय को देखते ही उठ कर चलने लगे
वह चाय यह बता रही थी की मरने वाला नीच जाति का है और चाय देखकर चलने वाले उच्च जाति के लोग है
एकबार फिर जातिवाद दिखने लगा
यह सब कितना बुरा लगा होगा उस परिवार को जिस परिवार से एक अर्थी उठी थी
कुछ समय पहले अपना अंत देखने वाले सबकुछ भूल कर फिर एक दूसरे को ऊंच नीच का अहसास दिलाने का प्रयास करने लगे
मरने वाला मर गया लेकिन जातिवाद नहीं मरा उसकी जाति जिंदा थी

03/02/2024
01/02/2024

मेघवालों की बस्ती लखलान बड़ी में विकास का अद्भुत नमूना
वीडियो को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें ताकि वीडियो आला अधिकारियों तक पहुंच सके

किसी का झुकने न सीस लाचारी मेंबेमानों का सीस उठने न देना खून है तुम्हारी नसों में ईमान का इसे बेमानो से मिटने न देना बाह...
09/01/2024

किसी का झुकने न सीस लाचारी में
बेमानों का सीस उठने न देना
खून है तुम्हारी नसों में ईमान का
इसे बेमानो से मिटने न देना
बाहें तुम्हारी भी कमजोर नहीं अभी आजमाकर देख
उठा लेना अस्तर शस्त्र रण भूमि में
पुरखों का गौरव फुजदिलो की तलवारों से मिटने न देना
उठा है सीना तेरे अपनो का नेकि पर चलकर
कु कर्मों से इसे मिटने न देना
जब बात बन आए इजत पर बलिदान होना पड़े होजना
चमन इज्जत का संजोया है तुम्हरे पुरखों ने खून पसीना बहाकर
खुद मिटजाना पर इज्जत को कभी मिटने न देना
किसी का झुकने न देना सीस लाचारी में
बेमानी का सीस उठने न देना
कमजोर का बनना सहारा मुस्किल हालातों में
बलशाली की धौंस पनपने न देना
खून है तुम्हारी नसों में ईमान का
इसे बेमानो से मिटने न देना

✍️रामरतन सुड्डा

04/01/2024

अकेला सा होगया हूं मैं
अकेला अकेला सा होगया हूं मैं
बचपन वाले दोस्त बाहर कमाने चले गए
कुछ बचे थे वो होगये शराब के दीवाने कुछ
भूल गए बचपन की यादें कुछ होकर हमसे
हमेशा हमेशा के लिए बेगाने, कुदरत के घराने चले गए
अकेला अकेला सा होगया हूं मैं
याद आते है कुछ बीते लम्हे रोने लगता हूं
क्यों कुछ बनकर मेरे अपने,मुझसे होकर बेगाने चले गय
सब घर होते थे मेरे अपने मेरे महोले मेरे गांव के
जैसे जैसे हुआ में कद से बड़ा, जाने क्यों सब के सब
बेगाने बेगाने से होते चले गय
अकेला अकेला सा होगया हूं मैं
क्यों संजोकर रखा मैने उन यादों को जो रुलाती रहती है मुझे हरपल ,लाख संभालकर रखे वो बचपन के खिलौने एक एक कर खोते खोते चले गय
बड़ी मुद्दत्तों से मिले भी कुछ बचपन के यार क्यों फिर वो खुद रॉय और हमे भी रुलाते रुलाते पेट कमाने चले गय
मेरे मालिक मसला रोटी का ही था तो क्यों दिया दिल महोब्बत वाला ,क्यों दिया याराना जिसे हम निभाते निभाते चले गय
अकेला अकेला सा होगया हूं मैं
एक थाली में खाने वाले उसी खाने को कमाने के लिए कोसो मिलो चले गय
जो कमाने गए है वो वापस आयेंगे उनके लिए ही तो ये दिल धड़कता है उनकी खातिर कबका थम जाता जो अपनी सांसे थमाकर चले गय


✍️रामरतन सुड्डा

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