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11/01/2025
इतिहास को न तो बदला जा सकता है न झुठलाया जा सकता है न मिटाया जा सकता है क्योंकि वो प्रमाणित होता है प्रमाणों के आधार पर ही इतिहास लिखा जाता है
श्री बाबा रामदेव जी महाराज का संक्षिप्त इतिहास -
==========जय बाबे री सा=============
माता का नाम :- श्री मैणादे जी
पिता का नाम :-श्री अजमल जी महाराज
जाति:है तंवर (क्षत्रिय)
श्री अजमल जी महाराज की दो राणीयां थी
1:- मैणादे जी जो जैसलमेर राज परिवार से थी
2:- जीवणदे कंवर जाड़ेजा जामनगर गुजरात राज परिवार से थी
श्री रामदेवर जी महाराज का जन्म संवत 1409 चैत्र शुक्ल पंचमी को हुआ था
जन्म स्थान:- वर्तमान समाधि स्थल से 2 किमी दूर स्थित रूणिचाधाम कुआं जहां पर श्री रामदेव जी महाराज एंव तंवर वंश की कुलदेवी मां चिल्लाय माता जी का भव्य मंदिर बना हुआ है
बड़े भाई का नाम श्री वीरमदेव जी महाराज जिनका जन्म माघ शुक्ल पक्ष पंचमी संवत 1406 को हुआ था
उन्होंने अपने नाम से ग्राम वीरमदेवरा की स्थापना की थी जो रामदेवरा से 3 किमी तथा रूणिचा कुआं से 1 किमी पूर्व दिशा में बसा हुआ है जहां पर उनके वंशज निवास करते है उनकी गादी पर वर्तमान में गादीपति श्री किशोर सिंह जी तंवर विराजमान है
श्री रामदेव जी महाराज की बहने(दोनो जाड़ेजी की पुत्रियां थी)
1:- सुगना बाई सा जिनका विवाह पूंगलगढ़ के बरसीग भाटी गोत्र के श्री उगम सिंह जी के साथ हुआ था जो पूंगलगढ़ के राजकुमार थे बाद में ये गढ़ पड़ियार राजपूतों के अधीन रहा जिसके कारण भ्रांति पूर्ण लेखकों,भजन गायकों,कथा वाचकों ने सुगना बाई सा का ससुराल पडियार गोत्र में बता दिया जो इतिहास के अनुसार सही नहीं है
2:- लाछा बाई सा जिनका विवाह खेड़ स्थान के महेचा राठौड़ श्री हमीर सिंह जी के साथ हुआ था
श्री रामदेव जी महाराज की शादियां तीन हुई थी
1राणी नेतलदे कंवर जी 2 राणी तारादे कंवर जी 3 राणी कल्लू कंवर जी
@ श्री रामदेव जी महाराज के सात पुत्र तथा एक पुत्री हुई थी
पुत्र:- सादो जी,देवराज जी, गजराज जी, महाराज जी, भीवों जी, बांको जी, जैतो जी, पुत्री चांद कंवर
बाबा रामदेव जी महाराज के बड़े पुत्र के वंशज रामदेवरा से 18 किमी उतर दिशा में स्थित ग्राम सादा में निवास करते है इस गांव की स्थापना सादो जी ने की थी
छोटे पुत्र देवराज जी के वंशज रामदेवरा में निवास करते है देवराज जी के वंशज ही रामदेवरा मंदिर की संपूर्ण व्यवस्था संभाल रहे है वर्तमान में 1800 से अधिक वंशज है श्री भोम सिंह जी तंवर वर्तमान राव गादीपति पद पर विराजमान है जो मंदिर के अध्यक्ष है
शेष पांचों पुत्रों ने बाल संन्यास धारण करने से उनका वंश नहीं चला
रामदेवरा समाधि स्थल :- मुख्य समाधि बाबा श्री रामदेव जी महाराज की तथा एक तरफ माता मैणादे जी तथा दूसरी तरफ दादा रणसी जी की है
दोनो पुत्रों की समाधि :-बाबा की समाधि से ठीक आगे बढ़ने पर दोनों पुत्र श्री सादो जी महाराज एवं श्री देवराज जी महाराज की समाधियां स्थित है
मुख्य समाधि के ठीक पीछे कतारबंद समाधियां उनके वंशजों की स्थित है परिसर स्थल छोटा होने के बाद वर्तमान राव गादीपति परिवार की मुख्य मंदिर परिसर में तथा शेष परिवार जनों की रामसरोवर की पाल पर समाधियां स्थित है
श्री अजमल जी महाराज ने अपने वचनों के अनुसार पुनः द्वारिका पहुंच कर जल समाधि ली थी इसलिए उनकी रामदेवरा में समाधि स्थल नहीं है
दूज को जन्म मानना:- जनमानस के अनुसार बाबा का जन्मोत्सव भादवा की दूज को मानते है जबकि दूज को बाबा ने ये महत्व बताया था कि जब भादवा सुदी एकादशी को समाधि ले रहे थे तब उपस्थित परिवार जनों, भक्तों,ग्रामीणों ने पूछा कि आप तो समाधि ले रहे हो अब हमारी रक्षा कौन करेंगे तथा आप हमारी पुकार सुन दर्शन कब देंगे तब बाबा रामदेव जी महाराज ने कहा था कि मैं भादवा की दूज को चंद्र दर्शन के साथ दर्शन दूंगा (भादुड़ी री दूज को जद चंदो करे प्रकाश मै रामदेव बन आवसु राखीजो विश्व ये विश्वास दिलाया था भक्तों को )इसलिए दूज का विशेष महत्व रहता है हर दूज को बाबा की समाधि पर अभिषेक के बाद स्वर्ण मुकुट स्थापित किया जाता है
दर्शनीय स्थल:- रामसरोवर, परचा बावड़ी,डाली बाई की समाधि, डाली बाई की जाल,श्री रामदेव झूला पालना, रूणिचा कुआं, चिल्लाय माता मंदिर,वीरमदेव मंदिर वीरमदेवरा, रतना जी राइका मंदिर, पोकरण स्थित - साथलमेर, भैरव गुफा बाली नाथ का धुना,पोकरण गढ़
=============प्रमाणित इतिहास============
संकलन श्रोत डॉ श्री सोना राम जी विश्नोई, तंवर वंशावली राव भाट बही,, संत गोकुल दास जी महाराज,श्री रामदेव वंशज एडवोकेट अमर सिंह तंवर द्वारा रचित ग्रंथ
================लेखनी==================
संकलनकर्ता:- श्री रामदेव वंशज एडवोकेट अमर सिंह तंवर रामदेवरा 099298 17181
नोट तंवर वंश की वंशावली बाबा के निज मंदिर भक्तों के लिए उपलब्ध है जिनका अध्ययन किया जा सकता है